समाजशास्त्र सारथी: दैनिक प्रश्नोत्तरी से अव्वल बनें!
प्रिय समाजशास्त्र के जिज्ञासुओं! अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को धार देने के लिए तैयार हो जाइए। आज की इस विशेष प्रश्नोत्तरी में हम समाजशास्त्र के विभिन्न पहलुओं से 25 महत्वपूर्ण प्रश्नों को लेकर आए हैं। यह आपकी तैयारी को परखने और नई अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का बेहतरीन अवसर है। आइए, अपनी यात्रा को गति दें और उत्कृष्टता की ओर बढ़ें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसका अर्थ है कि वे बाहरी और बाध्यकारी शक्तियाँ हैं जो व्यक्ति के विचारों और कार्यों को आकार देती हैं?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा को परिभाषित किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य समाज की विशेषताएँ हैं जो व्यक्ति से बाहर होती हैं और उस पर बाहरी दबाव डालती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करने के लिए इस अवधारणा पर जोर दिया। उन्होंने सामाजिक तथ्यों को “वस्तुओं” (things) की तरह अध्ययन करने की वकालत की, जो व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र होते हैं, जैसे कि कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज और फैशन।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स आर्थिक निर्धारणवाद पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों की समझ (‘वेरस्टेहेन’) पर बल दिया। जी.एच. मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद और ‘सामान्यीकृत अन्य’ (generalized other) की अवधारणा दी।
प्रश्न 2: मैक्से वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) के ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की मुख्य विशेषता कौन सी नहीं है?
- स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम (Clear hierarchy of authority)
- लिखित नियम और प्रक्रियाएँ (Written rules and procedures)
- अमानवीय और अवैयक्तिक संबंध (Impersonal and dehumanized relations)
- विशेषज्ञता और श्रम विभाजन (Specialization and division of labor)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगतता और दक्षता की वृद्धि के लिए एक प्रभावी तंत्र के रूप में देखा। हालाँकि अमानवीय और अवैयक्तिक संबंध इसके कार्य करने का एक परिणाम हो सकते हैं, वे इसे नौकरशाही के “आदर्श प्रारूप” की एक अंतर्निहित या वांछनीय विशेषता के रूप में परिभाषित नहीं करते थे। बल्कि, यह कुशलता लाने के लिए स्थापित औपचारिकता का उप-उत्पाद है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, एक आदर्श नौकरशाही में स्पष्ट अधिकार, लिखित नियम, विशेषज्ञता, पूर्णकालिक कैरियर और अमानवीयता (व्यक्तिगत भावनाओं को कार्य से अलग रखना) जैसी विशेषताएँ होती हैं। वे इन विशेषताओं को दक्षता के लिए आवश्यक मानते थे।
- गलत विकल्प: पदानुक्रम, लिखित नियम और विशेषज्ञता वेबर के आदर्श प्रारूप की मुख्य विशेषताएँ हैं। अमानवीयता एक परिणाम है, न कि मुख्य परिभाषित विशेषता।
प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया मुख्य रूप से किससे संबंधित है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- उच्च जाति की प्रथाओं और कर्मकांडों का अनुकरण करके निम्न जाति की सामाजिक स्थिति में सुधार
- तकनीकी प्रगति को अपनाना
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द को गढ़ा, जो दर्शाता है कि कैसे भारत में निम्न सामाजिक-जाति समूह (जैसे, निम्न जातियाँ या जनजातियाँ) उच्च या द्विजाति (twice-born) जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों, जीवन शैली और विचारधाराओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा विशेष रूप से भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता (social mobility) का वर्णन करती है। यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक अनुकूलन का एक रूप है, न कि संरचनात्मक परिवर्तन का। श्रीनिवास ने इसे अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में विस्तार से समझाया।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति से संबंधित है। (c) तकनीकी प्रगति आधुनिकीकरण का हिस्सा है। (d) शहरी जीवन शैली को अपनाना नगरीकरण से जुड़ा है।
प्रश्न 4: चार्ल्स कूले (Charles Cooley) के अनुसार, ‘आत्म दर्पण’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा में आत्म-चेतना के विकास के कितने चरण होते हैं?
- एक
- दो
- तीन
- चार
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) द्वारा प्रस्तुत की गई है?
- अनाचार (Anomie)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- मध्यम-श्रेणी सिद्धांत (Middle-Range Theory)
- सामूहिक चेतना (Collective Consciousness)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: रॉबर्ट मर्टन ने “मध्यम-श्रेणी सिद्धांत” के विचार को बढ़ावा दिया, जो व्यापक, सामान्यीकृत सिद्धांतों (जैसे पार्सन्स के संरचनात्मक प्रकार्यवाद) और अनुभवजन्य अवलोकन के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करते हैं। उन्होंने इन सिद्धांतों को विशिष्ट घटनाओं या सामाजिक क्षेत्रों पर लागू होने वाला माना।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने यह भी तर्क दिया कि समाजशास्त्रीय सिद्धांत को अमूर्त सिद्धांत (abstract theory) और अनुभवजन्य अनुसंधान (empirical research) के बीच मध्यवर्ती स्तर पर काम करना चाहिए। उन्होंने ‘अनुकूलित विचलन’ (anomie) पर भी काम किया, लेकिन इसे दुर्खीम से अलग तरीके से समझा।
- गलत विकल्प: अनाचार (Anomie) मुख्य रूप से दुर्खीम से जुड़ा है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद मीड, ब्लूमर आदि से जुड़ा है। सामूहिक चेतना दुर्खीम की अवधारणा है।
प्रश्न 6: जब एक समाज में सांस्कृतिक लक्ष्य और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के वैध साधन के बीच असंतुलन होता है, तो रॉबर्ट मर्टन ने इसे क्या कहा?
- विभेदी संघ (Differential Association)
- सामाजिक विघटन (Social Disorganization)
- अनाचार (Anomie)
- अलगाव (Alienation)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: रॉबर्ट मर्टन ने अमेरिकी समाज के संदर्भ में ‘अनाचार’ (Anomie) की अपनी अवधारणा विकसित की। उनके अनुसार, जब समाज सांस्कृतिक रूप से निर्धारित लक्ष्यों (जैसे, धन प्राप्त करना) को प्राप्त करने के लिए संस्थागत साधनों (जैसे, कड़ी मेहनत, शिक्षा) के उपयोग को समान रूप से प्रोत्साहित नहीं करता है, तो यह एक ऐसी स्थिति पैदा करता है जहाँ व्यक्ति इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनैतिक या अवैध तरीकों का सहारा ले सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने विचलन के अपने तनाव सिद्धांत (Strain Theory) में पाँच प्रकार के अनुकूलन (conformity, innovation, ritualism, retreatism, rebellion) का भी वर्णन किया। यह दुर्खीम की अनाचार की अवधारणा से भिन्न है, जो सामाजिक मानदंडों की कमजोरी से संबंधित है।
- गलत विकल्प: विभेदी संघ एडविन सदरलैंड की अपराध सिद्धांत से संबंधित है। सामाजिक विघटन शिकागो स्कूल के सामाजिक अपराध विज्ञान से जुड़ा है। अलगाव कार्ल मार्क्स की एक प्रमुख अवधारणा है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय समाजशास्त्री ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है?
- इरावती कर्वे
- डेविड पॉ. हार्ट
- एम.एन. श्रीनिवास
- ई.वी. रामासामी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: एम.एन. श्रीनिवास को अक्सर भारत में आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण, संस्कृतिकरण और सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन से जोड़ा जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारतीय समाज में हुए परिवर्तनों, विशेष रूप से जाति, परिवार और धर्म के संदर्भ में, का गहराई से विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह भी दिखाया कि कैसे पश्चिमीकरण और आधुनिकीकरण भारत में पारंपरिक संस्थाओं के साथ जटिल तरीकों से बातचीत करते हैं, जिससे न केवल परिवर्तन बल्कि कभी-कभी परंपराओं का सुदृढ़ीकरण भी होता है।
- गलत विकल्प: इरावती कर्वे मुख्य रूप से नातेदारी और परिवार के अध्ययन के लिए जानी जाती हैं। डेविड पॉ. हार्ट भारतीय गाँवों के मानवविज्ञानी हैं। ई.वी. रामासामी एक समाज सुधारक और द्रविड़ आंदोलन के नेता थे।
प्रश्न 8: सिगमंड क्रॉम वेबर (Sigmund Freud) द्वारा प्रतिपादित ‘अहं’ (Ego), ‘इदं’ (Id) और ‘पराअहं’ (Superego) में से कौन सी इकाई नैतिकता और सामाजिक मानदंडों का प्रतिनिधित्व करती है?
- इदं (Id)
- अहं (Ego)
- पराअहं (Superego)
- ये सभी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: सिग्मंड फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत के अनुसार, ‘पराअहं’ (Superego) व्यक्तित्व का वह हिस्सा है जो बचपन में माता-पिता और समाज द्वारा आत्मसात किए गए नैतिक मूल्यों, आदर्शों और निषेधों का प्रतिनिधित्व करता है। यह “क्या होना चाहिए” के बारे में है और व्यक्ति को सामाजिक रूप से स्वीकार्य व्यवहार के लिए प्रेरित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘इदं’ (Id) सहज इच्छाओं और तत्काल संतुष्टि का भंडार है, जबकि ‘अहं’ (Ego) वास्तविकता सिद्धांत पर काम करता है, जो इदं की मांगों और पराअहं के आदर्शों के बीच मध्यस्थता करता है।
- गलत विकल्प: इदं आदिम इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करता है, और अहं वास्तविकता का प्रबंधन करता है।
प्रश्न 9: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की किस विशेषता का अर्थ है कि व्यक्ति अपनी जाति की सीमाओं के भीतर ही विवाह कर सकता है?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- बहिर्विवाह (Exogamy)
- पदानुक्रम (Hierarchy)
- पेशा (Occupation)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: अंतर्विवाह (Endogamy) जाति व्यवस्था की वह प्रमुख विशेषता है जहाँ व्यक्ति को अपनी जाति या उप-जाति के भीतर ही विवाह करने की अनुमति होती है। यह जाति की सीमाओं को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने कुल (lineage) या गोत्र (gotra) से बाहर विवाह करना चाहिए। पदानुक्रम जाति के ऊँच-नीच के क्रम को दर्शाता है, और पेशा ऐतिहासिक रूप से जाति से जुड़ा रहा है।
- गलत विकल्प: बहिर्विवाह गोत्र या कुल से बाहर विवाह को संदर्भित करता है। पदानुक्रम और पेशा जाति की अन्य विशेषताएँ हैं, लेकिन सीधे तौर पर विवाह की सीमा से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 10: जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) के अनुसार, ‘सामाजिक रूप’ (Social Forms) के अध्ययन से क्या तात्पर्य है?
- समाज के भीतर अंतर्निहित आर्थिक संरचनाएँ
- व्यक्तिगत मानस की गहराई का विश्लेषण
- व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं के आवर्ती पैटर्न और तरीके
- जनसंख्या की संरचना और गतिशीलता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: जॉर्ज सिमेल, अपने “औपचारिक समाजशास्त्र” (Formal Sociology) के लिए जाने जाते हैं, जिन्होंने व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाओं के ‘रूपों’ (forms) के विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने तर्क दिया कि अंतःक्रियाओं की सामग्री (content) चाहे कुछ भी हो, उनके ‘रूप’ (जैसे, प्रभुत्व, अधीनता, प्रतियोगिता, सहयोग) सार्वभौमिक और अध्ययन योग्य होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सिमेल का मानना था कि समाजशास्त्र का कार्य उन अमूर्त, आवर्ती पैटर्न का विश्लेषण करना है जो सामाजिक जीवन को व्यवस्थित करते हैं, चाहे वे किसी भी सामाजिक समूह या संदर्भ में हों। उन्होंने छोटे समूहों, महानगरीय जीवन और सामाजिक विभेदन पर भी लिखा।
- गलत विकल्प: (a) आर्थिक संरचनाएँ मार्क्सवादी विश्लेषण का केंद्र हैं। (b) व्यक्तिगत मानस का विश्लेषण मनोविज्ञान का क्षेत्र है। (d) जनसंख्या संरचना जनसांख्यिकी से संबंधित है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्रीय उपागम (approach) सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता पर अधिक बल देता है?
- संघर्ष उपागम (Conflict Approach)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- नारीवाद (Feminism)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism), जिसे अक्सर टेलकॉट पार्सन्स और एमिल दुर्खीम जैसे विचारकों से जोड़ा जाता है, समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न भाग (जैसे संस्थाएँ, भूमिकाएँ) सामंजस्य और स्थिरता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करते हैं। यह सामाजिक व्यवस्था और संतुलन पर ज़ोर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह उपागम मानता है कि प्रत्येक सामाजिक संरचना का एक कार्य होता है जो समाज के समग्र कामकाज में योगदान देता है। असंतुलन या विचलन को अस्थायी माना जाता है और व्यवस्था को बहाल करने वाले तंत्र के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: संघर्ष उपागम (मार्क्स, कॉलिन्स) समाज को शक्ति और प्रभुत्व के लिए संघर्ष के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। नारीवाद सामाजिक असमानताओं (विशेष रूप से लिंग आधारित) पर केंद्रित है।
प्रश्न 12: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ के संदर्भ में, ‘प्रकटीय कार्य’ (Manifest Function) का क्या अर्थ है?
- किसी सामाजिक संस्था या व्यवहार के अचेतन या अनपेक्षित परिणाम
- किसी सामाजिक संस्था या व्यवहार के सचेत, मान्यता प्राप्त और इच्छित परिणाम
- किसी सामाजिक घटना का नकारात्मक या विघटनकारी प्रभाव
- सामाजिक व्यवस्था के बनाए रखने के लिए आवश्यक न्यूनतम मानदंड
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: रॉबर्ट मर्टन ने “प्रकटीय कार्य” (Manifest Function) को किसी सामाजिक पैटर्न के वे परिणाम के रूप में परिभाषित किया जो समाज द्वारा स्वीकार किए जाते हैं और इच्छित होते हैं। ये स्पष्ट और प्रत्यक्ष परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने “अव्यक्त कार्य” (Latent Function) को भी परिभाषित किया, जो अचेतन, अनपेक्षित या अप्रत्यक्ष परिणाम होते हैं। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकटीय कार्य शिक्षित नागरिक तैयार करना है, जबकि एक अव्यक्त कार्य छात्रों के लिए जीवन साथी ढूंढने का अवसर प्रदान करना हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) अव्यक्त कार्यों (Latent Functions) की परिभाषा है। (c) यह नकारात्मक प्रभाव है। (d) यह किसी अन्य अवधारणा से संबंधित है।
प्रश्न 13: जे.एच. मीड (G.H. Mead) के अनुसार, ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) की अवधारणा किसके विकास को दर्शाती है?
- व्यक्ति का भौतिक शरीर
- समाज के व्यापक दृष्टिकोण और अपेक्षित व्यवहारों की समझ
- व्यक्ति की जैविक आवश्यकताएँ
- सामाजिक समूहों के बीच आर्थिक संबंध
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘सामान्यीकृत अन्य’ समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए गए सामान्य दृष्टिकोण, अपेक्षाओं और मूल्यों का आंतरिककरण है। यह तब विकसित होता है जब व्यक्ति खेल (game) के चरणों में भाग लेता है, जहाँ उसे कई अन्य लोगों की भूमिकाओं और अपेक्षाओं को एक साथ ध्यान में रखना पड़ता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा व्यक्ति को यह समझने में मदद करती है कि समाज के सदस्य के रूप में उससे क्या उम्मीद की जाती है, जिससे वह अपनी क्रियाओं को सामाजिक संदर्भ में समायोजित कर सके। यह आत्म-चेतना के विकास में महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) जैविक या शारीरिक पहलू हैं। (d) आर्थिक संबंधों पर केंद्रित है।
प्रश्न 14: ‘गिफ्स्चैफ्ट’ (Gemeinschaft) और ‘गेसलशाफ्ट’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ, जो पारंपरिक और आधुनिक समाजों के बीच अंतर करती हैं, किसने प्रस्तुत कीं?
- एमिल दुर्खीम
- फर्डिनेंड टोनीस
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: फर्डिनेंड टोनीस (Ferdinand Tönnies) ने अपनी पुस्तक “Gemeinschaft und Gesellschaft” (1887) में इन दो अवधारणाओं को पेश किया। ‘गिफ्स्चैफ्ट’ (सामुदायिक जीवन) व्यक्तिगत संबंधों, साझा विश्वासों और परंपराओं पर आधारित छोटे, घनिष्ठ समाजों को संदर्भित करता है, जबकि ‘गेसलशाफ्ट’ (सांस्कृतिक जीवन) बड़े, आधुनिक समाजों को संदर्भित करता है जहाँ संबंध औपचारिक, अनुबंधात्मक और व्यक्तिगत स्वार्थ पर आधारित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये अवधारणाएँ समुदाय और समाज के बीच अंतर को समझने में महत्वपूर्ण हैं, और यह दर्शाती हैं कि कैसे औद्योगीकरण और शहरीकरण ने सामाजिक संबंधों की प्रकृति को बदल दिया है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘साझा चेतना’ की बात की, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष की, और वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता की।
प्रश्न 15: भारत में ‘वर्ण व्यवस्था’ (Varna System) के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा वर्ण ‘शुद्र’ (Shudra) से ऊपर आता है?
- ब्राह्मण
- वैश्य
- क्षत्रिय
- ये सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुसार, वर्ण व्यवस्था चार मुख्य वर्गों में विभाजित है: ब्राह्मण (पुरोहित, शिक्षक), क्षत्रिय (शासक, योद्धा), वैश्य (व्यापारी, किसान) और शुद्र (श्रमिक, सेवा प्रदाता)। उपरोक्त तीनों वर्ण (ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय) शुद्र से ऊपर माने जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक पदानुक्रमित व्यवस्था थी जहाँ प्रत्येक वर्ण के अपने निर्दिष्ट कर्तव्य (धर्म) थे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह ‘जाति’ (Jati) से भिन्न है, जो अधिक जटिल और खंडित है।
- गलत विकल्प: प्रश्न पूछता है कि कौन सा वर्ण शुद्र से ऊपर है। ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय तीनों शुद्र से ऊपर हैं।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) की विशेषता नहीं है?
- स्थायित्व और निरंतरता
- कुछ निश्चित प्रतिमानित व्यवहार पैटर्न
- विशिष्ट उद्देश्य और कार्य
- अस्थायी और क्षणभंगुर प्रकृति
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: सामाजिक संस्थाओं की प्रमुख विशेषताएँ स्थायित्व, निरंतरता, निश्चित व्यवहार पैटर्न और विशिष्ट उद्देश्य होते हैं। वे समाज के कामकाज को व्यवस्थित और अनुमानित बनाती हैं। इसलिए, अस्थायी या क्षणभंगुर प्रकृति उनकी विशेषता नहीं हो सकती।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार, विवाह, धर्म, शिक्षा, सरकार आदि सामाजिक संस्थाओं के उदाहरण हैं। ये सदियों से या लंबे समय तक बने रहते हैं और समाज में व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सामाजिक संस्थाओं की परिभाषित विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 17: पीटर एल. बर्ग (Peter L. Berger) और थॉमस लकमैन (Thomas Luckmann) ने अपनी पुस्तक “द सोशल कंस्ट्रक्शन ऑफ रियलिटी” में किस प्रक्रिया पर बल दिया?
- सामाजिक व्यवस्था के लिए संघर्ष
- व्यक्ति की जैविक आवश्यकताएँ
- वास्तविकता का सामाजिक निर्माण
- प्रौद्योगिकी का समाज पर प्रभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: बर्ग और लकमैन की पुस्तक “द सोशल कंस्ट्रक्शन ऑफ रियलिटी” (1966) में तर्क दिया गया है कि जिस दुनिया को हम ‘वास्तविक’ मानते हैं, वह मुख्य रूप से एक सामाजिक उत्पाद है। यह हमारी सामूहिक अंतःक्रियाओं और भाषा के माध्यम से निर्मित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह उपागम ज्ञानमीमांसा (epistemology) और समाजशास्त्र के प्रतिच्छेदन पर है, जो बताता है कि कैसे हमारी समझ, विश्वास और सामाजिक संरचनाएँ मानवीय क्रियाओं और व्याख्याओं के माध्यम से स्थायी होती हैं।
- गलत विकल्प: (a) संघर्ष उपागम का विषय है। (b) जीव विज्ञान या मनोविज्ञान से संबंधित है। (d) यह एक अलग विषय है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्र में गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) की विधि का उदाहरण नहीं है?
- साक्षात्कार (Interview)
- प्रतिभागी अवलोकन (Participant Observation)
- सर्वेक्षण (Survey)
- नृवंशविज्ञान (Ethnography)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: सर्वेक्षण (Survey) आमतौर पर मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) का एक प्रमुख तरीका है, जिसमें बड़े नमूने से डेटा एकत्र करने के लिए संरचित प्रश्नावली का उपयोग किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य चर के बीच संबंध का वर्णन या भविष्यवाणी करना होता है, जो अक्सर सांख्यिकीय विश्लेषण पर निर्भर करता है।
- संदर्भ और विस्तार: साक्षात्कार, प्रतिभागी अवलोकन और नृवंशविज्ञान जैसी विधियाँ गुणात्मक अनुसंधान के उदाहरण हैं, जहाँ गहन समझ, संदर्भ और अर्थ प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- गलत विकल्प: साक्षात्कार, प्रतिभागी अवलोकन और नृवंशविज्ञान गुणात्मक विधियाँ हैं।
प्रश्न 19: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में श्रमिक अपने उत्पाद, अपनी श्रम प्रक्रिया, अपने साथी श्रमिकों और अपनी मानवता से ‘अलगाव’ (Alienation) महसूस करता है। इस अलगाव का मूल कारण क्या है?
- व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की कमी
- पूंजीपति वर्ग द्वारा उत्पादन के साधनों का निजी स्वामित्व
- अत्यधिक काम के घंटे
- सरकार की नीतियां
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मार्क्स के लिए, पूंजीवादी व्यवस्था में अलगाव (Entfremdung) का मूल कारण उत्पादन के साधनों (कारखानों, भूमि, मशीनरी) का निजी स्वामित्व है। इसके कारण श्रमिक अपने श्रम के फल (उत्पाद), अपनी श्रम प्रक्रिया (जो नियंत्रित होती है), अपने सहकर्मियों (जो प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं) और अंततः अपनी सार-प्रकृति (species-essence) से अलग हो जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘मनुष्य की सार-प्रकृति’ (human essence) को अपने श्रम के माध्यम से दुनिया को आकार देने और रचनात्मक रूप से व्यक्त करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया। पूंजीवाद में, यह क्षमता छीन ली जाती है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा, काम के घंटे या सरकारी नीतियां अलगाव के प्रभाव या कारण हो सकते हैं, लेकिन मूल कारण उत्पादन के साधनों का निजी स्वामित्व है।
प्रश्न 20: जब कोई व्यक्ति निम्न-जाति से उच्च-जाति की प्रथाओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति सुधारता है, तो इस प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
- पश्चिमीकरण
- आधुनिकीकरण
- संस्कृतिकरण
- नगरीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: यह प्रक्रिया एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) है, जिसमें निम्न जातियाँ उच्च जातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों को अपनाकर अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारत में जाति व्यवस्था के भीतर सामाजिक गतिशीलता का एक प्रमुख मार्ग रहा है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति को अपनाना है। आधुनिकीकरण तकनीकी और संस्थागत परिवर्तन है। नगरीकरण ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में प्रवास है।
प्रश्न 21: टेलकॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) के अनुसार, समाज में ‘एजीआईएल’ (AGIL) पैटर्न के चार मूलभूत कार्य कौन से हैं, जो सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं?
- अनुकूलन, लक्ष्य-प्राप्ति, एकीकरण, स्थिरीकरण
- अधिकार, मार्गदर्शन, प्रेरणा, सहयोग
- विश्लेषण, संगठन, विस्तार, वितरण
- अभिभावकत्व, ज्ञान, अंतःक्रिया, नियम
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: टेलकॉट पार्सन्स ने “एजीआईएल” (AGIL) पैराडाइम या पैटर्न को समाज की चार आवश्यक कार्यात्मक आवश्यकताओं के रूप में प्रस्तावित किया: 1) अनुकूलन (Adaptation – पर्यावरण से निपटना), 2) लक्ष्य-प्राप्ति (Goal Attainment – सामूहिक लक्ष्यों को परिभाषित करना और प्राप्त करना), 3) एकीकरण (Integration – समाज के विभिन्न हिस्सों को एक साथ जोड़ना), और 4) स्थिरीकरण/छुपाना (Latency/Pattern Maintenance – प्रेरणाओं को बनाए रखना और सामाजिक पैटर्न को स्थिर करना)।
- संदर्भ और विस्तार: यह संरचनात्मक प्रकार्यवाद का एक केंद्रीय मॉडल है, जो बताता है कि कैसे समाज इन चार प्रमुख समस्याओं को हल करके जीवित रहता है और कार्य करता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प पार्सन्स के एजीआईएल पैराडाइम के घटकों से मेल नहीं खाते हैं।
प्रश्न 22: समाजशास्त्र में ‘निगमनात्मक तर्क’ (Deductive Reasoning) किस ओर बढ़ता है?
- सामान्य सिद्धांत से विशिष्ट प्रेक्षण तक
- विशिष्ट प्रेक्षण से सामान्य सिद्धांत तक
- दोनों दिशाओं में एक साथ
- केवल प्रेक्षणों का संग्रह
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: निगमनात्मक तर्क (Deductive Reasoning) एक शीर्ष-नीचे (top-down) दृष्टिकोण है जो एक सामान्य सिद्धांत या परिकल्पना से शुरू होता है और फिर विशिष्ट प्रेक्षणों या डेटा के माध्यम से उस सिद्धांत का परीक्षण करता है। यदि सिद्धांत सत्य है, तो प्रेक्षण भी सत्य होने चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, यदि किसी सिद्धांत का मानना है कि “गरीबी अपराध की दर को बढ़ाती है”, तो निगमनात्मक तर्क में हम एक विशिष्ट गरीब समुदाय का अध्ययन करेंगे और देखेंगे कि क्या अपराध दर वास्तव में अधिक है। इसके विपरीत, आगमनात्मक तर्क (Inductive Reasoning) विशिष्ट प्रेक्षणों से शुरू होकर एक सामान्य सिद्धांत तक पहुँचता है।
- गलत विकल्प: (b) आगमनात्मक तर्क है। (c) यह संभव नहीं है। (d) यह तर्क प्रक्रिया का वर्णन नहीं करता।
प्रश्न 23: इरावती कर्वे (Iravati Karve) को भारतीय समाजशास्त्र में उनके किस योगदान के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है?
- भारतीय जाति व्यवस्था का मार्क्सवादी विश्लेषण
- भारतीय जनजातियों का अध्ययन
- भारत में नातेदारी, परिवार और सामाजिक संरचना का अध्ययन
- उपनिवेशवाद के समाजशास्त्रीय प्रभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: इरावती कर्वे एक प्रमुख मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री थीं, जिन्हें विशेष रूप से भारत में नातेदारी (Kinship), परिवार (Family) और सामाजिक संरचना (Social Structure) पर उनके विस्तृत और मौलिक अध्ययनों के लिए पहचाना जाता है। उनकी पुस्तक “Kinship Organisation in India” एक महत्वपूर्ण कृति है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विवाह प्रथाओं, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक संगठन के पैटर्न की तुलना की और उनके विकास को समझाया।
- गलत विकल्प: (a) मार्क्सवादी विश्लेषण मुख्य रूप से लोयड फ्रेडरमन जैसे समाजशास्त्रियों से जुड़ा है। (b) जनजातियों का अध्ययन कई नृवंशविज्ञानियों ने किया है। (d) उपनिवेशवाद का अध्ययन कई विद्वानों ने किया है, लेकिन यह कर्वे का प्राथमिक फोकस नहीं था।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा का तात्पर्य है:
- समाज के व्यक्तियों का उनकी सामाजिक भूमिकाओं के अनुसार वर्गीकरण
- समाज में विभिन्न समूहों के बीच असमान पहुँच और संसाधनों का वितरण
- समूहों के बीच होने वाली अंतःक्रिया की प्रकृति
- सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन की गति
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों की एक पदानुक्रमित व्यवस्था है, जहाँ शक्ति, धन, प्रतिष्ठा और अन्य संसाधनों के असमान वितरण के आधार पर परतें (strata) बनाई जाती हैं। यह असमानता एक स्वाभाविक या व्यक्तिगत विशेषता के बजाय एक सामाजिक संरचना का हिस्सा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के मुख्य रूप जाति, वर्ग, लिंग और आयु व्यवस्थाएं हैं। यह पूरी तरह से योग्यता या व्यक्तिगत प्रयास पर आधारित नहीं है, बल्कि सामाजिक संरचना द्वारा निर्धारित होता है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक भूमिकाएँ, लेकिन स्तरीकरण में असमानता पर ज़ोर है। (c) सामाजिक अंतःक्रिया है। (d) सामाजिक परिवर्तन की दर है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी ‘उदारवादी नारीवादी’ (Liberal Feminist) दृष्टिकोण की विशेषता है?
- पूंजीवाद को समाप्त करना
- लिंग समानता को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था के भीतर सुधार करना
- पितृसत्तात्मक शक्ति संरचनाओं को जड़ से उखाड़ फेंकना
- महिलाओं के अनुभव को सामाजिक निर्माण के रूप में देखना, जो लैंगिक रूढ़ियों से मुक्त हो
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: उदारवादी नारीवाद (Liberal Feminism) मुख्य रूप से महिलाओं के लिए समान अधिकार और अवसर प्राप्त करने पर केंद्रित है, जो मौजूदा राजनीतिक, कानूनी और सामाजिक संरचनाओं के भीतर सुधारों के माध्यम से प्राप्त किया जाना है। वे शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में समानता की वकालत करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण महिलाओं को पुरुषों के समान व्यक्ति के रूप में देखता है और मानता है कि भेदभावपूर्ण कानूनों और प्रथाओं को समाप्त करके लिंग असमानता को दूर किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: (a) समाजवादी या कट्टरपंथी नारीवाद का लक्ष्य है। (c) कट्टरपंथी नारीवाद का मुख्य लक्ष्य है। (d) उत्तर-आधुनिक नारीवाद की ओर अधिक झुकाव है।