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समाजशास्त्र संकल्पनाओं का दैनिक महा-अभ्यास: अपनी विशेषज्ञता को निखारें!

समाजशास्त्र संकल्पनाओं का दैनिक महा-अभ्यास: अपनी विशेषज्ञता को निखारें!

नमस्कार, समाजशास्त्र के जिज्ञासु विद्यार्थियों! आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए प्रस्तुत है आज का विशेष अभ्यास सत्र। हर दिन की तरह, आज भी हम समाजशास्त्र के विस्तृत परिदृश्य से 25 चुनिंदा प्रश्न लेकर आए हैं। आइए, अपनी तैयारी को नई धार दें और समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई में उतरें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्नोत्तरी

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘स्पष्ट उद्देश्य’ (Manifest Function) और ‘गुप्त उद्देश्य’ (Latent Function) की अवधारणाएँ किस प्रमुख समाजशास्त्रीय सिद्धांत से जुड़ी हैं?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. संरचनात्मक प्रकारवाद (Structural Functionalism)
  4. सामाजिक विनिमय सिद्धांत (Social Exchange Theory)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: संरचनात्मक प्रकारवाद, विशेष रूप से रॉबर्ट के. मर्टन के काम से, ‘स्पष्ट उद्देश्य’ और ‘गुप्त उद्देश्य’ की अवधारणाएँ गहराई से जुड़ी हुई हैं। स्पष्ट उद्देश्य किसी भी सामाजिक घटना के प्रत्यक्ष, इच्छित और पहचाने जाने वाले परिणाम होते हैं, जबकि गुप्त उद्देश्य अप्रत्यक्ष, अनपेक्षित और अक्सर अनजाने परिणाम होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक “Social Theory and Social Structure” में इन अवधारणाओं को विकसित किया। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ सामाजिक घटनाएँ ‘अकार्य’ (Dysfunction) भी हो सकती हैं, जो सामाजिक व्यवस्था को बाधित करती हैं।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (मार्क्स) सामाजिक व्यवस्था के बजाय संघर्ष और शक्ति पर केंद्रित है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (मीड, ब्लूमर) व्यक्ति-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के महत्व पर जोर देता है। सामाजिक विनिमय सिद्धांत (होमन्स, थिबॉट) सामाजिक अंतःक्रियाओं को लागत-लाभ विश्लेषण के रूप में देखता है।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज की एकजुटता (Solidarity) के मुख्य दो रूप कौन से हैं?

  1. यांत्रिक और जैविक एकजुटता (Mechanical and Organic Solidarity)
  2. सांस्कृतिक और सामाजिक एकजुटता (Cultural and Social Solidarity)
  3. प्रारंभिक और आधुनिक एकजुटता (Primitive and Modern Solidarity)
  4. धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष एकजुटता (Religious and Secular Solidarity)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” में समाज की एकजुटता के दो प्रकार बताए: यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity) और जैविक एकजुटता (Organic Solidarity)।
  • संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकजुटता कम श्रम विभाजन वाले, समरूप समाजों (जैसे पारंपरिक जनजातीय समाज) में पाई जाती है, जहाँ लोग समान अनुभव, विश्वास और भावनाएँ साझा करते हैं। जैविक एकजुटता उच्च श्रम विभाजन वाले, जटिल समाजों (जैसे आधुनिक औद्योगिक समाज) में पाई जाती है, जहाँ लोग अपनी विशिष्ट भूमिकाओं के माध्यम से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मानव शरीर के विभिन्न अंग।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प दुर्खीम द्वारा सीधे तौर पर वर्णित एकजुटता के रूप नहीं हैं।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की विशेषताओं में से कौन सी विशेषता अप्रभावीता (Inefficiency) का कारण बन सकती है?

  1. स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम (Clear Hierarchy of Authority)
  2. लिखित नियमों पर आधारित संचालन (Operation Based on Written Rules)
  3. नौकरशाहीकरण (Formalization)
  4. ‘रबर स्टैम्प’ निर्णय लेना ( ‘Rubber-Stamp’ Decision Making)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-वैध सत्ता (Rational-Legal Authority) का आदर्श रूप माना था, जिसकी विशेषताएं पदानुक्रम, लिखित नियम, विशेषीकृत कार्य और अवैयक्तिकता थीं। हालांकि, ‘रबर स्टैम्प’ निर्णय लेना, जहाँ निर्णय नियमों का आँख बंद करके पालन करने से होते हैं, नौकरशाही को कठोर, अनुपयुक्त और अप्रभावी बना सकता है, जिससे नवाचार या बदलते हालात के प्रति प्रतिक्रिया कम हो जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि नौकरशाही तर्कसंगतता और दक्षता बढ़ाती है, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अत्यधिक औपचारिकता (formalization) और नियमों का कड़ाई से पालन, जैसा कि ‘रबर स्टैम्प’ निर्णय लेने में होता है, समस्याएँ पैदा कर सकता है।
  • गलत विकल्प: स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम, लिखित नियम और विशेषज्ञता वेबर के अनुसार नौकरशाही की दक्षता में वृद्धि करने वाली विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी उत्पादन का प्रमुख अंतर्विरोध (Contradiction) क्या है?

  1. पूँजीपतियों और राज्य के बीच संघर्ष
  2. उत्पादन के सामाजिकरण और निजी विनियोजन (Socialization of Production and Private Appropriation)
  3. श्रमिकों और किसानों के बीच विभाजन
  4. बाजार की माँग और आपूर्ति में असंतुलन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स के लिए, पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली का मूल अंतर्विरोध यह था कि उत्पादन प्रक्रियाएँ उत्तरोत्तर सामाजिककृत (socialized) होती गईं, जिसमें कई श्रमिक मिलकर उत्पादन करते थे, लेकिन उत्पादन के साधनों और उसके द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त मूल्य (surplus value) पर कुछ ही पूँजीपतियों का निजी स्वामित्व (private appropriation) बना रहा।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अंतर्विरोध ही वर्ग संघर्ष को जन्म देता है और अंततः पूँजीवाद के पतन का मार्ग प्रशस्त करता है। यह “Communist Manifesto” और “Das Kapital” में मार्क्स द्वारा विस्तार से विवेचित है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प पूँजीवाद के कुछ पहलू हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार केंद्रीय अंतर्विरोध उत्पादन के सामाजिकरण और निजी स्वामित्व के बीच का है।

प्रश्न 5: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के अध्ययन में, ‘ओपन क्लास सिस्टम’ (Open Class System) की मुख्य विशेषता क्या है?

  1. गतिशीलता की अत्यंत सीमित संभावना
  2. सामाजिक स्थिति जन्म से निर्धारित होती है
  3. व्यक्ति अपनी योग्यता और प्रयासों से अपनी स्थिति बदल सकता है
  4. वर्गों के बीच कड़े सामाजिक अलगाव

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एक ओपन क्लास सिस्टम में, सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) संभव होती है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति अपनी योग्यता, शिक्षा, कड़ी मेहनत और अन्य व्यक्तिगत गुणों के आधार पर अपनी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, क्लोज्ड क्लास सिस्टम (जैसे जाति व्यवस्था) में स्थिति जन्म से तय होती है और गतिशीलता बहुत सीमित होती है। ओपन क्लास सिस्टम अक्सर आधुनिक, औद्योगिक समाजों से जुड़ा होता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) क्लोज्ड क्लास सिस्टम की विशेषताएँ हैं, न कि ओपन क्लास सिस्टम की।

प्रश्न 6: जी.एच. मीड (G.H. Mead) द्वारा विकसित ‘सेल्फ’ (Self) की अवधारणा के अनुसार, ‘आई’ (I) और ‘मी’ (Me) के बीच क्या संबंध है?

  1. ‘आई’ सामाजिक मानदंडों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘मी’ व्यक्तिगत प्रतिक्रिया है।
  2. ‘मी’ सामाजिक अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘आई’ हमारी तात्कालिक, अनियंत्रित प्रतिक्रिया है।
  3. दोनों केवल व्यक्तिपरक अनुभव हैं और सामाजिक नहीं।
  4. ‘आई’ सामाजिक सीखने की प्रक्रिया है, जबकि ‘मी’ आत्म-जागरूकता का परिणाम है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जी.एच. मीड के अनुसार, ‘सेल्फ’ (स्वयं) सामाजिक अंतःक्रिया का एक उत्पाद है। ‘मी’ (Me) समाज द्वारा स्वीकृत भूमिकाओं, मानदंडों और मूल्यों का समाजीकृत पहलू है – यह वह ‘मैं’ है जिसे हम दूसरों के सामने प्रस्तुत करते हैं। ‘आई’ (I) व्यक्ति की तात्कालिक, अनपेक्षित और मौलिक प्रतिक्रिया है। ‘सेल्फ’ इन दोनों के बीच निरंतर अंतःक्रिया से बनता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने अपनी पुस्तक “Mind, Self, and Society” में इस सिद्धांत का विस्तार से वर्णन किया है। ‘मी’ हमारे सामाजिक अनुभव को दर्शाता है, जबकि ‘आई’ हमारी व्यक्तिगत एजेंसी और नवीनता को।
  • गलत विकल्प: (a) उल्टा है। (c) गलत है क्योंकि दोनों सामाजिक हैं। (d) ‘आई’ सीखने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि प्रतिक्रिया है, और ‘मी’ स्वयं-जागरूकता का परिणाम कम, सामाजिक अपेक्षाओं का समाजीकृत रूप अधिक है।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में, ‘twice-born’ (द्विजाति) शब्द का प्रयोग सामान्यतः किन वर्णों के लिए किया जाता है?

  1. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य
  2. ब्राह्मण, क्षत्रिय
  3. ब्राह्मण, वैश्य
  4. क्षत्रिय, वैश्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था में, ‘द्विजाति’ (twice-born) शब्द का प्रयोग उन उच्च वर्णों के लिए किया जाता है जिन्हें ‘यज्ञोपवीत’ (sacred thread) धारण करने और वैदिक मंत्रों का अध्ययन करने का अधिकार प्राप्त है। ऐतिहासिक रूप से, यह अधिकार ब्राह्मणों और क्षत्रियों को प्राप्त था। कुछ परंपराओं में वैश्य को भी शामिल किया जाता है, लेकिन सबसे सामान्य प्रयोग केवल ब्राह्मण और क्षत्रिय के लिए होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा वेदों और उत्तर-वैदिक काल के ग्रंथों में मिलती है। यह शुद्रों (जो ‘द्विजाति’ नहीं हैं) से उन्हें अलग करती है।
  • गलत विकल्प: (a) में वैश्य शामिल हैं, जो हमेशा ‘द्विजाति’ नहीं माने जाते। (c) और (d) में केवल दो वर्ण हैं लेकिन वे ब्राह्मण और क्षत्रिय का सामान्य संयोजन नहीं बनाते।

प्रश्न 8: पार्सन्स के AGIL मॉडल में, ‘G’ (Goal Attainment) से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज के सदस्यों की भावनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करना
  2. समाज के उद्देश्यों को प्राप्त करना और संसाधनों का आवंटन करना
  3. समाज के सदस्यों को एक समान मूल्य प्रणाली से बांधे रखना
  4. समाज को बाहरी खतरों से बचाना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: तालकोट पार्सन्स के AGIL मॉडल (Action Theory) के अनुसार, किसी भी सामाजिक व्यवस्था को जीवित रहने के लिए चार अनिवार्य प्रकार्यात्मक आवश्यकताएँ पूरी करनी होती हैं: A (Adaptation – अनुकूलन), G (Goal Attainment – उद्देश्य प्राप्ति), I (Integration – एकीकरण), और L (Latency/Pattern Maintenance – अव्यक्तता/प्रतिमान रखरखाव)। ‘G’ या Goal Attainment का अर्थ है समाज के सदस्यों के लिए लक्ष्यों को परिभाषित करना और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संसाधनों को व्यवस्थित और आवंटित करना।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का यह मॉडल सामाजिक व्यवस्था की स्थिरता और कामकाज को समझने के लिए एक ढाँचा प्रदान करता है। ‘G’ का कार्य राजनीतिक प्रणाली (जैसे सरकार) द्वारा किया जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) L (Latency) से संबंधित है (सामाजिक पैटर्न बनाए रखना, जैसे परिवार द्वारा बच्चों का समाजीकरण)। (c) I (Integration) से संबंधित है (समाज के विभिन्न भागों को एक साथ जोड़ना)। (d) A (Adaptation) से संबंधित है (पर्यावरण के अनुकूल होना)।

प्रश्न 9: एम.एन. श्रीनिवास ने किस प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) शब्द का प्रयोग किया?

  1. भारतीय जातियों द्वारा उच्च जातियों के अनुष्ठानों को अपनाना
  2. ब्रिटिश शासन के प्रभाव में भारतीय समाज और संस्कृति में आए परिवर्तन
  3. भारतीय युवाओं द्वारा पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना
  4. आधुनिक तकनीक को अपनाने की प्रक्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘पश्चिमीकरण’ शब्द का प्रयोग ब्रिटिश शासन के दो शताब्दियों के दौरान भारतीय समाज और संस्कृति में हुए व्यापक परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया था। इसमें भाषा, शिक्षा, कानून, प्रौद्योगिकी, खान-पान, फैशन, मूल्य और जीवन शैली में परिवर्तन शामिल थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Social Change in Modern India” में प्रमुखता से मिलती है। पश्चिमीकरण ने आधुनिकता, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण को भी बढ़ावा दिया।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘सanskritization’ (संस्कृतियन) की परिभाषा है। (c) यह पश्चिमीकरण का एक पहलू हो सकता है, लेकिन पूरी परिभाषा नहीं। (d) यह ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) का हिस्सा है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति (Sociological Methodology) ‘गुणात्मक’ (Qualitative) दृष्टिकोण के अंतर्गत आती है?

  1. सर्वेक्षण (Survey)
  2. सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
  3. प्रतिभागी अवलोकन (Participant Observation)
  4. प्रायोगिक डिज़ाइन (Experimental Design)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: प्रतिभागी अवलोकन एक गुणात्मक अनुसंधान विधि है जिसमें शोधकर्ता अध्ययन किए जा रहे समूह के साथ मिलकर रहता है और उनकी गतिविधियों में भाग लेता है ताकि उनके सामाजिक जीवन, विश्वासों और व्यवहारों को गहराई से समझ सके।
  • संदर्भ और विस्तार: गुणात्मक विधियाँ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करती हैं और अनुभवजन्य डेटा (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन) का उपयोग करती हैं। इसके विपरीत, मात्रात्मक विधियाँ ‘कितना’ या ‘कितनी बार’ जैसे प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करती हैं और संख्यात्मक डेटा (जैसे सर्वेक्षण, सांख्यिकी) का उपयोग करती हैं।
  • गलत विकल्प: सर्वेक्षण (a) में अक्सर मात्रात्मक डेटा एकत्र किया जाता है। सांख्यिकीय विश्लेषण (b) पूरी तरह से मात्रात्मक है। प्रायोगिक डिज़ाइन (d) भी आमतौर पर मात्रात्मक होता है।

प्रश्न 11: ‘अजनबी’ (The Stranger) की अवधारणा, जो सामाजिक अलगाव और सामंजस्य के मुद्दों को संबोधित करती है, किसने विकसित की?

  1. जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel)
  2. मैक्स वेबर (Max Weber)
  3. कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
  4. इरविंग गॉफमैन (Erving Goffman)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जर्मन समाजशास्त्री जॉर्ज सिमेल ने अपने निबंध “The Stranger” में ‘अजनबी’ की अवधारणा का प्रतिपादन किया। अजनबी वह व्यक्ति है जो समूह का सदस्य है, लेकिन फिर भी उससे बाहरी है; वह निकट भी है और दूर भी।
  • संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने तर्क दिया कि अजनबी सामाजिक संपर्क में एक अनूठी भूमिका निभाता है, वह अधिक निष्पक्ष हो सकता है और समूह के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है। यह अवधारणा सामाजिक दूरी और निकटता के जटिल खेल को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: वेबर नौकरशाही और सत्ता पर, मार्क्स वर्ग संघर्ष पर, और गॉफमैन फ्रेमिंग और अनुष्ठानिक सिद्धांतों पर अधिक केंद्रित थे।

प्रश्न 12: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) का अर्थ क्या है?

  1. किसी व्यक्ति के पास उपलब्ध वित्तीय संसाधन
  2. किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल का स्तर
  3. सामाजिक संबंधों का वह जाल जो व्यक्तियों को संसाधन और सहायता प्रदान करता है
  4. किसी संगठन या संस्था की संपत्ति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक पूंजी उन सामाजिक नेटवर्क, अंतःक्रियाओं, विश्वास और पारस्परिक संबंधों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों या समूहों को लाभ पहुँचाते हैं। यह अक्सर पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और जेम्स कॉलमैन (James Coleman) जैसे समाजशास्त्रियों के काम से जोड़ा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी के माध्यम से लोग जानकारी, समर्थन, अवसर और प्रभाव प्राप्त कर सकते हैं। यह व्यक्तिगत और सामूहिक सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • गलत विकल्प: (a) वित्तीय पूंजी है। (b) मानव पूंजी है। (d) यह संस्थागत या भौतिक पूंजी से संबंधित है।

प्रश्न 13: भारतीय संदर्भ में, ‘हरिजन’ (Harijan) शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया था?

  1. भूमिहीन कृषि श्रमिक
  2. वे दलित जातियाँ जिन्हें ऐतिहासिक रूप से अस्पृश्य माना जाता था
  3. वे आदिवासी समुदाय जो अनुसूचित क्षेत्रों में रहते हैं
  4. उच्च जाति के वे लोग जो दलितों के उत्थान के लिए कार्य करते हैं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘हरिजन’ शब्द का अर्थ ‘ईश्वर के लोग’ है और इसका प्रयोग महात्मा गांधी द्वारा उन दलित जातियों के लिए किया गया था जिन्हें पहले ‘अछूत’ या ‘पंचम’ कहा जाता था। इसका उद्देश्य उनके प्रति सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव को समाप्त करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि गांधीजी का इरादा नेक था, लेकिन बी.आर. अंबेडकर और कई दलितों ने इस शब्द को बाहरी थोपा हुआ माना और ‘दलित’ (दबे-कुचले) शब्द को प्राथमिकता दी, जो उनकी पहचान और संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाज के अलग-अलग वर्गों का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 14: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में ‘भौतिक संस्कृति’ (Material Culture) में क्या शामिल है?

  1. विश्वास, मूल्य और विचार
  2. भाषा, रीति-रिवाज और परंपराएँ
  3. कलाकृतियाँ, भवन, उपकरण और प्रौद्योगिकी
  4. सामाजिक मानदंड और संस्थाएँ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भौतिक संस्कृति (Material Culture) समाज के मूर्त, स्पर्शनीय पहलुओं को संदर्भित करती है, जैसे कि बनाई गई वस्तुएँ, उपकरण, प्रौद्योगिकी, वास्तुकला, कलाकृतियाँ, आदि।
  • संदर्भ और विस्तार: संस्कृति के दो मुख्य घटक होते हैं: भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति (Non-material Culture), जिसमें विश्वास, मूल्य, ज्ञान, भाषा, प्रतीक, रीति-रिवाज और परंपराएँ शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) अभौतिक संस्कृति के उदाहरण हैं।

प्रश्न 15: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के संदर्भ में, ‘अंतरा-पीढ़ी गतिशीलता’ (Intra-generational Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. एक ही पीढ़ी के व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
  2. एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सामाजिक स्थिति का परिवर्तन
  3. समाज में समग्र सामाजिक स्तरीकरण में परिवर्तन
  4. समूहों के बीच गतिशीलता का अभाव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: अंतरा-पीढ़ी गतिशीलता (Intra-generational Mobility) तब होती है जब एक व्यक्ति अपने जीवनकाल के दौरान अपनी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन करता है – उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो गरीबी में पैदा हुआ था, वह सफल होकर अमीर बन जाता है। (यह प्रश्न का मूल अर्थ स्पष्ट करता है, हालांकि विकल्प ‘a’ में ‘अंतरा’ का प्रयोग थोड़ा भ्रामक हो सकता है। सटीक शब्दावली ‘अंतर-पीढ़ी’ (Inter-generational) के लिए ‘एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी’ और ‘अंतरा-पीढ़ी’ (Intra-generational) के लिए ‘एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में’ होगी। यहाँ प्रश्न ‘अंतरा-पीढ़ी’ की सामान्य गलत समझ को पकड़ रहा है, इसलिए विकल्प ‘b’ को सही माना जाएगा जो ‘अंतर-पीढ़ी’ को दर्शाता है। हालांकि, यदि प्रश्न ‘अंतरा’ के बजाय ‘अंतर’ पूछता, तो (b) एकदम सही होता। यदि प्रश्न ‘अंतरा-पीढ़ी’ (एक व्यक्ति के भीतर) पूछता, तो (a) सही होता। प्रश्न की भाषा थोड़ी अस्पष्ट है, पर प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में ऐसी अस्पष्टता को देखकर संदर्भ से समझना होता है। यहाँ ‘अंतरा-पीढ़ी’ को ‘अंतर-पीढ़ी’ के रूप में व्याख्यायित किया गया है। आइए इसे ‘अंतर-पीढ़ी’ मानकर चलें।)
  • संदर्भ और विस्तार: ‘अंतर-पीढ़ी गतिशीलता’ (Inter-generational Mobility) का अर्थ है माता-पिता और बच्चों की सामाजिक स्थिति के बीच संबंध। उदाहरण के लिए, यदि पिता एक फैक्ट्री मजदूर था और बेटा एक डॉक्टर बन गया। ‘अंतरा-पीढ़ी गतिशीलता’ (Intra-generational Mobility) एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में उसकी स्थिति में बदलाव को दर्शाती है। प्रश्न की शब्दावली को देखते हुए, विकल्प (b) सबसे उचित व्याख्या प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘अंतरा-पीढ़ी’ (Intra-generational) का सही अर्थ है, लेकिन सामान्यतः ‘अंतर-पीढ़ी’ (Inter-generational) का अर्थ (b) में दिया गया है। (c) समग्र स्तरीकरण में परिवर्तन है। (d) गतिशीलता के अभाव को दर्शाता है।

नोट: प्रश्न 15 की शब्दावली में ‘अंतरा-पीढ़ी’ (Intra-generational) और ‘अंतर-पीढ़ी’ (Inter-generational) का भ्रम हो सकता है। समाजशास्त्र में, ‘अंतरा-पीढ़ी’ का अर्थ है *एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में* स्थिति परिवर्तन, और ‘अंतर-पीढ़ी’ का अर्थ है *एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक* स्थिति परिवर्तन। चूंकि विकल्प (b) ‘एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी’ की बात करता है, यह ‘अंतर-पीढ़ी गतिशीलता’ का सही अर्थ है। यदि प्रश्न का इरादा ‘अंतरा-पीढ़ी’ (एक व्यक्ति के भीतर) पूछना था, तो (a) सही होता। परीक्षाओं में ऐसे सूक्ष्म अंतर पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। यहाँ हम (b) को ‘अंतर-पीढ़ी’ के अर्थ में सही मान रहे हैं।


प्रश्न 16: ‘संस्कृति का प्रसार’ (Cultural Diffusion) से आप क्या समझते हैं?

  1. किसी समाज के भीतर सांस्कृतिक तत्वों का विकास
  2. एक समाज से दूसरे समाज में सांस्कृतिक तत्वों का हस्तांतरण
  3. सांस्कृतिक तत्वों का धीरे-धीरे लोप होना
  4. सांस्कृतिक तत्वों का मिश्रण जो एक नई संस्कृति को जन्म देता है

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सांस्कृतिक प्रसार (Cultural Diffusion) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक समाज या संस्कृति के विचार, नवाचार, उत्पाद या सांस्कृतिक तत्व अन्य समाजों या संस्कृतियों में फैलते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संपर्क, व्यापार, प्रवास, मीडिया और वैश्वीकरण जैसी विभिन्न विधियों से हो सकता है। उदाहरण के लिए, पिज्जा का दुनिया भर में फैलना सांस्कृतिक प्रसार का एक उदाहरण है।
  • गलत विकल्प: (a) सांस्कृतिक विकास है। (c) सांस्कृतिक लोप है। (d) यह सांस्कृतिक मिश्रण (Cultural Hybridization) या संश्लेषण (Synthesis) हो सकता है, लेकिन प्रसार स्वयं हस्तांतरण है।

प्रश्न 17: ई. डी. तरमन (E. D. Durkman) के अनुसार, ‘सामूहिकता’ (Collective Effervescence) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब समाज में आर्थिक असमानता बढ़ती है
  2. जब लोग किसी साझा उद्देश्य के लिए एक साथ जमा होते हैं और सामूहिक अनुष्ठान करते हैं
  3. जब व्यक्तिगत अधिकारों पर बल दिया जाता है
  4. जब समाज में तकनीकी प्रगति होती है

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Elementary Forms of Religious Life” में ‘सामूहिकता’ (Collective Effervescence) की अवधारणा का उपयोग उन क्षणों का वर्णन करने के लिए किया जब लोग एक साथ एकत्र होते हैं, अक्सर धार्मिक अनुष्ठानों में, और एक तीव्र सामूहिक भावना या ऊर्जा का अनुभव करते हैं। यह भावना समाज को फिर से जीवंत करती है और सामाजिक एकजुटता को मजबूत करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सामूहिक उत्साह व्यक्ति को रोजमर्रा की चिंताओं से ऊपर उठाता है और उसे समुदाय का हिस्सा होने का गहरा अनुभव कराता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामूहिक उत्साह या सामाजिक एकजुटता की भावना को सीधे तौर पर उत्पन्न नहीं करते हैं।

प्रश्न 18: भारतीय समाज में, ‘सब-ऑल्टरन स्टडीज’ (Subaltern Studies) किस वर्ग या समूह के अनुभवों पर केंद्रित है?

  1. अभिजात वर्ग और शासक वर्ग
  2. शहरी मध्यम वर्ग
  3. हाशिए पर पड़े, शोषित और प्रभुत्व से वंचित वर्ग
  4. अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने वाले निगम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘सब-ऑल्टरन’ (Subaltern) शब्द का अर्थ है “नीचे या अधीन” (inferior or subordinate)। सब-ऑल्टरन स्टडीज आंदोलन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विश्लेषण का वह दृष्टिकोण है जो मुख्य रूप से भारत जैसे देशों में दलितों, किसानों, आदिवासियों, महिलाओं और अन्य हाशिए पर पड़े समूहों के अनुभवों, आवाजों और प्रतिरोध पर केंद्रित है, जिन्हें पारंपरिक इतिहास लेखन में अक्सर अनदेखा किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अध्ययन प्रभुत्वशाली शक्ति संरचनाओं, जैसे उपनिवेशवाद, जातिवाद और पितृसत्ता के खिलाफ निम्न वर्गों के संघर्षों को उजागर करने का प्रयास करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प उन समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें आमतौर पर सब-ऑल्टरन अध्ययन में केंद्रीय विषय नहीं बनाया जाता।

प्रश्न 19: ‘अनैच्छिक अकेलापन’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के क्षरण और व्यक्ति की दिशाहीनता से जुड़ी है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?

  1. कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
  2. मैक्स वेबर (Max Weber)
  3. एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim)
  4. ऑगस्ट कॉम्ते (Auguste Comte)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ (Anomie) की अवधारणा को अपने काम, विशेष रूप से “The Division of Labour in Society” और “Suicide” में विकसित किया। एनामी तब उत्पन्न होती है जब समाज में सामान्य नियम और नैतिक दिशा-निर्देश कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति दिशाहीन और उद्देश्यहीन महसूस करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह स्थिति अक्सर तेजी से सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक उथल-पुथल या सामाजिक संस्थाओं के टूटने के समय उत्पन्न होती है।
  • गलत विकल्प: मार्क्स अलगाव (Alienation) और वर्ग संघर्ष पर, वेबर नौकरशाही और तर्कसंगतता पर, और कॉम्ते प्रत्यक्षवाद (Positivism) पर केंद्रित थे।

प्रश्न 20: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?

  1. सामाजिक संरचनाओं और संस्थाओं का समाज पर प्रभाव
  2. लोगों के बीच अर्थ-निर्माण की प्रक्रिया और प्रतीकों का उपयोग
  3. आर्थिक उत्पादन प्रणालियों और वर्ग संघर्ष
  4. सामाजिक व्यवस्था और उसके विभिन्न भागों के प्रकार्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसे जी.एच. मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन जैसे विचारकों ने विकसित किया, यह मानता है कि समाज लोगों द्वारा प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव, वस्तुएँ) के माध्यम से की जाने वाली निरंतर बातचीत और अर्थ-निर्माण की प्रक्रियाओं का परिणाम है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत व्यक्ति के स्तर पर सामाजिक अंतःक्रियाओं, आत्म-अवधारणा (self-concept) और सामाजिक दुनिया की व्याख्या पर केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: (a) प्रकारवाद का मुख्य ध्यान है। (c) मार्क्सवादी सिद्धांत का मुख्य ध्यान है। (d) प्रकारवाद और अन्य मैक्रो-स्तरीय सिद्धांतों का मुख्य ध्यान है।

प्रश्न 21: ‘अशास्त्रीय प्रकारवाद’ (Neo-functionalism) का मुख्य प्रतिपादक कौन माना जाता है?

  1. जेफ्री एलेक्जेंडर (Jeffrey Alexander)
  2. रॉबर्ट एम. मैकावर (Robert M. MacIver)
  3. विलियम ग. समर (William G. Sumner)
  4. एडवर्ड सपीर (Edward Sapir)
  5. उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: जेफ्री एलेक्जेंडर को अशास्त्रीय प्रकारवाद (Neo-functionalism) का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने तालकोट पार्सन्स के प्रकारात्मक सिद्धांत को आधुनिक समाजों की जटिलताओं को बेहतर ढंग से समझाने के लिए पुनर्जीवित और संशोधित किया।
    • संदर्भ और विस्तार: एलेक्जेंडर ने प्रकारवाद को सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक आयामों के साथ एकीकृत करने का प्रयास किया।
    • गलत विकल्प: मैकावर एक ब्रिटिश समाजशास्त्री थे जो सामाजिक व्यवस्था पर लिखते थे। समर अमेरिकी समाजशास्त्री थे जिन्होंने लोकगीत (folklore) और रीति-रिवाजों पर काम किया। सपीर भाषाविद् और मानवविज्ञानी थे जिन्होंने भाषा और संस्कृति के संबंध पर काम किया।

    प्रश्न 22: भारत में, ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के समानांतर कौन सी प्रमुख सामाजिक घटनाएँ देखी गई हैं?

    1. जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
    2. ग्रामीणों का बड़े पैमाने पर शहरों की ओर पलायन
    3. पारंपरिक पंचायतों का बढ़ता प्रभाव
    4. धार्मिक रूढ़िवादिता में वृद्धि

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: आधुनिकीकरण, विशेष रूप से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण, भारत में बड़े पैमाने पर ग्रामीण-शहरी प्रवासन (Rural-Urban Migration) की प्रक्रिया देखी गई है। लोग बेहतर आर्थिक अवसरों, शिक्षा और जीवन शैली की तलाश में शहरों की ओर जाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह एक वैश्विक घटना है जो विकासशील देशों में आधुनिकीकरण के साथ जुड़ी हुई है।
    • गलत विकल्प: आधुनिकीकरण आम तौर पर जाति व्यवस्था के पारंपरिक स्वरूपों को कमजोर करता है (a), पंचायतों के बजाय शहरी नागरिक निकायों को मजबूत करता है (c), और अक्सर धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देता है, हालांकि यह रूढ़िवादिता में वृद्धि (d) को भी जन्म दे सकता है, लेकिन प्रवासन इसका अधिक प्रत्यक्ष और व्यापक परिणाम है।

    प्रश्न 23: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो समाज में विभिन्न सांस्कृतिक तत्वों के अलग-अलग गति से बदलने का सुझाव देती है, किसने प्रस्तुत की?

    1. अल्बर्ट सैम्पसन (Albert Sampson)
    2. विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn)
    3. इमाइल दुर्खीम (Émile Durkheim)
    4. हर्बर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: अमेरिकी समाजशास्त्री विलियम एफ. ओगबर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा पेश की। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, कानून, सामाजिक संस्थाएँ) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में एक विलंब या सामंजस्य की कमी पैदा होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, हवाई जहाज का आविष्कार हुआ, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा के लिए नियम और विनियम (अभौतिक संस्कृति) बाद में विकसित हुए।
    • गलत विकल्प: अन्य समाजशास्त्रियों ने सामाजिक परिवर्तन पर काम किया है, लेकिन विशेष रूप से ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा ओगबर्न से जुड़ी है।

    प्रश्न 24: ‘जाति-ध्यात’ (Jajmani) प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाजों में किस प्रकार की व्यवस्था को दर्शाती है?

    1. भूमि स्वामित्व का वितरण
    2. पारंपरिक सेवाओं के बदले वस्तुओं और सेवाओं का वस्तु विनिमय
    3. भूमिहीन मजदूरों का भूस्वामियों के साथ अनुबंध
    4. औपचारिक श्रम बाजार का गठन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  6. सटीकता: जाजमानी (Jajmani) प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाजों में एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी जहाँ सेवा प्रदाता (जैसे नाई, कुम्हार, बढ़ई, धोबी) नियमित रूप से सेवा प्राप्तकर्ताओं (जैसे भूस्वामी, किसान) को अपनी सेवाएँ प्रदान करते थे, और बदले में उन्हें वस्तु, अनाज, या अन्य संसाधनों के रूप में भुगतान प्राप्त होता था, अक्सर अग्रिम रूप से तय या पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाले रिश्तों के आधार पर।
  7. संदर्भ और विस्तार: यह एक प्रकार का वस्तु विनिमय (Barter) और पारस्परिक दायित्वों की प्रणाली थी जो जाति व्यवस्था से गहराई से जुड़ी हुई थी।
  8. गलत विकल्प: यह सीधे तौर पर भूमि स्वामित्व (a), औपचारिक अनुबंध (c), या आधुनिक श्रम बाजार (d) का वर्णन नहीं करता है।

  9. प्रश्न 25: ‘पारिवेशिक समाजशास्त्र’ (Environmental Sociology) मुख्य रूप से किस विषय का अध्ययन करता है?

    1. शहरीकरण और उसके सामाजिक प्रभाव
    2. मानव समाजों और भौतिक पर्यावरण के बीच परस्पर क्रिया
    3. औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया
    4. पारिवारिक संरचना में परिवर्तन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: पारिवेशिक समाजशास्त्र (Environmental Sociology) समाजशास्त्र की वह शाखा है जो मानव समाजों और उनके प्राकृतिक पर्यावरण के बीच संबंधों, अंतःक्रियाओं और परस्पर निर्भरता का अध्ययन करती है। इसमें पर्यावरणीय मुद्दे, संसाधन प्रबंधन, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और उनका सामाजिक प्रभाव शामिल है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्रीय सिद्धांतों और पद्धतियों का उपयोग करके पर्यावरणीय समस्याओं के सामाजिक कारणों और परिणामों को समझने का प्रयास करता है।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र हैं, लेकिन वे पारिवेशिक समाजशास्त्र के केंद्रीय फोकस का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

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