समाजशास्त्र में महारत हासिल करें: आज का अभ्यास
नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में, हम समाजशास्त्र के विभिन्न आयामों से 25 चुनिंदा प्रश्न लेकर आए हैं। यह आपके दैनिक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा साबित होगा। चलिए, शुरू करते हैं यह बौद्धिक चुनौती!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक चेतना के रूप में परिभाषित किया गया है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने इसे सामाजिक जीवन के अध्ययन की मूलभूत इकाई माना, जो व्यक्ति से स्वतंत्र, बाहरी और व्यक्ति पर बाध्यकारी प्रभाव डालती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य ‘विचार करने, अनुभव करने और कार्य करने के वे तरीके हैं जो व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालते हैं’। उदाहरण के लिए, कानून, रीति-रिवाज, फैशन, और सामूहिक भावनाएँ। यह प्रत्यक्षवाद (Positivism) का एक मुख्य आधार है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Conflict) पर जोर दिया। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen – बोध) की अवधारणा दी। हरबर्ट स्पेंसर विकासवादी सिद्धांत से जुड़े हैं।
प्रश्न 2: संस्कृति के ‘भौतिक’ (Material) और ‘अभौतिक’ (Non-material) घटकों के बीच अंतर करने वाला समाजशास्त्री कौन है?
- ए. एल. क्रोबर
- विलियम ग्राहम समनर
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- ई. बी. टायलर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ए. एल. क्रोबर (A. L. Krober) ने संस्कृति के दो मुख्य घटकों – भौतिक संस्कृति (जैसे भवन, उपकरण, कलाकृतियाँ) और अभौतिक संस्कृति (जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा, रीति-रिवाज) – के बीच अंतर किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: क्रोबर ने संस्कृति को एक ‘अति-कार्बनिक’ (superorganic) घटना के रूप में देखा, जो मनुष्य के जैविक और मनोवैज्ञानिक आधार से स्वतंत्र रूप से विकसित होती है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘संस्कृति: एक व्यवस्थित सिद्धांत का विकास’ (Culture: A Critical Review of Concepts and Definitions) में इन विचारों को विस्तृत किया।
- गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने ‘लोकप्रियता’ (Folkways) और ‘रूढ़ियाँ’ (Mores) के बीच अंतर किया। ई. बी. टायलर ने संस्कृति को ‘एक जटिल समग्रता’ के रूप में परिभाषित किया। रॉबर्ट रेडफील्ड ने ‘महान परंपरा’ (Great Tradition) और ‘लघु परंपरा’ (Little Tradition) की अवधारणा दी।
प्रश्न 3: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्री ‘विभेदी संपर्क सिद्धांत’ (Differential Association Theory) के लिए जाना जाता है, जो बताता है कि आपराधिक व्यवहार सीखा जाता है?
- रॉबर्ट ई. पार्क
- एडविन सदरलैंड
- क्लिफोर्ड शॉ
- ट्रेवर जूलियन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एडविन सदरलैंड (Edwin Sutherland) ने ‘विभेदी संपर्क सिद्धांत’ को विकसित किया। इस सिद्धांत के अनुसार, आपराधिक व्यवहार व्यक्तियों द्वारा दूसरों के साथ संपर्क में सीखा जाता है, विशेष रूप से घनिष्ठ व्यक्तिगत समूहों में।
- संदर्भ एवं विस्तार: सदरलैंड ने अपनी पुस्तक ‘द प्रोफेशनल क्रिमिनल’ (The Professional Criminal) में इस सिद्धांत का विस्तृत वर्णन किया। यह सिद्धांत बताता है कि व्यक्ति तब अपराधी बनता है जब वह अपराध करने के पक्ष में अधिक परिभाषाओं को सीखता है, बजाय इसके कि वह उनके विरुद्ध सीखता है।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट ई. पार्क और क्लिफोर्ड शॉ शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरीकरण व अपराध पर काम किया, लेकिन यह सिद्धांत सदरलैंड का है। ट्रेवर जूलियन इस संदर्भ में प्रमुख व्यक्ति नहीं हैं।
प्रश्न 4: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति से क्या तात्पर्य है?
- सामाजिक नियमों का अभाव या कमजोर होना
- सामाजिक बहिष्कार की स्थिति
- व्यक्तिगत अलगाव की भावना
- वर्ग संघर्ष की चरम अवस्था
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ शब्द का प्रयोग उस स्थिति के वर्णन के लिए किया जहाँ समाज में सामान्य नियमों और मूल्यों की कमी हो जाती है, या वे कमजोर पड़ जाते हैं। यह व्यक्तिगत मार्गदर्शन और सामाजिक नियंत्रण की कमी की ओर ले जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध कृतियों ‘आत्महत्या’ (Suicide) और ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में एनोमी का विश्लेषण किया। उन्होंने इसे सामाजिक अव्यवस्था और व्यक्तिगत हताशा का कारण बताया, खासकर तीव्र सामाजिक परिवर्तन के दौर में।
- गलत विकल्प: सामाजिक बहिष्कार ‘एक्सक्लूजन’ (Exclusion) से संबंधित है, जबकि एनोमी नियमों की कमी है। व्यक्तिगत अलगाव ‘एलियनेशन’ (Alienation) है, जो मार्क्सवाद से अधिक जुड़ा है। वर्ग संघर्ष मार्क्स की केंद्रीय अवधारणा है।
प्रश्न 5: भारतीय समाज में ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) के उदय और पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने वाले प्रमुख समाजशास्त्री कौन हैं?
- एम. एन. श्रीनिवास
- टी. के. उमन
- इरफान हबीब
- रामकृष्ण मुखर्जी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 6: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का जनक किसे माना जाता है?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- हरबर्ट ब्लूमर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने समझाया कि कैसे मनुष्य प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और अपने आत्म (Self) तथा समाज का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मीड ने अपनी मृत्यु के बाद प्रकाशित पुस्तक ‘मन, आत्मा और समाज’ (Mind, Self, and Society) में इन विचारों को व्यवस्थित किया। यह सिद्धांत व्यक्ति के दैनिक जीवन, आत्म-बोध और सामाजिक दुनिया की समझ पर केंद्रित है। चार्ल्स हॉर्टन कूली ने ‘Looking-glass Self’ की अवधारणा दी, जो मीड के काम से जुड़ी है। हरबर्ट ब्लूमर ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द गढ़ा और मीड के विचारों को व्यवस्थित रूप दिया।
- गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से जुड़े हैं।
प्रश्न 7: एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय गाँवों के अध्ययन में किस महत्वपूर्ण अवधारणा का प्रयोग किया, जो सामाजिक गतिशीलता की प्रक्रिया को समझाती है?
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- सेक्यूलराइजेशन (Secularization)
- संस्कृतिकरण (Sanskritization)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा दी। इसका अर्थ है कि निम्न जातियाँ या समूह उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन शैलियों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, जहाँ जाति पदानुक्रम में परिवर्तन को सामाजिक संरचना में परिवर्तन के बिना प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाने की प्रक्रिया है। सेक्यूलराइजेशन (Secularization) धर्म की सार्वजनिक भूमिका में कमी को दर्शाता है। आधुनिकीकरण (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण और तर्कसंगतता शामिल है।
प्रश्न 8: कार्ल मार्क्स के अनुसार, ‘अलगाव’ (Alienation) का मूल कारण क्या है?
- धर्म का प्रभाव
- राज्य की शक्ति
- पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली
- अज्ञानता और अशिक्षा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों को उत्पादन के साधनों, उत्पादन की प्रक्रिया, अपने मानव स्वभाव (species-being), और अन्य मनुष्यों से अलगाव का अनुभव होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में अलगाव की चार प्रमुख विधाओं का वर्णन किया: उत्पादन के साधनों से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव (मानव सार से), और अन्य मनुष्यों से अलगाव। यह अलगाव वर्ग संघर्ष का परिणाम है।
- गलत विकल्प: धर्म को मार्क्स ने ‘जनता की अफीम’ कहा, जो अलगाव को छिपा सकता है, लेकिन मूल कारण नहीं है। राज्य और अज्ञानता भी सहायक कारक हो सकते हैं, लेकिन पूंजीवाद मुख्य कारक है।
प्रश्न 9: भारतीय समाज में ‘कल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) की भूमिका पर किसने आलोचनात्मक टिप्पणी की है, यह तर्क देते हुए कि इसने सामाजिक असमानताओं को दूर करने में पर्याप्त योगदान नहीं दिया?
- जी. एस. घुरिये
- योगेन्द्र सिंह
- आंद्रे बेतेई
- पी. सी. जोशी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आंद्रे बेतेई (André Béteille) ने भारतीय समाज में वर्ग, जाति और राज्य की भूमिका पर महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने कल्याणकारी राज्य की भूमिका का विश्लेषण करते हुए तर्क दिया है कि यह संरचनात्मक असमानताओं को पूरी तरह से खत्म करने में अप्रभावी रहा है।
- संदर्भ एवं विस्तार: बेतेई ने अपनी कई कृतियों, जैसे ‘Castes, Old and New’ और ‘Inequality among Men’, में इस मुद्दे पर प्रकाश डाला है। उनका विश्लेषण अक्सर इस बात पर केंद्रित होता है कि कैसे राजनीतिक नीतियां और संस्थाएं सामाजिक असमानताओं को बनाए रख सकती हैं।
- गलत विकल्प: जी. एस. घुरिये भारत में जाति और जनजातियों के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। योगेन्द्र सिंह सामाजिक परिवर्तन और आधुनिकीकरण के अध्ययन में महत्वपूर्ण हैं। पी. सी. जोशी भारतीय अर्थशास्त्र और ग्रामीण विकास के विशेषज्ञ हैं।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) के बारे में सबसे सटीक है?
- यह केवल व्यक्तिगत विश्वासों और मूल्यों का योग है।
- यह व्यक्तियों के बीच अनौपचारिक संबंधों का एक नेटवर्क है।
- यह समाज में विभिन्न इकाइयों (जैसे संस्थाएं, समूह, भूमिकाएं) के बीच अपेक्षाकृत स्थायी पैटर्न और संबंधों को संदर्भित करता है।
- यह समाज में शक्ति के वितरण का एक अस्थायी प्रतिनिधित्व है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक संरचना समाज के उन अंतर्संबंधित भागों (जैसे परिवार, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, राजनीति) का एक पैटर्न है जो तुलनात्मक रूप से स्थिर होते हैं और व्यक्तियों तथा समूहों के व्यवहार को आकार देते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स और लेवी-स्ट्रॉस जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना की अवधारणा को महत्वपूर्ण माना। यह अमूर्त होती है और समाज के व्यक्तियों के ऊपर एक बाहरी बाध्यता के रूप में कार्य कर सकती है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि संरचना केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक और संस्थागत होती है। (b) गलत है क्योंकि यह अनौपचारिक के बजाय औपचारिक और स्थायी संबंधों पर अधिक केंद्रित है। (d) गलत है क्योंकि शक्ति वितरण संरचना का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह अस्थायी नहीं बल्कि अपेक्षाकृत स्थायी होता है।
प्रश्न 11: ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाज में प्रौद्योगिकी और संस्कृति के अन्य पहलुओं के बीच विकास की गति में अंतर को दर्शाती है?
- अल्बर्ट आइंस्टीन
- विलियम एफ. ओगबर्न
- रॉबर्ट मर्टन
- चार्ल्स डार्विन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ की अवधारणा दी। यह बताता है कि समाज के विभिन्न हिस्से अलग-अलग गति से बदलते हैं, और अक्सर भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, कानून, संस्थाएं) से तेज़ी से बदल जाती है, जिससे विलम्ब उत्पन्न होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: ओगबर्न ने अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उदाहरण के लिए, ऑटोमोबाइल का आविष्कार भौतिक संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन उसके अनुरूप सड़क सुरक्षा कानून और सामाजिक नियम (अभौतिक संस्कृति) बनाने में समय लगता है।
- गलत विकल्प: आइंस्टीन वैज्ञानिक थे, मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ विकसित किए, और डार्विन विकासवादी जीवविज्ञानी थे।
प्रश्न 12: भारतीय जाति व्यवस्था को समझने के लिए ‘प्रदेय’ (Purity) और ‘प्रदूषण’ (Pollution) की अवधारणाओं का प्रयोग किन समाजशास्त्रियों ने प्रमुखता से किया?
- एम. एन. श्रीनिवास और योगेन्द्र सिंह
- जी. एस. घुरिये और इरावती कर्वे
- लुई ड्यूमोंट और एल. डी. स्टीम
- रामकृष्ण मुखर्जी और टी. के. उमन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: लुई ड्यूमोंट (Louis Dumont) ने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘Homo Hierarchicus: An Essay on Caste and its Implications’ में जाति व्यवस्था को प्रदेय और प्रदूषण के अनुष्ठानिक पदानुक्रम के आधार पर समझाया। एल. डी. स्टीम (L. D. Stanley) ने भी इस विचार को आगे बढ़ाया।
- संदर्भ एवं विस्तार: ड्यूमोंट के अनुसार, जाति व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ विभिन्न जातियाँ प्रदेय (पवित्रता) और प्रदूषण के पैमाने पर वर्गीकृत की जाती हैं। एक जाति दूसरी से तब तक भिन्न होती है जब तक वह किसी दूसरी जाति के संपर्क से ‘प्रदूषित’ न हो जाए। यह व्यवस्था शक्ति के बजाय धर्म और अनुष्ठान पर आधारित है।
- गलत विकल्प: श्रीनिवास, घुरिये और कर्वे ने भी जाति पर लिखा है, लेकिन ड्यूमोंट का दृष्टिकोण प्रदेय-प्रदूषण पर विशेष रूप से केंद्रित था।
प्रश्न 13: ‘लोकप्रियता’ (Folkways) और ‘रूढ़ियाँ’ (Mores) में अंतर करने वाले समाजशास्त्री कौन हैं?
- एमिल दुर्खीम
- विलियम ग्राहम समनर
- मैक्स वेबर
- हर्बर्ट फीडर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर (William Graham Sumner) ने अपनी पुस्तक ‘Folkways’ (1906) में लोकप्रियताओं (Folkways) और रूढ़ियों (Mores) के बीच महत्वपूर्ण अंतर किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: **लोकप्रियता** वे सामान्य रीति-रिवाज हैं जो समाज में स्वीकृत हैं लेकिन उनके उल्लंघन पर कोई विशेष दंड नहीं होता (जैसे शिष्टाचार)। **रूढ़ियाँ** वे व्यवहार हैं जो नैतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं और जिनके उल्लंघन को गंभीर रूप से देखा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक निंदा या दंड हो सकता है (जैसे चोरी न करना)।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों पर, वेबर ने सामाजिक क्रिया पर और फीडर ने सामाजिक गतिशीलता पर कार्य किया है।
प्रश्न 14: मैरी डगलस ने अपनी पुस्तक ‘Purity and Danger’ में मानव समाज और पर्यावरण के बारे में क्या केंद्रीय विचार प्रस्तुत किया?
- समाज हमेशा तर्कसंगत और व्यवस्थित होता है।
- अशुद्धि (Dirt) वह है जो गलत जगह पर है, और यह सामाजिक व्यवस्था को चुनौती देती है।
- पर्यावरण परिवर्तन का मुख्य कारण मानवीय क्रियाएं हैं।
- प्रकृति और संस्कृति के बीच कोई वास्तविक भेद नहीं है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैरी डगलस (Mary Douglas) के अनुसार, ‘अशुद्धि’ (Dirt) कोई वस्तुनिष्ठ विशेषता नहीं है, बल्कि यह वह है जिसे ‘गलत जगह पर’ माना जाता है। अशुद्धि को व्यवस्थित करने और नियंत्रित करने के प्रयास समाज की व्यवस्था और वर्गीकरण को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: डगलस का तर्क है कि अशुद्धि का संबंध खतरों से होता है, और समाज इसे अनुष्ठानों और वर्गीकरण के माध्यम से नियंत्रित करता है। यह अवधारणा सामाजिक व्यवस्था, प्रदूषण, और अनुष्ठानों को समझने में महत्वपूर्ण है, और यह ड्यूमोंट के काम से कुछ मायनों में भिन्न है।
- गलत विकल्प: समाज हमेशा तर्कसंगत नहीं होता। पर्यावरण परिवर्तन के कई कारण होते हैं, और डगलस का मुख्य जोर अशुद्धि पर था। प्रकृति और संस्कृति के बीच अंतर डगलस के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे वह पारिभाषित करने का प्रयास करती हैं।
प्रश्न 15: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के **संरचनात्मक प्रकार्यवाद** (Structural Functionalism) दृष्टिकोण के अनुसार, असमानता क्यों मौजूद रहती है?
- क्योंकि यह समाज की स्थिरता और कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है।
- क्योंकि यह संसाधनों के असमान वितरण का परिणाम है।
- क्योंकि यह शक्ति के खेल का परिणाम है।
- क्योंकि यह ऐतिहासिक शोषण का परिणाम है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: डेविस और मूर (Davis and Moore) जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवादियों के अनुसार, सामाजिक स्तरीकरण (पदानुक्रमित असमानता) समाज के लिए कार्यात्मक है। यह सुनिश्चित करता है कि समाज के सबसे महत्वपूर्ण पदों को सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा भरा जाए, क्योंकि उन पदों के लिए अधिक प्रशिक्षण या प्रतिभा की आवश्यकता होती है और उन्हें अधिक पुरस्कार (वेतन, प्रतिष्ठा) दिए जाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि स्तरीकरण सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने और व्यक्तियों को प्रेरित करने के लिए आवश्यक है। यह आवश्यक रूप से ‘न्यायपूर्ण’ नहीं हो सकता है, लेकिन यह ‘कार्यात्मक’ है।
- गलत विकल्प: (b), (c), और (d) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) के दृष्टिकोणों के करीब हैं, जो असमानता को शोषण, शक्ति या संसाधनों के वितरण से जोड़ते हैं।
प्रश्न 16: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का विश्लेषण करते समय, योगेन्द्र सिंह ने किस प्रमुख कारक पर जोर दिया?
- पश्चिमी संस्कृति का पूर्ण अनुकरण
- संस्कृत और पारंपरिक मूल्यों का क्षरण
- सांस्कृतिक परिवर्तन के विभिन्न प्रतिमानों का अंतर्संबंध
- धर्म का सामाजिक जीवन से पूर्ण अलगाव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण को केवल पश्चिमीकरण के रूप में नहीं देखा, बल्कि उन्होंने सांस्कृतिक परिवर्तन के विभिन्न प्रतिमानों (जैसे पश्चिमीकरण, लोकतंत्रीकरण, तर्कसंगतता) के जटिल अंतर्संबंधों और भारतीय संदर्भ में उनके विशिष्ट प्रभाव का विश्लेषण किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: सिंह ने अपनी पुस्तक ‘Modernization of Indian Tradition’ में तर्क दिया है कि भारतीय समाज में आधुनिकीकरण एक रेखीय प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह पारंपरिक संरचनाओं के साथ सह-अस्तित्व और अंतःक्रिया के माध्यम से आगे बढ़ता है। उन्होंने सांस्कृतिक परिवर्तन के दो प्रमुख स्रोतों – आंतरिक (जैसे धर्म, दर्शन) और बाहरी (जैसे प्रौद्योगिकी, पश्चिमी विचार) – के बीच संवाद पर बल दिया।
- गलत विकल्प: सिंह ने पूर्ण अनुकरण या पूर्ण क्षरण पर जोर नहीं दिया, बल्कि विभिन्न प्रतिमानों के जटिल अंतर्संबंधों पर। धर्म का पूर्ण अलगाव भी उनका मुख्य तर्क नहीं था।
प्रश्न 17: ‘संस्थात्मक अभिकरण’ (Institutionalized Other) की अवधारणा, जो यह दर्शाती है कि समाज के विभिन्न संस्थागत ढाँचे व्यक्ति के व्यवहार को कैसे आकार देते हैं, किस समाजशास्त्री के कार्य से संबंधित है?
- सिगमंड फ्रायड
- टैल्कॉट पार्सन्स
- एरिक एरिक्सन
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘संस्थागत अन्य’ (Generalized Other) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो किसी व्यक्ति के समाज के नियमों, मूल्यों और दृष्टिकोणों को आत्मसात करने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। इसे सामूहिक चेतना या ‘समाज’ के दृष्टिकोण के रूप में समझा जा सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मीड के अनुसार, व्यक्ति अपने ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) के बीच बातचीत के माध्यम से आत्म का विकास करता है। ‘मी’ वह हिस्सा है जो समाज के ‘सामान्यीकृत अन्य’ के दृष्टिकोणों को आंतरिक बनाता है। यह व्यक्तिगत आत्म-बोध में सामाजिक संरचनाओं की भूमिका पर प्रकाश डालता है।
- गलत विकल्प: फ्रायड मनोविश्लेषण से, पार्सन्स प्रकार्यवाद से, और एरिक्सन मनोसामाजिक विकास से जुड़े हैं।
प्रश्न 18: भारतीय समाजशास्त्री आर. के. मुखर्जी (Ramkrishna Mukherjee) ने समाजशास्त्र में किस प्रमुख पद्धतिशास्त्रीय दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया?
- मात्रात्मक (Quantitative) उपागम
- गुणात्मक (Qualitative) उपागम
- द्वंद्वात्मक (Dialectical) उपागम
- ऐतिहासिक-तुलनात्मक (Historical-Comparative) उपागम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रामकृष्ण मुखर्जी ने भारतीय समाज के अध्ययन के लिए एक **ऐतिहासिक-तुलनात्मक** उपागम का समर्थन किया। उन्होंने समाज की गतिशीलता और परिवर्तनों को समझने के लिए इतिहास और विभिन्न समाजों की तुलना का उपयोग किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: मुखर्जी ने भारतीय समाज की विशिष्टताओं को समझने के लिए पश्चिमी मॉडलों को आंख मूंदकर अपनाने के बजाय, भारतीय संदर्भ के ऐतिहासिक विकास और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक चरणों की तुलना पर जोर दिया। वे भारत में समाजशास्त्रीय अनुसंधान को भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप बनाने के पक्षधर थे।
- गलत विकल्प: हालांकि उन्होंने मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों विधियों का उपयोग किया, लेकिन उनका मुख्य जोर ऐतिहासिक और तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य पर था, जो उन्हें विशिष्ट बनाता है। द्वंद्वात्मक उपागम मार्क्सवाद से अधिक जुड़ा है।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों को संदर्भित करती है, को लोकप्रिय बनाने का श्रेय किसे जाता है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स एस. कोलमेन
- रॉबर्ट पटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को विकसित करने और लोकप्रिय बनाने में पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu), जेम्स एस. कोलमेन (James S. Coleman) और रॉबर्ट पटनम (Robert Putnam) सभी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, भले ही उनके दृष्टिकोणों में कुछ भिन्नताएँ हों।
- संदर्भ एवं विस्तार: बॉर्डियू ने इसे व्यक्तिगत और सामूहिक संसाधनों के रूप में देखा जो सामाजिक संबंधों से प्राप्त होते हैं। कोलमेन ने इसे सामाजिक संरचना के एक संसाधन के रूप में देखा जो सामाजिक संस्थाओं और व्यक्तिगत लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है। पटनम ने नागरिक जुड़ाव और लोकतंत्रीय शासन के लिए इसके महत्व पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों ने इस अवधारणा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सबसे सटीक उत्तर है।
प्रश्न 20: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में आदिम समाजों के अध्ययन से धर्म के बारे में क्या निष्कर्ष निकाला?
- धर्म विशुद्ध रूप से व्यक्तिगत अनुभव है।
- धर्म समाज का एक उत्पाद है और समाज को एकीकृत करने का कार्य करता है।
- धर्म का उदय मुख्य रूप से मृत्यु के भय से होता है।
- धर्म का कोई सामाजिक कार्य नहीं होता।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: दुर्खीम ने पाया कि धर्म, विशेष रूप से आदिम समाजों के टोटेमिस्टिक (totemistic) विश्वासों में, समाज का एक उत्पाद है। धार्मिक अनुष्ठान और विश्वास सामूहिक भावना को उत्पन्न करते हैं और समाज के सदस्यों को एकजुट करते हैं, इस प्रकार समाज का ‘एकीकरण’ (integration) करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने ‘पवित्र’ (Sacred) और ‘अपवित्र’ (Profane) के बीच अंतर किया, जहाँ पवित्र को समाज द्वारा श्रेष्ठ और पृथक माना जाता है। धर्म ‘सामूहिकता की शक्ति’ का प्रतीक है। यह समाज के प्रति श्रद्धा की भावना को बढ़ावा देता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम के अनुसार, धर्म व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक है। यह केवल भय से नहीं, बल्कि सामूहिकता से उत्पन्न होता है, और इसका एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य है।
प्रश्न 21: भारतीय संदर्भ में, ‘ग्राम’ (Village) को केवल एक भौगोलिक इकाई के बजाय एक ‘सामाजिक संस्था’ के रूप में किसने अध्ययन किया?
- एम. एन. श्रीनिवास
- लुई ड्यूमोंट
- गायनर फ्रैंक
- बी. आर. अंबेडकर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने भारतीय गाँवों का विस्तृत नृवंशविज्ञान (Ethnography) अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने गाँवों को केवल कृषि या भौगोलिक इकाइयों के रूप में नहीं, बल्कि जटिल सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के रूप में प्रस्तुत किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास की ‘The Remembered Village’ जैसी कृतियाँ ग्रामीण भारतीय जीवन की संरचना, रीति-रिवाजों, जातिगत संबंधों और परिवर्तन की गतिशीलता की गहन समझ प्रदान करती हैं। उन्होंने गाँव को एक ‘लघु ब्रह्मांड’ के रूप में देखा।
- गलत विकल्प: ड्यूमोंट ने जाति पर, फ्रैंक ने विकासवाद पर और अंबेडकर ने दलितों के अधिकारों और जाति पर महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन श्रीनिवास विशेष रूप से ग्रामीण भारत की संस्थागत जटिलताओं के गहन अध्ययन के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 22: मैक्स वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy) के किस प्रकार को ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) के रूप में वर्णित किया?
- वंशानुगत नौकरशाही
- पदानुक्रमित, तर्कसंगत-कानूनी नौकरशाही
- चरिश्माई नेतृत्व
- पारंपरिक नौकरशाही
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने **तर्कसंगत-कानूनी नौकरशाही** को आधुनिक समाजों में संगठन का आदर्श प्रकार माना। इसमें नियमों, विनियमों, पदानुक्रम, विशेषज्ञता और अवैयक्तिक संबंधों पर आधारित एक स्पष्ट संरचना होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को दक्षता और तर्कसंगतता के लिए एक प्रमुख साधन के रूप में देखा, जो पूंजीवाद के विकास के लिए भी आवश्यक थी। हालाँकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि नौकरशाही का अत्यधिक विकास ‘लौह पिंजरे’ (Iron Cage) का निर्माण कर सकता है। ‘आदर्श प्रकार’ एक विश्लेषणात्मक उपकरण है, न कि एक नैतिक आदर्श।
- गलत विकल्प: वंशानुगत, चरिश्माई और पारंपरिक नौकरशाही अन्य प्रकार हैं जिनका वेबर ने विश्लेषण किया, लेकिन तर्कसंगत-कानूनी नौकरशाही को उन्होंने आधुनिकता के संदर्भ में ‘आदर्श’ माना।
प्रश्न 23: ‘जाति’ (Caste) को एक ‘बंद स्तरीकरण प्रणाली’ (Closed System of Stratification) के रूप में क्यों वर्गीकृत किया जाता है?
- क्योंकि इसमें सामाजिक गतिशीलता की उच्च संभावना होती है।
- क्योंकि इसमें जन्म के आधार पर स्थिति निर्धारित होती है और गतिशीलता सीमित होती है।
- क्योंकि यह मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति पर आधारित है।
- क्योंकि इसमें व्यक्ति अपनी शिक्षा से उच्च जाति में जा सकता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जाति व्यवस्था को एक ‘बंद’ स्तरीकरण प्रणाली कहा जाता है क्योंकि किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, विशेषाधिकार और भूमिकाएँ जन्म से निर्धारित होती हैं, और इसमें ऊपर की ओर या नीचे की ओर गतिशीलता (Social Mobility) अत्यंत सीमित होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वर्ग व्यवस्था, इसके विपरीत, एक ‘खुली’ प्रणाली मानी जाती है जहाँ जन्म के अलावा, उपलब्धि, शिक्षा और प्रयास के माध्यम से गतिशीलता संभव है। जाति व्यवस्था में विवाह, व्यवसाय और सामाजिक संपर्क पर भी कठोर नियम लागू होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (d) गलत हैं क्योंकि जाति में गतिशीलता बहुत कम होती है। (c) गलत है क्योंकि जाति आर्थिक स्थिति पर नहीं, बल्कि जन्म और शुद्धता-अशुद्धता के अनुष्ठानिक नियमों पर आधारित है।
प्रश्न 24: डेविड एपस्टीन (David Epstein) और उनके जैसे अन्य विद्वानों द्वारा ‘शहरीकरण’ (Urbanization) के अध्ययन में किस पहलू पर प्रकाश डाला गया है?
- शहरी जीवन की सामूहिकता और घनिष्ठता।
- शहरीकरण का ग्रामीण क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव।
- शहरी जीवन की नवीनता, विविधता और प्रतिस्पर्धा, जो अक्सर सामाजिक अलगाव की ओर ले जाती है।
- शहरी विकास का एकमात्र कारण औद्योगीकरण है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: डेविड एपस्टीन (David Epstein) जैसे समाजशास्त्रियों ने शहरीकरण के अध्ययन में, विशेष रूप से पश्चिमी समाजशास्त्रीय परंपरा में, शहरी वातावरण की विशिष्टताओं जैसे नवीनता, विशाल जनसंख्या, विविधता, और व्यवसायों की विशेषज्ञता पर ध्यान केंद्रित किया है। इन कारकों के परिणामस्वरूप अक्सर ‘सामाजिक अलगाव’ (social alienation) और ‘अनामिता’ (anonymity) की भावनाएँ पैदा होती हैं, जैसा कि जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) ने भी अपने ‘Metropolis and Mental Life’ में दर्शाया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: शहरीकरण से उत्पन्न सामाजिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन, व्यक्ति पर शहर के वातावरण के प्रभाव, और कैसे लोग इस गतिशील परिवेश में अपनी पहचान बनाए रखते हैं, यह इस अध्ययन का केंद्र रहा है।
- गलत विकल्प: (a) शहरी जीवन अक्सर अनामिक और प्रतिस्पर्धात्मक होता है, न कि घनिष्ठ। (b) शहरीकरण के ग्रामीण क्षेत्रों पर भी प्रभाव होते हैं, लेकिन एपस्टीन का जोर शहरी जीवन की प्रकृति पर है। (d) औद्योगीकरण शहरीकरण का एक महत्वपूर्ण कारण है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है।
प्रश्न 25: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) के अनुसार, ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) और ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Function) के बीच क्या अंतर है?
- प्रकट कार्य जानबूझकर किए जाते हैं, जबकि प्रच्छन्न कार्य अनजाने में होते हैं।
- प्रकट कार्य हमेशा सकारात्मक होते हैं, जबकि प्रच्छन्न कार्य नकारात्मक होते हैं।
- प्रकट कार्य व्यक्तिपरक होते हैं, जबकि प्रच्छन्न कार्य वस्तुनिष्ठ होते हैं।
- प्रकट कार्य सामाजिक संस्थाओं से जुड़े होते हैं, जबकि प्रच्छन्न कार्य व्यक्तिगत होते हैं।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) और ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Function) की अवधारणाओं को परिभाषित किया। **प्रकट कार्य** वे परिणाम होते हैं जो किसी सामाजिक पैटर्न के सभी सदस्यों द्वारा स्पष्ट रूप से समझे जाते हैं और अपेक्षित होते हैं। **प्रच्छन्न कार्य** वे परिणाम होते हैं जो स्पष्ट या अनजाने में होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन ने समझाया कि किसी सामाजिक संस्था या प्रथा के उद्देश्य (कार्य) स्पष्ट रूप से घोषित हो सकते हैं (प्रकट) या वे अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से समाज में योगदान करते हैं (प्रच्छन्न)। उदाहरण के लिए, एक स्कूल का प्रकट कार्य शिक्षा देना है, जबकि एक प्रच्छन्न कार्य युवा लोगों को सामाजिक संपर्क के माध्यम से सामाजिक बनाना हो सकता है।
- गलत विकल्प: (b) गलत है क्योंकि प्रच्छन्न कार्य भी सकारात्मक हो सकते हैं (और प्रकट कार्य नकारात्मक भी हो सकते हैं)। (c) और (d) गलत हैं क्योंकि ये परिभाषाएँ मर्टन के दृष्टिकोण से मेल नहीं खातीं।