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समाजशास्त्र महारथी: दैनिक अभ्यास प्रश्नोत्तरी – अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र महारथी: दैनिक अभ्यास प्रश्नोत्तरी – अपनी पकड़ मजबूत करें!

स्वागत है, भविष्य के समाजशास्त्र के दिग्गजों! आज के इस सत्र में हम समाजशास्त्रीय विचारों, सिद्धांतों और भारतीय समाज की पेचीदगियों को समझने की अपनी क्षमता को परखेंगे। अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को धार देने के लिए तैयार हो जाइए, क्योंकि यह 25 प्रश्नों की प्रश्नोत्तरी आपके ज्ञान की सीमा का विस्तार करेगी!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘अभिजात वर्ग’ (elite) के सिद्धांत के प्रवर्तक कौन हैं, जिन्होंने माना कि समाज हमेशा कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा शासित होता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. ई.ए. रॉस
  3. गैतानो मोस्का
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गैतानो मोस्का एक इतालवी समाजशास्त्री थे, जिन्हें अभिजात वर्ग के सिद्धांत के प्रमुख प्रवर्तकों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘The Ruling Class’ (1896) में तर्क दिया कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, हमेशा एक शासक अल्पसंख्यक (अभिजात वर्ग) और एक शासित बहुसंख्यक वर्ग होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मोस्का का मानना था कि राजनीतिक शक्ति का संगठन ही शासक वर्ग को जन्म देता है। उन्होंने ‘राजनीतिक वर्ग’ (political class) की अवधारणा दी, जो समाज के अन्य वर्गों से श्रेष्ठ होती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और सर्वहारा वर्ग की तानाशाही पर जोर दिया, न कि अभिजात वर्ग के शाश्वत शासन पर। ई.ए. रॉस ने सामाजिक नियंत्रण और सामाजिक असंगति जैसे विषयों पर काम किया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और प्रकार्यवाद पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘अनामी’ (Anomie) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:

  1. सामाजिक नियम और मानक शिथिल हो जाते हैं या उनका अभाव हो जाता है।
  2. लोग अत्यधिक सामाजिकरण के कारण नियमों से बंध जाते हैं।
  3. समाज में वर्ग संघर्ष चरम पर पहुँच जाता है।
  4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता अत्यधिक बढ़ जाती है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘अनामी’ की अवधारणा का प्रयोग उस स्थिति को दर्शाने के लिए किया जब समाज में व्यक्तिगत व्यवहार को नियंत्रित करने वाले मानदंड या नियम कमजोर पड़ जाते हैं या उनका पूर्ण अभाव हो जाता है। यह अक्सर सामाजिक परिवर्तन या संकट के समय देखा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में अनामी पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इसे आत्महत्या के कारणों में से एक बताया।
  • गलत विकल्प: अत्यधिक सामाजिकरण का अर्थ है कि व्यक्ति ने समाज के मानदंडों को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है, जो अनामी के विपरीत है। वर्ग संघर्ष कार्ल मार्क्स का मुख्य विचार था। व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अत्यधिक बढ़ना अनामी का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं अनामी की परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 3: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं?

  1. टैल्कॉट पार्सन्स
  2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  3. मैक्स वेबर
  4. रॉबर्ट मैकायवर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का जनक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति का ‘स्व’ (self) सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है, जिसमें प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) का आदान-प्रदान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड की मृत्यु के बाद उनके छात्रों ने उनके विचारों को संकलित कर ‘Mind, Self, and Society’ नामक पुस्तक प्रकाशित की, जो इस सिद्धांत का आधार बनी।
  • गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स प्रकार्यवाद (functionalism) से जुड़े हैं। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया के बोधगम्य अर्थ (verstehen) पर बल दिया। रॉबर्ट मैकायवर ने समुदाय और समाज के बीच अंतर स्पष्ट किया।

प्रश्न 4: भारत में किस विद्वान ने ‘श्रीनिवास’ के नाम से जाना जाता है, ने ‘संसकृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा विकसित की?

  1. एम.एन. श्रीनिवास
  2. इरावती कर्वे
  3. ए.आर. देसाई
  4. योगेन्द्र सिंह

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास (मादापुर श्रीनिवास) एक प्रतिष्ठित भारतीय समाजशास्त्री थे, जिन्होंने ‘संसकृतिकरण’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों की प्रथाओं, रीति-रिवाजों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में इस अवधारणा को पहली बार प्रस्तुत किया था।
  • गलत विकल्प: इरावती कर्वे ने नातेदारी व्यवस्था और भारतीय समाज के नृवंशविज्ञान पर काम किया। ए.आर. देसाई भारतीय समाजवाद और कृषक आंदोलनों पर केंद्रित थे। योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण और सामाजिक परिवर्तन पर महत्वपूर्ण कार्य किया।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य सामाजिक व्यवस्था, स्थिरता और सामाजिक संस्थानों के प्रकार्यात्मक योगदान पर जोर देता है?

  1. संघर्ष परिप्रेक्ष्य (Conflict Perspective)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. प्रकार्यवाद (Functionalism)
  4. नारीवाद (Feminism)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रकार्यवाद (Functionalism) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जिसके विभिन्न हिस्से (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) एक साथ मिलकर काम करते हैं ताकि समाज में स्थिरता और व्यवस्था बनी रहे। प्रत्येक संस्था का एक प्रकार्य (function) होता है जो समाज के समग्र कामकाज में योगदान देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम, ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन और ए.एच. चैपिन को प्रकार्यवाद के शुरुआती समर्थकों में गिना जाता है, जबकि टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन ने इसे आगे बढ़ाया।
  • गलत विकल्प: संघर्ष परिप्रेक्ष्य सामाजिक असमानता और शक्ति संघर्षों पर ध्यान केंद्रित करता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और अर्थों पर केंद्रित है। नारीवाद पितृसत्ता और लैंगिक असमानता का विश्लेषण करता है।

प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ की एक प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. पेशा की स्वतंत्रता
  2. अंतर्विवाह (Endogamy)
  3. खुली सामाजिक गतिशीलता
  4. जन्म से व्यावसायिक परिवर्तन की स्वतंत्रता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जाति व्यवस्था की एक केंद्रीय विशेषता ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति उसी जाति समूह के भीतर विवाह करता है जिससे वह संबंधित है। यह जाति की शुद्धता और निरंतरता बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नियम कठोरता से लागू होता है और जाति से बाहर विवाह को वर्जित माना जाता है, जिससे विभिन्न जातियाँ एक-दूसरे से अलग-थलग रहती हैं।
  • गलत विकल्प: पेशा की स्वतंत्रता और जन्म से व्यावसायिक परिवर्तन की स्वतंत्रता पारंपरिक जाति व्यवस्था में सीमित थी, हालांकि आधुनिकीकरण के साथ इसमें बदलाव आया है। खुली सामाजिक गतिशीलता भी जाति व्यवस्था की एक विशेषता नहीं है, क्योंकि सामाजिक स्थिति जन्म से तय होती है।

प्रश्न 7: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) से क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध
  2. समाज में व्यक्तियों के व्यवहार के पैटर्न
  3. समाज में विभिन्न भूमिकाओं, प्रस्थितिओं और समूहों के बीच अपेक्षाकृत स्थायी पैटर्न और संबंध
  4. सामाजिक परिवर्तन की दर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज में विभिन्न इकाइयों, जैसे कि व्यक्तियों, समूहों, संस्थाओं और उनकी भूमिकाओं तथा प्रस्थितियों के बीच मौजूद अपेक्षाकृत स्थिर और स्थायी संबंधों के ताने-बाने से है। यह समाज का ‘ढाँचा’ निर्मित करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: टैल्कॉट पार्सन्स जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना पर जोर दिया, जो समाज के स्थायित्व और व्यवस्था के लिए आवश्यक है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत संबंध व्यक्तियों के बीच होते हैं, न कि संपूर्ण समाज की संरचना। व्यवहार के पैटर्न संरचना का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन यह पूरी परिभाषा नहीं है। सामाजिक परिवर्तन की दर संरचना का हिस्सा नहीं है, बल्कि संरचना में होने वाले बदलावों का माप है।

  • प्रश्न 8: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का संबंध किससे है?

    1. व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत अंतःक्रिया
    2. समाज में असमान वितरण और पद सोपान (hierarchy)
    3. सामाजिक समूहों द्वारा अपनाए जाने वाले मानदंड
    4. समाज में शिक्षा का प्रसार

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज अपने सदस्यों को उनकी प्रस्थिति, शक्ति, विशेषाधिकार और संसाधनों के असमान वितरण के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित करता है। यह समाज में ऊँच-नीच की एक व्यवस्था है।
  • संदर्भ और विस्तार: विभिन्न प्रकार के स्तरीकरण प्रणालियों में दासता, वर्ण व्यवस्था, जाति व्यवस्था, वर्ग व्यवस्था आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत अंतःक्रिया सूक्ष्म-स्तरीय है। मानदंड सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करते हैं लेकिन स्तरीकरण की परिभाषा नहीं हैं। शिक्षा का प्रसार सामाजिक गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह स्तरीकरण की मूल अवधारणा नहीं है।

  • प्रश्न 9: कार्ल मार्क्स के अनुसार, उत्पादन की व्यवस्था (mode of production) के दो मुख्य तत्व क्या हैं?

    1. उत्पादन के साधन (means of production) और उत्पादन के संबंध (relations of production)
    2. सांस्कृतिक मूल्य और सामाजिक मानदंड
    3. शक्ति और अधिकार
    4. धर्म और नैतिकता

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने इतिहास के भौतिकवादी सिद्धांत के अनुसार, किसी भी समाज की आर्थिक संरचना (production) को दो मुख्य घटकों से मिलकर बना माना: उत्पादन के साधन (जैसे भूमि, कारखाने, मशीनें) और उत्पादन के संबंध (लोगों के बीच उत्पादन प्रक्रिया में स्थापित आर्थिक संबंध, जैसे मालिक-श्रमिक संबंध)।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि ये दो तत्व समाज के अन्य सभी पहलुओं (जैसे राजनीति, कानून, संस्कृति) को निर्धारित करते हैं।
  • गलत विकल्प: सांस्कृतिक मूल्य, शक्ति, अधिकार, धर्म और नैतिकता समाज के अन्य महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार, ये उत्पादन की व्यवस्था के प्रत्यक्ष तत्व नहीं हैं, बल्कि उससे प्रभावित होते हैं।

  • प्रश्न 10: ‘संवैधानिक सुधार’ (Legal Rational Authority) की शक्ति का आधार क्या है, जैसा कि मैक्स वेबर ने बताया?

    1. व्यक्तिगत करिश्मा
    2. परंपरागत नियम और देवत्व
    3. पद और स्थापित नियम/कानून
    4. मास मीडिया का प्रभाव

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता (authority) के तीन आदर्श प्रकार बताए: परंपरागत, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत। कानूनी-तर्कसंगत सत्ता का आधार व्यक्तिगत न होकर, नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं की एक व्यवस्थित प्रणाली में निहित होता है। जैसे कि आधुनिक राज्य में नौकरशाही।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, आधुनिक समाजों में कानूनी-तर्कसंगत सत्ता सबसे प्रभावी और कुशल होती है क्योंकि यह निष्पक्ष और पूर्वानुमेय होती है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत करिश्मा करिश्माई सत्ता का आधार है। परंपरागत नियम देवत्व या प्राचीनता पर आधारित होते हैं। मास मीडिया का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से सत्ता का आधार नहीं है, हालांकि यह उसे प्रभावित कर सकता है।

  • प्रश्न 11: ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology) के अध्ययन का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?

    1. शहरी जीवन शैली और औद्योगीकरण
    2. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था, ग्रामीण समुदाय और उनकी संरचना
    3. वैश्विक संचार नेटवर्क
    4. सांस्कृतिक विविधता का अध्ययन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ग्रामीण समाजशास्त्र मुख्य रूप से ग्रामीण समुदायों, उनकी सामाजिक संरचना, संस्थाओं, जीवन शैली, अर्थव्यवस्था (जो अक्सर कृषि पर आधारित होती है), और सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें ग्रामीण-शहरी विभाजन, ग्रामीण विकास, कृषि से संबंधित सामाजिक मुद्दे आदि शामिल होते हैं।
  • गलत विकल्प: शहरी जीवन शैली शहरी समाजशास्त्र का केंद्र है। वैश्विक संचार नेटवर्क और सांस्कृतिक विविधता व्यापक समाजशास्त्रीय अध्ययन के विषय हैं, लेकिन ग्रामीण समाजशास्त्र का मुख्य ध्यान ग्रामीण विशिष्टताओं पर होता है।

  • प्रश्न 12: ‘पोटलैमच’ (Potlatch) एक ऐसी सामाजिक-आर्थिक प्रथा है जो निम्न में से किस आदिवासी समूह से जुड़ी है?

    1. माओरी
    2. इरोक्वाइस
    3. कुम्बी
    4. उत्तर-पश्चिमी प्रशांत तट के स्वदेशी लोग

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पोटलैमच एक ऐसी प्रथा है जिसमें प्रमुख या नेता भव्य समारोहों का आयोजन कर अपने धन (संपत्ति, भोजन, वस्तुएं) को दूसरों में बाँटते या नष्ट करते हैं। यह मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी प्रशांत तट (जैसे उत्तरी कैलिफोर्निया, ओरेगन, वाशिंगटन, ब्रिटिश कोलंबिया और अलास्का) के स्वदेशी लोगों, जैसे कि क्वाक्वाका’वाक्वा, नूत्का और हाйда लोगों से जुड़ी है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रथा सामाजिक प्रतिष्ठा, शक्ति और संबंधों को स्थापित करने व बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण तरीका थी। यह ‘तुलनात्मक उपहार अर्थव्यवस्था’ (competitive gift economy) का उदाहरण है।
  • गलत विकल्प: माओरी न्यूजीलैंड से, इरोक्वाइस उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी थे, और कुम्बी भारत की एक जनजाति है। पोटलैमच इन विशेष समूहों से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है।

  • प्रश्न 13: सामाजिक अनुसंधान में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. जनसंख्या के एक बड़े समूह के बीच रुझानों का सामान्यीकरण करना।
    2. घटनाओं के पीछे के कारणों, अर्थों और अनुभवों को गहराई से समझना।
    3. संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना।
    4. वैज्ञानिक सिद्धांतों को सिद्ध करने के लिए प्रायोगिक नियंत्रण स्थापित करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुणात्मक विधियाँ (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी) व्यक्तियों या समूहों के अनुभवों, दृष्टिकोणों, विश्वासों और सामाजिक घटनाओं के अंतर्निहित अर्थों को समझने पर केंद्रित होती हैं। इनका लक्ष्य ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का गहरा ज्ञान प्राप्त करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये विधियाँ अक्सर सूक्ष्म-स्तरीय सामाजिक प्रक्रियाओं के विश्लेषण के लिए उपयुक्त होती हैं।
  • गलत विकल्प: सामान्यीकरण और संख्यात्मक डेटा संग्रह मात्रात्मक विधियों (quantitative methods) की विशेषताएँ हैं। वैज्ञानिक सिद्धांतों को सिद्ध करने के लिए प्रायोगिक नियंत्रण भी मात्रात्मक शोध में अधिक प्रयोग होता है।

  • प्रश्न 14: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जो श्रमिकों में देखी जाती है, को किस शास्त्रीय समाजशास्त्री ने प्रमुखता से प्रतिपादित किया?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. कार्ल मार्क्स
    4. सी. राइट मिल्स

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों द्वारा महसूस किए जाने वाले ‘अलगाव’ की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने चार प्रकार के अलगाव बताए: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की क्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-सार (species-essence) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, अलगाव का कारण श्रमिकों का अपनी मेहनत के उत्पाद पर नियंत्रण न होना और उत्पादन प्रक्रिया में एक निर्जीव पुर्जा बनकर रह जाना है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने अनामी और सामाजिक एकजुटता पर काम किया। वेबर ने शक्ति, नौकरशाही और तर्कसंगतता पर ध्यान केंद्रित किया। सी. राइट मिल्स ने ‘शक्ति अभिजात वर्ग’ (power elite) की अवधारणा दी।

  • प्रश्न 15: ‘संरचनात्मक प्रकारवाद’ (Structural Functionalism) के प्रमुख प्रतिपादक कौन हैं?

    1. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
    2. कार्ल मार्क्स
    3. एमिल दुर्खीम
    4. टैल्कॉट पार्सन्स

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: टैल्कॉट पार्सन्स को आधुनिक संरचनात्मक प्रकारवाद का प्रमुख प्रतिनिधि माना जाता है। उन्होंने समाज को एक एकीकृत प्रणाली के रूप में देखा, जिसके विभिन्न उप-प्रणालियाँ (जैसे अर्थव्यवस्था, परिवार, राजनीति) अपने-अपने विशिष्ट प्रकार्यों का निर्वहन करती हैं ताकि समाज की व्यवस्था और स्थिरता बनी रहे।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने ‘AGIL’ (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल भी प्रस्तुत किया, जो समाज की चार प्रमुख प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं। कार्ल मार्क्स संघर्ष सिद्धांत के प्रमुख प्रस्तावक हैं। एमिल दुर्खीम ने प्रकार्यवाद की नींव रखी, लेकिन पार्सन्स ने इसे और विकसित किया।

  • प्रश्न 16: भारत में ‘आदिवासी समुदायों’ (Tribal Communities) की मुख्य विशेषता क्या है?

    1. मानकीकृत और लिखित धर्म
    2. एकमात्र और सजातीय भाषा
    3. अक्सर बाहरी समाजों से अलगाव और विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान
    4. उच्च शहरीकरण दर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आदिवासी समुदायों की एक प्रमुख विशेषता अक्सर यह होती है कि वे ऐतिहासिक रूप से मुख्यधारा के समाज से अलग-थलग रहे हैं, जिससे उन्होंने अपनी विशिष्ट भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाजों और सामाजिक संरचनाओं को बनाए रखा है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव भौगोलिक, सामाजिक या आर्थिक कारणों से हो सकता है। हालांकि, आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण के कारण यह स्थिति तेजी से बदल रही है।
  • गलत विकल्प: आदिवासियों के धर्म अक्सर अलिखित और विविध होते हैं। उनकी भाषाएँ भी अक्सर एक-दूसरे से भिन्न होती हैं, और कई जनजातियों में बहुभाषावाद पाया जाता है। उनकी शहरीकरण दर आमतौर पर मुख्यधारा के समाज की तुलना में कम होती है।

  • प्रश्न 17: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) की व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्या है?

    1. सामाजिक असमानता को बढ़ावा देना
    2. व्यक्तियों और समूहों के व्यवहार को सामाजिक मानदंडों और अपेक्षाओं के अनुरूप रखना
    3. वर्ग संघर्ष को बढ़ावा देना
    4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक नियंत्रण समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने की प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्तियों और समूहों के व्यवहार को सामाजिक नियमों, कानूनों, रीति-रिवाजों और मूल्यों के अनुरूप ढाला जाता है। यह समाज को अराजकता से बचाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक नियंत्रण औपचारिक (जैसे पुलिस, अदालतें) और अनौपचारिक (जैसे परिवार, जनमत) हो सकता है।
  • गलत विकल्प: सामाजिक नियंत्रण असमानता को बनाए रख सकता है, लेकिन यह उसका मुख्य उद्देश्य नहीं है। यह वर्ग संघर्ष को कम करने या नियंत्रित करने का प्रयास करता है, न कि उसे बढ़ावा देने का। व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करता है, लेकिन पूर्ण प्रतिबंध इसका मुख्य कार्य नहीं है।

  • प्रश्न 18: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    1. पारिवारिक संरचना का सरलीकरण
    2. शहरीकरण में वृद्धि
    3. पेशागत विशेषज्ञता
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: औद्योगीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसके समाज पर कई प्रभाव पड़ते हैं। यह ग्रामीण आबादी को रोजगार की तलाश में शहरों की ओर आकर्षित करता है, जिससे शहरीकरण बढ़ता है। उत्पादन की नई विधियाँ और श्रम विभाजन के कारण पेशागत विशेषज्ञता बढ़ती है। इसके साथ ही, पारंपरिक परिवारिक संरचनाएँ भी बदलती हैं (जैसे एकल परिवार का उदय)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक गतिशीलता, वर्ग संरचना और जीवन शैली में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है।
  • गलत विकल्प: तीनों ही प्रभाव औद्योगीकरण के महत्वपूर्ण परिणाम हैं।

  • प्रश्न 19: ‘धर्म’ (Religion) का समाजशास्त्र में अध्ययन करते समय, समाजशास्त्री अक्सर किस पर ध्यान केंद्रित करते हैं?

    1. ईश्वर के अस्तित्व की सत्यता
    2. धार्मिक मान्यताओं की सार्वभौमिकता
    3. समाज में धर्म की भूमिका, कार्य और प्रभाव
    4. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजशास्त्री धर्म का अध्ययन एक सामाजिक संस्था के रूप में करते हैं। वे यह जांचते हैं कि धर्म समाज में क्या कार्य करता है (जैसे एकजुटता बढ़ाना, सामाजिक नियंत्रण), यह सामाजिक व्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है, और सामाजिक संरचना तथा संस्कृति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
  • संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम ने धर्म को ‘सामाजिक सामंजस्य’ (social cohesion) के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में देखा।
  • गलत विकल्प: ईश्वर के अस्तित्व की सत्यता या धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या धर्मशास्त्र (theology) का विषय है, समाजशास्त्र का नहीं। धार्मिक मान्यताओं की सार्वभौमिकता का अध्ययन महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन धर्म की समग्र भूमिका और प्रभाव समाजशास्त्रीय अध्ययन का मुख्य केंद्र है।

  • प्रश्न 20: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

    1. विलियम ग्राहम समनर
    2. अल्बर्ट सांचेज़
    3. डब्ल्यू. एफ. ओगबर्न
    4. रॉबर्ट ई. पार्क

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: डब्ल्यू. एफ. ओगबर्न (W. F. Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। इसके अनुसार, समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, आविष्कार) अभौतिक संस्कृति (जैसे नैतिकता, कानून, संस्थाएँ) की तुलना में तेजी से बदलती है। इस परिवर्तन की गति में अंतर के कारण समाज में एक ‘विलंब’ उत्पन्न होता है, जिससे समायोजन की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने इसे अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ (1922) में विस्तार से समझाया।
  • गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने ‘लोकप्रियता’ (Folkways) और ‘रूढ़ियाँ’ (Mores) के बीच अंतर बताया। अल्बर्ट सांचेज़ और रॉबर्ट ई. पार्क शहरी समाजशास्त्र और पारिस्थितिकी से जुड़े थे।

  • प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) का एक अप्रत्यक्ष (latent) परिणाम हो सकता है?

    1. तकनीकी नवाचार का प्रत्यक्ष प्रसार
    2. नई शिक्षा नीति का लागू होना
    3. जनसंख्या वृद्धि के कारण आवास की कमी
    4. किसी विशेष राजनीतिक दल की जीत

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: अप्रत्यक्ष परिणाम वे होते हैं जो किसी सामाजिक परिवर्तन के अनपेक्षित या अनियोजित परिणाम होते हैं। जनसंख्या वृद्धि (जो विभिन्न सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का परिणाम हो सकती है) के कारण आवास की कमी एक ऐसा परिणाम है जो प्रत्यक्ष रूप से किसी एक नीति या घटना से नहीं जुड़ा, बल्कि कई कारकों के संयोजन से उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रत्यक्ष परिणाम वे होते हैं जो किसी परिवर्तन के इच्छित या सीधे प्रभाव होते हैं, जैसे कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षा के स्तर को बढ़ाना है।
  • गलत विकल्प: तकनीकी नवाचार का प्रसार, नई शिक्षा नीति का लागू होना, और किसी राजनीतिक दल की जीत प्रत्यक्ष या स्पष्ट परिणाम हैं।

  • प्रश्न 22: ‘शक्ति’ (Power) और ‘सत्ता’ (Authority) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

    1. शक्ति अवैधानिक है, जबकि सत्ता वैध है।
    2. शक्ति हमेशा वंशानुगत होती है, जबकि सत्ता नहीं।
    3. शक्ति सामाजिक नियमों पर आधारित है, जबकि सत्ता बल प्रयोग करती है।
    4. इनमें कोई अंतर नहीं है।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर के अनुसार, शक्ति किसी व्यक्ति या समूह की अपनी इच्छा को दूसरों पर थोपने की क्षमता है, भले ही दूसरे इसका विरोध करें। यह बल प्रयोग या मजबूरी पर आधारित हो सकती है। दूसरी ओर, सत्ता (authority) वह शक्ति है जिसे वैध माना जाता है, यानी लोग स्वेच्छा से इसका पालन करते हैं क्योंकि वे इसे सही या न्यायोचित मानते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सत्ता के तीन प्रकार (परंपरागत, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत) उसी वैधता को दर्शाते हैं।
  • गलत विकल्प: शक्ति बल प्रयोग कर सकती है, लेकिन यह हमेशा अवैध नहीं होती। सत्ता हमेशा वंशानुगत नहीं होती। शक्ति और बल प्रयोग के बीच संबंध है, लेकिन यह उनकी परिभाषा नहीं है।

  • प्रश्न 23: ‘पारिवारिक विघटन’ (Family Disorganization) का एक प्रमुख सामाजिक कारण क्या हो सकता है?

    1. मजबूत सामुदायिक संबंध
    2. बढ़ता हुआ तलाक दर
    3. पारंपरिक मूल्य-आधारित शिक्षा
    4. ग्रामीण क्षेत्रों में संयुक्त परिवार

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बढ़ता हुआ तलाक दर सामाजिक रूप से पारिवारिक विघटन का एक प्रत्यक्ष और महत्वपूर्ण कारण है। यह विवाह की संस्था को कमजोर करता है और परिवारों को तोड़ने में योगदान देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: तलाक के अलावा, अन्य कारण जैसे औद्योगीकरण, शहरीकरण, महिलाओं की बदलती भूमिकाएँ, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बढ़ता जोर भी पारिवारिक संरचना को प्रभावित कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: मजबूत सामुदायिक संबंध और पारंपरिक मूल्य-आधारित शिक्षा अक्सर परिवारों को मजबूत बनाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संयुक्त परिवार को भी आमतौर पर पारिवारिक एकता का प्रतीक माना जाता है।

  • प्रश्न 24: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

    1. किसी समाज में लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
    2. समाज में विभिन्न समूहों के बीच संबंध।
    3. व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक प्रस्थिति से दूसरी सामाजिक प्रस्थिति में जाना।
    4. समाज में प्रचलित सांस्कृतिक मूल्यों का समूह।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है समाज के भीतर व्यक्तियों या समूहों की सामाजिक सीढ़ी (hierarchy) पर ऊपर या नीचे की ओर खिसकना। इसमें प्रस्थिति, वर्ग, या जीवन शैली में परिवर्तन शामिल हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसे ऊर्ध्वाधर (vertical) या क्षैतिज (horizontal) गतिशीलता के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: भौगोलिक गतिशीलता (एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना) का तात्पर्य यह नहीं है कि सामाजिक प्रस्थिति में परिवर्तन हुआ हो। समूहों के बीच संबंध या सांस्कृतिक मूल्य सामाजिक गतिशीलता की परिभाषा नहीं हैं।

  • प्रश्न 25: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का एक अनिवार्य घटक क्या है?

    1. जनसंख्या की पूर्ण समानता
    2. धर्म का पूर्ण उन्मूलन
    3. तर्कसंगतता, नौकरशाही और तकनीकी विकास
    4. सभी पारंपरिक संस्थाओं का विनाश

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण को अक्सर तर्कसंगतता (rationality), वैज्ञानिक सोच, तकनीकी विकास, औद्योगीकरण, शहरीकरण और प्रभावी नौकरशाही के विकास जैसी विशेषताओं के साथ जोड़ा जाता है। यह पारंपरिक समाजों से औद्योगिक और सूचना-आधारित समाजों की ओर एक क्रमिक परिवर्तन है।
  • संदर्भ और विस्तार: मैक्सी वेबर ने तर्कसंगतता और नौकरशाही के उदय को आधुनिकीकरण का प्रमुख कारक माना था।
  • गलत विकल्प: आधुनिकीकरण का अर्थ पूर्ण समानता या धर्म का पूर्ण उन्मूलन नहीं है। यद्यपि पारंपरिक संस्थाएँ बदलती हैं, उनका पूर्ण विनाश आवश्यक नहीं है, और वे नई व्यवस्थाओं के साथ सह-अस्तित्व में रह सकती हैं।

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