समाजशास्त्र महारत: दैनिक प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी पकड़ मजबूत करें।
तैयारी के मैदान में एक और दिन, एक और बौद्धिक मुकाबला! आज की समाजशास्त्र प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। यह सिर्फ प्रश्न हल करना नहीं है, बल्कि समाजशास्त्र की दुनिया में अपनी दक्षता को गहरा करने का एक अवसर है। आइए, आज ही अपनी समझ को एक नया आयाम दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “अभिजात वर्ग के परिभ्रमण” (Circulation of Elites) का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- विल्फ्रेडो पेरेटो
- सी. राइट मिल्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: विल्फ्रेडो पेरेटो, एक इतालवी समाजशास्त्री, ने अपने “अभिजात वर्ग के परिभ्रमण” के सिद्धांत को विकसित किया। उन्होंने तर्क दिया कि समाज हमेशा एक अभिजात वर्ग और एक गैर-अभिजात वर्ग में विभाजित होता है, और अभिजात वर्ग लगातार इन दो समूहों के बीच घूमता रहता है, जिससे सामाजिक गतिशीलता बनी रहती है।
- संदर्भ और विस्तार: पेरेटो ने अपनी प्रसिद्ध कृति “द माइंड एंड सोसाइटी” (1916) में इस अवधारणा का वर्णन किया। उनके अनुसार, अभिजात वर्ग के भीतर ही प्रतिभा और शक्ति का पुनर्वितरण होता है, जो सामाजिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया, मैक्स वेबर ने सत्ता और नौकरशाही पर, और सी. राइट मिल्स ने “शक्ति अभिजन” (Power Elite) की अवधारणा दी, जो पेरेटो के परिभ्रमण से भिन्न है।
प्रश्न 2: निम्न में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा विकसित की गई है?
- सामाजिक विभेदन (Social Differentiation)
- सामूहिक चेतना (Collective Conscience)
- प्रत्यक्षवाद (Positivism)
- सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: एमिल दुर्खीम ने “सामूहिक चेतना” (Collective Conscience) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है समाज के सदस्यों के विश्वासों, भावनाओं और मूल्यों का कुल योग। यह समाज को एकजुट रखती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” (1893) में इसे समझाया। उनका मानना था कि सामाजिक एकजुटता (Solidarity) के लिए सामूहिक चेतना महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: प्रत्यक्षवाद एक पद्धति है जिसे ऑगस्ट कॉम्टे से जोड़ा जाता है। सामाजिक विभेदन अक्सर समाजशास्त्रीय विश्लेषण में प्रयोग होता है लेकिन दुर्खीम की केंद्रीय अवधारणा नहीं। सांस्कृतिक विलंब विलियम ओगबर्न की अवधारणा है।
प्रश्न 3: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रतिपादकों में कौन शामिल हैं?
- अगस्ट कॉम्टे और एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड और हरबर्ट ब्लूमर
- टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का जनक माना जाता है, और हरबर्ट ब्लूमर ने इस दृष्टिकोण को व्यवस्थित रूप से परिभाषित और लोकप्रिय बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति सामाजिक दुनिया के साथ कैसे अंतःक्रिया करते हैं और कैसे वे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से अर्थ का निर्माण करते हैं। मीड के विचारों को उनकी मृत्यु के बाद ब्लूमर द्वारा संकलित किया गया था, जिन्होंने “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” शब्द गढ़ा था।
- गलत विकल्प: कॉम्टे और दुर्खीम प्रकार्यवाद/वास्तव्यवाद से जुड़े हैं, मार्क्स वर्ग संघर्ष से, और पार्सन्स/मर्टन संरचनात्मक प्रकार्यवाद से।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का एक रूप है?
- परिवार
- समुदाय
- वर्ग (Class)
- जेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: वर्ग (Class) सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख रूप है, जो लोगों को उनकी आर्थिक स्थिति, शक्ति और प्रतिष्ठा के आधार पर एक पदानुक्रमित व्यवस्था में वर्गीकृत करता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज में लोगों के असमान वितरण को संदर्भित करता है। अन्य उदाहरणों में जाति, लिंग और आयु शामिल हैं। कार्ल मार्क्स ने आर्थिक वर्ग को समाज के विभाजन का मुख्य आधार माना।
- गलत विकल्प: परिवार एक प्राथमिक सामाजिक संस्था है। समुदाय लोगों का एक समूह है। जेल एक संस्था है, न कि स्तरीकरण का ढांचा।
प्रश्न 5: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत “संस्कृतिकरण” (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- किसी निम्न जाति का उच्च जाति की परंपराओं को अपनाना
- तकनीकी विकास को अपनाना
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: संस्कृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दिया गया एक महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय शब्द है, जो निचली या मध्यम जातियों द्वारा उच्च, विशेषकर द्विजातियों की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विचारधाराओं और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करता है ताकि वे अपनी सामाजिक स्थिति को सुधार सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा विशेष रूप से भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” (1952) में पहली बार प्रस्तावित की गई थी।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। तकनीकी या शहरी जीवन शैली को अपनाना आधुनिकीकरण या शहरीकरण से जुड़ा है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति (Sociological Methodology) व्यक्ति के व्यक्तिगत अनुभवों और उनके द्वारा दुनिया को दिए गए अर्थों पर जोर देती है?
- प्रायोगिक विधि (Experimental Method)
- सहसंबंधात्मक विधि (Correlational Method)
- व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
- प्रश्नावली विधि (Questionnaire Method)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: व्याख्यात्मक समाजशास्त्र, जिसे अक्सर “फेनोमेनोलॉजी” या “वेरस्टेहेन” (Verstehen) के रूप में भी जाना जाता है, व्यक्तियों द्वारा अपनी क्रियाओं और सामाजिक दुनिया को दिए गए व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर केंद्रित है।
- संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक थे। उनका मानना था कि सामाजिक घटनाओं को पूरी तरह से समझने के लिए, समाजशास्त्री को उन व्यक्तियों के दृष्टिकोण से देखना चाहिए जो उन घटनाओं में संलग्न हैं।
- गलत विकल्प: प्रायोगिक विधि नियंत्रण और चर के बीच कारण-प्रभाव संबंध पर जोर देती है। सहसंबंधात्मक विधि चरों के बीच संबंध का अध्ययन करती है। प्रश्नावली एक डेटा संग्रह उपकरण है, पद्धति नहीं।
प्रश्न 7: “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, जिसका अर्थ है उत्पादन की प्रक्रिया से श्रमिक का विच्छेदन, किसने दी?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों द्वारा अनुभव किए जाने वाले अलगाव की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, उत्पादन की प्रक्रिया, अपनी स्वयं की प्रजाति-सार (species-essence), और अन्य मनुष्यों से अलग हो जाते हैं। यह उनकी पुस्तक “इकॉनॉमिक एंड फिलोसॉफिक मेन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844” में प्रमुखता से चर्चा की गई है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने “एनोमी” (Anomie) की अवधारणा दी, वेबर ने “तर्कसंगतता” (Rationality) पर जोर दिया, और कॉम्टे प्रत्यक्षवाद के जनक थे।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था समाज के सदस्यों के समाजीकरण (Socialization) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
- सरकार
- पुलिस
- स्कूल
- अदालत
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: स्कूल एक प्राथमिक संस्था है जो बच्चों को समाज के मानदंडों, मूल्यों, ज्ञान और कौशल सिखाकर उनके समाजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संदर्भ और विस्तार: समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज का सदस्य बनना सीखते हैं। परिवार के बाद, स्कूल अक्सर बच्चों के सामाजिकरण में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है, जो उन्हें साथियों और शिक्षकों के साथ बातचीत करना सिखाता है।
- गलत विकल्प: सरकार, पुलिस और अदालतें सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर प्राथमिक समाजीकरण का कार्य नहीं करती हैं जैसे कि स्कूल करता है।
प्रश्न 9: “एनोमी” (Anomie) की स्थिति, जो सामाजिक मानदंडों की अनुपस्थिति या क्षरण से उत्पन्न होती है, यह अवधारणा किससे संबंधित है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: इमाइल दुर्खीम ने “एनोमी” की अवधारणा को समाज की एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जहाँ पारंपरिक सामाजिक नियंत्रण समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति के लिए कोई स्पष्ट मानदंड या नियम नहीं रह जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने इसे अपनी पुस्तक “द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” और विशेष रूप से आत्महत्या के अध्ययन में, “सुसाइड” (1897) में, अनैच्छिक आत्महत्या के एक कारण के रूप में विस्तृत किया। यह तब होता है जब सामाजिक संरचना व्यक्ति की आकांक्षाओं को नियंत्रित करने में विफल रहती है।
- गलत विकल्प: मार्क्स अलगाव से, वेबर सत्ता और नौकरशाही से, और मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।
प्रश्न 10: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, “जातिगत पंचायत” (Caste Panchayat) का मुख्य कार्य क्या है?
- अंतर-जातीय विवाह को बढ़ावा देना
- जाति के सदस्यों के बीच सामाजिक व्यवहार को विनियमित करना
- आर्थिक विकास के लिए धन जुटाना
- धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 11: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा घटक सबसे उपयुक्त है?
- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत भावनाएँ
- समाज के विभिन्न भागों के बीच स्थापित संबंध और पैटर्न
- किसी समुदाय के सदस्यों के बीच अनौपचारिक बातचीत
- किसी समस्या का तत्काल समाधान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सामाजिक संरचना समाज के भीतर विभिन्न संस्थाओं, समूहों और व्यक्तियों के बीच अपेक्षाकृत स्थिर पैटर्न और संबंधों को संदर्भित करती है। यह समाज का ढाँचा प्रदान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना पर जोर दिया है। इसमें संस्थाएं (जैसे परिवार, सरकार), सामाजिक भूमिकाएँ, सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक मानदंड शामिल हैं, जो समाज के कामकाज को व्यवस्थित करते हैं।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत भावनाएँ और अनौपचारिक बातचीत सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) हैं और सामाजिक संरचना का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं। तत्काल समाधान एक प्रक्रिया है, संरचना नहीं।
प्रश्न 12: “कल्ट” (Cult) की तुलना में “सेक्ट” (Sect) के बारे में क्या सच है, जैसा कि समाजशास्त्र में परिभाषित किया गया है?
- सेक्ट समाज के साथ अधिक एकीकृत होता है
- सेक्ट के सदस्य अधिक कट्टरपंथी होते हैं
- सेक्ट का नेतृत्व अधिक करिश्माई होता है
- सेक्ट छोटे और कम संगठित होते हैं
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: समाजशास्त्र में, “सेक्ट” को आम तौर पर “कल्ट” की तुलना में समाज के साथ अधिक एकीकृत और मुख्यधारा के विश्वासों के करीब माना जाता है। सेक्ट अक्सर एक बड़े धर्म से अलग हुए होते हैं, जबकि कल्ट आमतौर पर एक नए और पूरी तरह से अलग धार्मिक आंदोलन के रूप में शुरू होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अर्नेस्ट ट्रोल्ट्स (Ernst Troeltsch) जैसे समाजशास्त्रियों ने चर्च, सेक्ट और कल्ट के बीच अंतर किया। सेक्ट अधिक स्वीकार्य होते हैं और कभी-कभी चर्च बनने की ओर अग्रसर होते हैं।
- गलत विकल्प: कल्ट अक्सर अधिक अलगाववादी या कट्टरपंथी होते हैं और उनके नेता करिश्माई हो सकते हैं, जबकि सेक्ट समाज के साथ अधिक अनुकूलित होते हैं।
प्रश्न 13: “शक्ति अभिजन” (Power Elite) की अवधारणा, जो आधुनिक समाज में निर्णय लेने पर कुछ प्रमुख व्यक्तियों के नियंत्रण पर प्रकाश डालती है, किसने प्रस्तुत की?
- मैक्स वेबर
- सी. राइट मिल्स
- रॉबर्ट मिचेल्स
- विलफ्रेडो पेरेटो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक “द पावर एलीट” (1956) में “शक्ति अभिजन” की अवधारणा विकसित की। उन्होंने तर्क दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे आधुनिक समाजों में, शक्ति कुछ शक्तिशाली व्यक्तियों के छोटे समूह के हाथों में केंद्रित है, जो कॉर्पोरेट, सैन्य और राजनीतिक क्षेत्रों से आते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मिल्स ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे ये समूह अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए गुप्त रूप से निर्णय लेते हैं, जिससे आम जनता की शक्ति सीमित हो जाती है।
- गलत विकल्प: वेबर ने सत्ता और अधिकार पर काम किया, मिचेल्स ने “ओलिगार्की के लौह नियम” (Iron Law of Oligarchy) की बात की, और पेरेटो ने अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की चर्चा की।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा “प्राथमिक समूह” (Primary Group) का सबसे अच्छा उदाहरण है?
- एक विश्वविद्यालय की कक्षा
- एक राजनीतिक दल
- एक परिवार
- एक कारख़ाना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: एक परिवार प्राथमिक समूह का उत्कृष्ट उदाहरण है। चार्ल्स कूले (Charles Cooley) ने इस शब्द को गढ़ा था, जिसमें छोटे, घनिष्ठ समूह शामिल हैं जहाँ सदस्यों के बीच आमने-सामने, व्यक्तिगत और स्थायी संबंध होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार में भावनात्मक जुड़ाव, सहयोग और साझा पहचान की भावना मजबूत होती है। अन्य प्राथमिक समूह मित्र मंडली, सहकर्मी समूह आदि हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: एक विश्वविद्यालय की कक्षा, एक राजनीतिक दल और एक कारख़ाना माध्यमिक समूह (Secondary Groups) के उदाहरण हैं, जहाँ संबंध अधिक औपचारिक, impersonal और उद्देश्य-उन्मुख होते हैं।
प्रश्न 15: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?
- समाज में लोगों का भौगोलिक स्थानांतरण
- समाज में लोगों की स्थिति या रैंक में परिवर्तन
- समाज में व्यक्तियों की बढ़ती उम्र
- समाज में विभिन्न वर्गों का एक दूसरे से मिलना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सामाजिक गतिशीलता व्यक्ति या समूहों द्वारा अपनी सामाजिक स्थिति या पद में ऊपर या नीचे की ओर किए जाने वाले परिवर्तन को संदर्भित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) शामिल है, जहाँ कोई अपनी स्थिति को सुधारता या बिगाड़ता है, और क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility), जहाँ कोई उसी सामाजिक स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाता है।
- गलत विकल्प: भौगोलिक स्थानांतरण प्रवास है। व्यक्तियों की बढ़ती उम्र विकास है। वर्गों का मिलना सामान्य अंतःक्रिया है, न कि स्थिति में परिवर्तन।
प्रश्न 16: “संस्थागत आय” (Institutionalized Discrimination) क्या है?
- व्यक्तिगत पूर्वाग्रह के कारण होने वाला भेदभाव
- कानूनों और नीतियों में निहित भेदभाव
- जानबूझकर किया गया व्यक्तिगत भेदभाव
- कार्यस्थल पर होने वाला भेदभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: संस्थागत आय वह भेदभाव है जो समाज की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की संरचना, कामकाज और नीतियों में अंतर्निहित होता है। यह प्रणालीगत होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर अनजाने में होता है और किसी एक व्यक्ति के पूर्वाग्रहों से अधिक समाज की स्थापित प्रथाओं और संरचनाओं से उत्पन्न होता है। उदाहरणों में आवासीय अलगाव या ऐतिहासिक रूप से कुछ समूहों के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक पहुँच में असमानता शामिल है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत पूर्वाग्रह व्यक्तिगत भेदभाव है। जानबूझकर किया गया व्यक्तिगत भेदभाव भी व्यक्तिगत स्तर पर होता है। कार्यस्थल पर भेदभाव का एक रूप हो सकता है, लेकिन संस्थागत आय उससे कहीं अधिक व्यापक है।
प्रश्न 17: टैल्कॉट पार्सन्स के “संरचनात्मक प्रकार्यवाद” (Structural Functionalism) में, “सब-सिस्टम” (Sub-systems) का कार्य क्या होता है?
- किसी भी समाज की व्यक्तिगत इच्छाओं को पूरा करना
- समाज के भीतर विभिन्न संस्थाओं के विशिष्ट कार्यों का प्रदर्शन करना
- समाज पर बाहरी शत्रुओं से रक्षा करना
- समाज के सदस्यों के बीच संघर्ष को बढ़ावा देना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: पार्सन्स ने तर्क दिया कि समाज एक जटिल प्रणाली है जिसमें परस्पर जुड़े हुए उप-प्रणालियाँ होती हैं, जिनमें से प्रत्येक समाज की समग्र स्थिरता और कामकाज में योगदान करने के लिए एक विशिष्ट कार्य करती है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने “AGIL” मॉडल (अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, अव्यवस्था सहिष्णुता) का प्रस्ताव दिया, जो चार प्रमुख प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें प्रत्येक समाज को पूरा करना होता है। परिवार, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और सरकार जैसी संस्थाएं इन उप-प्रणालियों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- गलत विकल्प: उप-प्रणालियाँ व्यक्तिगत इच्छाओं को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए होती हैं। वे बाहरी शत्रुओं से रक्षा या संघर्ष को बढ़ावा नहीं देतीं, बल्कि संतुलन और एकीकरण को बनाए रखती हैं।
प्रश्न 18: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा, जो समाज में विभिन्न सांस्कृतिक तत्वों के असमान दर से बदलने का वर्णन करती है, किसने प्रतिपादित की?
- विलियम ग्राहम समनर
- विलियम एफ. ओगबर्न
- हर्बर्ट स्पेंसर
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: विलियम एफ. ओगबर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका तर्क था कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे तकनीक, उपकरण) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, कानून, मूल्य) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे एक “विलंब” होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विलंब सामाजिक समस्याओं और संघर्षों को जन्म दे सकता है क्योंकि समाज को नई प्रौद्योगिकियों और आविष्कारों के अनुकूल होने में कठिनाई होती है।
- गलत विकल्प: समनर “लोकप्रिय प्रथाओं” (Folkways) और “रूढ़ियों” (Mores) के बीच अंतर के लिए जाने जाते हैं। स्पेंसर विकासवाद से जुड़े थे, और पार्क शहरी समाजशास्त्र से।
प्रश्न 19: भारतीय समाज में, “कुल” (Gotra) व्यवस्था मुख्य रूप से किस पर आधारित है?
- पिता का वंश
- माता का वंश
- दादा का वंश
- सामान्यता का संबंध
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: भारतीय संदर्भ में, गोत्र व्यवस्था (Gotra system) आमतौर पर पितृवंशीय (Patrilineal) होती है, जिसका अर्थ है कि वंश पिता से पुत्र की ओर चलता है। एक ही गोत्र के सदस्यों को भाई-बहन माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था के कारण, समान गोत्र के सदस्यों के बीच विवाह वर्जित माना जाता है (अंतर-विवाह)। यह व्यवस्था प्राचीन वैदिक काल से चली आ रही है और आज भी कई समुदायों में प्रासंगिक है।
- गलत विकल्प: हालांकि कुछ मातृवंशीय (Matrilineal) समाज मौजूद हैं, भारत में अधिकांश प्रमुख समुदायों में गोत्र व्यवस्था पितृवंशीय ही है। माता या दादा के वंश पर आधारित होने का दावा गलत है। सामान्यता का संबंध बहुत व्यापक शब्द है।
प्रश्न 20: “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा, जिसे बाहरी और बाध्यकारी के रूप में परिभाषित किया गया है, किसने पेश की?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- इमाइल दुर्खीम
- हरबर्ट ब्लूमर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: इमाइल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा को समाजशास्त्र की मूल इकाई के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इसे “सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके” के रूप में वर्णित किया जो व्यक्ति के बाहर मौजूद हैं और उस पर एक बाध्यकारी शक्ति डालते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “समाजशास्त्रीय विधि के नियम” (The Rules of Sociological Method) में प्रमुखता से प्रस्तुत की गई है। उदाहरणों में कानून, नैतिक नियम, रीति-रिवाज और सामूहिक विश्वास शामिल हैं।
- गलत विकल्प: वेबर व्यक्तिपरक अर्थों पर, मार्क्स वर्ग संघर्ष पर, और ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रिया पर जोर देते हैं।
प्रश्न 21: “आधुनिकीकरण” (Modernization) के सिद्धांत के अनुसार, पारंपरिक समाज की क्या विशेषता होती है?
- उच्च स्तर का औद्योगीकरण
- धर्मनिरपेक्ष और तर्कसंगत मूल्य
- कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और वंशानुगत नेतृत्व
- सार्वभौमिकतावाद (Universalism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: आधुनिकीकरण सिद्धांत पारंपरिक समाजों को उन समाजों के रूप में देखता है जो मुख्य रूप से कृषि पर आधारित होते हैं, जिनमें सामाजिक संबंध व्यक्तिगत और विशिष्ट (particularistic) होते हैं, और नेतृत्व अक्सर वंशानुगत या पारंपरिक होता है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण इन लक्षणों से दूर विकास की ओर बढ़ने की प्रक्रिया है, जहाँ औद्योगीकरण, धर्मनिरपेक्षता, तर्कसंगतता और सार्वभौमिकतावाद (universalism) प्रमुख हो जाते हैं।
- गलत विकल्प: उच्च औद्योगीकरण, धर्मनिरपेक्ष मूल्य और सार्वभौमिकतावाद आधुनिकीकरण के परिणाम या आधुनिक समाज की विशेषताएं हैं, न कि पारंपरिक समाज की।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा “महान परंपरा” (Great Tradition) और “लघु परंपरा” (Little Tradition) की अवधारणा से जुड़ा है, जैसा कि रॉबर्ट रेडफील्ड ने प्रस्तुत किया है?
- सामाजिक स्तरीकरण
- धार्मिक अध्ययन
- लोकप्रिय संस्कृति का अध्ययन
- सामुदायिक अध्ययन
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: रॉबर्ट रेडफील्ड ने “महान परंपरा” (संस्कृत, साहित्यिक और विशेषाधिकार प्राप्त समूहों के ज्ञान और प्रथाओं का प्रतिनिधित्व करती है) और “लघु परंपरा” (ग्राम्य जीवन, लोककथाओं और सामान्य लोगों की प्रथाओं का प्रतिनिधित्व करती है) के बीच अंतर करने के लिए इन अवधारणाओं का उपयोग किया। ये विशेष रूप से उनके सामुदायिक अध्ययनों में सामने आए।
- संदर्भ और विस्तार: रेडफील्ड ने मेक्सिको के गांवों पर अपने शोध में इन अवधारणाओं का उपयोग ग्रामीण समाजों में सांस्कृतिक परिवर्तन और एकीकरण को समझने के लिए किया।
- गलत विकल्प: यद्यपि ये परंपराएं सामाजिक स्तरीकरण, धर्म और संस्कृति से संबंधित हैं, ये अवधारणाएं सीधे तौर पर “सामुदायिक अध्ययन” के विश्लेषण उपकरण के रूप में रेडफील्ड द्वारा उपयोग की गई थीं।
प्रश्न 23: “तर्कसंगतता” (Rationalization) की प्रक्रिया, जो आधुनिक समाज की एक प्रमुख विशेषता है, किसने विस्तृत रूप से समझाई?
- कार्ल मार्क्स
- इमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- सिग्मंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: मैक्स वेबर ने तर्कसंगतता को पश्चिमी समाजों में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रक्रिया के रूप में विस्तृत किया, जिसमें दक्षता, गणना और पूर्वानुमेयता के सिद्धांतों के आधार पर सामाजिक जीवन के सभी पहलुओं का संगठन शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy) को तर्कसंगतता का एक प्रमुख रूप माना, और पूंजीवाद के उदय में इसकी भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि तर्कसंगतता “लोहे का पिंजरा” (Iron Cage) बना सकती है।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष पर, दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और एनोमी पर, और फ्रायड ने मनोविश्लेषण पर काम किया।
प्रश्न 24: भारत में “धार्मिक अल्पसंख्यकों” (Religious Minorities) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कारक अक्सर उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है?
- उनकी भौगोलिक अवस्थिति
- उनके पारंपरिक पेशे
- शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक उनकी पहुँच
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को कई कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें उनकी भौगोलिक अवस्थिति (क्या वे केंद्रित हैं या बिखरे हुए हैं), उनके पारंपरिक पेशे (जो उनकी आय और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकते हैं), और शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक उनकी पहुँच (जो अक्सर संरचनात्मक और संस्थागत पूर्वाग्रहों से प्रभावित होती है) शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत जैसे बहुलवादी समाज में, इन सभी कारकों का एक साथ विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है जब हम धार्मिक अल्पसंख्यकों के अनुभव को समझते हैं।
- गलत विकल्प: ये सभी कारक परस्पर जुड़े हुए हैं और समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को आकार देने में भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 25: “समाजशास्त्रीय कल्पनाशक्ति” (Sociological Imagination) की अवधारणा, जो व्यक्तिगत समस्याओं और व्यापक सामाजिक संरचनाओं के बीच संबंध को समझने की क्षमता है, किसने विकसित की?
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- सी. राइट मिल्स
- एल्बन वोल्फ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सी. राइट मिल्स ने अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक “द सोशियोलॉजिकल इमेजिनेशन” (1959) में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने तर्क दिया कि समाजशास्त्र का कार्य व्यक्तिगत जीवनी (biography) को सामाजिक इतिहास (social history) से जोड़ना है।
- संदर्भ और विस्तार: मिल्स के अनुसार, समाजशास्त्रीय कल्पनाशक्ति हमें व्यक्तिगत दुविधाओं (जैसे बेरोजगारी, तलाक) को व्यापक सामाजिक मुद्दों (जैसे आर्थिक मंदी, सामाजिक परिवर्तन) से जोड़ने में मदद करती है। यह हमारे व्यक्तिगत अनुभवों को सार्वजनिक मुद्दों के लेंस से देखने की क्षमता है।
- गलत विकल्प: वेबर, दुर्खीम और वोल्फ (जो मिल्स के काम में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे) अन्य महत्वपूर्ण योगदानों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन समाजशास्त्रीय कल्पनाशक्ति का श्रेय मिल्स को जाता है।