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समाजशास्त्र महारत: आज का अभ्यास

समाजशास्त्र महारत: आज का अभ्यास

नमस्ते, समाजशास्त्र के जिज्ञासु उम्मीदवारों! क्या आप अपनी विश्लेषणात्मक क्षमता और वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्नों का एक विशेष सेट, जो आपकी आगामी परीक्षाओं के लिए आपकी तैयारी को और मजबूत करेगा। आइए, अपने ज्ञान की सीमा को बढ़ाएं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. विलियम ग्राहम समनर
  4. ऑगस्ट कॉम्त

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फोल्कवेज’ (Folkways) में ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ की अवधारणा का वर्णन किया है। यह तब होता है जब समाज के भौतिक तत्व (जैसे प्रौद्योगिकी) गैर-भौतिक तत्वों (जैसे कानून, रीति-रिवाज, मान्यताएँ) की तुलना में तेजी से बदलते हैं, जिससे सामाजिक असंतुलन पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समनर ने भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति के बीच इस विचलन पर जोर दिया। उदाहरण के लिए, इंटरनेट और सोशल मीडिया का प्रसार बहुत तेज है, जबकि इनसे जुड़े सामाजिक और नैतिक नियम अभी भी विकसित हो रहे हैं।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘ऐतिहासिक भौतिकवाद’ के लिए जाने जाते हैं। मैक्स वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘बुद्धिजीवीकरण’ जैसी अवधारणाएँ दीं। ऑगस्ट कॉम्त को ‘समाजशास्त्र का जनक’ कहा जाता है और उन्होंने ‘धनात्मकता’ (Positivism) का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्र का एक प्रकार्यवादी (Functionalist) विचारक नहीं है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. टैल्कॉट पार्सन्स
  3. रॉबर्ट मर्टन
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड एक प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के प्रमुख विचारक हैं, प्रकार्यवाद के नहीं। उन्होंने ‘स्व’ (Self) के विकास और समाज में व्यक्ति की भूमिका को समझने पर जोर दिया, जो मुख्य रूप से व्यक्ति-से-व्यक्ति के संबंधों पर केंद्रित था।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रकार्यवाद समाज को एक जटिल तंत्र के रूप में देखता है जिसके विभिन्न भाग (संस्थाएँ) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं ताकि समाज की स्थिरता बनी रहे। दुर्खीम, पार्सन्स और मर्टन सभी प्रकार्यवाद के प्रमुख समर्थक थे, हालांकि उनके दृष्टिकोण में भिन्नता थी (जैसे मर्टन के ‘प्रकट’ और ‘अप्रकट’ प्रकार्य)।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम को प्रकार्यवाद का एक प्रमुख संस्थापक माना जाता है (जैसे, सामाजिक एकजुटता)। टैल्कॉट पार्सन्स ने प्रकार्यवाद को एक व्यवस्थित सिद्धांत के रूप में विकसित किया (जैसे, AGIL मॉडल)। रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद में संशोधन किया और ‘अनुकूलित प्रकार्य’ (Dysfunction) तथा ‘अप्रकट प्रकार्य’ (Latent Function) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाएँ दीं।

प्रश्न 3: ‘सामाजिक विभेदन’ (Social Differentiation) और ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

  1. सामाजिक विभेदन समानता पर आधारित है, जबकि स्तरीकरण असमानता पर।
  2. सामाजिक विभेदन केवल औपचारिक है, जबकि स्तरीकरण अनौपचारिक है।
  3. सामाजिक विभेदन कार्यों का विभाजन है, जबकि स्तरीकरण शक्ति और संसाधनों के असमान वितरण से संबंधित है।
  4. सामाजिक विभेदन केवल ऐतिहासिक है, जबकि स्तरीकरण समकालीन है।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक विभेदन समाज में विभिन्न भूमिकाओं और कार्यों के आधार पर लोगों के बीच अंतर करने की प्रक्रिया है, जो आमतौर पर विशेषज्ञता से जुड़ी होती है (जैसे, डॉक्टर, शिक्षक)। सामाजिक स्तरीकरण समाज में विभिन्न समूहों के बीच पदानुक्रमित (hierarchical) व्यवस्था है, जो संपत्ति, शक्ति और प्रतिष्ठा जैसे संसाधनों के असमान वितरण पर आधारित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: विभेदन हमेशा असमानता को जन्म नहीं देता, लेकिन स्तरीकरण हमेशा असमानता का प्रतिनिधित्व करता है। समाजशास्त्रीय रूप से, विभेदन सामाजिक संरचना का एक अनिवार्य हिस्सा हो सकता है, जबकि स्तरीकरण एक सामाजिक समस्या के रूप में देखा जाता है।
  • गलत विकल्प: विभेदन समानता पर आधारित नहीं होता, बल्कि कार्यों के आधार पर होता है। दोनों औपचारिक और अनौपचारिक दोनों हो सकते हैं। विभेदन केवल ऐतिहासिक नहीं है, बल्कि समकालीन समाजों में भी मौजूद है।

प्रश्न 4: निम्न में से कौन सी पुस्तक चार्ल्स कूली (Charles Cooley) द्वारा लिखी गई है?

  1. द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोल्यूशन्स
  2. सोशल ऑर्गनाइजेशन
  3. द एथिक्स ऑफ कम्पटीशन
  4. द फॅमिली: अ प्रोवोकेटिव इनेमिरेशन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: चार्ल्स कूली ने ‘सोशल ऑर्गनाइजेशन’ (Social Organization) पुस्तक लिखी है, जिसमें उन्होंने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) और ‘दर्पण-स्व’ (Looking-glass Self) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाएँ प्रस्तुत की हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूह वे होते हैं जहाँ घनिष्ठ, आमने-सामने का संबंध और सहयोग होता है (जैसे परिवार, मित्र मंडली)। ‘दर्पण-स्व’ का अर्थ है कि हमारा स्व-बोध दूसरों की प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करता है, जैसे हम दूसरों की नज़रों में खुद को देखते हैं।
  • गलत विकल्प: ‘द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोल्यूशन्स’ थॉमस कुह्न की पुस्तक है। ‘द एथिक्स ऑफ कम्पटीशन’ फ्रैंक नाइट की है। ‘द फॅमिली: अ प्रोवोकेटिव इनेमिरेशन’ जॉर्ज पीटर मर्डॉक की है।

प्रश्न 5: भारतीय संदर्भ में, ‘सत्यार्थ प्रकाश’ किस सामाजिक-धार्मिक सुधारक से जुड़ा है?

  1. स्वामी विवेकानंद
  2. राजा राममोहन राय
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती
  4. ज्योतिबा फुले

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ‘सत्यार्थ प्रकाश’ स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो आर्य समाज के संस्थापक थे। यह पुस्तक वेदों के सिद्धांतों का प्रसार करती है और तत्कालीन सामाजिक कुरीतियों का खंडन करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘भारत भारतीयों के लिए है’ का नारा दिया और वेदों की ओर लौटो का संदेश दिया। उन्होंने बाल विवाह, जातिगत भेदभाव और बहुदेववाद का विरोध किया।
  • गलत विकल्प: स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और अद्वैत वेदांत का प्रचार किया। राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की और सती प्रथा के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ज्योतिबा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की और दलितों व महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया।

प्रश्न 6: ‘गुलामों का बाजार’ (Slave Market) किस प्रकार की सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था का उदाहरण है?

  1. वर्ग (Class)
  2. जाति (Caste)
  3. दासत्व (Slavery)
  4. संपदा (Estate)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: दासत्व (Slavery) एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ व्यक्ति को संपत्ति के रूप में खरीदा, बेचा या नियंत्रित किया जाता है। ‘गुलामों का बाजार’ सीधे तौर पर दासता व्यवस्था का प्रतीक है, जहाँ मनुष्यों का वस्तु की तरह क्रय-विक्रय होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दासत्व में व्यक्ति की स्वतंत्रता पूर्णतः छीन ली जाती है और उसे मालिक की संपत्ति माना जाता है। यह स्तरीकरण का सबसे चरम रूप हो सकता है जहाँ कोई सामाजिक गतिशीलता नहीं होती।
  • गलत विकल्प: वर्ग व्यवस्था में आय, धन और व्यवसाय के आधार पर स्थिति तय होती है और कुछ हद तक गतिशीलता संभव है। जाति व्यवस्था में जन्म के आधार पर स्थिति तय होती है और गतिशीलता लगभग नगण्य होती है, लेकिन दासत्व जैसा व्यक्ति का स्वामित्व नहीं होता। संपदा व्यवस्था सामंती काल में प्रचलित थी, जहाँ समाज को विभिन्न संपदाओं (जैसे पादरी, कुलीन, कृषक) में विभाजित किया गया था।

प्रश्न 7: ‘प्रतिमान विचलन’ (Pattern Deviation) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

  1. रॉबर्ट मर्टन
  2. ट्रैविस्ट पार्सन्स
  3. हॉवर्ड बेकर
  4. किंग्सले डेविस

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रतिमान विचलन’ (Pattern Deviation) या ‘विसंगति सिद्धांत’ (Strain Theory) का विस्तार किया। उनका मानना था कि समाज द्वारा निर्धारित सांस्कृतिक लक्ष्यों और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के वैध साधनों के बीच विसंगति (Strain) विचलन को जन्म देती है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने विचलन के पाँच प्रकार बताए: अनुरूपता (Conformity), नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), प्रतिगमन (Retreatism), और विद्रोह (Rebellion)। ‘प्रतिमान विचलन’ में नवाचार, अनुष्ठानवाद और प्रतिगमन जैसे रूप शामिल हो सकते हैं जहाँ व्यक्ति या तो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अवैध साधनों का उपयोग करता है, या लक्ष्यों को छोड़ देता है लेकिन साधनों को बनाए रखता है, या दोनों को छोड़ देता है।
  • गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स प्रकार्यवाद के प्रमुख विचारक थे। हॉवर्ड बेकर ‘लेबलिंग सिद्धांत’ (Labeling Theory) से जुड़े हैं, जो विचलन को एक सामाजिक प्रक्रिया के रूप में देखता है। किंग्सले डेविस ने ‘क्रियात्मकता’ (Functionalism) के संदर्भ में सामाजिक असमानता की व्याख्या की है।

प्रश्न 8: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?

  1. सामाजिक संरचनाएँ और संस्थान
  2. व्यक्तिगत अनुभव और उनके द्वारा प्रतीकों को दिए गए अर्थ
  3. धन और उत्पादन के साधनों का वितरण
  4. बड़े पैमाने पर सामाजिक परिवर्तन के कारक

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद समाजशास्त्र का वह दृष्टिकोण है जो सूक्ष्म स्तर (micro-level) पर व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह मानता है कि व्यक्ति अपने आसपास की दुनिया को समझने और अर्थ देने के लिए प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) का उपयोग करते हैं, और इसी अंतःक्रिया से समाज का निर्माण होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड, कूली, ब्लूमर जैसे विचारक इस दृष्टिकोण से जुड़े हैं। यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि वास्तविकता सामाजिक रूप से निर्मित होती है, न कि वस्तुनिष्ठ रूप से निर्धारित।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिक संरचनाओं पर संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) और संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) ध्यान केंद्रित करते हैं। (c) धन और उत्पादन के साधनों का वितरण मार्क्सवादी (Marxist) विचार का मुख्य केंद्र है। (d) बड़े पैमाने पर सामाजिक परिवर्तन मार्क्स और वेबर जैसे विचारकों के अध्ययन का विषय रहा है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा कार्ल मार्क्स से संबंधित नहीं है?

  1. वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
  2. अलगाव (Alienation)
  3. पूंजी का संचय (Accumulation of Capital)
  4. तर्कसंगतता (Rationality)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) और ‘बुद्धिजीवीकरण’ (Intellectualization) जैसी अवधारणाएँ मुख्य रूप से मैक्स वेबर के कार्य से जुड़ी हैं, न कि कार्ल मार्क्स के। वेबर ने आधुनिक समाज के विकास को तर्कसंगतता के बढ़ते प्रभाव के रूप में देखा।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के सिद्धांत के केंद्र में उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर समाज का विभाजन (बुर्जुआ और सर्वहारा) और उनके बीच का संघर्ष है। वे सर्वहारा वर्ग के अलगाव (श्रमिक का उसके श्रम, उत्पाद, साथी श्रमिक और स्वयं से अलगाव) पर भी जोर देते हैं, जो पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली का परिणाम है। पूंजी का संचय मार्क्स के पूंजीवाद विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष, अलगाव और पूंजी का संचय मार्क्स के समाजशास्त्रीय विश्लेषण के केंद्रीय स्तंभ हैं।

प्रश्न 10: भारतीय समाज में ‘अहंकार’ (Ego) और ‘आदर्श’ (Id) जैसी मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं का प्रयोग किस समाजशास्त्री ने सामाजिक संरचना को समझने के लिए किया?

  1. इरावती कर्वे
  2. जी.एस. घुरिये
  3. एम.एन. श्रीनिवास
  4. ए.आर. देसाई

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: इरावती कर्वे, एक प्रसिद्ध मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री, ने भारतीय समाज, विशेषकर नातेदारी व्यवस्थाओं का विश्लेषण करते समय, सिगमंड फ्रायड की मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं का अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया। उन्होंने परिवार और नातेदारी के संरचनात्मक और सांस्कृतिक पहलुओं को समझने के लिए विभिन्न उपागमों का समन्वय किया।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर ‘अहंकार’ या ‘इड’ को अपने विश्लेषण का मुख्य आधार नहीं बनाया, लेकिन व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं और सामाजिक व्यवहार के बीच संबंध को समझने के उनके प्रयास में इन आधारों का प्रभाव देखा जा सकता है, खासकर पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों के अध्ययन में। उनका कार्य नातेदारी, विवाह और परिवार पर केंद्रित था।
  • गलत विकल्प: जी.एस. घुरिये भारतीय जाति व्यवस्था, जनजाति और शहरीकरण के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। एम.एन. श्रीनिवास ‘संसकृष्टिकरण’ (Sanskritization) और ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) जैसी अवधारणाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। ए.आर. देसाई ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और ग्रामीण समाजशास्त्र पर महत्वपूर्ण कार्य किया।

प्रश्न 11: ‘अभिजात्य वर्ग’ (Elite) की अवधारणा, जो समाज में एक छोटे, शक्तिशाली और प्रभावशाली समूह का वर्णन करती है, किसने विकसित की?

  1. C.W. मिल्स
  2. विलफ्रेडो पैरेटो
  3. गेटनो मोस्का
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: अभिजात्य वर्ग (Elite) के सिद्धांत के विकास में C.W. मिल्स, विल्फ्रेडो पैरेटो और गेटानो मोस्का तीनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पैरेटो ने ‘अभिजातों का परिसंचरण’ (Circulation of Elites) की बात की, मोस्का ने ‘शासक वर्ग’ (Ruling Class) की अवधारणा दी, और C.W. मिल्स ने ‘शक्ति अभिजात वर्ग’ (Power Elite) पर ध्यान केंद्रित किया, जो आधुनिक समाज में निर्णय लेने वाली शक्ति को नियंत्रित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तीनों विचारक मानते थे कि किसी भी समाज में एक छोटा अल्पसंख्यक वर्ग होता है जो शक्ति, धन और प्रतिष्ठा पर नियंत्रण रखता है। पैरेटो और मोस्का इसे एक सार्वभौमिक घटना मानते थे, जबकि मिल्स ने विशेष रूप से अमेरिकी समाज में शक्ति संरचना का विश्लेषण किया।
  • गलत विकल्प: केवल एक या दो को चुनने से सिद्धांत के व्यापक विकास को नजरअंदाज किया जाएगा।

प्रश्न 12: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) और ‘भूमिका तनाव’ (Role Strain) के बीच क्या अंतर है?

  1. भूमिका संघर्ष एक ही भूमिका के भीतर अपेक्षाओं का टकराव है।
  2. भूमिका तनाव विभिन्न भूमिकाओं के बीच अपेक्षाओं का टकराव है।
  3. भूमिका संघर्ष का संबंध सामाजिक मानदंडों से है, जबकि भूमिका तनाव का व्यक्तिगत मनोविज्ञान से।
  4. भूमिका तनाव तब होता है जब एक व्यक्ति को एक ही समय में दो या दो से अधिक परस्पर विरोधी भूमिकाएँ निभानी पड़ती हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: भूमिका तनाव (Role Strain) तब उत्पन्न होता है जब एक व्यक्ति को एक ही भूमिका से जुड़ी कई और कभी-कभी परस्पर विरोधी अपेक्षाओं को पूरा करना पड़ता है। भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब होता है जब एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक अलग-अलग भूमिकाओं (जैसे पिता, कर्मचारी, नागरिक) की अपेक्षाओं को पूरा करने में कठिनाई होती है, जो आपस में टकराती हैं। प्रश्न (d) भूमिका संघर्ष की सही परिभाषा दे रहा है। (यहाँ प्रश्न में गलती है, (d) भूमिका संघर्ष को परिभाषित करता है, भूमिका तनाव को नहीं। सुधार के लिए (d) को भूमिका संघर्ष के लिए सही मानें और बाकी को भूमिका तनाव के लिए गलत।)
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक प्रबंधक के लिए, कर्मचारियों को संतुष्ट रखते हुए कंपनी के लक्ष्यों को प्राप्त करना भूमिका तनाव है। वहीं, एक ही समय में एक पिता (जो बच्चे के साथ अधिक समय बिताना चाहता है) और एक नौकरीशुदा व्यक्ति (जिसे देर तक काम करना पड़ता है) होना भूमिका संघर्ष है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) गलत परिभाषाएं दे रहे हैं। (c) यह विभाजन अति सरलीकरण है।

प्रश्न 13: एमिल दुर्खीम के अनुसार, पारंपरिक समाजों में सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) का मुख्य आधार क्या था?

  1. साझा विश्वास और सामूहिक चेतना
  2. श्रम का जटिल विभाजन
  3. वैज्ञानिक तर्क और व्यक्तिगत स्वायत्तता
  4. तकनीकी उन्नति और औद्योगिकीकरण

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) की अवधारणा दी, जो पारंपरिक समाजों की विशेषता है। इसमें सदस्यों के बीच समानता, साझा विश्वासों, मूल्यों और गहन सामूहिक चेतना (Collective Conscience) के कारण एकता होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ में, उन्होंने तर्क दिया कि आधुनिक, औद्योगिक समाजों में ‘जैविक एकजुटता’ (Organic Solidarity) होती है, जो श्रम के जटिल विभाजन और परस्पर निर्भरता पर आधारित होती है।
  • गलत विकल्प: (b) श्रम का जटिल विभाजन जैविक एकजुटता का आधार है, न कि यांत्रिक एकजुटता का। (c) और (d) आधुनिक समाजों की विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 14: भारत में, ‘विधवा पुनर्विवाह’ की वकालत करने वाले प्रमुख समाज सुधारक कौन थे?

  1. ईश्वर चंद्र विद्यासागर
  2. महादेव गोविंद रानाडे
  3. डेविड हेयर
  4. कर्जन

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ईश्वर चंद्र विद्यासागर 19वीं सदी के एक प्रमुख समाज सुधारक थे जिन्होंने विधवा पुनर्विवाह की जोरदार वकालत की और उस समय के कानून (जैसे 1856 का हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम) को पारित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • संदर्भ और विस्तार: विद्यासागर स्वयं एक विधवा के पुनर्विवाह के साक्षी बने थे और उन्होंने इस प्रथा को समाज के लिए आवश्यक माना ताकि विधवाओं के जीवन में सुधार हो सके और वे सामाजिक अन्याय का शिकार न हों।
  • गलत विकल्प: महादेव गोविंद रानाडे एक अन्य प्रमुख सुधारक थे जिन्होंने सामाजिक और धार्मिक सुधारों में योगदान दिया, लेकिन विधवा पुनर्विवाह पर विद्यासागर का प्रभाव अधिक प्रत्यक्ष था। डेविड हेयर एक स्कॉटिश शिक्षक थे जिन्होंने कोलकाता में शिक्षा के प्रसार में योगदान दिया। कर्जन भारत के वायसराय थे जिन्होंने लॉर्ड कर्जन के नाम से जाना जाता है, उनका सुधारों में योगदान अलग था।

प्रश्न 15: ‘पूंजीवाद और यहूदी-विरोधी’ (Capitalism and Antisemitism) पुस्तक किसने लिखी?

  1. मैक्स वेबर
  2. जॉर्ज सिमेल
  3. एमिल दुर्खीम
  4. कार्ल मार्क्स

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जर्मन समाजशास्त्री जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) ने अपनी पुस्तक ‘Philosophie des Geldes’ (The Philosophy of Money) और अन्य लेखों में, विशेष रूप से पूंजीवाद के समाजशास्त्रीय और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का विश्लेषण किया। वे आधुनिक समाज में पैसे के बढ़ते महत्व, व्यक्तिवाद और शहर के जीवन पर उनके विचार प्रसिद्ध हैं। उनका काम अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक व्यवस्थाओं और सामाजिक पूर्वाग्रहों के बीच संबंधों की ओर संकेत करता है। (हालांकि सीधे तौर पर “Capitalism and Antisemitism” शीर्षक से उनकी कोई प्रमुख पुस्तक नहीं है, पर उनके विश्लेषण से यह संबंध जोड़ा जा सकता है। अगर यह प्रश्न एक विशिष्ट पुस्तक शीर्षक को संदर्भित करता है, तो यह थोड़ा भ्रमित करने वाला हो सकता है, लेकिन सिमेल के विचारों के सन्दर्भ में यह सबसे संभावित उत्तर है।)
  • संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने पूंजीवाद को एक ऐसी व्यवस्था के रूप में देखा जिसने व्यक्ति को अधिक स्वतंत्र बनाया, लेकिन साथ ही उसे अकेला और वस्तुनिष्ठ बना दिया। उन्होंने आर्थिक संबंधों को सामाजिक संबंधों से अलग करने के तरीके पर भी प्रकाश डाला।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ लिखी, जो धर्म और पूंजीवाद के संबंध पर है। दुर्खीम ने श्रम विभाजन और सामाजिक एकजुटता पर काम किया। मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष पर विस्तार से लिखा।

प्रश्न 16: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा किससे जुड़ी है?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. रॉबर्ट पुटनम
  3. जेम्स कॉलमैन
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को पियरे बॉर्डियू, रॉबर्ट पुटनम और जेम्स कॉलमैन तीनों ने विभिन्न दृष्टिकोणों से विकसित किया है। बॉर्डियू ने इसे सामाजिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त संसाधनों के रूप में देखा, पुटनम ने नागरिक जुड़ाव और सामाजिक विश्वास के संदर्भ में, और कॉलमैन ने इसे सामाजिक संरचनाओं की विशेषता के रूप में परिभाषित किया जो सामाजिक कार्रवाई को सुगम बनाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी उन लाभों को संदर्भित करती है जो व्यक्ति या समूह अपने सामाजिक नेटवर्क (जैसे विश्वास, आपसी समझ, सहयोग) के माध्यम से प्राप्त करते हैं। यह भौतिक पूंजी या मानव पूंजी से अलग है।
  • गलत विकल्प: तीनों विचारकों ने इस अवधारणा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रश्न 17: भारत में ‘जनजातीय समाजों’ के अध्ययन के लिए निम्नलिखित में से कौन सा दृष्टिकोण महत्वपूर्ण रहा है?

  1. संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक
  2. मार्क्सवादी
  3. मानवशास्त्रीय
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: भारतीय जनजातियों के अध्ययन में संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक, मार्क्सवादी और मानवशास्त्रीय (नृवंशविज्ञानी) तीनों दृष्टिकोणों का प्रयोग हुआ है। संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण जनजातियों के भीतर सामाजिक संस्थाओं के कार्यों और संतुलन पर ध्यान केंद्रित करता है। मार्क्सवादी दृष्टिकोण आर्थिक शोषण और वर्ग संबंधों के लेंस से अध्ययन करता है। मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण उनकी संस्कृति, रीति-रिवाजों, भाषाओं और समाजीकरण प्रक्रियाओं पर गहराई से ध्यान देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: एन.के. बोस, एम.एन. श्रीनिवास, बी.के. रॉय बर्मन जैसे समाजशास्त्रियों और मानवशास्त्रियों ने इन विभिन्न दृष्टिकोणों का उपयोग करके भारतीय जनजातियों के अध्ययन में योगदान दिया है।
  • गलत विकल्प: तीनों दृष्टिकोणों ने मिलकर जनजातियों की बहुआयामी समझ विकसित की है।

प्रश्न 18: ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के क्षरण से जुड़ी है, किससे संबंधित है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा को अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण में केंद्रीय बनाया। उनका मानना था कि जब समाज में अनियंत्रित इच्छाएँ और कमजोर सामाजिक नियंत्रण होता है, तो व्यक्ति अराजकता का अनुभव करता है, जिससे वे समाज के नियमों और अपेक्षाओं से कट जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने इसे आत्महत्या के एक प्रकार (‘अराजक आत्महत्या’) के रूप में भी विश्लेषित किया। यह तब होता है जब सामाजिक नियम ढीले पड़ जाते हैं और व्यक्ति को मार्गदर्शन नहीं मिलता।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘अलगाव’ और ‘वर्ग संघर्ष’ के लिए जाने जाते हैं। मैक्स वेबर ‘तर्कसंगतता’ और ‘अधिभार’ (Bureaucracy) पर केंद्रित थे। हरबर्ट स्पेंसर ने ‘सामाजिक डार्विनवाद’ का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 19: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. लोगों का एक ही वर्ग में रहना।
  2. लोगों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
  3. समाज में शक्ति का वितरण।
  4. सामाजिक समूहों का आपसी मेलजोल।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना। यह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी गतिशीलता), नीचे की ओर (अधोगामी गतिशीलता), या क्षैतिज (एक ही स्तर पर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में) हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह किसी समाज में सामाजिक स्तरीकरण की कठोरता या लचीलेपन को समझने का एक महत्वपूर्ण मापदंड है। उदाहरण के लिए, एक गरीब परिवार में पैदा हुआ बच्चा यदि पढ़कर डॉक्टर बन जाता है, तो वह ऊर्ध्वगामी सामाजिक गतिशीलता का उदाहरण है।
  • गलत विकल्प: (a) गतिशीलता का अभाव दर्शाता है। (c) शक्ति का वितरण स्तरीकरण का एक पहलू है, न कि गतिशीलता। (d) आपसी मेलजोल सामाजिक अंतःक्रिया है, गतिशीलता नहीं।

प्रश्न 20: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में क्या शामिल है?

  1. केवल कला और संगीत।
  2. केवल जीवन जीने का तरीका (way of life)।
  3. सीखे गए व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, मूल्य, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएं और आदतें जो एक समाज के सदस्यों द्वारा प्राप्त की जाती हैं।
  4. केवल समाज की भौतिक वस्तुएँ।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है जिसमें व्यक्ति जो सीखता है, उसका उपयोग करता है और दूसरों के साथ साझा करता है, वह सब कुछ शामिल है। इसमें न केवल अमूर्त (जैसे मूल्य, विश्वास) बल्कि भौतिक (जैसे उपकरण, कला) दोनों पहलू शामिल हैं, और यह सब सीखा जाता है, जन्मजात नहीं।
  • संदर्भ और विस्तार: एडवर्ड बर्नेट टायलर (E.B. Tylor) ने संस्कृति को ‘किसी भी जटिलता का वह समग्र’ (that complex whole) के रूप में परिभाषित किया, जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, प्रथा और अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं, जो समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त होती हैं।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) संस्कृति के केवल आंशिक पहलू हैं। (b) जीवन जीने का तरीका एक सामान्यीकरण है, लेकिन समाजशास्त्रीय परिभाषा अधिक विस्तृत है।

प्रश्न 21: ‘कल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) की अवधारणा किस सामाजिक-राजनीतिक विचारधारा से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?

  1. उदारवाद (Liberalism)
  2. साम्यवाद (Communism)
  3. समाजवाद (Socialism)
  4. संरक्षणवाद (Conservatism)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कल्याणकारी राज्य की अवधारणा मुख्य रूप से समाजवाद और सामाजिक लोकतंत्र (Social Democracy) से जुड़ी है। इसमें राज्य की भूमिका नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने, गरीबी को कम करने, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में सक्रिय होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विचारधारा मानती है कि राज्य को बाजार की विफलताओं को दूर करना चाहिए और सभी नागरिकों के लिए एक न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करना चाहिए। उदारवाद के कुछ रूप भी कल्याणकारी राज्य का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन समाजवाद इसका मूल आधार है।
  • गलत विकल्प: साम्यवाद एक क्रांतिकारी व्यवस्था है जो निजी संपत्ति और राज्य के उन्मूलन का लक्ष्य रखती है। संरक्षणवाद सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के प्रति अधिक रूढ़िवादी दृष्टिकोण रखता है।

प्रश्न 22: ‘सांप्रदायिकता’ (Communalism) भारतीय समाजशास्त्र में किस प्रकार की समस्या का प्रतिनिधित्व करती है?

  1. आर्थिक असमानता
  2. धार्मिक और सामाजिक संघर्ष
  3. जातिगत भेदभाव
  4. पर्यावरणीय क्षरण

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सांप्रदायिकता एक ऐसी सामाजिक-राजनीतिक विचारधारा है जो धार्मिक पहचान को राजनीतिक आधार बनाती है और अक्सर अन्य धार्मिक समूहों के प्रति शत्रुता या अलगाव पैदा करती है। भारतीय संदर्भ में, यह मुख्य रूप से हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच संघर्ष से जुड़ा है, लेकिन अन्य समुदायों के बीच भी हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक व्यवस्था, राष्ट्रीय एकता और सहिष्णुता के लिए एक गंभीर समस्या है। टी.के. उमन, एम.एन. श्रीनिवास, और आशिष नंदी जैसे समाजशास्त्रियों ने इस पर विस्तार से लिखा है।
  • गलत विकल्प: जबकि सांप्रदायिकता के अप्रत्यक्ष आर्थिक और सामाजिक प्रभाव हो सकते हैं, इसका मूल स्रोत धार्मिक और उससे उत्पन्न सामाजिक संघर्ष है। जातिगत भेदभाव एक अलग लेकिन संबंधित समस्या है।

प्रश्न 23: ‘ध्रुवीकरण’ (Polarization) का समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?

  1. समाज में विचारों और विश्वासों का अत्यधिक समाजीकरण।
  2. समाज में विभिन्न समूहों के बीच मतभेदों का तीव्र होना और मध्यस्थता का कम होना।
  3. समाज में सभी समूहों का एक समान हो जाना।
  4. समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बढ़ना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक ध्रुवीकरण तब होता है जब समाज के विभिन्न समूह (अक्सर राजनीतिक, वैचारिक या सामाजिक आधार पर) दो चरम छोरों की ओर बढ़ते हैं, और उनके बीच की दूरी और मतभेद बढ़ जाते हैं। मध्यस्थ या उदारवादी विचार या समूह कमजोर पड़ जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर राजनीतिक बहसों, सोशल मीडिया पर होने वाली चर्चाओं और सामाजिक आंदोलनों में देखा जाता है, जहाँ विपरीत विचारों के बीच समझ या संवाद मुश्किल हो जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) समाजीकरण एक सीखने की प्रक्रिया है, ध्रुवीकरण नहीं। (c) यह समरूपीकरण (Homogenization) है, ध्रुवीकरण नहीं। (d) व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बढ़ना एक अलग अवधारणा है।

प्रश्न 24: ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) के अध्ययन में, ‘समरूपी परिवार’ (Conjugal Family) से क्या तात्पर्य है?

  1. एक से अधिक पत्नियों वाला परिवार।
  2. एक पति और एक पत्नी का परिवार, जिसमें बच्चे हो सकते हैं।
  3. एक ही छत के नीचे रहने वाले तीन या अधिक पीढ़ियों वाले लोग।
  4. बिना बच्चों वाले विवाहित जोड़ों का परिवार।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: समरूपी परिवार (Conjugal Family), जिसे नाभिकीय परिवार (Nuclear Family) का एक रूप भी माना जा सकता है, में मुख्य रूप से पति-पत्नी (विवाहित जोड़ा) और उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं। इसमें अन्य रिश्तेदार शामिल नहीं होते।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पश्चिमी समाजों में एक सामान्य संरचना रही है, जो विस्तारित परिवार (Extended Family) से भिन्न है।
  • गलत विकल्प: (a) बहुपत्नीत्व (Polygyny) या बहुपतित्व (Polyandry) है। (c) यह विस्तारित परिवार या संयुक्त परिवार (Joint Family) का वर्णन है। (d) यह ‘बिना संतान का विवाहित जोड़ा’ (Childless Married Couple) कहलाता है, जो समरूपी परिवार का एक उप-प्रकार हो सकता है, लेकिन मुख्य परिभाषा में बच्चे शामिल होते हैं।

प्रश्न 25: ‘सामाजिक सर्वेक्षण’ (Social Survey) को एक शोध पद्धति के रूप में किसने बढ़ावा दिया?

  1. डेविड इजराइल
  2. ई. डगलस कैनफील्ड
  3. सी. राइट मिल्स
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम, विशेष रूप से अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में, सांख्यिकीय डेटा और व्यवस्थित सर्वेक्षणों का उपयोग करके सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करने के महत्व पर जोर देने वाले शुरुआती समाजशास्त्रियों में से थे। उन्होंने सामाजिक तथ्यों को ‘चीजों की तरह’ (as things) माना और उनके अध्ययन के लिए अनुभवजन्य (empirical) विधियों की वकालत की।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम का काम धनात्मकता (Positivism) की परंपरा का हिस्सा था, जो अवलोकन, तुलना और प्रयोग पर आधारित था। उन्होंने आत्महत्या की दर और विभिन्न सामाजिक कारकों (जैसे धर्म, वैवाहिक स्थिति) के बीच संबंध स्थापित करने के लिए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग किया।
  • गलत विकल्प: डेविड इजराइल और ई. डगलस कैनफील्ड आमतौर पर सामाजिक अनुसंधान विधियों पर लेखकों के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन दुर्खीम का योगदान इस क्षेत्र में ऐतिहासिक रूप से अधिक मौलिक माना जाता है। सी. राइट मिल्स एक महत्वपूर्ण समाजशास्त्री थे जिन्होंने ‘समाजशास्त्रीय कल्पनाशक्ति’ (Sociological Imagination) का विचार दिया, लेकिन दुर्खीम सर्वेक्षण विधि के अग्रणी थे।

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