समाजशास्त्र मंथन: 25 प्रश्न – अपनी पकड़ मज़बूत करें!
ज्ञान की दुनिया में हर दिन एक नया सवेरा होता है! समाजशास्त्र के जिज्ञासुओं, आपके लिए आ गया है आज का विशेष अभ्यास सत्र। अपने विश्लेषणात्मक कौशल और वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हो जाइए। इन 25 चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के साथ समाजशास्त्र के गूढ़ रहस्यों को सुलझाएं और अपनी परीक्षा की तैयारी को नई धार दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (social facts) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय घोषित किया। दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यवहार के वे तरीके हैं जो व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालते हैं और जिनका अस्तित्व व्यक्ति से स्वतंत्र होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में विस्तृत है। वेबर ने ‘बोल्स्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया, जो व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर केंद्रित है, जबकि मार्क्स वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद के पक्षधर थे। स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का प्रतिपादन किया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और ऐतिहासिक भौतिकवाद पर बल दिया। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और उसके व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर का मुख्य योगदान सामाजिक विकास और ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ के सिद्धांत में है।
प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा मैक्स वेबर के सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों में सम्मिलित नहीं है?
- परंपरागत सत्ता (Traditional Authority)
- करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
- कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority)
- बलपूर्वक सत्ता (Coercive Authority)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: परंपरागत सत्ता, करिश्माई सत्ता और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता। बलपूर्वक सत्ता (Coercive Authority) उनका वर्गीकरण नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का विश्लेषण इस बात पर केंद्रित था कि लोग किस प्रकार सत्ता को वैध मानते हैं। परंपरागत सत्ता पुरानी परंपराओं पर आधारित होती है, करिश्माई सत्ता किसी नेता के असाधारण गुणों पर, और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होती है।
- गलत विकल्प: बलपूर्वक सत्ता (Coercive Authority) शक्ति (Power) का एक रूप हो सकती है, लेकिन वेबर द्वारा वर्गीकृत वैधानिक सत्ता का प्रकार नहीं है।
प्रश्न 3: ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?
- ऑगस्ट कॉम्ते
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा एमिल दुर्खीम से प्रमुखता से जुड़ी है। यह उस स्थिति का वर्णन करती है जब समाज में सामाजिक मानदंडों या मूल्यों का अभाव होता है, जिससे व्यक्ति में दिशाहीनता और अलगाव की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तकें ‘आत्महत्या’ (Suicide) और ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में इस अवधारणा का उपयोग किया। यह सामाजिक नियंत्रण के कमजोर पड़ने का परिणाम है।
- गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का विचार दिया। कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद के विश्लेषण से जुड़े हैं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) विकसित किया।
प्रश्न 4: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) का अर्थ क्या है?
- व्यक्तिगत व्यवहार का कुल योग
- समाज में व्यक्तियों के बीच संबंध और संस्थाओं का व्यवस्थित पैटर्न
- सामाजिक असमानता का स्तर
- सामाजिक परिवर्तन की गति
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामाजिक संरचना का अर्थ समाज में व्यक्तियों के बीच स्थिर और व्यवस्थित संबंध, भूमिकाएँ, संस्थाएँ (जैसे परिवार, शिक्षा, राज्य) और समूहों का एक पैटर्न है। यह समाज को एक स्थिर और संगठित इकाई के रूप में देखता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए मौलिक है, जो हमें यह समझने में मदद करती है कि समाज कैसे कार्य करता है और व्यक्तियों के व्यवहार को कैसे प्रभावित करता है। यह व्यक्तिगत चाहतों से ऊपर उठकर समाज की अंतर्निहित व्यवस्था को समझने पर बल देती है।
- गलत विकल्प: ‘व्यक्तिगत व्यवहार का कुल योग’ बहुत संकीर्ण है। ‘सामाजिक असमानता का स्तर’ सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) से संबंधित है। ‘सामाजिक परिवर्तन की गति’ सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) या सामाजिक परिवर्तन (Social Change) से जुड़ी है, न कि संरचना से।
प्रश्न 5: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?
- समष्टि (macro) स्तर के सामाजिक मुद्दों
- लोगों के बीच सूक्ष्म (micro) स्तर पर होने वाली अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से अर्थों का निर्माण
- पूंजीवाद का विश्लेषण
- राज्य की भूमिका
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) समाजशास्त्रीय सिद्धांत है जो इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति कैसे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) का उपयोग करके एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और इस अंतःक्रिया के माध्यम से वे सामाजिक दुनिया के लिए अर्थ (meaning) कैसे निर्मित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, चार्ल्स कूली और हरबर्ट ब्लूमर इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रस्तावक हैं। वे मानते हैं कि हमारा ‘स्व’ (self) भी सामाजिक अंतःक्रियाओं से ही विकसित होता है।
- गलत विकल्प: यह समष्टि (macro) स्तर के बजाय सूक्ष्म (micro) स्तर पर ध्यान केंद्रित करता है। पूंजीवाद का विश्लेषण मुख्य रूप से मार्क्सवाद से जुड़ा है, और राज्य की भूमिका का विश्लेषण विभिन्न सिद्धांतों में होता है।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘जजमानी व्यवस्था’ (Jajmani System) क्या थी?
- एक राजनीतिक गठबंधन
- जातियों के बीच पारंपरिक सेवा-आदान-प्रदान की एक प्रणाली
- एक आर्थिक सुधार कार्यक्रम
- शिक्षा का प्रसार करने का एक तरीका
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जजमानी व्यवस्था भारतीय ग्रामीण समाज में प्रचलित एक पारंपरिक व्यवस्था थी, जिसमें विभिन्न जातियाँ एक-दूसरे को (विशेषकर सेवा प्रदाता जातियाँ शिल्पी, नाई, धोबी आदि) निश्चित सेवाओं के बदले में (अक्सर वस्तु के रूप में या कुछ धन) एक-दूसरे पर निर्भर थीं। यह सेवा-आदान-प्रदान की एक पदानुक्रमित प्रणाली थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था जाति व्यवस्था और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग थी, जो सदियों तक चली। यह प्रायः एक वंशानुगत संबंध होता था।
- गलत विकल्प: यह राजनीतिक या आर्थिक सुधार से संबंधित नहीं थी, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी। शिक्षा के प्रसार से इसका सीधा संबंध नहीं था।
प्रश्न 7: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य’ (Structural-Functionalist Perspective) से प्रमुखता से जुड़ा है?
- सिग्मंड फ्रायड
- टैल्कॉट पार्सन्स
- फ्रैंकफर्ट स्कूल के विद्वान
- एंटोनी गिडेंस
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य के एक प्रमुख प्रस्तावक थे। इस दृष्टिकोण के अनुसार, समाज विभिन्न भागों (संरचनाओं) से बना है जो मिलकर एक समग्र (समूह) के रूप में कार्य (प्रकार्य) करते हैं, जिससे सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनी रहती है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक चार मुख्य प्रकार्यों (AGIL मॉडल) का वर्णन किया। इस दृष्टिकोण में समाज को एक जीवित जीव (organic analogy) के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: सिग्मंड फ्रायड मनोविश्लेषण से जुड़े हैं। फ्रैंकफर्ट स्कूल आलोचनात्मक सिद्धांत (Critical Theory) से संबंधित है। एंटोनी गिडेंस संरचनाकरण (Structuration) के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 8: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से उत्पादन प्रक्रिया से श्रमिकों के अलगाव का विचार, किस मुख्य विचारक ने प्रस्तुत किया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिकों के ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उनके अनुसार, श्रमिक अपनी मेहनत, उत्पाद, अन्य श्रमिकों और अपनी स्वयं की मानव प्रकृति से अलग-थलग महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार उनकी शुरुआती कृतियों, विशेष रूप से ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में प्रमुख है। यह पूंजीवादी व्यवस्था की आलोचना का एक केंद्रीय बिंदु है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने अनमी पर, वेबर ने सत्ता और नौकरशाही पर, और मर्टन ने प्रकार्य और उपसंस्कृति पर काम किया।
प्रश्न 9: ग्रामीण समाजशास्त्र में ‘सामुदायिकता’ (Community) और ‘साहचर्य’ (Association) के बीच अंतर किसने स्पष्ट किया?
- फर्डिनेंड टोनीज
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- रॉबर्ट पार्क
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जर्मन समाजशास्त्री फर्डिनेंड टोनीज ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (समुदाय और समाज) में ‘सामुदायिकता’ (Gemeinschaft) और ‘साहचर्य’ (Gesellschaft) के बीच अंतर किया। सामूहिकता घनिष्ठ, व्यक्तिगत, भावनात्मक और पारंपरिक संबंधों पर आधारित होती है, जबकि साहचर्य अधिक औपचारिक, अवैयक्तिक, अनुबंध आधारित और तर्कसंगत संबंधों पर आधारित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अंतर ग्रामीण और शहरी समाजों के बीच के परिवर्तन को समझने में सहायक है, जहाँ पारंपरिक सामुदायिक बंधन कमजोर पड़कर आधुनिक साहचर्य संबंधों में बदल जाते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता के प्रकारों (यांत्रिक और जैविक) पर, वेबर ने सत्ता और सामाजिक क्रिया पर, और पार्क ने शहरी समाजशास्त्र पर काम किया।
प्रश्न 10: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का अध्ययन करते समय, निम्नांकित में से कौन सा एक प्रमुख पहलू नहीं माना जाता है?
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार
- शिक्षा का विस्तार
- पारंपरिक जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
- शहरीकरण और औद्योगिकीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में अक्सर पारंपरिक संस्थाओं में परिवर्तन आता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि पारंपरिक जाति व्यवस्था का ‘पूर्ण उन्मूलन’ हो जाए। यह अभी भी समाज में प्रभाव बनाए रखती है, भले ही इसकी भूमिका बदल गई हो।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण में वैज्ञानिक सोच, तर्कसंगतता, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, और राज्य के विकास जैसे परिवर्तन शामिल होते हैं। भारतीय संदर्भ में, जाति व्यवस्था का आधुनिकीकरण के साथ सह-अस्तित्व एक जटिल विषय है।
- गलत विकल्प: वैज्ञानिक दृष्टिकोण, शिक्षा का विस्तार, और शहरीकरण/औद्योगिकीकरण सभी आधुनिकीकरण के प्रमुख पहलू हैं।
प्रश्न 11: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- समाज में व्यक्तियों की संख्या
- समाज में समूहों का पदानुक्रमित विभाजन और असमानता
- सामाजिक मानदंडों का समूह
- सांस्कृतिक प्रथाओं का संकलन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण समाज में लोगों को उनकी आय, धन, शिक्षा, व्यवसाय, जाति, लिंग आदि जैसे कारकों के आधार पर विभिन्न स्तरों या पदानुक्रमों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यह समाज में अंतर्निहित असमानता को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके मुख्य रूप दासप्रथा, जाति, वर्ग और एस्टेट (estate) हैं। यह अध्ययन करता है कि समाज संसाधनों (जैसे शक्ति, धन, प्रतिष्ठा) का असमान वितरण कैसे करता है।
- गलत विकल्प: यह व्यक्तियों की संख्या, सामाजिक मानदंड या सांस्कृतिक प्रथाओं का सीधे वर्णन नहीं करता है, बल्कि समाज के स्तरीकृत स्वरूप का वर्णन करता है।
प्रश्न 12: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) को इतिहास की मुख्य संचालक शक्ति मानता है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स इतिहास के भौतिकवादी व्याख्या (Historical Materialism) के समर्थक थे और उनका मानना था कि इतिहास विभिन्न उत्पादन पद्धतियों के विकास का इतिहास है, जो अंततः वर्ग संघर्ष द्वारा संचालित होता है। पूँजीपति वर्ग (Bourgeoisie) और सर्वहारा वर्ग (Proletariat) के बीच संघर्ष उनके विश्लेषण का केंद्रीय विषय था।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह संघर्ष ही समाज में परिवर्तन लाता है और अंततः साम्यवाद की ओर ले जाता है। ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ इसका प्रमुख उदाहरण है।
- गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग, स्थिति (Status) और पार्टी (Party) को सत्ता के तीन स्रोत माना। दुर्खीम ने सामाजिक एकता के प्रकारों और अनमी पर ध्यान केंद्रित किया। मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद पर काम किया।
प्रश्न 13: ‘नगरीयता’ (Urbanism) के समाजशास्त्रीय अध्ययन में, नगरीय जीवन की प्रमुख विशेषताओं के रूप में ‘अवैयक्तिकता’ (Impersonality) और ‘विच्छिन्नता’ (Detachment) का वर्णन किसने किया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज सिमेल
- जी. एच. मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जॉर्ज सिमेल ने अपने निबंध ‘महानगर और मानसिक जीवन’ (The Metropolis and Mental Life) में शहरी जीवन के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों का विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि बड़े शहरों में लोगों का सामना अनगिनत व्यक्तियों से होता है, जिससे व्यक्तिगत पहचान और घनिष्ठ संबंध बनाए रखना कठिन हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप ‘बुद्धिजीवी’ (intellectual) दृष्टिकोण और ‘अवैयक्तिकता’ विकसित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने शहरी जीवन की उत्तेजना और उसकी प्रतिक्रिया में विकसित होने वाले ‘ब्लैस फेयर’ (blasé attitude) का भी वर्णन किया, जो बाहरी दुनिया के प्रति उदासीनता दिखाता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर, वेबर ने सत्ता और तर्कसंगतता पर, और मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद पर काम किया।
प्रश्न 14: निम्नांकित में से कौन सा एक ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का उदाहरण नहीं है?
- परिवार
- शिक्षा
- मित्र मंडली
- धर्म
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामाजिक संस्थाएँ समाज के स्थापित, व्यवस्थित और स्थायी पैटर्न या संरचनाएँ होती हैं जो सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। परिवार, शिक्षा और धर्म प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं। मित्र मंडली (Friendship group) एक अनौपचारिक समूह है, न कि एक स्थापित सामाजिक संस्था।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएँ समाज के कामकाज के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनमें नियम, भूमिकाएँ और मूल्य शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और धर्म समाज की प्रमुख संस्थाएँ हैं जिनके अपने विशिष्ट कार्य और संरचनाएँ हैं। मित्र मंडली सामाजिक संबंध का एक रूप हो सकती है, पर संस्थागत नहीं।
प्रश्न 15: ‘सभ्यता’ (Civilization) और ‘संस्कृति’ (Culture) के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए, किसने संस्कृति को भौतिक पहलुओं (जैसे उपकरण, भवन) और असभ्यता को गैर-भौतिक पहलुओं (जैसे विचार, मूल्य, मानदंड) के रूप में परिभाषित किया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्ते
- विलियम ओग्बर्न
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विलियम ओग्बर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) के सिद्धांत को प्रस्तुत करते हुए संस्कृति को दो भागों में बांटा: भौतिक संस्कृति (Material Culture) और अभौतिक संस्कृति (Non-material Culture)। उन्होंने तर्क दिया कि भौतिक संस्कृति अभौतिक संस्कृति की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न के अनुसार, भौतिक संस्कृति में इमारतें, मशीनें, उपकरण आदि शामिल हैं, जबकि अभौतिक संस्कृति में भाषा, रीति-रिवाज, मूल्य, कानून, विश्वास आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम, वेबर और कॉम्ते ने संस्कृति के बारे में अलग-अलग विचार व्यक्त किए, लेकिन ओग्बर्न विशेष रूप से इस भौतिक/अभौतिक विभाजन और ‘सांस्कृतिक विलंब’ के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 16: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘गुणात्मक अनुसंधान विधि’ (Qualitative Research Method) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
- सांख्यिकीय डेटा का संग्रह और विश्लेषण
- घटनाओं के पीछे के गहरे अर्थों, अनुभवों और सामाजिक प्रक्रियाओं को समझना
- जनसंख्या के बड़े नमूनों की जांच करना
- कारण-कार्य संबंधों को सटीक रूप से मापना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गुणात्मक अनुसंधान विधियों (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी) का मुख्य उद्देश्य घटनाओं के पीछे के गहन अर्थों, लोगों के अनुभवों, भावनाओं और सामाजिक अंतःक्रियाओं की जटिलताओं को समझना होता है। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका लक्ष्य बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले आंकड़ों के बजाय गहराई से समझ प्राप्त करना है।
- गलत विकल्प: सांख्यिकीय डेटा और मापन मात्रात्मक (Quantitative) अनुसंधान की विशेषताएं हैं। जबकि गुणात्मक अनुसंधान भी कारणों को समझने की कोशिश करता है, इसका प्राथमिक ध्यान अर्थ निर्माण और सामाजिक प्रक्रियाओं की गहराई में जाना है।
प्रश्न 17: भारतीय जाति व्यवस्था के संबंध में, ‘शुद्धता और प्रदूषण’ (Purity and Pollution) की अवधारणा का महत्व किसने रेखांकित किया?
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- ज्याँ ए. पोनचामी (Jean A. Pouchepadass)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय जाति व्यवस्था के अध्ययन में ‘शुद्धता और प्रदूषण’ की अवधारणा को प्रमुखता से स्थापित किया। उनके अनुसार, यह अवधारणा जाति पदानुक्रम को बनाए रखने और अंतर-जातीय संबंधों को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उच्च जातियाँ स्वयं को शुद्ध मानती हैं और निम्न जातियों से दूरी बनाकर प्रदूषण से बचती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने यह विचार अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत किया, और बाद में इसे व्यापक रूप से भारतीय जाति अध्ययन में अपनाया गया।
- गलत विकल्प: अम्बेडकर ने जाति के उन्मूलन पर बल दिया। कर्वे ने संबंध अध्ययन पर काम किया। पोनचामी फ्रांसीसी इतिहासकार हैं जिन्होंने भारतीय इतिहास पर काम किया।
प्रश्न 18: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) से सबसे अधिक जुड़ी हुई है, जो मानता है कि समाज का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की तरह किया जाना चाहिए?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्ते
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ऑगस्ट कॉम्ते को प्रत्यक्षवाद का जनक माना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि समाज का अध्ययन वैज्ञानिक तरीकों, अवलोकनों और परीक्षणों के आधार पर किया जाना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे भौतिकी या जीव विज्ञान का अध्ययन किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्ते ने समाज के अध्ययन के लिए ‘समाजशास्त्र’ (Sociology) शब्द भी गढ़ा। उन्होंने समाज के विकास के तीन चरणों – धार्मिक, दार्शनिक और प्रत्यक्षवादी – का भी वर्णन किया।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद, वेबर ने व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Verstehen), और दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों को सामाजिक व्यवस्था का आधार माना।
प्रश्न 19: ‘संस्कृति का प्रसार’ (Cultural Diffusion) से क्या तात्पर्य है?
- एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति में विलय हो जाना
- एक संस्कृति के तत्वों (जैसे विचार, प्रथाएँ, आविष्कार) का एक समाज से दूसरे समाज में फैलना
- समाज के भीतर सांस्कृतिक मूल्यों का एकीकरण
- विभिन्न संस्कृतियों के बीच संघर्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सांस्कृतिक प्रसार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक समाज या संस्कृति के विचार, आविष्कार, प्रथाएँ, प्रौद्योगिकियाँ आदि अन्य समाजों या संस्कृतियों में फैलते हैं। यह अक्सर संपर्क, व्यापार, प्रवास या संचार के माध्यम से होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, पास्ता का इटली से दुनिया भर में फैलना या मोबाइल फोन तकनीक का वैश्विक प्रसार सांस्कृतिक प्रसार के उदाहरण हैं।
- गलत विकल्प: ‘विलय’ (Assimilation) एक अलग प्रक्रिया है जहाँ एक समूह पूरी तरह से दूसरे में समाहित हो जाता है। ‘एकीकरण’ (Integration) और ‘संघर्ष’ (Conflict) भी प्रसार से भिन्न अवधारणाएँ हैं।
प्रश्न 20: भारत में ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा का उपयोग सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में किसने किया, विशेषकर ब्रिटिश शासन के प्रभाव को समझाने के लिए?
- एम.एन. श्रीनिवास
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- ई. पी. थॉम्पसन
- राम मनोहर लोहिया
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय समाज पर ब्रिटिश शासन के प्रभाव, जैसे कि शिक्षा, कानून, प्रौद्योगिकी, जीवन शैली और मूल्यों में बदलाव को समझाने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास के अनुसार, पश्चिमीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न स्तरों पर परिवर्तन शामिल हैं। यह अनिवार्य रूप से सकारात्मक या नकारात्मक नहीं है, बल्कि एक वर्णनात्मक शब्द है।
- गलत विकल्प: अम्बेडकर ने जाति उन्मूलन और दलितों के उत्थान पर, थॉम्पसन ने इतिहास पर, और लोहिया ने समाजवादी राजनीति और सामाजिक न्याय पर काम किया।
प्रश्न 21: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘लॉन्गिटूडिनल अध्ययन’ (Longitudinal Study) का क्या अर्थ है?
- एक ही समय में विभिन्न समूहों का अध्ययन
- एक ही समूह या व्यक्ति का समय के साथ बार-बार अध्ययन
- अल्पकालिक अध्ययन
- घटना के तत्काल बाद का अध्ययन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लॉंगिटूडिनल अध्ययन एक अनुसंधान डिजाइन है जिसमें एक ही समूह या व्यक्तियों का एक लंबी अवधि में कई बार अवलोकन या मापन किया जाता है। यह समय के साथ होने वाले परिवर्तनों, विकास या रुझानों को समझने के लिए उपयोगी है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, किसी बच्चे के विकास का अध्ययन उसके जन्म से लेकर किशोरावस्था तक, या किसी सामाजिक नीति के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन।
- गलत विकल्प: ‘एक ही समय में विभिन्न समूहों का अध्ययन’ क्रॉस-सेक्शनल (Cross-sectional) अध्ययन कहलाता है। अल्पकालिक या तत्काल अध्ययन का इससे कोई संबंध नहीं है।
प्रश्न 22: ‘तार्किकता’ (Rationality) को सामाजिक क्रिया के एक महत्वपूर्ण प्रेरक बल के रूप में किसने पहचाना, और आधुनिक समाजों के विकास में इसकी भूमिका का विश्लेषण किया?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने आधुनिक पश्चिमी समाजों के विकास में ‘तार्किकता’ (Rationality) की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि नौकरशाही (Bureaucracy), पूंजीवाद और वैज्ञानिक प्रगति सभी तार्किक सिद्धांतों पर आधारित हैं, जो समाज को ‘जादुई’ (disenchantment) दुनिया से दूर ले जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं का वर्णन किया, जिसमें तर्कसंगत क्रिया (instrumental-rational action) भी शामिल है, जहाँ व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सबसे कुशल साधनों का चुनाव करता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर, और मीड ने आत्म (Self) के विकास पर काम किया।
प्रश्न 23: निम्नांकित में से कौन सा एक ‘सामाजिक समस्या’ (Social Problem) का उदाहरण है?
- शादी का बंधन
- सभी देशों में शिक्षा की उपस्थिति
- गरीबी और बेरोजगारी
- एक व्यक्ति का अकेला महसूस करना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामाजिक समस्याएँ वे स्थितियाँ या व्यवहार हैं जिन्हें समाज के एक महत्वपूर्ण वर्ग द्वारा हानिकारक या अवांछनीय माना जाता है, और जिनके समाधान के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है। गरीबी और बेरोजगारी ऐसी स्थितियाँ हैं जो समाज के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं और जिनके सामाजिक कारण होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, एक समस्या ‘सामाजिक’ तब होती है जब वह व्यक्तिगत से परे जाकर सामूहिक पैटर्न का हिस्सा बन जाती है और समाज के कामकाज को प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: शादी एक सामाजिक संस्था है, शिक्षा एक सामाजिक संस्था है। जबकि ‘अकेलापन’ एक व्यक्तिगत समस्या हो सकती है, गरीबी और बेरोजगारी व्यापक सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं से जुड़ी हैं।
प्रश्न 24: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) से क्या तात्पर्य है?
- एक ही व्यक्ति द्वारा एक साथ दो या दो से अधिक भूमिकाओं को निभाने में कठिनाई
- दो व्यक्तियों के बीच असहमति
- समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष
- पारंपरिक और आधुनिक भूमिकाओं के बीच टकराव
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति को एक साथ कई भूमिकाएँ निभानी पड़ती हैं, और उन भूमिकाओं की अपेक्षाएँ आपस में टकराती हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो एक साथ एक माता-पिता, एक कर्मचारी और एक छात्र है, उसे इन सभी भूमिकाओं को संतुलित करने में कठिनाई हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भूमिका तनाव (Role Strain) से भिन्न है, जहाँ एक ही भूमिका की अपेक्षाएँ विरोधाभासी होती हैं।
- गलत विकल्प: (b) दो व्यक्तियों के बीच असहमति व्यक्तिगत संघर्ष है। (c) वर्गों के बीच संघर्ष वर्ग संघर्ष है। (d) यह भूमिका संघर्ष का एक प्रकार हो सकता है, लेकिन (a) इसका अधिक सटीक और व्यापक वर्णन है।
प्रश्न 25: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) की अवधारणा का अध्ययन करने के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से वर्गों के बीच गतिशीलता पर?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- पियरे बॉर्डियू
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जबकि मार्क्स ने वर्ग संरचना और संघर्ष पर जोर दिया, मैक्स वेबर ने वर्ग (economic class), स्थिति (status group), और शक्ति (party) के आधार पर सामाजिक स्तरीकरण का अधिक जटिल मॉडल प्रस्तुत किया। उन्होंने इन आयामों के माध्यम से सामाजिक गतिशीलता की संभावनाओं का भी विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का कार्य यह समझने में महत्वपूर्ण है कि कैसे विभिन्न सामाजिक और आर्थिक कारक लोगों की स्थिति और ऊपर या नीचे जाने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। पियरे बॉर्डियू ने ‘पूंजी’ (habitus, cultural capital, social capital) की अवधारणा के माध्यम से सामाजिक गतिशीलता का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जो वेबर के बाद के महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से हैं, लेकिन वेबर को पारंपरिक रूप से इस क्षेत्र में एक प्रमुख विचारक माना जाता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर, और मार्क्स ने मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और क्रांति पर ध्यान केंद्रित किया। बॉर्डियू एक महत्वपूर्ण उत्तर-वेबेरियन विचारक हैं।
सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
[कोर्स और फ्री नोट्स के लिए यहाँ क्लिक करें]