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समाजशास्त्र मंथन: 25 प्रश्नों का दैनिक डोज

समाजशास्त्र मंथन: 25 प्रश्नों का दैनिक डोज

समाजशास्त्र के जिज्ञासु अभ्यार्थियों, अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए! हर दिन की तरह, आज भी हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण विषयों से जुड़े 25 चुनिंदा प्रश्न। यह आपका दैनिक अभ्यास सत्र है जो आपको मुख्य परीक्षाओं में सफल होने के लिए तैयार करेगा। आइए, अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा को किसने अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण का केंद्रीय बिंदु बनाया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: टैल्कॉट पार्सन्स को कार्यात्मकतावाद (Functionalism) के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में जाना जाता है, और उन्होंने ‘सामाजिक संरचना’ को समाज के विभिन्न भागों के बीच अपेक्षाकृत स्थिर संबंधों के एक पैटर्न के रूप में परिभाषित किया, जो समाज को कार्यशील बनाए रखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने अपनी पुस्तक “The Social System” में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है। उन्होंने माना कि सामाजिक संरचना सामाजिक व्यवस्था (Social Order) को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स के लिए ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Conflict) केंद्रीय था। मैक्स वेबर ने ‘क्रिया’ (Action) और उसके ‘अर्थ’ (Meaning) पर जोर दिया। एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) और ‘सामूहिकता’ (Collective Consciousness) पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 2: मैरी वुलस्टोनक्राफ्ट की कौन सी कृति महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणापत्र मानी जाती है?

  1. A Vindication of the Rights of Woman
  2. The Second Sex
  3. A Room of One’s Own
  4. Feminine Mystique

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैरी वुलस्टोनक्राफ्ट की 1792 में प्रकाशित पुस्तक “A Vindication of the Rights of Woman” को नारीवाद के प्रारंभिक और सबसे प्रभावशाली कार्यों में से एक माना जाता है। इसमें उन्होंने तर्क दिया कि महिलाओं को पुरुषों के समान शिक्षा और अवसर मिलने चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: यह कृति ज्ञानोदय (Enlightenment) काल के विचारों से प्रभावित थी और इसने भविष्य के नारीवादी आंदोलनों के लिए वैचारिक नींव रखी।
  • गलत विकल्प: “The Second Sex” सिमोन डी ब्यूवोइर की रचना है, “A Room of One’s Own” वर्जीनिया वुल्फ की और “Feminine Mystique” बेट्टी फ्रीडन की रचना है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा एमिल दुर्खीम द्वारा प्रस्तुत ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की विशेषता नहीं है?

  1. बाह्यता (Externality)
  2. बाध्यता (Coercion)
  3. व्यक्तिपरकता (Subjectivity)
  4. सामूहिकता (Generality)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्ति से ‘बाह्य’ (external) होते हैं और व्यक्ति पर ‘बाध्यता’ (coercive power) डालते हैं। वे ‘सामूहिक’ (general) होते हैं, यानी समाज में व्यापक रूप से विद्यमान होते हैं। व्यक्तिपरकता (subjectivity) सामाजिक तथ्य की विशेषता नहीं है, क्योंकि दुर्खीम उन्हें वस्तुनिष्ठ (objective) मानते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Rules of Sociological Method” में इस अवधारणा को स्पष्ट किया है। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को सामाजिक तथ्यों का वस्तुनिष्ठ रूप से अध्ययन करना चाहिए।
  • गलत विकल्प: बाह्यता, बाध्यता और सामूहिकता दुर्खीम द्वारा बताई गई सामाजिक तथ्यों की प्रमुख विशेषताएं हैं। व्यक्तिपरकता व्यक्तिगत मनोविज्ञान से संबंधित है, न कि सामाजिक तथ्य से।

प्रश्न 4: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के संबंध में ‘दूषित श्रम’ (Unclean Occupations) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसके अनुसार कुछ व्यवसाय जन्म के आधार पर अपवित्र माने जाते हैं?

  1. एम.एन. श्रीनिवास
  2. ई.बी. हार्विट्ज
  3. इरावती कर्वे
  4. जी.एस. घुरिये

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ई.बी. हार्विट्ज (E.B. Harvitz) ने अपनी रचनाओं में जाति व्यवस्था के संदर्भ में ‘दूषित श्रम’ या ‘अपवित्र व्यवसाय’ की अवधारणा का उल्लेख किया। यह उन व्यवसायों को संदर्भित करता है जिन्हें पारंपरिक रूप से निम्न जातियों से जोड़ा जाता था और उन्हें अपवित्र माना जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा जाति व्यवस्था की पदानुक्रमित (hierarchical) प्रकृति और व्यवसाय के आधार पर सामाजिक अलगाव (social segregation) को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा दी, इरावती कर्वे ने जाति को एक ‘विस्तृत वंश समूह’ (Broad Affinity Group) के रूप में देखा, और जी.एस. घुरिये ने जाति की विशेषताओं का वर्णन किया।

प्रश्न 5: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularization) का संबंध किस प्रक्रिया से है?

  1. विज्ञान और तर्कसंगतता का धार्मिक विश्वासों पर प्रभुत्व
  2. धार्मिक संस्थानों की बढ़ती शक्ति
  3. अंधविश्वासों का प्रसार
  4. धार्मिक विचारों का राजनीतिकरण

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने आधुनिक समाज के विकास के क्रम में धर्मनिरपेक्षता को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया माना, जिसके तहत तर्कसंगतता (rationality), विज्ञान (science) और नौकरशाही (bureaucracy) का प्रभाव बढ़ता है, और धार्मिक और पारंपरिक स्पष्टीकरणों का महत्व कम होता जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी प्रसिद्ध कृति “The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism” में भी तर्कसंगतता और इसके सामाजिक परिणामों पर जोर दिया था।
  • गलत विकल्प: धार्मिक संस्थानों की बढ़ती शक्ति, अंधविश्वासों का प्रसार या धार्मिक विचारों का राजनीतिकरण धर्मनिरपेक्षता के विपरीत या उससे भिन्न प्रक्रियाएं हैं।

प्रश्न 6: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का वह सिद्धांत जो मानता है कि समाज में असमानताएँ समाज के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक और कार्यात्मक (functional) हैं, किस सिद्धांत से जुड़ा है?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
  4. रूढ़िवादी सिद्धांत (Conservative Theory)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: संरचनात्मक प्रकार्यवाद, विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis and Moore) जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित, यह तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण आवश्यक है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए सबसे योग्य व्यक्तियों को प्रेरित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि असमानताएँ समाज के कामकाज के लिए एक आवश्यक तंत्र हैं, जो लोगों को कठिन प्रशिक्षण और जिम्मेदारियों को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत असमानता को सत्ता और संसाधनों के लिए संघर्ष का परिणाम मानता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत स्तर पर अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। रूढ़िवादी सिद्धांत यहां प्रासंगिक नहीं है।

प्रश्न 7: ‘संस्कृति का प्रसार’ (Cultural Diffusion) से आप क्या समझते हैं?

  1. समाज के भीतर सांस्कृतिक तत्वों का आंतरिक विकास
  2. विभिन्न समाजों के बीच सांस्कृतिक तत्वों का आदान-प्रदान
  3. संस्कृति का पूरी तरह से लुप्त हो जाना
  4. व्यक्तिगत सांस्कृतिक अनुभवों का संचय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सांस्कृतिक प्रसार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक संस्कृति के विचार, आविष्कार, रीति-रिवाज और अन्य तत्व एक समाज से दूसरे समाज में फैलते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह वैश्वीकरण (globalization) और प्रवास (migration) जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है और सांस्कृतिक परिवर्तन का एक प्रमुख चालक है।
  • गलत विकल्प: आंतरिक विकास (a), लुप्त होना (c), और व्यक्तिगत अनुभव (d) सांस्कृतिक प्रसार की परिभाषा में फिट नहीं बैठते।

प्रश्न 8: भारतीय संदर्भ में, ‘दलित’ (Dalit) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. उच्च जाति का सदस्य
  2. वह व्यक्ति जो धार्मिक रूप से शुद्ध है
  3. वह व्यक्ति जिसे ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ित और बहिष्कृत किया गया है
  4. वह व्यक्ति जो आदिवासी समुदाय से है

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘दलित’ एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ है ‘दबा हुआ’ या ‘कुचला हुआ’। यह शब्द उन समुदायों के लिए प्रयोग किया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से जाति-आधारित भेदभाव, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार के शिकार रहे हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द बी.आर. अम्बेडकर और अन्य सामाजिक सुधारकों द्वारा लोकप्रिय हुआ और इसने पहचान और सशक्तिकरण की भावना को बढ़ावा दिया।
  • गलत विकल्प: यह शब्द उच्च जाति (a), धार्मिक शुद्धता (b), या आदिवासी पहचान (d) से संबंधित नहीं है।

प्रश्न 9: चार्ल्स कूली (Charles Cooley) द्वारा प्रस्तुत ‘आत्म दर्पण सिद्धांत’ (Looking-Glass Self Theory) के अनुसार, व्यक्ति का ‘आत्म’ (Self) कैसे विकसित होता है?

  1. अपने आंतरिक विचारों और भावनाओं के माध्यम से
  2. दूसरों की धारणाओं और प्रतिक्रियाओं के माध्यम से
  3. सामाजिक मानदंडों और मूल्यों को आत्मसात करके
  4. केवल आनुवंशिक प्रवृत्ति से

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कूली का ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ सिद्धांत कहता है कि हमारा आत्म-बोध (self-concept) इस बात पर आधारित होता है कि हम दूसरों को कैसा दिखते हैं, दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं, और हम इन धारणाओं के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें तीन मुख्य चरण हैं: (1) हम कल्पना करते हैं कि हम दूसरों को कैसे दिखते हैं; (2) हम कल्पना करते हैं कि वे हमें कैसे आंकते हैं; (3) हम खुद के बारे में एक भावना विकसित करते हैं (जैसे गर्व या शर्म)।
  • गलत विकल्प: केवल आंतरिक विचार (a), सामाजिक मानदंड (c), या आनुवंशिकी (d) इस सिद्धांत के प्राथमिक घटक नहीं हैं।

प्रश्न 10: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों (social norms) के टूटने या कमजोर पड़ने की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि जब समाज में सामाजिक नियंत्रण और नियमों का अभाव होता है, तो व्यक्ति दिशाहीन और अनिश्चित महसूस कर सकता है, जिससे सामाजिक अव्यवस्था और व्यक्तिगत संकट पैदा हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने विशेष रूप से अपनी पुस्तक “Suicide” में बताया कि कैसे एनिमिक स्थितियां आत्महत्या की दर को बढ़ा सकती हैं।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘अलगाव’ (Alienation) से जुड़े हैं, मैक्स वेबर ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) से, और जॉर्ज हर्बर्ट मीड ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) से।

प्रश्न 11: भारतीय समाज में ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  2. उच्च जातियों की प्रथाओं और कर्मकांडों को अपनाना
  3. आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना
  4. ग्रामीण से शहरी जीवन शैली में परिवर्तन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा बताती है कि निम्न जातियाँ या आदिवासी समूह अक्सर उच्च जातियों की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) है जो सामाजिक गतिशीलता (social mobility) को भी प्रभावित कर सकती है। यह विशेष रूप से भारत में जाति व्यवस्था के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण (a) ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) कहलाता है। आधुनिक शिक्षा (c) और शहरीकरण (d) परिवर्तन के अन्य रूप हैं।

प्रश्न 12: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जो पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक के उसके श्रम, उत्पाद, स्वयं और दूसरों से विच्छेदित होने की स्थिति का वर्णन करती है, किस समाजशास्त्री द्वारा प्रतिपादित की गई?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद के तहत श्रमिकों द्वारा अनुभव किए जाने वाले अलगाव की चार प्रमुख श्रेणियों का वर्णन किया: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति से अलगाव, और मनुष्यों के अन्य सदस्यों से अलगाव।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियों 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में विस्तृत है और उनकी वर्ग संघर्ष (class struggle) की थ्योरी का एक केंद्रीय हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ‘एनोमी’ (Anomie) से, वेबर ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) से, और सिमेल ‘सामाजिक विविधीकरण’ (Social Differentiation) से जुड़े हैं।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था (Social Institution) समाज के सदस्यों को सामाजिक व्यवहार के स्वीकृत तरीकों को सिखाने और समाज की संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य करती है?

  1. राज्य (State)
  2. परिवार (Family)
  3. शिक्षा (Education)
  4. अर्थव्यवस्था (Economy)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: शिक्षा प्रणाली (Formal Education System) समाज के औपचारिक माध्यमों में से एक है जो बच्चों को ज्ञान, कौशल, मूल्य और सामाजिक मानदंडों को सिखाती है, जिससे वे समाज के प्रभावी सदस्य बन सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: शिक्षा न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि यह सामाजिक स्तरीकरण, सामाजिक गतिशीलता और सांस्कृतिक प्रसारण में भी भूमिका निभाती है।
  • गलत विकल्प: राज्य (a) कानून और व्यवस्था बनाए रखता है, परिवार (b) प्रारंभिक समाजीकरण करता है, और अर्थव्यवस्था (d) वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन और वितरण करती है। ये सभी संस्थान महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सांस्कृतिक प्रसारण का मुख्य औपचारिक कार्य शिक्षा का है।

  • प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?

    1. लोगों का एक ही सामाजिक वर्ग के भीतर हिलना-डुलना
    2. समाज के भीतर व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में परिवर्तन
    3. सामाजिक समूहों के बीच विचारों का आदान-प्रदान
    4. जनसंख्या घनत्व में वृद्धि

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सामाजिक गतिशीलता व्यक्तियों या समूहों द्वारा एक सामाजिक स्थिति से दूसरी में जाने की प्रक्रिया है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाज में अवसरों की समानता और सामाजिक संरचना की खुली या बंद प्रकृति को समझने में मदद करती है।
    • गलत विकल्प: एक ही वर्ग के भीतर हिलना-डुलना (a) गतिशीलता का एक विशिष्ट रूप नहीं है। विचारों का आदान-प्रदान (c) प्रसार है। जनसंख्या घनत्व (d) जनसांख्यिकी से संबंधित है।

    प्रश्न 15: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?

    1. संख्याओं और आँकड़ों का संग्रह
    2. घटनाओं के पीछे के अर्थों, अनुभवों और सामाजिक प्रक्रियाओं को समझना
    3. पूर्वानुमान लगाने के लिए सामान्यीकरण (Generalization) करना
    4. कारण-प्रभाव संबंधों को मात्रात्मक रूप से मापना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: गुणात्मक अनुसंधान का उद्देश्य गहराई से समझ विकसित करना है कि लोग कैसे महसूस करते हैं, वे क्या करते हैं, और क्यों करते हैं। यह विचारों, अनुभवों, अर्थों और सामाजिक प्रक्रियाओं की पड़ताल करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें साक्षात्कार (interviews), फोकस समूह (focus groups), और नृवंशविज्ञान (ethnography) जैसी विधियाँ शामिल हैं।
    • गलत विकल्प: संख्याओं का संग्रह (a) और मात्रात्मक मापन (d) मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) की विशेषताएं हैं। सामान्यीकरण (c) दोनों का लक्ष्य हो सकता है, लेकिन गुणात्मक अनुसंधान मुख्य रूप से गहराई से समझने पर केंद्रित है।

    प्रश्न 16: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:

    1. एक व्यक्ति को एक ही भूमिका के भीतर परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है
    2. एक व्यक्ति को दो अलग-अलग भूमिकाओं के भीतर परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है
    3. एक व्यक्ति अपनी भूमिका को सही ढंग से नहीं निभा पाता
    4. समाज में भूमिकाएँ अस्पष्ट हो जाती हैं

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब होता है जब एक व्यक्ति को अपनी विभिन्न भूमिकाओं (जैसे, एक ही समय में कर्मचारी, माता-पिता और मित्र होना) के कारण परस्पर विरोधी मांगों और अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को काम पर देर तक रुकना पड़ सकता है (कर्मचारी की भूमिका) लेकिन उसे उसी समय अपने बच्चे की स्कूल की गतिविधि में भी भाग लेना पड़ सकता है (माता-पिता की भूमिका)।
    • गलत विकल्प: परस्पर विरोधी अपेक्षाएँ एक ही भूमिका में (a) ‘भूमिका तनाव’ (Role Strain) कहलाती हैं। भूमिका न निभा पाना (c) या भूमिकाओं का अस्पष्ट होना (d) अन्य संबंधित, लेकिन भिन्न अवधारणाएं हैं।

    प्रश्न 17: पैट्रिक गेड्डेस (Patrick Geddes) और लुईस मुनफोर्ड (Lewis Mumford) जैसे विचारकों ने किस प्रकार के समाजशास्त्र पर जोर दिया?

    1. शहरी समाजशास्त्र (Urban Sociology)
    2. ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology)
    3. औद्योगिक समाजशास्त्र (Industrial Sociology)
    4. पारिवारिक समाजशास्त्र (Family Sociology)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: पैट्रिक गेड्डेस, जिन्हें ‘आधुनिक शहरी नियोजन का जनक’ भी कहा जाता है, और लुईस मुनफोर्ड, एक प्रमुख शहरी आलोचक और इतिहासकार थे। उनके कार्य शहरी जीवन, शहर के विकास और शहरी समस्याओं के समाजशास्त्रीय विश्लेषण पर केंद्रित थे।
    • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने शहरों के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलुओं का अध्ययन किया और एक अधिक टिकाऊ और मानव-केंद्रित शहरी भविष्य की वकालत की।
    • गलत विकल्प: हालाँकि उनके विचारों का अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ा, उनका मुख्य सरोकार शहरी समाजशास्त्र था।

    प्रश्न 18: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा से कौन सा समाजशास्त्री सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?

    1. पियरे बॉर्डियू
    2. रॉबर्ट पुटनम
    3. जेम्स कॉलमैन
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को तीन प्रमुख समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu), जेम्स कॉलमैन (James Coleman), और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam)। हालांकि उनके दृष्टिकोणों में सूक्ष्म अंतर हैं, तीनों ही इस बात से सहमत हैं कि सामाजिक संबंध (social connections) मूल्यवान संसाधन प्रदान करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे सामाजिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त लाभ के रूप में देखा, कॉलमैन ने इसे सामुदायिक और घरेलू वातावरण में व्यक्तियों के बीच संबंधों के रूप में परिभाषित किया, और पुटनम ने नागरिक जुड़ाव और सामाजिक विश्वास पर जोर दिया।
    • गलत विकल्प: चूंकि तीनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

    प्रश्न 19: ‘जालस्थल’ (Network) समाजशास्त्र में किस प्रकार की सामाजिक संरचना का प्रतिनिधित्व करता है?

    1. एक पदानुक्रमित (Hierarchical) संरचना
    2. व्यक्तियों या समूहों के बीच संबंधों का एक पैटर्न
    3. एक केंद्रीयकृत सत्ता संरचना
    4. एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संगठन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सामाजिक जाल (Social Network) व्यक्तियों या समूहों के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंधों (जैसे दोस्ती, सहयोग, ज्ञान साझा करना) के पैटर्न का वर्णन करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विश्लेषण का एक शक्तिशाली तरीका है जो बताता है कि जानकारी, प्रभाव और संसाधन कैसे फैलते हैं। नेटवर्क विश्लेषण (Network Analysis) समाजशास्त्र में एक महत्वपूर्ण विधि बन गई है।
    • गलत विकल्प: जाल जरूरी नहीं कि पदानुक्रमित (a), केंद्रीकृत (c) या स्थिर (d) हों; वे अक्सर गतिशील और जटिल होते हैं।

    प्रश्न 20: ‘समूह’ (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में निम्नलिखित में से कौन सा तत्व आवश्यक है?

    1. सभी सदस्यों का एक ही स्थान पर उपस्थित होना
    2. आपसी संपर्क और अंतःक्रिया (Interaction)
    3. एक समान उद्देश्य या लक्ष्य
    4. साझा जीवन शैली

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: समाजशास्त्रीय रूप से, एक समूह की सबसे बुनियादी परिभाषा यह है कि यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक संग्रह है जो एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, एक-दूसरे के प्रति जागरूक होते हैं, और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: आपसी संपर्क और अंतःक्रिया समूह को सिर्फ व्यक्तियों की भीड़ (aggregate) से अलग करती है। बाकी विकल्प (a, c, d) कुछ प्रकार के समूहों में मौजूद हो सकते हैं, लेकिन वे सभी समूहों के लिए सार्वभौमिक नहीं हैं।
    • गलत विकल्प: एक ही स्थान पर होना (a) आवश्यक नहीं है (जैसे ऑनलाइन समूह)। समान उद्देश्य (c) या साझा जीवन शैली (d) हमेशा मौजूद नहीं होती।

    प्रश्न 21: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की अवधारणा समाजशास्त्रीय रूप से किस परिवर्तन से जुड़ी है?

    1. कृषि आधारित समाज से औद्योगिक समाज की ओर परिवर्तन
    2. पारंपरिक, धार्मिक और वंशानुगत समाजों से तर्कसंगत, धर्मनिरपेक्ष और औद्योगीकृत समाजों की ओर परिवर्तन
    3. ग्रामीण जीवन शैली का शहरी जीवन शैली में परिवर्तन
    4. सामंतवाद से पूंजीवाद में संक्रमण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: आधुनिकता एक व्यापक अवधारणा है जो पश्चिमी समाजों में औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्र-राज्य के उदय, तर्कसंगतता और व्यक्तिवाद में वृद्धि जैसे परिवर्तनों की एक जटिल श्रृंखला को संदर्भित करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह पारंपरिक समाजों की तुलना में इन समाजों की विशेषताओं का वर्णन करती है।
    • गलत विकल्प: जबकि अन्य विकल्प (a, c, d) आधुनिकता की प्रक्रिया के हिस्से हैं, वे आधुनिकता की पूर्णता का वर्णन नहीं करते हैं, जो कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का एक समग्र ढांचा है।

    प्रश्न 22: ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख प्रतिपादकों में से कौन हैं?

    1. विलफ्रेडो पारेटो और सी. राइट मिल्स
    2. एमिल दुर्खीम और मैक्स वेबर
    3. कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
    4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड और हर्बर्ट ब्लूमर

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: विलफ्रेडो पारेटो (Vilfredo Pareto) ने ‘शासक वर्ग’ (ruling class) की अवधारणा दी, जो समाज के कुलीन वर्ग का वर्णन करती है। सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) ने अपनी पुस्तक “The Power Elite” में अमेरिकी समाज में सत्ताधारी अभिजन के उद्भव का विश्लेषण किया।
    • संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत मानते हैं कि समाज में एक छोटा, शक्तिशाली अभिजन वर्ग मौजूद होता है जो सत्ता और संसाधनों को नियंत्रित करता है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर (b) ‘सत्ता’ (Power) पर चर्चा करते हैं लेकिन एक संगठित ‘अभिजन सिद्धांत’ के मुख्य प्रस्तावक नहीं हैं। मार्क्स (c) वर्ग विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन पारंपरिक अर्थों में अभिजन सिद्धांतकार नहीं हैं। मीड और ब्लूमर (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।

    प्रश्न 23: ‘लिंग’ (Gender) की समाजशास्त्रीय समझ ‘जन्मजात जैविक अंतर’ (biological sex) से किस प्रकार भिन्न है?

    1. लिंग जैविक रूप से निर्धारित होता है, जबकि जन्मजात अंतर सामाजिक रूप से निर्मित होता है।
    2. जन्मजात अंतर सामाजिक रूप से निर्मित होता है, जबकि लिंग जैविक रूप से निर्धारित होता है।
    3. लिंग सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से निर्मित होता है, जबकि जन्मजात अंतर मुख्य रूप से जैविक होता है।
    4. दोनों ही अवधारणाएं जैविक रूप से निर्धारित हैं।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: समाजशास्त्र में, ‘जन्मजात अंतर’ (Sex) को आम तौर पर शारीरिक और जैविक विशेषताओं से जोड़ा जाता है जो किसी व्यक्ति को पुरुष या महिला के रूप में वर्गीकृत करते हैं। इसके विपरीत, ‘लिंग’ (Gender) भूमिकाओं, व्यवहारों, अभिव्यक्तियों और पहचानों के ऐसे सेट को संदर्भित करता है जो एक समाज अपने पुरुष और महिला सदस्यों के लिए उपयुक्त मानता है। यह सीखा हुआ, सामाजिक रूप से निर्मित और ऐतिहासिक रूप से परिवर्तनशील है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस भेद को समझना सामाजिक असमानताओं, शक्ति संबंधों और सांस्कृतिक अपेक्षाओं के विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) परिभाषाओं को उलट देते हैं। विकल्प (d) जैविक नियतिवाद (biological determinism) पर जोर देता है, जो समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के विपरीत है।

    प्रश्न 24: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) का कौन सा सिद्धांत मानता है कि परिवर्तन अक्सर सांस्कृतिक आदतों, सामाजिक संस्थाओं और प्रौद्योगिकी के बीच असंतुलन (disequilibrium) के कारण होता है, जिससे समाज को अनुकूलन (adaptation) करना पड़ता है?

    1. रेखीय सिद्धांत (Linear Theory)
    2. चक्रीय सिद्धांत (Cyclical Theory)
    3. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
    4. द्वंद्वात्मक सिद्धांत (Dialectical Theory)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: द्वंद्वात्मक सिद्धांत (Dialectical Theory), विशेष रूप से मार्क्सवादी परंपरा में, परिवर्तन को विपरीत शक्तियों (थीसिस, एंटी-थीसिस) के बीच संघर्ष और अंततः एक नई स्थिति (सिंथेसिस) के निर्माण के रूप में देखता है। यह अक्सर सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तत्वों के बीच असंतुलन और अनुकूलन की बात करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स का मानना था कि उत्पादन के तरीके (mode of production) और उत्पादन के संबंध (relations of production) के बीच द्वंद्वात्मक तनाव ही सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक है।
    • गलत विकल्प: रेखीय सिद्धांत (a) मानता है कि समाज एक निश्चित दिशा में विकसित होता है। चक्रीय सिद्धांत (b) मानता है कि परिवर्तन दोहराए जाने वाले पैटर्न का पालन करता है। संघर्ष सिद्धांत (c) मुख्य रूप से शक्ति और नियंत्रण के लिए संघर्ष पर जोर देता है, जबकि द्वंद्वात्मक सिद्धांत व्यापक द्वंद्वात्मक प्रक्रिया पर।

    प्रश्न 25: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया से संबंधित निम्न में से कौन सा कथन सत्य है?

    1. यह केवल पश्चिमीकरण का पर्याय है।
    2. यह केवल औद्योगीकरण और शहरीकरण की ओर एक रैखिक प्रक्रिया है।
    3. यह सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में परिवर्तन का एक बहुआयामी (multi-dimensional) और जटिल प्रक्रिया है।
    4. यह हमेशा पारंपरिक मूल्यों के क्षरण की ओर ले जाता है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: आधुनिकीकरण को केवल पश्चिमीकरण (a) या केवल औद्योगीकरण/शहरीकरण (b) तक सीमित नहीं किया जा सकता। यह एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक और संस्थागत परिवर्तन शामिल हैं, और यह हमेशा पारंपरिक मूल्यों को पूरी तरह से नष्ट नहीं करता, बल्कि अक्सर उनका पुनर्गठन या सह-अस्तित्व भी करता है (d)।
    • संदर्भ और विस्तार: भारत जैसे समाजों में आधुनिकीकरण की अपनी विशिष्ट गति और दिशा रही है, जहां पारंपरिक और आधुनिक तत्व एक साथ मौजूद रहते हैं।
    • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (a), औद्योगीकरण (b), और मूल्यों का क्षरण (d) आधुनिकीकरण के संभावित परिणाम या पहलू हो सकते हैं, लेकिन वे पूरी अवधारणा का सटीक या संपूर्ण वर्णन नहीं करते।

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