Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

समाजशास्त्र मंथन: दैनिक 25 प्रश्नोत्तरी – अपनी समझ को परखें!

समाजशास्त्र मंथन: दैनिक 25 प्रश्नोत्तरी – अपनी समझ को परखें!

तैयारी के इस रोज़ाना के सफर में आपका स्वागत है! आज हम समाजशास्त्र के विभिन्न आयामों से 25 चुनिंदा प्रश्न लेकर आए हैं। ये प्रश्न आपकी वैचारिक स्पष्टता, विश्लेषणात्मक कौशल और परीक्षा की तैयारी को धार देने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। तो, कमर कस लीजिए और अपनी समाजशास्त्रीय यात्रा को और मज़बूत बनाइए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसका अर्थ है सामाजिक क्रियाओं को उनके कर्ताओं के आत्मनिष्ठ अर्थों के संदर्भ में समझना?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ की अवधारणा दी। यह समाजशास्त्रियों से अपेक्षा करता है कि वे सामाजिक क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों को समझें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) की रीढ़ है और उनके कार्य ‘Economy and Society’ में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है।
  • गलत विकल्प: ‘एमी दुर्खीम’ ने ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा दी। ‘कार्ल मार्क्स’ का केंद्रीय विचार ‘वर्ग संघर्ष’ है। ‘जॉर्ज सिमेल’ ने सामाजिक अंतरक्रियाओं और रूप पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया से तात्पर्य क्या है?

  1. उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों की प्रथाओं को अपनाना।
  2. निम्न जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार का प्रयास।
  3. पश्चिमीकरण की प्रक्रिया, जिसमें पश्चिमी संस्कृति के तत्वों को अपनाना शामिल है।
  4. शहरीकरण के कारण होने वाले सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: संस्कृतिकरण, जैसा कि एम.एन. श्रीनिवास ने परिभाषित किया है, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जाति या जनजाति एक उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह संरचनात्मक गतिशीलता (structural mobility) के बजाय सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: (a) यह संस्कृतिकरण के विपरीत है। (c) पश्चिमीकरण एक अलग अवधारणा है जो पश्चिमी सांस्कृतिक लक्षणों को अपनाने से संबंधित है। (d) शहरीकरण सामाजिक परिवर्तन का एक व्यापक कारक है, न कि विशेष रूप से एक जाति-आधारित प्रक्रिया।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संरचना (Social Structure) की विशेषता नहीं है?

  1. यह स्थायित्व (Stability) और परिवर्तन (Change) दोनों दर्शाती है।
  2. यह अमूर्त (Abstract) होती है और प्रत्यक्ष रूप से अवलोकन योग्य नहीं होती।
  3. यह व्यक्तिगत व्यवहार को नियंत्रित (Regulate) करती है।
  4. यह सामाजिक समूहों के बीच समानता (Equality) पर आधारित होती है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक संरचना अक्सर असमानताओं (जैसे वर्ग, जाति, लिंग) पर आधारित होती है, न कि पूर्ण समानता पर।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संरचना व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं के बीच संबंधों, पैटर्नों और पदानुक्रम का एक अमूर्त ढाँचा है। यह स्थायित्व प्रदान करती है लेकिन समय के साथ बदल भी सकती है और व्यक्तिगत व्यवहार को निर्देशित करती है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी सामाजिक संरचना की मुख्य विशेषताएं हैं। संरचना में स्थायित्व और परिवर्तनशीलता दोनों होती है, यह अमूर्त होती है, और यह सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करती है।

प्रश्न 4: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के अध्ययन में ‘शक्ति’ (Power) के महत्व पर किसने बल दिया?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. रॉबर्ट मिेलस

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण को केवल आर्थिक आधार (जैसे मार्क्स ने), बल्कि शक्ति (Political Power) और प्रतिष्ठा (Prestige) के आधार पर भी वर्गीकृत किया।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने तीन आयामों – वर्ग (Class – आर्थिक), दर्प-समूह (Status Group – प्रतिष्ठा), और शक्ति-समूह (Party – शक्ति) – का प्रस्ताव रखा, जो सामाजिक स्तरीकरण के जटिल स्वरूप को दर्शाते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। (b) मार्क्स ने मुख्य रूप से आर्थिक वर्ग संघर्ष को स्तरीकरण का आधार माना। (d) रॉबर्ट मिेलस ‘एलीट सिद्धांत’ (Elite Theory) से जुड़े हैं, लेकिन वेबर स्तरीकरण के बहुआयामी दृष्टिकोण के लिए अधिक प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 5: ‘अनुकूलन’ (Adaptation) और ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment) समाज को कार्यशील बनाए रखने के लिए आवश्यक कौन सी प्रणालीगत आवश्यकताएं हैं, जिन्हें टैलकॉट पार्सन्स ने प्रस्तुत किया?

  1. AGIL मॉडल
  2. अंतर्क्रियात्मक सिद्धांत (Interactionist Theory)
  3. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  4. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: टैलकॉट पार्सन्स ने समाज को एक प्रणाली के रूप में देखा और उसे कार्यशील बने रहने के लिए चार आवश्यक उप-प्रणालियों या आवश्यकताओं को पूरा करना होता है, जिन्हें उन्होंने AGIL मॉडल (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency/Pattern Maintenance) के रूप में प्रस्तुत किया। ‘अनुकूलन’ और ‘लक्ष्य प्राप्ति’ इसी मॉडल के दो मुख्य घटक हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मॉडल संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता (Structural Functionalism) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बताता है कि समाज में विभिन्न उप-प्रणालियाँ एक-दूसरे से कैसे जुड़ी होती हैं और समाज के संतुलन को बनाए रखने में कैसे योगदान करती हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाजशास्त्र के विभिन्न सिद्धांत हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर पार्सन्स के AGIL मॉडल के घटकों से संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 6: ‘अपरिहार्य प्रभुत्व’ (Irreducible Domination) की अवधारणा, जो समाज में असमानताओं को जन्म देती है, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी है?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. ई.पी. थॉम्पसन
  4. अंतोनियो ग्राम्शी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी समाज में उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के कारण बुर्जुआ वर्ग का सर्वहारा वर्ग पर एक अपरिहार्य आर्थिक प्रभुत्व होता है, जो शोषण और असमानता को जन्म देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने वर्ग संरचना को शोषण और प्रभुत्व के लेंस से देखा, जहाँ शासक वर्ग (बुर्जुआ) अपने हितों की रक्षा के लिए उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण रखता है।
  • गलत विकल्प: (a) वेबर ने शक्ति और प्रतिष्ठा के आधार पर भी स्तरीकरण को देखा। (c) ई.पी. थॉम्पसन इतिहासकार हैं जिन्होंने श्रमिक वर्ग के उदय का अध्ययन किया। (d) ग्राम्शी ने ‘सांस्कृतिक प्रभुत्व’ (Cultural Hegemony) की अवधारणा दी, जो प्रभुत्व का एक अलग पहलू है।

प्रश्न 7: ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Group) की सबसे उपयुक्त विशेषता क्या है?

  1. यह छोटे आकार का, घनिष्ठ और भावनात्मक संबंधों वाला होता है।
  2. सदस्यता स्वैच्छिक होती है और उद्देश्य विशिष्ट होते हैं।
  3. सदस्यता और संबंध आजीवन होते हैं।
  4. इसमें सदस्यों के बीच अवैयक्तिक (Impersonal) और औपचारिक (Formal) संबंध होते हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: द्वितीयक समूहों में सदस्यों के बीच संबंध आमतौर पर अवैयक्तिक, औपचारिक और एक विशिष्ट लक्ष्य या उद्देश्य की प्राप्ति पर केंद्रित होते हैं। उदाहरण: कार्यस्थल, राजनीतिक दल।
  • संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स कूले ने प्राथमिक और द्वितीयक समूहों के बीच अंतर किया था। प्राथमिक समूह (जैसे परिवार, मित्र) घनिष्ठ, दीर्घकालिक और भावनात्मक होते हैं, जबकि द्वितीयक समूह बड़े, अवैयक्तिक और लक्ष्य-उन्मुख होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह प्राथमिक समूह की विशेषता है। (b) स्वैच्छिक सदस्यता और उद्देश्य विशिष्टता द्वितीयक समूहों की विशेषता हो सकती है, लेकिन सबसे उपयुक्त विशेषता अवैयक्तिक और औपचारिक संबंध हैं। (c) आजीवन संबंध प्राथमिक समूहों की पहचान है।

प्रश्न 8: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का वह प्रकार क्या है जिसमें व्यक्ति समाज के भीतर एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाता है, लेकिन उसी समाज के भीतर?

  1. ऊर्ध्वगामी गतिशीलता (Upward Mobility)
  2. क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
  3. ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
  4. अन्तर्पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) का अर्थ है किसी व्यक्ति का सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर या नीचे की ओर खिसकना। जैसे, एक मजदूर का प्रबंधक बनना (ऊर्ध्वगामी) या एक प्रोफेसर का क्लर्क बनना (अधोगामी)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समाज की स्तरीकृत प्रकृति को दर्शाता है। ऊर्ध्वगामी गतिशीलता (Upward Mobility) और अधोगामी गतिशीलता (Downward Mobility) दोनों ऊर्ध्वाधर गतिशीलता के ही रूप हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह ऊर्ध्वाधर गतिशीलता का एक प्रकार है। (b) क्षैतिज गतिशीलता में व्यक्ति समान सामाजिक स्थिति बनाए रखते हुए एक समूह से दूसरे समूह में जाता है (जैसे, एक कंपनी से दूसरी कंपनी में समान पद पर जाना)। (d) अन्तर्पीढ़ीगत गतिशीलता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक होने वाली गतिशीलता है।

प्रश्न 9: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के अनुसार, ‘आत्म’ (Self) का निर्माण कैसे होता है?

  1. केवल जैविक विकास से।
  2. समाज द्वारा निर्धारित भूमिकाओं के पूर्ण अनुकरण से।
  3. दूसरों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से, विशेष रूप से उन प्रतिक्रियाओं को आत्मसात करने से जो दूसरों के पास हमारे बारे में होती हैं।
  4. जन्मजात सामाजिक प्रवृत्तियों के कारण।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, विशेष रूप से जॉर्ज हर्बर्ट मीड के विचारों के अनुसार, ‘आत्म’ (Self) एक सामाजिक उत्पाद है जो दूसरों के साथ बातचीत और उनकी प्रतिक्रियाओं को आंतरिक बनाने के माध्यम से विकसित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘मैं’ (I – प्रतिक्रियात्मक भाग) और ‘मी’ (Me – सामाजिककृत भाग) की अवधारणा दी। ‘मी’ का विकास दूसरों की ‘दृष्टिकोण को अपनाना’ (taking the role of the other) से होता है, जिससे आत्म-जागरूकता उत्पन्न होती है।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) जैविक और सहजवादी स्पष्टीकरण देते हैं। (b) भूमिकाओं का अनुकरण एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह दूसरों की प्रतिक्रियाओं को आत्मसात करने जितना मौलिक नहीं है।

प्रश्न 10: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अंतर्जातीय विवाह’ (Endogamy) से क्या तात्पर्य है?

  1. समान जाति के भीतर विवाह।
  2. विभिन्न जातियों के बीच विवाह।
  3. समान गोत्र के भीतर विवाह।
  4. विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच विवाह।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: अंतर्जातीय विवाह (Endogamy) वह नियम है जिसके अनुसार व्यक्ति को अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था की एक मुख्य विशेषता अंतर्जातीय विवाह है, जो जाति की सीमाओं को बनाए रखने में मदद करता है। इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) नियम के अनुसार व्यक्ति को अपने गोत्र या कुल (lineage) के बाहर विवाह करना होता है।
  • गलत विकल्प: (b) यह बहिर्विवाह (Exogamy) का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह अंतर्जातीय विवाह का अर्थ नहीं है। (c) समान गोत्र के भीतर विवाह निषिद्ध होता है (गोत्र बहिर्विवाह)। (d) सामाजिक वर्गों के बीच विवाह पर भी अक्सर सामाजिक प्रतिबंध होते हैं, लेकिन जाति व्यवस्था के लिए ‘अंतर्जातीय विवाह’ शब्द विशेष रूप से जाति समूह के भीतर विवाह को संदर्भित करता है।

प्रश्न 11: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा किसके कार्यों में महत्वपूर्ण रूप से पाई जाती है?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. एमाइल दुर्खीम
  3. हर्बर्ट स्पेंसर
  4. इर्विंग गॉफमैन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: पियरे बॉर्डियू ने ‘सामाजिक पूंजी’ की अवधारणा को विकसित किया। उनका मानना था कि सामाजिक नेटवर्क (Social Networks) तक पहुँच और उनका उपयोग व्यक्तियों को महत्वपूर्ण संसाधन (जैसे जानकारी, समर्थन, अवसर) प्रदान कर सकता है, जो आर्थिक या सांस्कृतिक पूंजी के समान मूल्यवान है।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे “उन संसाधनों का कुल योग जो किसी व्यक्ति के स्थायी नेटवर्क में शामिल होने से प्राप्त होते हैं या बनाए जाते हैं।” के रूप में परिभाषित किया।
  • गलत विकल्प: (b) दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर बल दिया। (c) स्पेंसर विकासवादी सिद्धांत से जुड़े थे। (d) गॉफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) और दैनिक जीवन के विश्लेषण पर काम किया।

प्रश्न 12: ‘तटस्थता’ (Neutrality) और ‘वस्तुनिष्ठता’ (Objectivity) किस प्रकार की अनुसंधान विधि के आदर्श हैं?

  1. व्यक्तिपरक (Subjective)
  2. गुणात्मक (Qualitative)
  3. मात्रात्मक (Quantitative)
  4. व्याख्यात्मक (Interpretive)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मात्रात्मक अनुसंधान विधियाँ (Quantitative Research Methods) अक्सर तटस्थता और वस्तुनिष्ठता को आदर्श मानती हैं, जहाँ शोधकर्ता अपनी व्यक्तिगत भावनाओं या पूर्वाग्रहों को परिणामों को प्रभावित नहीं करने देते।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण आम तौर पर परिकल्पनाओं का परीक्षण करने, चरों (variables) के बीच संबंधों को मापने और सांख्यिकीय विश्लेषण का उपयोग करने पर केंद्रित होता है, जो प्रत्यक्षवादी (Positivist) परंपरा से जुड़ा है।
  • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिपरक दृष्टिकोण स्वयं शोधकर्ता के अनुभवों पर केंद्रित होता है। (b) और (d) गुणात्मक और व्याख्यात्मक विधियाँ अक्सर व्यक्तिपरक अनुभवों, अर्थों और संदर्भों को समझने पर ज़ोर देती हैं, जहाँ पूर्ण तटस्थता और वस्तुनिष्ठता एक अलग रूप में देखी जाती है (जैसे, शोधकर्ता की अंतर्दृष्टि)।

  • प्रश्न 13: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:

    1. एक व्यक्ति की एक ही भूमिका के भीतर विरोधी अपेक्षाएँ होती हैं।
    2. एक व्यक्ति विभिन्न भूमिकाओं के बीच विरोधी अपेक्षाओं का अनुभव करता है।
    3. समाज में किसी भी प्रकार की भूमिकाएँ मौजूद नहीं होती हैं।
    4. व्यक्ति को समाज द्वारा कोई भूमिका नहीं दी जाती है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब होता है जब एक व्यक्ति को एक साथ दो या दो से अधिक भूमिकाओं से जुड़ी परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरण: एक माँ जो एक ही समय में एक सफल व्यावसायिक महिला भी है।
    • संदर्भ और विस्तार: ‘भूमिका तनाव’ (Role Strain) वह स्थिति है जब किसी एक भूमिका के भीतर विरोधी अपेक्षाएँ होती हैं।
    • गलत विकल्प: (a) यह भूमिका तनाव (Role Strain) को दर्शाता है। (c) और (d) भूमिकाओं की अनुपस्थिति या कमी से संबंधित हैं, न कि उनके बीच संघर्ष से।

    प्रश्न 14: ‘एकीकरण’ (Integration) और ‘पैटर्न रखरखाव’ (Pattern Maintenance/Latency) समाज की आवश्यक कार्यात्मक आवश्यकताएं हैं, जिन्हें पार्सन्स के AGIL मॉडल में शामिल किया गया है। ये समाज में क्या भूमिका निभाते हैं?

    1. एकीकरण सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभिन्न उप-प्रणालियों के बीच समन्वय स्थापित करता है, जबकि पैटर्न रखरखाव समाज के मूल्यों और सांस्कृतिक पैटर्नों को बनाए रखता है।
    2. एकीकरण नए संसाधनों का अधिग्रहण करता है, और पैटर्न रखरखाव लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनका उपयोग करता है।
    3. एकीकरण पर्यावरण के अनुकूल होता है, और पैटर्न रखरखाव संघर्षों को हल करता है।
    4. एकीकरण समाज के लिए लक्ष्य निर्धारित करता है, और पैटर्न रखरखाव उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीतियाँ बनाता है।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: पार्सन्स के AGIL मॉडल में, ‘एकीकरण’ (Integration) समाज के विभिन्न भागों (जैसे संस्थाओं, समूहों) के बीच समन्वय और सामंजस्य स्थापित करने की प्रक्रिया है ताकि वे एक साथ काम कर सकें। ‘पैटर्न रखरखाव’ (Pattern Maintenance or Latency) समाज के मूलभूत मूल्यों, मानदंडों और सांस्कृतिक पैटर्नों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनाए रखने की प्रक्रिया है, ताकि समाज की अपनी पहचान और स्थायित्व बना रहे।
    • संदर्भ और विस्तार: इन दोनों का उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था और संतुलन बनाए रखना है।
    • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) AGIL मॉडल के अन्य घटकों (अनुकूलन और लक्ष्य प्राप्ति) या गलत व्याख्याओं का वर्णन करते हैं।

    प्रश्न 15: ‘अपरिहार्य समाज’ (The Inevitable Society) और ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) की अवधारणाएँ किससे संबंधित हैं?

    1. फ्रेडरिक निएत्शे
    2. जर्गेन हैबरमास
    3. हर्बर्ट मारक्यूज़
    4. माइकेल फौकॉल्ट

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: माइकेल फौकॉल्ट ने आधुनिक समाजों में सत्ता, ज्ञान और सामाजिक नियंत्रण के बीच जटिल संबंधों का विश्लेषण किया। उनकी कृतियाँ, जैसे ‘डिसीप्लिन एंड पनिश’ (Discipline and Punish), दर्शाती हैं कि कैसे संस्थाएँ (जैसे जेल, स्कूल) और ‘सर्विलांस’ (Surveillance) का तंत्र व्यक्तियों के व्यवहार को नियंत्रित करता है, जिससे एक ‘अपरिहार्य समाज’ का निर्माण होता है जहाँ नियंत्रण सूक्ष्म और सर्वव्यापी हो जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: फौकॉल्ट ने ‘बायोपॉवर’ (Biopower) और ‘पनोप्सिज़्म’ (Panopticism) जैसी अवधारणाओं का भी प्रयोग किया।
    • गलत विकल्प: (a) निएत्शे ने शक्ति की इच्छा पर बल दिया। (b) हैबरमास ने ‘संचारित क्रिया’ (Communicative Action) का सिद्धांत दिया। (c) मारक्यूज़ फ्रैंकफर्ट स्कूल के सदस्य थे और ‘एक-आयामी व्यक्ति’ (One-Dimensional Man) पर काम किया।

    प्रश्न 16: भारत में, ‘ग्राम सभा’ (Gram Sabha) की अवधारणा भारतीय संविधान की किस अनुसूची में उल्लिखित है?

    1. तीसरी अनुसूची
    2. सातवीं अनुसूची
    3. नौवीं अनुसूची
    4. ग्यारहवीं अनुसूची

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ग्राम सभा, पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) का एक महत्वपूर्ण घटक है, और इसका उल्लेख भारतीय संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में किया गया है, जो 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ी गई थी।
    • संदर्भ और विस्तार: ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं को 29 विषय दिए गए हैं जिन पर वे कानून बना सकती हैं। ग्राम सभा को गाँव स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थानीय स्वशासन निकाय के रूप में मान्यता दी गई है।
    • गलत विकल्प: अन्य अनुसूचियाँ क्रमशः शपथ/पुष्टि, शक्तियों का विभाजन, और कुछ अधिनियमों का सत्यापन से संबंधित हैं।

    प्रश्न 17: ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा का प्रयोग सबसे पहले किसने किया?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. सी. राइट मिल्स
    4. हरबर्ट ब्लूमर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक ‘द सोशियोलॉजिकल इमेजिनेशन’ (1959) में इस अवधारणा को प्रतिपादित किया। इसका अर्थ है व्यक्ति के निजी अनुभवों और बड़े सामाजिक संरचनाओं के बीच संबंध को समझने की क्षमता।
    • संदर्भ और विस्तार: मिल्स के अनुसार, समाजशास्त्रीय कल्पना व्यक्ति को उसके निजी जीवन की समस्याओं को सामाजिक, ऐतिहासिक और संस्थागत संदर्भों से जोड़ने में मदद करती है।
    • गलत विकल्प: (a) और (b) समाजशास्त्र के प्रमुख विचारक हैं लेकिन यह अवधारणा उनकी नहीं है। (d) ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।

    प्रश्न 18: ‘सामूहिक अवचेतन’ (Collective Unconscious) की अवधारणा किस मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय विचारक से जुड़ी है?

    1. सिगमंड फ्रायड
    2. कार्ल जंग
    3. अल्फ्रेड एडलर
    4. फ्रिट्ज़ पर्ल्स

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: कार्ल जंग (Carl Jung) ने ‘सामूहिक अवचेतन’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका मानना था कि यह मानव जाति के साझा, वंशानुगत मनोवैज्ञानिक अनुभवों और पैटर्नों का भंडार है, जो प्रतीक, मिथक और पुराकथाओं के माध्यम से प्रकट होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: हालाँकि यह मुख्य रूप से मनोविज्ञान से संबंधित है, समाजशास्त्री इसका उपयोग सांस्कृतिक पैटर्न, प्रतीकों और सामूहिक व्यवहारों को समझने के लिए भी करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a) फ्रायड ने व्यक्तिगत अवचेतन पर जोर दिया। (c) एडलर व्यक्तिगत मनोविज्ञान से जुड़े थे। (d) पर्ल्स गेस्टाल्ट थेरेपी से जुड़े थे।

    प्रश्न 19: ‘धर्म के समाजशास्त्र’ (Sociology of Religion) में, ‘पवित्र’ (Sacred) और ‘अपवित्र’ (Profane) के बीच अंतर सर्वप्रथम किसने स्पष्ट किया?

    1. मैक्स वेबर
    2. कार्ल मार्क्स
    3. ई.बी. टाइलर
    4. ई. दुर्खीम

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द एलिमेंट्री फॉर्म्स ऑफ द रिलीजियस लाइफ’ (The Elementary Forms of the Religious Life) में पवित्र और अपवित्र के बीच मूलभूत भेद किया। उन्होंने इसे धर्म का सार माना।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, पवित्र वह है जो वर्जित, पूजनीय और अलौकिक है, जबकि अपवित्र वह है जो सामान्य, दैनिक और तुच्छ है।
    • गलत विकल्प: (a) वेबर ने धर्म और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध का अध्ययन किया। (b) मार्क्स ने धर्म को ‘जनता का अफीम’ कहा। (c) टाइलर ने ‘एनिमिज्म’ (Animism) की अवधारणा दी।

    प्रश्न 20: ‘आधुनिकीकरण सिद्धांत’ (Modernization Theory) के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘परंपरागत समाज’ (Traditional Society) की विशेषता नहीं है?

    1. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
    2. मजबूत पारिवारिक और सामुदायिक संबंध
    3. अंधविश्वास और धर्म पर अधिक निर्भरता
    4. तकनीकी नवाचार के प्रति खुलापन

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत के अनुसार, पारंपरिक समाजों की विशेषता अक्सर रूढ़िवाद, यथास्थितिवाद और स्थापित रीति-रिवाजों के प्रति निष्ठा होती है। तकनीकी नवाचार के प्रति खुलापन आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का एक उत्पाद है, न कि पारंपरिक समाज की।
    • संदर्भ और विस्तार: पारंपरिक समाजों को आम तौर पर स्थिर, सीमित गतिशीलता और संस्थागत जड़ता द्वारा चिह्नित किया जाता है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) पारंपरिक समाजों की सामान्य विशेषताएँ मानी जाती हैं।

    प्रश्न 21: ‘आत्मसात्करण’ (Assimilation) की प्रक्रिया में:

    1. विभिन्न सांस्कृतिक समूह अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए एक साथ रहते हैं।
    2. एक अल्पसंख्यक समूह धीरे-धीरे बहुसंख्यक समूह की संस्कृति और मानदंडों को अपना लेता है।
    3. समाज में विभिन्न समूहों के बीच संघर्ष उत्पन्न होता है।
    4. समूह अपनी अनूठी संस्कृति का सक्रिय रूप से प्रचार करते हैं।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आत्मसात्करण वह प्रक्रिया है जहाँ एक अल्पसंख्यक सांस्कृतिक समूह धीरे-धीरे प्रमुख संस्कृति के मानदंडों, मूल्यों और प्रथाओं को अपनाता है, जिससे उसकी अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान कम हो जाती है या समाप्त हो जाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर आप्रवासन (immigration) और सांस्कृतिक संपर्क (cultural contact) के संदर्भ में अध्ययन किया जाता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (Cultural Pluralism) है। (c) यह ‘संघर्ष सिद्धांत’ से संबंधित है। (d) यह ‘सांस्कृतिक प्रसार’ (Cultural Diffusion) या ‘सांस्कृतिक प्रसार’ (Cultural Aggression) जैसा कुछ हो सकता है।

    प्रश्न 22: ‘सामाजिक जड़ीभूतता’ (Social Inertia) का सिद्धांत, जो दर्शाता है कि सामाजिक प्रणालियाँ परिवर्तन का प्रतिरोध करती हैं, किससे संबंधित है?

    1. संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता
    2. संघर्ष सिद्धांत
    3. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    4. संस्थानीकरण (Institutionalization)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता (Structural Functionalism) समाज को एक संतुलन प्रणाली के रूप में देखती है जो यथास्थिति बनाए रखने की कोशिश करती है। मौजूदा संरचनाएँ और कार्यप्रणाली परिवर्तन का प्रतिरोध करती हैं, जिसे ‘सामाजिक जड़ीभूतता’ के रूप में समझा जा सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि समाज में स्थिरता बनी रहती है क्योंकि विभिन्न अंग (जैसे परिवार, शिक्षा) एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं और किसी भी संरचनात्मक परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले संभावित व्यवधानों को कम करने का प्रयास करते हैं।
    • गलत विकल्प: (b) संघर्ष सिद्धांत परिवर्तन को समाज की मुख्य प्रेरक शक्ति मानता है। (c) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। (d) संस्थानीकरण एक प्रक्रिया है, सिद्धांत नहीं, जो सामाजिक व्यवहार के स्थापित पैटर्न बनाती है।

    प्रश्न 23: ‘पैटर्न में व्यवस्था’ (Order in Pattern) से तात्पर्य समाजशास्त्र में किस दृष्टिकोण से है?

    1. समाज अप्रत्याशित और अराजक है।
    2. समाज में सामाजिक क्रियाएँ और संरचनाएँ यादृच्छिक (Random) होती हैं।
    3. समाज में अंतर्निहित नियम, पैटर्न और संरचनाएँ होती हैं जिनका अध्ययन किया जा सकता है।
    4. सामाजिक घटनाएँ पूरी तरह से व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करती हैं।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘पैटर्न में व्यवस्था’ समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण की मूलभूत मान्यता है। इसका अर्थ है कि भले ही सामाजिक दुनिया जटिल लगे, उसमें ऐसे नियमित, दोहराए जाने वाले पैटर्न और संरचनाएँ होती हैं जिन्हें व्यवस्थित अध्ययन के माध्यम से पहचाना और समझा जा सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्र को अन्य विज्ञानों के समान एक व्यवस्थित अध्ययन का क्षेत्र बनाता है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) समाज में व्यवस्था और पैटर्न की समाजशास्त्रीय मान्यता को नकारते हैं।

    प्रश्न 24: ‘अंकीयकरण’ (Numeracy) और ‘विश्लेषणात्मक कौशल’ (Analytical Skills) समाजशास्त्रीय अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं?

    1. केवल गुणात्मक डेटा को समझने के लिए।
    2. बड़े डेटासेट का विश्लेषण करने, पैटर्न खोजने और सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकालने के लिए।
    3. साक्षात्कार आयोजित करने की विधि सीखने के लिए।
    4. केवल सिद्धांत विकसित करने के लिए।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: अंकीयकरण (संख्याओं और डेटा को समझने की क्षमता) और विश्लेषणात्मक कौशल आधुनिक समाजशास्त्रीय अनुसंधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये कौशल शोधकर्ताओं को सर्वेक्षणों, प्रयोगों और अन्य मात्रात्मक डेटा से प्राप्त बड़ी मात्रा में जानकारी का प्रभावी ढंग से विश्लेषण करने, रुझानों की पहचान करने, परिकल्पनाओं का परीक्षण करने और विश्वसनीय निष्कर्ष निकालने में सक्षम बनाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र अब केवल गुणात्मक या सैद्धांतिक नहीं है; मात्रात्मक डेटा का विश्लेषण एक अभिन्न अंग बन गया है।
    • गलत विकल्प: (a) यह केवल गुणात्मक डेटा के लिए नहीं है। (c) यह साक्षात्कार की विधि के लिए सीधे तौर पर महत्वपूर्ण नहीं है (जो मुख्य रूप से गुणात्मक है)। (d) यह केवल सिद्धांत विकसित करने के लिए नहीं, बल्कि अनुभवजन्य (empirical) शोध के लिए भी आवश्यक है।

    प्रश्न 25: ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. यह सुझाव देना कि एक संस्कृति निश्चित रूप से दूसरी से श्रेष्ठ है।
    2. विभिन्न संस्कृतियों को उनके अपने संदर्भों और मूल्यों के भीतर समझने और उनका मूल्यांकन करने का प्रयास करना।
    3. सभी संस्कृतियों को एक ही मानक पर आंकना।
    4. सांस्कृतिक श्रेष्ठता का प्रसार करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद एक दृष्टिकोण है जो मानता है कि किसी भी संस्कृति को उसके अपने सदस्यों के दृष्टिकोण से, उनके अपने संदर्भ में समझा और आंका जाना चाहिए। इसका उद्देश्य विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं और मान्यताओं के प्रति निष्पक्ष और गैर-निर्णयात्मक (non-judgmental) रहना है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह ‘नृजातीय केन्द्रीवाद’ (Ethnocentrism – अपनी संस्कृति को दूसरों से श्रेष्ठ मानना) के विपरीत है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) नृजातीय केन्द्रीवाद के उदाहरण हैं। (c) यह सांस्कृतिक सापेक्षवाद का खंडन करता है।

    Leave a Comment