समाजशास्त्र मंथन: दैनिक अभ्यास
तैयारी के इस सफ़र में, अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को पैना करने का समय आ गया है! हर दिन एक नई चुनौती, नए प्रश्न और बेहतर समझ। आइए, आज के इन 25 प्रश्नों के माध्यम से अपनी अवधारणाओं और विश्लेषण क्षमता की कसौटी पर खुद को परखें और समाजशास्त्र के सागर में गहराई से गोता लगाएँ!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र का मुख्य विषय माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- अगस्त कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम को समाजशास्त्र का संस्थापक माना जाता है और उन्होंने ‘सामाजिक तथ्य’ को समाजशास्त्र के अध्ययन का केंद्रीय विषय घोषित किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे व्यवहार, विचार और भावनाएँ हैं जो व्यक्ति पर बाह्य दबाव डालती हैं और जिनका अस्तित्व व्यक्ति से स्वतंत्र होता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उनका दृष्टिकोण प्रत्यक्षवादी (positivist) था, जिसका अर्थ है कि समाज को प्राकृतिक विज्ञानों की तरह वैज्ञानिक तरीकों से अध्ययन किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारण पर था। मैक्स वेबर ने व्यक्तिनिष्ठ अर्थों (subjective meanings) को समझने पर जोर दिया (Verstehen)। ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन उन्होंने ‘सामाजिक स्थायित्व’ और ‘सामाजिक प्रगति’ पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 2: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रस्तावक कौन है?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- हरबर्ट मीड
- रॉबर्ट मैर्टन
- विलियम ग्राहम समनर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि समाज और व्यक्ति का निर्माण प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं से होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘स्व’ (self) और ‘समाज’ के विकास में अंतःक्रियाओं और प्रतीकों की भूमिका पर बल दिया। उनका कार्य, जो मरणोपरांत प्रकाशित हुआ, इस सिद्धांत का आधार बना।
- गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (structural-functionalism) से जुड़े हैं। रॉबर्ट मैर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (middle-range theories) और ‘अनुकूलन’ (anomie) जैसी अवधारणाएँ दीं। विलियम ग्राहम समनर ने ‘लोकप्रियता’ (folkways) और ‘रूढ़ियाँ’ (mores) जैसे शब्द गढ़े।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा कार्ल मार्क्स के ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) का केंद्रीय तत्व नहीं है?
- वर्ग संघर्ष
- अलगाव (Alienation)
- सत्ता (Authority)
- अधिरचना (Superstructure)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स के सिद्धांत में ‘वर्ग संघर्ष’ (जैसे बुर्जुआ और सर्वहारा के बीच) उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को लेकर एक केंद्रीय विचार है। ‘अलगाव’ (Alienation) पूंजीवाद के तहत श्रमिकों की अपने श्रम, उत्पाद, साथी और स्वयं से दूरी को दर्शाता है। ‘अधिरचना’ (Superstructure) में राज्य, कानून, धर्म, संस्कृति जैसी संस्थाएँ शामिल हैं जो आर्थिक आधार (Economic Base) से प्रभावित होती हैं। ‘सत्ता’ (Authority) वेबर द्वारा अधिक गहराई से विश्लेषित की गई अवधारणा है, हालाँकि मार्क्स ने सत्ता के प्रयोग को शासक वर्ग के प्रभुत्व से जोड़ा।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) बताता है कि समाज का विकास आर्थिक आधार में होने वाले परिवर्तनों से संचालित होता है, जिससे वर्ग संघर्ष उत्पन्न होता है।
- गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष, अलगाव और अधिरचना मार्क्स के सिद्धांत के प्रमुख अंग हैं। सत्ता (Authority) को मैक्स वेबर ने तीन प्रकारों (पारंपरिक, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत) में वर्गीकृत किया, जो मार्क्स के सीधे केंद्रीय फोकस से थोड़ा भिन्न है, यद्यपि मार्क्स ने राज्य की शक्ति और प्रभुत्व के रूप में सत्ता की भूमिका को स्वीकार किया।
प्रश्न 4: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज के विभिन्न भागों का एक-दूसरे पर निर्भरता का भाव किस प्रकार की सामाजिक एकता (Social Solidarity) का सूचक है?
- यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity)
- साव्यवी एकता (Organic Solidarity)
- सामूहिक चेतना (Collective Consciousness)
- सामाजिक व्यवस्था (Social Order)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: दुर्खीम ने ‘साव्यवी एकता’ (Organic Solidarity) की अवधारणा को आधुनिक, जटिल समाजों के संदर्भ में प्रस्तुत किया, जहाँ श्रम का विभाजन (division of labour) अत्यधिक होता है। इस प्रकार के समाजों में, लोग अपनी विशेष भूमिकाओं के कारण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, जैसे मानव शरीर के विभिन्न अंग।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘श्रम का विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में पाई जाती है। यह एकता व्यक्तिगत भिन्नता पर आधारित होती है, जबकि यांत्रिक एकता समानता और साझा विश्वासों पर आधारित होती है, जो सरल समाजों में पाई जाती है।
- गलत विकल्प: ‘यांत्रिक एकता’ सरल समाजों की विशेषता है। ‘सामूहिक चेतना’ समाज की साझा मान्यताओं और मूल्यों का समूह है जो एकता का आधार बनती है (यांत्रिक एकता में अधिक प्रबल)। ‘सामाजिक व्यवस्था’ एक व्यापक शब्द है, एकता उसका एक प्रकार है।
प्रश्न 5: मैक्स वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) की प्रक्रिया का वर्णन करते हुए किस विशेष प्रकार की ‘सत्ता’ (Authority) को आधुनिक नौकरशाही व्यवस्था का आधार माना?
- करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
- पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority)
- कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority)
- दैवी सत्ता (Divine Authority)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘विभिन्न जातियों का अंतर-विवाह’ (Inter-marriages between different castes) किस सामाजिक प्रक्रिया का उदाहरण है?
- समानयन (Homogenization)
- विभेदीकरण (Differentiation)
- संसक्ति (Integration)
- सांस्कृतिकरण (Sanskritization)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विभिन्न जातियों के बीच अंतर-विवाह, यदि व्यापक रूप से होता है, तो यह समाज के विभिन्न समूहों के बीच ‘संसक्ति’ (Integration) या मेलजोल को दर्शाता है। यह जाति व्यवस्था की कठोरता को कम करने और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने का एक तरीका है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया सामाजिक स्तरीकरण (social stratification) में परिवर्तन और सामाजिक गतिशीलता (social mobility) के संकेत हो सकती है।
- गलत विकल्प: ‘समानयन’ (Homogenization) समूहों के बीच अंतर को कम करना है, जो संसक्ति से संबंधित हो सकता है लेकिन सीधे तौर पर अंतर-विवाह का परिणाम नहीं है। ‘विभेदीकरण’ (Differentiation) समाज के विभिन्न उप-समूहों के निर्माण को दर्शाता है। ‘सांस्कृतिकरण’ (Sanskritization), जैसा कि एम.एन. श्रीनिवास ने समझाया, निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 7: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई ‘सांस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किस से संबंधित है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- स्थानीय परंपराओं का त्याग
- निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और जीवन शैली का अनुकरण
- शहरीकरण की प्रक्रिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘सांस्कृतिकरण’ को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जिसमें निम्न हिंदू जातियाँ या जनजातियाँ या समाज के अन्य समूह किसी उच्च या द्विजाति (dominant) की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और दर्शन का अनुकरण करके अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मुख्य रूप से भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता और सांस्कृतिक परिवर्तन को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसे पहली बार ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत किया था।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण’ पश्चिमीकरण (Westernization) है। ‘स्थानीय परंपराओं का त्याग’ किसी विशिष्ट प्रक्रिया का नाम नहीं है। ‘शहरीकरण’ जनसंख्या के ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में प्रवास की प्रक्रिया है।
प्रश्न 8: ‘अनुकूलन’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों की शिथिलता या अभाव को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- रॉबर्ट मैर्टन
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘अनुकूलन’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि जब समाज में पारंपरिक सामाजिक नियंत्रण और नैतिक दिशा-निर्देश कमजोर पड़ जाते हैं, तो व्यक्ति दिशाहीन और हताश महसूस करता है। यह आत्महत्या दर में वृद्धि से भी जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘आत्महत्या’ (Suicide) नामक पुस्तक में इस अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इसे विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों के दौर में देखा, जब पुराने नियम टूटते हैं और नए स्थापित नहीं हो पाते।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की बात की। मैक्स वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘सत्ता’ पर काम किया। रॉबर्ट मैर्टन ने भी ‘अनुकूलन’ का प्रयोग किया, लेकिन दुर्खीम के सामाजिक-संरचनात्मक संदर्भ से भिन्न, उन्होंने इसे सामाजिक लक्ष्यों और साधनों के बीच असंतुलन से जोड़ा।
प्रश्न 9: भारतीय ग्रामीण समाज में ‘कृषि संबंधों’ (Agrarian Relations) के परिवर्तन के अध्ययन में निम्नलिखित में से किसने महत्वपूर्ण योगदान दिया?
- ई.पी. थॉम्पसन
- डैनियल थॉर्नर
- इरविंद मैकमैनस
- जी. एडवर्ड्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: डैनियल थॉर्नर एक फ्रांसीसी अर्थशास्त्री और इतिहासकार थे जिन्होंने भारतीय कृषि संबंधों, विशेष रूप से औपनिवेशिक काल के दौरान, पर महत्वपूर्ण शोध किया। उनकी पुस्तक ‘The Agrarian Prospect in India’ भारतीय ग्रामीण समाज के विश्लेषण में एक मील का पत्थर मानी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: थॉर्नर ने भारतीय ग्रामीण समाज में भूमि स्वामित्व, किराएदारी, ऋणग्रस्तता और उत्पादन के तरीकों के ऐतिहासिक विकास का विश्लेषण किया, जो भारतीय समाजशास्त्रीय अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: ई.पी. थॉम्पसन एक ब्रिटिश इतिहासकार थे जो विशेष रूप से श्रमिक वर्ग के इतिहास के लिए जाने जाते हैं। इरविंद मैकमैनस और जी. एडवर्ड्स समाजशास्त्र के अन्य क्षेत्रों से जुड़े हैं।
प्रश्न 10: ‘प्राइमरी समूह’ (Primary Group) की अवधारणा, जो अंतरंग, आमने-सामने के संबंधों और भावनात्मक जुड़ाव पर आधारित होती है, किसने विकसित की?
- इर्विंग गॉफमैन
- चार्ल्स कूली
- अल्फ्रेड शूत्स
- रॉबर्ट पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चार्ल्स कूली ने ‘प्राइमरी समूह’ (Primary Group) की अवधारणा विकसित की। उनके अनुसार, ये वे समूह हैं जिनमें घनिष्ठ, आमने-सामने का संबंध और सहयोग होता है, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिकरण में मौलिक भूमिका निभाते हैं। परिवार, खेल समूह और पड़ोस इसके उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कूली ने अपनी पुस्तक ‘Social Organization’ (1909) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उन्होंने ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Group) के विपरीत इसे परिभाषित किया।
- गलत विकल्प: इर्विंग गॉफमैन ‘ड्रामाटर्जी’ (Dramaturgy) के लिए जाने जाते हैं। अल्फ्रेड शूत्स ‘फेनोमेनोलॉजी’ (Phenomenology) से जुड़े हैं। रॉबर्ट पार्क शिकागो स्कूल के प्रमुख समाजशास्त्री थे जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र और आप्रवास पर काम किया।
प्रश्न 11: भारतीय समाज में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की अवधारणा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू क्या है?
- सभी धर्मों का उन्मूलन
- राज्य का किसी भी धर्म से विशेष जुड़ाव न होना
- किसी एक धर्म को राष्ट्रीय धर्म घोषित करना
- धार्मिक विश्वासों से पूर्ण अलगाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखता है और किसी भी धर्म को विशेष संरक्षण या वरीयता नहीं देता। यह सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने, अभ्यास करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़ा गया है, जो राज्य की इस तटस्थता की गारंटी देता है। यह अन्य समाजों की धर्मनिरपेक्षता से थोड़ा भिन्न है जहाँ इसका अर्थ अक्सर चर्च और राज्य का पूर्ण अलगाव होता है।
- गलत विकल्प: ‘सभी धर्मों का उन्मूलन’ या ‘किसी एक धर्म को राष्ट्रीय धर्म घोषित करना’ धर्मनिरपेक्षता के विपरीत हैं। ‘धार्मिक विश्वासों से पूर्ण अलगाव’ व्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।
प्रश्न 12: ‘सोशल स्ट्रैटिफिकेशन’ (Social Stratification) के अध्ययन में, ‘भूमिका दूरी’ (Role Distance) की अवधारणा का प्रयोग किसने किया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- इर्विंग गॉफमैन
- टैल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी ‘ड्रामाटर्जी’ (Dramaturgy) नामक उपागम में ‘भूमिका दूरी’ (Role Distance) की अवधारणा का उपयोग किया। इसका अर्थ है कि व्यक्ति अपनी भूमिका को निभाते समय उससे कुछ हद तक भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक दूरी बनाए रखता है, ताकि वह भूमिका के साथ पूरी तरह से एकाकार न हो जाए और अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाए रख सके।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दर्शाती है कि कैसे लोग सामाजिक प्रदर्शन करते समय अपनी वास्तविक भावनाओं या विचारों को छिपा सकते हैं या नियंत्रित कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम सामाजिक एकता और तथ्यों पर केंद्रित थे। वेबर सत्ता और तर्कसंगतता के विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं। पार्सन्स ने संरचनात्मक-प्रकार्यवाद पर काम किया।
प्रश्न 13: भारतीय समाजशास्त्रीय उपागम में, ‘श्रीनिवास’ के अतिरिक्त, ‘जाति’ (Caste) के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अन्य विद्वान कौन हैं?
- डेविड पोर्टर
- जी.एस. घुरिये
- लेस्ली वाइट
- इवान इलिच
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जी.एस. घुरिये भारत में जाति व्यवस्था के एक प्रमुख अध्ययनकर्ता रहे हैं। उन्होंने जाति की विशेषताओं, उसके ऐतिहासिक विकास और भारतीय समाज पर उसके प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: घुरिये ने अपनी पुस्तक ‘Caste and Race in India’ में जाति को एक ‘खंडित समाज’ (segmented society) के रूप में परिभाषित किया और इसके धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
- गलत विकल्प: डेविड पोर्टर संगठनात्मक सिद्धांत से जुड़े हैं। लेस्ली वाइट सांस्कृतिक नृविज्ञान (cultural anthropology) से संबंधित हैं। इवान इलिच ने शिक्षा और प्रौद्योगिकी पर आलोचनात्मक कार्य किया।
प्रश्न 14: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की प्रक्रिया को समझने के लिए ‘तर्कसंगतता’, ‘नौकरशाही’ और ‘पूंजीवाद’ जैसी अवधारणाओं का प्रयोग किसने किया?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर को आधुनिकता की प्रक्रिया, विशेष रूप से ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) के बढ़ते प्रभाव के उनके विश्लेषण के लिए जाना जाता है। उन्होंने पूंजीवाद, नौकरशाही और पश्चिमी समाज के विकास में तर्कसंगतता की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि आधुनिक समाज में पूर्व-आधुनिक समाजों की तुलना में विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में तर्कसंगत नियमों और प्रक्रियाओं का प्रभाव बढ़ गया है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद और उसके संघर्षों पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन का अध्ययन किया। जॉर्ज सिमेल ने आधुनिकता के मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक पहलुओं, जैसे ‘मेट्रोपॉलिटन जीवन’ (Metropolitan life) और ‘धन का दर्शन’ (The Philosophy of Money) पर काम किया।
प्रश्न 15: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग से प्राप्त लाभों को संदर्भित करती है, का विकास मुख्य रूप से किस विद्वान से जुड़ा है?
- पियरे बौर्डियू
- जेम्स कोलमन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास कई समाजशास्त्रियों से जुड़ा है। पियरे बौर्डियू ने इसे सबसे पहले विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया, जो व्यक्तिगत संसाधनों तक पहुँचने के लिए सामाजिक संबंधों के उपयोग पर केंद्रित था। जेम्स कोलमन ने इसे सामाजिक संरचनाओं में मौजूद विश्वास, संचार और सहयोग के माध्यम से उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्षमता के रूप में देखा। रॉबर्ट पुटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन के महत्व के रूप में लोकप्रिय बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: तीनों विद्वानों ने सामाजिक पूंजी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है, जो इसे एक महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय अवधारणा बनाते हैं।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों विद्वानों का योगदान महत्वपूर्ण है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक समस्या ‘अति-नगरीकरण’ (Over-urbanization) से सीधे तौर पर जुड़ी नहीं है?
- अपराध दर में वृद्धि
- पर्यावरणीय प्रदूषण
- बेरोजगारी और झुग्गी-झोपड़ियों का विकास
- सामाजिक अलगाव
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अति-नगरीकरण से तात्पर्य किसी क्षेत्र की आर्थिक क्षमता से अधिक तीव्र गति से जनसंख्या का शहरों में इकट्ठा होना है। इससे अक्सर संसाधनों पर दबाव पड़ता है, जिससे अपराध दर में वृद्धि, पर्यावरणीय प्रदूषण, बेरोजगारी और झुग्गी-झोपड़ियों का विकास जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ‘सामाजिक अलगाव’ (Social Alienation) आधुनिकता या अन्य सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कारकों से अधिक जुड़ा हो सकता है, हालांकि यह अति-नगरीकृत वातावरण में बढ़ सकता है, यह अति-नगरीकरण का सीधा और अनिवार्य परिणाम नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: शहरी समाजशास्त्र में, अति-नगरीकरण एक प्रमुख समस्या है जो शहरी अव्यवस्था और सामाजिक तनाव को जन्म दे सकती है।
- गलत विकल्प: अपराध, प्रदूषण और बेरोजगारी सीधे तौर पर अति-नगरीकरण के परिणाम हैं क्योंकि यह बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों पर दबाव डालता है।
प्रश्न 17: ‘संस्कृति’ (Culture) को ‘भौतिक संस्कृति’ (Material Culture) और ‘अभौतिक संस्कृति’ (Non-material Culture) में विभाजित करने का विचार किस समाजशास्त्रीय उपागम में प्रमुख है?
- संरचनात्मक-प्रकार्यवाद
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संघर्ष सिद्धांत
- सांस्कृतिक नृविज्ञान (Cultural Anthropology) और समाजशास्त्र
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संस्कृति को भौतिक (वस्तुएँ, उपकरण, कला) और अभौतिक (विचार, विश्वास, मूल्य, भाषा) में विभाजित करना सांस्कृतिक नृविज्ञान और समाजशास्त्र में एक सामान्य और मौलिक वर्गीकरण है, जो सांस्कृतिक तत्वों को समझने में मदद करता है। यह किसी एक विशिष्ट समाजशास्त्री के बजाय एक व्यापक उपागम का हिस्सा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह वर्गीकरण हमें संस्कृति के मूर्त और अमूर्त दोनों पहलुओं का विश्लेषण करने की अनुमति देता है।
- गलत विकल्प: जबकि ये उपागम संस्कृति का अध्ययन करते हैं, संस्कृति को भौतिक और अभौतिक में वर्गीकृत करना उन उपागमों का केंद्रीय विभाजन नहीं है, बल्कि एक सामान्य अवधारणा है।
प्रश्न 18: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
- समाज में उत्पन्न होने वाले नए विचार
- लोगों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना
- सामाजिक संरचना में परिवर्तन
- सामाजिक समूहों के बीच संबंध
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह का सामाजिक पदानुक्रम (social hierarchy) में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से है। यह ऊर्ध्वाधर (vertical) हो सकती है (ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (horizontal) (एक ही स्तर पर)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक स्तरीकरण (social stratification) और वर्ग संरचना के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: ‘नए विचार’ रचनात्मकता है। ‘सामाजिक संरचना में परिवर्तन’ सामाजिक परिवर्तन है। ‘सामाजिक समूहों के बीच संबंध’ सामाजिक संगठन है।
प्रश्न 19: ‘परिवार’ (Family) को ‘प्राइमरी समूह’ (Primary Group) के रूप में वर्गीकृत करने का कारण क्या है?
- यह व्यापक होता है और इसमें सदस्यों की संख्या अधिक होती है।
- इसमें सदस्यों के बीच घनिष्ठ, आमने-सामने के संबंध और भावनात्मक जुड़ाव होता है।
- यह अनौपचारिक नियमों और विनियमों पर आधारित होता है।
- यह किसी विशिष्ट कार्य या उद्देश्य की पूर्ति के लिए गठित होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चार्ल्स कूली द्वारा परिभाषित प्राइमरी समूहों की मुख्य विशेषता सदस्यों के बीच घनिष्ठ, आमने-सामने के संबंध, भावनात्मक जुड़ाव और सहयोग है। परिवार इन सभी मापदंडों को पूरा करता है।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार समाजीकरण का पहला और सबसे महत्वपूर्ण अभिकरण (agent) है।
- गलत विकल्प: परिवार सामान्यतः छोटा होता है। जबकि इसमें अनौपचारिकता होती है, यह प्राइमरी समूह का एकमात्र या मुख्य निर्धारक नहीं है। यह एक विशिष्ट कार्य के लिए नहीं, बल्कि प्रेम, संतानोत्पत्ति और देखभाल के लिए बनता है, जो इसे प्राइमरी समूह की श्रेणी में लाता है।
प्रश्न 20: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का सबसे प्रभावी अभिकरण (agent) कौन सा माना जाता है, जो व्यक्ति के व्यवहार को प्रारंभिक स्तर पर आकार देता है?
- राज्य और कानून
- शिक्षा प्रणाली
- परिवार और प्राथमिक समूह
- मीडिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: परिवार और प्राथमिक समूह (जैसे मित्र मंडली) व्यक्ति के समाजीकरण (socialization) में सबसे प्रारंभिक और प्रभावी भूमिका निभाते हैं। यहीं पर व्यक्ति समाज के मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं को सीखता है, जो उसके व्यवहार को नियंत्रित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्राथमिक समाजीकरण (primary socialization) कहलाता है, जो बाद के समाजीकरण (secondary socialization) की नींव रखता है।
- गलत विकल्प: राज्य, शिक्षा और मीडिया भी सामाजिक नियंत्रण के महत्वपूर्ण साधन हैं, लेकिन उनका प्रभाव परिवार और प्राथमिक समूहों की तुलना में बाद के चरण में अधिक होता है या वे पहले से निर्मित व्यक्ति के व्यवहार को संशोधित करते हैं।
प्रश्न 21: ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था को भारतीय समाज में ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का एक प्रमुख आधार किसने माना?
- ए.आर. देसाई
- एम.एन. श्रीनिवास
- जी.एस. घुरिये
- इरावती कर्वे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जी.एस. घुरिये जाति व्यवस्था को भारतीय समाज के सबसे महत्वपूर्ण और विशिष्ट स्तरीकरण के आधारों में से एक मानते थे। उन्होंने जाति को कई विशेषताओं (जैसे खंडात्मक विभाजन, अंतर्विवाह, पेशा, पदानुक्रम) से परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: घुरिये का कार्य जाति के ऐतिहासिक और संरचनात्मक आयामों को समझने में महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: ए.आर. देसाई ने भारतीय समाज में उपनिवेशवाद और पूंजीवाद के प्रभाव का अध्ययन किया। एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण और पश्चिमीकरण जैसी अवधारणाएं दीं। इरावती कर्वे ने भी जाति और नातेदारी पर काम किया, लेकिन घुरिये जाति को स्तरीकरण के केंद्रीय आधार के रूप में स्थापित करने वाले सबसे प्रमुख व्यक्ति थे।
प्रश्न 22: ‘रॉबर्ट मैर्टन’ के अनुसार, सामाजिक लक्ष्यों और उन्हें प्राप्त करने के साधनों के बीच असंतुलन की स्थिति, जिससे ‘अनुकूलन’ (Anomie) उत्पन्न होता है, समाज के किस प्रकार के व्यवहारों से जुड़ी है?
- अनुरूपता (Conformity)
- नवप्रवर्तन (Innovation)
- विद्रोह (Rebellion)
- पलायनवाद (Retreatism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रॉबर्ट मैर्टन ने ‘अनुकूलन’ (Anomie) को सामाजिक लक्ष्यों और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधनों के बीच एक संरचनात्मक असंतुलन के रूप में परिभाषित किया। उनके अनुसार, जब समाज सांस्कृतिक रूप से निर्धारित लक्ष्यों (जैसे धन, सफलता) पर बहुत अधिक जोर देता है लेकिन सभी वर्गों के लिए उन तक पहुँचने के वैध साधन (जैसे शिक्षा, रोजगार) समान रूप से उपलब्ध नहीं कराता, तो इससे विभिन्न प्रकार के व्यवहार उत्पन्न होते हैं। ‘नवप्रवर्तन’ (Innovation) तब होता है जब व्यक्ति लक्ष्यों को स्वीकार करता है लेकिन उन्हें प्राप्त करने के लिए अनैतिक या अवैध साधनों का उपयोग करता है (जैसे चोरी, धोखाधड़ी)।
- संदर्भ और विस्तार: मैर्टन ने व्यक्ति के पांच प्रकार के अनुकूलन बताए: अनुरूपता, नवप्रवर्तन, अनुष्ठानवाद (Ritualism), पलायनवाद और विद्रोह।
- गलत विकल्प: अनुरूपता लक्ष्यों और साधनों दोनों को स्वीकार करती है। विद्रोह लक्ष्यों और साधनों दोनों को अस्वीकार करता है। पलायनवाद लक्ष्यों और साधनों दोनों को अस्वीकार कर समाज से हट जाता है।
प्रश्न 23: ‘आधुनिक शहरी जीवन’ (Modern Urban Life) में व्यक्ति के अलगाव (Alienation) और व्यक्तिवाद (Individualism) पर जोर देने वाला प्रमुख समाजशास्त्री कौन है?
- लुई विर्थ
- जॉर्ज सिमेल
- ए.एच. ग्रिन
- रॉबर्ट पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज सिमेल को उनके ‘मेट्रोपॉलिस और मानसिक जीवन’ (The Metropolis and Mental Life) नामक निबंध के लिए जाना जाता है, जहाँ उन्होंने बड़े शहरों में बढ़ते व्यक्तिवाद, वस्तुनिष्ठता (objectivity) और उत्तेजनाओं की अधिकता के कारण होने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभावों और अलगाव का विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: सिमेल का काम आधुनिकता के व्यक्ति पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने में महत्वपूर्ण है, जिसमेंblasé attitude (उदासीन दृष्टिकोण) जैसी अवधारणाएँ शामिल हैं।
- गलत विकल्प: लुई विर्थ ने भी शहरी जीवन के प्रभावों पर लिखा, लेकिन सिमेल का विश्लेषण व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर अधिक केंद्रित था। ए.एच. ग्रिन और रॉबर्ट पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे, जिन्होंने शहरी जीवन के सामाजिक और स्थानिक पहलुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) की सबसे उपयुक्त परिभाषा क्या है?
- समाज के सभी सदस्यों का समूह
- समाज में व्याप्त मूल्य और मान्यताएँ
- समाज में स्थापित स्वीकृत और स्थायी व्यवहार प्रतिमानों का समूह जो सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं
- ऐसी प्रथाएँ जो समय के साथ बदलती रहती हैं
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एक सामाजिक संस्था को आमतौर पर स्वीकृत और स्थायी व्यवहार प्रतिमानों, भूमिकाओं, मानदंडों और मूल्यों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी विशेष सामाजिक आवश्यकता (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) की पूर्ति के लिए व्यवस्थित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार, विवाह, शिक्षा, धर्म, सरकार आदि सामाजिक संस्थाओं के उदाहरण हैं। ये समाज को स्थिर और व्यवस्थित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- गलत विकल्प: ‘समाज के सभी सदस्यों का समूह’ पूरी जनसंख्या है। ‘मूल्य और मान्यताएँ’ संस्कृति का हिस्सा हैं, लेकिन स्वयं संस्था नहीं। ‘बदलती प्रथाएँ’ सामाजिक परिवर्तन हैं, न कि स्थापित संस्था।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
- संख्यात्मक डेटा का संग्रह और सांख्यिकीय विश्लेषण
- घटनाओं की गहराई, अर्थ और संदर्भ को समझना
- जनसंख्या के बड़े नमूनों का अध्ययन करना
- कारण-प्रभाव संबंधों को स्थापित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य सामाजिक घटनाओं की गहराई, उनके पीछे के अर्थों, प्रेरणाओं और सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ को समझना होता है। इसमें अक्सर साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी जैसे तरीकों का प्रयोग होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधि ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजने में सहायक होती है, जबकि मात्रात्मक विधि ‘कितना’ और ‘कितने’ पर केंद्रित होती है।
- गलत विकल्प: ‘संख्यात्मक डेटा का संग्रह’ मात्रात्मक अनुसंधान का है। ‘जनसंख्या के बड़े नमूने’ और ‘कारण-प्रभाव संबंध’ भी अक्सर मात्रात्मक अनुसंधान के लक्ष्य होते हैं, हालाँकि गुणात्मक अनुसंधान भी कुछ अंतर्दृष्टि दे सकता है।