समाजशास्त्र मंथन: दैनिक अभ्यास
समाजशास्त्र के प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के उम्मीदवारों, अपनी अवधारणाओं को परखने और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार हो जाइए! आज का यह दैनिक अभ्यास सत्र आपको समाजशास्त्र के मूल सिद्धांतों, महत्वपूर्ण विचारकों और समकालीन मुद्दों में गहराई से उतरने का अवसर देगा। आइए, अपने ज्ञान की कसौटी पर स्वयं को कसें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य बल किस पर होता है?
- सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन
- व्यक्तिपरक अर्थों और अंतःक्रियाओं का महत्व
- सामाजिक नियंत्रण के तंत्र
- पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसे जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) और हर्बर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित किया गया, इस बात पर जोर देता है कि समाज व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से निर्मित होता है। व्यक्ति अपने आसपास की दुनिया को अर्थ देते हैं, और ये अर्थ सामाजिक व्यवहार को निर्देशित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत व्यक्तियों के दृष्टिकोण, आत्म-अवधारणा (self-concept) और सामाजिक दुनिया के निर्माण में भाषा और प्रतीकों की भूमिका पर केंद्रित है। ब्लूमर ने इस दृष्टिकोण के तीन मुख्य सिद्धांतों को सूत्रबद्ध किया: अर्थ, अंतःक्रिया और व्याख्या।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन मुख्य रूप से प्रकार्यवाद (Functionalism) या संरचनावाद (Structuralism) जैसे सिद्धांतों का केंद्र है। (c) सामाजिक नियंत्रण के तंत्र सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के तरीकों से संबंधित हैं, जो कई सिद्धांतों का हिस्सा हो सकता है, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का मुख्य बल नहीं है। (d) पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष कार्ल मार्क्स के सिद्धांत का केंद्रीय विषय है।
प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) के अनुसार, “समाजशास्त्रीय घटना” (Sociological Fact) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
- यह व्यक्ति की चेतना से उत्पन्न होती है।
- यह बाहरी होती है और व्यक्ति पर बाध्यकारी प्रभाव डालती है।
- यह पूरी तरह से व्यक्तिपरक होती है।
- यह केवल आर्थिक कारकों द्वारा निर्धारित होती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में समाजशास्त्रीय घटना को “विचार, भावनाएँ और कार्य करने के तरीके जो व्यक्ति पर बाहरी होते हैं और एक बाध्यकारी शक्ति रखते हैं” के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि ये घटनाएँ व्यक्ति के बाहर मौजूद होती हैं (जैसे कानून, रीति-रिवाज, नैतिकता) और वे व्यक्तियों के व्यवहार को नियंत्रित करती हैं। यह समाजशास्त्र को मनोविज्ञान से अलग करता है।
- गलत विकल्प: (a) दुर्खीम के लिए, समाजशास्त्रीय घटना व्यक्तिपरक चेतना से अधिक है; यह सामूहिक चेतना का परिणाम है। (c) समाजशास्त्रीय घटना व्यक्तिपरक न होकर वस्तुनिष्ठ (objective) होती है। (d) समाजशास्त्रीय घटना केवल आर्थिक कारकों से नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक कारकों से भी प्रभावित होती है।
प्रश्न 3: समाजशास्त्र में “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- इमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- विलियम एफ. ऑग्बर्न
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विलियम एफ. ऑग्बर्न (William F. Ogburn) ने 1922 में अपनी पुस्तक “सोशल चेंज विद रिस्पेक्ट टू कल्चर एंड ओरिजिनल नेचर” में “सांस्कृतिक विलंब” (cultural lag) की अवधारणा प्रस्तुत की।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा बताती है कि समाज के विभिन्न हिस्से, विशेष रूप से भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) और अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, मूल्य, कानून), अलग-अलग दरों पर बदलते हैं। अक्सर, भौतिक संस्कृति अभौतिक संस्कृति की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे सामाजिक सामंजस्य में समस्याएँ पैदा होती हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम (a) ने ‘एनोमी’ (anomie) और ‘सामाजिक एकता’ (social solidarity) जैसी अवधारणाएँ दीं। वेबर (b) ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) और ‘सत्ता’ (authority) पर काम किया। पार्क (d) शिकागो स्कूल के एक प्रमुख समाजशास्त्री थे जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र में योगदान दिया।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की मुख्य विशेषताएँ हैं?
- यह एक व्यक्तिगत विशेषता है।
- यह समाज में असमानता का वितरण है।
- यह एक क्षणिक घटना है।
- यह केवल एक पीढ़ी तक सीमित रहती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों को उनकी स्थिति, शक्ति, धन या प्रतिष्ठा के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यह अनिवार्य रूप से संसाधनों और अवसरों के असमान वितरण को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक सामाजिक (social) प्रक्रिया है, व्यक्तिगत (individual) नहीं। यह स्थायी (persistent) होती है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित हो सकती है। यह समाज की संरचना का हिस्सा है, न कि कोई क्षणिक या अस्थायी घटना।
- गलत विकल्प: (a) स्तरीकरण व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक है। (c) यह क्षणिक नहीं, बल्कि समाज का एक अपेक्षाकृत स्थायी ढाँचा है। (d) यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित हो सकती है, केवल एक पीढ़ी तक सीमित नहीं रहती।
प्रश्न 5: भारतीय समाज में “विवाह” (Marriage) को किस प्रकार की संस्था माना जाता है?
- एक अनौपचारिक संबंध
- एक सामाजिक और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त संबंध
- एक व्यक्तिगत अनुबंध
- एक क्षणिक भावनात्मक बंधन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय समाज में, विवाह को केवल एक व्यक्तिगत या भावनात्मक बंधन से कहीं अधिक माना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था है जिसे समाज, धर्म और कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है, और इसके अपने नियम, रीति-रिवाज और जिम्मेदारियाँ होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर वंश को आगे बढ़ाने, संपत्ति हस्तांतरण और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में देखा जाता है। यह एक संस्थागत (institutionalized) व्यवस्था है।
- गलत विकल्प: (a) यह अनौपचारिक नहीं, बल्कि अत्यधिक औपचारिक हो सकता है। (c) यह केवल व्यक्तिगत अनुबंध से बढ़कर है; इसमें सामाजिक और पारिवारिक दायित्व भी शामिल हैं। (d) हालांकि इसमें भावनाएं शामिल हो सकती हैं, लेकिन इसे केवल एक क्षणिक भावनात्मक बंधन के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 6: कार्ल मार्क्स (Karl Marx) ने समाज के विकास को मुख्य रूप से किससे प्रेरित बताया है?
- धार्मिक विचारों में परिवर्तन
- राजनीतिक सत्ता की लड़ाई
- भौतिकवादी द्वंद्ववाद (Historical Materialism)
- तकनीकी नवाचार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स का मानना था कि समाज का इतिहास उत्पादन के साधनों (means of production) और उत्पादन संबंधों (relations of production) में होने वाले परिवर्तनों से संचालित होता है। इसे ही “भौतिकवादी द्वंद्ववाद” या “ऐतिहासिक भौतिकवाद” कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, प्रत्येक समाज वर्ग संघर्ष (class struggle) द्वारा परिभाषित होता है, जो उत्पादन संबंधों में अंतर्निहित विरोधाभासों से उत्पन्न होता है। यह संघर्ष समाज को एक चरण से दूसरे चरण में ले जाता है (जैसे सामंतवाद से पूंजीवाद, और पूंजीवाद से समाजवाद/साम्यवाद)।
- गलत विकल्प: (a) मार्क्स ने विचारों की भूमिका को स्वीकार किया, लेकिन उन्हें उत्पादन की भौतिक स्थितियों का प्रतिबिंब माना, न कि समाज का प्राथमिक चालक। (b) राजनीतिक सत्ता का संघर्ष भी वर्ग संघर्ष का ही एक रूप या परिणाम है। (d) तकनीकी नवाचार उत्पादन के साधनों का हिस्सा है, लेकिन मार्क्स के लिए यह व्यापक भौतिकवादी ढांचे के भीतर ही महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 7: “आदर्श प्रारूप” (Ideal Type) की अवधारणा समाजशास्त्र में किसके द्वारा विकसित की गई?
- हरबर्ट स्पेंसर
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्ते
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर (Max Weber) ने “आदर्श प्रारूप” (Ideal Type) की अवधारणा को एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में विकसित किया, जिसका उपयोग सामाजिक वास्तविकताओं को समझने और उनका अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: आदर्श प्रारूप वास्तविक दुनिया का पूर्ण चित्रण नहीं है, बल्कि यह एक वैचारिक निर्माण (conceptual construct) है जो किसी सामाजिक घटना के कुछ प्रमुख, तार्किक रूप से सुसंगत गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करता है। उदाहरणों में नौकरशाही (bureaucracy) या पूंजीवाद का आदर्श प्रारूप शामिल है। इसका उद्देश्य ऐतिहासिक घटनाओं को व्यवस्थित और स्पष्ट करना है, न कि उनका मूल्यांकन करना।
- गलत विकल्प: स्पेंसर (a) ने समाज को एक जैविक प्रणाली के रूप में देखा (सामाजिक डार्विनवाद)। कॉम्ते (c) को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने “प्रत्यक्षवाद” (positivism) का प्रस्ताव दिया। मर्टन (d) ने ‘मध्यम-सीमा सिद्धांत’ (middle-range theory) और ‘कार्य’ (function) के प्रकारों (प्रकट और अप्रकट) पर काम किया।
प्रश्न 8: भारत में “जाति व्यवस्था” (Caste System) का सबसे महत्वपूर्ण आधार क्या है?
- धन और संपत्ति
- जन्म और वंशानुक्रम
- शिक्षा और ज्ञान
- राजनीतिक शक्ति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की सबसे परिभाषित विशेषता यह है कि व्यक्ति की जाति उसके जन्म से निर्धारित होती है और जीवन भर अपरिवर्तित रहती है (हालाँकि इसमें सामाजिक गतिशीलता के सीमित मार्ग हो सकते हैं)। यह जन्म, वंशानुक्रम और जन्मजात पवित्रता/अपवित्रता की धारणाओं पर आधारित है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था सामाजिक विभाजन, व्यवसाय, खान-पान, विवाह और सामाजिक संपर्क के नियमों को निर्धारित करती है। यह एक बंद स्तरीकरण प्रणाली है।
- गलत विकल्प: धन (a), शिक्षा (c), और राजनीतिक शक्ति (d) व्यक्ति के लिए सामाजिक गतिशीलता के कारक हो सकते हैं, लेकिन वे जाति व्यवस्था के मूल में नहीं हैं। बल्कि, जाति अक्सर इन कारकों तक पहुँच को भी प्रभावित करती है।
प्रश्न 9: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) की अवधारणा से निम्नलिखित में से कौन सा विचार सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?
- व्यक्तिगत मनोवृत्तियाँ और भावनाएँ
- स्थायी और अपेक्षाकृत अपरिवर्तनीय सामाजिक पैटर्न
- अस्थायी सामाजिक समूह
- व्यक्तिगत अभिरुचियाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संरचना समाज के उन व्यवस्थित, स्थायी और अपेक्षाकृत अपरिवर्तनीय पैटर्नों को संदर्भित करती है जो सामाजिक समूहों, संस्थाओं, भूमिकाओं और संबंधों से बने होते हैं। यह समाज को एक समग्र रूप से समझने का एक ढाँचा प्रदान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: संरचना समाजशास्त्रीय विश्लेषण का एक केंद्रीय तत्व है, जो यह बताता है कि समाज कैसे व्यवस्थित है और कैसे विभिन्न हिस्से आपस में जुड़े हुए हैं। यह सामाजिक क्रिया को प्रभावित और सीमित करती है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) व्यक्तिगत स्तर पर होते हैं, जबकि सामाजिक संरचना व्यापक और सामूहिक होती है। (c) अस्थायी सामाजिक समूह संरचना का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन ‘सामाजिक संरचना’ स्वयं उन समूहों के बीच के स्थायी संबंधों और पैटर्नों को दर्शाती है।
प्रश्न 10: **प्रतीकवाद** (Symbolism) का महत्व समाजशास्त्र के किस मुख्य दृष्टिकोण (School of Thought) में सबसे प्रमुख है?
- प्रकार्यवाद (Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनावाद (Structuralism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस बात पर ज़ोर देता है कि मनुष्य अपने आसपास की दुनिया के साथ अंतःक्रिया करते समय प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव, वस्तुएँ) का निर्माण और उपयोग करते हैं। इन प्रतीकों के माध्यम से अर्थ उत्पन्न होते हैं, जो सामाजिक वास्तविकता को आकार देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि सामाजिक व्यवस्था व्यक्तियों की साझा की गई समझ और अर्थों पर निर्भर करती है, जो प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त और बनाए रखी जाती है।
- गलत विकल्प: प्रकार्यवाद (a) सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता पर केंद्रित है। संघर्ष सिद्धांत (b) शक्ति, प्रभुत्व और संघर्ष पर केंद्रित है। संरचनावाद (d) समाज की अंतर्निहित संरचनाओं (जैसे भाषा, मिथक) का अध्ययन करता है, लेकिन प्रतीकों के व्यक्तिपरक अर्थ निर्माण पर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद जितना जोर नहीं देता।
प्रश्न 11: किस समाजशास्त्री ने “एनोमी” (Anomie) की अवधारणा का वर्णन किया, जो सामाजिक मानदंडों (norms) के कमजोर पड़ने की स्थिति को दर्शाता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- रॉबर्ट मर्टन
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने “एनोमी” की अवधारणा का प्रयोग यह बताने के लिए किया कि जब समाज में सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का क्षरण हो जाता है, तो व्यक्ति अनिश्चित और दिशाहीन महसूस करते हैं, जिससे सामाजिक अव्यवस्था और अपराध बढ़ सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपने काम “आत्महत्या” (Suicide) में दिखाया कि कैसे औद्योगिक समाजों में श्रम विभाजन (division of labor) के कारण सामाजिक एकता (social solidarity) कमजोर हो सकती है, जिससे एनोमी की स्थिति उत्पन्न होती है। रॉबर्ट मर्टन (c) ने भी एनोमी का इस्तेमाल किया, लेकिन इसे सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों के बीच विसंगति के रूप में परिभाषित किया।
- गलत विकल्प: मार्क्स (a) वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। वेबर (b) नौकरशाही और तर्कसंगतता पर केंद्रित थे।
प्रश्न 12: भारतीय समाज में “स.न. श्रीनिवास” (M.N. Srinivas) द्वारा प्रतिपादित “प्रभु जाति” (Dominant Caste) की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?
- किसी गाँव में राजनीतिक रूप से सबसे शक्तिशाली जाति
- किसी गाँव में आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रमुख जाति, जो स्थानीय समुदाय पर प्रभुत्व रखती है
- ऐतिहासिक रूप से सबसे पुरानी जाति
- सबसे उच्च पदानुक्रम वाली जाति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने “प्रभु जाति” की अवधारणा का उपयोग ग्रामीण भारत के संदर्भ में किया। यह ऐसी जाति को संदर्भित करती है जिसके सदस्य गाँव में भूमि के मालिक हैं, संख्या में अधिक हैं, और आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से प्रभावी स्थिति रखते हैं। ऐसी जाति गाँव के सामाजिक और आर्थिक जीवन पर प्रभुत्व रखती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा न केवल जाति के पदानुक्रम बल्कि शक्ति और प्रभाव के वास्तविक वितरण को समझने में मदद करती है। प्रभु जाति अक्सर स्थानीय रीति-रिवाजों और मानदंडों को भी प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: (a) केवल राजनीतिक शक्ति पर्याप्त नहीं है। (c) सबसे पुरानी जाति ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि वह प्रभुत्व रखती हो। (d) सबसे उच्च पदानुक्रम वाली जाति (जैसे ब्राह्मण) हमेशा गाँव स्तर पर प्रभुत्व नहीं रखती, खासकर यदि उनके पास भूमि या संख्यात्मक बल न हो।
प्रश्न 13: समाजशास्त्र में “सामाजिक भूमिका” (Social Role) का क्या अर्थ है?
- एक व्यक्ति की व्यक्तिगत भूमिका या कार्य
- किसी विशेष सामाजिक स्थिति (status) से जुड़ी अपेक्षित व्यवहारों का समूह
- समाज में किसी व्यक्ति का सामाजिक दर्जा
- एक अस्थायी सामाजिक कार्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक भूमिका किसी व्यक्ति की उस विशिष्ट सामाजिक स्थिति (जैसे पिता, शिक्षक, छात्र) से जुड़ी अपेक्षित व्यवहारों, जिम्मेदारियों और अधिकारों का एक समूह है। समाज अपेक्षा करता है कि उस स्थिति में रहने वाला व्यक्ति इन भूमिकाओं का निर्वहन करे।
- संदर्भ और विस्तार: भूमिकाएँ समाज की संरचना और कामकाज को बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं। वे सामाजिक अंतःक्रियाओं को पूर्वानुमानित और व्यवस्थित बनाती हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह व्यक्ति की व्यक्तिगत भूमिका से अधिक है। (c) सामाजिक दर्जा (status) वह पद है, जबकि भूमिका उस पद के साथ जुड़ा व्यवहार है। (d) भूमिकाएँ अक्सर स्थायी होती हैं, न कि केवल अस्थायी।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्रीय अनुसंधान की एक गुणात्मक (Qualitative) विधि नहीं है?
- साक्षात्कार (Interview)
- प्रतिभागियों का अवलोकन (Participant Observation)
- प्रश्नावली (Questionnaire)
- समूह चर्चा (Focus Group Discussion)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रश्नावली (Questionnaire) मुख्य रूप से एक मात्रात्मक (Quantitative) अनुसंधान विधि है, जहाँ उत्तरों को अक्सर संख्यात्मक रूप से मापा और विश्लेषण किया जाता है। यद्यपि इसमें खुले प्रश्न हो सकते हैं, इसका प्राथमिक उपयोग संरचित या अर्ध-संरचित डेटा संग्रह के लिए होता है।
- संदर्भ और विस्तार: साक्षात्कार (a), प्रतिभागियों का अवलोकन (b), और समूह चर्चा (d) सभी गुणात्मक विधियाँ हैं, जो गहन जानकारी, भावनाओं, प्रेरणाओं और अनुभवों को समझने पर केंद्रित होती हैं।
- गलत विकल्प: साक्षात्कार (a), प्रतिभागियों का अवलोकन (b), और समूह चर्चा (d) प्रत्यक्ष, विस्तृत और अनुभवजन्य डेटा प्रदान करते हैं जो अक्सर गैर-संख्यात्मक होते हैं, इसलिए वे गुणात्मक विधियाँ हैं।
प्रश्न 15: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा से कौन सा समाजशास्त्री सबसे अधिक जुड़ा है?
- पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu)
- एन्थनी गिडेंस (Anthony Giddens)
- डेविड लॉकवुड (David Lockwood)
- सिग्मंड फ्रायड (Sigmund Freud)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने “सामाजिक पूंजी” की अवधारणा को विकसित किया, जिसे उन्होंने सामाजिक नेटवर्क (social networks) में संलग्नता से प्राप्त संसाधनों के रूप में परिभाषित किया। इसमें विश्वास, आपसी पहचान और सामाजिक संबंधों का जाल शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू के अनुसार, सामाजिक पूंजी, पूंजी के अन्य रूपों (आर्थिक, सांस्कृतिक) के साथ मिलकर, सामाजिक असमानता को बनाए रखने में भूमिका निभाती है। यह व्यक्तियों को उनके सामाजिक संबंधों के माध्यम से लाभ उठाने में सक्षम बनाती है।
- गलत विकल्प: गिडेंस (b) ने संरचनाकरण (structuration) का सिद्धांत दिया। लॉकवुड (c) ने “अस्थायी एकात्मता” (situational dependency) पर काम किया। फ्रायड (d) मनोविश्लेषण के संस्थापक थे।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) की एक विशेषता है?
- यह केवल ऊपर की ओर होती है।
- यह व्यक्तियों या समूहों की उनकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन को दर्शाती है।
- यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी नहीं होती।
- यह एक बंद सामाजिक व्यवस्था की विशेषता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह की समाज में उसकी स्थिति में होने वाले परिवर्तन से है। यह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी), नीचे की ओर (अधोगामी), या क्षैतिज (horizontal) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह खुली (open) सामाजिक व्यवस्थाओं की एक प्रमुख विशेषता है, जहाँ व्यक्तियों के पास अपनी सामाजिक स्थिति को बदलने के अधिक अवसर होते हैं। अंतर-पीढ़ी (inter-generational) और अंतर-व्यक्ति (intra-generational) गतिशीलता इसके महत्वपूर्ण प्रकार हैं।
- गलत विकल्प: (a) गतिशीलता ऊपर या नीचे दोनों ओर हो सकती है। (c) अंतर-पीढ़ी गतिशीलता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक होने वाले परिवर्तनों को दर्शाती है। (d) यह खुली सामाजिक व्यवस्थाओं की विशेषता है, बंद व्यवस्थाओं की नहीं।
प्रश्न 17: “सांस्कृतिक सार्वभौमिक” (Cultural Universal) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- एक विशिष्ट संस्कृति की अद्वितीय प्रथाएँ
- सभी मानव समाजों में पाई जाने वाली प्रथाएँ, विश्वास और मूल्य
- कुछ संस्कृतियों द्वारा अपनाई गई आधुनिक प्रथाएँ
- केवल पश्चिमी संस्कृतियों की विशेषताएँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सांस्कृतिक सार्वभौमिक (Cultural Universal) वे प्रथाएँ, मान्यताएँ, या प्रौद्योगिकियाँ हैं जो सभी ज्ञात मानव संस्कृतियों में पाई जाती हैं, हालाँकि उनके विशिष्ट रूप भिन्न हो सकते हैं। उदाहरणों में भाषा, विवाह, भोजन, रिश्तेदारी व्यवस्था, और दफन प्रथाएँ शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज मर्док (George Murdock) जैसे मानवशास्त्रियों ने इन सार्वभौमिकों की पहचान की है। वे समाज की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह विशिष्टता (particularity) को दर्शाता है। (c) यह आधुनिकता या पश्चिमीकरण से संबंधित है। (d) यह केवल एक सांस्कृतिक क्षेत्र तक सीमित है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने “सामाजिक स्तरीकरण” को समाज के स्थायित्व (stability) और कार्यप्रणाली (functioning) के लिए आवश्यक माना है?
- कार्ल मार्क्स
- डेविड एम्मिट (David Emmitt)
- किंग्सले डेविस (Kingsley Davis) और विल्बर्ट मूर (Wilbert Moore)
- एच. सी. हियर (H.C. Hare)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: किंग्सले डेविस (Kingsley Davis) और विल्बर्ट मूर (Wilbert Moore) ने “कार्यात्मक सिद्धांत” (Functional Theory) का प्रस्ताव रखा, जिसमें तर्क दिया गया कि सामाजिक स्तरीकरण (विशेष रूप से असमान पुरस्कार) समाज के लिए आवश्यक है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए सबसे योग्य व्यक्तियों को प्रेरित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: उनका तर्क था कि समाज को उन पदों को भरने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण हैं और जिनके लिए उच्च कौशल या प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, उन्हें अधिक पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) प्रदान करने की आवश्यकता होती है। यह समाज में यथास्थिति बनाए रखने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स (a) स्तरीकरण को शोषण का साधन मानते थे और इसे समाप्त करना चाहते थे। अन्य विकल्प इस विशिष्ट कार्यात्मक दृष्टिकोण से उतने प्रमुख रूप से जुड़े नहीं हैं।
प्रश्न 19: “संस्कृति” (Culture) शब्द की समाजशास्त्रीय परिभाषा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व क्या है?
- केवल भौतिक वस्तुएँ (जैसे कार, भवन)
- केवल अमूर्त विचार (जैसे धर्म, मूल्य)
- सीखी हुई सामग्री, व्यवहार और प्रतीकों का वह समग्र समूह जिसे किसी समाज के सदस्य साझा करते हैं
- वंशानुक्रम में प्राप्त व्यवहार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, संस्कृति को केवल भौतिक वस्तुओं या केवल अमूर्त विचारों तक सीमित नहीं रखा जाता। यह व्यापक रूप से सीखी गई सामग्री, व्यवहारों, विश्वासों, मूल्यों, प्रतीकों और कलाकृतियों का एक समग्र समूह है जिसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सामाजिकरण (socialization) के माध्यम से हस्तांतरित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें वह सब कुछ शामिल है जो सीखा और साझा किया जाता है, और जो एक समूह की जीवन शैली को आकार देता है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) संस्कृति के केवल अंश हैं। (d) संस्कृति सीखी जाती है, वंशानुक्रम में नहीं मिलती।
प्रश्न 20: भारत में “ग्रामीण समाज” (Rural Society) की तुलना में “शहरी समाज” (Urban Society) की मुख्य विशेषता क्या है?
- उच्च घनत्व और सामाजिक विविधता
- पारंपरिक मूल्य और घनिष्ठ सामुदायिक संबंध
- मुख्य रूप से कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
- स्थिर सामाजिक संरचना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: शहरी समाजों को अक्सर उच्च जनसंख्या घनत्व, लोगों की अधिक विविधता (जाति, धर्म, पेशा, जीवन शैली के मामले में), और अमूर्त (impersonal) संबंधों की विशेषता होती है, जबकि ग्रामीण समाजों में आमतौर पर कम घनत्व, अधिक समरूपता (homogeneity) और घनिष्ठ, अनौपचारिक संबंध पाए जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लुई वर्थ (Louis Wirth) जैसे समाजशास्त्रियों ने शहरीकरण के प्रभावों का अध्ययन किया है, जिसमें विशालता, घनत्व और विषम (heterogeneous) जनसंख्या का विश्लेषण शामिल है।
- गलत विकल्प: (b), (c), और (d) आमतौर पर ग्रामीण समाजों की विशेषताएं हैं, न कि शहरी समाजों की। शहरी समाजों में पारंपरिक मूल्यों की तुलना में अधिक नवीनता और विविधता वाले मूल्य देखे जा सकते हैं।
प्रश्न 21: **”सामाजिक अलगाव”** (Alienation) की अवधारणा, जो कार्ल मार्क्स के लिए महत्वपूर्ण थी, से क्या तात्पर्य है?
- किसी व्यक्ति का समाज से शारीरिक अलगाव।
- पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिक का स्वयं, उसके श्रम उत्पाद, उसके साथियों और उसकी मानवीय क्षमता से अलगाव।
- व्यक्ति का अपने परिवार से अलग होना।
- सरकारी नीतियों से असंतोष।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिक अपने श्रम की प्रक्रिया और उसके उत्पाद से अलग-थलग महसूस करते हैं। वे उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण नहीं रखते, और उनका श्रम केवल लाभ कमाने का एक साधन बन जाता है, न कि आत्म-अभिव्यक्ति का।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने चार प्रकार के अलगाव की पहचान की: उत्पाद से अलगाव, श्रम प्रक्रिया से अलगाव, अपने ‘प्रजाति सार’ (species-being) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) अलगाव के कुछ पहलू हो सकते हैं, लेकिन वे मार्क्स द्वारा वर्णित विशेष पूंजीवादी संदर्भ में अलगाव के पूर्ण अर्थ को नहीं पकड़ते।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी **”सामाजिक संस्था”** (Social Institution) का एक उदाहरण है?
- एक मित्र मंडली
- एक राजनीतिक दल
- एक विश्वविद्यालय
- एक खेल का मैदान
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संस्थाएँ वे स्थापित, स्थायी और व्यवस्थित पैटर्न हैं जो समाज की प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित हुए हैं। विश्वविद्यालय (शिक्षा), सरकार (राजनीति), विवाह (परिवार), चर्च (धर्म), और अर्थव्यवस्था प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये संस्थाएँ अपने विशिष्ट नियमों, भूमिकाओं और उद्देश्यों के साथ समाज की संरचना का निर्माण करती हैं।
- गलत विकल्प: एक मित्र मंडली (a) और एक खेल का मैदान (d) अनौपचारिक समूह या स्थान हैं। एक राजनीतिक दल (b) एक संगठित समूह है, लेकिन ‘सरकार’ को अक्सर एक व्यापक संस्था के रूप में देखा जाता है, और दल स्वयं एक विशिष्ट प्रकार का संगठन हो सकता है जो संस्थागत भूमिका निभाता है। हालांकि, विश्वविद्यालय को एक स्पष्ट और व्यापक रूप से स्वीकृत सामाजिक संस्था माना जाता है।
प्रश्न 23: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) और “सांस्कृतिक पूंजी” (Cultural Capital) की अवधारणाएँ किसने विकसित कीं?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- पियरे बॉर्डियू
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने “सामाजिक पूंजी” (social capital) को अपने सामाजिक नेटवर्क से प्राप्त संसाधनों के रूप में परिभाषित किया, और “सांस्कृतिक पूंजी” (cultural capital) को ज्ञान, कौशल, शिक्षा और कलात्मक रुचियों के रूप में परिभाषित किया, जो सामाजिक स्तरीकरण में भूमिका निभाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने तर्क दिया कि ये तीनों प्रकार की पूँजी (आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक) एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और सामाजिक स्थिति को बनाए रखने या बढ़ाने में मदद करती हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम (a) ने एनोमी और सामाजिक एकता पर काम किया। वेबर (b) ने नौकरशाही और वर्टेहेन पर काम किया। मर्टन (d) ने मध्यम-सीमा सिद्धांत पर काम किया।
प्रश्न 24: भारत में **”आधुनिकीकरण”** (Modernization) की प्रक्रिया से संबंधित एक महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित में से कौन सा है?
- पारंपरिक पंचायतों को मजबूत करना
- जाति आधारित विवाहों को प्रोत्साहित करना
- साक्षरता में वृद्धि और तकनीकी विकास
- सामुदायिक भावना का संवर्धन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, तर्कसंगतता (rationality) और तकनीकी विकास जैसे परिवर्तन शामिल हैं। भारत में, साक्षरता में वृद्धि और विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति आधुनिकीकरण के प्रमुख संकेतक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर पारंपरिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं में बदलाव लाता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) अक्सर आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के विपरीत दिशा में या उसके प्रभावों से भिन्न परिणाम हो सकते हैं। पारंपरिक पंचायतों को मजबूत करना या जाति आधारित विवाहों को प्रोत्साहित करना पारंपरिक संस्थाओं से जुड़ा है, जबकि आधुनिकीकरण अक्सर उन्हें चुनौती देता है।
प्रश्न 25: **”पदानुक्रम”** (Hierarchy) की अवधारणा सामाजिक स्तरीकरण के संदर्भ में क्या दर्शाती है?
- समाज में व्यक्तियों के बीच घनिष्ठता का स्तर।
- समाज में शक्ति, प्रतिष्ठा और संसाधनों का स्तरीकृत वितरण।
- किसी समूह के सदस्यों के बीच विचारों का आदान-प्रदान।
- सामाजिक नियमों का पालन करने की प्रवृत्ति।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण के संदर्भ में पदानुक्रम (Hierarchy) का अर्थ है कि समाज में लोगों और समूहों को विभिन्न स्तरों या श्रेणियों में व्यवस्थित किया जाता है, जहाँ उच्च स्तर वाले समूहों के पास निम्न स्तर वाले समूहों की तुलना में अधिक शक्ति, विशेषाधिकार और संसाधन होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक ऊर्ध्वाधर (vertical) व्यवस्था है जो असमानता को दर्शाती है, जैसे जाति व्यवस्था, वर्ग व्यवस्था या सत्ता की संरचनाएँ।
- गलत विकल्प: (a) यह घनिष्ठता को नहीं, बल्कि अलगाव या श्रेणीबद्धता को दर्शाता है। (c) यह विचारों के आदान-प्रदान की विधि नहीं है। (d) यह नियमों के पालन की प्रवृत्ति से अधिक, नियमों और शक्ति के वितरण से संबंधित है।