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समाजशास्त्र मंथन: अवधारणाओं को पैना करें

समाजशास्त्र मंथन: अवधारणाओं को पैना करें

नमस्ते, समाजशास्त्र के जिज्ञासु! आज की दैनिक अभ्यास श्रृंखला में आपका स्वागत है। यह समय है अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने का। हम लाए हैं 25 महत्वपूर्ण प्रश्न जो समाजशास्त्र के विभिन्न आयामों को छूते हैं। तो, कॉपी-पेंसिल उठाइए और इस बौद्धिक यात्रा के लिए तैयार हो जाइए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘अल्फा, बीटा, गामा’ की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जो समाज की सामाजिक व्यवस्था में तीन प्रकार के सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. टैल्कॉट पार्सन्स
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: टैल्कॉट पार्सन्स ने अपनी ‘सिस्टम थ्योरी’ के तहत समाज के सदस्यों को सामाजिक भूमिकाओं और अपेक्षाओं के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए ‘अल्फा, बीटा, गामा’ की अवधारणा का उपयोग किया। अल्फा सबसे अधिक सामाजिक रूप से एकीकृत और अनुपालन करने वाले सदस्य होते हैं, बीटा मध्यम रूप से एकीकृत होते हैं, और गामा समाज के नियमों से विचलित होने वाले या प्रतिरोध करने वाले सदस्य होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह वर्गीकरण पार्सन्स की सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने और उसमें सदस्यों के एकीकरण को समझने की व्यापक कोशिश का हिस्सा था। उन्होंने इन श्रेणियों का उपयोग समाज के भीतर प्रकार्यवाद (functionalism) को समझाने के लिए किया।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। मैक्स वेबर ने सत्ता और नौकरशाही पर काम किया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और आत्मघाती (suicide) जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन उनकी वर्गीकरण प्रणाली पार्सन्स से भिन्न थी।

प्रश्न 2: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा को किसने परिभाषित किया और समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में स्थापित करने में इसका क्या महत्व है?

  1. मैक्स वेबर; व्याख्यात्मक समाजशास्त्र के लिए
  2. कार्ल मार्क्स; आर्थिक निर्धारणवाद के लिए
  3. एमिल दुर्खीम; बाहरी और अनिवार्य शक्ति के रूप में
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड; प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के लिए

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ को ‘समाज के सदस्यों द्वारा अपनाए जाने वाले व्यवहार के तरीके, जो व्यक्ति पर एक बाहरी बाध्यकारी शक्ति का प्रयोग करते हैं’ के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इसे समाजशास्त्र की प्राथमिक अध्ययन वस्तु माना और इसके माध्यम से समाजशास्त्र को एक सकारात्मक (positivist) विज्ञान के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्यों को ‘वस्तुओं की तरह’ (as things) माना जाना चाहिए।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया, जो व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर केंद्रित है। कार्ल मार्क्स ने इतिहास को वर्ग संघर्ष के माध्यम से समझाया। जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के जनक थे, जिनका ध्यान व्यक्ति और समाज के बीच अंतःक्रिया पर था।

प्रश्न 3: भारतीय समाज में ‘सशक्तता’ (Dominant Caste) की अवधारणा का श्रेय किस समाजशास्त्री को जाता है, और यह किस संदर्भ में प्रयोग की जाती है?

  1. ई. वी. रामास्वामी नायकर; दलित मुक्ति आंदोलन
  2. अमिताभ घोष; औपनिवेशिक अध्ययन
  3. एम. एन. श्रीनिवास; जाति व्यवस्था और ग्रामीण भारत
  4. इरावती कर्वे; नातेदारी व्यवस्था

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय गांवों के अपने क्षेत्रीय कार्य के दौरान ‘सशक्तता’ (Dominant Caste) की अवधारणा विकसित की। इसका अर्थ है गांव में वह जाति जो संख्या में सबसे बड़ी हो, भूमि पर स्वामित्व रखती हो, और स्थानीय राजनीति व अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक शक्तिशाली हो।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा ग्रामीण भारतीय समाज में शक्ति संरचनाओं को समझने में महत्वपूर्ण है, जहां एक जाति पदानुक्रम में उच्च न होते हुए भी, आर्थिक और राजनीतिक प्रभुत्व के कारण गांव पर नियंत्रण रखती है। श्रीनिवास ने अपनी कई रचनाओं, जैसे ‘Changing Village in India’ में इस पर चर्चा की है।
  • गलत विकल्प: ई. वी. रामास्वामी नायकर आत्म-सम्मान आंदोलन के नेता थे। अमिताभ घोष एक साहित्यकार हैं। इरावती कर्वे ने भारत की नातेदारी व्यवस्था पर महत्वपूर्ण शोध किया।

प्रश्न 4: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के प्रमुख प्रतिपादकों में कौन शामिल नहीं है?

  1. एच. स्पेन्सर
  2. आर. के. मर्टन
  3. ऐ. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  4. सी. राइट मिल्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: सी. राइट मिल्स एक महत्वपूर्ण अमेरिकी समाजशास्त्री थे, जो ‘शक्ति अभिजात वर्ग’ (Power Elite) और ‘अमूर्तEMPIRICISM’ (Abstract Empiricism) की आलोचना के लिए जाने जाते हैं। वे संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रतिपादक नहीं थे, बल्कि उसकी आलोचना करते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न अंग (संरचनाएं) एक साथ कार्य करते हैं ताकि संतुलन और स्थिरता बनी रहे। हर्बर्ट स्पेन्सर, आर. के. मर्टन और ऐ. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक माने जाते हैं।
  • गलत विकल्प: एच. स्पेन्सर ने समाज की तुलना एक जैविक जीव से की। आर. के. मर्टन ने ‘प्रकट’ (Manifest) और ‘अव्यक्त’ (Latent) प्रकार्यों (functions) जैसी अवधारणाएँ दीं। ऐ. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन ने सामाजिक संरचना और उसके प्रकार्यों पर जोर दिया।

प्रश्न 5: ‘आधुनिकीकरण सिद्धांत’ (Modernization Theory) के अनुसार, समाज के विकास में प्रमुख बाधा क्या मानी जाती है?

  1. अति-नगरीकरण
  2. पारंपरिक संरचनाएँ और मूल्य
  3. अंतर्राष्ट्रीय साम्राज्यवाद
  4. अत्यधिक जनसांख्यिकीय वृद्धि

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: आधुनिकीकरण सिद्धांत, विशेष रूप से अपने प्रारंभिक चरणों में, यह मानता था कि गैर-पश्चिमी समाजों का विकास पश्चिमी समाजों के समान चरणों का अनुसरण करेगा। इसके अनुसार, पारंपरिक समाजों में निहित मूल्य, संस्थाएं और सामाजिक संरचनाएं विकास और आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधाएँ होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के समर्थक जैसे रोस्टो (Rostow) ने ‘पांच चरणों’ (Stages of Economic Growth) का वर्णन किया। हालांकि, इस सिद्धांत की आलोचना भी हुई कि यह पश्चिमी-केंद्रित है और स्थानीय संदर्भों की उपेक्षा करता है।
  • गलत विकल्प: अति-नगरीकरण या अत्यधिक जनसांख्यिकीय वृद्धि को कुछ आधुनिकतावादी विचारक परिणाम के रूप में देख सकते थे, लेकिन मुख्य बाधा पारंपरिक तत्व माने जाते थे। अंतर्राष्ट्रीय साम्राज्यवाद की आलोचना निर्भरता सिद्धांत (Dependency Theory) का हिस्सा है, न कि मुख्यधारा के आधुनिकीकरण सिद्धांत का।

प्रश्न 6: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?

  1. समाज की व्यापक संरचनात्मक असमानताएँ
  2. समूहों के बीच शक्ति संघर्ष
  3. व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाएँ और प्रतीकों का अर्थ
  4. संस्थाओं का विकास और कार्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसका श्रेय जॉर्ज हर्बर्ट मीड, चार्ल्स कर्टिस कूली और हरबर्ट ब्लूमर जैसे विचारकों को जाता है, इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति कैसे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं और कैसे यह अंतःक्रिया सामाजिक वास्तविकता का निर्माण करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण मानता है कि स्वयं (self) और समाज सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होते हैं। व्यक्ति दुनिया को कैसे समझते हैं, यह उन प्रतीकों के अर्थों पर निर्भर करता है जिनका वे उपयोग करते हैं।
  • गलत विकल्प: व्यापक संरचनात्मक असमानताएँ संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का विषय हैं। समूहों के बीच शक्ति संघर्ष भी संघर्ष सिद्धांत से जुड़ा है। संस्थाओं का विकास और कार्य प्रकार्यवाद (Functionalism) या अन्य मैक्रो-स्तरीय दृष्टिकोणों का केंद्र बिंदु है।

प्रश्न 7: ‘अभिजात वर्ग’ (Elite) के सिद्धांत का प्रारंभिक विकास किसके कार्यों में देखा जा सकता है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. गैतानो मोस्का और विल्फ्रेडो पेरेटो
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: गैतानो मोस्का और विल्फ्रेडो पेरेटो को अभिजात वर्ग सिद्धांत के संस्थापकों में गिना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि हर समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक अल्पसंख्यक शासक वर्ग (अभिजात वर्ग) होता है जो राजनीतिक शक्ति को नियंत्रित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मोस्का ने ‘The Ruling Class’ में और पेरेटो ने ‘The Mind and Society’ में इस विचार का प्रतिपादन किया। पेरेटो ने ‘शेरों’ (Lions) और ‘लोमड़ियों’ (Foxes) के रूप में अभिजात वर्ग के विभिन्न प्रकारों का भी वर्णन किया।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर, और वेबर ने सत्ता, नौकरशाही और सामाजिक स्तरीकरण पर काम किया, लेकिन अभिजात वर्ग के सिद्धांत को उन्होंने मोस्का और पेरेटो की तरह केंद्रीय रूप से विकसित नहीं किया।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का उदाहरण नहीं है?

  1. परिवार
  2. राज्य
  3. धर्म
  4. जाति

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: सामाजिक संस्थाएं समाज की मूलभूत संरचनाएं होती हैं जो विशेष सामाजिक उद्देश्यों को पूरा करती हैं और स्थापित नियमों, भूमिकाओं और व्यवहारों के पैटर्न द्वारा परिभाषित होती हैं। परिवार, राज्य और धर्म समाज की प्रमुख संस्थाएं हैं। जाति, हालांकि भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण सामाजिक संरचना है, पारंपरिक रूप से एक संस्था की तुलना में एक सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था या एक सामाजिक समूह के रूप में अधिक वर्णित की जाती है। हालाँकि, कुछ विद्वान इसे भी एक सामाजिक संस्था के रूप में देख सकते हैं, लेकिन अन्य तीन अधिक स्पष्ट और सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत संस्थाएं हैं। यहाँ, जाति को अन्य तीन की तुलना में एक भिन्न श्रेणी में रखा जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संस्थाएं अपेक्षाओं और नियमों का एक स्थायी, मूर्त रूप प्रदान करती हैं। परिवार विवाह और वंशानुक्रम को नियंत्रित करता है, राज्य कानून और व्यवस्था को बनाए रखता है, और धर्म विश्वास और अनुष्ठान प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: परिवार, राज्य और धर्म स्पष्ट रूप से सामाजिक संस्थाएं हैं क्योंकि वे विशिष्ट सामाजिक कार्यों को पूरा करने के लिए स्थापित पैटर्न और नियमों का एक समूह हैं।

प्रश्न 9: ‘अमीर खुसरो’ को किस ऐतिहासिक-सामाजिक संदर्भ में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता है, विशेष रूप से सामाजिक मेलजोल और सांस्कृतिक मिश्रण के संबंध में?

  1. मुगल साम्राज्य का स्वर्ण युग
  2. दिल्ली सल्तनत काल
  3. ब्रिटिश औपनिवेशिक काल
  4. उत्तर-गुप्त काल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: अमीर खुसरो (1253-1325 ई.) दिल्ली सल्तनत काल के दौरान एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वे एक कवि, संगीतकार, विद्वान और सूफी संत थे। उनके कार्य फारसी, अरबी, हिंदी और उर्दू जैसी विभिन्न भाषाओं में फैले हुए थे, जो उस समय के सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न सांस्कृतिक धाराओं के मिश्रण का प्रतीक है।
  • संदर्भ और विस्तार: खुसरो को अक्सर ‘भारत का तोता’ (Tuti-e-Hind) कहा जाता है। उन्होंने न केवल साहित्यिक और संगीत के क्षेत्र में योगदान दिया, बल्कि उन्होंने उस समय के समाज, राजनीति और लोगों के जीवन को भी अपनी रचनाओं में दर्शाया।
  • गलत विकल्प: मुगल साम्राज्य का स्वर्ण युग (जैसे अकबर का काल) खुसरो के बाद आया। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल बहुत बाद का है। उत्तर-गुप्त काल भी उनसे काफी पहले का है।

प्रश्न 10: ‘प्रकार्यवाद’ (Functionalism) के अनुसार, किसी भी सामाजिक घटना या प्रथा का अस्तित्व इसलिए होता है क्योंकि वह:

  1. जनता के थोपे हुए विचारों का परिणाम है
  2. समाज के लिए कोई उपयोगी कार्य (function) करती है
  3. शक्तिशाली वर्गों द्वारा बनाए रखा जाता है
  4. ऐतिहासिक संयोग का परिणाम है

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: प्रकार्यवाद का मूल सिद्धांत यह है कि समाज को विभिन्न परस्पर संबंधित भागों या संरचनाओं से बनी एक प्रणाली के रूप में देखा जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट कार्य (function) करता है जो समग्र प्रणाली की स्थिरता और संतुलन को बनाए रखने में योगदान देता है। इस प्रकार, हर सामाजिक घटना का एक प्रकार्य होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स और मर्टन जैसे प्रकार्यवादियों ने समाज को एक जीवित प्राणी की तरह देखा, जहाँ प्रत्येक अंग (संस्था, प्रथा) अपना विशिष्ट कार्य करता है। मर्टन ने ‘प्रकट’ (manifest) और ‘अव्यक्त’ (latent) प्रकार्यों में भेद करके इस सिद्धांत को और परिष्कृत किया।
  • गलत विकल्प: जनता के थोपे हुए विचार या शक्तिशाली वर्गों द्वारा रखरखाव महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन प्रकार्यवाद के अनुसार घटना के अस्तित्व का प्राथमिक कारण उसका प्रकार्य है। ऐतिहासिक संयोग भी प्रासंगिक हो सकता है, लेकिन प्रकार्यवाद सामाजिक व्यवस्था को उद्देश्यपूर्ण मानता है।

प्रश्न 11: ‘अनिवार्य बेरोजगारी’ (Forced Unemployment) किस समाजशास्त्री के काम में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था से जुड़ी है?

  1. ई. पी. थॉम्पसन
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. रॉबर्ट ओवेन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: कार्ल मार्क्स ने ‘आरक्षित श्रम सेना’ (Reserve Army of Labour) की अवधारणा पेश की, जो पूंजीवादी व्यवस्था के तहत एक अनिवार्य तत्व है। इसमें बेरोजगार या अल्प-रोजगार वाले श्रमिकों का एक समूह शामिल होता है, जो सक्रिय रूप से नियोजित श्रमिकों को कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर करता है और जो आर्थिक मंदी के समय में काम आते हैं। यह एक प्रकार की ‘अनिवार्य बेरोजगारी’ है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) में तर्क दिया कि यह आरक्षित श्रम सेना पूंजीपतियों के लिए लाभ को अधिकतम करने का एक आवश्यक साधन है, क्योंकि यह श्रमिकों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ाती है और उनकी मोलभाव शक्ति को कम करती है।
  • गलत विकल्प: ई. पी. थॉम्पसन कार्य समय और औद्योगिक समाज पर उनके काम के लिए जाने जाते हैं। मैक्स वेबर ने नौकरशाही और प्रभुत्व पर ध्यान केंद्रित किया। रॉबर्ट ओवेन एक यूटोपियन समाजवादी थे।

प्रश्न 12: भारतीय समाज में ‘दलित’ (Dalit) शब्द का प्रयोग किस सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन के साथ प्रमुखता से जुड़ा है?

  1. भक्ति आंदोलन
  2. प्रार्थना समाज
  3. आत्मसम्मान आंदोलन और अंबेडकरवादी आंदोलन
  4. ब्रह्म समाज

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: ‘दलित’ शब्द, जिसका अर्थ ‘दबाया हुआ’ या ‘तोड़ा हुआ’ है, विशेष रूप से 20वीं सदी में आत्मसम्मान आंदोलन (पेरियार ई.वी. रामासामी) और डॉ. बी. आर. अंबेडकर के अंबेडकरवादी आंदोलन द्वारा अपनाया गया। इस शब्द का उद्देश्य उन समुदायों को सशक्त बनाना था जिन्हें पारंपरिक रूप से ‘अछूत’ माना जाता था और जाति-आधारित उत्पीड़न के खिलाफ एक साझा पहचान प्रदान करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द जाति-आधारित भेदभाव और बहिष्करण के ऐतिहासिक अनुभवों को स्वीकार करता है और दलित समुदाय को अपनी गरिमा और अधिकारों के लिए संघर्ष करने का एक मंच प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: भक्ति आंदोलन, प्रार्थना समाज और ब्रह्म समाज सामाजिक सुधार के महत्वपूर्ण आंदोलन थे, लेकिन उन्होंने ‘दलित’ शब्द को अपनी मुख्य पहचान या आंदोलन के केंद्रीय तत्व के रूप में प्रमुखता से उपयोग नहीं किया।

प्रश्न 13: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के अध्ययन में, ‘वर्ग’ (Class) की अवधारणा को मुख्य रूप से किसने विकसित किया?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: कार्ल मार्क्स ने वर्ग को उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर परिभाषित किया। उनके अनुसार, पूंजीवादी समाज में मुख्य रूप से दो वर्ग थे: बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग)। उन्होंने वर्ग संघर्ष को इतिहास का प्रमुख प्रेरक बल माना।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के लिए, वर्ग केवल आर्थिक स्थिति का मामला नहीं था, बल्कि एक समुदाय था जो अपने साझा आर्थिक हितों और उत्पादन की प्रक्रिया में अपनी स्थिति के कारण एक साथ आता है। उन्होंने वर्ग-चेतना (class-consciousness) के उदय पर भी बल दिया।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने वर्ग के साथ-साथ ‘स्टेटस’ (Status) और ‘पॉवर’ (Power) को भी स्तरीकरण के आयामों के रूप में पहचाना। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और क्रिया सिद्धांत पर काम किया।

प्रश्न 14: ‘आत्मसम्मान आंदोलन’ (Self-Respect Movement) दक्षिण भारत में किसके नेतृत्व में चलाया गया, जिसका उद्देश्य जाति-आधारित असमानताओं का उन्मूलन था?

  1. महात्मा गांधी
  2. स्वामी विवेकानंद
  3. ई. वी. रामासामी नायकर
  4. डॉ. बी. आर. अंबेडकर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: ई. वी. रामासामी नायकर, जिन्हें ‘पेरियार’ के नाम से भी जाना जाता है, ने 1920 के दशक में तमिलनाडु में आत्मसम्मान आंदोलन की शुरुआत की। यह आंदोलन जाति-आधारित भेदभाव, ब्राह्मणवादी वर्चस्व और धार्मिक पाखंड के खिलाफ था, जिसका लक्ष्य समाज के पिछड़े वर्गों के बीच आत्म-सम्मान और समानता को बढ़ावा देना था।
  • संदर्भ और विस्तार: पेरियार ने तर्क दिया कि जाति व्यवस्था एक कृत्रिम रचना है जिसे समानता और तर्कसंगतता के नाम पर नष्ट किया जाना चाहिए। उन्होंने सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने हरिजन उत्थान के लिए कार्य किया लेकिन उनके दृष्टिकोण भिन्न थे। स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म के सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और उनके आंदोलन की अपनी विशिष्ट पहचान थी, हालांकि उनके लक्ष्य पेरियार के लक्ष्यों से मिलते-जुलते थे।

प्रश्न 15: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. समाज में व्यक्तियों के बीच अंतःक्रिया की प्रक्रिया
  2. समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा अपनाई जाने वाली जीवन शैली
  3. एक व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर तक स्थानांतरण
  4. समाज में परिवर्तन की दर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य समाज में व्यक्तियों या समूहों के एक सामाजिक स्तर (जैसे आय, प्रतिष्ठा, शक्ति) से दूसरे स्तर तक ऊपर या नीचे की ओर जाने से है। इसे ऊर्ध्वाधर (vertical) या क्षैतिज (horizontal) गतिशीलता के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जब कोई व्यक्ति गरीब परिवार में जन्म लेकर अमीर बनता है, तो वह ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर गतिशीलता का उदाहरण है। इसी तरह, जब कोई व्यक्ति एक शहर से दूसरे शहर में जाकर समान स्तर का काम करता है, तो यह क्षैतिज गतिशीलता है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तियों के बीच अंतःक्रिया प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का विषय है। जीवन शैली सामाजिक स्तरीकरण का हिस्सा है, लेकिन गतिशीलता नहीं। समाज में परिवर्तन की दर सामाजिक परिवर्तन का अध्ययन है, न कि गतिशीलता।

प्रश्न 16: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया को अक्सर किससे जोड़ा जाता है?

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों का विस्तार
  2. कृषि पर बढ़ती निर्भरता
  3. ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर जनसंख्या का प्रवास
  4. परंपराओं का सुदृढ़ीकरण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: शहरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी क्षेत्र में शहरी आबादी का अनुपात बढ़ता है। इसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर बड़ी संख्या में लोगों का प्रवास है, जो बेहतर आर्थिक अवसरों, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और जीवन की गुणवत्ता की तलाश में शहरों की ओर आकर्षित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया न केवल जनसंख्या के वितरण को बदलती है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के तरीकों में भी बड़े बदलाव लाती है, जैसे कि जीवन की गति, पारिवारिक संरचनाएं, सामुदायिक संबंध आदि।
  • गलत विकल्प: ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों का विस्तार शहरीकरण का एक कारक हो सकता है, लेकिन शहरीकरण की मुख्य पहचान जनसंख्या प्रवास है। कृषि पर निर्भरता या परंपराओं का सुदृढ़ीकरण आमतौर पर ग्रामीण जीवन से जुड़े हैं, शहरीकरण के विपरीत।

प्रश्न 17: ‘असंतुलन’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और नैतिक दिशाहीनता की स्थिति का वर्णन करती है, किस समाजशास्त्री द्वारा विकसित की गई?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. आर. के. मर्टन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: एमिल दुर्खीम ने ‘असंतुलन’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग समाज में तब होने वाली स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जब सामाजिक मानदंड (norms) कमजोर पड़ जाते हैं या मौजूद नहीं होते, जिससे व्यक्तियों में उद्देश्यहीनता और अलगाव की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्मघाती’ (Suicide) में दिखाया कि कैसे औद्योगिकरण और सामाजिक परिवर्तनों के दौर में अनमी (anomie) आत्महत्या की दर को बढ़ा सकती है। उन्होंने इसे सामाजिक व्यवस्था के लिए एक खतरे के रूप में देखा।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने अलगाव (alienation) की बात की, जो अनमी से भिन्न है। मैक्स वेबर ने पारंपरिक समाज से आधुनिक समाज की ओर परिवर्तन में मूल्यों के विचलन पर चर्चा की। आर. के. मर्टन ने भी अनमी की अवधारणा का प्रयोग किया, लेकिन इसे सामाजिक लक्ष्यों और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधनों के बीच बेमेल के रूप में परिभाषित किया, जो दुर्खीम के मूल विचार का विस्तार था।

प्रश्न 18: ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) का मुख्य सरोकार क्या है?

  1. व्यक्तिगत ज्ञान का विकास
  2. समाज में ज्ञान का निर्माण, प्रसार और प्रभाव
  3. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से सीखना
  4. तकनीकी नवाचार का सामाजिक प्रभाव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: ज्ञान का समाजशास्त्र यह अध्ययन करता है कि कैसे सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संदर्भ ज्ञान के निर्माण, प्रसार और महत्व को प्रभावित करते हैं। यह इस बात की पड़ताल करता है कि समाज में कौन से विचार ‘ज्ञान’ माने जाते हैं और क्यों।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मैनहाइम (Karl Mannheim) इस क्षेत्र के एक प्रमुख विचारक थे, जिन्होंने ‘Ideology and Utopia’ जैसी कृतियों में इस अवधारणा को विकसित किया। वे मानते थे कि ज्ञान सामाजिक रूप से निर्धारित होता है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत ज्ञान का विकास मनोविज्ञान का विषय है। सीखना एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। तकनीकी नवाचार का सामाजिक प्रभाव समाजशास्त्र का एक उप-क्षेत्र है, लेकिन ज्ञान का समाजशास्त्र स्वयं ज्ञान के सामाजिक पहलुओं पर केंद्रित है।

प्रश्न 19: भारत में ‘कठोरता’ (Rigidity) और ‘बहुलता’ (Multiplicity) की विशेषताओं से युक्त सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली कौन सी है?

  1. वर्ग व्यवस्था
  2. जाति व्यवस्था
  3. पेशागत समूह
  4. लिंग आधारित विभाजन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: भारतीय जाति व्यवस्था अपनी जन्म-आधारित कठोरता (यानी, व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, उसी जाति का रहता है) और विभिन्न जातियों, उप-जातियों, कुल (clans) और गोत्रों (gotras) की विशाल बहुलता के लिए जानी जाती है। यह व्यवस्था परंपरागत रूप से सामाजिक प्रतिष्ठा, व्यवसाय और सामाजिक अंतःक्रिया को नियंत्रित करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: जी. एस. घुरिये जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति व्यवस्था की विशेषताओं का विस्तार से वर्णन किया है, जिसमें संस्तरण (hierarchy), भोजन और सामाजिक संपर्क पर प्रतिबंध, पेशा संबंधी प्रतिबंध और विवाह पर प्रतिबंध शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: वर्ग व्यवस्था में कुछ हद तक कठोरता हो सकती है, लेकिन यह जन्म पर उतनी कड़ाई से आधारित नहीं होती और इसमें उतनी बहुलता नहीं होती जितनी जाति में। पेशागत समूह और लिंग आधारित विभाजन भी सामाजिक स्तरीकरण के तरीके हैं, लेकिन वे जाति व्यवस्था की विशिष्ट कठोरता और बहुलता को प्रदर्शित नहीं करते।

प्रश्न 20: ‘पूंजीवाद का अध्ययन’ (Study of Capitalism) और ‘प्रोटेस्टेंट नैतिकता’ (Protestant Ethic) के बीच संबंध किसने स्थापित किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. रॉबर्ट मिशेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: मैक्स वेबर ने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) में तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट धर्म, विशेष रूप से कैल्विनवाद की कुछ मान्यताएं, आधुनिक पश्चिमी पूंजीवाद के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति थीं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, प्रोटेस्टेंट धर्म में ‘ईश्वर द्वारा पूर्व-निर्धारण’ (predestination) का विचार, कार्य को ईश्वर की सेवा का एक रूप मानना, और सफलता को दैवीय कृपा का संकेत मानना, ने व्यक्तियों को कड़ी मेहनत करने, मितव्ययी बनने और धन का संचय करने के लिए प्रेरित किया, जिससे पूंजीवाद का विकास हुआ।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद की उत्पत्ति और विकास को मुख्य रूप से भौतिकवादी और आर्थिक कारकों (जैसे उत्पादन के साधनों का स्वामित्व, वर्ग संघर्ष) के माध्यम से समझाया। दुर्खीम ने श्रम विभाजन और सामाजिक एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया। रॉबर्ट मिशेल को ‘अभिजात वर्ग के लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) के लिए जाना जाता है।

प्रश्न 21: ‘संस्कृति’ (Culture) को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से कैसे परिभाषित किया जा सकता है?

  1. केवल कला, साहित्य और संगीत का संग्रह
  2. किसी समूह के सदस्यों द्वारा साझा किए गए विश्वास, मूल्य, व्यवहार, कलाकृतियाँ और प्रतीक
  3. वैज्ञानिक सिद्धांतों और तथ्यों का समूह
  4. राजनीतिक विचारधाराओं का समुच्चय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: समाजशास्त्र में, संस्कृति को एक समूह के सदस्यों द्वारा साझा की जाने वाली जीवन शैली के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें उनके विचार (विश्वास, मूल्य), उनके कार्य (व्यवहार), और उनकी भौतिक वस्तुएं (कलाकृतियाँ, उपकरण) शामिल हैं। यह वह सीखा हुआ और साझा किया जाने वाला व्यवहार है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ई. बी. टायर (E.B. Tylor) ने संस्कृति को “वह जटिल समग्रता जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं, जो एक मानव द्वारा समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त की जाती हैं।” के रूप में परिभाषित किया।
  • गलत विकल्प: कला, साहित्य और संगीत संस्कृति के केवल कुछ पहलू हैं। वैज्ञानिक सिद्धांत और राजनीतिक विचारधाराएं भी संस्कृति का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन वे संस्कृति की पूर्ण परिभाषा नहीं हैं।

प्रश्न 22: ‘प्रक्रियात्मक समाजशास्त्र’ (Processual Sociology) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?

  1. समाज की स्थिर संरचनाओं का विश्लेषण
  2. समाज में होने वाले निरंतर परिवर्तनों और अंतःक्रियाओं का अध्ययन
  3. मानसिक प्रक्रियाओं का सामाजिक प्रभाव
  4. संस्थागत नियमों का निर्माण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: प्रक्रियात्मक समाजशास्त्र सामाजिक जीवन को एक गतिशील प्रक्रिया के रूप में देखता है, जहाँ समाज को स्थिर संरचनाओं के बजाय निरंतर परिवर्तन, अंतःक्रिया और विकास की एक धारा के रूप में समझा जाता है। यह इस बात पर केंद्रित होता है कि कैसे सामाजिक संबंध, संस्थाएं और पहचान समय के साथ विकसित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण सामाजिक घटनाओं की क्षणभंगुरता और उनके विकासवादी चरित्र पर जोर देता है। यह मानता है कि समाज कभी भी स्थिर नहीं होता, बल्कि निरंतर बातचीत और अनुकूलन की एक प्रक्रिया में रहता है।
  • गलत विकल्प: समाज की स्थिर संरचनाओं का विश्लेषण प्रकार्यवाद या संरचनात्मक दृष्टिकोण का हिस्सा है। मानसिक प्रक्रियाओं का सामाजिक प्रभाव मनोविज्ञान या सामाजिक मनोविज्ञान का विषय हो सकता है। संस्थागत नियमों का निर्माण संरचनात्मक समाजशास्त्र का हिस्सा है।

प्रश्न 23: ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) की प्रथा भारतीय समाज में किस सामाजिक व्यवस्था से गहराई से जुड़ी हुई है?

  1. वर्ग व्यवस्था
  2. जाति व्यवस्था
  3. ज्ञान व्यवस्था
  4. आर्थिक व्यवस्था

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: भारत में अस्पृश्यता की प्रथा मुख्य रूप से जाति व्यवस्था से जुड़ी हुई है। जाति पदानुक्रम में सबसे नीचे रखे जाने वाले समुदायों को ‘अछूत’ माना जाता था और उन्हें धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से बहिष्कृत किया जाता था। उनके साथ शारीरिक संपर्क, सार्वजनिक स्थानों का उपयोग और अनुष्ठानों में भाग लेने पर प्रतिबंध था।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान के अनुच्छेद 17 ने अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया है और इसके किसी भी रूप में अभ्यास को वर्जित बताया है। हालांकि, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर इसके प्रभाव आज भी देखे जा सकते हैं।
  • गलत विकल्प: वर्ग व्यवस्था, ज्ञान व्यवस्था या आर्थिक व्यवस्था का अस्पृश्यता से सीधा संबंध उतना गहरा नहीं है जितना जाति व्यवस्था का है, जो जन्म आधारित है और विशिष्ट नियमों द्वारा शासित होती है।

प्रश्न 24: ‘वर्ग-चेतना’ (Class Consciousness) की अवधारणा, जो अपने सामाजिक-वर्ग के सदस्यों के रूप में एकजुट होने और अपने साझा हितों को पहचानने की क्षमता को संदर्भित करती है, मुख्य रूप से किस विचारक से जुड़ी है?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग-चेतना’ को एक महत्वपूर्ण अवधारणा माना। उनके अनुसार, पूंजीवादी समाज में श्रमिक वर्ग (सर्वहारा) को पहले ‘वर्ग-अपने-आप’ (class-in-itself) (केवल उत्पादन के साधन से संबंधित स्थिति के आधार पर) से ‘वर्ग-अपने-लिए’ (class-for-itself) (जब वे अपने शोषण को पहचानते हैं और सामूहिक रूप से क्रांति के लिए संगठित होते हैं) में विकसित होना होगा।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि यह वर्ग-चेतना ही समाजवाद और साम्यवाद की ओर परिवर्तन का आधार बनेगी। इसके बिना, श्रमिक अपने शोषकों के खिलाफ प्रभावी ढंग से लड़ नहीं सकते।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वर्ग-चेतना’ की बजाय ‘जीवन-शैली’ (lifestyle) और ‘स्टेटस’ (status) पर अधिक बल दिया। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और सामूहिक चेतना (collective consciousness) की बात की, जो वर्ग-चेतना से भिन्न है। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक अंतरक्रिया और रूप पर काम किया।

प्रश्न 25: ‘सभ्यता’ (Civilization) की अवधारणा को एमिल दुर्खीम ने किससे जोड़ा है?

  1. विकासशील समाज
  2. लिखित इतिहास
  3. सामूहिक चेतना और सामाजिक प्रगति
  4. प्रौद्योगिकी का स्तर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: एमिल दुर्खीम के लिए, सभ्यता केवल भौतिक प्रगति या प्रौद्योगिकी का स्तर नहीं थी, बल्कि यह ‘सामूहिक चेतना’ (collective consciousness) के विकास और सामाजिक प्रगति का परिणाम थी। उन्होंने सभ्यता को ऐसे समाज के रूप में देखा जहाँ व्यक्ति अधिक एकीकृत, सहिष्णु और नैतिक रूप से उन्नत होते हैं, जो जटिल समाजों में बढ़ती अंतर-निर्भरता और नैतिक एकता से संभव होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ में यांत्रिक एकता (mechanical solidarity) से साव्यवी एकता (organic solidarity) की ओर बढ़ते समाजों की चर्चा की। अधिक जटिल, साव्यवी एकता वाले समाज, जहाँ व्यक्तिगत भिन्नताएं अधिक होती हैं, को वे सभ्यता की ओर एक कदम मानते थे, जहाँ सामूहिक चेतना का स्वरूप बदलता है लेकिन यह उच्च स्तर पर बनी रहती है।
  • गलत विकल्प: विकासशील समाज, लिखित इतिहास या प्रौद्योगिकी का स्तर महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन दुर्खीम के अनुसार सभ्यता का सार सामूहिक चेतना और सामाजिक प्रगति के उस रूप से जुड़ा है जो इन जटिल समाजों में उभरता है।

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