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समाजशास्त्र मंथन: अपने ज्ञान को परखें!

समाजशास्त्र मंथन: अपने ज्ञान को परखें!

आज के समाजशास्त्र मंथन में आपका स्वागत है! यह रोज़ाना की अभ्यास श्रृंखला आपको समाजशास्त्र के मूल सिद्धांतों, प्रमुख विचारकों और समकालीन मुद्दों पर अपनी पकड़ को और मज़बूत करने का मौका देती है। अपनी विश्लेषणात्मक और वैचारिक क्षमता को परखें, और अपनी परीक्षा की तैयारी को एक नई ऊँचाई दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) की अवधारणा किसने विकसित की, जो समाज के अंतर्संबंधित भागों के व्यवस्थित पैटर्न पर बल देती है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: टैल्कॉट पार्सन्स ने “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर अपने “संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक” (Structural-Functional) दृष्टिकोण के माध्यम से। उन्होंने समाज को एक ऐसे तंत्र के रूप में देखा जिसके विभिन्न हिस्से (जैसे परिवार, शिक्षा, राजनीति) एक दूसरे से जुड़े होते हैं और समाज के स्थायित्व और कार्यप्रणाली में योगदान करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने अपनी रचनाओं जैसे ‘The Social System’ में इस अवधारणा का विस्तार से विश्लेषण किया। उन्होंने माना कि सामाजिक व्यवस्था में स्थिरता के लिए अभिकर्ताओं (actors) के व्यवहार का सामान्यीकरण (normative regulation) आवश्यक है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘आर्थिक संरचना’ पर था। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और ‘समूह’ पर जोर दिया। एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकजुटता’ (Social Solidarity) और ‘सामूहिकता’ (Collectivity) पर काम किया, हालांकि वे भी संरचना पर विचार करते थे, लेकिन पार्सन्स का कार्य संरचना पर अधिक केंद्रित था।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस अवधारणा का प्रयोग एमिल दुर्खीम ने समाज में व्यक्तियों के विघटन या सामाजिक नियंत्रण के अभाव की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया?

  1. अलगाव (Alienation)
  2. अमीबा (Anomie)
  3. वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
  4. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम ने “अमीबा” (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग उन सामाजिक स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जहाँ सामाजिक मानदंड (norms) कमजोर पड़ जाते हैं या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और विघटन की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की सुसाइड (Suicide) और ‘The Division of Labour in Society’ जैसी कृतियों में प्रमुखता से पाई जाती है। उनके अनुसार, तीव्र सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक संकट के समय अमीबा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • गलत विकल्प: ‘अलगाव’ (Alienation) कार्ल मार्क्स की एक प्रमुख अवधारणा है। ‘वर्ग संघर्ष’ भी मार्क्स से जुड़ा है। ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ जॉर्ज हर्बर्ट मीड और हरबर्ट ब्लूमर जैसे विचारकों से संबंधित है।

प्रश्न 3: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किसने किया?

  1. बी.आर. अम्बेडकर
  2. महात्मा गांधी
  3. एम.एन. श्रीनिवास
  4. ई.वी. रामासामी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: महात्मा गांधी ने अस्पृश्यता के शिकार लोगों के लिए ‘हरिजन’ (ईश्वर के लोग) शब्द का प्रयोग किया था, ताकि उन्हें समाज में सम्मान और समानता मिल सके।
  • संदर्भ और विस्तार: गांधीजी ने अपने साप्ताहिक समाचार पत्र ‘हरिजन’ के माध्यम से भी अस्पृश्यता के उन्मूलन और दलितों के उत्थान के लिए आवाज़ उठाई। यह शब्द उनकी सामाजिक न्याय की भावना को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: बी.आर. अम्बेडकर ने दलितों के लिए ‘शोषित’, ‘वंचित’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया और ‘दलित’ शब्द को लोकप्रिय बनाया। एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय जाति व्यवस्था पर विस्तृत अध्ययन किया। ई.वी. रामासामी (पेरियार) ने द्रविड़ आंदोलन का नेतृत्व किया और जाति विरोधी आंदोलन चलाया।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) के सिद्धांत से सबसे अधिक जुड़ा हुआ है, जिसमें व्यक्ति के व्यवहार के व्यक्तिपरक अर्थ को समझना महत्वपूर्ण है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. ऑगस्ट कॉम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) को समाजशास्त्र के अध्ययन की केंद्रीय इकाई माना। उन्होंने जोर दिया कि समाजशास्त्र को व्यक्ति द्वारा अपनी क्रियाओं को दिए जाने वाले व्यक्तिपरक अर्थ (subjective meaning) को समझना चाहिए, जिसे उन्होंने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समझ कहा।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, एक ऐसी क्रिया जो व्यक्ति अपने व्यवहार में दूसरों के व्यवहार को ध्यान में रखते हुए करता है, वह सामाजिक क्रिया है। उन्होंने ‘Economy and Society’ जैसी कृतियों में इसका विस्तार से उल्लेख किया है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों (Social Facts) और सामूहिक चेतना (Collective Consciousness) पर बल दिया। मार्क्स ने आर्थिक निर्धारणवाद और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 5: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें क्या शामिल है?

  1. केवल भौतिक वस्तुएँ (जैसे भवन, उपकरण)
  2. केवल अभौतिक विचार (जैसे विश्वास, मूल्य)
  3. भौतिक वस्तुएँ, अभौतिक विचार, और सामाजिक व्यवहार का सीखा हुआ पैटर्न
  4. केवल आर्थिक संरचनाएँ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: समाजशास्त्र में संस्कृति को एक व्यापक अवधारणा के रूप में समझा जाता है, जिसमें किसी समाज के सदस्यों द्वारा साझा की जाने वाली सभी सीखी हुई वस्तुएँ शामिल होती हैं – जिनमें भौतिक वस्तुएँ (जैसे कला, वास्तुकला), अभौतिक विचार (जैसे भाषा, मूल्य, विश्वास, ज्ञान), और व्यवहार के पैटर्न (जैसे रीति-रिवाज, परंपराएँ) शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सीखा हुआ और साझा किया जाने वाला पैटर्न पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता है और किसी समाज की पहचान का निर्माण करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) संस्कृति के केवल एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करते हैं। विकल्प (d) आर्थिक संरचनाओं तक सीमित है, जो संस्कृति का एक हिस्सा हो सकता है लेकिन पूरी संस्कृति नहीं।

प्रश्न 6: भारत में, ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया को दर्शाती है?

  1. एस.सी. दुबे
  2. जी.एस. घुरिये
  3. एम.एन. श्रीनिवास
  4. इरावती कर्वे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा को अपने अध्ययन ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में प्रस्तुत किया। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों के व्यवहार, अनुष्ठानों और मूल्यों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता (social mobility) को समझने में महत्वपूर्ण है, हालांकि यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक गतिशीलता है।
  • गलत विकल्प: एस.सी. दुबे ने भारतीय गाँव और जनजातियों पर काम किया। जी.एस. घुरिये ने जाति, जनजाति और भारतीय समाज की विशेषताओं पर लिखा। इरावती कर्वे एक मानवविज्ञानी थीं जिन्होंने नातेदारी और भारतीय समाज पर काम किया।

प्रश्न 7: ‘तार्किक-भावनात्मक’ (Rational-Emotional) और ‘स्वयं-संबंधी’ (Self-Referential) जैसे सिद्धांतों के माध्यम से परिवार के प्रकारों का वर्गीकरण किस समाजशास्त्री ने प्रस्तुत किया?

  1. किम्बेल यंग
  2. विलियम जे. गुड्‌डे
  3. जॉर्ज पीटर मर्डोक
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: टैल्कॉट पार्सन्स ने आधुनिक औद्योगिक समाजों में परिवार के प्रकारों को समझने के लिए ‘तार्किक-भावनात्मक’ (Rational-Emotional) और ‘स्वयं-संबंधी’ (Self-Referential) जैसे विशिष्टीकरणों (specializations) का उपयोग किया। उन्होंने तर्क दिया कि आधुनिक परिवार ‘विस्तारित’ (Extended) से ‘नाभिकीय’ (Nuclear) परिवार में परिवर्तित हुआ है, जो सामाजिक गतिशीलता और व्यक्तिवाद को बढ़ावा देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने अपने ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक’ दृष्टिकोण के तहत परिवार को समाज के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में देखा, जो समाजीकरण और व्यक्तित्व स्थिरीकरण (personality stabilization) जैसे प्रकार्यों को पूरा करता है।
  • गलत विकल्प: किम्बेल यंग ने सामान्य समाजशास्त्र पर काम किया। विलियम जे. गुड्‌डे ने ‘The American Family in Crisis’ जैसे कार्य किए। जॉर्ज पीटर मर्डोक ने विश्व के विभिन्न समाजों में परिवार और नातेदारी व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन किया और सार्वभौमिक परिवार की अवधारणा दी।

प्रश्न 8: ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक कौन हैं, जिन्होंने समाज के भीतर शक्ति के वितरण और अल्पसंख्यक अभिजात वर्ग के प्रभुत्व पर प्रकाश डाला?

  1. रॉबर्ट पारक
  2. सी. राइट मिल्स
  3. हारबर्ट ब्लूमर
  4. अल्फ्रेड श्विट्ज़

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) को अमेरिकी समाज में ‘शक्ति अभिजन’ (Power Elite) की अवधारणा विकसित करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि आधुनिक समाजों में, सत्ता आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य क्षेत्रों के शीर्ष पर बैठे एक छोटे से अभिजात वर्ग के हाथों में केंद्रित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Power Elite’ (1956) इस विषय पर एक मौलिक ग्रंथ है। यह अभिजन सिद्धांत के भीतर एक महत्वपूर्ण योगदान है।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट पारक शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरी समाजशास्त्र पर काम किया। हरबर्ट ब्लूमर ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के विकास से जुड़े हैं। अल्फ्रेड श्विट्ज़ घटना विज्ञान (Phenomenology) और सामाजिक सिद्धांत से संबंधित हैं।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी विधि मात्रात्मक (Quantitative) अनुसंधान में अधिक प्रयुक्त होती है?

  1. साक्षात्कार (Interviews)
  2. समूह चर्चा (Focus Groups)
  3. सर्वेक्षण (Surveys)
  4. नृवंशविज्ञान (Ethnography)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: सर्वेक्षण (Surveys) विधि का प्रयोग बड़ी संख्या में लोगों से व्यवस्थित रूप से डेटा एकत्र करने के लिए किया जाता है, जो अक्सर संख्यात्मक (numerical) रूप में होता है। इसका विश्लेषण सांख्यिकीय (statistical) तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है, जो इसे मात्रात्मक अनुसंधान के लिए उपयुक्त बनाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वेक्षण में अक्सर प्रश्नावली (questionnaires) का उपयोग किया जाता है जिसमें बंद-अंत वाले प्रश्न (closed-ended questions) होते हैं, जिससे डेटा का मात्रात्मक विश्लेषण आसान हो जाता है।
  • गलत विकल्प: साक्षात्कार, समूह चर्चा और नृवंशविज्ञान अक्सर गुणात्मक (Qualitative) अनुसंधान विधियों में उपयोग की जाती हैं, जहाँ गहराई से समझ और अर्थ निकालने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

प्रश्न 10: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता और प्रयास के आधार पर एक स्थान प्राप्त होता है, जो प्रतिस्पर्धा के माध्यम से निर्धारित होता है?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory)
  3. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  4. मार्क्सवादी सिद्धांत (Marxist Theory)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory), विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis and Moore) जैसे विचारकों द्वारा विकसित, तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के लिए कार्यात्मक (functional) है। यह सुनिश्चित करता है कि सबसे महत्वपूर्ण पदों (positions) पर सबसे योग्य और सक्षम व्यक्तियों को नियुक्त किया जाए, जिनके लिए अक्सर उच्च पुरस्कार (rewards) निर्धारित किए जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि स्तरीकरण समाज के लिए आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी आवश्यक भूमिकाएँ कुशलतापूर्वक भरी जाएं।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) और मार्क्सवादी सिद्धांत (Marxist Theory) सामाजिक स्तरीकरण को शोषण और शक्ति के रूप में देखते हैं, न कि योग्यता के आधार पर। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है।

  • प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘पैटर्न वेरिएबल्स’ (Pattern Variables) की अवधारणा से जुड़ा हुआ है, जो सामाजिक क्रियाओं को वर्गीकृत करने के लिए पाँच द्वंद्वात्मक श्रेणियों का एक सेट प्रस्तुत करता है?

    1. रॉबर्ट मर्टन
    2. ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
    3. टैल्कॉट पार्सन्स
    4. ए.एल. क्रोएबर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक क्रिया के अध्ययन के लिए ‘पैटर्न वेरिएबल्स’ की अवधारणा विकसित की। ये पाँच द्वंद्वात्मक श्रेणियाँ (जैसे, सार्वभौमिकता बनाम विशेषणता; उपलब्धि बनाम प्रदत्तता) सामाजिक व्यवस्था को संचालित करने वाले अंतर्निहित मानदंडों को समझने में मदद करती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने इन पैटर्न वेरिएबल्स का उपयोग विभिन्न प्रकार की सामाजिक संरचनाओं और अंतःक्रियाओं को वर्गीकृत करने के लिए किया।
    • गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-range Theories) और ‘अनुकूलित विचलनों’ (Manifest and Latent Functions) जैसी अवधारणाएँ दीं। ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक-प्रकार्यवाद के एक अन्य प्रमुख व्यक्ति थे। ए.एल. क्रोएबर ने संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

    प्रश्न 12: भारत में ‘जनजातीय समाज’ (Tribal Society) के संदर्भ में, ‘अलगाव’ (Isolation) के सिद्धांत के बजाय ‘आत्मसातीकरण’ (Assimilation) या ‘समेकन’ (Integration) के दृष्टिकोण पर जोर देने वाले समाजशास्त्री कौन थे?

    1. एस.सी. दुबे
    2. जी.एस. घुरिये
    3. एन.के. बोस
    4. एल.पी. विद्यार्थी

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: एन.के. बोस (Nirmal Kumar Bose) ने भारत के आदिवासी समुदायों के संबंध में ‘अलगाव’ (Isolation) की नीति का विरोध किया और ‘आत्मसातीकरण’ (Assimilation) या ‘समेकन’ (Integration) के दृष्टिकोण पर जोर दिया। उनका मानना था कि आदिवासियों को मुख्यधारा के समाज में शामिल किया जाना चाहिए, न कि उन्हें अलग-थलग रखा जाना चाहिए।
    • संदर्भ और विस्तार: बोस ने गांधीवादी दृष्टिकोण अपनाया और आदिवासियों को भारतीय सभ्यता का हिस्सा मानते हुए उनके कल्याण की बात कही।
    • गलत विकल्प: एस.सी. दुबे ने भारतीय जनजातियों के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन वे बोस के इस विशिष्ट बिंदु पर भिन्न थे। जी.एस. घुरिये ने जनजातियों को ‘पिछड़े हिंदू’ (Backward Hindus) कहा और एकीकरण की बात की, लेकिन बोस का दृष्टिकोण अधिक समावेशी था। एल.पी. विद्यार्थी ने जनजातियों के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन पर काम किया।

    प्रश्न 13: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) की अवधारणा समाज में व्यक्तियों या समूहों के निम्न स्तर से उच्च स्तर पर या इसके विपरीत जाने की प्रक्रिया का वर्णन करती है। निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री इस अवधारणा के अध्ययन में प्रमुख है?

    1. इमाइल दुर्खीम
    2. कार्ल मार्क्स
    3. सोरोकिन
    4. मैक्स वेबर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: पिटीरिम सोरोकिन (Pitirim Sorokin) को सामाजिक गतिशीलता के व्यवस्थित अध्ययन का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘Social Mobility’ (1927) में गतिशीलता के विभिन्न रूपों, जैसे ऊर्ध्वाधर (vertical), क्षैतिज (horizontal), और अंतर्पीढ़ीगत (intergenerational) गतिशीलता का विस्तृत विश्लेषण किया।
    • संदर्भ और विस्तार: सोरोकिन का मानना था कि गतिशीलता किसी भी समाज की एक अंतर्निहित विशेषता है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम, मार्क्स और वेबर ने भी समाज में परिवर्तन और स्थिति पर विचार किया, लेकिन सोरोकिन ने ‘सामाजिक गतिशीलता’ को एक विशिष्ट और व्यापक सैद्धांतिक विषय के रूप में स्थापित किया।

    प्रश्न 14: ‘संस्थानीकरण’ (Institutionalization) की प्रक्रिया में, समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, क्या शामिल है?

    1. किसी भी सामाजिक व्यवहार का अचानक बदल जाना
    2. कुछ व्यवहारों का बार-बार दोहराया जाना, जिससे वे सामाजिक अपेक्षाएँ बन जाती हैं
    3. केवल सरकारी नियमों का निर्माण
    4. व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: संस्थानीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सामाजिक व्यवहार के कुछ पैटर्न (जैसे विवाह, शिक्षा, कानून) बार-बार दोहराए जाते हैं, जिससे वे समाज में स्थापित अपेक्षाएँ, नियम और संस्थाएँ बन जाते हैं। यह प्रक्रिया सामाजिक व्यवस्था और पूर्वानुमेयता (predictability) को बनाए रखती है।
    • संदर्भ और विस्तार: एक बार संस्थापित होने के बाद, व्यवहार के ये पैटर्न समाज के सदस्यों के लिए मार्गदर्शक बन जाते हैं और अक्सर उन्हें दंड या पुरस्कार के माध्यम से लागू किया जाता है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a) तीव्र परिवर्तन को दर्शाता है, जबकि संस्थानीकरण क्रमिक प्रक्रिया है। विकल्प (c) केवल एक पहलू है। विकल्प (d) व्यक्तिगत संबंधों तक सीमित है, जबकि संस्थानीकरण बड़े पैमाने पर सामाजिक पैटर्न से संबंधित है।

    प्रश्न 15: भारत में, ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) के सामाजिक प्रभाव का विश्लेषण करते समय, किस पहलू पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए?

    1. केवल कृषि उत्पादन की मात्रा
    2. भूमि स्वामित्व में परिवर्तन, ग्रामीण सामाजिक संरचना और शक्ति संबंधों पर प्रभाव
    3. किसानों द्वारा नई तकनीकों का उपयोग
    4. कृषि उत्पादों का राष्ट्रीयकरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, भूमि सुधारों का विश्लेषण केवल कृषि उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भूमि स्वामित्व के पुनर्वितरण, ग्रामीण सामाजिक संरचना में होने वाले परिवर्तनों (जैसे वर्ग संबंधों में बदलाव) और शक्ति संबंधों (who holds power) पर इसके प्रभाव को भी शामिल करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, भूमि सुधारों से भूमिहीन किसानों की स्थिति में सुधार हो सकता है या स्थानीय जमींदारों का प्रभाव कम हो सकता है, जिससे ग्रामीण राजनीति और सामाजिक पदानुक्रम (hierarchy) में बदलाव आता है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c) और (d) आर्थिक या तकनीकी पहलुओं पर अधिक केंद्रित हैं, जबकि समाजशास्त्रीय विश्लेषण सामाजिक संरचना और परिवर्तन पर अधिक बल देता है।

    प्रश्न 16: ‘अनुष्ठान’ (Ritual) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, इसका मुख्य कार्य क्या है?

    1. केवल मनोरंजन प्रदान करना
    2. सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) को सुदृढ़ करना और साझा मूल्यों को व्यक्त करना
    3. व्यक्तियों को आर्थिक लाभ दिलाना
    4. वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार करना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम जैसे समाजशास्त्रियों के अनुसार, अनुष्ठान (जैसे धार्मिक अनुष्ठान) समाज के सदस्यों को एक साथ लाते हैं, साझा विश्वासों और मूल्यों को सुदृढ़ करते हैं, और सामूहिक चेतना (collective consciousness) को बढ़ावा देते हैं, जिससे सामाजिक एकजुटता बढ़ती है।
    • संदर्भ और विस्तार: अनुष्ठान प्रतीकों के माध्यम से समाज की मान्यताओं और आदर्शों को मूर्त रूप देते हैं।
    • गलत विकल्प: अनुष्ठान का प्राथमिक उद्देश्य केवल मनोरंजन, आर्थिक लाभ या वैज्ञानिक ज्ञान प्रसार नहीं है, बल्कि इसका मुख्य सामाजिक कार्य एकजुटता को बढ़ावा देना है।

    प्रश्न 17: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की समाजशास्त्रीय समझ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख लक्षण है?

    1. अंधविश्वासों और परंपराओं पर अत्यधिक निर्भरता
    2. तर्कसंगतता, औद्योगिकीकरण और राष्ट्रीय राज्यों (Nation-states) का उदय
    3. सामंतवादी सामाजिक संरचनाओं की प्रधानता
    4. स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: आधुनिकता को आमतौर पर तर्कसंगतता (rationality), वैज्ञानिक सोच, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षता (secularization) और राष्ट्रीय राज्यों (nation-states) के उदय से जोड़ा जाता है। यह पारंपरिक समाजों से एक महत्वपूर्ण विचलन का प्रतिनिधित्व करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्थाओं में गहन परिवर्तन का एक दौर है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) पारंपरिक समाजों की विशेषताएँ हैं। विकल्प (d) भी पारंपरिक अर्थव्यवस्थाओं से जुड़ा है।

    प्रश्न 18: ‘नृजातीयता’ (Ethnicity) की अवधारणा समाजशास्त्र में क्या दर्शाती है?

    1. किसी व्यक्ति की राजनीतिक संबद्धता
    2. किसी व्यक्ति का आर्थिक वर्ग
    3. सांस्कृतिक पहचान का एक समूह, जो अक्सर साझा भाषा, धर्म, इतिहास या मूल के विश्वास पर आधारित होती है
    4. किसी व्यक्ति का शैक्षिक स्तर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: नृजातीयता (Ethnicity) साझा सांस्कृतिक परंपराओं, भाषा, धर्म, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, और कभी-कभी भौगोलिक उत्पत्ति के आधार पर एक समूह की पहचान को दर्शाती है। यह जाति (race) से भिन्न है, जो शारीरिक विशेषताओं पर आधारित होती है, हालांकि दोनों में ओवरलैप हो सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: जातीय समूह अक्सर अपनी विशिष्ट पहचान को बनाए रखते हैं और समाज में एक समूह के रूप में कार्य करते हैं।
    • गलत विकल्प: राजनीतिक संबद्धता, आर्थिक वर्ग और शैक्षिक स्तर अन्य सामाजिक स्तरीकरण के आयाम हैं, जो नृजातीयता से सीधे संबंधित नहीं हैं।

    प्रश्न 19: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से मार्क्स के कार्यों में, उत्पादन की किस प्रक्रिया से जुड़ी हुई है?

    1. श्रमिक का उत्पाद से अलगाव
    2. श्रमिक का उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव
    3. श्रमिक का उसकी मानव प्रजाति (Species-being) से अलगाव
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत, श्रमिक कई स्तरों पर अलगाव का अनुभव करता है: (1) वह उस उत्पाद से अलग हो जाता है जिसे वह बनाता है, क्योंकि उत्पाद उसका नहीं होता; (2) वह उत्पादन की प्रक्रिया से अलग हो जाता है, क्योंकि वह केवल एक मशीन का पुर्जा बन जाता है; (3) वह अपनी ‘प्रजाति-सार’ (species-essence) या मानव स्वभाव से अलग हो जाता है, क्योंकि उसकी रचनात्मक और बौद्धिक क्षमताएं दब जाती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्स के ‘Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से चर्चा की गई अवधारणा है।
    • गलत विकल्प: चूंकि अलगाव के सभी तीन रूप मार्क्स के सिद्धांत में मौजूद हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

    प्रश्न 20: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा समाजशास्त्र में क्या संदर्भित करती है?

    1. किसी व्यक्ति का वित्तीय धन
    2. सामाजिक नेटवर्क, संबंध और विश्वास के माध्यम से प्राप्त लाभ
    3. केवल राजनीतिक शक्ति
    4. ज्ञान और कौशल का कुल योग

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो किसी व्यक्ति या समूह को उनके सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, पारस्परिक विश्वास और सहयोग के माध्यम से प्राप्त होते हैं। यह व्यक्तियों को अवसरों तक पहुँचने, जानकारी प्राप्त करने और समर्थन प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और जेम्स कोलमैन (James Coleman) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
    • गलत विकल्प: सामाजिक पूंजी वित्तीय धन (a), केवल राजनीतिक शक्ति (c), या केवल ज्ञान/कौशल (d) नहीं है, बल्कि यह इन तत्वों को प्राप्त करने के लिए सामाजिक संबंधों का उपयोग है।

    प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा विचार ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) के सिद्धांत का हिस्सा है, जैसा कि समाजशास्त्र के संस्थापक माने जाने वाले ऑगस्ट कॉम्टे ने प्रतिपादित किया था?

    1. वैज्ञानिक अवलोकन और अनुभवजन्य साक्ष्य पर जोर
    2. व्यक्तिपरक अनुभवों और अर्थों को समझना
    3. आध्यात्मिक या अलौकिक स्पष्टीकरणों का महत्व
    4. सैद्धांतिक चिंतन पर विशुद्ध रूप से निर्भरता

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: प्रत्यक्षवाद (Positivism) एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जो मानता है कि सच्चा ज्ञान वैज्ञानिक अवलोकन (scientific observation) और अनुभवजन्य साक्ष्य (empirical evidence) पर आधारित होता है। ऑगस्ट कॉम्टे ने समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में स्थापित करने के लिए इस दृष्टिकोण का पुरजोर समर्थन किया।
    • संदर्भ और विस्तार: प्रत्यक्षवाद प्राकृतिक विज्ञानों की विधियों को सामाजिक दुनिया पर लागू करने पर जोर देता है।
    • गलत विकल्प: (b) व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (जैसे वेबर) की विशेषता है। (c) धर्मशास्त्र या तत्वमीमांसा (metaphysics) से संबंधित है। (d) अनुभववाद के विपरीत है।

    प्रश्न 22: भारत में ‘वोट बैंक राजनीति’ (Vote Bank Politics) का समाजशास्त्रीय विश्लेषण करते समय, निम्नलिखित में से किस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा?

    1. केवल चुनाव प्रक्रिया की तकनीकी खामियाँ
    2. जाति, धर्म, समुदाय या क्षेत्र के आधार पर मतदाताओं को संगठित करके राजनीतिक लाभ प्राप्त करने की रणनीतियाँ
    3. चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग
    4. मतदाताओं की संख्या

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • .सही होने का कारण: वोट बैंक राजनीति एक ऐसी राजनीतिक रणनीति है जिसमें राजनीतिक दल किसी विशेष सामाजिक समूह (जैसे जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र या समुदाय) के वोटों को सुरक्षित करने के लिए उन्हें संगठित और लामबंद करते हैं। इसका समाजशास्त्रीय विश्लेषण इस बात पर केंद्रित होता है कि कैसे सामाजिक पहचान का उपयोग राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है जो सामाजिक संरचनाओं और राजनीतिक व्यवहार के बीच अंतर्संबंध को दर्शाती है।
    • गलत विकल्प: (a), (c) और (d) वोट बैंक राजनीति की सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता को पूरी तरह से नहीं समझाते हैं।

    प्रश्न 23: ‘सामाजिक विभेदीकरण’ (Social Differentiation) और ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

    1. विभेदीकरण पदानुक्रमित असमानताएँ बनाता है, जबकि स्तरीकरण केवल समूह बनाता है।
    2. विभेदीकरण समाज को विभिन्न समूहों में विभाजित करता है (जैसे व्यवसाय), जबकि स्तरीकरण इन समूहों को पदानुक्रमित रूप से व्यवस्थित करता है और असमानता उत्पन्न करता है।
    3. दोनों शब्द पर्यायवाची हैं।
    4. विभेदीकरण केवल व्यक्तिगत व्यवहार से संबंधित है, जबकि स्तरीकरण सामाजिक संस्थाओं से।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: सामाजिक विभेदीकरण (Differentiation) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज को विशेष कार्यों या भूमिकाओं वाले विभिन्न समूहों में विभाजित किया जाता है (जैसे डॉक्टर, शिक्षक, किसान)। सामाजिक स्तरीकरण (Stratification) वह प्रक्रिया है जो इन विभेदित समूहों को उनकी शक्ति, धन या प्रतिष्ठा के आधार पर एक पदानुक्रम में व्यवस्थित करती है, जिससे असमानता उत्पन्न होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: विभेदीकरण एक पूर्व शर्त हो सकती है, लेकिन स्तरीकरण तब होता है जब इन विभेदित इकाइयों को असमान मूल्य दिया जाता है।
    • गलत विकल्प: (a) विपरीत है। (c) वे समान नहीं हैं। (d) यह विभेदीकरण को बहुत संकीर्ण रूप से परिभाषित करता है।

    प्रश्न 24: ‘परोपकारिता’ (Altruism) की अवधारणा, विशेष रूप से दुर्खीम के सुसाइड (Suicide) के अध्ययन के संदर्भ में, किस प्रकार के आत्महत्या से संबंधित है?

    1. अहंवादी आत्महत्या (Egoistic Suicide)
    2. समूहवादी आत्महत्या (Altruistic Suicide)
    3. अमीबा संबंधी आत्महत्या (Anomic Suicide)
    4. भाग्यवादी आत्महत्या (Fatalistic Suicide)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: दुर्खीम ने ‘समूहवादी आत्महत्या’ (Altruistic Suicide) को उस प्रकार की आत्महत्या के रूप में परिभाषित किया जो तब होती है जब व्यक्ति का सामाजिक समूह के साथ अत्यधिक एकीकरण (integration) होता है। ऐसे मामलों में, व्यक्ति समूह के सम्मान या उद्देश्य के लिए स्वेच्छा से अपना जीवन बलिदान कर देता है, जिसे परोपकारिता के रूप में देखा जा सकता है (भले ही यह जबरन हो)।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, कुछ धार्मिक या सैन्य समूह ऐसे बलिदानों को महत्व देते हैं।
    • गलत विकल्प: अहंवादी आत्महत्या व्यक्तिगत अलगाव से, अमीबा संबंधी आत्महत्या सामाजिक नियमों की अनुपस्थिति से, और भाग्यवादी आत्महत्या अत्यधिक दमनकारी सामाजिक नियंत्रण से उत्पन्न होती है।

    प्रश्न 25: ‘सामूहिक अवचेतन’ (Collective Unconscious) की अवधारणा, जिसे अक्सर मनोविज्ञान से जोड़ा जाता है, समाजशास्त्र में किस विचारक से अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित हो सकती है, जो समाज की ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) पर बल देते थे?

    1. मैक्स वेबर
    2. कार्ल मार्क्स
    3. एमिल दुर्खीम
    4. सिगमंड फ्रायड

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए गए विश्वासों, मूल्यों और मनोवृत्तियों का योग है। हालाँकि ‘सामूहिक अवचेतन’ कार्ल जंग (Carl Jung) का एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत है, दुर्खीम की सामूहिक चेतना का विचार समाज की साझा, अभौतिक (non-material) बौद्धिक और नैतिक संरचनाओं पर जोर देने में समानता रखता है, जो सामाजिक एकता के लिए आवश्यक हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, सामूहिक चेतना व्यक्तिगत चेतनाओं से अलग एक वास्तविक इकाई है।
    • गलत विकल्प: वेबर ने सामाजिक क्रिया, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष, और फ्रायड ने व्यक्तिगत मनोविश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खीम का कार्य सीधे तौर पर सामूहिक विचार और भावना पर केंद्रित है।

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