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समाजशास्त्र मंथन: अपनी विशेषज्ञता को परखें!

समाजशास्त्र मंथन: अपनी विशेषज्ञता को परखें!

नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! क्या आप प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए अपनी समाजशास्त्रीय समझ को मजबूत करने के लिए तैयार हैं? आज का यह विशेष प्रश्नोत्तरी सत्र आपकी अवधारणाओं को स्पष्ट करने और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने का एक अनूठा अवसर है। आइए, गहराई से उतरें और अपनी तैयारी को एक नई दिशा दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने दी, जिसे समाजशास्त्रीय अध्ययन का आधार माना जाता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. अगस्त कॉम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया, जिसमें उन्होंने बताया कि समाजशास्त्रीय अध्ययन का विषय बाहरी, व्यक्ति से स्वतंत्र और बाध्यकारी सामाजिक संरचनाएँ हैं। ये व्यक्ति के व्यवहार पर दबाव डालती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उन्होंने इसे ‘वस्तु’ के रूप में देखने की वकालत की, ठीक उसी तरह जैसे प्राकृतिक विज्ञान के अध्ययन किए जाते हैं।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और उत्पादन के संबंधों पर था। मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) यानी व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर दिया। अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का विचार दिया।

प्रश्न 2: मैकमिलन द्वारा ‘द एज ऑफ डिसकंटेंट’ (The Age of Discontent) पुस्तक में किस महत्वपूर्ण सामाजिक प्रक्रिया का वर्णन किया गया है?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. आधुनिकीकरण (Modernization)
  3. धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)
  4. शहरीकरण (Urbanization)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: मैकमिलन की पुस्तक ‘द एज ऑफ डिसकंटेंट’ मुख्य रूप से भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया से संबंधित है, जहाँ पारंपरिक धार्मिक मूल्यों और संस्थाओं का प्रभाव कम होता दिख रहा है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक उन सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का विश्लेषण करती है जो भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के साथ आए, विशेष रूप से धर्म के क्षेत्र में।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण का अर्थ है पश्चिमी संस्कृति को अपनाना। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन शामिल हैं। शहरीकरण ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के स्थानांतरण को दर्शाता है।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?

  1. पदानुक्रमित अधिकार (Hierarchical Authority)
  2. व्यक्तिगत संबंध
  3. अनौपचारिक संचार
  4. लचीली नियम-प्रणाली

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: मैक्स वेबर ने आदर्श-प्रकार (Ideal Type) के रूप में नौकरशाही का विश्लेषण करते हुए पदानुक्रमित अधिकार को इसकी केंद्रीय विशेषता बताया, जहाँ आदेश और उत्तरदायित्व स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, नौकरशाही में पद, विशेषज्ञता, लिखित नियम, अ-व्यक्तिगतता और पदानुक्रमित अधिकार जैसी विशेषताएँ होती हैं, जो इसे कुशल बनाती हैं।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत संबंध, अनौपचारिक संचार और लचीली नियम-प्रणाली वेबर द्वारा वर्णित नौकरशाही की विशेषताएँ नहीं हैं; बल्कि, नौकरशाही अ-व्यक्तिगतता और कठोर नियमों पर आधारित होती है।

प्रश्न 4: ‘अमीबीय समाज’ (Amoeba Society) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. इर्विंग गॉफमैन
  2. चार्ल्स कूली
  3. जी.एच. मीड
  4. रॉबर्ट ई. पार्क

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: रॉबर्ट ई. पार्क, शिकागो स्कूल के एक प्रमुख समाजशास्त्री, ने ‘अमीबीय समाज’ की अवधारणा का प्रयोग उन समाजों के लिए किया जहाँ लोग अव्यवस्थित रूप से इधर-उधर घूमते रहते हैं, जैसे कि शहरी वातावरण में।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने यह समझाने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया कि कैसे शहरीकरण और गतिशीलता लोगों के बीच अस्थायी और अनिश्चित संबंधों का निर्माण करते हैं।
  • गलत विकल्प: इर्विंग गॉफमैन ने ‘सामने का पर्दा’ (Front Stage) और ‘पीछे का पर्दा’ (Back Stage) जैसी अवधारणाएँ दीं। चार्ल्स कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) और ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की बात की। जी.एच. मीड ने ‘सिम्बॉलिक इंटरेक्शनिज्म’ (Symbolic Interactionism) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की विशेषता नहीं है?

  1. यह समाज का निर्माण करती है।
  2. यह एक सामाजिक गुण है।
  3. यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।
  4. यह असमानताओं के बारे में विश्वासों के साथ होती है।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: सामाजिक स्तरीकरण समाज का निर्माण नहीं करता, बल्कि यह समाज की एक विशेषता है जो समाज के भीतर मौजूद असमानताओं को दर्शाती है। समाज, स्तरीकरण से पहले विद्यमान होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें समाज के सदस्यों को उनकी सामाजिक स्थिति, धन, शक्ति और प्रतिष्ठा के आधार पर विभिन्न स्तरों में विभाजित किया जाता है। यह एक सार्वभौमिक घटना है जो विभिन्न रूपों में पाई जाती है।
  • गलत विकल्प: स्तरीकरण समाज की एक विशेषता है (b), यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है (c), और इसके साथ इन असमानताओं को न्यायोचित ठहराने वाले विश्वास जुड़े होते हैं (d)।

प्रश्न 6: ‘संस्कृति का विचलन’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी?

  1. अल्बर्ट आइंस्टीन
  2. विलियम ओग्बर्न
  3. एलन टूरेन
  4. एम.एन. श्रीनिवास

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: विलियम ओग्बर्न ने ‘संस्कृति का विचलन’ की अवधारणा का प्रतिपादन किया। उनका मानना था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, कानून, रीति-रिवाज) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे एक विचलन या अंतराल पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न ने अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ (Social Change) में इस विचार को प्रस्तुत किया, यह समझाने के लिए कि कैसे तकनीकी प्रगति सामाजिक अनुकूलन में देरी का कारण बन सकती है।
  • गलत विकल्प: अल्बर्ट आइंस्टीन एक भौतिक विज्ञानी थे। एलन टूरेन ने समाजों के परिवर्तन और सामाजिक आंदोलनों का अध्ययन किया। एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण (Sanskritization) की अवधारणा दी।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था की उत्पत्ति से संबंधित ‘नस्लीय सिद्धांत’ (Racial Theory) का प्रमुख समर्थक कौन है?

  1. एम.एन. श्रीनिवास
  2. इरावती कर्वे
  3. एच.एच. रिसले
  4. सुरजीत सिन्हा

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: एच.एच. रिसले (H.H. Risley) ने जाति व्यवस्था की उत्पत्ति को आर्यों के आगमन और उत्तर भारत में उनके द्वारा स्थानीय आबादी के साथ अंतर्विवाह (Endogamy) के माध्यम से हुए मिश्रण से जोड़ा, जिसे नस्लीय सिद्धांत का आधार माना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘द पीपल्स ऑफ इंडिया’ (The Peoples of India) में इस सिद्धांत को प्रस्तुत किया, जिसमें शारीरिक विशेषताओं और नस्लीय मिश्रण पर बल दिया गया।
  • गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण और प्रभु जाति (Dominant Caste) की अवधारणाएँ दीं। इरावती कर्वे ने संबंध, वंश और जाति पर महत्वपूर्ण काम किया। सुरजीत सिन्हा ने जनजाति-जाति सातत्य (Tribe-Caste Continuum) की बात की।

  • प्रश्न 8: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा किसने विकसित की, जो व्यक्तियों को सामाजिक नेटवर्क के माध्यम से प्राप्त होने वाले लाभों को संदर्भित करती है?

    1. पियरे बॉर्डियु
    2. जेम्स कोलमेन
    3. रॉबर्ट पुटनम
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: पियरे बॉर्डियु, जेम्स कोलमेन और रॉबर्ट पुटनम – इन तीनों समाजशास्त्रियों ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा को अलग-अलग तरीकों से विकसित और परिष्कृत किया है। बॉर्डियु ने इसे संसाधनों तक पहुँच के रूप में देखा, कोलमेन ने इसे संरचनात्मक रूप से और पुटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव के संदर्भ में विश्लेषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियु ने इसे अपनी ‘हाबीटस’ (Habitus) की अवधारणा से जोड़ा, कोलमेन ने इसे अपने ‘द फाउंडेशन ऑफ सोशल थ्योरी’ (The Foundations of Social Theory) में विस्तार से समझाया, और पुटनम ने ‘बोडिंग अलोन’ (Bowling Alone) में इसके क्षरण पर प्रकाश डाला।
  • गलत विकल्प: तीनों ही विद्वान इस अवधारणा से महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हैं, इसलिए यह विकल्प सही है।

  • प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी दुर्खीम के ‘समाज के यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) की विशेषता नहीं है?

    1. कम जनसंख्या घनत्व
    2. श्रम का निम्न विभाजन
    3. सामूहिक चेतना की प्रबलता
    4. कानून का प्रतिशोधात्मक (Repressive) स्वरूप

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: यांत्रिक एकजुटता, जो सरल और पूर्व-औद्योगिक समाजों में पाई जाती है, अक्सर उच्च जनसंख्या घनत्व की बजाय कम जनसंख्या घनत्व और समानता से जुड़ी होती है। उच्च जनसंख्या घनत्व अधिक जटिल समाजों की विशेषता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में बताया कि यांत्रिक एकजुटता समानता, प्रत्यक्ष संबंधों और साझा विश्वासों पर आधारित होती है, जिसके कारण सामूहिक चेतना प्रबल होती है और कानून दंडात्मक होता है।
  • गलत विकल्प: श्रम का निम्न विभाजन (b), सामूहिक चेतना की प्रबलता (c), और प्रतिशोधात्मक कानून (d) यांत्रिक एकजुटता की सही विशेषताएँ हैं।

  • प्रश्न 10: ‘सिम्बॉलिक इंटरेक्शनिज़्म’ (Symbolic Interactionism) के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणा किसने दी?

    1. मैक्स वेबर
    2. जी.एच. मीड
    3. हर्बर्ट ब्लूमर
    4. चार्ल्स कूली

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (G.H. Mead) ने ‘स्व’ (Self) के विकास को समझाने के लिए ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणाएँ दीं। ‘मैं’ तत्काल, सहज प्रतिक्रिया है, जबकि ‘मुझे’ समाज द्वारा आंतरिक किए गए दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड की यह अवधारणा उनके द्वारा विकसित प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के सिद्धांत का मूल है, जो इस बात पर जोर देता है कि हम प्रतीकों (जैसे भाषा) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करके वास्तविकता का निर्माण करते हैं।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ दिया। हर्बर्ट ब्लूमर ने ‘सिम्बॉलिक इंटरेक्शनिज़्म’ शब्द गढ़ा और मीड के विचारों को व्यवस्थित किया। चार्ल्स कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ की अवधारणा दी।

  • प्रश्न 11: आर. के. मुखर्जी के अनुसार, भारतीय समाज में सामाजिक संरचना का प्रमुख आधार क्या है?

    1. वर्ग (Class)
    2. वंश (Kinship)
    3. धर्म (Religion)
    4. आर्थिक संबंध

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: राधाकमल मुखर्जी ने भारतीय समाज की संरचना का विश्लेषण करते हुए वंश (Kinship) को एक महत्वपूर्ण आधार माना, क्योंकि यह पारिवारिक संगठन, विवाह और सामाजिक संबंधों को गहराई से प्रभावित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मुखर्जी ने भारतीय संस्कृति और समाज के पारंपरिक पहलुओं पर जोर दिया, जहाँ पारिवारिक और वैवाहिक व्यवस्थाएँ सामाजिक जीवन का केंद्र थीं।
  • गलत विकल्प: हालाँकि वर्ग, धर्म और आर्थिक संबंध भी महत्वपूर्ण हैं, मुखर्जी के अनुसार, वंश की भूमिका विशेष रूप से भारतीय सामाजिक संरचना में अधिक मौलिक मानी जाती है।

  • प्रश्न 12: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा में, ‘विश्वास’ (Trust) की भूमिका को किसने विशेष रूप से रेखांकित किया?

    1. पियरे बॉर्डियु
    2. रॉबर्ट पुटनम
    3. जेम्स कोलमेन
    4. इर्विंग गॉफमैन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: रॉबर्ट पुटनम ने अपनी पुस्तक ‘बोडिंग अलोन’ (Bowling Alone) में सामाजिक पूंजी के अध्ययन में विश्वास और सामाजिक नेटवर्क की भूमिका को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना। उन्होंने दिखाया कि नागरिक जुड़ाव और विश्वास कैसे सामाजिक पूंजी का निर्माण करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पुटनम के अनुसार, सामाजिक पूंजी उन सामाजिक नेटवर्क, मानदंडों और विश्वासों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों को सहयोग करने और सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं।
  • गलत विकल्प: बॉर्डियु ने इसे सांस्कृतिक और सामाजिक संसाधनों से जोड़ा, कोलमेन ने इसे सामाजिक संरचना के एक संसाधन के रूप में देखा, और गॉफमैन ने सामाजिक संपर्क के नाटकीय विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया।

  • प्रश्न 13: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘प्रभु जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा का प्रयोग किस संदर्भ में किया?

    1. राजनीतिक शक्ति के संदर्भ में
    2. आर्थिक प्रभुत्व के संदर्भ में
    3. जाति पदानुक्रम में उच्च स्थान और गाँव पर नियंत्रण के संदर्भ में
    4. सामाजिक प्रतिष्ठा के संदर्भ में

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘प्रभु जाति’ की अवधारणा का उपयोग उन जातियों के लिए किया, जो किसी गाँव या क्षेत्र में संख्यात्मक रूप से बहुसंख्यक होने के साथ-साथ आर्थिक और राजनीतिक रूप से भी प्रभावशाली होती हैं और गाँव की सामाजिक व्यवस्था पर नियंत्रण रखती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उन्होंने अपनी मैसूर क्षेत्र की अध्ययन पर आधारित पुस्तक ‘द रिमेम्बरिंग फैमILY’ (The Remembered Family) में प्रस्तुत की। यह ग्राम स्तर पर शक्ति संरचना को समझने में सहायक है।
  • गलत विकल्प: यद्यपि प्रभु जाति में राजनीतिक और आर्थिक शक्ति शामिल होती है, लेकिन इसका मूल अर्थ गाँव के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर समग्र नियंत्रण से है, जो केवल एक कारक तक सीमित नहीं है।

  • प्रश्न 14: ‘अनामिकता’ (Anomie) की अवधारणा, जो समाज में नैतिक मानकों के टूटने से उत्पन्न होती है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. मैक्स वेबर
    3. एमिल दुर्खीम
    4. ए.आर. रैटक्लिफ-ब्राउन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: एमिल दुर्खीम ने ‘अनामिकता’ (Anomie) की अवधारणा को समझाया, जिसका अर्थ है सामाजिक नियंत्रण की कमी या सामाजिक मानदंडों का कमजोर पड़ना, जो व्यक्तियों में अनिश्चितता और भटकाव की भावना पैदा करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ (Suicide) जैसी कृतियों में पाई जाती है, जहाँ वे बताते हैं कि कैसे सामाजिक परिवर्तन या संकट अनामिकता को जन्म दे सकते हैं।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने नौकरशाही और वैधता पर काम किया। रैटक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) के क्षेत्र से जुड़े हैं, विशेष रूप से मानव विज्ञान में।

  • प्रश्न 15: इरावती कर्वे ने भारतीय समाज को कितने मुख्य नृजातीय (Ethnic) समूहों में वर्गीकृत किया है?

    1. तीन
    2. चार
    3. पांच
    4. छह

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: इरावती कर्वे ने भारतीय समाज को चार मुख्य नृजातीय समूहों में वर्गीकृत किया था, जो प्रमुख सांस्कृतिक और भाषाई क्षेत्रों पर आधारित थे: उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय, पूर्वी भारतीय और पश्चिमी भारतीय।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक ‘हिंदू सोसाइटी: एन इंट्रोडक्शन’ (Hindu Society: An Introduction) में इस वर्गीकरण को प्रस्तुत किया, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को समझने में सहायक है।
  • गलत विकल्प: यह वर्गीकरण नृजातीय और सांस्कृतिक आधार पर किया गया था, और इसमें चार प्रमुख समूह शामिल थे।

  • प्रश्न 16: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) सिद्धांत के आलोचकों के अनुसार, यह किस पश्चिमी अवधारणा को सार्वभौमिक बनाने का प्रयास करता है?

    1. सामंतवाद
    2. औपनिवेशवाद
    3. पूंजीवाद
    4. समाजवाद

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: आधुनिकीकरण सिद्धांत के कई आलोचकों, विशेष रूप से निर्भरता सिद्धांत (Dependency Theory) के समर्थकों का तर्क है कि यह सिद्धांत अनिवार्य रूप से पश्चिमी, विशेष रूप से अमेरिकी, पूंजीवादी विकास मॉडल को सार्वभौमिक और अनुकरणीय मानता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि सभी समाज उसी पथ का अनुसरण करते हुए विकसित होंगे जो पश्चिमी देशों ने किया, जो कि एक यूरोसेंट्रिक दृष्टिकोण है।
  • गलत विकल्प: सामंतवाद, उपनिवेशवाद और समाजवाद आधुनिकीकरण सिद्धांत के मुख्य लक्षित या सार्वभौमिकृत होने वाले पश्चिमी मॉडल नहीं माने जाते।

  • प्रश्न 17: मैकमिलन की पुस्तक ‘द एज ऑफ डिसकंटेंट’ में वर्णित ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है?

    1. धर्म का जनता के जीवन में कम महत्व होना
    2. सभी धार्मिक संस्थानों का बंद हो जाना
    3. केवल हिंदू धर्म का प्रभाव कम होना
    4. आधुनिकता के कारण पारंपरिक धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं का महत्व कम होना

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: मैकमिलन की पुस्तक के संदर्भ में, धर्मनिरपेक्षीकरण का अर्थ है कि आधुनिकता, तर्कवाद और विज्ञान के बढ़ते प्रभाव के कारण पारंपरिक धार्मिक संस्थाओं, विश्वासों और प्रथाओं का सार्वजनिक जीवन में महत्व और प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया समाजशास्त्र में एक महत्वपूर्ण विषय रही है, जो धर्म और समाज के बीच बदलते संबंधों की पड़ताल करती है।
  • गलत विकल्प: धर्मनिरपेक्षीकरण का अर्थ धर्म का अंत नहीं है, बल्कि उसके महत्व में कमी है। यह किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि एक सामान्य प्रक्रिया है।

  • प्रश्न 18: समाजशास्त्रीय शोध में ‘कारण’ (Causation) और ‘सहसंबंध’ (Correlation) के बीच अंतर को समझना क्यों महत्वपूर्ण है?

    1. ताकि हम सभी सहसंबंधों को कारण मान सकें।
    2. यह सुनिश्चित करने के लिए कि शोधकर्ता पूर्वाग्रहों से मुक्त हैं।
    3. यह समझने के लिए कि एक चर दूसरे को कैसे प्रभावित करता है, बिना यह माने कि दोनों का कोई साझा कारण है।
    4. यह जानने के लिए कि सहसंबंध से कारण का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: समाजशास्त्रीय शोध में यह समझना महत्वपूर्ण है कि सहसंबंध (दो या दो से अधिक चर के बीच एक साथ होने वाले परिवर्तन) का मतलब आवश्यक रूप से कारण (एक चर का दूसरे को सीधे प्रभावित करना) नहीं है। यह अंतर गलत निष्कर्षों से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • संदर्भ और विस्तार: अक्सर, दो चर सहसंबद्ध हो सकते हैं क्योंकि वे दोनों किसी तीसरे, अप्रत्यक्ष चर से प्रभावित होते हैं। इसलिए, सहसंबंध से कारण का अनुमान लगाना एक आम शोध त्रुटि है।
  • गलत विकल्प: (a) और (c) गलत हैं क्योंकि वे सहसंबंध को कारण के रूप में गलत समझते हैं। (b) शोधकर्ता के पूर्वाग्रह से सीधे संबंधित नहीं है, बल्कि निष्कर्षों की वैधता से संबंधित है।

  • प्रश्न 19: पीटर एल. बर्जर और थॉमस लकमैन की पुस्तक ‘द सोशल कंस्ट्रक्शन ऑफ रियलिटी’ (The Social Construction of Reality) किस प्रमुख समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से संबंधित है?

    1. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
    2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
    3. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
    4. नारीवाद (Feminism)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: बर्जर और लकमैन की यह पुस्तक प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के दृष्टिकोण से गहराई से जुड़ी है, जो इस बात पर जोर देती है कि सामाजिक वास्तविकता मानव अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से निर्मित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने बताया कि कैसे व्यक्ति समाज में अपनी संस्थाओं और अपने स्वयं के अनुभवों को अर्थ प्रदान करते हैं, और कैसे ये अर्थ बाहरी और वस्तुनिष्ठ प्रतीत होते हैं, भले ही वे सामाजिक रूप से निर्मित हों।
  • गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक तंत्र के रूप में देखता है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करता है। नारीवाद लैंगिक असमानताओं का विश्लेषण करता है।

  • प्रश्न 20: महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित ‘सर्वोदय’ (Sarvodaya) की अवधारणा का समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?

    1. सभी का विनाश
    2. सभी का विकास
    3. केवल आर्थिक विकास
    4. केवल राजनीतिक स्वतंत्रता

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: ‘सर्वोदय’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘सभी का उदय’ या ‘सभी का विकास’। महात्मा गांधी की यह अवधारणा समाज के प्रत्येक व्यक्ति के नैतिक, आध्यात्मिक और भौतिक उत्थान पर जोर देती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक समग्र विकास की बात करता है, जिसमें सिर्फ भौतिक प्रगति ही नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और सत्य पर आधारित समाज का निर्माण भी शामिल है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सर्वोदय के व्यापक और समावेशी अर्थ को दर्शाते नहीं हैं।

  • प्रश्न 21: समाजशास्त्र में ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) की अवधारणा क्या सिखाती है?

    1. एक संस्कृति को दूसरी से श्रेष्ठ मानना।
    2. प्रत्येक संस्कृति को उसके अपने संदर्भ में समझना और उसका मूल्यांकन करना।
    3. सभी संस्कृतियों के लिए एक समान मानक बनाना।
    4. सांस्कृतिक भिन्नताओं को नजरअंदाज करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: सांस्कृतिक सापेक्षवाद का सिद्धांत बताता है कि किसी संस्कृति की प्रथाओं और विश्वासों का मूल्यांकन केवल उस संस्कृति के भीतर के मानदंडों और मूल्यों के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी, सार्वभौमिक मानक के आधार पर।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मानवशास्त्री फ्रांस बोआस (Franz Boas) से काफी जुड़ा हुआ है और इसका उद्देश्य पूर्वाग्रहों को कम करना तथा विभिन्न संस्कृतियों के प्रति सम्मान बढ़ाना है।
  • गलत विकल्प: (a) इसका ठीक उल्टा है, जो ‘सांस्कृतिक श्रेष्ठता’ (Ethnocentrism) है। (c) और (d) सांस्कृतिक सापेक्षवाद के सिद्धांत के विपरीत हैं।

  • प्रश्न 22: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, ‘छिपा हुआ कार्य’ (Latent Function) क्या है?

    1. समाज में एक संस्था के अनपेक्षित और अवांछित परिणाम।
    2. समाज में एक संस्था के अनपेक्षित और वांछित परिणाम।
    3. समाज में एक संस्था के अपेक्षित और वांछित परिणाम।
    4. समाज में एक संस्था के अपेक्षित और अवांछित परिणाम।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्य (Function) को स्पष्ट करते हुए ‘छिपा हुआ कार्य’ (Latent Function) को समाज में किसी संस्था या सामाजिक पैटर्न के अनपेक्षित और अक्सर अज्ञात, लेकिन फिर भी सकारात्मक या वांछित परिणाम के रूप में परिभाषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘मैनिफेस्ट फंक्शन’ (Manifest Function – प्रकट प्रकार्य) के विपरीत, जो कि अपेक्षित और पहचाने गए परिणाम होते हैं, छिपे हुए कार्यों पर भी ध्यान केंद्रित किया। जैसे, पब्लिक स्कूल का प्रकट कार्य शिक्षा देना है, लेकिन छिपा हुआ कार्य सामाजिक नेटवर्क बनाना हो सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) ‘छिपा हुआ विघटन’ (Latent Dysfunction) से संबंधित हैं। (c) ‘प्रकट प्रकार्य’ (Manifest Function) है।

  • प्रश्न 23: भारत में ‘डिजिटल इंडिया’ (Digital India) जैसी पहलों से शहरी समाज पर क्या प्रभाव पड़ने की संभावना है?

    1. शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन में वृद्धि।
    2. शहरी जीवनशैली में अधिक तकनीकी एकीकरण और नई सेवाएँ।
    3. शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी में कमी।
    4. शहरी क्षेत्रों में सामाजिक अलगाव में वृद्धि।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहल शहरी क्षेत्रों में तकनीकी अवसंरचना के विस्तार, ऑनलाइन सेवाओं की उपलब्धता और जीवनशैली के अधिक तकनीकी एकीकरण को बढ़ावा देती है, जिससे दक्षता और सुविधा बढ़ती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शहरी निवासियों के लिए सूचना, संचार और सेवाओं तक पहुँच को आसान बनाता है, जिससे शहरी जीवन के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं।
  • गलत विकल्प: यद्यपि डिजिटल विभाजन (a) एक मुद्दा हो सकता है, पहल का सीधा उद्देश्य शहरी एकीकरण है। शहरी बेरोजगारी पर प्रभाव मिश्रित हो सकता है (c)। सामाजिक अलगाव (d) एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन (b) पहल का प्रत्यक्ष और प्रमुख प्रभाव है।

  • प्रश्न 24: ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख समर्थकों में कौन शामिल हैं, जो यह तर्क देते हैं कि समाज पर हमेशा एक छोटे से शासक वर्ग का नियंत्रण होता है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. एमील दुर्खीम
    3. विलफ्रेडो पारेतो और गैटानो मोस्का
    4. मैक्स वेबर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: विलफ्रेडो पारेतो (Vilfredo Pareto) और गैटानो मोस्का (Gaetano Mosca) अभिजन सिद्धांत के क्लासिक समर्थक माने जाते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि इतिहास शासक अभिजन (Ruling Elites) के उत्थान और पतन का इतिहास है, और प्रत्येक समाज में एक अल्पसंख्यक वर्ग होता है जो सत्ता पर कब्जा कर लेता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पारेतो ने ‘शासक वर्ग’ और ‘गैर-शासक वर्ग’ के बीच चक्रीय गतिशीलता (Circulation of Elites) की बात की, जबकि मोस्का ने राजनीतिक वर्ग के उदय और नियंत्रण की प्रक्रिया का विश्लेषण किया।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष में उत्पादन संबंधों पर केंद्रित थे। दुर्खीम सामाजिक एकजुटता और व्यवस्था की बात करते थे। वेबर ने शक्ति के विभिन्न रूपों का विश्लेषण किया, लेकिन अभिजन सिद्धांत को इस रूप में प्रस्तुत नहीं किया।

  • प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक अनुसंधान पद्धति ‘उत्तर-प्रत्यक्षवाद’ (Post-positivism) के दृष्टिकोण से अधिक मेल खाती है?

    1. केवल प्रत्यक्ष अवलोकन (Direct Observation)
    2. सांख्यिकीय विश्लेषण के साथ गुणात्मक डेटा का संयोजन
    3. वस्तुनिष्ठ वास्तविकता का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना
    4. एकल, सार्वभौमिक सत्य की खोज

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही क्यों: उत्तर-प्रत्यक्षवाद, प्रत्यक्षवाद (Positivism) के कड़े नियमों को शिथिल करता है। यह स्वीकार करता है कि वास्तविकता को पूरी तरह से वस्तुनिष्ठ रूप से नहीं जाना जा सकता है, लेकिन तर्कसंगतता और अनुभवजन्य साक्ष्य के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए, यह अक्सर सांख्यिकीय विश्लेषण जैसे मात्रात्मक तरीकों के साथ गुणात्मक डेटा (जैसे साक्षात्कार, केस स्टडी) को जोड़ता है ताकि अधिक सूक्ष्म समझ विकसित की जा सके।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण इस विचार पर आधारित है कि जबकि वस्तुनिष्ठ सत्य मौजूद हो सकता है, मानव पूर्वाग्रहों और अवलोकनात्मक सीमाओं के कारण इसे पूरी तरह से समझना मुश्किल है।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) प्रत्यक्षवाद के अधिक करीब हैं। (c) प्रत्यक्षवाद का लक्ष्य है, लेकिन उत्तर-प्रत्यक्षवाद इस लक्ष्य की पूर्ण प्राप्यता पर संदेह करता है।
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