समाजशास्त्र मंथन: अपनी पकड़ मज़बूत करें – दैनिक 25 प्रश्नोत्तरी!
प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाओं के शिखर पर पहुँचने का सपना देख रहे समाजशास्त्र के अभ्यार्थियों, कमर कस लीजिए! आज का दिन आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने का है। आपके लिए प्रस्तुत है समाजशास्त्र की गहराईयों से चुने गए 25 प्रश्न, जो आपको विषय की बारीकियों से रूबरू कराएंगे। आइए, एक नए दैनिक बौद्धिक चुनौती के लिए तैयार हो जाइए!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘वेबर’ ने किस समाजशास्त्रीय पद्धति पर बल दिया, जो व्यक्तियों द्वारा अपने कार्यों को दिए जाने वाले व्यक्तिपरक अर्थों को समझने की आवश्यकता पर जोर देती है?
- अ. प्रत्यक्षवाद
- ब. वर्स्टेहेन (Verstehen)
- स. मार्क्सवाद
- द. संरचनात्मक प्रकार्यवाद
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: मैक्स वेबर ने ‘वेबर’ (Verstehen) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्रियों के लिए उन व्यक्तिपरक अर्थों को समझने की आवश्यकता पर जोर देता है जो लोग अपने कार्यों से जोड़ते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का केंद्रीय तत्व है और इसे उनके कार्य ‘अर्थव्यवस्था और समाज’ (Economy and Society) में विस्तार से बताया गया है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है।
- गलत विकल्प: ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) ई. दुर्खीम से जुड़ा है, जो सामाजिक तथ्यों का वस्तुनिष्ठ अध्ययन करने पर बल देते थे। ‘मार्क्सवाद’ कार्ल मार्क्स के वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद के सिद्धांतों से संबंधित है। ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ पार्सन्स जैसे विचारकों से जुड़ा है।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संस्कृति-करण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- अ. पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- ब. निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर जाति पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त करने की प्रक्रिया
- स. आधुनिकीकरण और औद्योगीकरण की प्रक्रिया
- द. जनजातीय समुदायों का अपनी संस्कृति में परिवर्तन
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृति-करण’ (Sanskritization) शब्द को परिभाषित किया, जो भारतीय संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण रूप है। इसमें एक निम्न सामाजिक समूह (जाति या जनजाति) उच्च स्थिति वाली जातियों के तौर-तरीकों, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाता है ताकि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ सके।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा पहली बार अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह संरचनात्मक गतिशीलता के बजाय सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी देशों की संस्कृति और जीवन शैली को अपनाने से संबंधित है। ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) अधिक व्यापक शब्द है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। ‘जनजातीय संस्कृतियों में परिवर्तन’ भी व्यापक हो सकता है, लेकिन यह केवल एक समूह के अन्य समूह के अनुकरण का वर्णन नहीं करता।
प्रश्न 3: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) को “व्यक्तियों पर बाह्यता और बाध्यता रखने वाले व्यवहार के तरीके” के रूप में परिभाषित किया?
- अ. कार्ल मार्क्स
- ब. मैक्स वेबर
- स. ई. दुर्खीम
- द. जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: ई. दुर्खीम (Émile Durkheim) ने समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करने के लिए ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को केंद्रीय माना। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे बाहरी, सामूहिक या सामाजिक मूल के व्यवहार के तरीके हैं जो व्यक्ति पर एक बाध्यकारी शक्ति डालते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा उनकी मौलिक कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में मिलती है। यह उनके प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण का आधार है, जिसमें समाज को एक वस्तु की तरह अध्ययन किया जाता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और आर्थिक उत्पादन पर था। मैक्स वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों और ‘वेबर’ पर बल दिया। जॉर्ज सिमेल ने सूक्ष्म समाजशास्त्रीय विश्लेषण और सामाजिक अंतःक्रियाओं पर काम किया।
प्रश्न 4: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) का समाज पर क्या प्रभाव नहीं माना जाता है?
- अ. नगरीकरण में वृद्धि
- ब. पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का विघटन
- स. परिवार के एकाकी स्वरूप का विस्तार
- द. वर्ग संरचना का सरलीकरण (केवल दो वर्गों में विभाजन)
उत्तर: (द)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप अक्सर समाज में जटिल वर्ग संरचनाएं उभरती हैं, न कि सरलीकरण। यद्यपि यह श्रमिक वर्ग और पूंजीपति वर्ग के बीच विभाजन को स्पष्ट करता है, लेकिन मध्यम वर्ग, स्वरोजगार और अन्य पेशेवर समूहों के उदय से वर्ग संरचना अक्सर और अधिक जटिल हो जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण के प्रमुख प्रभाव हैं – ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में लोगों का स्थानांतरण (नगरीकरण), पारंपरिक नातेदारी और सामुदायिक बंधनों का कमजोर होना (पारिवारिक संरचनाओं का विघटन), और एक नई आर्थिक व्यवस्था का उदय।
- गलत विकल्प: औद्योगीकरण निश्चित रूप से नगरीकरण (a) को बढ़ाता है, पारंपरिक व्यवस्थाओं (b) को तोड़ता है, और एकाकी परिवार (nuclear family) के विस्तार में सहायक होता है (c)। इसलिए, वर्ग संरचना का सरलीकरण (d) इसका प्रभाव नहीं है।
प्रश्न 5: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) ने ‘स्व’ (Self) के विकास के लिए किस महत्वपूर्ण चरण का उल्लेख किया है?
- अ. आरम्भिक खेल (Play Stage)
- ब. अनुकरण चरण (Imitation Stage)
- स. संगठित खेल (Game Stage)
- द. उपरोक्त सभी
उत्तर: (द)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के एक प्रमुख प्रस्तावक थे। उन्होंने ‘स्व’ (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया का परिणाम माना और इसे तीन चरणों में बाँटा: अनुकरण चरण (Imitation Stage) जहाँ बच्चा दूसरों के व्यवहार की नकल करता है; आरम्भिक खेल (Play Stage) जहाँ बच्चा विशिष्ट ‘दूसरों’ (significant others) की भूमिकाएँ निभाना सीखता है; और संगठित खेल (Game Stage) जहाँ बच्चा ‘सामान्याकृत अन्य’ (generalized other) की भूमिका को समझता है, जो समाज के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का यह सिद्धांत ‘Mind, Self, and Society’ में प्रकाशित हुआ। यह बताता है कि ‘स्व’ जन्मजात नहीं होता, बल्कि सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है।
- गलत विकल्प: सभी दिए गए चरण (a, b, c) मीड के ‘स्व’ के विकास के सिद्धांत का हिस्सा हैं।
प्रश्न 6: भारत में जाति व्यवस्था को एक ‘विस्तारित परिवार’ (Jajmani System) के रूप में किसने वर्णित किया है, जो विभिन्न जातियों के बीच पारिश्रमिक आधारित सेवाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था है?
- अ. ई.बी. हार्वेले (E.B. Harvey)
- ब. डब्ल्यू.एच. व्हिस्लर (W.H. Wiser)
- स. एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas)
- द. आंद्रे बेतेई (Andre Beteille)
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: डब्ल्यू.एच. व्हिस्लर (W.H. Wiser) ने अपनी पुस्तक ‘The Hindu Jajmani System’ में इस प्रथा का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया। उन्होंने इसे एक ऐसी व्यवस्था के रूप में वर्णित किया जहाँ ग्रामीण समुदाय में विभिन्न जातियाँ एक-दूसरे को निश्चित सेवाएं प्रदान करती हैं और बदले में उन्हें पारंपरिक पारिश्रमिक (अनाज या अन्य वस्तुएं) मिलता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू रही है, जो पारस्परिक निर्भरता और श्रेणीबद्धता को दर्शाती है।
- गलत विकल्प: ई.बी. हार्वेले ने भारतीय समाज पर कम काम किया है। एम.एन. श्रीनिवास ‘संस्कृति-करण’ के लिए जाने जाते हैं। आंद्रे बेतेई ने जाति और वर्ग पर महत्वपूर्ण अध्ययन किए हैं, लेकिन ‘जाजमानी व्यवस्था’ का विस्तृत वर्णन व्हिस्लर का मुख्य योगदान है।
प्रश्न 7: दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एनामी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
- अ. जब समाज के सदस्यों के बीच घनिष्ठ संबंध होते हैं
- ब. जब सामाजिक नियम और मूल्य स्पष्ट और सुदृढ़ होते हैं
- स. जब सामाजिक नियमों का अभाव या उनका पतन हो जाता है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है
- द. जब समाज में अत्यधिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता होती है
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: दुर्खीम ने ‘एनामी’ (Anomie) शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया है जब समाज में सामाजिक नियमों का अभाव होता है या जब मौजूदा नियम अब प्रभावी नहीं रहते। इस स्थिति में व्यक्ति को कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिलता और वे दिशाहीन महसूस करते हैं, जिससे निराशा और अपराध जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में प्रमुखता से पाई जाती है। यह विशेष रूप से तीव्र सामाजिक परिवर्तन या संकट के समय में उत्पन्न हो सकती है।
- गलत विकल्प: घनिष्ठ संबंध (a) और सुदृढ़ नियम (b) एनामी के विपरीत हैं। अत्यधिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता (d) भी एनामी का कारण बन सकती है यदि यह सामाजिक नियमों के कमजोर होने से जुड़ी हो, लेकिन मुख्य परिभाषा नियमों के अभाव या पतन से है।
प्रश्न 8: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में कुछ पदों को विशेष अधिकार और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है क्योंकि वे समाज के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हैं?
- अ. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- ब. प्रकार्यात्मक सिद्धांत (Functional Theory)
- स. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- द. मार्क्सवादी सिद्धांत (Marxist Theory)
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: प्रकार्यात्मक सिद्धांत (Functional Theory), विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis and Moore) द्वारा प्रस्तुत, यह मानता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है। उनके अनुसार, समाज महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए योग्य व्यक्तियों को आकर्षित करने हेतु उन्हें विभिन्न पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) प्रदान करता है। यह इस विचार पर आधारित है कि कुछ पद दूसरों की तुलना में समाज के लिए अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस विचार का समर्थन करता है कि असमानता समाज के लिए कार्यात्मक (functional) है।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (a) और मार्क्सवादी सिद्धांत (d) असमानता को प्रभुत्व और शोषण के साधन के रूप में देखते हैं। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (c) व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं और अर्थों पर केंद्रित है।
प्रश्न 9: कार्ल मार्क्स के अनुसार, ‘अलगाव’ (Alienation) का सबसे प्रमुख कारण क्या है?
- अ. राजनीतिक दमन
- ब. धार्मिक अंधविश्वास
- स. पूंजीवादी उत्पादन की प्रक्रिया में श्रमिक का अपने श्रम, उत्पाद, अन्य श्रमिकों और स्वयं से विमुख होना
- द. शिक्षा का अभाव
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक के ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा पर बल दिया। उनके अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद (जो उसका अपना नहीं होता), अपने श्रम की क्रिया (जो उसकी इच्छा के विरुद्ध की जाती है), अपनी मानव प्रजाति (species-being) से, और अंततः अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व न होने और श्रम के वस्तुकरण (commodification) का परिणाम है। यह मार्क्स के ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में प्रमुखता से आता है।
- गलत विकल्प: राजनीतिक दमन (a), धार्मिक अंधविश्वास (b) और शिक्षा का अभाव (d) भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन मार्क्स के लिए पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में अलगाव का मूल कारण है।
प्रश्न 10: परिवार के एक ऐसे स्वरूप का वर्णन करें जहाँ विवाह एक पुरुष और एक स्त्री के बीच होता है, और बच्चों का पालन-पोषण उसी मूल परिवार में होता है?
- अ. बहुपत्नी विवाह (Polygyny)
- ब. एकांगी परिवार (Nuclear Family)
- स. मातृवंशीय परिवार (Matrilineal Family)
- द. संयुक्त परिवार (Joint Family)
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: एकांगी परिवार (Nuclear Family) वह परिवार इकाई है जो पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चों से मिलकर बनती है। यह आधुनिक समाजों में सबसे आम पारिवारिक स्वरूपों में से एक है।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिवार संरचना पितृसत्तात्मक या मातृसत्तात्मक हो सकती है, लेकिन इसकी मूल इकाई पति, पत्नी और बच्चे हैं।
- गलत विकल्प: बहुपत्नी विवाह (Polygyny) एक पुरुष द्वारा एक से अधिक महिलाओं से विवाह करना है। मातृवंशीय परिवार (Matrilineal Family) वह है जहाँ वंश और संपत्ति का निर्धारण माँ से होता है। संयुक्त परिवार (Joint Family) कई पीढ़ियों के सदस्यों और उनकी पत्नियों का एक साथ निवास है।
प्रश्न 11: किसी समाज या समूह के सदस्यों द्वारा साझा किए गए विश्वासों, मूल्यों, रीति-रिवाजों, ज्ञान और कलात्मक अभिव्यक्तियों के संपूर्ण समुच्चय को क्या कहते हैं?
- अ. सामाजिक संरचना (Social Structure)
- ब. सामाजिक संस्था (Social Institution)
- स. संस्कृति (Culture)
- द. सामाजिक व्यवस्था (Social Order)
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: संस्कृति (Culture) एक व्यापक अवधारणा है जो किसी समाज या समूह के सदस्यों द्वारा साझा किए गए जीवन के तरीके का वर्णन करती है। इसमें मूर्त (जैसे कला, वास्तुकला) और अमूर्त (जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा) दोनों तत्व शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति वह है जो हमें सिखाया जाता है और जो हमारे व्यवहार को आकार देती है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती है।
- गलत विकल्प: सामाजिक संरचना (Social Structure) समाज के विभिन्न हिस्सों के व्यवस्थित पैटर्न को संदर्भित करती है। सामाजिक संस्था (Social Institution) समाज के प्रमुख क्षेत्रों (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) को संदर्भित करती है। सामाजिक व्यवस्था (Social Order) समाज में स्थिरता और व्यवस्था की स्थिति है।
प्रश्न 12: ई. दुर्खीम के अनुसार, समाज को ‘एकजुट’ (cohesion) रखने वाला प्राथमिक बल क्या है?
- अ. व्यक्तिगत स्वार्थ
- ब. आर्थिक लेन-देन
- स. साझा चेतना और सामाजिक एकता (Mechanical and Organic Solidarity)
- द. राजनीतिक सत्ता
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: दुर्खीम ने सामाजिक एकता (Solidarity) की दो मुख्य प्रकारों की चर्चा की है: यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity), जो समानताओं और साझा चेतना पर आधारित होती है (आदिम समाजों में), और कार्बनिक एकता (Organic Solidarity), जो श्रम के विभाजन और परस्पर निर्भरता पर आधारित होती है (आधुनिक समाजों में)। ये दोनों ही समाज को एक साथ बांधे रखने वाले प्राथमिक बल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी ‘The Division of Labour in Society’ पुस्तक में केंद्रित है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत स्वार्थ (a) अलगाव का कारण बन सकता है, आर्थिक लेन-देन (b) और राजनीतिक सत्ता (d) समाज के कार्यप्रणाली का हिस्सा हैं, लेकिन दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक एकता का मूल स्रोत साझा चेतना और परस्पर निर्भरता है।
प्रश्न 13: भारत में, ‘जनजाति’ (Tribe) की पहचान के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण मानदंड नहीं है?
- अ. भौगोलिक अलगाव
- ब. एक विशिष्ट भाषा
- स. प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल में सदस्यता
- द. सामान्य नाम, सामान्य वंश, सामान्य भाषा और सामान्य संस्कृति
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: जनजाति की पहचान मुख्य रूप से उनके भौगोलिक अलगाव (historical/geographical isolation), एक विशिष्ट भाषा, सामान्य सांस्कृतिक प्रथाओं, साझा इतिहास और पहचान (जैसे सामान्य नाम, वंश, संस्कृति) पर आधारित होती है। किसी प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल में सदस्यता जनजाति की पारंपरिक पहचान का मानदंड नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि आधुनिक समय में राजनीतिक जुड़ाव बढ़ रहा है, लेकिन पारंपरिक समाजशास्त्रीय और मानवशास्त्रीय परिभाषाओं में यह एक प्रमुख मानदंड नहीं रहा है।
- गलत विकल्प: भौगोलिक अलगाव (a), विशिष्ट भाषा (b), और सामान्य नाम/वंश/भाषा/संस्कृति (d) ये सभी जनजाति की पहचान के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
प्रश्न 14: इरावती कर्वे (Iravati Karve) ने भारत में नातेदारी (Kinship) व्यवस्था का अध्ययन किस पुस्तक में किया है?
- अ. The Village Community
- ब. Kinship Organisation in India
- स. India’s Villages
- द. Caste in India
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: इरावती कर्वे, एक प्रमुख भारतीय मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री थीं, जिन्होंने भारत की विभिन्न क्षेत्रों की नातेदारी प्रणालियों का व्यवस्थित अध्ययन किया। उनकी पुस्तक ‘Kinship Organisation in India’ इस विषय पर एक मौलिक कार्य है।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में, उन्होंने भारत में नातेदारी की संरचनाओं, विभिन्न प्रकार के बंधनों और उनके सामाजिक महत्व का विश्लेषण किया, विशेष रूप से उत्तरी और दक्षिणी भारत के बीच के अंतर पर प्रकाश डाला।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प विभिन्न लेखकों की रचनाएँ हैं जिन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर लिखा है, जैसे ‘The Village Community’ (B.H. Baden-Powell), ‘India’s Villages’ (M.N. Srinivas) और ‘Caste in India’ (J.H. Hutton)।
प्रश्न 15: मैकावर और पेज (MacIver and Page) के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) नहीं है?
- अ. विवाह
- ब. राष्ट्र
- स. जनमत
- द. खेल
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: मैकावर और पेज के अनुसार, सामाजिक संस्थाएं वे स्थापित और स्वीकृत सामाजिक विधियाँ हैं जो समाज की कुछ आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। विवाह (Marriage), राष्ट्र (Nation) और खेल (Sport) को वे स्पष्ट रूप से संस्थाओं के उदाहरणों में गिनते हैं। जनमत (Public Opinion) एक सामाजिक घटना या प्रक्रिया है, न कि एक स्थापित संस्था।
- संदर्भ और विस्तार: संस्थाएं नियमों, प्रथाओं और संगठनों का एक समूह होती हैं जो समाज में एक विशिष्ट कार्य करती हैं।
- गलत विकल्प: विवाह (a) परिवार और वंश से संबंधित एक प्रमुख संस्था है। राष्ट्र (b) एक राजनीतिक संस्था है। खेल (d) एक सामाजिक-मनोरंजक संस्था है। जनमत (c) एक सामूहिक दृष्टिकोण है जो समय के साथ बदल सकता है और किसी विशिष्ट संस्थागत ढांचे में पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 16: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का कौन सा साधन अनौपचारिक (Informal) माना जाता है?
- अ. न्यायालय (Courts)
- ब. पुलिस (Police)
- स. कानून (Laws)
- द. जनमत और सामाजिक रीति-रिवाज
उत्तर: (द)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: सामाजिक नियंत्रण के साधनों को औपचारिक और अनौपचारिक में बांटा जा सकता है। औपचारिक साधन वे हैं जो राज्य या सरकार द्वारा लागू किए जाते हैं (जैसे कानून, पुलिस, न्यायालय)। अनौपचारिक साधन वे हैं जो समाज या समूह के भीतर स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं (जैसे जनमत, रीति-रिवाज, नैतिकता, धर्म, शिक्षा)।
- संदर्भ और विस्तार: जनमत लोगों के विचारों और मूल्यों का प्रतिबिंब है, जबकि रीति-रिवाज स्वीकृत व्यवहार के तरीके हैं, जो व्यक्तियों को समाज के मानदंडों के अनुसार चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
- गलत विकल्प: न्यायालय (a), पुलिस (b) और कानून (c) सभी औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं।
प्रश्न 17: टी. पार्सन्स (T. Parsons) ने ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के अपने मॉडल में समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा, जिसकी विभिन्न इकाइयाँ (संस्थाएँ) मिलकर समाज की स्थिरता और निरंतरता बनाए रखती हैं। उनके अनुसार, समाज की मुख्य कार्यात्मक आवश्यकताएँ (Functional Imperatives) क्या हैं?
- अ. उत्पादन, वितरण, उपभोग
- ब. अनुकूलन, लक्ष्य-प्राप्ति, एकीकरण, अव्यवस्था-निवारण (AGIL)
- स. वर्ग संघर्ष, क्रांति, अधिनायकवाद
- द. शक्ति, अधिकार, वैधता
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: टैल्कॉट पार्सन्स ने समाज को चार कार्यात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने वाली एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा। इन आवश्यकताओं को उन्होंने AGIL प्रतिमान (Pattern Maintenance) से दर्शाया: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य-प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration) और अव्यवस्था-निवारण/सुदृढ़ता (Latency/Pattern Maintenance)।
- संदर्भ और विस्तार: यह मॉडल यह समझाने का प्रयास करता है कि कैसे सामाजिक प्रणालियाँ अपने पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करती हैं, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करती हैं, अपने सदस्यों को एक साथ लाती हैं, और अपनी आंतरिक सुसंगतता और स्थिरता बनाए रखती हैं।
- गलत विकल्प: (a) आर्थिक प्रक्रियाएं हैं, (c) संघर्ष सिद्धांत से संबंधित हैं, और (d) राजनीतिक समाजशास्त्र से संबंधित हैं।
प्रश्न 18: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- अ. यह प्रायः पश्चिमीकरण (Westernization) के साथ जुड़ा होता है।
- ब. यह केवल तकनीकी और आर्थिक विकास तक सीमित है।
- स. यह सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को भी समाहित करता है।
- द. यह अक्सर पारंपरिक संस्थाओं और मूल्यों में परिवर्तन लाता है।
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: आधुनिकीकरण केवल तकनीकी और आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है; यह एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन भी शामिल होते हैं। यह अक्सर पश्चिमीकरण से जुड़ा होता है क्योंकि पश्चिमी समाजों ने आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को पहले अपनाया था, लेकिन यह केवल पश्चिमीकरण का अनुकरण नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण में तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षता, शिक्षा का प्रसार, राजनीतिक भागीदारी और व्यक्तिगत पहचान जैसे तत्व शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: यह प्रायः पश्चिमीकरण से जुड़ा है (a), इसमें सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल हैं (c), और यह पारंपरिक संस्थाओं को बदलता है (d)। केवल तकनीकी और आर्थिक विकास तक सीमित होना (b) आधुनिकीकरण की एक अधूरी परिभाषा है।
प्रश्न 19: ‘धर्म’ (Religion) के समाजशास्त्रीय अध्ययन में, दुर्खीम ने धर्म को समाज के लिए एक ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) को सुदृढ़ करने वाले कार्य के रूप में देखा। उनके अनुसार, धर्म की प्राथमिक उत्पत्ति कहाँ से होती है?
- अ. व्यक्तिगत भय और चिंता
- ब. अलौकिक शक्तियों में विश्वास
- स. समाज की अपनी ही शक्ति का प्रतीक (recreation of society)
- द. दार्शनिक चिंतन
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: दुर्खीम की पुस्तक ‘The Elementary Forms of Religious Life’ के अनुसार, धर्म का उद्भव समाज की अपनी ही शक्ति से होता है। आदिम समाजों में, जब लोग एक साथ मिलकर अनुष्ठान करते हैं, तो वे एक सामूहिक उत्साह (collective effervescence) का अनुभव करते हैं, जो उन्हें समाज के प्रति भक्ति और एकरूपता का एहसास कराता है। धर्म, सार रूप में, समाज का ही प्रतीक होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने पवित्र (sacred) और अपवित्र (profane) के बीच भेद को धर्म की मौलिक विशेषता माना।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत भय (a), अलौकिक शक्ति में विश्वास (b) और दार्शनिक चिंतन (d) धर्म के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन दुर्खीम के अनुसार, धर्म का मूल उद्भव स्वयं समाज की एकीकरणकारी शक्ति में निहित है।
प्रश्न 20: भारत में, ‘आर्थिक उदारीकरण’ (Economic Liberalization) के बाद, निम्नलिखित में से कौन सा एक सामाजिक परिवर्तन स्पष्ट रूप से देखा गया है?
- अ. उपभोगतावादी संस्कृति (Consumerism) का प्रसार
- ब. पारंपरिक जातिगत व्यवसायों का ह्रास
- स. महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी में वृद्धि
- द. उपरोक्त सभी
उत्तर: (द)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: 1991 के बाद भारत में आर्थिक उदारीकरण ने अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव लाए, जिनके सामाजिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण रहे। इसने उपभोगतावादी संस्कृति (consumerism) को बढ़ावा दिया, विज्ञापन और मीडिया के प्रभाव में वृद्धि हुई। इसने कई पारंपरिक जातिगत व्यवसायों (caste-based occupations) की प्रासंगिकता को कम किया और नई आर्थिक अवसरों के कारण महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी (women’s workforce participation) में वृद्धि हुई।
- संदर्भ और विस्तार: ये परिवर्तन भारतीय समाज को अधिक गतिशील और आधुनिक बना रहे हैं, हालांकि इनके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं।
- गलत विकल्प: उपरोक्त सभी (d) कथन सत्य हैं क्योंकि आर्थिक उदारीकरण के ये सभी परिणाम देखे गए हैं।
प्रश्न 21: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) के अनुसार, ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Functions) क्या हैं?
- अ. वे स्पष्ट और इच्छित परिणाम जो किसी सामाजिक पैटर्न के होते हैं
- ब. वे अनपेक्षित और अनभिज्ञ परिणाम जो किसी सामाजिक पैटर्न के होते हैं
- स. वे परिणाम जो समाज की स्थिरता को खतरे में डालते हैं
- द. वे परिणाम जो केवल छोटे सामाजिक समूहों को प्रभावित करते हैं
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद (Functionalism) में ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Functions) की अवधारणा प्रस्तुत की। ये वे अनपेक्षित, अनभिज्ञ और कभी-कभी अवांछित परिणाम होते हैं जो किसी सामाजिक पैटर्न, संस्था या व्यवहार के होते हैं। यह ‘प्रकट कार्यों’ (Manifest Functions) के विपरीत है, जो स्पष्ट और इच्छित परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, कॉलेज जाने का प्रकट कार्य शिक्षा प्राप्त करना है, जबकि प्रच्छन्न कार्य आजीवन मित्रता बनाना या साथी को ढूंढना हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) प्रकट कार्यों (Manifest Functions) का वर्णन करता है। (c) सामाजिक विघटन (Social Disorganization) या ‘अकार्य’ (Dysfunctions) का वर्णन करता है। (d) एक संकीर्ण प्रभाव का वर्णन करता है।
प्रश्न 22: भारत में, ‘दलित’ (Dalit) शब्द का प्रयोग आमतौर पर उन समुदायों के लिए किया जाता है जिन्हें पारंपरिक रूप से ______________ माना जाता था।
- अ. क्षत्रिय
- ब. ब्राह्मण
- स. अछूत या बहिष्कृत
- द. वैश्य
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: ‘दलित’ शब्द का अर्थ है ‘कुचले हुए’ या ‘दबे हुए’। यह शब्द उन समुदायों के लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें सदियों से हिंदू जाति व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर रखा गया है और जिन्हें ‘अछूत’ (Untouchables) या बहिष्कृत (Outcastes) माना जाता था, और जिन्होंने सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक भेदभाव का सामना किया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द आत्म-सम्मान और सशक्तिकरण का प्रतीक है।
- गलत विकल्प: क्षत्रिय (a), ब्राह्मण (b), और वैश्य (d) भारतीय वर्ण व्यवस्था के उच्चतर स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रश्न 23: ‘पवित्र’ (Sacred) और ‘अपवित्र’ (Profane) के बीच भेद किस समाजशास्त्री की धर्म की व्याख्या का केंद्रीय तत्व है?
- अ. कार्ल मार्क्स
- ब. मैक्स वेबर
- स. ई. दुर्खीम
- द. सी. राइट मिल्स
उत्तर: (स)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने अपनी कृति ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में धर्म को ‘पवित्र’ (Sacred) और ‘अपवित्र’ (Profane) के बीच भेद के आधार पर परिभाषित किया। उनके अनुसार, पवित्र वे वस्तुएं, स्थान या अनुभव हैं जिन्हें अपवित्र से अलग और श्रेष्ठ माना जाता है, और जिन पर विशेष अनुष्ठान और निषेध लागू होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह भेद समाज द्वारा निर्मित होता है और सामूहिक रूप से साझा किया जाता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स (a) धर्म को ‘जनता की अफीम’ मानते थे और इसका विश्लेषण वर्ग संघर्ष के संदर्भ में करते थे। मैक्स वेबर (b) ने धर्म के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का अध्ययन किया। सी. राइट मिल्स (d) ‘पावर एलिट’ (Power Elite) और सामाजिक शक्ति के विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘सामाजिक समस्या’ (Social Problem) के निर्माण के लिए आवश्यक शर्त है?
- अ. समस्या का अस्तित्व मात्र
- ब. समस्या के बारे में जन चेतना और उसे संबोधित करने की आवश्यकता का अनुभव
- स. समस्या के केवल व्यक्तिगत कारण
- द. समस्या का पूर्णतः समाप्त हो जाना
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: कोई भी स्थिति तब तक ‘सामाजिक समस्या’ नहीं बनती जब तक कि समाज के एक बड़े हिस्से द्वारा उसे समस्या के रूप में पहचाना न जाए और उस पर सामूहिक रूप से ध्यान देने की आवश्यकता महसूस न की जाए। यह जन चेतना (public consciousness) और सामाजिक निर्माण (social construction) का परिणाम है।
- संदर्भ और विस्तार: समस्या का अस्तित्व मात्र (a) पर्याप्त नहीं है, जब तक कि उसे सामूहिक रूप से पहचाना न जाए। व्यक्तिगत कारण (c) समस्या को व्यक्तिपरक बनाते हैं, जबकि सामाजिक समस्याएँ सामूहिक होती हैं। समस्या का पूर्णतः समाप्त हो जाना (d) उसे सामाजिक समस्या के रूप में परिभाषित करने के विपरीत है।
- गलत विकल्प: समस्या के अस्तित्व मात्र (a) और व्यक्तिगत कारणों (c) से वह सामाजिक समस्या नहीं बनती। समस्या का समाप्त होना (d) भी प्रश्न के विपरीत है।
प्रश्न 25: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ के संदर्भ में, पारंपरिक ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) व्यवस्था का स्वरूप कैसे बदला है?
- अ. यह अधिक मजबूत और विस्तृत हो गया है।
- ब. यह कमजोर हो गया है और ‘एकाकी परिवार’ (Nuclear Family) की ओर झुकाव बढ़ा है।
- स. इसका स्वरूप पूरी तरह समाप्त हो गया है।
- द. इसका स्वरूप अपरिवर्तित रहा है।
उत्तर: (ब)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: आधुनिकीकरण, शहरीकरण, औद्योगीकरण और पश्चिमीकरण के प्रभाव के कारण भारतीय समाज में संयुक्त परिवार व्यवस्था कमजोर हुई है। लोगों का शहरों की ओर पलायन, रोजगार के नए अवसर, व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बढ़ा जोर और आवास की समस्याएँ संयुक्त परिवार के पारंपरिक मॉडल को बनाए रखना कठिन बना रही हैं, जिससे एकाकी परिवारों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि संयुक्त परिवार पूरी तरह से समाप्त नहीं हुए हैं, लेकिन उनके संरचनात्मक और कार्यात्मक स्वरूप में निश्चित रूप से बदलाव आया है।
- गलत विकल्प: संयुक्त परिवार अधिक मजबूत (a) नहीं हुए हैं, बल्कि कमजोर हुए हैं। उनका पूर्णतः समाप्त होना (c) भी सत्य नहीं है। उनका अपरिवर्तित रहना (d) भी गलत है।