समाजशास्त्र मंथन: अपनी पकड़ मज़बूत करें
समाजशास्त्र के जटिल और आकर्षक संसार में गोता लगाने का समय आ गया है! आज के विशेष अभ्यास सत्र में, हम समाजशास्त्रीय अवधारणाओं, विचारकों और सिद्धांतों की अपनी समझ का परीक्षण करेंगे। यह सत्र आपकी वैचारिक स्पष्टता को निखारने और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए आपकी तैयारी को सुदृढ़ करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइए, अपने ज्ञान की सीमा का विस्तार करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: मैक्स वेबर ने किस समाजशास्त्रीय पद्धति पर बल दिया, जिसमें सामाजिक क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों को समझने का प्रयास किया जाता है?
- वर्टेहेन (Verstehen)
- एनालॉजी (Analogy)
- पैटर्न (Pattern)
- हिस्टोरिकल सिंथेसिस (Historical Synthesis)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्रियों को उन व्यक्तिपरक अर्थों और प्रेरणाओं को समझने का आग्रह करता है जो लोग अपनी सामाजिक क्रियाओं को करते समय अपने व्यवहार से जोड़ते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा वेबर के व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का केंद्रीय तत्व है और उनके कार्य ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ (Economy and Society) में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी (Positivist) दृष्टिकोण के विपरीत है, जो वस्तुनिष्ठ अवलोकन पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: ‘एनालॉजी’ (सादृश्य) तुलनात्मक अध्ययन में प्रयुक्त होता है, ‘पैटर्न’ (पैटर्न) सामाजिक संरचना के अध्ययन से संबंधित है, और ‘हिस्टोरिकल सिंथेसिस’ (ऐतिहासिक संश्लेषण) विभिन्न ऐतिहासिक तत्वों को एकीकृत करने की प्रक्रिया है। ये वेबर के ‘वर्टेहेन’ के अर्थ को सटीक रूप से नहीं दर्शाते।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संskritization’ (संskritization) की अवधारणा निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया का वर्णन करती है?
- निम्न जाति का उच्च जाति के रीति-रिवाजों, परंपराओं और जीवनशैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास।
- पश्चिमी देशों की संस्कृति, जीवनशैली और विचारों का प्रभाव।
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के तहत पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं में परिवर्तन।
- धर्मनिरपेक्षता की ओर झुकाव और धार्मिक अनुष्ठानों में कमी।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संskritization’ (संskritization) शब्द गढ़ा, जो उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसके द्वारा भारत में निचली जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों, विशेषकर द्विजातियों (twice-born castes) के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विचारधाराओं और जीवनशैली को अपनाकर अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) एक व्यापक शब्द है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularization) धर्म के प्रभाव में कमी को दर्शाता है।
प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनामी’ (Anomie) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
- समाज में सामाजिक नियंत्रण का क्षरण हो जाता है और व्यक्ति के पास मार्गदर्शन के लिए कोई स्पष्ट मानदंड या नियम नहीं रह जाते।
- समाज में अत्यधिक सामूहिकता की भावना होती है और व्यक्तिगत भिन्नता का दमन होता है।
- व्यक्ति अपनी सामाजिक भूमिकाओं से अलगाव महसूस करता है।
- वर्ग संघर्ष समाज में प्रमुखता से विद्यमान होता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ (Anomie) को समाज की एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ सामाजिक नियम या तो कमजोर हो जाते हैं या पूरी तरह से अनुपस्थित होते हैं। यह व्यक्तियों में दिशाहीनता, अनिश्चितता और हताशा की भावना पैदा करता है, जिससे सामाजिक व्यवस्था बाधित होती है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में इस पर विस्तार से चर्चा की है।
- संदर्भ और विस्तार: एनामी अक्सर सामाजिक परिवर्तनों, आर्थिक संकटों या अचानक धन प्राप्ति/हानि जैसी स्थितियों में उत्पन्न होती है। यह सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) में कमी का एक रूप है।
- गलत विकल्प: (b) अत्यधिक सामूहिकता ‘मैकेनिकल सॉलिडैरिटी’ (Mechanical Solidarity) का लक्षण है, न कि एनामी का। (c) व्यक्तिगत अलगाव कार्ल मार्क्स की ‘एलियनेशन’ (Alienation) की अवधारणा से संबंधित है। (d) वर्ग संघर्ष मार्क्सवाद का केंद्रीय विचार है।
प्रश्न 4: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से, निम्नलिखित में से कौन सा परिवार का एक प्रकार है जिसमें एक ही छत के नीचे कई पीढ़ियों के सदस्य एक साथ रहते हैं और संपत्ति साझा करते हैं?
- संयुक्त परिवार (Joint Family)
- एकल परिवार (Nuclear Family)
- विस्तारित परिवार (Extended Family)
- बहुपतित्व (Polyandry)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘संयुक्त परिवार’ की भारतीय समाज में एक विशिष्ट संरचना है जहाँ माता-पिता, उनके विवाहित पुत्र, बहुएँ और पोते-पोतियाँ एक साथ रहते हैं, एक सामान्य रसोई साझा करते हैं, और एक सामान्य संपत्ति रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एकल परिवार (Nuclear Family) से भिन्न है, जिसमें केवल माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं। ‘विस्तारित परिवार’ एक व्यापक शब्द है जिसमें संयुक्त परिवार शामिल हो सकता है, लेकिन यह अन्य प्रकार के विस्तारित संबंधों को भी शामिल कर सकता है। ‘बहुपतित्व’ एक विवाह प्रथा है, परिवार का प्रकार नहीं।
- गलत विकल्प: एकल परिवार में केवल माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे होते हैं। विस्तारित परिवार का दायरा व्यापक है। बहुपतित्व विवाह का एक रूप है, परिवार की संरचना का नहीं।
प्रश्न 5: कार्ल मार्क्स के अनुसार, इतिहास का मुख्य चालक क्या है?
- वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
- विचारों का विकास (Development of Ideas)
- धार्मिक विश्वास (Religious Beliefs)
- राजनीतिक सत्ता (Political Power)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने अपने ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) के सिद्धांत में तर्क दिया कि समाज के विकास का मुख्य इंजन उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को लेकर विभिन्न वर्गों के बीच निरंतर संघर्ष है। यह संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन की गति पैदा करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को बुर्जुआ (उत्पादन के साधनों के मालिक) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच संघर्ष के रूप में देखा। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) और ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ (The Communist Manifesto) में यह सिद्धांत विस्तार से मिलता है।
- गलत विकल्प: विचारों का विकास (Idealism), धार्मिक विश्वास और राजनीतिक सत्ता, मार्क्स के अनुसार, उत्पादन संबंधों के आधार (Base) द्वारा निर्धारित होते हैं (Superstructure), वे इतिहास के मुख्य चालक नहीं हैं।
प्रश्न 6: अगस्ट कॉम्टे, समाजशास्त्र के संस्थापक पिताओं में से एक, ने जिस पद्धति का समर्थन किया, वह किस पर आधारित थी?
- प्रत्यक्षवाद (Positivism)
- व्याख्यावाद (Interpretivism)
- आलोचनात्मक सिद्धांत (Critical Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अगस्ट कॉम्टे ने समाज का अध्ययन करने के लिए ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) नामक वैज्ञानिक पद्धति का प्रस्ताव रखा। उनका मानना था कि समाज, प्राकृतिक विज्ञानों की तरह, अवलोकन योग्य तथ्यों और सुसंगत नियमों के आधार पर अध्ययन किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे ने ‘Curso de Filosofía Positiva’ (Cours de Philosophie Positive) में अपने विचारों को प्रस्तुत किया। उन्होंने समाजशास्त्र को ‘सामाजिक भौतिकी’ (Social Physics) कहा था।
- गलत विकल्प: व्याख्यावाद (Interpretivism), आलोचनात्मक सिद्धांत (Critical Theory) और प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) समाजशास्त्र की बाद की धाराएँ हैं जो प्रत्यक्षवाद से भिन्न दृष्टिकोण अपनाती हैं।
प्रश्न 7: भारतीय ग्रामीण समाज में पारंपरिक रूप से प्रचलित ‘जजमानी व्यवस्था’ (Jajmani System) का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- कृषि उत्पादन और सेवा वितरण के लिए पारंपरिक, वंशानुगत संबंध स्थापित करना।
- जाति व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देना।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और बाजार अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जजमानी व्यवस्था भारतीय ग्रामीण समाज में एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी, जिसमें विभिन्न जातियों के लोग एक-दूसरे को सेवाएँ प्रदान करते थे और बदले में उन्हें वस्तु या सेवा के रूप में भुगतान मिलता था। यह संबंध अक्सर वंशानुगत और परस्पर निर्भरता पर आधारित था।
- संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था में, ‘जजमान’ (आमतौर पर उच्च जाति का व्यक्ति) विभिन्न ‘कारीगरों’ या सेवा प्रदाताओं (जैसे नाई, कुम्हार, दर्जी, ब्राह्मण पुरोहित) को सेवा के बदले अनाज या अन्य भत्ते देता था। लॉर्ड-कैल्वर्ट (Lord Calvert) जैसे नृवंशविज्ञानियों ने इसका विस्तृत अध्ययन किया है।
- गलत विकल्प: जजमानी व्यवस्था जाति व्यवस्था को समाप्त नहीं करती थी, बल्कि उसे सुदृढ़ करती थी। यह औद्योगिकीकरण या बाजार अर्थव्यवस्था के विपरीत, एक पारंपरिक व्यवस्था थी।
प्रश्न 8: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) ने ‘सिम्बॉलिक इंटरेक्शनिज़्म’ (Symbolic Interactionism) के अपने सिद्धांत में ‘जेनगराइज्ड अदर’ (Generalized Other) की अवधारणा को कैसे समझाया है?
- समाज की प्रमुख अपेक्षाओं, मूल्यों और दृष्टिकोणों का सामान्यीकरण, जिसे व्यक्ति आत्मसात करता है।
- समाज में एक विशिष्ट शक्तिशाली व्यक्ति का प्रभाव।
- किसी समूह के भीतर औपचारिक नियम और कानून।
- व्यक्ति की अपनी अंतरात्मा की आवाज़।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘जेनगराइज्ड अदर’ (Generalized Other) समाज के प्रमुख दृष्टिकोणों, अपेक्षाओं और मानकों का एक सामान्यीकृत बोध है, जिसे व्यक्ति आत्मसात करता है और जिसके अनुसार वह व्यवहार करता है। यह हमारे सामाजिक व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड की पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’ में इस अवधारणा की विस्तृत व्याख्या है। उन्होंने ‘I’ (तत्काल प्रतिक्रिया) और ‘Me’ (समाज द्वारा आत्मसात किए गए सामाजिक दृष्टिकोण) के बीच अंतर भी किया।
- गलत विकल्प: (b) विशिष्ट शक्तिशाली व्यक्ति का प्रभाव ‘चरिज़्मैटिक अथॉरिटी’ (Charismatic Authority) जैसा कुछ हो सकता है, लेकिन जेनगराइज्ड अदर नहीं। (c) औपचारिक नियम-कानून ‘रैशनल-लीगल अथॉरिटी’ (Rational-Legal Authority) से संबंधित हैं। (d) अंतरात्मा की आवाज़ व्यक्तिपरक है, जबकि जेनगराइज्ड अदर सामाजिक है।
प्रश्न 9: टैल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) ने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक चार कार्यात्मक आवश्यक्ताओं (Functional Imperatives) का उल्लेख किया है, जिन्हें AGIL प्रतिमान (Paradigm) कहा जाता है। निम्नलिखित में से कौन सा AGIL का एक घटक नहीं है?
- अनुकूलन (Adaptation)
- लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment)
- एकीकरण (Integration)
- सामाजिक संरचना (Social Structure)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के कामकाज के लिए चार आवश्यक कार्यात्मक पूर्वापेक्षाएँ (Functional Prerequisites) बताईं, जिन्हें AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency – जिसे Tension Management भी कहते हैं) के रूप में जाना जाता है। ये वे स्थितियाँ हैं जिन्हें किसी भी जीवित या सामाजिक व्यवस्था को जीवित रहने के लिए पूरा करना होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अनुकूलन’ (Adaptation) पर्यावरण से निपटना है, ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment) सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करना है, ‘एकीकरण’ (Integration) प्रणाली के विभिन्न भागों को एक साथ जोड़ना है, और ‘प्रसुप्ति’ (Latency) या तनाव प्रबंधन, पैटर्न को बनाए रखना है।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) स्वयं में एक प्रकार्यात्मक आवश्यकता नहीं है, बल्कि ये सभी आवश्यकताएँ सामाजिक संरचना के माध्यम से पूरी होती हैं।
प्रश्न 10: एमिल दुर्खीम ने धर्म की अपनी मौलिक समाजशास्त्रीय परिभाषा में, समाज के लिए धर्म के सबसे महत्वपूर्ण कार्य को क्या माना?
- पवित्र (Sacred) और अपवित्र (Profane) के बीच भेद के माध्यम से सामाजिक एकता और सामूहिकता को बढ़ावा देना।
- नैतिकता के लिए एक अलौकिक आधार प्रदान करना।
- वैज्ञानिक ज्ञान को व्यवस्थित करना।
- सामाजिक नियंत्रण के लिए राजनीतिक सत्ता को वैध बनाना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में कहा कि धर्म का सार पवित्र (Sacred) वस्तुओं (जो वर्जित, विशेष और सम्माननीय हैं) और अपवित्र (Profane) वस्तुओं (जो सामान्य, सांसारिक हैं) के बीच भेद करना है। उनके अनुसार, धर्म का सबसे महत्वपूर्ण कार्य सामूहिक भावनाएं और विचार उत्पन्न करके सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) को मजबूत करना है।
- संदर्भ और विस्तार: धर्म सामूहिक चेतना (Collective Conscience) को सुदृढ़ करता है और समाज के सदस्यों के बीच साझा मूल्यों और विश्वासों को बढ़ावा देता है।
- गलत विकल्प: (b) नैतिकता का अलौकिक आधार एक धार्मिक दृष्टिकोण है, समाजशास्त्रीय नहीं। (c) वैज्ञानिक ज्ञान को व्यवस्थित करना ज्ञानमीमांसा (Epistemology) का विषय है। (d) राजनीतिक सत्ता को वैध बनाना सत्तामीमांसा (Political Sociology) का विषय है।
प्रश्न 11: रॉबर्ट के. मर्टन (Robert K. Merton) ने सामाजिक संरचनाओं के उन अनपेक्षित और अचेतन परिणामों का वर्णन करने के लिए किस शब्द का प्रयोग किया?
- अप्रकट कार्य (Latent Functions)
- प्रकट कार्य (Manifest Functions)
- अपकार्य (Dysfunctions)
- सामाजिक भूमिका (Social Role)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने सामाजिक प्रणालियों के दो प्रकार के कार्यों का विश्लेषण किया: प्रकट कार्य (Manifest Functions), जो किसी सामाजिक संस्था के जानबूझकर और मान्यता प्राप्त उद्देश्य होते हैं, और अप्रकट कार्य (Latent Functions), जो अनपेक्षित, अचेतन और अक्सर अस्पष्ट परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन की कृति ‘Social Theory and Social Structure’ में इन अवधारणाओं को विस्तार से समझाया गया है। उन्होंने अपकार्य (Dysfunctions) को भी परिभाषित किया, जो सामाजिक व्यवस्था को बाधित करने वाले परिणाम हैं।
- गलत विकल्प: प्रकट कार्य (Manifest Functions) जानबूझकर किए गए कार्य हैं। अपकार्य (Dysfunctions) नकारात्मक परिणाम हैं। सामाजिक भूमिका (Social Role) व्यवहार का एक प्रतिमान है जो किसी स्थिति से जुड़ा होता है।
प्रश्न 12: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा भारतीय समाज के संदर्भ में ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया?
- ब्रिटिश शासन के दौरान और उसके बाद भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी (विशेष रूप से ब्रिटिश) संस्कृति का प्रभाव, जिसमें जीवनशैली, मूल्य और व्यवहार शामिल हैं।
- वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप वैश्विक संस्कृति का प्रसार।
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में तकनीकी प्रगति को अपनाना।
- क्षेत्रीय संस्कृतियों का राष्ट्रीय संस्कृति में एकीकरण।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) शब्द का प्रयोग विशेष रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के प्रभाव के कारण भारतीय समाज में हुए सांस्कृतिक, सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तनों को समझाने के लिए किया। इसमें शिक्षा, कानून, प्रौद्योगिकी, भोजन, कपड़े, और सामाजिक आदर्शों में परिवर्तन शामिल थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारत में सामाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण पहलू था, जो संskritization और आधुनिकीकरण से अलग था।
- गलत विकल्प: (b) वैश्वीकरण एक व्यापक और अधिक हालिया घटना है। (c) आधुनिकीकरण मुख्य रूप से तकनीकी और संस्थागत विकास पर केंद्रित है, जबकि पश्चिमीकरण में जीवनशैली और मूल्यों पर जोर दिया गया था। (d) क्षेत्रीय संस्कृतियों का एकीकरण एक अलग प्रक्रिया है।
प्रश्न 13: हर्बर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) ने समाज के विकास की व्याख्या करते हुए कौन सा सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसने डार्विन के जैविक विकास के विचारों को समाज पर लागू किया?
- सामाजिक डार्विनवाद (Social Darwinism)
- ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 14: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
- सामाजिक घटनाओं के पीछे के अर्थ, संदर्भ और अनुभवों को गहराई से समझना।
- बड़ी आबादी के बीच चर (variables) के बीच संबंध की माप करना।
- सटीक सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना।
- सामाजिक घटनाओं की आवृत्ति और वितरण का निर्धारण करना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य सामाजिक घटनाओं की प्रकृति, उनके कारणों और प्रभावों को गहराई से समझना है, न कि केवल उन्हें मापना। यह लोगों के अनुभवों, दृष्टिकोणों और सामाजिक संदर्भों पर केंद्रित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके तरीकों में साक्षात्कार (interviews), समूह चर्चा (focus groups), नृवंशविज्ञान (ethnography) और केस स्टडी (case studies) शामिल हैं। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का उत्तर देने का प्रयास करता है।
- गलत विकल्प: (b), (c), और (d) मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) के उद्देश्य हैं, जो संख्याओं और सांख्यिकीय विश्लेषण पर निर्भर करता है।
प्रश्न 15: जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) ने अपने ‘औपचारिक समाजशास्त्र’ (Formal Sociology) में व्यक्तियों के बीच सामाजिक अंतःक्रियाओं के विभिन्न ‘रूपों’ (Forms) का विश्लेषण किया। उन्होंने दो या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह के आकार के आधार पर होने वाली अंतःक्रियाओं पर विशेष ध्यान दिया। इनमें से कौन सा जोड़ी (Pair) समूह के आकार के आधार पर सिमेल द्वारा वर्णित एक रूप है?
- डायड (Dyad)
- प्राथमिक समूह (Primary Group)
- द्वितीयक समूह (Secondary Group)
- विस्तारित परिवार (Extended Family)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक समूहों को उनके ‘रूप’ के आधार पर वर्गीकृत किया। उन्होंने ‘डायड’ (Dyad) को दो व्यक्तियों के बीच की सीधी और अंतरंग अंतःक्रिया के रूप में वर्णित किया, और ‘ट्रायड’ (Triad) को तीन व्यक्तियों के समूह में होने वाली अधिक जटिल अंतःक्रिया के रूप में।
- संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने इन आकृतियों के सामाजिक गतिशास्त्र (Social Dynamics) का विश्लेषण किया। उदाहरण के लिए, डायड में, सदस्यों के बीच संबंध बहुत तीव्र होते हैं, जबकि ट्रायड में, एक तीसरा व्यक्ति मध्यस्थ, विभाजक या सहयोगी की भूमिका निभा सकता है।
- गलत विकल्प: प्राथमिक समूह (Primary Group) और द्वितीयक समूह (Secondary Group) चार्ल्स कर्टन कूली (Charles Horton Cooley) की अवधारणाएँ हैं, जो अंतःक्रिया की प्रकृति पर आधारित हैं, समूह के आकार पर नहीं। विस्तारित परिवार एक पारिवारिक संरचना है।
प्रश्न 16: 19वीं सदी में भारत में हुए प्रमुख समाज सुधार आंदोलनों में से ‘ब्रह्म समाज’ (Brahmo Samaj) की स्थापना का श्रेय किसे दिया जाता है?
- राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy)
- स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati)
- सर सैयद अहमद खान (Sir Syed Ahmad Khan)
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ब्रह्म समाज की स्थापना 1828 में राजा राम मोहन राय ने की थी। यह एक एकेश्वरवादी (monotheistic) आंदोलन था जिसने मूर्ति पूजा, कर्मकांडों और जातिगत भेदभाव का विरोध किया, और महिलाओं के अधिकारों एवं शिक्षा का समर्थन किया।
- संदर्भ और विस्तार: राजा राम मोहन राय को ‘भारतीय नवजागरण का अग्रदूत’ भी कहा जाता है।
- गलत विकल्प: स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्य समाज’ की स्थापना की। सर सैयद अहमद खान ने ‘अलीगढ़ आंदोलन’ का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की शिक्षा और सामाजिक सुधार था। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने भी विधवा पुनर्विवाह जैसे महत्वपूर्ण सुधारों की वकालत की।
प्रश्न 17: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, शिक्षा प्रणाली का एक प्रमुख कार्य क्या है?
- बच्चों का समाजीकरण (Socialization) और ज्ञान तथा कौशल का हस्तांतरण।
- समाज के लिए धार्मिक मान्यताओं को स्थापित करना।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देना।
- उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण स्थापित करना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, शिक्षा को समाजीकरण की एक प्राथमिक संस्था के रूप में देखा जाता है। यह बच्चों को समाज के मूल्यों, मानदंडों, विश्वासों और व्यवहारों को सिखाती है। साथ ही, यह उन्हें कार्यबल में प्रवेश के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: डेविस और मूर (Davis and Moore) ने शिक्षा को सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) और योग्यता (Meritocracy) के तंत्र के रूप में देखा। बाउल्स और गिंटिस (Bowles & Gintis) ने इसे ‘पदानुक्रम की पुनरुत्पादन’ (Reproduction of Hierarchy) के साधन के रूप में विश्लेषित किया।
- गलत विकल्प: (b) धार्मिक मान्यताएँ धर्म का कार्य हैं। (c) व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक पहलू है, लेकिन प्राथमिक कार्य नहीं। (d) उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण अर्थव्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था से संबंधित है।
प्रश्न 18: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Conscience) का क्या अर्थ है?
- समाज के सदस्यों के बीच साझा विश्वासों, मूल्यों, नैतिकता और दृष्टिकोणों का कुल योग, जो समाज को एक एकीकृत इकाई के रूप में बांधता है।
- व्यक्तिगत चेतना का एकत्रीकरण।
- समाज पर राजनीतिक नेतृत्व का प्रभाव।
- सामाजिक परिवर्तन की सामूहिक इच्छा।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Conscience) को समाज के सदस्यों के साझा विचारों, भावनाओं और आकांक्षाओं के समुच्चय के रूप में परिभाषित किया। यह वह नैतिक और वैचारिक ढाँचा है जो व्यक्तियों को एक साथ जोड़ता है और सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) बनाए रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा ‘The Division of Labour in Society’ में महत्वपूर्ण है, जहाँ दुर्खीम बताते हैं कि सरल समाजों में सामूहिक चेतना अधिक मजबूत होती है (मैकेनिकल सॉलिडैरिटी), जबकि जटिल समाजों में यह कमजोर हो जाती है (ऑर्गेनिक सॉलिडैरिटी)।
- गलत विकल्प: (b) यह व्यक्तिगत चेतना का योग मात्र नहीं है, बल्कि उससे अधिक है। (c) यह राजनीतिक नेतृत्व का प्रभाव नहीं है, बल्कि समाज के सदस्यों का सामूहिक बोध है। (d) यह केवल परिवर्तन की इच्छा नहीं, बल्कि संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था का आधार है।
प्रश्न 19: मैक्स वेबर ने ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) को आधुनिक समाज की एक कुशल और तर्कसंगत संगठनात्मक व्यवस्था के रूप में वर्णित किया। उनके ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की नौकरशाही की निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता नहीं है?
- पदानुक्रमित अधिकार संरचना (Hierarchical Authority Structure)
- स्पष्ट रूप से परिभाषित नियम और प्रक्रियाएं (Clearly Defined Rules and Procedures)
- व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित निर्णय-प्रक्रिया (Decision-making based on Personal Relationships)
- विशेषज्ञता और श्रम का विभाजन (Specialization and Division of Labour)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: वेबर के आदर्श प्रकार की नौकरशाही की मुख्य विशेषताओं में पदानुक्रम, लिखित नियम, श्रम का विभाजन, योग्यता के आधार पर नियुक्ति, और सबसे महत्वपूर्ण, अवैयक्तिक (impersonal) या निष्पक्ष (impersonal) व्यवहार शामिल हैं। व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित निर्णय-प्रक्रिया नौकरशाही की कार्यकुशलता और निष्पक्षता को कमजोर करती है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि नौकरशाही तर्कसंगत-कानूनी अधिकार (Rational-Legal Authority) का सबसे शुद्ध रूप है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी वेबर की आदर्श नौकरशाही की प्रमुख विशेषताएँ हैं। (c) व्यक्तिगत संबंध नौकरशाही की अवैयक्तिकता (Impersonality) के सिद्धांत के विपरीत हैं।
प्रश्न 20: रॉबर्ट रेडफील्ड (Robert Redfield) ने ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच एक निरंतरता (Continuity) का सुझाव दिया। उनकी ‘ग्रामीण-शहरी निरंतरता’ (Rural-Urban Continuum) की अवधारणा निम्नलिखित में से क्या बताती है?
- ग्रामीण और शहरी जीवनशैली के बीच एक क्रमिक परिवर्तन, जहाँ दोनों के बीच कुछ समानताएं और भिन्नताएं मौजूद होती हैं।
- शहरीकरण की प्रक्रिया में ग्रामीण समुदायों का पूर्ण विलोपन।
- केवल भौगोलिक निकटता के आधार पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का वर्गीकरण।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट रेडफील्ड ने ‘ग्रामीण-शहरी निरंतरता’ (Rural-Urban Continuum) की अवधारणा के माध्यम से समझाया कि कोई भी समुदाय पूरी तरह से ‘ग्रामीण’ या ‘शहरी’ नहीं होता, बल्कि यह एक स्पेक्ट्रम (spectrum) पर स्थित होता है। जैसे-जैसे समुदाय शहरीकरण की ओर बढ़ता है, उसमें शहरी विशेषताएँ आती जाती हैं, लेकिन कुछ ग्रामीण विशेषताएँ बनी रह सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘फोल्क सोसाइटी’ (Folk Society) की अवधारणा भी दी, जो अत्यधिक पारंपरिक और छोटे पैमाने के ग्रामीण समुदायों का प्रतिनिधित्व करती है, और शहरी समुदायों को इसके विपरीत रखा।
- गलत विकल्प: (b) रेडफील्ड ने पूर्ण विलोपन का नहीं, बल्कि परिवर्तन का सुझाव दिया। (c) यह केवल भौगोलिक निकटता का मामला नहीं है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विशेषताओं का है। (d) रेडफील्ड के अनुसार, अंतर महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन वह एक निरंतरता देखते हैं, एक द्विभाजन (dichotomy) नहीं।
प्रश्न 21: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के अध्ययन में, ‘निरपेक्ष गरीबी’ (Absolute Poverty) और ‘सापेक्ष गरीबी’ (Relative Poverty) के बीच मुख्य अंतर क्या है?
- निरपेक्ष गरीबी वह है जब व्यक्ति अपनी बुनियादी आवश्यकताओं (भोजन, आश्रय, वस्त्र) को पूरा करने में असमर्थ होता है, जबकि सापेक्ष गरीबी समाज के औसत जीवन स्तर की तुलना में कम आय होने से संबंधित है।
- निरपेक्ष गरीबी का संबंध समाज के धनवान वर्ग से है, जबकि सापेक्ष गरीबी का संबंध निम्न वर्ग से है।
- निरपेक्ष गरीबी एक व्यक्ति की अपनी इच्छाओं पर निर्भर करती है, जबकि सापेक्ष गरीबी बाहरी परिस्थितियों पर।
- निरपेक्ष गरीबी सभी समाजों में समान होती है, जबकि सापेक्ष गरीबी समाज-विशिष्ट होती है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘निरपेक्ष गरीबी’ (Absolute Poverty) का अर्थ है जीवन जीने के लिए आवश्यक बुनियादी जरूरतों (जैसे भोजन, स्वच्छ पानी, आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल) की कमी। यह एक वस्तुनिष्ठ और सार्वभौमिक मानदंड पर आधारित होती है। ‘सापेक्ष गरीबी’ (Relative Poverty) का अर्थ है किसी समाज के औसत आय या जीवन स्तर की तुलना में कम आय या संसाधनों का होना। यह समाज-विशिष्ट है।
- संदर्भ और विस्तार: विश्व बैंक जैसे संगठन अक्सर निरपेक्ष गरीबी के माप के लिए एक वैश्विक रेखा (जैसे $1.90 प्रति दिन) का उपयोग करते हैं। सापेक्ष गरीबी सामाजिक असमानता के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: (b) दोनों प्रकार की गरीबी निम्न वर्ग से अधिक संबंधित होती हैं, लेकिन धनवान वर्ग की सापेक्ष गरीबी भी हो सकती है। (c) इच्छाएँ व्यक्तिपरक हैं, जबकि गरीबी के मापदंड वस्तुनिष्ठ या सामाजिक रूप से परिभाषित होते हैं। (d) निरपेक्ष गरीबी के मानक भी बदल सकते हैं, और सापेक्ष गरीबी हमेशा समाज-विशिष्ट होती है।
प्रश्न 22: अगस्ट कॉम्टे (Auguste Comte) ने मानव समाज के विकास के तीन प्रमुख चरणों का वर्णन किया। निम्नलिखित में से कौन सा इन तीन चरणों में से एक नहीं है?
- धार्मिक/काल्पनिक चरण (Theological/Fictitious Stage)
- अमूर्त/दार्शनिक चरण (Abstract/Philosophical Stage)
- वैज्ञानिक/प्रत्यक्षवादी चरण (Scientific/Positive Stage)
- सामंतवादी चरण (Feudal Stage)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अगस्ट कॉम्टे ने अपने ‘तीन अवस्थाओं के नियम’ (Law of Three Stages) में समाज के बौद्धिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास के चरणों का वर्णन किया: 1. धार्मिक या काल्पनिक चरण (Theological or Fictitious Stage), जहाँ घटनाओं की व्याख्या अलौकिक शक्तियों से की जाती है। 2. अमूर्त या दार्शनिक चरण (Metaphysical or Abstract Stage), जहाँ घटनाओं की व्याख्या अमूर्त ताकतों या विचारों से की जाती है। 3. वैज्ञानिक या प्रत्यक्षवादी चरण (Positive or Scientific Stage), जहाँ घटनाओं की व्याख्या अवलोकन, प्रयोग और वैज्ञानिक नियमों द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में स्थापित करने के उनके प्रयासों का हिस्सा था।
- गलत विकल्प: ‘सामंतवादी चरण’ (Feudal Stage) ऐतिहासिक कालक्रम का एक चरण है, न कि कॉम्टे द्वारा वर्णित बौद्धिक विकास का चरण।
प्रश्न 23: मैक्स वेबर ने शक्ति (Power) और प्राधिकार (Authority) के तीन मुख्य प्रकारों का उल्लेख किया जो समाज में वैधता (Legitimacy) पर आधारित होते हैं। निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रकार नहीं है?
- पारंपरिक प्राधिकार (Traditional Authority)
- करिश्माई प्राधिकार (Charismatic Authority)
- तर्कसंगत-कानूनी प्राधिकार (Rational-Legal Authority)
- आर्थिक प्राधिकार (Economic Authority)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकारों का वर्णन किया जो वैधता पर आधारित होते हैं: 1. पारंपरिक प्राधिकार (Traditional Authority), जो परंपराओं और आदतों पर आधारित होता है (जैसे राजशाही)। 2. करिश्माई प्राधिकार (Charismatic Authority), जो नेता के असाधारण गुणों और उसके अनुयायियों के विश्वास पर आधारित होता है (जैसे संत, पैगंबर)। 3. तर्कसंगत-कानूनी प्राधिकार (Rational-Legal Authority), जो नियमों, विधियों और एक तर्कसंगत प्रणाली पर आधारित होता है (जैसे आधुनिक नौकरशाही, लोकतंत्र)।
- संदर्भ और विस्तार: ये प्रकार बताते हैं कि लोग क्यों कुछ व्यक्तियों या संस्थाओं के आदेशों का पालन करते हैं।
- गलत विकल्प: ‘आर्थिक प्राधिकार’ (Economic Authority) वेबर द्वारा सूचीबद्ध प्राधिकार के प्रकारों में से एक नहीं है; आर्थिक शक्ति अन्य प्रकार के प्राधिकारों से प्रभावित हो सकती है।
प्रश्न 24: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा भारतीय जनजातियों के संदर्भ में ‘नेटिविज्म’ (Nativism) की अवधारणा को अक्सर किस प्रकार के आंदोलनों के वर्णन के लिए उपयोग किया गया है?
- ऐसे आंदोलन जिनमें जनजातीय समूह बाहरी लोगों, विशेषकर उन लोगों के प्रति विरोध व्यक्त करते हैं जिन्होंने उनकी भूमि या संसाधनों पर कब्जा कर लिया है।
- ऐसे आंदोलन जिनका उद्देश्य जनजातियों का मुख्यधारा के समाज में पूर्ण एकीकरण करना है।
- ऐसे आंदोलन जो केवल पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों को बनाए रखने पर केंद्रित हैं।
- ऐसे आंदोलन जो औद्योगिक विकास का समर्थन करते हैं।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘नेटिविज्म’ (Nativism) शब्द का प्रयोग अक्सर उन आंदोलनों के लिए किया जाता है जिनमें किसी समूह के सदस्य, विशेष रूप से आदिवासी या औपनिवेशिक संदर्भों में, उन बाहरी लोगों या उनकी संस्कृति के प्रति विरोध व्यक्त करते हैं जिन्होंने उनकी जीवन शैली, भूमि या संसाधनों पर आक्रमण किया है या उन्हें खतरा पैदा किया है। यह एक प्रकार का पहचान-आधारित प्रतिरोध है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संदर्भ में, कई आदिवासी विद्रोहों को नेटिविस्ट आंदोलनों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जहाँ आदिवासियों ने बाहरी शोषकों (जैसे साहूकार, जमींदार, औपनिवेशिक अधिकारी) के खिलाफ संघर्ष किया।
- गलत विकल्प: (b) नेटिविज्म का मुख्य उद्देश्य मुख्यधारा में एकीकरण नहीं, बल्कि अपनी अस्मिता और भूमि की रक्षा है। (c) यह केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापक सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को भी शामिल करता है। (d) ऐसे आंदोलन अक्सर औद्योगिक विकास के विरोधी होते हैं यदि वह उनकी पारंपरिक जीवन शैली के लिए खतरा हो।
प्रश्न 25: चार्ल्स कूले (Charles Horton Cooley) ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा प्रस्तुत की। इसके अनुसार, हमारा आत्म-सम्प्रत्यय (Self-concept) कैसे विकसित होता है?
- हम दूसरों के बारे में क्या सोचते हैं, इसके आधार पर, और वे हमारे बारे में क्या सोचते हैं, इसके आधार पर।
- हमारे अपने अनुभव और आत्म-चिंतन के माध्यम से।
- जन्मजात जैविक प्रवृत्तियों के माध्यम से।
- समाज द्वारा थोपे गए नियमों और दंडों के माध्यम से।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: चार्ल्स कूले ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) का विचार दिया, जिसका अर्थ है कि हमारा आत्म-सम्प्रत्यय (self-concept) हमारे सामाजिक अंतःक्रियाओं का एक उत्पाद है। यह तीन चरणों में विकसित होता है: 1. हम कल्पना करते हैं कि दूसरे हमें कैसे देखते हैं, 2. हम कल्पना करते हैं कि वे हमारे बारे में क्या निर्णय लेते हैं, और 3. हम उस निर्णय के आधार पर अपने बारे में भावनाएँ (जैसे गर्व या शर्म) विकसित करते हैं। यह मूल रूप से दूसरों की प्रतिक्रियाओं का आईना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा कूले की पुस्तक ‘Human Nature and the Social Order’ में पाई जाती है और प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- गलत विकल्प: (b) आत्म-चिंतन महत्वपूर्ण है, लेकिन लुकिंग-ग्लास सेल्फ में ‘दूसरों की धारणा’ केंद्रीय है। (c) जन्मजात जैविक प्रवृत्तियाँ आत्म-विकास का केवल एक पहलू हैं। (d) नियम और दंड समाजीकरण का हिस्सा हैं, लेकिन लुकिंग-ग्लास सेल्फ व्यक्तिपरक आत्म-बोध पर केंद्रित है जो दूसरों की प्रतिक्रियाओं से निर्मित होता है।