समाजशास्त्र मंथन: अपनी पकड़ मज़बूत करें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज के विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। यह सत्र आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को परखने और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए आपकी वैचारिक स्पष्टता को निखारने का एक अनूठा अवसर है। अपने ज्ञान की धार तेज़ करें और हर प्रश्न के साथ अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: कार्ल मार्क्स के अनुसार, समाज में वर्ग संघर्ष का मुख्य कारण क्या है?
- सांस्कृतिक भिन्नता
- उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व
- धर्म का प्रभाव
- राजनीतिक शक्ति का असमान वितरण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धांत के अनुसार, समाज में वर्ग संघर्ष का मूल कारण उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, कारखाने, मशीनें) पर स्वामित्व को लेकर बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच का अंतर्विरोध है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी पुस्तक ‘दास कैपिटल’ में विस्तार से बताया है कि कैसे पूंजीपति वर्ग शोषण के माध्यम से अधिशेष मूल्य (surplus value) को नियंत्रित करता है, जिससे श्रमिकों का अलगाव (alienation) बढ़ता है और अंततः वर्ग संघर्ष को जन्म मिलता है।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक भिन्नता, धर्म का प्रभाव, या राजनीतिक शक्ति का असमान वितरण भी सामाजिक तनाव के कारक हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के केंद्रीय सिद्धांत के अनुसार, ये उत्पादन संबंधों से उत्पन्न होने वाले वर्ग संघर्ष के प्राथमिक कारण नहीं हैं।
प्रश्न 2: निम्न में से किस समाजशास्त्री ने “संस्थानीकरण” (Institutionalization) की अवधारणा विकसित की?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- टी. पार्सन्स
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: तालकॉट पार्सन्स ने “संस्थानीकरण” की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे व्यवहार के प्रतिमान (patterns of behavior) सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा बन जाते हैं, जिन्हें व्यक्ति आंतरिक कर लेते हैं और जो समूह के लिए ‘सामान्य’ माने जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के अनुसार, जब कोई व्यवहार या विचार समाज में बार-बार दोहराया जाता है और स्वीकृत हो जाता है, तो वह एक संस्था का रूप ले लेता है। यह सामाजिक व्यवस्था और निरंतरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकता’ (social solidarity) और ‘अनोमी’ (anomie) जैसी अवधारणाएँ दीं। मैक्स वेबर ने ‘कर्म की आदर्श बनावट’ (ideal types) और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया। रॉबर्ट ई. पार्क ने शहरी समाजशास्त्र में योगदान दिया।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की नहीं है?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- पेशागत विशिष्टता
- जातिगत बहिर्विवाह (Exogamy)
- जातिगत सोपान (Hierarchy)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 4: “आधुनिकता” (Modernity) की अवधारणा को निम्न में से किसने सामाजिक विकास के एक चरण के रूप में देखा?
- हारबर्ट स्पेंसर
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- डेविड एम. पोटर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: मैक्स वेबर ने आधुनिकता को तर्कसंगतता (rationality), नौकरशाही (bureaucracy) और पूंजीवाद (capitalism) के उदय से जोड़ा, जिसे उन्होंने यूरोपीय समाज के विकास के एक महत्वपूर्ण चरण के रूप में विश्लेषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का कार्य, विशेष रूप से “द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म”, यह दर्शाता है कि कैसे धार्मिक विश्वासों ने तर्कसंगत आर्थिक व्यवहार और आधुनिक पूंजीवाद के विकास को बढ़ावा दिया। उन्होंने नौकरशाही को आधुनिक राज्य की एक प्रमुख विशेषता माना।
- गलत विकल्प: हारबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास को सरल से जटिल की ओर एक विकासवादी प्रक्रिया के रूप में देखा (विकासवाद)। कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद को वर्ग संघर्ष का परिणाम माना। डेविड एम. पोटर ने अमेरिकी समाज पर काम किया।
प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, “अनोमी” (Anomie) का तात्पर्य किस स्थिति से है?
- व्यक्ति का समाज से अलगाव
- सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का कमजोर पड़ जाना
- वर्ग चेतना का अभाव
- प्रतिस्पर्धा की भावना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: दुर्खीम ने ‘अनोमी’ शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जब समाज में सामूहिक चेतना (collective conscience) कमजोर हो जाती है, सामाजिक नियम और मूल्य अनिश्चित हो जाते हैं, और व्यक्तियों को कोई दिशा-निर्देश नहीं मिलता।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” और “सुसाइड” में अनोमी को आत्महत्या के एक कारण के रूप में भी विश्लेषण किया। यह विशेष रूप से सामाजिक परिवर्तनों या संकटों के समय उत्पन्न हो सकती है।
- गलत विकल्प: व्यक्ति का समाज से अलगाव मार्क्सवाद से संबंधित है (alienation)। वर्ग चेतना का अभाव मार्क्स के सिद्धांत का हिस्सा है। प्रतिस्पर्धा की भावना आधुनिक समाजों में पाई जाती है, लेकिन यह अनोमी का सीधा अर्थ नहीं है।
प्रश्न 6: निम्न में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति व्यक्तिपरक समझ (Subjective Understanding) पर जोर देती है?
- प्रत्यक्षवाद (Positivism)
- व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: व्याख्यात्मक समाजशास्त्र, जिसे अक्सर ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) से जोड़ा जाता है, समाजशास्त्रियों से आग्रह करता है कि वे सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तियों के व्यक्तिपरक अर्थों, इरादों और प्रेरणाओं को समझें।
- संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रस्तावक थे। उनका मानना था कि सामाजिक घटनाओं को केवल बाहरी अवलोकनों से नहीं समझा जा सकता, बल्कि उन अर्थों को समझना आवश्यक है जो व्यक्ति अपनी क्रियाओं को देते हैं।
- गलत विकल्प: प्रत्यक्षवाद (Auguste Comte, Durkheim) प्राकृतिक विज्ञानों की विधियों को लागू करके वस्तुनिष्ठता पर जोर देता है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद और संघर्ष सिद्धांत सामाजिक संरचनाओं और प्रक्रियाओं के विश्लेषण पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
प्रश्न 7: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- विलियम ग्राहम समनर
- एल्बियन स्मॉल
- ऑगस्ट कॉम्ते
- विलियम एफ. ओगबर्न
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: विलियम एफ. ओगबर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक “सोशल चेंज” में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा पेश की। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (भौतिक वस्तुएं, तकनीक) अभौतिक संस्कृति (मान्यताएं, मूल्य, नैतिकता) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में सामंजस्य की कमी होती है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने बताया कि समाज को तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई होती है, जिससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, नई तकनीक का आविष्कार होता है, लेकिन उसके उपयोग को लेकर नैतिक और कानूनी नियम बाद में विकसित होते हैं।
- गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने ‘लोकप्रिय प्रथाओं’ (folkways) और ‘रूढ़ियों’ (mores) के बीच अंतर किया। एल्बियन स्मॉल पहले अमेरिकी समाजशास्त्री थे। ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है।
प्रश्न 8: जाति व्यवस्था के संदर्भ में, “पवित्रता और प्रदूषण” (Purity and Pollution) का सिद्धांत किससे संबंधित है?
- आर्थिक असमानता
- सामाजिक गतिशीलता
- अंतर्क्रियात्मक संबंध
- जातिगत सोपान और अलगाव
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: “पवित्रता और प्रदूषण” की अवधारणाएं जाति व्यवस्था की संरचना और क्रियाविधि को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह उच्च जातियों की ‘शुद्धता’ और निम्न जातियों की ‘अशुद्धता’ के विचार पर आधारित है, जो उनके बीच सामाजिक संपर्क, खान-पान और विवाह संबंधी नियमों को निर्धारित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: मैरी डगलस ने अपनी पुस्तक “Purity and Danger” में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया, लेकिन भारतीय संदर्भ में एम.एन. श्रीनिवास और अन्य समाजशास्त्रियों ने जातिगत पदानुक्रम को बनाए रखने में इसकी भूमिका को उजागर किया।
- गलत विकल्प: यह आर्थिक असमानता, सामाजिक गतिशीलता या केवल अंतर्क्रियात्मक संबंधों से अधिक व्यापक है; यह पूरी जातिगत व्यवस्था के आधारभूत तर्कों में से एक है।
प्रश्न 9: निम्नांकित में से कौन सा कथन “आत्मीयता समूह” (Primary Group) के लिए सबसे उपयुक्त है?
- यह बड़े, अवैयक्तिक और उद्देश्य-केंद्रित होते हैं।
- इनमें सदस्य एक-दूसरे को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और भावनात्मक बंधन साझा करते हैं।
- इनके सदस्य औपचारिक नियमों और विनियमों से बंधे होते हैं।
- ये आमतौर पर सार्वजनिक जीवन में पाए जाते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: चार्ल्स कूले ने “आत्मीयता समूह” की अवधारणा पेश की। ये वे समूह होते हैं जिनमें सदस्य आमने-सामने, घनिष्ठ और दीर्घकालिक संबंधों में संलग्न होते हैं, जहाँ वे एक-दूसरे के प्रति प्रेम, वफादारी और सुरक्षा की भावना रखते हैं। परिवार, मित्रों के समूह और पड़ोस इसके उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कूले के अनुसार, ये समूह व्यक्ति के सामाजिक विकास और व्यक्तित्व निर्माण के लिए मौलिक होते हैं।
- गलत विकल्प: बड़े, अवैयक्तिक और उद्देश्य-केंद्रित समूह ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Groups) कहलाते हैं। औपचारिक नियम द्वितीयक समूहों की विशेषता हैं, और सार्वजनिक जीवन में प्राथमिक समूह और द्वितीयक समूह दोनों पाए जा सकते हैं।
प्रश्न 10: “प्रत्यक्षीकरण” (Manifest Function) और “अप्रत्याशित प्रकार्य” (Latent Function) की अवधारणाएँ किसने विकसित कीं?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- रॉबर्ट के. मर्टन
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: रॉबर्ट के. मर्टन ने संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) में योगदान करते हुए इन अवधारणाओं को पेश किया। प्रत्यक्षीकरण सामाजिक व्यवस्था के वे स्पष्ट और अपेक्षित परिणाम हैं जो समाज के सदस्य स्वीकार करते हैं, जबकि अप्रत्याशित प्रकार्य वे अनपेक्षित और अक्सर अज्ञात परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने यह भी बताया कि सामाजिक प्रथाओं के प्रत्यक्षीकरण प्रकार्य, अप्रत्याशित प्रकार्य या अप्रकार्य (Dysfunctions) हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसी शैक्षिक संस्थान का प्रत्यक्षीकरण प्रकार्य ज्ञान प्रदान करना है, जबकि अप्रत्याशित प्रकार्य सामाजिक नेटवर्क का निर्माण करना हो सकता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स, दुर्खीम और वेबर समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण विचारक हैं जिनके अपने विशिष्ट सिद्धांत और अवधारणाएँ हैं।
प्रश्न 11: भारत में “हरिजन” शब्द का प्रयोग किसने किया?
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- एम. एन. श्रीनिवास
- महात्मा गांधी
- ई. वी. रामासामी पेरियार
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: महात्मा गांधी ने अस्पृश्यता के शिकार लोगों को “हरिजन” (ईश्वर के लोग) कहकर संबोधित किया, ताकि समाज में उनके प्रति सम्मान और समानता की भावना को बढ़ावा दिया जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि गांधीजी के इरादे नेक थे, यह शब्द बाद में कुछ दलित समुदायों द्वारा आपत्तिजनक माना गया क्योंकि यह एक बाहरी व्यक्ति द्वारा दिया गया लेबल था, और उन्होंने इसे अपनी अस्मिता के रूप में नहीं चुना। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने “दलित” (कुचले हुए) शब्द को बढ़ावा दिया।
- गलत विकल्प: डॉ. अम्बेडकर ने दलित समुदाय के सशक्तिकरण के लिए कार्य किया। एम. एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण जैसी अवधारणाएं दीं। पेरियार ने आत्म-सम्मान आंदोलन का नेतृत्व किया।
प्रश्न 12: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का अर्थ क्या है?
- समाज में लोगों का विभिन्न समूहों में विभाजन
- समाज में शक्ति और विशेषाधिकार का पदानुक्रमित वितरण
- सामाजिक गतिशीलता की प्रक्रिया
- समूहों के बीच अंतर्क्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: सामाजिक स्तरीकरण का तात्पर्य समाज के सदस्यों को आय, धन, शिक्षा, व्यवसाय, शक्ति और प्रतिष्ठा जैसे विभिन्न चरों के आधार पर एक पदानुक्रमित क्रम में व्यवस्थित करना है। इस व्यवस्था में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले समूहों को अधिक संसाधन और विशेषाधिकार मिलते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के प्रमुख सिद्धांत वर्ग (class), जाति (caste), स्थिति (status) और सत्ता (power) से संबंधित हैं। यह एक ऐसी व्यवस्था है जो पीढ़ी दर पीढ़ी बनी रहती है।
- गलत विकल्प: समाज में लोगों का विभाजन (a) केवल वर्गीकरण हो सकता है। सामाजिक गतिशीलता (c) स्तरीकरण की प्रक्रिया के भीतर संभव है, लेकिन यह स्तरीकरण का अर्थ नहीं है। अंतर्क्रिया (d) सामाजिक जीवन का एक पहलू है, लेकिन स्तरीकरण का मुख्य बिंदु संसाधनों का असमान वितरण है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा कथन “पूंजीवाद” (Capitalism) का केंद्रीय तत्व नहीं है?
- निजी संपत्ति का स्वामित्व
- बाजार अर्थव्यवस्था
- वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन लाभ कमाने के उद्देश्य से
- उत्पादन के साधनों पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: पूंजीवाद की मुख्य विशेषताएं निजी संपत्ति का स्वामित्व, मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था, और लाभ-उन्मुख उत्पादन हैं। इसके विपरीत, उत्पादन के साधनों पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण “समाजवाद” (Socialism) या “साम्यवाद” (Communism) जैसी आर्थिक प्रणालियों की विशेषता है।
- संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद की आलोचना की और इसे शोषणकारी व्यवस्था बताया। आधुनिक पूंजीवादी समाजों में भी राज्य की कुछ भूमिका हो सकती है, लेकिन “पूर्ण नियंत्रण” पूंजीवाद के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है।
- गलत विकल्प: a, b, और c पूंजीवाद के प्रमुख तत्व हैं।
प्रश्न 14: “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism) का क्या अर्थ है?
- सभी संस्कृतियाँ समान रूप से विकसित होती हैं।
- किसी संस्कृति को उसी संस्कृति के मानदंडों के आधार पर समझना चाहिए, न कि किसी अन्य संस्कृति के आधार पर।
- पश्चिमी संस्कृति अन्य सभी संस्कृतियों से श्रेष्ठ है।
- सांस्कृतिक प्रथाओं का मूल्यांकन सार्वभौमिक नैतिक मानकों के आधार पर किया जाना चाहिए।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: सांस्कृतिक सापेक्षवाद यह मानता है कि विभिन्न संस्कृतियों के अपने अद्वितीय मूल्य, विश्वास और प्रथाएं होती हैं, और उन्हें उसी संस्कृति के संदर्भ में समझा जाना चाहिए। इसका उद्देश्य किसी संस्कृति को उसकी अपनी आंतरिक तर्कसंगतता के आधार पर आंकना है, बजाय इसके कि उसे बाहरी (जैसे पश्चिमी) मानकों से परखा जाए।
- संदर्भ और विस्तार: फ्रैंज बोआस (Franz Boas) इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक थे। हालांकि, इसका दुरुपयोग “सांस्कृतिक सार्वभौमिकता” (cultural universalism) या “सांस्कृतिक साम्राज्यवाद” (cultural imperialism) के विपरीत है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) एक विकासवादी विचार है। विकल्प (c) “सांस्कृतिक श्रेष्ठतावाद” (cultural ethnocentrism) है। विकल्प (d) “सांस्कृतिक सार्वभौमिकता” की ओर इशारा करता है।
प्रश्न 15: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा किससे संबंधित है?
- व्यक्ति के आर्थिक संसाधन
- व्यक्ति के संबंध, नेटवर्क और विश्वास जो उसे लाभ पहुंचाते हैं
- सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान
- शारीरिक श्रम करने की क्षमता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो किसी व्यक्ति या समूह के पास उसके सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, विश्वास और पारस्परिकता के कारण उपलब्ध होते हैं। यह लोगों को सहयोग करने और सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
- संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डिउ (Pierre Bourdieu) ने इस अवधारणा को विकसित किया, जिसने बाद में रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विस्तार प्राप्त किया। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- गलत विकल्प: आर्थिक संसाधन (a) वित्तीय पूंजी हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा (c) सामाजिक स्थिति का हिस्सा है। शारीरिक श्रम (d) मानव पूंजी का एक पहलू हो सकता है।
प्रश्न 16: “आर्थिक विकास” (Economic Development) के संदर्भ में, “विकासशील राष्ट्र” (Developing Nations) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?
- उच्च प्रति व्यक्ति आय
- औद्योगिक उत्पादन का उच्च स्तर
- कृषि पर अत्यधिक निर्भरता और निम्न औद्योगिकरण
- व्यापक सामाजिक सुरक्षा जाल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: विकासशील राष्ट्रों की एक प्रमुख विशेषता आम तौर पर अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र (कृषि) पर अत्यधिक निर्भर होना, औद्योगिकीकरण का निम्न स्तर, कम प्रति व्यक्ति आय, और प्रायः व्यापक गरीबी और असमानता होती है।
- संदर्भ और विस्तार: वे अक्सर अविकसित बुनियादी ढांचे, उच्च बेरोजगारी दर और सामाजिक सेवाओं तक सीमित पहुंच जैसी चुनौतियों का भी सामना करते हैं।
- गलत विकल्प: उच्च प्रति व्यक्ति आय (a) और औद्योगिक उत्पादन का उच्च स्तर (b) विकसित राष्ट्रों की पहचान हैं। व्यापक सामाजिक सुरक्षा जाल (d) भी आमतौर पर विकसित देशों में पाए जाते हैं।
प्रश्न 17: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का क्या तात्पर्य है?
- समाज में व्यक्तियों की स्थिति में परिवर्तन
- सामाजिक समूहों के बीच संबंध
- सामाजिक मानदंडों का अनुपालन
- सामाजिक संरचना का विकास
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: सामाजिक गतिशीलता एक व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में समय के साथ होने वाले परिवर्तन को संदर्भित करती है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (एक ही स्तर पर एक पेशे से दूसरे में) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाजों में सामाजिक गतिशीलता की डिग्री भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, जाति व्यवस्था में गतिशीलता सीमित होती है, जबकि वर्ग-आधारित समाजों में अधिक होती है।
- गलत विकल्प: सामाजिक समूहों के बीच संबंध (b) सामाजिक अंतर्क्रिया है। सामाजिक मानदंडों का अनुपालन (c) सामाजिक नियंत्रण से संबंधित है। सामाजिक संरचना का विकास (d) सामाजिक परिवर्तन का एक व्यापक विचार है।
प्रश्न 18: “अभिजन सिद्धांत” (Elite Theory) का मुख्य विचार क्या है?
- समाज का नेतृत्व हमेशा सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा किया जाता है।
- शक्ति और नियंत्रण समाज के एक छोटे, विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के हाथों में केंद्रित होता है।
- लोकतंत्र सभी के लिए समान अवसर प्रदान करता है।
- सामाजिक परिवर्तन धीमी और क्रमिक प्रक्रिया है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: अभिजन सिद्धांतकार, जैसेVilfredo Pareto, Gaetano Mosca, और C. Wright Mills, तर्क देते हैं कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक हो, सत्ता और निर्णय लेने की शक्ति कुछ व्यक्तियों या समूहों (अभिजन) के हाथों में केंद्रित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: मिल्स ने अपनी पुस्तक “द पावर एलीट” में अमेरिकी समाज में राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक अभिजन के बीच गठजोड़ का विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) योग्यतावाद (meritocracy) की ओर इशारा करता है। विकल्प (c) लोकतंत्र के आदर्शों का वर्णन करता है। विकल्प (d) विकासवादी सिद्धांतों से संबंधित है।
प्रश्न 19: “बी. आर. अम्बेडकर” ने भारतीय समाज में किन प्रमुख बुराइयों की पहचान की और उन्हें दूर करने का प्रयास किया?
- केवल गरीबी
- जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता
- क्षेत्रीय असमानता
- धार्मिक कट्टरता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने अपना जीवन भारतीय समाज में जाति व्यवस्था, अस्पृश्यता और उससे उत्पन्न होने वाले भेदभाव को समाप्त करने के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने संविधान के माध्यम से सामाजिक न्याय और समानता की वकालत की।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक “जाति का उन्मूलन” (Annihilation of Caste) उनके विचारों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। उन्होंने दलितों के अधिकारों और शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: जबकि गरीबी (a), क्षेत्रीय असमानता (c), और धार्मिक कट्टरता (d) भी भारतीय समाज की समस्याएं हैं, डॉ. अम्बेडकर का प्राथमिक ध्यान और सबसे महत्वपूर्ण योगदान जाति व्यवस्था के उन्मूलन पर था।
प्रश्न 20: “औद्योगिकीकरण” (Industrialization) का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- ग्रामीण जीवन शैली का सुदृढ़ीकरण
- पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का कमजोर पड़ना और शहरीकरण
- पारिवारिक संस्था का और अधिक विस्तार
- सामुदायिक भावना का बढ़ना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: औद्योगिकीकरण बड़े पैमाने पर उत्पादन, मशीनों के उपयोग और कारखानों की स्थापना की ओर ले जाता है, जिसके परिणामस्वरूप लोग रोजगार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं। इससे शहरीकरण बढ़ता है और परिवार जैसी पारंपरिक संस्थाओं के आकार, संरचना और कार्यप्रणाली में परिवर्तन आता है, साथ ही सामुदायिक भावना भी कमजोर हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर ने औद्योगिकीकरण को तर्कसंगतता और नौकरशाही के विकास से जोड़ा। एमिल दुर्खीम ने इसे ‘यांत्रिक एकता’ (mechanical solidarity) से ‘सावयवी एकता’ (organic solidarity) में संक्रमण के रूप में देखा, जिसमें श्रम का विभाजन बढ़ता है।
- गलत विकल्प: औद्योगिकीकरण से ग्रामीण जीवन शैली का सुदृढ़ीकरण नहीं, बल्कि अक्सर क्षरण होता है (a)। यह परिवार के विस्तार (c) के बजाय उसके संकुचन या परिवर्तन का कारण बनता है। सामुदायिक भावना (d) भी अक्सर शहरीकरण की वजह से कमजोर पड़ जाती है।
प्रश्न 21: “एकीकरण” (Integration) की प्रक्रिया से तात्पर्य है:
- समाज के विभिन्न हिस्सों का अलगाव
- समाज के विभिन्न तत्वों का एक साथ काम करने के लिए जुड़ना
- सांस्कृतिक विविधता का बढ़ना
- वर्ग संघर्ष का तीव्र होना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: सामाजिक एकीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज के विभिन्न अंग (जैसे संस्थाएं, समूह, व्यक्ति) आपस में मिलकर एक संगठित और सुसंगत समग्र इकाई बनाते हैं। यह सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
- संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता (social solidarity) पर जोर दिया, जो एकीकरण का ही एक रूप है।
- गलत विकल्प: अलगाव (a), सांस्कृतिक विविधता का बढ़ना (c) (यह बहुसंस्कृतिवाद हो सकता है, लेकिन एकीकरण नहीं), और वर्ग संघर्ष का तीव्र होना (d) एकीकरण की विरोधी प्रक्रियाएं हैं।
प्रश्न 22: “बहुसंस्कृतिवाद” (Multiculturalism) का मुख्य सिद्धांत क्या है?
- एक प्रमुख संस्कृति का सभी पर हावी होना
- विभिन्न संस्कृतियों का एक साथ सह-अस्तित्व और समान सम्मान
- किसी संस्कृति को श्रेष्ठ मानना
- सांस्कृतिक अनुकूलन को हतोत्साहित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: बहुसंस्कृतिवाद यह मानता है कि एक ही समाज में विभिन्न जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों के लोग सह-अस्तित्व में रह सकते हैं और अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचानों को बनाए रख सकते हैं, और उन्हें समान सम्मान तथा अधिकार मिलना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर उन समाजों में देखा जाता है जहाँ आप्रवासन (immigration) के कारण विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण होता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) सांस्कृतिक प्रभुत्व या श्रेष्ठतावाद का प्रतिनिधित्व करते हैं। (d) सांस्कृतिक अनुकूलन को प्रोत्साहित करना बहुसंस्कृतिवाद के विपरीत है।
प्रश्न 23: “ग्रामीण-शहरी सातत्य” (Rural-Urban Continuum) की अवधारणा को किसने प्रस्तावित किया?
- लुई वर्थ
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- टी. जी. मैकी (T.G. MacKey)
- विलियम एफ. ओगबर्न
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: रॉबर्ट रेडफील्ड ने अपनी “गाँव और शहर” (The Folk Society and the Urban Society) पर प्रारंभिक अध्ययनों में ग्रामीण और शहरी जीवन शैली के बीच एक सतत (continuum) संबंध का विचार प्रस्तुत किया, जहाँ एक छोर पर पूर्णतः ‘लोक समाज’ (folk society) और दूसरे छोर पर ‘शहरी समाज’ (urban society) होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने तर्क दिया कि समाज धीरे-धीरे लोक समाज से शहरी समाज की ओर बढ़ता है, और विभिन्न समाज इस सातत्य के विभिन्न बिंदुओं पर स्थित हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: लुई वर्थ ने शहरी जीवन के समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन ‘सातत्य’ का विचार रेडफील्ड का है। मैकी और ओगबर्न के कार्य अन्य क्षेत्रों से संबंधित हैं।
प्रश्न 24: “सामाजिक परिवर्तन” (Social Change) को परिभाषित करने के लिए, निम्न में से कौन सा कारक सबसे महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है?
- जनसंख्या वृद्धि
- तकनीकी प्रगति
- वर्ग संघर्ष
- रूढ़िवादी मानसिकता (Conservative Mindset)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: जनसंख्या वृद्धि, तकनीकी प्रगति और वर्ग संघर्ष सभी सामाजिक परिवर्तन के महत्वपूर्ण कारक हैं। जनसंख्या परिवर्तन से संसाधनों, सामाजिक संरचनाओं और मूल्यों पर दबाव पड़ता है। प्रौद्योगिकी नए तरीके और अवसर लाती है। वर्ग संघर्ष सामाजिक व्यवस्था को चुनौती देता है और परिवर्तन को गति दे सकता है। जबकि रूढ़िवादी मानसिकता परिवर्तन को धीमा कर सकती है, यह स्वयं परिवर्तन का एक ‘कारक’ नहीं है, बल्कि परिवर्तन के प्रति एक ‘प्रतिक्रिया’ है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक परिवर्तन की गति और दिशा इन कारकों की अंतःक्रिया पर निर्भर करती है।
- गलत विकल्प: a, b, और c सामाजिक परिवर्तन के स्थापित प्रेरक कारक हैं।
प्रश्न 25: “आत्म-सिद्धि” (Self-Actualization) की अवधारणा समाजशास्त्रीय रूप से किससे संबंधित है?
- अब्राहम मैस्लो (मनोविज्ञान)
- एरिक फ्रोम (मनोविश्लेषण/समाजशास्त्र)
- कार्ल रोजर्स (मनोविज्ञान)
- हरबर्ट ब्लूमर (प्रतीकात्मक अंतर्क्रियावाद)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही क्यों: जबकि अब्राहम मैस्लो और कार्ल रोजर्स ने मनोविज्ञान में आत्म-सिद्धि की अवधारणा को गहराई से विकसित किया, एरिक फ्रोम जैसे समाजशास्त्री और मनोविश्लेषक ने भी इसे सामाजिक संदर्भ में व्याख्यायित किया। फ्रोम ने तर्क दिया कि समाज और संस्कृति व्यक्ति की आत्म-सिद्धि की क्षमता को बढ़ावा या बाधित कर सकते हैं। हरबर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतर्क्रियावाद के संस्थापक थे।
- संदर्भ और विस्तार: फ्रोम के लिए, आत्म-सिद्धि स्वस्थ व्यक्तित्व विकास और समाज में व्यक्ति के पूर्ण योगदान से जुड़ी थी।
- गलत विकल्प: मैस्लो और रोजर्स मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक हैं, हालांकि उनके विचार समाजशास्त्र को प्रभावित करते हैं। ब्लूमर का कार्य आत्म-सिद्धि पर केंद्रित नहीं था।
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