समाजशास्त्र मंथन: अपनी तैयारी को परखें!
नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्रियों! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार हो जाइए। यह 25 प्रश्नों का मॉक टेस्ट आपकी परीक्षा की तैयारी को एक नई दिशा देगा। आइए, अपनी ज्ञान की गहराई को परखें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) की अवधारणा को किसने प्रतिपादित किया, जिसमें उन्होंने समाज को विभिन्न संस्थाओं, समूहों और उनकी अंतःक्रियाओं के एक जटिल ताने-बाने के रूप में देखा?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन, एक संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावादी (Structural-Functionalist) मानवविज्ञानी, ने “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को प्रमुखता से विकसित किया। उन्होंने समाज को अमूर्त सामाजिक संबंधों के समुच्चय के रूप में परिभाषित किया, जो व्यक्तियों के बीच स्थायी और आवर्ती अंतःक्रियाओं से बनते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: रेडक्लिफ-ब्राउन के अनुसार, सामाजिक संरचना समाज के स्थायित्व और व्यवस्था का आधार है। यह समाज की एक प्रकार की “मानसिक छवि” है जो हमें यह समझने में मदद करती है कि समाज कैसे संगठित होता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक संरचना को उत्पादन के साधनों और वर्ग संबंधों पर आधारित माना। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया (Social Action) और उसकी विषयपरक समझ पर जोर दिया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता (Social Solidarity) और सामाजिक तथ्यों (Social Facts) पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम से संबंधित है, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर होने या अनुपस्थित होने की स्थिति को दर्शाती है?
- अलगाव (Alienation)
- संघर्ष (Conflict)
- अराजकता/विसंगति (Anomie)
- अन्यंत्रीकरण (Othering)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने “अराजकता” या “विसंगति” (Anomie) की अवधारणा को अपने कार्यों, विशेषकर ‘आत्महत्या’ (Suicide) में विकसित किया। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ पारंपरिक सामाजिक नियम और मूल्य अप्रचलित हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब समाज में तीव्र परिवर्तन या सामाजिक नियंत्रण में कमी आती है। वे इसे आत्महत्या के एक प्रमुख कारण के रूप में देखते हैं।
- गलत विकल्प: अलगाव (Alienation) कार्ल मार्क्स की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। संघष (Conflict) संघर्ष सिद्धांत का केंद्रीय विचार है। अन्यंत्रीकरण (Othering) समाजशास्त्र और नृविज्ञान में दूसरों को ‘अन्य’ के रूप में परिभाषित करने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 3: जी. एच. मीड (G. H. Mead) द्वारा विकसित “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के सिद्धांत के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच क्या संबंध है?
- ‘मैं’ आत्म का सामाजिक रूप है, जबकि ‘मुझे’ आत्म का व्यक्तिगत और प्रतिक्रियाशील पहलू है।
- ‘मैं’ आत्म का व्यक्तिगत और प्रतिक्रियाशील पहलू है, जबकि ‘मुझे’ आत्म का सामाजिक रूप है।
- ‘मैं’ और ‘मुझे’ आत्म के दो भिन्न और स्वतंत्र पहलू हैं।
- ‘मैं’ सामाजिक अंतःक्रिया से पहले आता है, जबकि ‘मुझे’ बाद में।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जी. एच. मीड के अनुसार, ‘मैं’ (I) आत्म का वह हिस्सा है जो प्रतिक्रियाशील, सहज और व्यक्तिगत होता है। यह हमारी अपनी क्रियाओं के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है। ‘मुझे’ (Me) आत्म का वह हिस्सा है जो समाज द्वारा समाजीकृत होता है; यह दूसरों की अपेक्षाओं और दृष्टिकोणों का आंतरिककरण है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का मानना था कि आत्म (Self) एक सामाजिक उत्पाद है जो अंतःक्रिया की प्रक्रिया में विकसित होता है। ‘मुझे’ पहले विकसित होता है और ‘मैं’ पर प्रतिक्रिया करता है, जिससे आत्म का निर्माण होता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) ‘मैं’ और ‘मुझे’ की भूमिकाओं को उलट देता है। विकल्प (c) उनके अंतर्संबंध को नजरअंदाज करता है। विकल्प (d) उनके कालानुक्रमिक संबंध को गलत प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 4: किस भारतीय समाजशास्त्री ने “संसकृतीकरण” (Sanskritization) की अवधारणा दी, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया है?
- एस. सी. दुबे
- एम. एन. श्रीनिवास
- ई. वी. रामास्वामी पेरियार
- आंद्रे बेतेई
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास, एक अग्रणी भारतीय समाजशास्त्री, ने “संसकृतीकरण” (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न हिंदू जातियाँ या जनजातियाँ या अन्य समूह किसी उच्च या द्विजाति (Dwija) की प्रथाओं, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विचारधाराओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रमुखता से आई। यह भारतीय समाज में जातिगत गतिशीलता (Caste Mobility) का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- गलत विकल्प: एस. सी. दुबे ने भारतीय गाँवों और जनजातियों पर महत्वपूर्ण कार्य किया। ई. वी. रामास्वामी पेरियार आत्म-सम्मान आंदोलन के नेता थे। आंद्रे बेतेई ने भारतीय समाज पर महत्वपूर्ण अध्ययन किए हैं।
प्रश्न 5: मैक्स वेबर के अनुसार, “कैरिस्मैटिक अथॉरिटी” (Charismatic Authority) का आधार क्या है?
- परंपरा और स्थापित अधिकार
- तर्कसंगत नियम और कानून
- नेता के असाधारण व्यक्तिगत गुण और करिश्मा
- नौकरशाही की निष्पक्षता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक (Traditional), तर्कसंगत-कानूनी (Rational-Legal), और करिश्माई (Charismatic)। करिश्माई सत्ता का आधार नेता के असाधारण व्यक्तिगत गुण, अलौकिक शक्ति, या चमत्कारी गुण होते हैं, जिनके प्रति अनुयायी श्रद्धा रखते हैं।
संदर्भ और विस्तार: वेबर ने यह भी नोट किया कि करिश्माई सत्ता अक्सर अल्पकालिक होती है क्योंकि यह नेता पर अत्यधिक निर्भर करती है और उसके मरने या क्षमता खोने पर समाप्त हो सकती है।
गलत विकल्प: (a) पारंपरिक सत्ता का आधार है। (b) तर्कसंगत-कानूनी सत्ता का आधार है। (d) तर्कसंगत-कानूनी सत्ता का एक पहलू है।
प्रश्न 6: किस समाजशास्त्री ने “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) को समाज के विभिन्न समूहों के बीच असमानता के व्यवस्थित वितरण के रूप में देखा, जो संसाधनों पर आधारित है?
- किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर
- रॉबर्ट मर्टन
- चार्ल्स कूली
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर ने “स्तरीकरण का प्रकार्यात्मक सिद्धांत” (Functional Theory of Stratification) प्रस्तुत किया। उनका तर्क था कि स्तरीकरण एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है जो समाज के कुशल कामकाज के लिए आवश्यक है।
संदर्भ और विस्तार: उन्होंने कहा कि समाज में कुछ पद दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होते हैं और उनके लिए उच्च योग्यता वाले व्यक्तियों को आकर्षित करने हेतु अधिक पुरस्कार (धन, प्रतिष्ठा, शक्ति) की आवश्यकता होती है।
गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने “मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत” (Middle-Range Theories) विकसित किए। चार्ल्स कूली ने “प्राथमिक समूह” (Primary Group) और “दर्पण-आत्म” (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी। इर्विंग गॉफमैन ने “नाटकशास्त्र” (Dramaturgy) सिद्धांत विकसित किया।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा परिवार का कार्य नहीं है, जैसा कि समाजशास्त्रियों द्वारा पारंपरिक रूप से पहचाना गया है?
- प्रजनन
- शिक्षा
- यौन विनियमन
- सामूहिक मनोरंजन
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: समाजशास्त्रियों द्वारा परिवार के पारंपरिक कार्यों में प्रजनन, बच्चों का समाजीकरण (शिक्षा), यौन संतुष्टि और विनियमन, आर्थिक सहायता, भावनात्मक समर्थन और सामाजिक स्थिति प्रदान करना शामिल है। सामूहिक मनोरंजन (Collective Entertainment) आमतौर पर परिवार का प्राथमिक या पारंपरिक कार्य नहीं माना जाता है, हालांकि यह एक माध्यमिक लाभ हो सकता है।
संदर्भ और विस्तार: मनोरंजन जैसे कार्य अब सिनेमा, खेल, या अन्य सार्वजनिक मंचों द्वारा अधिक प्रभावी ढंग से पूरे किए जाते हैं।
गलत विकल्प: प्रजनन, शिक्षा, और यौन विनियमन परिवार के स्थापित कार्य हैं।
प्रश्न 8: “जाति व्यवस्था” (Caste System) के संदर्भ में, “अंतर्विवाह” (Endogamy) का क्या अर्थ है?
- एक ही जाति के भीतर विवाह
- विभिन्न जातियों के बीच विवाह
- एक ही गोत्र में विवाह
- विवाह के लिए किसी भी समूह के भीतर स्वतंत्र चयन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: जाति व्यवस्था में, अंतर्विवाह (Endogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी ही जाति (या उप-जाति) के भीतर विवाह करना चाहिए। यह जाति व्यवस्था की एक केंद्रीय विशेषता है जो जाति की सीमा को बनाए रखने में मदद करती है।
संदर्भ और विस्तार: यह नियम सामाजिक गतिशीलता को सीमित करता है और जाति की पहचान को सुदृढ़ करता है।
गलत विकल्प: (b) अंतरजातीय विवाह (Exogamy) से संबंधित है। (c) गोत्र-बाह्य विवाह (Exogamy) से संबंधित है। (d) प्रेम विवाह या मुक्त विवाह (Free Marriage) की अवधारणाओं से मेल खाता है।
प्रश्न 9: पीटर बर्जर (Peter Berger) ने किस शब्द का प्रयोग “समाज को एक मानवीय निर्माण के रूप में” (Society as a Human Product) देखने के लिए किया, जहाँ समाज को मनुष्यों द्वारा बनाया जाता है और मनुष्य समाज द्वारा?
- सामाजिक तथ्य (Social Fact)
- सामाजिक विश्व (Social World)
- सामाजिक निर्माण (Social Construction)
- सामाजिक व्यवस्था (Social Order)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “द सोशल कंस्ट्रक्शन ऑफ रियलिटी” (The Social Construction of Reality) में “सामाजिक निर्माण” (Social Construction) की अवधारणा को विस्तार से समझाया। उनका तर्क है कि वास्तविकता, या कम से कम हमारी सामाजिक वास्तविकता, हमारे सामूहिक विश्वासों और अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होती है।
संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि समाज मनुष्यों द्वारा बनाया गया है, लेकिन फिर वह समाज मनुष्यों पर एक वस्तुनिष्ठ शक्ति के रूप में प्रकट होता है।
गलत विकल्प: सामाजिक तथ्य एमिल दुर्खीम की अवधारणा है। सामाजिक विश्व एक सामान्य शब्द है। सामाजिक व्यवस्था समाज की संरचना को संदर्भित करती है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) का एक अनौपचारिक साधन नहीं है?
- सार्वजनिक आलोचना
- अभिभावकों द्वारा डांट
- कानूनी दंड
- मित्रों का बहिष्कार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: सामाजिक नियंत्रण वे तरीके हैं जिनसे समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करता है। अनौपचारिक नियंत्रण (Informal Control) सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं पर आधारित होता है, और इसमें सार्वजनिक आलोचना, निंदा, उपहास, या बहिष्कार जैसे साधन शामिल होते हैं। कानूनी दंड (Legal Punishment) औपचारिक सामाजिक नियंत्रण का एक साधन है, क्योंकि यह राज्य या आधिकारिक निकायों द्वारा लागू किया जाता है।
संदर्भ और विस्तार: औपचारिक नियंत्रण में कानून, पुलिस, अदालतें और जेल शामिल हैं।
गलत विकल्प: सार्वजनिक आलोचना, अभिभावकों द्वारा डांट, और मित्रों का बहिष्कार अनौपचारिक नियंत्रण के उदाहरण हैं।
प्रश्न 11: “नगरीयता” (Urbanism) की अवधारणा, जो शहरी जीवन की विशिष्ट सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का वर्णन करती है, किससे जुड़ी है?
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
- रॉबर्ट पार्क
- लुईस विर्थ
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: लुईस विर्थ (Louis Wirth) ने अपने क्लासिक निबंध “शहरीवाद एक जीवन-पद्धति के रूप में” (Urbanism as a Way of Life) में नगरीयता की अवधारणा को परिभाषित किया। उन्होंने शहरी जीवन की विशिष्ट विशेषताओं जैसे कि जनसंख्या का घनत्व, आकार और विषमता को सामाजिक संबंधों के विखंडन, सतहीता और व्यक्तिवाद से जोड़ा।
संदर्भ और विस्तार: विर्थ का मानना था कि शहरी वातावरण में सामाजिक अंतःक्रियाएं अधिक अनाम, अस्थायी और द्वितीयक हो जाती हैं।
गलत विकल्प: दुर्खीम ने ग्रामीण और औद्योगिक समाजों में सामाजिक एकता का अध्ययन किया। सिमेल ने शहरी जीवन के मनोवैज्ञानिक प्रभावों का विश्लेषण किया, लेकिन विर्थ ने इसे एक व्यवस्थित सिद्धांत का रूप दिया। पार्क शिकागो स्कूल के प्रमुख व्यक्ति थे जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा “जाति व्यवस्था” (Caste System) की विशेषता नहीं है?
- खंडित स्तरीकरण (Segmental Division)
- पेशागत प्रतिबंध (Occupational Restrictions)
- गतिशीलता (Mobility)
- पवित्रता और प्रदूषण की धारणाएँ (Concepts of Purity and Pollution)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: जाति व्यवस्था को मुख्य रूप से उसकी कठोरता और सीमित गतिशीलता के लिए जाना जाता है। जबकि भारतीय समाज में कुछ हद तक गतिशीलता (विशेषकर संस्किृतीकरण के माध्यम से) देखी गई है, जाति व्यवस्था की अंतर्निहित प्रकृति गतिशीलता को बाधित करना है, न कि उसे बढ़ावा देना। खंडित स्तरीकरण, पेशागत प्रतिबंध, और पवित्रता-प्रदूषण की धारणाएँ जाति व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं हैं।
संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था व्यक्तियों को जन्म से ही विशिष्ट समूहों में विभाजित करती है, उनके व्यवसाय, सामाजिक संपर्क और विवाह को नियंत्रित करती है।
गलत विकल्प: गतिशीलता (Mobility) जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता नहीं है, बल्कि इसके विपरीत, यह गतिशीलता में बाधा डालती है।
प्रश्न 13: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने “निश्चित कार्यों” (Manifest Functions) और “अप्रकट कार्यों” (Latent Functions) के बीच अंतर किया। इनमें से कौन सा अप्रकट कार्य का एक उदाहरण है?
- विश्वविद्यालय का प्राथमिक कार्य छात्रों को शिक्षित करना है।
- स्कूलों का कार्य छात्रों को नागरिकता सिखाना है।
- सेना का कार्य देश की रक्षा करना है।
- संग्रहालयों का कार्य ऐतिहासिक कलाकृतियों का संरक्षण और प्रदर्शन करना है।
उत्तर: (e)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, निश्चित कार्य (Manifest Functions) वे उद्देश्यपूर्ण और स्वीकार्य परिणाम हैं जिन्हें कोई सामाजिक संरचना या संस्था उत्पन्न करती है। अप्रकट कार्य (Latent Functions) वे अनपेक्षित या अव्यक्त परिणाम हैं। उपरोक्त उदाहरणों में, एक भी अप्रकट कार्य का प्रत्यक्ष उदाहरण नहीं दिया गया है। एक अप्रकट कार्य का उदाहरण हो सकता है: विश्वविद्यालय में पढ़ने जाने वाले छात्र नए सामाजिक संबंध बनाते हैं, जो उनके भविष्य के करियर में सहायक हो सकते हैं (यह एक अप्रकट कार्य है, शिक्षा निश्चित कार्य है)। या, किसी शहर में किसी विशेष व्यवसाय के लिए आने वाले लोग उस शहर की सांस्कृतिक गतिविधियों में भी योगदान करते हैं। (यहां एक रिक्त विकल्प अपेक्षित था।)
संदर्भ और विस्तार: मर्टन का उद्देश्य प्रकार्यात्मकतावाद को अधिक परिष्कृत बनाना था, यह स्वीकार करते हुए कि सामाजिक संस्थाओं के अनपेक्षित परिणाम भी हो सकते हैं।
गलत विकल्प: दिए गए सभी विकल्प निश्चित कार्यों के उदाहरण हैं।
प्रश्न 14: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) के संदर्भ में, “अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता” (Intra-generational Mobility) का अर्थ है:
- एक व्यक्ति की जीवनकाल में उसकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
- एक परिवार की विभिन्न पीढ़ियों के बीच सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
- समाज के विभिन्न वर्गों के बीच व्यक्तियों का विनिमय।
- ऐतिहासिक कालखंडों में सामाजिक संरचनाओं में परिवर्तन।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intra-generational Mobility) किसी व्यक्ति के पूरे जीवनकाल में उसकी सामाजिक स्थिति में होने वाले परिवर्तनों को संदर्भित करती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो गरीब पैदा हुआ था लेकिन बड़ा होकर धनी बन गया।
संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता (Inter-generational Mobility) माता-पिता और उनकी संतानों के बीच सामाजिक स्थिति में बदलाव को मापती है।
गलत विकल्प: (b) अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता का वर्णन करता है। (c) एक अलग प्रकार की गतिशीलता को संदर्भित करता है। (d) सामाजिक परिवर्तन से संबंधित है।
प्रश्न 15: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने “नाटकशास्त्र” (Dramaturgy) के अपने सिद्धांत में, समाज को एक मंच की तरह देखा जहाँ व्यक्ति अपनी पहचान को “प्रस्तुत” करते हैं। “फ्रंट स्टेज” (Front Stage) का क्या अर्थ है?
- वह स्थान जहाँ व्यक्ति अपनी वास्तविक भावनाओं को व्यक्त करते हैं।
- वह स्थान जहाँ व्यक्ति अपनी भूमिकाओं के अनुसार पूर्वाभ्यास करते हैं।
- वह स्थान जहाँ व्यक्ति सार्वजनिक रूप से अपनी भूमिकाओं को निभाते हैं और अपेक्षित व्यवहार प्रस्तुत करते हैं।
- वह स्थान जहाँ व्यक्ति निजी जीवन जीते हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: गॉफमैन के नाटकशास्त्र में, “फ्रंट स्टेज” (Front Stage) वह सामाजिक क्षेत्र है जहाँ व्यक्ति अपनी भूमिकाओं को निभाने के लिए तैयार होते हैं और अपने दर्शकों को एक विशेष छवि प्रस्तुत करते हैं। यह एक सचेत या अनसचेत प्रदर्शन होता है।
संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, “बैक स्टेज” (Back Stage) वह स्थान है जहाँ व्यक्ति प्रदर्शन की तैयारी करते हैं, अपनी भूमिका से “अन-विनिर्धारित” (Un-deviate) होते हैं, और अपनी सार्वजनिक छवि को बनाए रखने के लिए आवश्यक “मुखौटे” को उतार सकते हैं।
गलत विकल्प: (a) और (d) बैक स्टेज से संबंधित हो सकते हैं। (b) पूर्वाभ्यास से संबंधित है, जो बैक स्टेज का हिस्सा है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा “धर्मनिरपेक्षीकरण” (Secularization) की प्रक्रिया का एक संभावित परिणाम नहीं है?
- धर्म का सार्वजनिक जीवन से अलगाव
- विज्ञान और तर्कवाद का बढ़ता प्रभाव
- धर्म की व्यक्तिगत भूमिका में वृद्धि
- धार्मिक संस्थानों की शक्ति में वृद्धि
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: धर्मनिरपेक्षीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा धर्म का समाज के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, कला) से प्रभाव कम होता जाता है और जीवन पर धर्म का प्रभुत्व घटता है। इसके सामान्य परिणाम सार्वजनिक जीवन से धर्म का अलगाव, विज्ञान और तर्कवाद का उदय, और धर्म की भूमिका का निजी या व्यक्तिगत क्षेत्र तक सीमित होना है। धार्मिक संस्थानों की शक्ति में वृद्धि धर्मनिरपेक्षीकरण का परिणाम नहीं, बल्कि इसके विपरीत है।
संदर्भ और विस्तार: हालांकि, कुछ समाजशास्त्री (जैसे पीटर बर्जर) ने तर्क दिया है कि आधुनिक समाजों में भी धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान बना हुआ है, भले ही उसकी अभिव्यक्ति बदल गई हो।
गलत विकल्प: (a), (b), और (c) धर्मनिरपेक्षीकरण के सामान्य परिणाम हैं।
प्रश्न 17: “सामाजिक सिद्धांत” (Social Theory) के संबंध में, “संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद” (Structural-Functionalism) मुख्य रूप से किस पर ध्यान केंद्रित करता है?
- सामाजिक परिवर्तन और क्रांति
- सामाजिक व्यवस्था, स्थिरता और विभिन्न भागों का योगदान
- व्यक्तिगत अर्थ और अंतःक्रिया
- सामाजिक संघर्ष और शक्ति संबंध
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद, जिसे प्रकार्यात्मकतावाद (Functionalism) भी कहा जाता है, समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न भाग (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) मिलकर काम करते हैं ताकि समाज को स्थिर और सुव्यवस्थित रखा जा सके। यह इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि समाज के प्रत्येक अंग का क्या कार्य है और वह व्यवस्था बनाए रखने में कैसे योगदान देता है।
संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम, टालकोट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक हैं।
गलत विकल्प: (a) मार्क्सवाद और संघर्ष सिद्धांत से जुड़ा है। (c) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का फोकस है। (d) संघर्ष सिद्धांत का फोकस है।
प्रश्न 18: “आधुनिकीकरण” (Modernization) सिद्धांत के अनुसार, पारंपरिक समाजों से आधुनिक समाजों की ओर परिवर्तन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था, रूढ़िवादी मूल्य, और कम प्रौद्योगिकी
- औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और तर्कसंगत विचार
- जाति आधारित सामाजिक संरचना और धार्मिक सहिष्णुता
- कम जनसंख्या वृद्धि और ग्रामीण जीवन शैली
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: आधुनिकीकरण सिद्धांत बताता है कि समाज पारंपरिक, पूर्व-आधुनिक अवस्थाओं से औद्योगिक, शहरी और तर्कसंगत अवस्थाओं में परिवर्तित होते हैं। इसमें औद्योगिकीकरण, तकनीकी विकास, शिक्षा का प्रसार, शहरीकरण, और राजनीतिक तथा सामाजिक संस्थाओं का तर्कसंगत और नौकरशाहीकरण शामिल है।
संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अक्सर पश्चिमी समाजों के विकास पथ पर आधारित होता है।
गलत विकल्प: (a) पारंपरिक समाज का वर्णन करता है। (c) जाति आधारित संरचना आधुनिकता के विपरीत है, और धार्मिक सहिष्णुता एक अलग मुद्दा है। (d) आधुनिक समाजों में अक्सर उच्च जनसंख्या वृद्धि (शुरुआत में) और शहरीकरण देखा जाता है।
प्रश्न 19: “सामाजिक अनुसंधान” (Social Research) में, “गुणात्मक अनुसंधान” (Qualitative Research) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
- जनसंख्या के बड़े नमूनों से सामान्यीकरण (Generalization) करना।
- मात्रात्मक डेटा का विश्लेषण करके संबंधों की भविष्यवाणी करना।
- घटनाओं के पीछे के अर्थ, अनुभव और संदर्भ को गहराई से समझना।
- सांख्यिकीय निष्कर्षों का परीक्षण करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य किसी घटना के “क्यों” और “कैसे” का अन्वेषण करना है, जिसमें गहराई से समझ, अर्थ, व्याख्याएं और अनुभव शामिल होते हैं। यह साक्षात्कार, अवलोकन, फोकस समूह जैसी विधियों का उपयोग करता है।
संदर्भ और विस्तार: मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) के विपरीत, जो संख्याओं और सांख्यिकी पर केंद्रित होता है, गुणात्मक अनुसंधान विषयपरक अनुभवों और सामाजिक प्रक्रियाओं की बारीकियों पर प्रकाश डालता है।
गलत विकल्प: (a), (b), और (d) मात्रात्मक अनुसंधान के उद्देश्य हैं।
प्रश्न 20: किस समाजशास्त्री ने “कार्यात्मक सार्वभौमिकता” (Functional Universality) और “कार्यात्मक सापेक्षता” (Functional Relativity) के बीच अंतर किया, यह बताते हुए कि कोई भी प्रथा या विश्वास समाज के लिए पूरी तरह से बेकार नहीं हो सकता?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- ब्रॉनिस्लॉ मैलिनोव्स्की
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: ब्रॉनिस्लॉ मैलिनोव्स्की, एक प्रमुख मानवविज्ञानी और प्रकार्यात्मकतावादी, ने “कार्यात्मक सापेक्षता” (Functional Relativity) की अवधारणा का समर्थन किया। उनका मानना था कि समाज में प्रत्येक प्रथा का एक कार्य होता है, भले ही वह ऊपरी तौर पर विचित्र या बेकार लगे। उन्होंने आदिम समाजों पर अपने विस्तृत नृवंशविज्ञान (Ethnographic) अध्ययनों के माध्यम से यह तर्क दिया।
संदर्भ और विस्तार: मैलिनोव्स्की के लिए, समाजशास्त्री का कार्य प्रथाओं को उनके विशिष्ट सांस्कृतिक संदर्भ में समझना था, न कि उन्हें अपनी संस्कृति के मानदंडों से आंकना।
गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर ने प्रकार्यवाद में योगदान दिया, लेकिन मैलिनोव्स्की ने कार्यात्मक सापेक्षता पर विशेष जोर दिया। मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन और संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 21: “सामाजिक समस्या” (Social Problem) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, एक समस्या तभी सामाजिक समस्या बनती है जब:
- वह व्यक्तिगत रूप से अनुभव की जाती है।
- वह बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है और समाज द्वारा इसे संबोधित करने की आवश्यकता को पहचाना जाता है।
- वह सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर घोषित की जाती है।
- वह मीडिया में व्यापक रूप से कवर की जाती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: समाजशास्त्र में, एक “सामाजिक समस्या” केवल व्यक्तियों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाई नहीं है। यह एक ऐसी स्थिति है जो समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है और जिसे सामूहिक रूप से समाधान की आवश्यकता वाली समस्या के रूप में पहचाना जाता है।
संदर्भ और विस्तार: इसमें समस्या की सामाजिक उत्पत्ति, उसके प्रसार और समाज के मूल्यों या लक्ष्यों पर उसके प्रभाव का विश्लेषण शामिल है।
गलत विकल्प: (a) केवल व्यक्तिगत अनुभव है। (c) और (d) महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन वे सामाजिक समस्या की समाजशास्त्रीय परिभाषा के लिए पर्याप्त या आवश्यक नहीं हैं; मुख्य बात है कि समाज द्वारा इसे एक समस्या के रूप में पहचानना।
प्रश्न 22: “ज्ञान समाज” (Knowledge Society) की अवधारणा, जिसमें ज्ञान को प्राथमिक आर्थिक उत्पाद और शक्ति का स्रोत माना जाता है, किससे जुड़ी है?
- डैनियल बेल
- मैनुअल कैस्टल्स
- एल्विन टॉफलर
- सभी उपरोक्त
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: डैनियल बेल ने “उत्तर-औद्योगिक समाज” (Post-Industrial Society) की अवधारणा दी, जो ज्ञान और सेवाओं के प्रभुत्व पर जोर देती है। मैनुअल कैस्टल्स ने “नेटवर्क समाज” (Network Society) और सूचना क्रांति के युग में ज्ञान के महत्व पर विस्तार से लिखा। एल्विन टॉफलर ने “तीसरी लहर” (The Third Wave) में तकनीकी और सामाजिक परिवर्तनों में ज्ञान की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया। ये सभी विचारक ज्ञान-आधारित समाज के विकास पर महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
संदर्भ और विस्तार: इन विद्वानों के कार्यों ने आधुनिक समाज के बदलते स्वरूप और सूचना तथा ज्ञान के बढ़ते महत्व को समझने में मदद की है।
गलत विकल्प: चूंकि सभी विकल्प ज्ञान समाज की अवधारणा में योगदान करते हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 23: “सामाजिक परिवर्तन” (Social Change) के “रेखीय सिद्धांत” (Linear Theories) के अनुसार, समाज किस दिशा में अग्रसर होता है?
- एक चक्रीय पैटर्न में, जहाँ विकास और पतन दोहराए जाते हैं।
- एक विशिष्ट, प्रगतिशील दिशा में, अक्सर सरल से जटिल की ओर।
- बिना किसी निश्चित दिशा के, यादृच्छिक उतार-चढ़ाव के साथ।
- स्थिरता और यथास्थिति की ओर।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धांत (जैसे ऑगस्ट कॉम्प्टे और हर्बर्ट स्पेंसर के विकासवादी सिद्धांत) मानते हैं कि समाज एक सीधी रेखा में, अक्सर सरल अवस्थाओं से अधिक जटिल और उन्नत अवस्थाओं की ओर विकसित होता है। यह प्रगतिशील विकास का एक दृष्टिकोण है।
संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत अक्सर विकासवाद (Evolutionism) से प्रभावित होते हैं।
गलत विकल्प: (a) चक्रीय सिद्धांतों (जैसे ओसवाल्ड स्पेंगलर) का वर्णन करता है। (c) अव्यवस्था या यादृच्छिकता का सुझाव देता है। (d) स्थिरता का संकेत देता है, जो परिवर्तन के विपरीत है।
प्रश्न 24: “समूह” (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक “प्राथमिक समूह” (Primary Group) का उदाहरण है?
- एक फुटबॉल टीम
- एक कॉलेज का छात्र संघ
- एक परिवार
- एक राजनीतिक दल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: चार्ल्स कूली ने “प्राथमिक समूह” की अवधारणा दी, जिसमें परिवार, बचपन के मित्र समूह और अनौपचारिक साथियों के समूह शामिल हैं। ये वे समूह हैं जो घनिष्ठ, आमने-सामने की अंतःक्रिया, सहयोग और “हम” की गहरी भावना की विशेषता रखते हैं। वे व्यक्ति के समाजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
संदर्भ और विस्तार: फुटबॉल टीम, छात्र संघ और राजनीतिक दल आम तौर पर द्वितीयक समूहों (Secondary Groups) के उदाहरण हैं, जहाँ अंतःक्रियाएं अधिक अवैयक्तिक, औपचारिक और किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए होती हैं।
गलत विकल्प: (a), (b), और (d) द्वितीयक समूहों के उदाहरण हैं।
प्रश्न 25: “सामाजिक अनुसंधान” (Social Research) में “अभिप्राय” (Bias) से क्या तात्पर्य है?
- शोधकर्ता का व्यक्तिगत पूर्वाग्रह जो परिणामों को प्रभावित कर सकता है।
- यह सुनिश्चित करना कि सभी प्रतिभागियों के साथ समान व्यवहार किया जाए।
- डेटा का तटस्थ और वस्तुनिष्ठ विश्लेषण।
- एक ऐसा अध्ययन डिज़ाइन करना जो स्पष्ट रूप से परिकल्पना की पुष्टि करे।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सत्यता: सामाजिक अनुसंधान में अभिप्राय (Bias) का अर्थ है शोधकर्ता की व्यक्तिगत मान्यताओं, पूर्वाग्रहों, अपेक्षाओं या पक्षपात का अनजाने या जानबूझकर अनुसंधान प्रक्रिया (जैसे प्रश्न पूछना, डेटा की व्याख्या करना) या परिणामों पर अनुचित प्रभाव डालना।
संदर्भ और विस्तार: एक अच्छा शोधकर्ता अपने अभिप्राय को कम करने या समाप्त करने का प्रयास करता है ताकि निष्कर्ष वस्तुनिष्ठ (Objective) और वैध (Valid) हों।
गलत विकल्प: (b) निष्पक्षता (Fairness) का हिस्सा है। (c) वस्तुनिष्ठता (Objectivity) का लक्ष्य है। (d) एक अवांछनीय प्रकार का अभिप्राय (Confirmation Bias) है।
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