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समाजशास्त्र मंथन: अपनी तैयारी को दें नई धार!

समाजशास्त्र मंथन: अपनी तैयारी को दें नई धार!

समाजशास्त्र के प्रिय जिज्ञासुओं, अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 चुनिंदा प्रश्न, जो आपकी तैयारी को एक नई दिशा देंगे। आइए, गहराई से गोता लगाएँ और अपनी समझ को और भी मज़बूत बनाएँ!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्नोत्तरी

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सामाजीकरण’ की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?

  1. यह केवल बचपन तक सीमित एक प्रक्रिया है।
  2. यह समाज के मानदंडों और मूल्यों को आत्मसात करने की एक आजीवन प्रक्रिया है।
  3. यह केवल औपचारिक शिक्षा संस्थानों से जुड़ी है।
  4. यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की ओर ले जाने वाली एक प्रक्रिया है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज के सदस्य बनने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल, मूल्य और व्यवहार सीखता है। यह जन्म से शुरू होकर जीवन भर चलती है, जिसमें व्यक्ति समाज के मानदंडों, विश्वासों और प्रथाओं को आत्मसात करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन ने अपनी पुस्तक ‘द सोशल कंस्ट्रक्शन ऑफ रियलिटी’ में सामाजीकरण की निरंतरता पर प्रकाश डाला है। यह परिवार, स्कूल, साथियों के समूह और मीडिया जैसे विभिन्न एजेंटों के माध्यम से संचालित होता है।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि सामाजीकरण जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है। (c) गलत है क्योंकि अनौपचारिक संस्थाएं (जैसे परिवार, मीडिया) भी सामाजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। (d) गलत है क्योंकि सामाजीकरण अक्सर व्यक्ति को सामाजिक व्यवस्था के अनुकूल बनाता है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का पूर्ण क्षरण आवश्यक नहीं है।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, समाज के विकास का मुख्य चालक क्या है?

  1. विचारों का विकास
  2. वर्ग संघर्ष
  3. धार्मिक विश्वास
  4. तकनीकी नवाचार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद का सिद्धांत दिया, जिसके अनुसार समाज के आर्थिक आधार (उत्पादन के साधन और संबंध) में परिवर्तन से सामाजिक, राजनीतिक और बौद्धिक अधिरचना में परिवर्तन होता है। उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व को लेकर विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष ही समाज के परिवर्तन का मुख्य इंजन है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विचार उनके “द कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो” और “दास कैपिटल” जैसे कार्यों में प्रमुखता से मिलता है। मार्क्स के लिए, बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच का संघर्ष पूंजीवादी समाज का मूल था।
  • गलत विकल्प: (a) मार्क्स ने चेतना को भौतिक परिस्थितियों का परिणाम माना, न कि परिवर्तन का प्राथमिक चालक। (c) मार्क्स धर्म को ‘जनता की अफीम’ मानते थे, जो वर्ग चेतना को दबाता है। (d) तकनीकी नवाचार उत्पादन संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन मार्क्स के लिए प्रत्यक्ष संघर्ष अधिक मौलिक चालक था।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया?

  1. वास्तविक सामाजिक दुनिया का पूर्ण चित्रण प्रस्तुत करना।
  2. तुलनात्मक विश्लेषण के लिए एक वैचारिक उपकरण बनाना।
  3. सामाजिक व्यवहार के लिए नैतिक मानक स्थापित करना।
  4. भविष्य के समाज का खाका तैयार करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: वेबर के अनुसार, ‘आदर्श प्रारूप’ सामाजिक घटनाओं के विश्लेषण के लिए एक वैचारिक निर्माण है। यह वास्तविकता का अत्यधिक सरलीकृत और व्यवस्थित रूप है, जो वास्तविक दुनिया में कभी भी पूरी तरह से मौजूद नहीं होता। इसका उपयोग वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को समझने और तुलना करने के लिए किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने नौकरशाही, पूंजीवाद और विभिन्न प्रकार के प्रभुत्व (पारंपरिक, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत) का विश्लेषण करने के लिए आदर्श प्रारूपों का उपयोग किया। यह वास्तविक दुनिया को समझने के लिए एक ‘मापन दण्ड’ के रूप में कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: (a) आदर्श प्रारूप वास्तविकता का अतिरंजित रूप है, पूर्ण चित्रण नहीं। (c) यह विश्लेषणात्मक है, नैतिक मानक निर्धारित नहीं करता। (d) यह समझने का उपकरण है, भविष्य की भविष्यवाणी का नहीं।

प्रश्न 4: दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति क्या दर्शाती है?

  1. सामाजिक एकता और एकजुटता का उच्च स्तर।
  2. समाज में मानदंडों और मूल्यों का अभाव या शिथिलता।
  3. व्यक्तिगत आकांक्षाओं की पूर्ण संतुष्टि।
  4. वर्गों के बीच सामंजस्य।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ को समाज में व्याप्त एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ सामाजिक नियम या तो अनुपस्थित होते हैं या कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्तिगत व्यवहार को मार्गदर्शन करने के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं रह जाता।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों जैसे “द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” और “सुसाइड” में इस अवधारणा का उपयोग किया। उन्होंने विशेष रूप से सामाजिक परिवर्तन या संकट के समय में एनोमी में वृद्धि देखी, जिससे आत्महत्या की दर बढ़ सकती है।
  • गलत विकल्प: (a) एनोमी सामाजिक एकता के कमजोर होने का संकेत है। (c) यह व्यक्तिगत आकांक्षाओं की पूर्ति के बजाय उनके नियंत्रण के अभाव से जुड़ी है। (d) यह वर्गों के बीच सामंजस्य के बजाय सामाजिक विघटन की स्थिति है।

प्रश्न 5: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्री ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) विचारधारा से सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?

  1. ए.एल. क्रॉबर
  2. आर.के. मर्टन
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. अगस्त कॉम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति का ‘स्व’ (Self) सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है, जिसमें प्रतीकों (जैसे भाषा) का उपयोग महत्वपूर्ण होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) के बीच अंतर करके आत्म-विकास की प्रक्रिया को समझाया। हालांकि उन्होंने स्वयं कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं की, उनके छात्रों ने उनके व्याख्यानों को “माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” नामक पुस्तक में संकलित किया।
  • गलत विकल्प: (a) क्रॉबर एक प्रमुख मानवशास्त्री थे। (b) मर्टन संरचनात्मक प्रकार्यवाद से जुड़े थे। (d) कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक पिताओं में से एक हैं, जिन्होंने प्रत्यक्षवाद की वकालत की।

प्रश्न 6: भारत में, ‘जाति व्यवस्था’ को अक्सर एक ‘बंद स्तरीकरण प्रणाली’ के रूप में वर्णित किया जाता है। इसका मुख्य कारण क्या है?

  1. जातिगत पहचान का जन्म पर आधारित होना और पेशा परिवर्तन की सीमित स्वतंत्रता।
  2. जाति के सदस्यों द्वारा अन्य जातियों के साथ विवाह की पूर्ण स्वतंत्रता।
  3. जाति व्यवस्था में गतिशीलता की अत्यधिक संभावना।
  4. सभी जातियों के लिए समान आर्थिक अवसर।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जाति व्यवस्था को ‘बंद’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति की जाति जन्म से निर्धारित होती है और जीवन भर अपरिवर्तित रहती है। विवाह (अंतर-विवाह) और व्यवसाय परिवर्तन पर भी कठोर प्रतिबंध होते हैं, जिससे सामाजिक गतिशीलता (ऊर्ध्वाधर) सीमित हो जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास, इरावती कर्वे जैसे समाजशास्त्रियों ने भारतीय जाति व्यवस्था पर विस्तार से लिखा है। यह व्यवस्था विशुद्ध रूप से जन्म पर आधारित है, न कि योग्यता या उपलब्धि पर।
  • गलत विकल्प: (b) अंतर-विवाह (Endogamy) जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता है, जो गतिशीलता को बाधित करती है। (c) बंद प्रणाली में गतिशीलता सीमित होती है, अत्यधिक नहीं। (d) ऐतिहासिक रूप से, जाति ने आर्थिक अवसरों को भी प्रभावित किया है।

प्रश्न 7: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृति-करण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना।
  2. एक निम्न सामाजिक-जाति का उच्च सामाजिक-जाति के रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और विश्वासों को अपनाना।
  3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया।
  4. शहरी जीवन शैली का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृति-करण’ को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है जिसमें निम्न या मध्य-जाति के समूह किसी उच्च, द्विजातीय (dwija) या प्रतिष्ठित जाति के तौर-तरीकों, अनुष्ठानों, जीवन शैली और मान्यताओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में प्रमुखता से आई। यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है, विशेषकर सांस्कृतिक क्षेत्र में।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘पश्चिमीकरण’ का वर्णन करता है। (c) आधुनिकीकरण एक व्यापक अवधारणा है। (d) यह शहरीकरण या पश्चिमिकरण से संबंधित हो सकता है, लेकिन संस्कृति-करण का मुख्य अर्थ नहीं।

प्रश्न 8: पारसन्स के ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज की स्थिरता के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कारक महत्वपूर्ण है?

  1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अनियंत्रित व्यवहार।
  2. सामाजिक संस्थानों द्वारा साझा मूल्यों और मानदंडों का निर्माण और सुदृढीकरण।
  3. समाज में निरंतर संघर्ष और क्रांति।
  4. व्यक्तिगत लक्ष्यों की प्राप्ति पर पूर्ण जोर।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: टैल्कोट पारसन्स जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवादियों का मानना है कि समाज विभिन्न परस्पर संबंधित भागों (संस्थाओं) से बना है, और प्रत्येक भाग का एक विशिष्ट कार्य होता है जो पूरे समाज की स्थिरता और संतुलन को बनाए रखने में योगदान देता है। साझा मूल्य और मानदंड इन संस्थानों को एकीकृत करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पारसन्स ने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) प्रतिमान का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि सामाजिक व्यवस्था कैसे कार्य करती है। उनका मानना था कि सामाजिक व्यवस्था के लिए एक मजबूत मूल्य एकरूपता (value consensus) आवश्यक है।
  • गलत विकल्प: (a) अनियंत्रित व्यवहार अस्थिरता पैदा कर सकता है। (c) संघर्ष को प्रकार्यात्मक संतुलन के लिए एक बाधा माना जाता है। (d) व्यक्तिगत लक्ष्य तभी महत्वपूर्ण होते हैं जब वे सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप हों।

प्रश्न 9: रॉबर्ट मर्टन ने ‘कार्य’ (Function) की अवधारणा को कितने प्रकारों में विभाजित किया?

  1. केवल प्रत्यक्ष कार्य (Manifest Functions)।
  2. प्रत्यक्ष कार्य (Manifest Functions) और अप्रत्यक्ष कार्य (Latent Functions)।
  3. प्रत्यक्ष कार्य, अप्रत्यक्ष कार्य और अकार्य (Dysfunctions)।
  4. केवल अप्रत्यक्ष कार्य (Latent Functions)।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यों को तीन श्रेणियों में बांटा: प्रत्यक्ष कार्य (जो किसी सामाजिक संस्था या व्यवहार के इच्छित और मान्यता प्राप्त परिणाम होते हैं), अप्रत्यक्ष कार्य (जो अनजाने और अनपेक्षित परिणाम होते हैं), और अकार्य (जो सामाजिक व्यवस्था के लिए हानिकारक होते हैं)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विभाजन उनके “Social Theory and Social Structure” नामक महत्वपूर्ण कार्य में मिलता है। उन्होंने इन अवधारणाओं का उपयोग सामाजिक घटनाओं के अधिक सूक्ष्म विश्लेषण के लिए किया।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) केवल एक प्रकार को मानते हैं, जबकि मर्टन ने दो मुख्य प्रकारों (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) के साथ अकार्य को भी जोड़ा। (b) अप्रत्यक्ष कार्य और अकार्य को अलग नहीं करता।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘एलीनेशन’ (Alienation) या अलगाव की अवधारणा को पूंजीवाद के तहत श्रमिक के अनुभव के रूप में विश्लेषित किया?

  1. ई. दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. सिगमंड फ्रायड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक के अनुभव के रूप में अलगाव की चार प्रमुख विधाओं का वर्णन किया: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके प्रारंभिक कार्यों, विशेष रूप से “इकोनॉमिक एंड फिलोसोफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844” में पाई जाती है। मार्क्स के लिए, यह पूंजीवाद की एक अंतर्निहित समस्या थी।
  • गलत विकल्प: (a) दुर्खीम ने एनोमी पर ध्यान केंद्रित किया। (b) वेबर ने तर्कसंगतता और नौकरशाही के प्रभाव पर चर्चा की। (d) फ्रायड एक मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने व्यक्तिगत मनोविज्ञान पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 11: भारतीय समाज में ‘विवाह’ संस्था के संदर्भ में, ‘गोत्र बहिर्विवाह’ (Exogamy) का क्या अर्थ है?

  1. समान गोत्र के भीतर विवाह करना।
  2. अपनी गोत्र से बाहर के व्यक्ति से विवाह करना।
  3. दो अलग-अलग जातियों के बीच विवाह।
  4. एक ही गांव के भीतर विवाह करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गोत्र बहिर्विवाह का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने पैतृक गोत्र (एक वंश समूह) से बाहर विवाह करना चाहिए। गोत्र को अक्सर एक साझा पूर्वज से उत्पन्न माना जाता है, और इसलिए उस गोत्र के सदस्यों को भाई-बहन माना जाता है, जिससे विवाह वर्जित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रथा भारतीय समाज में, विशेष रूप से हिंदू विवाहों में, व्यापक रूप से प्रचलित है और जाति के भीतर उप-समूहों को परिभाषित करने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह गोत्र अंतर्विवाह (Endogamy) का वर्णन करता है, जो वर्जित है। (c) यह अंतर-जातीय विवाह (Inter-caste marriage) है, जो गोत्र बहिर्विवाह से भिन्न है। (d) यह ग्राम बहिर्विवाह (Village Exogamy) हो सकता है, लेकिन गोत्र बहिर्विवाह अधिक विशिष्ट है।

प्रश्न 12: ‘धर्म एक अफीम है, यह जनता को बहकाती है’ – यह कथन किस समाजशास्त्री के विचार से सबसे निकटता से जुड़ा है?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. टी. पारसन्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने धर्म की आलोचना की और उसे ‘जनता की अफीम’ कहा। उनका मानना था कि धर्म उत्पीड़ित वर्गों को उनके कष्टों को स्वीकार करने और भविष्य के जीवन की आशा में वर्तमान अन्याय को सहन करने के लिए प्रोत्साहित करके उन्हें विचलित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, धर्म एक सामाजिक अधिरचना का हिस्सा है जो आर्थिक आधार द्वारा निर्मित होती है और शोषक वर्ग द्वारा अपनी शक्ति बनाए रखने के लिए उपयोग की जाती है।
  • गलत विकल्प: (a) वेबर ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद के बीच संबंध का अध्ययन किया। (b) दुर्खीम ने धर्म को सामाजिक एकता और सामूहिक चेतना के स्रोत के रूप में देखा। (d) पारसन्स ने धर्म को सामाजिक एकीकरण में भूमिका निभाने वाला माना।

प्रश्न 13: भारतीय सामाजिक व्यवस्था में, ‘पवित्रता और प्रदूषण’ (Purity and Pollution) की अवधारणाएँ किससे सबसे अधिक जुड़ी हुई हैं?

  1. आर्थिक स्थिति
  2. राजनीतिक शक्ति
  3. जाति व्यवस्था
  4. शिक्षा का स्तर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पवित्रता और प्रदूषण की अवधारणाएँ भारतीय जाति व्यवस्था की एक केंद्रीय विशेषता रही हैं। उच्च जातियों को ‘पवित्र’ और निम्न जातियों को ‘अपवित्र’ या ‘अछूत’ माना जाता था, और उनके बीच सामाजिक अंतःक्रिया को सख्ती से नियंत्रित किया जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: जी.एस. घुरिये और एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने इस पर विस्तार से लिखा है। स्पर्श संबंधी नियम, खान-पान संबंधी वर्जनाएँ आदि इसी अवधारणा से उत्पन्न होती हैं।
  • गलत विकल्प: हालाँकि आर्थिक स्थिति जाति को प्रभावित कर सकती है, लेकिन पवित्रता-प्रदूषण का मूल आधार सामाजिक-धार्मिक है, न कि विशुद्ध आर्थिक। राजनीतिक शक्ति और शिक्षा का स्तर भी अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित हो सकते हैं, पर प्राथमिक संबंध जाति से है।

प्रश्न 14: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?

  1. यह व्यक्तियों की मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं का योग है।
  2. यह समाज के विभिन्न भागों के बीच अपेक्षाकृत स्थायी संबंधों का एक पैटर्न है।
  3. यह समाज में होने वाले सभी परिवर्तनों का एक संग्रह है।
  4. यह केवल व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं से बनता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज के विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, समूहों और स्थितियों के बीच अपेक्षाकृत स्थायी और व्यवस्थित संबंधों से है, जो मिलकर समाज का ढाँचा बनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इमाइल दुर्खीम, टैल्कोट पारसन्स और अन्य समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना पर बल दिया है। यह व्यक्तिगत व्यवहार से अधिक व्यापक और स्थिर होती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह मनोवैज्ञानिक नहीं, बल्कि सामाजिक है। (c) यह परिवर्तन का संग्रह नहीं, बल्कि समाज के स्थिर पहलू का वर्णन करती है। (d) यह व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं से बनती है, लेकिन स्वयं उनसे बड़ी होती है और उनके पैटर्न को दर्शाती है।

प्रश्न 15: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण पहलू नहीं माना जाता है?

  1. तर्कसंगतता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार।
  2. औद्योगीकरण और शहरीकरण।
  3. पारंपरिक संस्थाओं जैसे संयुक्त परिवार का क्षरण।
  4. जाति व्यवस्था का पूरी तरह से उन्मूलन।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें तर्कसंगतता, औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार और राजनीतिक भागीदारी जैसे परिवर्तन शामिल हैं। हालांकि, भारत में जाति व्यवस्था का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हुआ है; यह अभी भी समाज को प्रभावित करती है, यद्यपि इसके रूप बदल सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री एम.एन. श्रीनिवास, टी.बी. बॉटमोर जैसे विद्वानों ने आधुनिकीकरण पर काम किया है। यह अक्सर पश्चिमीकरण से जुड़ा होता है लेकिन पूरी तरह से समान नहीं है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) आधुनिकीकरण के सभी सामान्य पहलू हैं। आधुनिकीकरण का अर्थ सभी पारंपरिक संस्थाओं का पूर्ण अंत हो जाना नहीं है, बल्कि उनमें परिवर्तन आना है।

प्रश्न 16: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अर्थ है:

  1. समाज में व्यक्तियों के बीच सहयोग।
  2. समाज के सदस्यों को उनकी आय के आधार पर व्यवस्थित करना।
  3. समाज को विभिन्न स्तरों या परतों में वर्गीकृत करना, जहाँ कुछ समूह दूसरों की तुलना में अधिक विशेषाधिकार प्राप्त करते हैं।
  4. समाज में समूहों के बीच संघर्ष।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें समाज के सदस्यों को उनकी सामाजिक स्थिति, शक्ति, संपत्ति और प्रतिष्ठा के आधार पर विभिन्न पदानुक्रमित स्तरों में विभाजित किया जाता है। यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है जो विभिन्न रूपों (जैसे वर्ग, जाति, लिंग) में पाई जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स (वर्ग), मैक्स वेबर (वर्ग, स्थिति, शक्ति), और दुर्खीम (श्रम विभाजन) जैसे प्रमुख समाजशास्त्रियों ने स्तरीकरण के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है।
  • गलत विकल्प: (a) सहयोग स्तरीकरण का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं स्तरीकरण नहीं है। (b) आय एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन स्तरीकरण केवल आय तक सीमित नहीं है; इसमें शक्ति और प्रतिष्ठा भी शामिल है। (d) संघर्ष स्तरीकरण का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्तरीकरण की परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 17: समाजशास्त्र में ‘संस्कृति’ (Culture) के सबसे व्यापक अर्थ में क्या शामिल है?

  1. केवल कला, संगीत और साहित्य।
  2. लोगों का सीखा हुआ व्यवहार, जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएँ व आदतें शामिल हैं।
  3. केवल भौतिक वस्तुएँ जैसे कारें और घर।
  4. केवल एक राष्ट्र या जातीय समूह की राष्ट्रीय पहचान।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है जिसमें वह सब कुछ शामिल होता है जो सीखा जाता है और एक समाज के सदस्यों द्वारा साझा किया जाता है। यह केवल भौतिक वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि गैर-भौतिक पहलुओं जैसे मूल्य, विश्वास, भाषा और प्रतीकों को भी समाहित करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: एडवर्ड बर्नेट टायलर ने अपनी पुस्तक “Primitive Culture” में संस्कृति की एक उत्कृष्ट परिभाषा दी है, जिसमें कहा गया है कि संस्कृति वह जटिल समग्रता है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और किसी भी अन्य क्षमताओं और आदतों का समावेश होता है, जिन्हें मानव एक समाज के सदस्य के रूप में अर्जित करता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह संस्कृति का केवल एक छोटा सा पहलू है। (c) यह केवल भौतिक संस्कृति (Material Culture) का वर्णन करता है। (d) यह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद या जातीयता से संबंधित है, लेकिन संस्कृति का पूर्ण अर्थ नहीं।

प्रश्न 18: दुर्खीम के अनुसार, ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) किस प्रकार के समाजों में पाई जाती है?

  1. आधुनिक औद्योगिक समाज।
  2. जटिल श्रम विभाजन वाले समाज।
  3. सरल, कम जनसंख्या घनत्व वाले और जिनमें श्रम विभाजन न्यूनतम हो।
  4. पूंजीवादी समाज।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: दुर्खीम के अनुसार, यांत्रिक एकता उन सरल समाजों में पाई जाती है जहाँ लोगों के बीच समानताएं अधिक होती हैं, सामूहिक चेतना (collective consciousness) प्रबल होती है, और श्रम विभाजन बहुत कम होता है। ऐसे समाज मुख्य रूप से समान विश्वासों और मूल्यों के आधार पर एकजुट होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “The Division of Labour in Society” में वर्णित है। इसके विपरीत, ‘सावयवी एकता’ (Organic Solidarity) जटिल समाजों में पाई जाती है, जहाँ श्रम विभाजन अधिक होता है और लोग एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) आधुनिक समाज जटिल श्रम विभाजन वाले होते हैं, जहाँ सावयवी एकता पाई जाती है। (d) पूंजीवादी समाज भी जटिल होते हैं। (c) यहाँ ‘सरल, कम जनसंख्या घनत्व वाले और जिनमें श्रम विभाजन न्यूनतम हो’ यह यांत्रिक एकता का सटीक वर्णन है, लेकिन दुर्खीम के अनुसार, वे मुख्य रूप से समान विश्वासों और मूल्यों के कारण एकजुट होते हैं। प्रश्न का उत्तर (b) गलत है, सही (c) होना चाहिए। पुनः जाँच: दुर्खीम के अनुसार, यांत्रिक एकता उन समाजों में है जहाँ श्रम विभाजन न्यूनतम होता है, लोगों में समानता अधिक होती है, और वे समान विश्वासों, मूल्यों व जीवन शैलियों से जुड़े होते हैं। आधुनिक औद्योगिक समाजों में जटिल श्रम विभाजन होता है, जहाँ सावयवी एकता पाई जाती है। अतः, (c) सबसे उपयुक्त उत्तर है।

सुधार: प्रश्न 18 का उत्तर (c) होना चाहिए।

विस्तृत स्पष्टीकरण (सुधारित):

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) को उन समाजों के लिए प्रयोग किया जो अपेक्षाकृत सरल होते हैं, जहाँ सदस्यों के बीच समानता की भावना प्रबल होती है, सामूहिक चेतना (collective consciousness) उच्च होती है, और श्रम विभाजन नगण्य होता है। इन समाजों में लोग समान अनुभवों और विश्वासों के कारण एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी क्लासिक कृति “The Division of Labour in Society” में प्रस्तुत की गई है। यहाँ एकता समानता पर आधारित होती है।
  • गलत विकल्प: (a) आधुनिक औद्योगिक समाज जटिल श्रम विभाजन वाले होते हैं जहाँ ‘सावयवी एकता’ (Organic Solidarity) होती है। (b) जटिल श्रम विभाजन सावयवी एकता की ओर ले जाता है। (d) पूंजीवादी समाज भी जटिल श्रम विभाजन वाले होते हैं।

प्रश्न 19: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का तात्पर्य है:

  1. व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी में जाना।
  2. समाज के विभिन्न वर्गों के बीच निरंतर संघर्ष।
  3. समाज की संरचना में कोई भी परिवर्तन।
  4. लोगों का एक भौगोलिक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति (ऊपर या नीचे, या समान स्तर पर) में परिवर्तन करते हैं। इसमें ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) और क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility) दोनों शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सोरोकिन जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक गतिशीलता के सिद्धांतों का विकास किया। भारत में जाति और वर्ग व्यवस्था के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण अध्ययन का विषय है।
  • गलत विकल्प: (b) संघर्ष गतिशीलता का कारण हो सकता है, लेकिन यह स्वयं गतिशीलता नहीं है। (c) सामाजिक परिवर्तन एक व्यापक अवधारणा है; सामाजिक गतिशीलता उसका एक विशिष्ट रूप है। (d) यह भौगोलिक गतिशीलता (Migration) है, सामाजिक नहीं।

प्रश्न 20: निम्न में से कौन सा प्राथमिक समूह (Primary Group) का उदाहरण है?

  1. एक फुटबॉल टीम।
  2. किसी कंपनी के कर्मचारी।
  3. परिवार।
  4. एक चुनावी जनसमूह।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चार्ल्स कूली ने प्राथमिक समूह की अवधारणा दी। ये वे समूह होते हैं जहाँ आमने-सामने का घनिष्ठ संबंध, सहयोग और ‘हम’ की भावना होती है। परिवार इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है।
  • संदर्भ और विस्तार: कूली के अनुसार, प्राथमिक समूह व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिक आदतों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्रत्यक्ष, व्यक्तिगत और स्थायी संबंधों की विशेषता रखते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) फुटबॉल टीम निकटता साझा करती है, लेकिन अक्सर इसका संबंध एक विशिष्ट उद्देश्य (खेल जीतना) से होता है और यह परिवार जितनी अंतरंग नहीं हो सकती। (b) कंपनी के कर्मचारी एक द्वितीयक समूह (Secondary Group) का उदाहरण हैं। (d) चुनावी जनसमूह एक अस्थायी और औपचारिक समूह है।

प्रश्न 21: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) से आप क्या समझते हैं?

  1. समाज में व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाएँ।
  2. समाज के नियमों और मानदंडों के अनुसार व्यवहार को बनाए रखने के लिए समाज या उसके सदस्यों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाएँ और तंत्र।
  3. समाज में सत्ता संरचनाओं का अध्ययन।
  4. व्यक्तिगत चेतना का विकास।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक नियंत्रण उन विधियों और तंत्रों का वर्णन करता है जिनका उपयोग समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए करता है कि वे सामाजिक मानदंडों, नियमों और अपेक्षाओं का पालन करें, ताकि सामाजिक व्यवस्था बनी रहे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे सामाजिक दबाव, परिवार के नियम, जनमत) दोनों हो सकता है। दुर्खीम और वेबर जैसे समाजशास्त्रियों ने भी इस पर विचार किया है।
  • गलत विकल्प: (a) यह सामाजिक अंतःक्रिया है, नियंत्रण का तंत्र नहीं। (c) यह सत्ता संरचनाओं का अध्ययन नहीं है, बल्कि उनका एक पहलू हो सकता है। (d) यह व्यक्तिगत चेतना का परिणाम हो सकता है, लेकिन स्वयं नियंत्रण का तंत्र नहीं।

प्रश्न 22: भारत में ‘प्रजाति’ (Race) और ‘जाति’ (Caste) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. प्रजाति जैविक विशेषताओं पर आधारित है, जबकि जाति सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना पर।
  2. भारतीय समाज में ऐतिहासिक रूप से प्रजाति और जाति के बीच संबंध को लेकर बहस रही है।
  3. जाति व्यवस्था पूरी तरह से प्रजाति की अवधारणा पर आधारित है।
  4. प्रजाति एक सार्वभौमिक अवधारणा है, जबकि जाति मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप की विशेषता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रजाति (Race) को आमतौर पर शारीरिक लक्षणों (जैसे त्वचा का रंग, बालों की बनावट) पर आधारित एक जैविक वर्गीकरण माना जाता है, हालांकि यह स्वयं एक सामाजिक निर्माण भी है। जाति (Caste) मुख्य रूप से जन्म, व्यवसाय, सामाजिक प्रतिष्ठा और विशिष्ट सामाजिक-धार्मिक नियमों पर आधारित एक जटिल सामाजिक-सांस्कृतिक स्तरीकरण प्रणाली है। भारत में आर्यों के आगमन और वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांतों ने प्रजाति और जाति के बीच संबंध को जोड़ा, लेकिन यह कहना गलत है कि जाति ‘पूरी तरह से’ प्रजाति पर आधारित है।
  • संदर्भ और विस्तार: घुरिये, एल.एस. मजूमदार जैसे समाजशास्त्रियों ने भारतीय प्रजाति और जाति के संबंधों का अध्ययन किया है। यह स्वीकार किया जाता है कि इन दोनों के बीच एक जटिल ऐतिहासिक संबंध रहा है।
  • गलत विकल्प: (a) सही है। (b) सही है। (d) सही है। (c) असत्य है क्योंकि जाति केवल प्रजाति पर आधारित नहीं है, बल्कि इसके कई अन्य सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आधार भी हैं।

प्रश्न 23: ‘संस्था’ (Institution) से क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह।
  2. स्थापित और स्वीकृत सामाजिक व्यवहार पैटर्न का एक समूह, जिसे समाज द्वारा मान्यता प्राप्त है और जो विशिष्ट सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति करता है।
  3. एक अस्थायी सभा।
  4. व्यक्तिगत भावनाएं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संस्थाएं समाज में उन स्थापित और स्थायी विधियों और पैटर्न का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनके माध्यम से बुनियादी सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। इनमें विवाह, परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार आदि शामिल हैं। ये नियम, मूल्य और व्यवहारों का एक समूह होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों के रूप में संस्थाओं पर बल दिया। ये समाज की संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह समूह (Group) है, संस्था नहीं। (c) यह एक अस्थायी घटना है। (d) यह व्यक्तिगत है, सामाजिक संस्था नहीं।

प्रश्न 24: भारत में ‘कस्बा’ (Town) और ‘महानगर’ (Metropolis) के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित में से किस आधार पर किया जा सकता है?

  1. केवल जनसंख्या का आकार।
  2. जनसंख्या का आकार, आर्थिक गतिविधियाँ, प्रशासनिक महत्व और सेवाओं की उपलब्धता।
  3. लोगों की जीवन शैली।
  4. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: हालांकि जनसंख्या का आकार एक महत्वपूर्ण कारक है, कस्बों और महानगरों के बीच अंतर केवल इसी पर आधारित नहीं होता। महानगरों में आमतौर पर बड़ी आबादी, अधिक विविध और उन्नत आर्थिक गतिविधियाँ (जैसे उद्योग, सेवाएँ, वित्त), उच्च प्रशासनिक और राजनीतिक महत्व, और व्यापक सार्वजनिक एवं निजी सेवाएँ (जैसे परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा) होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: शहरी समाजशास्त्र में, इन शब्दों का प्रयोग विभिन्न पैमानों पर शहरों की जटिलता और कार्यप्रणाली को दर्शाने के लिए किया जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह अपर्याप्त है। (c) जीवन शैली एक परिणाम हो सकती है, लेकिन यह मुख्य परिभाषित कारक नहीं है। (d) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन यह शहरी विकास और उसके कार्यों को परिभाषित नहीं करती।

प्रश्न 25: ‘लोककल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. बाजार अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करना।
  2. राज्य द्वारा नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना।
  3. केवल राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना।
  4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर पूर्ण जोर देना, राज्य के हस्तक्षेप को न्यूनतम करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लोककल्याणकारी राज्य एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें राज्य सक्रिय रूप से अपने नागरिकों की आर्थिक और सामाजिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए नीतियाँ बनाता है और हस्तक्षेप करता है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सुरक्षा (जैसे बेरोजगारी लाभ, पेंशन) और आय पुनर्वितरण जैसे क्षेत्र शामिल होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में प्रमुखता से उभरी, जिसका उद्देश्य पूंजीवाद के नकारात्मक प्रभावों को कम करना और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना था।
  • गलत विकल्प: (a) यह समाजवाद की ओर झुक सकता है, लेकिन लोककल्याणकारी राज्य हमेशा बाजार को समाप्त नहीं करता। (c) राष्ट्रीय सुरक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह लोककल्याणकारी राज्य का एकमात्र या मुख्य उद्देश्य नहीं है। (d) यह उदारवाद (Liberalism) के कुछ रूपों के विपरीत है, जो राज्य के न्यूनतम हस्तक्षेप की वकालत करते हैं।

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