समाजशास्त्र मंथन: अपनी अवधारणाओं को परखें!
नमस्कार, भावी समाजविदों! क्या आप अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को परखने के लिए तैयार हैं? हर दिन की तरह, आज भी हम आपके लिए लाए हैं 25 नए और चुनौतीपूर्ण प्रश्न, जो आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को धार देंगे। आइए, इस बौद्धिक यात्रा पर एक साथ चलें और समाजशास्त्र के जटिल ताने-बाने को सुलझाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने बाहरी और बाध्यकारी कहा?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय विधि की नियम’ (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य समाज के सदस्यों पर बाहरी और बाध्यकारी होते हैं, जैसे कि रीति-रिवाज, कानून और नैतिकता।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने समाजशास्त्र को एक विज्ञान बनाने पर बल दिया और सामाजिक तथ्यों के वस्तुनिष्ठ अध्ययन की वकालत की। उन्होंने इसे व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र माना।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास और विकासवाद के सिद्धांतों को प्रतिपादित किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा समाज के उन सदस्यों को संदर्भित करती है जो किसी विशेष सामाजिक संरचना के भीतर समान स्थिति साझा करते हैं?
- सामाजिक वर्ग (Social Class)
- सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)
- सामाजिक संरचना (Social Structure)
- सामाजिक स्थिति (Social Status)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘सामाजिक वर्ग’ (Social Class) वह अवधारणा है जो किसी समाज में उन व्यक्तियों के समूह को दर्शाती है जो आर्थिक स्थिति, व्यवसाय, शिक्षा आदि जैसे कारकों के आधार पर समान स्थिति साझा करते हैं। कार्ल मार्क्स ने इसे उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्रीय विश्लेषण में, सामाजिक वर्ग अक्सर सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख रूप होता है, लेकिन यह स्वयं में समान स्थिति साझा करने वाले व्यक्तियों के समूह को इंगित करता है।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ व्यापक श्रेणी है जिसमें कई परतें होती हैं। ‘सामाजिक संरचना’ समाज के विभिन्न भागों की व्यवस्था को दर्शाती है। ‘सामाजिक स्थिति’ किसी व्यक्ति की समाज में सापेक्षिक स्थिति को व्यक्त करती है, जो वर्ग से भिन्न हो सकती है।
प्रश्न 3: ‘अजनबी’ (The Stranger) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?
- ए.वी. होडेसन (A. V. Hodson)
- जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel)
- अल्फ्रेड शुट्ज़ (Alfred Schutz)
- ई. सी. ह्यूम (E. C. Hume)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘अजनबी’ (The Stranger) की अवधारणा जॉर्ज सिमेल से जुड़ी है। सिमेल ने अजनबी को एक ऐसे सदस्य के रूप में वर्णित किया जो समाज का हिस्सा होते हुए भी उससे दूर रहता है, जो वर्तमान का हिस्सा है लेकिन भविष्य से भी जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने अपनी कृति ‘सोशियोलॉजी’ (Sociology) में इस पर विस्तार से चर्चा की। अजनबी अपनी निकटता और दूरी दोनों के कारण समाज के लिए एक अद्वितीय भूमिका निभाता है, जो उसे अधिक वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: अल्फ्रेड शुट्ज़ ने भी ‘अजनबी’ पर काम किया, लेकिन सिमेल का काम मौलिक और अधिक प्रभावशाली माना जाता है। ए.वी. होडेसन और ई.सी. ह्यूम इस विशिष्ट अवधारणा से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय समझ को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है?
- केवल उच्च वर्गीय लोगों की कला और साहित्य।
- समाज के सदस्यों द्वारा सीखा गया, साझा किया गया और संचारित व्यवहार, विश्वास और मूल्य।
- किसी भी समाज के सभी भौतिक उत्पाद।
- व्यक्तिगत रुचियों और पसंद का समूह।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, संस्कृति केवल कला या साहित्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक अवधारणा है जो किसी समाज के सदस्यों द्वारा सीखी गई, साझा की गई और पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचारित होने वाली जीवन शैली, व्यवहार, विश्वास, मूल्य, ज्ञान, कला, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताओं का एक जटिल ताना-बाना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक अर्जित और साझा विशेषता है जो मानव समाज को अन्य प्रजातियों से अलग करती है।
- गलत विकल्प: (a) संस्कृति को केवल उच्च वर्ग तक सीमित करना संकीर्ण है। (c) संस्कृति में भौतिक (जैसे उपकरण) और अभौतिक (जैसे मूल्य) दोनों पहलू शामिल हैं। (d) व्यक्तिगत पसंद संस्कृति का हिस्सा हो सकती है, लेकिन संस्कृति अपने आप में साझा और सीखे गए पैटर्न को दर्शाती है।
प्रश्न 5: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?
- पश्चिमी जीवन शैली का अनुकरण।
- निम्न जाति या जनजाति का उच्च जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास।
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया।
- क्षेत्रीय विविधता का प्रसार।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतीकरण’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया, जिसका अर्थ है कि निम्न-जाति या निम्न-वर्ग के समूह उच्च-जाति या उच्च-वर्ग के समूहों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, पूजा-पाठ, जीवन शैली और मूल्यों को अपनाकर अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को बढ़ाना चाहते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया मुख्य रूप से भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में देखी जाती है और यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमी जीवन शैली का अनुकरण ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) कहलाता है। (c) आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है। (d) क्षेत्रीय विविधता का प्रसार इसका प्रत्यक्ष अर्थ नहीं है।
प्रश्न 6: मैरी डगलस (Mary Douglas) के अनुसार, ‘शुद्धता और खतरा’ (Purity and Danger) का संबंध मुख्य रूप से किससे है?
- धार्मिक अनुष्ठान
- स्वास्थ्य और स्वच्छता
- वर्गीकरण और सीमाएं
- सभी उपरोक्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 7: ‘अजनबी’ (The Stranger) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?
- ए.वी. होडेसन (A. V. Hodson)
- जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel)
- अल्फ्रेड शुट्ज़ (Alfred Schutz)
- ई. सी. ह्यूम (E. C. Hume)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘अजनबी’ (The Stranger) की अवधारणा जॉर्ज सिमेल से जुड़ी है। सिमेल ने अजनबी को एक ऐसे सदस्य के रूप में वर्णित किया जो समाज का हिस्सा होते हुए भी उससे दूर रहता है, जो वर्तमान का हिस्सा है लेकिन भविष्य से भी जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने अपनी कृति ‘सोशियोलॉजी’ (Sociology) में इस पर विस्तार से चर्चा की। अजनबी अपनी निकटता और दूरी दोनों के कारण समाज के लिए एक अद्वितीय भूमिका निभाता है, जो उसे अधिक वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: अल्फ्रेड शुट्ज़ ने भी ‘अजनबी’ पर काम किया, लेकिन सिमेल का काम मौलिक और अधिक प्रभावशाली माना जाता है। ए.वी. होडेसन और ई.सी. ह्यूम इस विशिष्ट अवधारणा से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा एक सामाजिक संस्था (Social Institution) का उदाहरण है?
- एक व्यक्ति का दोस्त
- एक राजनीतिक दल
- भारतीय संसद
- सभी उपरोक्त
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में, सामाजिक संस्थाएं समाज के प्रमुख और सुस्थापित पैटर्न या व्यवस्थाएं हैं जो सदस्यों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। परिवार, विवाह, शिक्षा, धर्म, राजनीति और अर्थव्यवस्था प्रमुख सामाजिक संस्थाएं हैं। एक व्यक्ति का दोस्त व्यक्तिगत संबंध है, जबकि एक राजनीतिक दल और भारतीय संसद समाज की राजनीतिक संस्था के रूप में कार्य करते हैं, जो नागरिक समाज का हिस्सा हैं और व्यवस्थित तरीके से कार्य करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये संस्थाएं समाज की संरचना और कार्यप्रणाली को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- गलत विकल्प: यहाँ, तीनों विकल्प सामाजिक संस्थाओं के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। एक राजनीतिक दल (जैसे कि एक पार्टी) और भारतीय संसद (एक विधायी निकाय) दोनों ही राजनीतिक क्षेत्र की संस्थाएं हैं। यदि हम ‘मित्र’ को एक अनौपचारिक सामाजिक समूह के रूप में देखें, तो वह स्वयं एक संस्था न होकर, संस्थाओं (जैसे परिवार, शिक्षा) के भीतर भूमिकाओं का निर्वाह करने वाले व्यक्तियों का समुच्चय हो सकता है। लेकिन व्यापक अर्थों में, राजनीतिक दल और विधायी निकाय स्पष्ट रूप से संस्थाएं हैं। दिए गए विकल्पों में, (d) सबसे उपयुक्त है यदि हम राजनीतिक दलों और विधायी निकायों को सामाजिक संस्थाएं मानते हैं।
प्रश्न 9: ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा, जो सामाजिक घटनाओं के विश्लेषण के लिए एक वैचारिक उपकरण है, किसने विकसित की?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- टालकोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा मैक्स वेबर द्वारा विकसित की गई थी। यह एक तार्किक रूप से सुसंगत, अमूर्त अवधारणा है जो वास्तविकता को समझने के लिए एक तुलनात्मक आधार प्रदान करती है। यह वास्तविकता का दर्पण नहीं है, बल्कि एक वैचारिक उपकरण है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy), पूंजीवाद (Capitalism) आदि के आदर्श प्रारूप विकसित किए ताकि वास्तविक दुनिया के उदाहरणों का विश्लेषण किया जा सके।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों पर जोर दिया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (structural-functionalism) के सिद्धांतों का विकास किया।
प्रश्न 10: भारतीय समाज में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) क्या दर्शाती है?
- जाति-आधारित श्रम विभाजन और परस्पर सेवा विनिमय।
- शिक्षा का वितरण।
- महिलाओं की सामाजिक स्थिति।
- भूमि का स्वामित्व।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जजमानी प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाज की एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था है, जो जाति-आधारित श्रम विभाजन और परस्पर सेवा-विनिमय पर आधारित है। इसमें उच्च जातियां (जजमान) निम्न जातियों (कुलियों/प्रजातियों) से सेवाएं प्राप्त करती हैं और बदले में उन्हें भोजन, वस्त्र या धन के रूप में भुगतान करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली संबंध प्रणाली थी जो ग्रामीण समुदायों में स्थिरता प्रदान करती थी।
- गलत विकल्प: यह सीधे तौर पर शिक्षा, महिलाओं की स्थिति या भूमि के स्वामित्व से संबंधित नहीं है, हालांकि इन पहलुओं पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का प्रकार नहीं है?
- ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
- क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
- अंतर्पीढ़ी गतिशीलता (Intragenerational Mobility)
- संरचनात्मक गतिशीलता (Structural Mobility)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘अंतर्पीढ़ी गतिशीलता’ (Intragenerational Mobility) स्वयं गतिशीलता का एक प्रकार नहीं है, बल्कि गतिशीलता के समय-संदर्भ को परिभाषित करती है। सामाजिक गतिशीलता को मुख्य रूप से ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे जाना), क्षैतिज (समान स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाना), और संरचनात्मक (सामाजिक संरचना में परिवर्तन के कारण होने वाली गतिशीलता) जैसे प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। अंतर्पीढ़ी गतिशीलता एक व्यक्ति के जीवनकाल में होने वाली गतिशीलता को संदर्भित करती है (जैसे, वह पिता से अधिक सफल है या कम), जबकि अंतरपीढ़ी गतिशीलता (Intergenerational Mobility) पीढ़ियों के बीच गतिशीलता को दर्शाती है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता का अध्ययन किसी समाज की खुली या बंद प्रकृति को समझने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सामाजिक गतिशीलता के स्थापित प्रकार हैं।
प्रश्न 12: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिकों के अनुभव से संबंधित, किसने प्रस्तुत की?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को विस्तृत रूप से प्रतिपादित किया। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीवादी व्यवस्था में, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, स्वयं अपने श्रम की प्रक्रिया, अपनी ‘प्रजाति-सार’ (species-essence) और अपने साथी मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव इसलिए उत्पन्न होता है क्योंकि श्रमिक उत्पादन प्रक्रिया पर नियंत्रण नहीं रखता और केवल एक वस्तु की तरह काम करता है। यह मार्क्स की प्रारंभिक कृतियों, जैसे ‘इकोनॉमिक एंड फिलोसॉफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’, में एक प्रमुख विषय है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा पर काम किया। वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) और ‘सत्ता’ (Authority) पर ध्यान केंद्रित किया। फ्रायड एक मनोवैज्ञानिक थे और उनका ध्यान व्यक्तिगत मन पर था।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की नहीं है, जैसा कि मैक्स वेबर ने परिभाषित किया है?
- पदानुक्रमित अधिकार संरचना
- नियमों और विनियमों का कठोर पालन
- व्यक्तिगत संबंध और पक्षपात
- विशिष्ट कार्य विभाजन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को कार्यकुशलता और तर्कसंगतता के एक आदर्श प्रारूप के रूप में देखा। उनकी परिभाषा के अनुसार, एक आदर्श नौकरशाही में स्पष्ट पदानुक्रम, नियमों का औपचारिक पालन, कार्यों का विशिष्ट विभाजन, और व्यक्तिगत संबंधों के बजाय योग्यता पर आधारित चयन शामिल है। इसलिए, व्यक्तिगत संबंध और पक्षपात नौकरशाही की एक आदर्श विशेषता नहीं है; वास्तव में, वेबर ने इसके विपरीत, अवैयक्तिक (impersonal) व्यवहार पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि यह अवैयक्तिकता ही नौकरशाही को निष्पक्ष और कुशल बनाती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) वेबर द्वारा परिभाषित नौकरशाही की प्रमुख विशेषताएं हैं।
प्रश्न 14: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?
- कार्ल मार्क्स
- हरबर्ट स्पेंसर
- इमाइल दुर्खीम
- अगस्त कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा का उपयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहां समाज में सामान्य नियम और मूल्य गायब हो जाते हैं या कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘डेविडिटी ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) और ‘सुसाइड’ (Suicide) में इस अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। एनोमी को सामाजिक विघटन का एक परिणाम माना जाता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स का ध्यान वर्ग संघर्ष पर था। स्पेंसर ने सामाजिक विकास का सिद्धांत दिया। कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 15: भारतीय समाज में ‘कल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- राज्य का केवल रक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखना।
- राज्य का अपने नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाना।
- राज्य का सभी आर्थिक गतिविधियों पर पूर्ण नियंत्रण रखना।
- राज्य का न्यूनतम हस्तक्षेप करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कल्याणकारी राज्य वह राज्य है जो अपने नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करता है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार और गरीबी उन्मूलन जैसी सेवाएं प्रदान करना शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान की प्रस्तावना और नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy) कल्याणकारी राज्य की स्थापना पर जोर देते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह एक ‘पुलिस राज्य’ (Police State) की अवधारणा है। (c) यह ‘समाजवादी राज्य’ या ‘साम्यवादी राज्य’ की ओर झुकाव है। (d) यह ‘अहस्तक्षेप’ (Laissez-faire) की अवधारणा है।
प्रश्न 16: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रवर्तक किसे माना जाता है?
- ए.एच. मीड़ (G.H. Mead)
- हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer)
- टालकोट पार्सन्स (Talcott Parsons)
- रॉबर्ट ई. पार्क (Robert E. Park)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जी.एच. मीड़ (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख संस्थापक माना जाता है। हालांकि, हरबर्ट ब्लूमर ने इस परिप्रेक्ष्य को ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ नाम दिया और इसे व्यवस्थित रूप से विकसित किया। लेकिन मीड़ के विचार, विशेष रूप से ‘स्व’ (self), ‘समाज’ (society) और ‘भाषा’ (language) के बीच संबंध पर, इस सिद्धांत की नींव हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड़ ने सिखाया कि व्यक्ति अपने अंतःक्रियाओं के माध्यम से प्रतीकों (जैसे भाषा) का उपयोग करके अपने ‘स्व’ का निर्माण करते हैं।
- गलत विकल्प: पार्सन्स संरचनात्मक-प्रकार्यवाद से संबंधित हैं। पार्क शिकागो स्कूल और शहरी समाजशास्त्र से जुड़े थे।
प्रश्न 17: ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा, जो घनिष्ठ, व्यक्तिगत और दीर्घकालिक संबंधों की विशेषता है, किसने प्रस्तुत की?
- मैक्स वेबर
- चार्ल्स कूले (Charles Horton Cooley)
- रॉबर्ट मैकाइवर (Robert MacIver)
- किंग्सले डेविस (Kingsley Davis)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: चार्ल्स कूले ने अपनी पुस्तक ‘सोशल ऑर्गनाइजेशन’ (Social Organization) में ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने परिवार, पड़ोस और खेल समूह को प्राथमिक समूह के उदाहरण के रूप में सूचीबद्ध किया, जिनकी विशेषता आमने-सामने का संबंध, एकता की भावना और सदस्यों के बीच घनिष्ठ, व्यक्तिगत संबंध है।
- संदर्भ और विस्तार: कूले के अनुसार, प्राथमिक समूह व्यक्ति के समाजीकरण और व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: वेबर ने शक्ति और नौकरशाही पर ध्यान केंद्रित किया। मैकाइवर ने समुदाय और समाज के बीच अंतर किया। डेविस ने जनसंख्याशास्त्र और सामाजिक परिवर्तन पर काम किया।
प्रश्न 18: सामाजिक सर्वेक्षण (Social Survey) अनुसंधान पद्धति का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
- गहन साक्षात्कार के माध्यम से लोगों के अनुभवों को समझना।
- किसी विशेष आबादी के बीच व्यवहार, दृष्टिकोण या विशेषताओं की आवृत्ति और पैटर्न का वर्णन करना।
- लंबे समय तक एक समूह का अवलोकन करना।
- किसी सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए नियंत्रित प्रयोग करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक सर्वेक्षण एक मात्रात्मक (quantitative) अनुसंधान पद्धति है जिसका उपयोग एक बड़ी आबादी के बारे में डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने के लिए किया जाता है, ताकि उनके व्यवहार, दृष्टिकोण, विश्वासों या जनसांख्यिकीय विशेषताओं की आवृत्ति और पैटर्न का वर्णन किया जा सके। यह आमतौर पर प्रश्नावली या संरचित साक्षात्कार के माध्यम से किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य अक्सर सामान्यीकरण (generalization) करना होता है।
- गलत विकल्प: (a) गहन साक्षात्कार गुणात्मक (qualitative) विधि है। (c) लंबे समय तक अवलोकन ‘जातीयता’ (ethnography) या ‘सहभागी अवलोकन’ (participant observation) है। (d) नियंत्रित प्रयोग आमतौर पर प्राकृतिक विज्ञानों या व्यवहारवादी मनोविज्ञान में उपयोग किए जाते हैं।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण विशेषता नहीं है?
- जाति व्यवस्था
- संयुक्त परिवार प्रणाली
- ग्राम प्रधानता
- एकल परिवार का बढ़ता प्रचलन
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय समाज की पारंपरिक रूप से जाति व्यवस्था, संयुक्त परिवार प्रणाली और ग्राम प्रधानता जैसी विशेषताएं रही हैं। हालांकि, शहरीकरण, आधुनिकीकरण और बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण एकल परिवार का प्रचलन बढ़ रहा है, लेकिन यह अभी भी ऐतिहासिक रूप से भारतीय समाज की ‘मुख्य’ या ‘प्रमुख’ विशेषता के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि यह एक परिवर्तनशील प्रवृत्ति है।
- संदर्भ और विस्तार: पारंपरिक भारतीय समाज में संयुक्त परिवार को एक आदर्श माना जाता था।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) भारतीय समाज की सदियों पुरानी और प्रमुख विशेषताएं रही हैं। (d) एकल परिवार का बढ़ता प्रचलन एक आधुनिक प्रवृत्ति है, न कि पारंपरिक या मुख्य विशेषता।
प्रश्न 20: ‘संस्थागतकरण’ (Institutionalization) की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है?
- समूहों का निर्माण
- व्यवहार के स्थापित और मान्यता प्राप्त पैटर्न का विकास
- सामाजिक नियमों का उल्लंघन
- व्यक्तिगत राय का निर्माण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्थागतकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कुछ व्यवहार, विश्वास या मूल्य समाज द्वारा स्वीकार किए जाते हैं, नियमित हो जाते हैं और संस्थाओं (जैसे परिवार, शिक्षा, सरकार) के रूप में व्यवस्थित हो जाते हैं। यह व्यवहार के स्थापित और मान्यता प्राप्त पैटर्न का निर्माण करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: (a) समूह निर्माण संस्थागतकरण का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया स्वयं नहीं है। (c) यह नियमों के निर्माण से संबंधित है, उल्लंघन से नहीं। (d) व्यक्तिगत राय संस्थागतकरण से अप्रभावित रह सकती है या उससे प्रभावित हो सकती है, लेकिन यह प्रक्रिया का प्रत्यक्ष अर्थ नहीं है।
प्रश्न 21: टालकोट पार्सन्स (Talcott Parsons) द्वारा प्रस्तावित ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social System) को बनाए रखने के लिए कौन सा ‘कार्यात्मक आवश्यकता’ (Functional Imperative) आवश्यक नहीं है?
- अनुकूलन (Adaptation)
- लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment)
- एकीकरण (Integration)
- संघर्ष (Conflict)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टालकोट पार्सन्स ने ‘AGIL’ मॉडल (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency/Pattern Maintenance) प्रस्तुत किया, जो किसी भी सामाजिक व्यवस्था के अस्तित्व और निरंतरता के लिए चार आवश्यक कार्यात्मक आवश्यकताओं का वर्णन करता है। ‘संघर्ष’ (Conflict) व्यवस्था को बनाए रखने के बजाय उसे बाधित करने वाला कारक है, हालांकि पार्सन्स यह स्वीकार करते हैं कि सामाजिक व्यवस्था में संघर्ष मौजूद हो सकता है, लेकिन यह एक कार्यात्मक आवश्यकता नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: AGIL मॉडल के माध्यम से, पार्सन्स ने समझाया कि कैसे समाज अपनी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) पार्सन्स के AGIL मॉडल की तीन प्रमुख कार्यात्मक आवश्यकताएं हैं।
प्रश्न 22: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
- किसी व्यक्ति की भौतिक संपत्ति।
- किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल।
- सामाजिक नेटवर्क, संबंध और विश्वास जो व्यक्तियों या समूहों को लाभान्वित करते हैं।
- सरकारी नीतियों का समूह।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह के सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, विश्वास और आपसी सहयोग से उत्पन्न होने वाले संसाधन और लाभ। यह अक्सर दूसरों से सहायता, जानकारी या अवसर प्राप्त करने में सहायक होता है। पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और जेम्स कोलमन (James Coleman) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को विकसित किया।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक जुड़ाव और सहयोग के माध्यम से मूल्य निर्माण पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: (a) भौतिक संपत्ति ‘आर्थिक पूंजी’ है। (b) शिक्षा और कौशल ‘मानव पूंजी’ (Human Capital) हैं। (d) सरकारी नीतियां सामाजिक पूंजी का स्रोत हो सकती हैं, लेकिन यह स्वयं सामाजिक पूंजी नहीं है।
प्रश्न 23: भारत में ‘आदिवासी समुदाय’ (Tribal Communities) की मुख्य पहचान क्या है?
- एकल परिवार प्रणाली
- विशिष्ट भाषा, संस्कृति और भौगोलिक अलगाव
- उच्च स्तर का शहरीकरण
- जाति-आधारित सामाजिक संरचना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आदिवासी समुदायों की पहचान अक्सर उनकी विशिष्ट भाषा, अनूठी संस्कृति, सामुदायिक भावना, प्राथमिक संबंध, भौगोलिक अलगाव, और कभी-कभी मुख्यधारा के समाज से भिन्न राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्थाओं से होती है।
- संदर्भ और विस्तार: ये समुदाय अक्सर अपनी सांस्कृतिक विशिष्टताओं को बनाए रखने का प्रयास करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) एकल परिवार हमेशा उनकी विशेषता नहीं होता; संयुक्त परिवार या विस्तारित परिवार आम हो सकते हैं। (c) आदिवासी समुदाय अक्सर ग्रामीण या दूरस्थ क्षेत्रों में रहते हैं, न कि उच्च शहरीकृत क्षेत्रों में। (d) जाति व्यवस्था मुख्य रूप से गैर-आदिवासी भारतीय समाज की विशेषता है, हालांकि कुछ हद तक इसका प्रभाव आदिवासियों पर भी पड़ा है।
प्रश्न 24: ‘जाति’ (Caste) को एक ‘बंद स्तरीकरण व्यवस्था’ (Closed System of Stratification) क्यों कहा जाता है?
- इसमें सामाजिक गतिशीलता की बहुत कम या कोई गुंजाइश नहीं होती।
- इसमें व्यक्ति जन्म से ही अपनी स्थिति प्राप्त करते हैं और उसे बदलना कठिन होता है।
- इसमें सदस्यता का आधार सदस्यता का जन्म है, और यह कठोर सामाजिक पदानुक्रम को दर्शाता है।
- सभी उपरोक्त।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जाति व्यवस्था को एक बंद स्तरीकरण व्यवस्था इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें सामाजिक गतिशीलता की गुंजाइश बहुत सीमित होती है। व्यक्ति अपनी जाति जन्म से प्राप्त करता है, और विवाह, व्यवसाय और सामाजिक अंतःक्रियाओं पर अक्सर जातिगत प्रतिबंध होते हैं, जिससे स्थिति में बदलाव अत्यंत कठिन हो जाता है। यह कठोर पदानुक्रम को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय समाज में जाति व्यवस्था ने सामाजिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) तीनों ही जाति को एक बंद व्यवस्था के रूप में परिभाषित करने वाली प्रमुख विशेषताएं हैं।
प्रश्न 25: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) से क्या तात्पर्य है?
- समाज में विभिन्न भूमिकाओं के बीच संघर्ष।
- एक व्यक्ति की विभिन्न भूमिकाओं के बीच असंगति या विरोधाभास।
- समूहों के बीच प्रतिस्पर्धा।
- व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच अंतर।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति को एक ही समय में अपनी दो या दो से अधिक भूमिकाओं से जुड़ी अपेक्षाओं को पूरा करने में कठिनाई होती है, या जब इन भूमिकाओं की अपेक्षाएं परस्पर विरोधी होती हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो एक ही समय में एक प्रबंधक और एक माता-पिता है, उसे काम की अतिरिक्त जिम्मेदारियों और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारियों के बीच संघर्ष का अनुभव हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भूमिका तनाव (Role Strain) से भिन्न है, जहाँ एक ही भूमिका के भीतर कई अपेक्षाएँ होती हैं।
- गलत विकल्प: (a) समाज में विभिन्न भूमिकाओं के बीच संघर्ष को ‘भूमिका संघर्ष’ के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवस्था के रूप में समझा जा सकता है। (c) समूहों के बीच प्रतिस्पर्धा ‘सामाजिक संघर्ष’ है। (d) व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं और सामाजिक अपेक्षाएं भूमिका संघर्ष का कारण बन सकती हैं, लेकिन यह भूमिका संघर्ष की परिभाषा नहीं है।