समाजशास्त्र दैनिक अभ्यास: अपनी अवधारणाओं को मज़बूत करें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! आज की यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को परखने का एक शानदार अवसर है। क्या आप अपने मुख्य सिद्धांतों, विचारकों और सामाजिक विश्लेषण की पेचीदगियों में महारत हासिल करने के लिए तैयार हैं? आइए, इस दैनिक बौद्धिक चुनौती में गोता लगाएँ और देखें कि आप कितना उम्दा प्रदर्शन करते हैं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘पावर’ (Power) को ‘डोमिनेशन’ (Domination) से अलग करने वाले समाजशास्त्री कौन थे, जो बाध्यता के बजाय वैधता पर आधारित प्रभुत्व को संदर्भित करता है?
- कार्ल मार्क्स
- इमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ताल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘सत्ता’ (Power) और ‘प्रभुत्व’ (Domination) के बीच अंतर किया। वेबर के अनुसार, प्रभुत्व (Domination) एक विशेष प्रकार की सत्ता है, जहाँ आदेशों का पालन करने के लिए एक निश्चित न्यूनतम स्तर की आज्ञाकारिता की अपेक्षा की जाती है। यह आज्ञाकारिता आज्ञाओं के प्रति विश्वास पर आधारित होती है कि वे ‘वैध’ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी पुस्तक ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ (Economy and Society) में प्रभुत्व के तीन आदर्श प्रकार बताए: करिश्माई, पारंपरिक और कानूनी-तर्कसंगत। यह अवधारणा उनके सामाजिक क्रिया और नौकरशाही के विश्लेषण का केंद्रीय बिंदु है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से आर्थिक आधार पर वर्ग संघर्ष और सत्ता के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया। इमाइल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और आत्महत्या के कारणों का अध्ययन किया, जबकि ताल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और संरचनात्मक-कार्यात्मकता पर जोर दिया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा हर्बर्ट स्पेंसर के ‘समाज को एक जीव’ (Society as an Organism) के रूपक से सबसे निकटता से संबंधित है?
- सामाजिक विभेदीकरण (Social Differentiation)
- सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)
- सामाजिक समरूपता (Social Homogeneity)
- सामाजिक अलगाव (Social Alienation)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: हर्बर्ट स्पेंसर ने समाज की तुलना एक जैविक जीव से की। जैसे एक जीव में विभिन्न अंग होते हैं जो विशिष्ट कार्य करते हैं, उसी प्रकार समाज में भी विभिन्न संस्थाएँ (जैसे परिवार, सरकार, अर्थव्यवस्था) होती हैं जो समाज के अस्तित्व और कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक विशिष्ट कार्य करती हैं। इस प्रक्रिया को ‘सामाजिक विभेदीकरण’ (Social Differentiation) कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर का मानना था कि जैसे-जैसे समाज सरल से जटिल की ओर विकसित होता है, वैसे-वैसे उसका विभेदीकरण बढ़ता है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘प्रिंसिपल्स ऑफ सोशियोलॉजी’ (Principles of Sociology) में इस विचार को विस्तार से समझाया।
- गलत विकल्प: सामाजिक स्तरीकरण सामाजिक असमानता और पदानुक्रम से संबंधित है। सामाजिक समरूपता का अर्थ है समाजों का एक जैसा होना, जो विभेदीकरण के विपरीत है। सामाजिक अलगाव मार्क्सवादी सिद्धांत का हिस्सा है।
प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एकीकरण’ (Integration) को बढ़ावा देने वाला प्राथमिक कारक क्या है?
- व्यक्तिगत हित
- साझा विश्वास और भावनाएँ (Collective Consciousness)
- बाजार अर्थव्यवस्था
- सत्तावादी शासन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम के अनुसार, ‘साझा विश्वास और भावनाएँ’ (Collective Consciousness) वह गोंद है जो समाज को एक साथ बांधता है। यह समाज के सदस्यों के बीच साझा मूल्यों, नैतिकता और विश्वासों का योग है, जो उन्हें एकजुट करता है और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में यांत्रिक और आधुनिक (जैविक) एकजुटता के बीच अंतर किया। यांत्रिक एकजुटता में साझा विश्वास मजबूत होते हैं, जबकि आधुनिक एकजुटता में विशेषज्ञता के माध्यम से एकजुटता प्राप्त होती है, लेकिन साझा भावनाएँ अभी भी महत्वपूर्ण हैं।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत हित अलगाव को बढ़ावा दे सकते हैं, न कि एकीकरण को। बाजार अर्थव्यवस्था और सत्तावादी शासन जटिल सामाजिक संरचनाओं के हिस्से हो सकते हैं, लेकिन दुर्खीम के लिए सबसे मौलिक एकीकृत कारक साझा चेतना है।
प्रश्न 4: जी.एच. मीड (G.H. Mead) द्वारा विकसित ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के मूल सिद्धांत के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) के बीच संबंध क्या है?
- ‘मी’ ‘मैं’ का पूर्ववर्ती है।
- ‘मैं’ ‘मी’ का पूर्ववर्ती है।
- ‘मैं’ और ‘मी’ एक ही हैं।
- ‘मैं’ सामाजिक चेतना है और ‘मी’ व्यक्ति की प्रतिक्रियाएँ हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: जी.एच. मीड के अनुसार, ‘मैं’ (I) व्यक्ति की तात्कालिक, अनियंत्रित और रचनात्मक प्रतिक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘मी’ (Me) समाज द्वारा आंतरिककृत दृष्टिकोणों और अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे ‘अन्य’ (The Other) के रूप में समझा जाता है। ‘मी’ पहले विकसित होता है, क्योंकि व्यक्ति समाज की अपेक्षाओं को सीखता है, और फिर ‘मैं’ उस ‘मी’ के प्रति प्रतिक्रिया करता है। इस प्रकार, ‘मैं’ ‘मी’ का पूर्ववर्ती है, क्योंकि यह समाज की अपेक्षाओं के आधार पर व्यक्ति की अपनी प्रतिक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने अपने मरणोपरांत प्रकाशित कार्य ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ (Mind, Self and Society) में इन अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। उन्होंने तर्क दिया कि आत्म (Self) एक सामाजिक उत्पाद है जो दूसरों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है।
- गलत विकल्प: ‘मी’ सामाजिक अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जो पहले व्यक्ति के व्यवहार को निर्देशित करती हैं, और फिर ‘मैं’ उस पर प्रतिक्रिया करता है। वे समान नहीं हैं, और ‘मी’ के बिना ‘मैं’ का विकास संभव नहीं है।
प्रश्न 5: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अशुद्धता’ (Purity) और ‘दूषण’ (Pollution) की अवधारणाएँ किन समाजशास्त्रियों के कार्य में केंद्रीय हैं?
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- आंद्रे बेतेई
- जी.एस. घुरिये
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: आंद्रे बेतेई (André Béteille) ने भारतीय जाति व्यवस्था के अपने विश्लेषण में ‘पवित्रता’ (Purity) और ‘अपवित्रता’ (Pollution) की अवधारणाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि इन अवधारणाओं ने जाति पदानुक्रम को बनाए रखने और विभिन्न जातियों के बीच अंतःक्रियाओं को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- संदर्भ और विस्तार: बेतेई ने अपनी पुस्तक ‘कास्ट, क्लास एंड पावर’ (Cast, Class and Power) में इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे जाति व्यवस्था केवल आर्थिक या राजनीतिक शक्ति से नहीं, बल्कि अनुष्ठानिक शुद्धता और निषेधों के एक जटिल जाल से भी संचालित होती है।
- गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) और ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) जैसी अवधारणाएँ दीं। इरावती कर्वे ने भारत के नृविज्ञान और नातेदारी पर काम किया। जी.एस. घुरिये जाति व्यवस्था के संरचनात्मक पहलुओं पर केंद्रित थे।
प्रश्न 6: एल. कोजर (L. Coser) के अनुसार, समाज के लिए संघर्ष का सबसे महत्वपूर्ण सकारात्मक कार्य क्या है?
- यह समूह के भीतर एकता को कम करता है।
- यह सामाजिक परिवर्तन को रोकता है।
- यह समूह की पहचान को मजबूत करता है और समूह के बाहर एकता को बढ़ावा देता है।
- यह मौजूदा सामाजिक व्यवस्था को अस्थिर करता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: लुईस कोजर (Lewis Coser) ने अपनी पुस्तक ‘द फंक्शन ऑफ सोशल कॉन्फ्लिक्ट’ (The Functions of Social Conflict) में तर्क दिया कि संघर्ष, विशेष रूप से बाहरी समूहों के साथ, समूह के सदस्यों के बीच एकता को मजबूत कर सकता है और समूह की पहचान को स्पष्ट कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: कोजर ने जोर दिया कि संघर्ष हमेशा विनाशकारी नहीं होता; इसके कई कार्यात्मक परिणाम हो सकते हैं, जैसे कि अंतर्वैयक्तिक संबंधों में नई स्पष्टता लाना, समूह के सदस्यों को एकजुट करना, और नए समूहों का निर्माण करना।
- गलत विकल्प: कोजर के अनुसार, संघर्ष अक्सर समूह के भीतर एकता को बढ़ाता है, कम नहीं करता। यह सामाजिक परिवर्तन को भी प्रेरित कर सकता है, न कि रोक सकता है। जबकि यह कभी-कभी व्यवस्था को अस्थिर कर सकता है, इसका एक महत्वपूर्ण सकारात्मक कार्य भी होता है।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में, ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया को समझने के लिए किस समाजशास्त्री ने ‘सांस्कृतिक पुनर्गठन’ (Cultural Reorganization) की अवधारणा का उपयोग किया?
- टी.एन. मदान
- रोहिणी देसाई
- आशीष नंदी
- योगेंद्र सिंह
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: योगेंद्र सिंह ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रियाओं का विश्लेषण करते हुए ‘सांस्कृतिक पुनर्गठन’ (Cultural Reorganization) की अवधारणा का उपयोग किया। उनका तर्क था कि आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण जैसी प्रक्रियाएँ भारतीय संस्कृति को गहराई से प्रभावित करती हैं और उसके पुनर्गठन की ओर ले जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सिंह की पुस्तक ‘मॉडर्नाइजेशन ऑफ इंडियन ट्रेडिशन’ (Modernization of Indian Tradition) में यह विश्लेषण मिलता है। उन्होंने दिखाया कि कैसे पारंपरिक संस्थाएँ और मूल्य आधुनिकता के दबाव में रूपांतरित होते हैं, लेकिन साथ ही वे पारंपरिक तत्वों को भी बनाए रखते हैं।
- गलत विकल्प: टी.एन. मदान ने भारत में धर्मनिरपेक्षीकरण को ‘आधुनिकीकरण’ से अलग देखने पर जोर दिया। रोहिणी देसाई ने ग्रामीण समाजशास्त्र पर काम किया। आशीष नंदी ने ‘पश्चिमीकरण’ के नकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
प्रश्न 8: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) के अनुसार, ‘अनदेखे परिणाम’ (Latent Functions) वे हैं जो:
- किसी सामाजिक संस्था के स्पष्ट और इच्छित परिणाम होते हैं।
- किसी सामाजिक संस्था के अनपेक्षित और अनजाने परिणाम होते हैं।
- समाज के लिए हानिकारक या विघटनकारी परिणाम होते हैं।
- किसी सामाजिक संस्था के उद्देश्यहीन परिणाम होते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ‘मैनिफेस्ट फंक्शन्स’ (Manifest Functions) और ‘लेटेंट फंक्शन्स’ (Latent Functions) के बीच अंतर किया। मैनिफेस्ट फंक्शन्स इच्छित और पहचाने जाने योग्य परिणाम होते हैं, जबकि लेटेंट फंक्शन्स अनपेक्षित और अक्सर अनजाने परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक ‘सोशल थ्योरी एंड सोशल स्ट्रक्चर’ (Social Theory and Social Structure) में इन अवधारणाओं का प्रयोग सामाजिक संस्थाओं, जैसे कि राजनीतिक दल या धार्मिक संगठन, के कार्यों का विश्लेषण करने के लिए किया।
- गलत विकल्प: (a) स्पष्ट परिणाम ‘मैनिफेस्ट फंक्शन्स’ हैं। (c) हानिकारक परिणाम ‘डिसफंक्शन्स’ (Dysfunctions) कहलाते हैं। (d) ‘अनदेखे’ का अर्थ सिर्फ उद्देश्यहीन नहीं, बल्कि अनपेक्षित भी है।
प्रश्न 9: भारत में ‘जनजातीय समुदाय’ (Tribal Communities) के अध्ययन में ‘अलगाव’ (Isolation) और ‘आत्मसात्करण’ (Assimilation) के किन दो प्रमुख दृष्टिकोणों का उल्लेख किया जाता है?
- संरक्षणवाद और उदारवाद
- अछूतापन और एकीकरण
- समरूपता और बहुसंस्कृतिवाद
- प्रभुत्व और प्रतिरोध
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: भारत में जनजातीय समुदायों के संदर्भ में, उनके एकीकरण या गैर-एकीकरण की व्याख्या के लिए दो प्रमुख दृष्टिकोण ‘अछूतापन’ (Isolation) या अलगाव का दृष्टिकोण और ‘एकीकरण’ (Integration) का दृष्टिकोण है। अछूतापन मानता है कि जनजातियाँ मुख्यधारा समाज से अलग-थलग रहती हैं, जबकि एकीकरण मानता है कि वे धीरे-धीरे मुख्यधारा में शामिल हो रही हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये दृष्टिकोण जनजातियों की वर्तमान स्थिति और उनके भविष्य के एकीकरण की नीतियों को समझने में मदद करते हैं। कई विद्वानों ने इन दोनों दृष्टिकोणों के प्रभाव का विश्लेषण किया है।
- गलत विकल्प: संरक्षणवाद और उदारवाद राजनीतिक विचारधाराएँ हैं। समरूपता और बहुसंस्कृतिवाद सांस्कृतिक समावेश के तरीके हैं। प्रभुत्व और प्रतिरोध सामाजिक संघर्ष के आयाम हैं।
प्रश्न 10: ‘नृजातीयता’ (Ethnicity) को परिभाषित करने में निम्नलिखित में से कौन सा कारक सबसे कम प्रासंगिक है?
- सांस्कृतिक समानताएँ (जैसे भाषा, धर्म, रीति-रिवाज)
- सांस्कृतिक भिन्नताएँ
- एक साझा ऐतिहासिक अनुभव
- एक साझा भौगोलिक मूल (भौगोलिक रूप से अलग या जुड़ा हुआ)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 11: सामाजिक संरचना (Social Structure) को ‘स्थिरता’ (Stability) और ‘परिवर्तन’ (Change) के बीच एक गतिशील संतुलन के रूप में अध्ययन करने वाले समाजशास्त्री कौन हैं?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- ताल्कोट पार्सन्स
- एन्थनी गिडेंस
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एन्थनी गिडेंस (Anthony Giddens) ने ‘संरचनाण’ (Structuration) के अपने सिद्धांत में सामाजिक संरचना को ‘संरचना’ (Structure) और ‘एजेंसी’ (Agency) के द्वैत के माध्यम से समझाया। उन्होंने तर्क दिया कि सामाजिक संरचनाएँ न केवल लोगों के कार्यों को निर्देशित करती हैं, बल्कि लोगों के दैनिक कार्यों द्वारा सक्रिय रूप से निर्मित और पुन: निर्मित भी होती हैं। यह स्थिरता और परिवर्तन के बीच एक गतिशील संबंध को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: गिडेंस की मुख्य कृतियों में ‘द कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ सोसाइटी’ (The Constitution of Society) शामिल है, जहाँ उन्होंने ‘संरचनाण’ सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो मानव एजेंसी और सामाजिक संरचना के बीच संबंध को रेखांकित करता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स और वेबर ने भी संरचना पर काम किया, लेकिन गिडेंस का विशेष ध्यान संरचना और एजेंसी के गतिशील द्वैत पर है। पार्सन्स ने संरचनात्मक-कार्यात्मकता पर जोर दिया, जिसमें स्थिरता पर अधिक ध्यान था।
प्रश्न 12: भारत में ‘अनटचेबिलिटी’ (Untouchability) या ‘अस्पृश्यता’ को समाप्त करने का प्रयास निम्नलिखित में से किस संवैधानिक प्रावधान से जुड़ा है?
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 21
- अनुच्छेद 32
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) को समाप्त करता है और इसके किसी भी रूप में आचरण को प्रतिबंधित करता है। इस अनुच्छेद का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ित जातियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करना है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 17 के प्रवर्तन के लिए संसद ने ‘अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955’ (Protection of Civil Rights Act, 1955) भी पारित किया, जिसे बाद में संशोधित किया गया। यह भारत में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक कदम है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 भेदभाव के निषेध से संबंधित है (जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर)। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है। अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार है।
प्रश्न 13: ‘सामूहिक प्रतिनिधित्व’ (Collective Representation) की अवधारणा, जो समाज के साझा विश्वासों और मूल्यों को व्यक्त करती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- इमाइल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने ‘सामूहिक प्रतिनिधित्व’ (Collective Representation) की अवधारणा का उपयोग समाज के उन साझा विश्वासों, विचारों और नैतिक भावनाओं को संदर्भित करने के लिए किया जो समाज के सदस्यों को एक साथ बांधते हैं। ये सामूहिक प्रतिनिधित्व अक्सर धर्म और अनुष्ठानों के माध्यम से व्यक्त होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द एलिमेंट्री फॉर्म्स ऑफ द रिलीजियस लाइफ’ (The Elementary Forms of the Religious Life) में इस बात पर विस्तार से चर्चा की कि कैसे धार्मिक अनुष्ठान सामूहिक चेतना को पुनर्जीवित करते हैं और सामाजिक एकता को मजबूत करते हैं।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) और ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Types) पर काम किया। मार्क्स ने ‘वर्ग चेतना’ (Class Consciousness) पर ध्यान केंद्रित किया। सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं और शहरी जीवन पर काम किया।
- एम.एन. श्रीनिवास
- जी.एस. घुरिये
- ए.एम. नम्बूदरीपाद
- डी.एन. मजूमदार
- सही उत्तर: ए.एम. नम्बूदरीपाद (E.M.S. Namboodiripad), एक प्रमुख कम्युनिस्ट नेता और विचारक, ने भारत में जाति की भूमिका और उसके आधुनिक विकास से संबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने तर्क दिया कि कैसे जातिगत संरचनाएँ राजनीतिक और आर्थिक विकास में भी अपनी भूमिका निभाती रहती हैं, जिसे ‘जाति-आधारित विकास’ के रूप में समझा जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि यह शब्द एक विशिष्ट समाजशास्त्रीय पद के रूप में व्यापक रूप से प्रयुक्त नहीं होता, नम्बूदरीपाद ने अपनी राजनीतिक और सामाजिक आलोचनाओं में जाति के आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव पर बार-बार जोर दिया, जो इस अवधारणा के सार को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: श्रीनिवास, घुरिये और मजूमदार प्रमुख मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री थे जिन्होंने जाति का अध्ययन किया, लेकिन ‘जाति-आधारित विकास’ का विशेष विश्लेषण नम्बूदरीपाद के कार्य में अधिक प्रमुख है।
- प्रायोगिक विधि (Experimental Method)
- सर्वेक्षण विधि (Survey Method)
- सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
- प्रत्यक्ष अवलोकन (Direct Observation)
- सही उत्तर: सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis) का उपयोग अक्सर बड़ी मात्रा में डेटा में पैटर्न, रुझानों और सहसंबंधों की पहचान करने के लिए किया जाता है। यह समाजशास्त्रीय अनुसंधान में मात्रात्मक डेटा का विश्लेषण करने के लिए एक मौलिक विधि है।
- संदर्भ और विस्तार: सांख्यिकीय विधियाँ जैसे कि प्रतिगमन विश्लेषण (regression analysis), सहसंबंध (correlation) और आवृत्ति वितरण (frequency distribution) समाजशास्त्रीय चरों (variables) के बीच संबंधों को समझने में मदद करती हैं।
- गलत विकल्प: प्रायोगिक विधि में चर को नियंत्रित किया जाता है। सर्वेक्षण विधि डेटा संग्रह का एक तरीका है। प्रत्यक्ष अवलोकन गुणात्मक डेटा के लिए उपयोगी है, लेकिन पैटर्न की पहचान के लिए अक्सर मात्रात्मक विश्लेषण की आवश्यकता होती है।
- एक व्यक्ति के जीवनकाल के दौरान उसकी स्थिति में परिवर्तन।
- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
- समाज के भीतर विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच गतिशीलता।
- समूहों के बीच सांस्कृतिक गतिशीलता।
- सही उत्तर: अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility) से तात्पर्य है कि एक व्यक्ति की सामाजिक स्थिति (जैसे आय, शिक्षा, व्यवसाय) उसके माता-पिता की स्थिति की तुलना में कैसे बदलती है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सामाजिक स्थिति में परिवर्तन को मापती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक स्तरीकरण और अवसरों की समानता के अध्ययन में महत्वपूर्ण है। यह बताती है कि क्या बच्चे अपने माता-पिता की तुलना में उच्च या निम्न सामाजिक स्थिति प्राप्त करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्ति के जीवनकाल में परिवर्तन को ‘इंट्रा-जेनरेशनल मोबिलिटी’ (Intra-generational Mobility) कहते हैं। (c) यह सामाजिक स्तरीकरण का एक सामान्य विवरण है, न कि गतिशीलता का विशिष्ट प्रकार। (d) यह सांस्कृतिक गतिशीलता है।
- सांस्कृतिक अलगाव
- तकनीकी और आर्थिक विकास
- वर्ग संघर्ष
- धार्मिक पुनरुत्थान
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत, जो अक्सर पश्चिमी समाज के विकास पर आधारित था, मानता है कि सामाजिक परिवर्तन का प्राथमिक चालक तकनीकी नवाचार, औद्योगीकरण, शहरीकरण और पश्चिमीकरण जैसी प्रक्रियाएं हैं। यह पारंपरिक समाजों को आधुनिक, औद्योगिक समाजों में रूपांतरित होने की एक प्रक्रिया के रूप में देखता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत 20वीं सदी के मध्य में लोकप्रिय हुआ, खासकर विकासशील देशों के संबंध में। यह मानता है कि पश्चिमी देशों के विकास के मॉडल का अनुकरण करके अन्य समाज भी आधुनिक बन सकते हैं।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक अलगाव, वर्ग संघर्ष (मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य), और धार्मिक पुनरुत्थान सामाजिक परिवर्तन के अन्य कारक हो सकते हैं, लेकिन आधुनिकीकरण सिद्धांत इन्हें प्राथमिक स्रोत नहीं मानता।
- भूमि का वितरण
- पारस्परिक सेवा और वस्तु विनिमय
- जाति आधारित मतदान
- कृषि उत्पादन की तकनीकें
- सही उत्तर: जजमानी प्रणाली पारंपरिक भारतीय ग्रामीण समाज में सेवा प्रदाताओं (जैसे नाई, लोहार, कुम्हार) और सेवा प्राप्तकर्ताओं (ज्यादातर कृषक परिवारों) के बीच एक पारस्परिक सेवा और वस्तु विनिमय की व्यवस्था थी। सेवा प्रदाता को अपनी सेवाओं के बदले में प्रायः अनाज या अन्य वस्तुएँ मिलती थीं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली जाति व्यवस्था और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच घनिष्ठ संबंध को दर्शाती थी। हालांकि आधुनिकरण के साथ इसमें गिरावट आई है, फिर भी इसके कुछ अवशेष देखे जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: यह सीधे तौर पर भूमि वितरण, मतदान या कृषि उत्पादन की तकनीकों से संबंधित नहीं है, बल्कि उन सामाजिक-आर्थिक संबंधों से है जो इन गतिविधियों के आसपास मौजूद थे।
- एक स्थिरांक जिसे बदला नहीं जा सकता।
- एक गुण या विशेषता जो भिन्न हो सकती है या मान बदल सकती है।
- अध्ययन की जाने वाली एक स्थिर घटना।
- अनुसंधान के निष्कर्षों का सारांश।
- सही उत्तर: समाजशास्त्र और अन्य विज्ञानों में, एक ‘चर’ (Variable) एक गुण, विशेषता या मात्रा है जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों, वस्तुओं, घटनाओं या समय के बिंदुओं के बीच भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, आयु, आय, लिंग, शिक्षा स्तर, या राय।
- संदर्भ और विस्तार: चर का उपयोग अक्सर संबंधों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, जैसे कि स्वतंत्र चर (Independent Variable) आश्रित चर (Dependent Variable) को कैसे प्रभावित करता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) स्थिरताओं को संदर्भित करते हैं, न कि चर को। (d) यह अनुसंधान का परिणाम है, न कि उसका एक घटक।
- ज्ञान और विश्वास
- कला और नैतिकता
- मानदंड और मूल्य
- जैविक अनुवंशिकी
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में संस्कृति को आम तौर पर समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए गए सीखा हुआ व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, मूल्य, मानदंड, कला, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएं और आदतें के रूप में परिभाषित किया जाता है। जैविक अनुवंशिकी (Biological Heredity) जन्मजात है, सीखी हुई नहीं, और इसलिए यह संस्कृति का हिस्सा नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति वह सब कुछ है जो हम सीखते हैं और साझा करते हैं, जो हमें हमारे समाज के सदस्यों के रूप में परिभाषित करता है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है।
- गलत विकल्प: ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, मानदंड और मूल्य सभी संस्कृति के महत्वपूर्ण घटक हैं।
- एक व्यक्तिगत असफलता का परिणाम।
- समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से द्वारा समस्या के रूप में माना जाने वाला एक व्यवहार या स्थिति।
- केवल गरीबी और अपराध जैसी घटनाएँ।
- जो कुछ भी समाज के मानदंडों का उल्लंघन करता है।
- सही उत्तर: एक सामाजिक समस्या वह स्थिति या व्यवहार है जिसे समाज के सदस्यों के एक महत्वपूर्ण हिस्से द्वारा समस्या के रूप में माना जाता है और जिसके समाधान के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है। यह केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि समाज के व्यापक स्तर पर पहचानी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक समस्याओं में गरीबी, अपराध, असमानता, प्रदूषण आदि शामिल हो सकते हैं। इनकी परिभाषा समय और स्थान के साथ बदल सकती है, क्योंकि समाज की मूल्य प्रणालियाँ और अपेक्षाएँ बदलती हैं।
- गलत विकल्प: (a) इसे व्यक्तिगत समस्या से ऊपर मानता है। (c) यह परिभाषा बहुत संकीर्ण है; सामाजिक समस्याएँ इससे कहीं अधिक व्यापक हैं। (d) हालांकि मानदंडों का उल्लंघन एक कारण हो सकता है, यह पूरी परिभाषा नहीं है; समाज की धारणा महत्वपूर्ण है।
- श्रीनिवास
- घुरिये
- योगेंद्र सिंह
- उपरोक्त सभी
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास, जी.एस. घुरिये, और योगेंद्र सिंह तीनों प्रमुख समाजशास्त्रियों ने भारतीय समाज में पारंपरिक संरचनाओं (जैसे जाति, परिवार, धर्म) के संरक्षण और आधुनिकता, पश्चिमीकरण, और वैश्वीकरण के कारण हो रहे परिवर्तन के बीच जटिल तनावों का विश्लेषण किया है।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ और ‘पश्चिमीकरण’ के माध्यम से सांस्कृतिक परिवर्तन समझाया। घुरिये ने जाति और जनजाति के अध्ययन में परिवर्तन की गति पर प्रकाश डाला। योगेंद्र सिंह ने ‘सांस्कृतिक पुनर्गठन’ की अवधारणा के माध्यम से पारंपरिक और आधुनिक के सह-अस्तित्व और परस्पर क्रिया का विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: तीनों विद्वानों ने इस पहलू पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए यह विकल्प सबसे उपयुक्त है।
- सामाजिक परिवर्तन का भय और पहचान का संकट।
- धर्मनिरपेक्षता का प्रसार।
- व्यक्तिगत धार्मिक अनुभव।
- आर्थिक असमानता का अभाव।
- सही उत्तर: समाजशास्त्री अक्सर मानते हैं कि कट्टरता का उदय अक्सर तेजी से सामाजिक परिवर्तन, अनिश्चितता, और मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्थाओं में पहचान के संकट से जुड़ा होता है। लोग पारंपरिक मूल्यों और विश्वासों की ओर लौटते हैं ताकि वे अनिश्चितता का सामना कर सकें और अपनी पहचान को सुरक्षित रख सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह तर्क दिया जाता है कि जब लोग महसूस करते हैं कि उनकी सांस्कृतिक या धार्मिक पहचान खतरे में है, तो वे कट्टरपंथी आंदोलनों की ओर आकर्षित हो सकते हैं जो स्पष्ट नियम और निश्चित उत्तर प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: धर्मनिरपेक्षता का प्रसार (b) कट्टरता का कारण होने के बजाय अक्सर इसके विपरीत प्रभाव डालता है। व्यक्तिगत धार्मिक अनुभव (c) हमेशा कट्टरता से नहीं जुड़ते। आर्थिक असमानता का अभाव (d) भी कट्टरता का प्रत्यक्ष कारण नहीं है; अक्सर यह असमानता ही होती है जो इसे बढ़ावा दे सकती है।
- गहन भावनात्मक संबंध
- औपचारिक, उद्देश्य-उन्मुख संबंध
- व्यक्तिगत पहचान और निकटता
- छोटे आकार और घनिष्ठता
- सही उत्तर: माध्यमिक समूह वे समूह होते हैं जो औपचारिक, उद्देश्य-उन्मुख और अक्सर अल्पकालिक संबंधों द्वारा चिह्नित होते हैं। इन समूहों का गठन किसी विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किया जाता है, और सदस्यों के बीच संबंध आमतौर पर अवैयक्तिक और साधन-स्वरूप (instrumental) होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरणों में कार्यस्थल, राजनीतिक दल, या स्कूल शामिल हैं। इनकी तुलना प्राथमिक समूहों (जैसे परिवार, मित्र) से की जाती है, जो अनौपचारिक, भावनात्मक और घनिष्ठ संबंधों पर आधारित होते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) प्राथमिक समूहों की विशेषताएँ हैं, न कि माध्यमिक समूहों की।
- दो या दो से अधिक व्यक्तियों का कोई भी संग्रह।
- ऐसे व्यक्ति जो एक सामान्य भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं।
- ऐसे व्यक्ति जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, एक-दूसरे के प्रति सचेत हैं, और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
- ऐसे व्यक्ति जो समान सांस्कृतिक गतिविधियों में संलग्न हैं।
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में, एक ‘समूह’ को व्यक्तियों के ऐसे संग्रह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, एक-दूसरे के प्रति सचेत हैं, और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। इसमें केवल एक साथ मौजूद होना या समान गतिविधि करना पर्याप्त नहीं है; बल्कि, पारस्परिकता और अंतःक्रिया महत्वपूर्ण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा सामाजिक अंतःक्रिया और सामाजिक संबंधों पर जोर देती है, जो समाजशास्त्र की केंद्रीय अवधारणाएँ हैं।
- गलत विकल्प: (a) एक कैटलॉग या भीड़ को भी समूह नहीं मानेगा। (b) केवल एक सामान्य भौगोलिक क्षेत्र में रहना समूह नहीं बनाता (जैसे एक भीड़)। (d) समान गतिविधियाँ समूह का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन मुख्य परिभाषित तत्व अंतःक्रिया और आपसी जागरूकता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 14: ‘जाति-आधारित विकास’ (Caste-based Development) की अवधारणा, जो आधुनिक भारत में जाति की निरंतरता और परिवर्तन को समझने में मदद करती है, किस विद्वान के कार्य से जुड़ी है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 15: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘पैटर्न’ (Pattern) की पहचान करने के लिए निम्नलिखित में से किस विधि का उपयोग किया जाता है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 16: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के सिद्धांत में, ‘अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता’ (Intergenerational Mobility) का अर्थ है:
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 17: ‘आधुनिकीकरण सिद्धांत’ (Modernization Theory) के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन का प्राथमिक स्रोत क्या है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 18: भारत में ‘ग्रामीण समाज’ (Rural Society) के अध्ययन में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का संबंध किससे है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 19: ‘अनुभवजन्य अनुसंधान’ (Empirical Research) में, ‘चर’ (Variable) को कैसे परिभाषित किया जाता है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 20: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें निम्नलिखित में से क्या शामिल नहीं है?
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 21: ‘सामाजिक समस्या’ (Social Problem) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 22: ‘पैटर्न ऑफ इंडियन सोसाइटी’ (Patterns of Indian Society) पर काम करने वाले समाजशास्त्रियों में से, किसने ‘संरक्षण’ (Preservation) और ‘परिवर्तन’ (Change) के बीच तनाव का विश्लेषण किया?
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 23: ‘कट्टरता’ (Fundamentalism) के उदय को समझने के लिए, समाजशास्त्री अक्सर किन कारकों पर विचार करते हैं?
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 24: ‘माध्यमिक समूह’ (Secondary Group) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 25: समाजशास्त्र में ‘समूह’ (Group) को परिभाषित करने का सबसे उपयुक्त आधार क्या है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या: