समाजशास्त्र दैनिक अभ्यास: वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! हर दिन की तरह, आज भी हम समाजशास्त्र की गहराइयों में गोता लगाने और आपके ज्ञान को परखने के लिए एक नया, चुनौतीपूर्ण सेट लेकर आए हैं। अपनी वैचारिक स्पष्टता को निखारें, महत्वपूर्ण सिद्धांतों को याद करें, और भारतीय समाज की जटिलताओं को समझने के अपने कौशल को और पैना करें। कमर कस लें, यह आपकी दैनिक खुराक है विश्लेषणात्मक शक्ति की!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने इसे सामाजिक व्यवहार के ऐसे तरीके बताए जो व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर होते हैं और समाज पर बाहरी दबाव डालते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य ‘चीजों’ की तरह अध्ययन किए जाने चाहिए, जिसका अर्थ है कि वे बाहरी, वस्तुनिष्ठ और अवलोकन योग्य होते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) और ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) पर बल दिया, जबकि जॉर्ज हर्बर्ट मीड ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के जनक हैं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की एक श्रेणी है?
- भूमिका (Role)
- प्रतीक (Symbol)
- वर्ग (Class)
- समूह (Group)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: वर्ग (Class) सामाजिक स्तरीकरण की एक प्रमुख श्रेणी है, विशेषकर आधुनिक समाजों में। यह आर्थिक स्थिति, धन और आय के आधार पर समाज के लोगों के समूहों में विभाजन को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर जैसे विचारकों ने वर्ग को सामाजिक स्तरीकरण के महत्वपूर्ण आधार के रूप में विश्लेषण किया है। वेबर ने वर्ग के साथ-साथ ‘दर्जा’ (Status) और ‘शक्ति’ (Power) को भी स्तरीकरण के आयाम बताए।
- गलत विकल्प: भूमिका (Role) किसी सामाजिक पद से जुड़ी अपेक्षाओं का समूह है। प्रतीक (Symbol) विचारों या भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम है। समूह (Group) दो या दो से अधिक व्यक्तियों का संग्रह है जो आपस में अंतःक्रिया करते हैं। ये स्तरीकरण के आधार नहीं हैं।
प्रश्न 3: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के क्षय या कमजोर पड़ने की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री द्वारा विकसित की गई?
- रॉबर्ट किंग मर्टन
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- सोरोकिन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘एनोमी’ की अवधारणा एमिल दुर्खीम ने दी थी। इसका अर्थ है वह स्थिति जहाँ समाज के स्वीकृत नियम और मूल्य कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्ति में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में इस अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे सामाजिक विघटन (Social Disintegration) और तीव्र सामाजिक परिवर्तन आत्महत्या की दर को बढ़ा सकते हैं।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘एनोमी’ को नवाचार (Innovation) की तरह एक अनुकूलन के रूप में विकसित किया। कार्ल मार्क्स का ध्यान वर्ग संघर्ष पर था। सोरोकिन ने सामाजिक स्तरीकरण और सांस्कृतिक गतिशीलता पर काम किया।
प्रश्न 4: ‘तर्कसंगत-वैधानिक प्राधिकार’ (Rational-Legal Authority) की अवधारणा किससे संबंधित है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्ते
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा मैक्स वेबर के अनुसार ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) का उद्देश्य नहीं है?
- सामाजिक वास्तविकताओं को समझना
- तुलनात्मक विश्लेषण की सुविधा
- अति-सरलीकरण द्वारा जटिलता को दूर करना
- समाजशास्त्रीय अनुसंधान के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में कार्य करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘अति-सरलीकरण द्वारा जटिलता को दूर करना’ आदर्श प्रारूप का उद्देश्य नहीं है। बल्कि, आदर्श प्रारूप जटिल सामाजिक वास्तविकताओं को समझने के लिए एक वैचारिक उपकरण है, जो वास्तविकता का अति-सरलीकरण नहीं करता बल्कि उसके प्रमुख तत्वों को स्पष्ट करता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने आदर्श प्रारूप को एक वैचारिक निर्माण (Conceptual Construction) के रूप में परिभाषित किया, जो वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को समझने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य समाजशास्त्रीय विश्लेषण और तुलना के लिए एक स्पष्ट आधार प्रदान करना है।
- गलत विकल्प: आदर्श प्रारूप का मुख्य उद्देश्य सामाजिक वास्तविकताओं को समझना, तुलनात्मक विश्लेषण करना और अनुसंधान के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करना है।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘संवर्धना’ (Sanskritization) की अवधारणा का सबसे पहले प्रयोग किसने किया?
- ए.आर. देसाई
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- जी.एस. घुरिये
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संवर्धना’ (Sanskritization) की अवधारणा का प्रयोग किया। यह एक प्रक्रिया है जिसमें निम्न जातियाँ या आदिवासी समूह उच्च, विशेषकर द्विज जातियों की प्रथाओं, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में प्रस्तुत की थी। यह सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण रूप है, विशेषकर जाति व्यवस्था के संदर्भ में।
- गलत विकल्प: ए.आर. देसाई भारत में ग्रामीण समाजशास्त्र और सामाजिक परिवर्तन के एक प्रमुख समाजशास्त्री थे। इरावती कर्वे ने परिवार, नातेदारी और मानव विज्ञान पर काम किया। जी.एस. घुरिये ने जाति, जनजाति और भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक कौन है?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- टैल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक प्रमुख संस्थापक विचारक माना जाता है। यह सिद्धांत सामाजिक संरचनाओं के बजाय व्यक्तियों के बीच अंतःक्रिया और प्रतीकों के अर्थ पर केंद्रित है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, व्यक्ति अपने अंतःक्रियाओं के माध्यम से स्वयं (Self) और समाज का निर्माण करते हैं। वे अपनी पुस्तक ‘The Philosophy of the Present’ और मरणोपरांत प्रकाशित ‘Mind, Self and Society’ में अपने विचारों को प्रस्तुत करते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम प्रकार्यवाद (Functionalism) और सामाजिक तथ्यों से जुड़े हैं। मार्क्स मार्क्सवाद और वर्ग संघर्ष के जनक हैं। पार्सन्स एक प्रमुख प्रकार्यवादी हैं जिन्होंने सामाजिक व्यवस्था पर बल दिया।
प्रश्न 8: किसने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी, जिसका अर्थ है कि समाज की भौतिक संस्कृति, अभौतिक संस्कृति की तुलना में तेजी से बदलती है?
- विलियम ओगबर्न
- एल्बिन टॉफलर
- मैन्युअल कैस्टल्स
- रेमंड एरोन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उनका तर्क था कि प्रौद्योगिकी और भौतिक संस्कृति में परिवर्तन अक्सर सामाजिक संस्थाओं, मूल्यों और नैतिकता जैसी अभौतिक संस्कृति में परिवर्तन की तुलना में बहुत तेज होते हैं, जिससे समाज में समायोजन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा 1922 में ओगबर्न द्वारा प्रस्तुत की गई थी और यह सामाजिक परिवर्तन के विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
- गलत विकल्प: एल्बिन टॉफलर ‘फ्यूचर शॉक’ और ‘थर्ड वेव’ जैसे विचारों के लिए जाने जाते हैं। मैन्युअल कैस्टल्स सूचना समाज पर काम करने वाले एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं। रेमंड एरोन राजनीतिक समाजशास्त्र और वैचारिक विश्लेषण में योगदान के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा सामाजिक संस्था का उदाहरण नहीं है?
- परिवार
- शिक्षा
- बाजार
- मानव शरीर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मानव शरीर एक जैविक इकाई है, न कि एक सामाजिक संस्था। सामाजिक संस्थाएँ समाज द्वारा स्वीकृत और स्थापित वे पैटर्न, नियम और व्यवहार के तरीके हैं जो समाज के महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार, और अर्थव्यवस्था जैसी संस्थाएँ समाज की संरचना का हिस्सा हैं और व्यक्तियों के व्यवहार को व्यवस्थित करती हैं।
- गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और बाजार सभी स्थापित सामाजिक संस्थाएँ हैं जो समाज के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करती हैं।
प्रश्न 10: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का अर्थ है:
- किसी व्यक्ति की आर्थिक संपत्ति
- समाज में लोगों के बीच विश्वास, नेटवर्क और सहयोग
- किसी व्यक्ति का शैक्षिक स्तर
- बाजार में एक उत्पाद की कीमत
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी से तात्पर्य व्यक्तियों के सामाजिक नेटवर्क (जैसे रिश्ते, दोस्ती, जान-पहचान) और उन नेटवर्कों से उत्पन्न होने वाले विश्वास और सहयोग की भावना से है, जो उन्हें लाभ पहुँचाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस अवधारणा को पियरे बॉर्दियु (Pierre Bourdieu) और रॉबर्ट पुट्नैम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों ने लोकप्रिय बनाया। यह सामाजिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त होने वाले संसाधनों को संदर्भित करता है।
- गलत विकल्प: आर्थिक संपत्ति भौतिक पूंजी है। शैक्षिक स्तर ज्ञान या मानव पूंजी का हिस्सा है। बाजार मूल्य आर्थिक अवधारणा है।
प्रश्न 11: भारत में जाति व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण आधार क्या है?
- धन
- शिक्षा
- जन्म (जन्म से प्राप्त सदस्यता)
- व्यवसाय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था का सबसे मौलिक आधार ‘जन्म’ है। व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, वह उसकी पहचान, सामाजिक स्थिति, व्यवसाय, विवाह और खान-पान के नियमों को तय करता है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति एक अत्यधिक प्रतिबंधित अंतर्विवाही (Endogamous) समूह है। जन्म से प्राप्त सदस्यता को बदलना अत्यंत कठिन है, हालांकि आधुनिक समय में कुछ हद तक गतिशीलता देखी गई है।
- गलत विकल्प: धन, शिक्षा और व्यवसाय जाति व्यवस्था के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं, लेकिन स्वयं जाति व्यवस्था के जन्मजात आधार को निर्धारित नहीं करते।
प्रश्न 12: ‘प्रक्रियात्मक अप्रियता’ (Processual Ascriptivism) नामक अवधारणा, जो जाति को समझने में महत्वपूर्ण है, किसने प्रस्तुत की?
- लेविस डुमॉन्ट
- एम.एन. श्रीनिवास
- एफ.जी. बेली
- इरावती कर्वे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एफ.जी. बेली (F.G. Bailey) ने अपनी पुस्तक ‘Caste and the Economic Frontier’ में ‘प्रक्रियात्मक अप्रियता’ (Processual Ascriptivism) की अवधारणा का प्रयोग किया। इसका अर्थ है कि जब किसी विशेष भूमिका (जैसे पुजारी) को निभाने के लिए आवश्यक गुण (जैसे पवित्रता) व्यक्ति के जन्म पर आधारित (Ascriptive) होते हैं, लेकिन उस भूमिका को निभाने का निर्णय (Processual) उस व्यक्ति की व्यक्तिगत क्षमता और आचरण पर निर्भर कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: बेली ने ओडिशा के बिजापुर क्षेत्र के अपने नृवंशविज्ञान (Ethnographic) अध्ययन में दिखाया कि कैसे जातिगत नियमों का क्रियान्वयन (Process) हमेशा कठोर (Ascriptive) नहीं होता, बल्कि परिस्थितियों पर निर्भर कर सकता है।
- गलत विकल्प: लेविस डुमॉन्ट ने ‘Hierarchy’ पुस्तक में जाति को ‘पवित्रता-अपवित्रता’ (Purity-Pollution) के सिद्धांत से समझाया। एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण और पश्चिमीकरण पर काम किया। इरावती कर्वे ने भारतीय समाज में नातेदारी व्यवस्था का विश्लेषण किया।
प्रश्न 13: ‘सामुदायिक जीवन’ (Gemeinschaft) और ‘सांघिक जीवन’ (Gesellschaft) की अवधारणाएं किस समाजशास्त्री से संबंधित हैं?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- फर्डिनेंड टोनीज
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: फर्डिनेंड टोनीज (Ferdinand Tönnies) ने ‘सामुदायिक जीवन’ (Gemeinschaft) और ‘सांघिक जीवन’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं। सामुदायिक जीवन घनिष्ठ, व्यक्तिगत संबंधों और साझा मूल्यों पर आधारित होता है (जैसे ग्रामीण समुदाय), जबकि सांघिक जीवन औपचारिक, अप्रत्यक्ष और स्वार्थ-प्रेरित संबंधों पर आधारित होता है (जैसे आधुनिक शहर)।
- संदर्भ और विस्तार: टोनीज ने अपनी 1887 की पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ में इन दो प्रकार के सामाजिक संगठनों का वर्णन किया।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने यांत्रिक और जैविक एकता की बात की। मार्क्स ने उत्पादन पद्धतियों के आधार पर समाजों को वर्गीकृत किया। वेबर ने प्राधिकार के प्रकारों पर काम किया।
प्रश्न 14: ‘अभिजन वर्ग’ (Elite Class) के सिद्धांत के प्रमुख प्रस्तावक कौन थे?
- गैतानो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो, रॉबर्ट मिशेल्स
- कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स
- ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन, ब्रॉनिस्लॉ मैलिनोवस्की
- ए.एल. क्रॉबर, राल्फ लिंटन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गैतानो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो और रॉबर्ट मिशेल्स को अभिजन वर्ग सिद्धांत के प्रमुख विचारकों में गिना जाता है। यह सिद्धांत मानता है कि किसी भी समाज में, चाहे उसकी राजनीतिक व्यवस्था कुछ भी हो, एक अल्पसंख्यक शासक या अभिजन वर्ग हमेशा मौजूद रहेगा जो शक्ति और विशेषाधिकारों पर नियंत्रण रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: मोस्का ने ‘The Ruling Class’ में, परेटो ने ‘The Mind and Society’ में, और मिशेल्स ने ‘Political Parties’ में इस विचार का विकास किया।
- गलत विकल्प: मार्क्स और एंगेल्स वर्ग संघर्ष और सर्वहारा वर्ग की तानाशाही पर केंद्रित थे। रेडक्लिफ-ब्राउन और मैलिनोवस्की संरचनात्मक प्रकार्यवाद और नृविज्ञान से जुड़े थे। क्रॉबर और लिंटन संस्कृति और व्यक्तित्व पर काम करने वाले मानवविज्ञानी थे।
प्रश्न 15: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के कारण भारतीय समाज में किस प्रकार का परिवर्तन अधिक देखा गया?
- पारंपरिक संयुक्त परिवार का विघटन
- नगरीकरण में वृद्धि
- कौशल-आधारित रोजगार का उदय
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: औद्योगीकरण के कारण भारतीय समाज में पारंपरिक संयुक्त परिवार व्यवस्था में बदलाव आया, क्योंकि लोग रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने लगे। इससे नगरीकरण में तेजी आई और नए कौशल-आधारित रोजगार के अवसर पैदा हुए, जिससे सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण ने न केवल अर्थव्यवस्था को बदला बल्कि सामाजिक गतिशीलता, जीवन शैली और पारिवारिक संरचनाओं को भी गहराई से प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: ये सभी परिवर्तन औद्योगीकरण के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष परिणाम रहे हैं।
प्रश्न 16: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- व्यक्ति को समाज के मानदंडों, मूल्यों और व्यवहारों को सिखाना
- किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को बढ़ाना
- नए सामाजिक नेटवर्क बनाना
- व्यक्तिगत पहचान को मजबूत करना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज का एक सक्रिय सदस्य बनता है, और इस दौरान वह समाज के स्वीकृत रीति-रिवाजों, भाषा, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहार के पैटर्न को सीखता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जो परिवार, स्कूल, मित्रों के समूह और जनसंचार माध्यमों जैसे अभिकर्ताओं (Agents) के माध्यम से होती है।
- गलत विकल्प: जबकि सामाजिकरण के परिणामस्वरूप नए नेटवर्क बन सकते हैं और व्यक्तिगत पहचान विकसित हो सकती है, इसका प्राथमिक उद्देश्य समाज के मानदंडों को आत्मसात करना है। आर्थिक स्थिति बढ़ाना इसका प्रत्यक्ष उद्देश्य नहीं है।
प्रश्न 17: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पहलू क्या है?
- वैज्ञानिक तर्कसंगतता का प्रसार
- पारंपरिक धर्मों पर पुनर्बलन
- सामुदायिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण
- कृषि पर अधिक निर्भरता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण में वैज्ञानिक सोच, तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षता और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा मिलता है। यह पारंपरिक विश्वासों और प्रथाओं को चुनौती देता है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण अक्सर औद्योगीकरण, शहरीकरण और राजनीतिक प्रजातंत्रीकरण से जुड़ा होता है।
- गलत विकल्प: आधुनिकीकरण अक्सर पारंपरिक धर्मों को कमजोर करता है (धर्मनिरपेक्षता के माध्यम से), सामुदायिक संबंधों को कमजोर कर सकता है (व्यक्तिवाद के कारण), और कृषि पर निर्भरता कम करता है।
प्रश्न 18: ‘अदृश्य हाथ’ (Invisible Hand) की अवधारणा, जो मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था में स्व-हित को सामूहिक कल्याण से जोड़ती है, किसने प्रतिपादित की?
- कार्ल मार्क्स
- एडम स्मिथ
- जॉन मेनार्ड कीन्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एडम स्मिथ ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ (1776) में ‘अदृश्य हाथ’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका मानना था कि जब व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए कार्य करते हैं, तो एक “अदृश्य हाथ” उन्हें ऐसे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है जो अनजाने में समाज के लिए अधिक लाभदायक हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अर्थशास्त्र का एक मौलिक सिद्धांत है जो स्वतंत्र बाज़ारों की वकालत करता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स पूंजीवाद और उसके अंतर्विरोधों के आलोचक थे। कीन्स ने सरकारी हस्तक्षेप की वकालत की। वेबर ने सामाजिक क्रिया और प्राधिकार पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 19: ‘आत्महत्या’ (Suicide) पर अपने अग्रणी कार्य में, दुर्खीम ने किस प्रकार की आत्महत्या को सामाजिक विघटन से जोड़ा?
- अहंवादी (Egoistic)
- परार्थवादी (Altruistic)
- एकाकी (Anomic)
- भाग्यवादी (Fatalistic)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: दुर्खीम ने ‘एकाकी’ (Anomic) आत्महत्या को सामाजिक विघटन, नियमों के क्षय और अनिश्चितता की स्थिति से जोड़ा, जिसे उन्होंने ‘एनोमी’ कहा। जब समाज के नियम कमजोर पड़ जाते हैं, तो व्यक्ति को दिशाहीनता का अनुभव होता है, जिससे एकाकी आत्महत्या की संभावना बढ़ जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ (1897) में चार प्रकार की आत्महत्याओं का विश्लेषण किया: अहंवादी (कम सामाजिक एकीकरण), परार्थवादी (अत्यधिक सामाजिक एकीकरण), एकाकी (कम सामाजिक नियमन), और भाग्यवादी (अत्यधिक सामाजिक नियमन)।
- गलत विकल्प: अहंवादी आत्महत्या व्यक्तिगत अलगाव से जुड़ी है। परार्थवादी आत्महत्या किसी समूह के प्रति अत्यधिक समर्पण से जुड़ी है। भाग्यवादी आत्महत्या अत्यधिक दमनकारी परिस्थितियों से जुड़ी है।
प्रश्न 20: भारत में ‘जनजातीय समाजों’ (Tribal Societies) के संदर्भ में, ‘अलगाव’ (Alienation) का सबसे सटीक अर्थ क्या है?
- जनजातियों का मुख्यधारा के समाज से पृथक्करण
- जनजातीय व्यक्तियों का अपनी संस्कृति, भूमि और समुदाय से विमुख होना
- सरकारी योजनाओं से लाभ न मिलना
- आधुनिक शिक्षा से दूर रहना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जनजातीय संदर्भ में अलगाव से तात्पर्य उन प्रक्रियाओं से है जो जनजातीय समुदायों को उनकी पारंपरिक जीवन शैली, भूमि, संसाधनों, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संरचना से दूर करती हैं। यह अक्सर विकास परियोजनाओं, विस्थापन और बाहरी प्रभावों के कारण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक मार्मिक सामाजिक समस्या है जो जनजातीय लोगों के लिए सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक तनाव पैदा करती है।
- गलत विकल्प: जबकि अलगाव का अर्थ मुख्यधारा से अलगाव हो सकता है, यह केवल यह नहीं है। सरकारी योजनाओं से लाभ न मिलना या आधुनिक शिक्षा से दूर रहना अलगाव के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन अलगाव का मूल अर्थ अधिक व्यापक है।
प्रश्न 21: ‘संज्ञानात्मक असंगति’ (Cognitive Dissonance) का सिद्धांत किसने विकसित किया?
- एडवर्ड टोटमैन
- लियोन फेस्टिंगर
- सोलोमन ऐश
- स्टैनफोर्ड मिलग्राम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: लियोन फेस्टिंगर (Leon Festinger) ने 1957 में ‘संज्ञानात्मक असंगति’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया। यह सिद्धांत बताता है कि जब किसी व्यक्ति के पास दो या दो से अधिक परस्पर विरोधी विश्वास, विचार या मूल्य होते हैं, तो उसे मानसिक तनाव का अनुभव होता है, और वह इस तनाव को कम करने के लिए अपने विचारों या विश्वासों को बदलने की कोशिश करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मनोविज्ञान और समाजशास्त्र दोनों में प्रभावशाली रहा है, खासकर व्यवहार और दृष्टिकोण में परिवर्तन को समझने के लिए।
- गलत विकल्प: टोटमैन ने व्यवहारवाद का अध्ययन किया। ऐश ने अनुरूपता (Conformity) पर प्रयोग किए। मिलग्राम ने आज्ञाकारिता (Obedience) पर प्रसिद्ध प्रयोग किए।
प्रश्न 22: ‘बुनियादी आवश्यकता दृष्टिकोण’ (Basic Needs Approach) सामाजिक कल्याण के किस क्षेत्र से जुड़ा है?
- गरीबी उन्मूलन
- शहरी नियोजन
- शिक्षा सुधार
- पर्यावरण संरक्षण
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: बुनियादी आवश्यकता दृष्टिकोण गरीबी उन्मूलन और विकास के अध्ययनों में प्रयोग किया जाता है। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज के प्रत्येक सदस्य को जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ, जैसे भोजन, आश्रय, वस्त्र, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा प्राप्त हो सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण अक्सर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) जैसे संगठनों द्वारा विकसित देशों में सामाजिक सुरक्षा जाल बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
- गलत विकल्प: जबकि यह अन्य क्षेत्रों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है, इसका मुख्य ध्यान गरीबी और कल्याणकारी वितरण पर है।
प्रश्न 23: ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा किसने दी?
- सी. राइट मिल्स
- इर्विंग गॉफमैन
- हरबर्ट ब्लूमर
- पीटर एल. बर्जर
- सही उत्तर: सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) ने अपनी पुस्तक ‘The Sociological Imagination’ (1959) में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। इसका अर्थ है व्यक्तिगत अनुभवों (Biography) और व्यापक सामाजिक संरचनाओं (History) के बीच संबंध को समझने की क्षमता।
- संदर्भ और विस्तार: मिल्स का तर्क था कि समाजशास्त्री को व्यक्तिगत समस्याओं और सार्वजनिक मुद्दों के बीच अंतर करना सीखना चाहिए, और उन्हें आपस में जोड़ना चाहिए।
- गलत विकल्प: गॉफमैन ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) के लिए जाने जाते हैं। ब्लूमर ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद को व्यवस्थित किया। बर्जर ने ‘The Social Construction of Reality’ लिखी।
- पितृसत्ता (Patriarchy) का विश्लेषण
- लैंगिक असमानता को चुनौती देना
- महिलाओं के अधिकारों और मुक्ति की वकालत
- सभी सामाजिक समस्याओं का मूल कारण केवल वर्ग संघर्ष को मानना
- सही उत्तर: नारीवाद का मुख्य सरोकार पितृसत्ता, लैंगिक असमानता और महिलाओं के उत्पीड़न का विश्लेषण करना और उन्हें चुनौती देना है, न कि सभी सामाजिक समस्याओं का एकमात्र कारण वर्ग संघर्ष को मानना। हालांकि कुछ नारीवादी वर्ग विश्लेषण का उपयोग करते हैं, यह उनका केंद्रीय या एकमात्र सरोकार नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: नारीवाद एक व्यापक वैचारिक आंदोलन है जो लिंग आधारित भेदभाव और शक्ति संबंधों पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) नारीवाद के मूल सरोकार हैं।
- जनसंख्या का सांख्यिकीय विश्लेषण करना
- अवलोकनों को संख्यात्मक रूप में मापना
- सामाजिक घटनाओं के पीछे के अर्थ, प्रेरणा और संदर्भ को गहराई से समझना
- पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर वस्तुनिष्ठ निष्कर्ष निकालना
- सही उत्तर: गुणात्मक विधियों (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी) का मुख्य उद्देश्य सामाजिक दुनिया की गहराई, जटिलता और व्यक्तिपरक अनुभवों को समझना है। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजने पर केंद्रित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये विधियाँ वर्णनात्मक और व्याख्यात्मक होती हैं, जो संख्याओं के बजाय शब्दों, छवियों और प्रतीकों पर आधारित होती हैं।
- गलत विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण और मापन अक्सर मात्रात्मक विधियों (Quantitative Methods) का हिस्सा होते हैं। पूर्वाग्रहों से मुक्ति (वस्तुनिष्ठता) सभी अनुसंधान विधियों का लक्ष्य है, लेकिन गुणात्मक विधि की विशेष विशेषता गहराई से समझना है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा ‘नारीवाद’ (Feminism) का मुख्य सरोकार नहीं है?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 25: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण: