समाजशास्त्र के महारथी बनें: आज का 25 प्रश्नों का महासंग्राम!
नमस्ते, भावी समाजशास्त्रियों! क्या आप अपनी समाजशास्त्रीय समझ को परखने और उसे धार देने के लिए तैयार हैं? आज का यह विशेष अभ्यास सत्र आपकी अवधारणाओं की स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को चुनौती देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अपनी तैयारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हो जाइए!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को विस्तृत रूप से किसने विकसित किया, जिसमें उन्होंने सामाजिक तथ्यों को “वस्तुओं” की तरह मानने का आग्रह किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- तालकोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को विस्तृत रूप से विकसित किया। उन्होंने समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में स्थापित करने के लिए सामाजिक तथ्यों का अध्ययन ‘वस्तुओं’ की तरह करने पर बल दिया, जिसका अर्थ है कि उनका अध्ययन बाहरी, वस्तुनिष्ठ और स्वतंत्र रूप से किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस विचार को विस्तार से समझाया। उनका मानना था कि सामाजिक संरचनाएं व्यक्ति से स्वतंत्र और बाह्य दबाव बनाने वाली होती हैं, जैसे कि स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य जोर आर्थिक संरचना और वर्ग संघर्ष पर था। मैक्स वेबर ने ‘क्रिया’ और ‘अर्थ’ पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और प्रकार्यवाद पर काम किया।
प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) का कौन सा लक्षण उसे एक आदर्श-प्रकार (Ideal-Type) के रूप में परिभाषित करता है?
- व्यक्तिगत संबंध और भावनात्मकता
- अनौपचारिक संचार चैनल
- पदानुक्रमित अधिकार और स्पष्ट नियम
- मनमाने निर्णय लेने की प्रक्रिया
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: वेबर के आदर्श-प्रकार नौकरशाही की विशेषताएँ हैं – एक स्पष्ट पदानुक्रम, नियमों और विनियमों का लिखित संहिताकरण, विशेषज्ञता, अ-व्यक्तिगत संबंध और योग्यता-आधारित पदोन्नति। ये सभी मिलकर एक कुशल और तर्कसंगत संगठन बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को आधुनिक समाज में तर्कसंगतता (Rationality) के प्रसार के एक प्रमुख उदाहरण के रूप में देखा। वे मानते थे कि यह दक्षता बढ़ाती है, लेकिन अति-नियमन के कारण ‘लौह पिंजरा’ (Iron Cage) भी बना सकती है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत संबंध, अनौपचारिक संचार और मनमाने निर्णय वेबर की आदर्श-प्रकार नौकरशाही के विपरीत हैं, जो निष्पक्षता और पूर्वानुमेयता पर आधारित है।
प्रश्न 3: ‘सबलीकरण’ (Subaltern Studies) के क्षेत्र में प्रमुख योगदान किसका रहा है, जो समाज के हाशिए पर पड़े या दमित समूहों के इतिहास और अनुभवों को समझने पर जोर देता है?
- अमर्त्य सेन
- रणजीत गुहा
- आशीष नंदी
- पैट्रिक गेड्स
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: रणजीत गुहा को ‘सबलीकरण अध्ययन’ (Subaltern Studies) समूह का संस्थापक माना जाता है। इस समूह ने औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक भारत के इतिहास को अभिजात वर्ग के दृष्टिकोण से हटकर, किसानों, आदिवासियों और अन्य सर्वहारा (subaltern) लोगों के दृष्टिकोण से लिखने पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: गुहा की पुस्तक ‘The Wretched of the Earth’ (अर्थात्, दमित लोग) इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक कार्य है। उन्होंने ‘सबलीकरण’ को उन लोगों के रूप में परिभाषित किया जिनकी आवाजें अक्सर ऐतिहासिक आख्यानों में दबा दी जाती हैं।
- गलत विकल्प: अमर्त्य सेन अर्थशास्त्र और दर्शन के क्षेत्र में जाने जाते हैं, आशीष नंदी सांस्कृतिक मनोवैज्ञानिक हैं, और पैट्रिक गेड्स शहरी योजनाकार थे।
प्रश्न 4: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) का कौन सा रूप पूर्व-औद्योगिक समाजों की विशेषता है, जो साझा विश्वासों और सामूहिक विवेक पर आधारित है?
- यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity)
- जैविक एकजुटता (Organic Solidarity)
- आधुनिक एकजुटता (Modern Solidarity)
- व्यक्तिगत एकजुटता (Individual Solidarity)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: दुर्खीम ने ‘यांत्रिक एकजुटता’ को उन समाजों में पाया जाता है जहाँ लोग एक-दूसरे से बहुत मिलते-जुलते हैं, साझा विश्वास, मूल्य और सामूहिक विवेक (collective conscience) मजबूत होते हैं। यह अक्सर सरल, पूर्व-औद्योगिक समाजों में देखी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘समाज में श्रम का विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में, उन्होंने इसे ‘जैविक एकजुटता’ के विपरीत रखा, जो आधुनिक, जटिल समाजों की विशेषता है जहाँ लोग अपनी विशिष्ट भूमिकाओं और कार्यों के माध्यम से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
- गलत विकल्प: जैविक एकजुटता औद्योगिक समाजों से संबंधित है। आधुनिक और व्यक्तिगत एकजुटता दुर्खीम द्वारा प्रयुक्त शब्दावली नहीं है।
प्रश्न 5: हर्बर्ट स्पेंसर ने समाज के विकास को किस सिद्धांत के माध्यम से समझाया, जो जैविक विकास से प्रेरित था?
- सामाजिक विघटन
- सामाजिक विकासवाद
- अराजकतावाद
- साम्यवाद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: हर्बर्ट स्पेंसर, एक प्रारंभिक समाजशास्त्री, ने ‘सामाजिक विकासवाद’ (Social Darwinism) के अपने सिद्धांत के माध्यम से समाज के विकास की व्याख्या की। उन्होंने तर्क दिया कि समाज जैविक जीवों की तरह सरल से जटिल रूपों में विकसित होते हैं, और ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ (सबसे योग्य की उत्तरजीविता) का नियम सामाजिक प्रगति पर भी लागू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर ने अपनी पुस्तक ‘समाज का अध्ययन’ (The Study of Society) में इन विचारों को प्रस्तुत किया। उनके विचार सामाजिक डार्विनवाद के आधार बने, जिसने सामाजिक असमानताओं को स्वाभाविक ठहराने का प्रयास किया।
- गलत विकल्प: सामाजिक विघटन एक प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह स्पेंसर के विकास के मुख्य सिद्धांत का प्रतिनिधित्व नहीं करती। अराजकतावाद और साम्यवाद अलग-अलग राजनीतिक और सामाजिक दर्शन हैं।
प्रश्न 6: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में असमानताएँ इसलिए मौजूद होती हैं क्योंकि वे समाज के लिए कार्यात्मक (Functional) होती हैं और विभिन्न भूमिकाओं को भरने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती हैं?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रकार्यात्मक सिद्धांत (Functionalist Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- रूढ़िवादी सिद्धांत (Conservative Theory)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रकार्यात्मक सिद्धांत (विशेष रूप से डेविस और मूर का सिद्धांत) तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि सबसे महत्वपूर्ण पद उन योग्यतम व्यक्तियों द्वारा भरे जाएँ जो उन पदों पर रहने के लिए प्रेरित हों।
- संदर्भ और विस्तार: डेविस और मूर ने ‘कुछ स्तरीकरण के कार्य’ (Some Principles of Stratification) नामक लेख में इस विचार को विकसित किया। वे मानते थे कि असमान वेतन और प्रतिष्ठा सबसे महत्वपूर्ण पदों को आकर्षक बनाने के लिए आवश्यक हैं।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (जैसे मार्क्स) मानता है कि स्तरीकरण सत्ता और संसाधनों के लिए संघर्ष का परिणाम है, न कि कार्यक्षमता का। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय सामाजिक अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है।
प्रश्न 7: ‘अजनबी’ (The Stranger) की अवधारणा, जो एक ही समय में समाज का हिस्सा होते हुए भी उससे अलग या बाहरी महसूस करता है, का प्रतिपादन किसने किया?
- जॉर्ज सिमेल
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- हरबर्ट ब्लूमर
- ई. सी. हॉसमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जॉर्ज सिमेल, एक प्रतिष्ठित जर्मन समाजशास्त्री, ने ‘अजनबी’ (The Stranger) की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने इसे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णित किया जो समुदाय के भीतर मौजूद है लेकिन फिर भी उससे कुछ दूरी बनाए रखता है, जिससे वह निष्पक्ष और दूर से देखने वाला बन जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके निबंध ‘The Stranger’ में मिलती है। सिमेल के अनुसार, अजनबी समाज को नई अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो समाज के प्रति अधिक वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करने में सक्षम होता है।
- गलत विकल्प: चार्ल्स कूली ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) के लिए जाने जाते हैं, हरबर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अग्रणी थे, और हॉसमैन का समाजशास्त्र में कोई विशेष योगदान नहीं है।
प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) क्या संदर्भित करती है?
- जाति-आधारित पारंपरिक सेवा विनिमय प्रणाली
- भूमि सुधारों का एक मॉडल
- आधुनिक सहकारी आंदोलन
- धार्मिक अनुष्ठानों की एक श्रृंखला
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जजमानी प्रणाली एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी जिसमें विभिन्न जातियों के लोग एक-दूसरे को वंशानुगत (hereditary) रूप से सेवाएं प्रदान करते थे और उसके बदले में उन्हें वस्तु या नकद में भुगतान मिलता था। यह भारतीय ग्रामीण समाज की एक प्रमुख विशेषता रही है।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली में, ‘जजमान’ (सेवा प्राप्त करने वाला) और ‘कमाई’ (सेवा प्रदाता) के बीच संबंध होते थे, जो अक्सर जाति और वंशानुगत व्यवस्था से बंधे होते थे। यह आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा देती थी।
- गलत विकल्प: जजमानी प्रणाली भूमि सुधार, सहकारी आंदोलन या धार्मिक अनुष्ठानों से सीधे संबंधित नहीं है, बल्कि यह सेवा विनिमय और सामाजिक-आर्थिक अंतर्निर्भरता की एक प्रणाली है।
प्रश्न 9: रॉबर्ट मर्टन द्वारा प्रतिपादित ‘विसंगति सिद्धांत’ (Anomie Theory) के अनुसार, व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्यों और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधनों के बीच बेमेल होने पर क्या प्रतिक्रिया दे सकता है?
- अनुपालन (Conformity)
- नवाचार (Innovation)
- प्रतिगमन (Retreatism)
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने समाज में ‘विसंगति’ (anomie) को तब देखा जब सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत लक्ष्यों और संस्थागत साधनों के बीच असंतुलन होता है। उन्होंने इसके प्रति पांच प्रतिक्रियाएं बताईं: अनुपालन (लक्ष्यों और साधनों को स्वीकार करना), नवाचार (लक्ष्यों को स्वीकार करना लेकिन अनैतिक साधनों से), अनुष्ठानवाद (साधनों का पालन करना लेकिन लक्ष्यों को छोड़ देना), प्रतिगमन (दोनों को अस्वीकार करना) और विद्रोह (दोनों को अस्वीकार कर नए स्थापित करना)।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन के अनुसार, नवाचार (जैसे चोर या उद्यमी जो अवैध साधनों से धन कमाता है) और प्रतिगमन (जैसे नशाखोर या बेघर लोग) विसंगति की प्रतिक्रियाएँ हैं। उपर्युक्त सभी विकल्प (अनुपालन, नवाचार, प्रतिगमन) उसकी प्रतिक्रियाओं के अंतर्गत आते हैं।
- गलत विकल्प: प्रश्न में सभी विकल्प मर्टन द्वारा बताई गई विसंगति की प्रतिक्रियाओं के उदाहरण हैं।
प्रश्न 10: संस्कृति के ‘मानक’ (Norms) क्या हैं?
- किसी समाज में स्वीकृत व्यवहार के नियम
- किसी समाज के मूल्य (Values)
- किसी समाज के विचार और विश्वास
- किसी समाज के भौतिक उत्पाद
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सांस्कृतिक मानक (Norms) वे नियम या अपेक्षाएं हैं जो किसी समाज या समूह के सदस्यों को बताती हैं कि किसी विशेष स्थिति में कैसे व्यवहार करना चाहिए। ये नियम औपचारिक (जैसे कानून) या अनौपचारिक (जैसे शिष्टाचार) हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मानक समाज के मूल्यों से प्रभावित होते हैं। मूल्य वे सामान्यीकृत और अमूर्त आदर्श हैं जिन्हें समाज महत्वपूर्ण मानता है, जबकि मानक उन मूल्यों को प्राप्त करने के लिए विशिष्ट दिशानिर्देश प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: मूल्य, विचार और विश्वास संस्कृति के अन्य महत्वपूर्ण घटक हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर ‘मानक’ को परिभाषित नहीं करते हैं। भौतिक उत्पाद संस्कृति के ‘अभौतिक’ (non-material) पहलू हैं।
प्रश्न 11: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की मुख्य विशेषता क्या है?
- वे व्यक्ति की चेतना के उत्पाद हैं।
- वे व्यक्ति पर बाह्य दबाव (Coercion) डालते हैं।
- वे व्यक्ति की इच्छाओं के अनुरूप होते हैं।
- वे पूरी तरह से व्यक्तिपरक (Subjective) होते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: दुर्खीम के लिए, सामाजिक तथ्य वे हैं जो व्यक्ति पर बाह्य होते हैं और उस पर दबाव डालते हैं। ये सामाजिक संरचनाएं, संस्थाएं, नियम, प्रथाएं, विश्वास आदि हो सकते हैं जो व्यक्ति से स्वतंत्र रूप से मौजूद होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने इसे अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ में समझाया। उदाहरण के लिए, जब आप किसी विशेष तरीके से कपड़े पहनते हैं क्योंकि समाज आपसे ऐसा करने की अपेक्षा करता है, तो यह एक सामाजिक तथ्य है जो आप पर दबाव डालता है।
- गलत विकल्प: सामाजिक तथ्य व्यक्ति की चेतना या इच्छाओं के उत्पाद नहीं होते, बल्कि वे उनसे स्वतंत्र होते हैं। वे व्यक्तिपरक नहीं, बल्कि वस्तुनिष्ठ (objective) होते हैं।
प्रश्न 12: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के दृष्टिकोण से, ‘स्व’ (Self) का निर्माण कैसे होता है?
- यह जन्मजात और अपरिवर्तनीय होता है।
- यह पूरी तरह से जैविक अंतःक्रियाओं से उत्पन्न होता है।
- यह सामाजिक अंतःक्रियाओं और दूसरों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है।
- यह केवल आर्थिक कारकों से प्रभावित होता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अनुसार, ‘स्व’ (Self) कोई स्थिर या जन्मजात चीज़ नहीं है, बल्कि यह सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है। विशेष रूप से, जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने बताया कि बच्चे दूसरों (जैसे माता-पिता, सहकर्मी) की प्रतिक्रियाओं को देखकर और उनके द्वारा दिए गए प्रतीकों (जैसे भाषा) को सीखकर अपना ‘स्व’ विकसित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड की अवधारणाओं जैसे ‘I’ (तात्कालिक प्रतिक्रिया) और ‘Me’ (सामाजिककृत ‘स्व’) यह बताती हैं कि कैसे व्यक्ति दूसरों की अपेक्षाओं को आंतरिक बनाता है।
- गलत विकल्प: ‘स्व’ जन्मजात या जैविक रूप से निर्धारित नहीं है। यह केवल आर्थिक कारकों से भी प्रभावित नहीं होता, बल्कि मुख्य रूप से सामाजिक अंतःक्रियाओं से बनता है।
प्रश्न 13: मैक्स वेबर ने समाज को तर्कसंगत बनाने (Rationalization) की प्रक्रिया को किस शब्द से संबोधित किया, जो मध्ययुगीन जादू-टोने के प्रभाव से आधुनिकता की ओर परिवर्तन का वर्णन करता है?
- अलगाव (Alienation)
- विसंगति (Anomie)
- जादू-टोने का निष्कासन (Disenchantment of the World)
- पूंजीवाद (Capitalism)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने आधुनिक पश्चिमी समाज के उदय को ‘दुनिया के जादू-टोने के निष्कासन’ (Disenchantment of the World) के रूप में वर्णित किया। इसका अर्थ है कि विज्ञान, तर्कसंगतता और नौकरशाही के उदय से दुनिया का चमत्कारी और जादुई स्पष्टीकरण कम हो गया।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया तर्कसंगतता (rationalization) का एक प्रमुख पहलू है, जो उत्पादन, प्रशासन और सामाजिक जीवन के अन्य सभी पहलुओं में दक्षता और पूर्वानुमेयता पर जोर देती है। यह उनके ‘प्रोटेस्टेंट नीति और पूंजीवाद की भावना’ (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) जैसे कार्यों में भी परिलक्षित होता है।
- गलत विकल्प: अलगाव और विसंगति क्रमशः मार्क्स और दुर्खीम द्वारा प्रयोग किए गए शब्द हैं, जबकि पूंजीवाद तर्कसंगतता की एक अभिव्यक्ति है, न कि प्रक्रिया का नाम।
प्रश्न 14: भारतीय समाज में ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया को समझने के लिए किस समाजशास्त्री ने ‘सार्वभौमिकरण’ (Universalization) और ‘स्थानीयकरण’ (Localization) जैसी अवधारणाओं का प्रयोग किया?
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- टी.एन. मदान
- योगेन्द्र सिंह
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: टी.एन. मदान, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने भारतीय धर्मनिरपेक्षीकरण की जटिलताओं को समझने के लिए ‘सार्वभौमिकरण’ (Universalization – प्रमुख धर्मों के बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक तत्वों को अपनाना) और ‘स्थानीयकरण’ (Localization – क्षेत्रीय या स्थानीय परंपराओं का केंद्रीयकरण) की अवधारणाओं का प्रयोग किया।
- संदर्भ और विस्तार: मदान ने तर्क दिया कि भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षीकरण को पश्चिमी मॉडल की तरह केवल सार्वजनिक क्षेत्र से धर्म का पृथक्करण नहीं माना जा सकता, बल्कि यह विभिन्न तरीकों से प्रकट होता है।
- गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ‘संस्कृतिकरण’ के लिए जाने जाते हैं, इरावती कर्वे ने भारतीय समाज और kin-ship पर काम किया, और योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण और परिवर्तन पर लिखा।
प्रश्न 15: विवाह के किस प्रकार में एक व्यक्ति एक ही समय में एक से अधिक जीवनसाथी रख सकता है?
- एकविवाह (Monogamy)
- बहुविवाह (Polygamy)
- समकालीन विवाह (Serial Monogamy)
- अंतर-जातीय विवाह (Inter-caste Marriage)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: बहुविवाह (Polygamy) वह प्रथा है जिसमें एक व्यक्ति एक ही समय में एक से अधिक जीवनसाथी रखता है। इसके दो मुख्य रूप हैं: बहुपत्नीत्व (Polygyny – एक पुरुष की कई पत्नियाँ) और बहुपतित्व (Polyandry – एक महिला के कई पति)।
- संदर्भ और विस्तार: एकविवाह में एक समय में केवल एक जीवनसाथी होता है, जबकि समकालीन विवाह में व्यक्ति अपने जीवनकाल में कई बार विवाह कर सकता है, लेकिन एक समय में केवल एक ही जीवनसाथी होता है (विवाह विच्छेद या मृत्यु के बाद)। अंतर-जातीय विवाह वैवाहिक साथी की जाति से संबंधित है।
- गलत विकल्प: एकविवाह और समकालीन विवाह एक समय में एक जीवनसाथी पर केंद्रित हैं। अंतर-जातीय विवाह जीवनसाथी की जाति से संबंधित है, न कि जीवनसाथियों की संख्या से।
प्रश्न 16: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में सर्वहारा (Proletariat) का सबसे बड़ा दुर्भाग्य क्या है?
- राज्य का दमन
- वर्ग चेतना का अभाव
- उत्पादन के साधनों से अलगाव (Alienation)
- अस्थिर रोज़गार
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिकों का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ‘अलगाव’ (Alienation) है। सर्वहारा अपने श्रम के उत्पाद से, स्वयं अपने श्रम की प्रक्रिया से, अपनी मानवीय प्रकृति (species-being) से और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अलगाव की यह भावना उन्हें महसूस कराती है कि वे केवल उत्पादन का एक पुर्जा मात्र हैं, और उनके श्रम का कोई व्यक्तिगत अर्थ या मूल्य नहीं है। यह वर्ग चेतना के विकास में भी बाधा डालता है।
- गलत विकल्प: राज्य का दमन और अस्थिर रोज़गार अलगाव के कारण हो सकते हैं या इसके पूरक हो सकते हैं, लेकिन अलगाव ही मार्क्स द्वारा वर्णित मौलिक समस्या है। वर्ग चेतना का अभाव अलगाव का एक परिणाम है, न कि मूल कारण।
प्रश्न 17: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का वह रूप क्या कहलाता है जिसमें एक व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन लाता है, लेकिन यह परिवर्तन मुख्य रूप से एक ही पीढ़ी के भीतर होता है?
- ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
- क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
- अंतःपीढ़ीगत गतिशीलता (Intragenerational Mobility)
- अंतःपीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: अंतःपीढ़ीगत गतिशीलता (Intragenerational Mobility) उस गतिशीलता को संदर्भित करती है जो एक व्यक्ति के जीवनकाल में घटित होती है, जैसे कि पदोन्नति या करियर परिवर्तन के माध्यम से सामाजिक स्थिति में वृद्धि या कमी।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, अंतःपीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility) माता-पिता की सामाजिक स्थिति की तुलना में उनकी संतानों की सामाजिक स्थिति में होने वाले परिवर्तनों को मापती है। ऊर्ध्वाधर गतिशीलता स्थिति में ऊपर या नीचे जाने को दर्शाती है, जबकि क्षैतिज गतिशीलता समान स्तर पर स्थिति परिवर्तन (जैसे नौकरी बदलना) को दर्शाती है।
- गलत विकल्प: ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज गतिशीलता गतिशीलता की दिशा बताती है, जबकि अंतःपीढ़ीगत और अंतःपीढ़ीगत गतिशीलता पीढ़ीगत अंतर पर आधारित होती है।
प्रश्न 18: योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को समझने के लिए किन दो मुख्य कारकों को पहचाना?
- औद्योगीकरण और नगरीकरण
- पूंजीवाद और सामंतवाद
- लोकतंत्र और राष्ट्रवाद
- संस्कृति और संरचना
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का विश्लेषण करते हुए ‘संस्कृति’ (culture) और ‘संरचना’ (structure) को दो प्रमुख क्षेत्र के रूप में पहचाना, जिनमें परिवर्तन हो रहे थे। उन्होंने भारतीय समाज पर पारंपरिक और आधुनिक दोनों शक्तियों के प्रभाव का अध्ययन किया।
- संदर्भ और विस्तार: उनके काम ‘Modernisation of Indian Tradition’ में, उन्होंने बताया कि कैसे पारंपरिक भारतीय समाज में आधुनिकीकरण के कारण सांस्कृतिक और संरचनात्मक दोनों स्तरों पर बदलाव आए, जो पश्चिमीकरण और संस्कृतिकरण दोनों से प्रभावित हुए।
- गलत विकल्प: जबकि औद्योगीकरण, नगरीकरण, पूंजीवाद, लोकतंत्र आदि आधुनिकीकरण के घटक हो सकते हैं, सिंह ने मुख्य रूप से संस्कृति और संरचना के लेंस के माध्यम से इस प्रक्रिया को विश्लेषित किया।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था, दुर्खीम के अनुसार, समाज को एकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण कार्य करती है?
- परिवार
- राज्य
- धर्म
- बाजार
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने धर्म को समाज में एकता और एकजुटता (solidarity) लाने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में देखा। उन्होंने ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में तर्क दिया कि धर्म सामूहिक चेतना (collective conscience) को मजबूत करता है और सामाजिक मूल्यों को साझा करने में मदद करता है।
- संदर्भ और विस्तार: उनका मानना था कि धर्म पवित्र (sacred) और अपवित्र (profane) के बीच अंतर करके और अनुष्ठानों के माध्यम से सामूहिक अनुभव प्रदान करके सामाजिक बंधन को मजबूत करता है।
- गलत विकल्प: परिवार, राज्य और बाजार भी सामाजिक संस्थाएं हैं और भूमिका निभाती हैं, लेकिन दुर्खीम के विश्लेषण में धर्म की एकीकृत शक्ति पर विशेष जोर दिया गया था।
प्रश्न 20: ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो समाज के कुछ हिस्सों (जैसे प्रौद्योगिकी) के तेजी से बदलने और अन्य हिस्सों (जैसे मूल्यों, संस्थाओं) के पीछे रह जाने की स्थिति का वर्णन करती है, किसने विकसित की?
- विलियम एफ. ऑग्बर्न
- ई. डी. दुर्खीम
- मैनहेम
- टालकोट पार्सन्स
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विलियम एफ. ऑग्बर्न ने ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ (Cultural Lag) की अवधारणा पेश की। उन्होंने बताया कि कैसे भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक संस्थाएं, विश्वास, मूल्य) की तुलना में बहुत तेजी से बदलती है, जिससे सामाजिक समायोजन में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, परिवहन प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति के बावजूद, यातायात नियमों और सामाजिक आदतों में परिवर्तन अक्सर धीमा होता है, जिससे दुर्घटनाएं और अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम, मैनहेम और पार्सन्स समाजशास्त्रीय विचार के अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं, लेकिन सांस्कृतिक विलम्ब की अवधारणा ऑग्बर्न से जुड़ी है।
प्रश्न 21: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- यह एक बंद सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली है।
- यह व्यवसाय की वंशानुगत उत्पत्ति पर आधारित है।
- इसमें संस्तरण (hierarchy) का अभाव है।
- यह अंतर्विवाह (endogamy) पर जोर देती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता उसका स्पष्ट संस्तरण (hierarchy) है, जहाँ विभिन्न जातियाँ ब्राह्मणों से शुरू होकर शूद्रों तक एक पदानुक्रमित क्रम में व्यवस्थित होती हैं। अन्य सभी कथन जाति व्यवस्था की विशेषताओं का सटीक वर्णन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक बंद प्रणाली है क्योंकि जन्म के आधार पर सदस्यता निर्धारित होती है और सामाजिक गतिशीलता अत्यंत सीमित होती है। व्यवसाय भी अक्सर वंशानुगत होते हैं, और अपनी ही जाति में विवाह (अंतर्विवाह) को बढ़ावा दिया जाता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) असत्य है क्योंकि जाति व्यवस्था में संस्तरण एक मूलभूत विशेषता है।
प्रश्न 22: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया को आम तौर पर किससे जोड़ा जाता है?
- परंपरावाद और ग्रामीणता
- औद्योगीकरण, नगरीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण
- सामंतवाद और कृषि अर्थव्यवस्था
- जाति-आधारित समाज और अनुष्ठान
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: आधुनिकीकरण को आम तौर पर उन प्रक्रियाओं से जोड़ा जाता है जो पारंपरिक समाजों को औद्योगिक, नगरीय और अधिक धर्मनिरपेक्ष समाजों में परिवर्तित करती हैं। इसमें प्रौद्योगिकी का विकास, आर्थिक उदारीकरण, शिक्षा का प्रसार और लोकतंत्रीकरण शामिल हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जो समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है, जिसमें अर्थव्यवस्था, राजनीति, संस्कृति और सामाजिक संरचना शामिल हैं।
- गलत विकल्प: अन्य सभी विकल्प पारंपरिक या पूर्व-आधुनिक समाज की विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि आधुनिकीकरण के।
प्रश्न 23: ई. सी. हॉसमैन (E. C. Hughes) ने ‘व्यवसाय’ (Occupation) के बारे में अपने काम में किस पर जोर दिया?
- केवल आर्थिक पहलू
- सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू, जिसमें कार्य की प्रकृति और सामाजिक संबंध शामिल हैं
- नौकरशाही का संरचनात्मक विश्लेषण
- ग्रामीण समुदायों का अध्ययन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ई. सी. हॉसमैन (Erving Goffman के साथ मिलकर अक्सर उद्धृत) ने व्यवसायों के समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने व्यवसाय को केवल एक आर्थिक गतिविधि के रूप में देखने के बजाय, इसे एक सामाजिक और सांस्कृतिक घटना के रूप में विश्लेषित किया, जिसमें श्रमिकों के बीच संबंध, कार्यस्थल की गतिशीलता और व्यवसाय से जुड़ी पहचान शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘कार्य और व्यक्ति’ (Work and Personality) जैसे कार्यों में व्यवसायों के सामाजिक अर्थों की पड़ताल की।
- गलत विकल्प: हॉसमैन का ध्यान केवल आर्थिक पहलुओं पर नहीं था, न ही उन्होंने मुख्य रूप से नौकरशाही या ग्रामीण समुदायों पर केंद्रित कार्य किया।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा ‘धर्म’ के अध्ययन से संबंधित है?
- सामाजिक नियंत्रण (Social Control)
- प्रतिनिधित्व (Representation)
- सामूहिक चेतना (Collective Conscience)
- द्वंद्ववाद (Dialectic)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने धर्म को ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Conscience) को मजबूत करने और बनाए रखने के एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में देखा। उनका मानना था कि धर्म द्वारा साझा किए गए विश्वास, अनुष्ठान और प्रतीक समाज के सदस्यों को एक साथ बांधते हैं और सामाजिक एकजुटता को बढ़ाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘धर्म के प्राथमिक स्वरूप’ (The Elementary Forms of Religious Life) में, उन्होंने पवित्र (sacred) और अपवित्र (profane) के बीच भेद किया, जो धार्मिक जीवन की केंद्रीय विशेषता है और जो सामूहिक भावना को जन्म देती है।
- गलत विकल्प: सामाजिक नियंत्रण एक व्यापक अवधारणा है। प्रतिनिधित्व (representation) आंद्रे जेंटिली जैसे विचारकों से जुड़ा है। द्वंद्ववाद (Dialectic) मार्क्स से जुड़ा एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
प्रश्न 25: भारतीय समाज में ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) के संदर्भ में, ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की मुख्य विशेषता क्या है?
- नाभिकीय सदस्यों (माता-पिता और बच्चे) का एक साथ रहना
- विभिन्न पीढ़ियों के सदस्यों का एक साथ रहना और समान रसोई साझा करना
- एक ही व्यक्ति के कई विवाह
- रक्त संबंधों का अभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय समाज में संयुक्त परिवार की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें सामान्यतः तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य (दादा-दादी, माता-पिता, बच्चे, कभी-कभी परपोते भी) एक साथ निवास करते हैं, एक ही रसोई से भोजन करते हैं, और संपत्ति साझा करते हैं। इसमें एक मुखिया होता है और सदस्यों के बीच सहयोग और दायित्वों का बंधन होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नाभिकीय परिवार (Nuclear Family) के विपरीत है, जिसमें केवल माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) नाभिकीय परिवार का वर्णन करता है। विकल्प (c) बहुविवाह है। विकल्प (d) संयुक्त परिवार की विशेषता के विपरीत है, क्योंकि इसमें रक्त संबंध ही आधार होते हैं।