समाजशास्त्र के महारथी बनें: दैनिक वैचारिक मंथन
नमस्कार, समाजशास्त्र के जिज्ञासु छात्र! आज का दिन आपके वैचारिक ज्ञान को परखने और अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का है। प्रस्तुत हैं 25 प्रश्न जो आपके समाजशास्त्रीय कौशल को निखारेंगे। अपनी समझ को चुनौती दें और इन प्रश्नों के माध्यम से अपने ज्ञान का परीक्षण करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने बाहरी, बाध्यकारी और सामान्य कहा?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे समूह का व्यवहार समाज में व्यक्तियों के व्यवहार को नियंत्रित करता है, चाहे वह व्यक्तिगत चेतना से अलग और ऊपर हो।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, सामाजिक तथ्यों को “वस्तुओं के रूप में” (as things) माना जाना चाहिए, जिसका अर्थ है कि उन्हें अनुभवजन्य रूप से अध्ययन किया जाना चाहिए। ये तथ्य व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालते हैं, जैसे कानून, रीति-रिवाज या नैतिक नियम।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘अलगाव’ जैसी अवधारणाओं के लिए जाने जाते हैं। मैक्स वेबर ने ‘कार्यवाही का अर्थ’ (meaning of action) और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने ‘सामाजिक डार्विनवाद’ का विचार प्रस्तुत किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा समाज में सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाले ‘एकता’ (Solidarity) के प्रकारों का वर्णन करने के लिए उपयोग की गई थी?
- यांत्रिक और जैविक एकता
- यांत्रिक और कार्बनिक एकता
- जैविक और औद्योगिक एकता
- कार्बनिक और औद्योगिक एकता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ में दो प्रकार की सामाजिक एकता का वर्णन किया: ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity), जो सजातीय समाजों में सामान्य चेतना और साझा विश्वासों पर आधारित होती है, और ‘कार्बनिक एकता’ (Organic Solidarity), जो श्रम विभाजन और परस्पर निर्भरता पर आधारित होती है, जैसा कि आधुनिक, विषम समाजों में पाया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकता आमतौर पर सरल, पारंपरिक समाजों में पाई जाती है, जबकि कार्बनिक एकता जटिल, औद्योगिक समाजों की विशेषता है।
- गलत विकल्प: ‘जैविक एकता’ (Biological Solidarity) समाजशास्त्रीय अवधारणा नहीं है। ‘औद्योगिक एकता’ (Industrial Solidarity) दुर्खीम की शब्दावली का हिस्सा नहीं है, हालांकि औद्योगिक समाज कार्बनिक एकता का उदाहरण है।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘पोटेश्टाट’ (Potestas) का क्या अर्थ है?
- सामाजिक प्रतिष्ठा
- आर्थिक स्थिति
- राजनीतिक शक्ति
- धार्मिक अधिकार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने शक्ति (Power) को किसी व्यक्ति या समूह की अपनी इच्छा को दूसरों पर लागू करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया, भले ही प्रतिरोध का सामना करना पड़े। उन्होंने शक्ति के तीन प्राथमिक स्रोत बताए: वर्ग (Class – आर्थिक), स्थिति (Status – सामाजिक प्रतिष्ठा), और दल (Party – राजनीतिक शक्ति)। ‘पोटेश्टाट’ (Potestas) शक्ति या अधिकार का एक सामान्य लैटिन शब्द है, लेकिन वेबर के संदर्भ में यह अक्सर ‘राजनीतिक शक्ति’ से जुड़ा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने शक्ति को ‘किसी भी सामाजिक संबंध में अपनी इच्छा को लागू करने की संभावना, चाहे वह प्रतिरोध हो या न हो’ के रूप में परिभाषित किया। जबकि ‘पोटेश्टाट’ एक सामान्य शब्द है, राजनीतिक शक्ति (Party) वेबर की शक्ति की तीन-आयामी अवधारणा का एक प्रमुख घटक है।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक प्रतिष्ठा’ (Status) वेबर की अवधारणा का हिस्सा है लेकिन ‘पोटेश्टाट’ का सीधा अर्थ नहीं है। ‘आर्थिक स्थिति’ (Class) भी एक अलग आयाम है। ‘धार्मिक अधिकार’ (Religious Authority) शक्ति का एक रूप हो सकता है, लेकिन ‘पोटेश्टाट’ विशेष रूप से राजनीतिक शक्ति से अधिक निकटता से संबंधित है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा कार्ल मार्क्स द्वारा पूंजीवादी समाज में श्रमिकों के अलगाव (Alienation) के चार मुख्य प्रकारों का वर्णन करने के लिए उपयोग की गई थी?
- उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और दूसरों से अलगाव
- वर्ग चेतना से अलगाव, राज्य से अलगाव, परिवार से अलगाव, और संपत्ति से अलगाव
- धर्म से अलगाव, शिक्षा से अलगाव, बाजार से अलगाव, और नौकरशाही से अलगाव
- पहचान से अलगाव, आशा से अलगाव, श्रम से अलगाव, और समुदाय से अलगाव
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में अलगाव की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उनके अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन के तहत श्रमिक चार तरीकों से अलग-थलग हो जाते हैं: (1) अपने उत्पाद से, (2) उत्पादन की प्रक्रिया से, (3) स्वयं की मानवीय प्रकृति (Species-being) से, और (4) अन्य मनुष्यों से।
- संदर्भ और विस्तार: अलगाव का अर्थ है कि श्रमिक अपने श्रम और इसके परिणामों पर नियंत्रण खो देते हैं, जिससे वे शक्तिहीन और उपेक्षित महसूस करते हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प मार्क्सवादी सिद्धांत में अप्रासंगिक अवधारणाओं का मिश्रण हैं या अलगाव के उनके विशिष्ट वर्गीकरण से मेल नहीं खाते हैं।
प्रश्न 5: टी. पार्सन्स द्वारा प्रस्तुत ‘ए.जी.ई.आई.एल.’ (AGIL) मॉडल समाज को एक प्रणाली के रूप में विश्लेषण करने के लिए कौन से चार आवश्यक कार्य (Functional Imperatives) बताता है?
- अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, और अव्यवस्था
- अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, और अव्यक्तता
- उद्देश्य, गतिशीलता, व्यवस्था, और निर्भरता
- ज्ञान, मूल्य, संबंध, और संसाधन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैलकॉट पार्सन्स ने समाज को एक सामाजिक प्रणाली के रूप में देखा जो जीवित रहने के लिए चार आवश्यक कार्यों को पूरा करती है: ‘अनुकूलन’ (Adaptation – पर्यावरण के अनुकूल होना), ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment – साझा लक्ष्यों को प्राप्त करना), ‘एकीकरण’ (Integration – प्रणाली के विभिन्न भागों को एक साथ बांधना), और ‘अवयवीकरण/अव्यक्तता’ (Latency/Pattern Maintenance – सांस्कृतिक पैटर्न और प्रेरणाओं को बनाए रखना)।
- संदर्भ और विस्तार: यह मॉडल सामाजिक प्रणालियों के विश्लेषण के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: ‘अव्यवस्था’ (Disorder) सकारात्मक कार्य नहीं है। अन्य विकल्प पार्सन्स के ‘ए.जी.ई.आई.एल.’ मॉडल के कार्यों का सटीक प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- उच्च जाति के रीति-रिवाजों को अपनाकर निम्न जाति की स्थिति में सुधार
- पश्चिमी जीवन शैली और मूल्यों को अपनाना
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा
- शहरीकरण के कारण सामाजिक गतिशीलता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में संस्कृतिकरण की अवधारणा दी। इसका अर्थ है कि निम्न जाति या जनजाति के लोग किसी उच्च, ‘द्विजा’ (twice-born) जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, परंपराओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जहाँ निम्न जाति, उच्च जाति के आदर्शों का अनुकरण करके सामाजिक सीढ़ी पर चढ़ने की कोशिश करती है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमी जीवन शैली’ को अपनाना ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) कहलाता है। ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) और ‘शहरीकरण’ (Urbanization) अन्य प्रकार की सामाजिक परिवर्तन प्रक्रियाएँ हैं।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘वर्ग’ (Class) की अवधारणा का अध्ययन करते समय, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता पारंपरिक रूप से ‘जाति’ (Caste) के अध्ययन से अधिक जुड़ी हुई है?
- आर्थिक असमानता
- व्यवसाय की बहुलता
- जन्म आधारित सदस्यता
- व्यक्तिगत पसंद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- Correctness: जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है; एक व्यक्ति जिस जाति में पैदा होता है, वह उसकी पहचान बनी रहती है, और यह समूह की सदस्यता निर्धारित करती है। वर्ग, हालांकि आंशिक रूप से वंशानुगत हो सकता है, मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति, संपत्ति और व्यवसाय के आधार पर परिभाषित होता है, जो परिवर्तन के अधीन हो सकता है।
- Context & Elaboration: जाति व्यवस्था एक बंद स्तरीकरण प्रणाली है, जबकि वर्ग व्यवस्था एक खुली स्तरीकरण प्रणाली मानी जाती है, जहाँ व्यक्ति अपनी स्थिति में सुधार कर सकता है।
- Incorrect Options: ‘आर्थिक असमानता’ वर्ग और जाति दोनों में पाई जाती है, लेकिन जाति का प्राथमिक निर्धारक नहीं है। ‘व्यवसाय की बहुलता’ भी दोनों में पाई जा सकती है। ‘व्यक्तिगत पसंद’ वर्ग में अधिक प्रासंगिक है, जबकि जाति में यह सीमित है।
प्रश्न 8: ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं, जिन्होंने तर्क दिया कि हर समाज में एक छोटा, शक्तिशाली अल्पसंख्यक समूह (अभिजन) मौजूद होता है जो शक्ति रखता है?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- विलफ्रेडो पैरेटो और गैतानो मोस्का
- ई. ई. शूमपीटर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलफ्रेडो पैरेटो और गैतानो मोस्का को अभिजन सिद्धांत के क्लासिक प्रस्तावक माना जाता है। पैरेटो का मानना था कि समाज अभिजन (शासक वर्ग) और गैर-अभिजन (शासित वर्ग) में विभाजित है, और अभिजन अपने गुणों के आधार पर सत्ता में आते हैं और जाते रहते हैं। मोस्का ने तर्क दिया कि हर समाज में शासकों का एक अल्पसंख्यक और शासितों का बहुमत होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उनके सिद्धांत ‘The Mind and Society’ (Pareto) और ‘The Ruling Class’ (Mosca) में प्रस्तुत किए गए हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और मार्क्स सामाजिक व्यवस्था और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि शूमपीटर ने पूंजीवाद के पतन और उद्यमिता पर काम किया।
प्रश्न 9: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक कौन है, जिसने ‘स्व’ (Self) के विकास में अंतःक्रिया और भाषा की भूमिका पर जोर दिया?
- हरबर्ट ब्लूमर
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- अल्फ्रेड शुट्ज़
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के संस्थापक विचारकों में से एक माना जाता है। उन्होंने ‘The Mind, Self, and Society’ में बताया कि ‘स्व’ (Self) का विकास सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होता है, जहाँ व्यक्ति दूसरों के दृष्टिकोण से अपने आप को देखने की क्षमता विकसित करता है, विशेष रूप से ‘अन्य’ (the Other) और ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) की भूमिकाओं को अपनाकर।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद समाज को व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाओं के एक जटिल जाल के रूप में देखता है, जहाँ प्रतीक (जैसे भाषा, हावभाव) अर्थ बनाते हैं।
- गलत विकल्प: हरबर्ट ब्लूमर ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द को लोकप्रिय बनाया। चार्ल्स हॉर्टन कूली ने ‘आईना-स्व’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी, जो मीड के विचारों से संबंधित है। अल्फ्रेड शुट्ज़ फेनोमेनोलॉजी से जुड़े थे।
प्रश्न 10: इरावती कर्वे ने किस पुस्तक में भारतीय समाज का ‘जनजातीय, ग्रामीण और शहरी’ (Tribal, Rural, and Urban) के संदर्भ में एक तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया?
- Kinship Organization in India
- Hindu Society: An Interpretation
- Urban-Rural Differences in India
- Tribal India
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: इरावती कर्वे ने अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक ‘Kinship Organization in India’ में भारतीय समाज के विभिन्न आयामों का विश्लेषण किया, जिसमें जनजातीय, ग्रामीण और शहरी संदर्भों में नातेदारी की संरचनाएं और उनमें अंतर्संबंध शामिल थे।
- संदर्भ और विस्तार: कर्वे का कार्य भारत में नातेदारी, विवाह और सामाजिक संरचना के अध्ययन में एक मील का पत्थर है।
- गलत विकल्प: अन्य पुस्तकें उनके अन्य अध्ययनों से संबंधित हो सकती हैं, लेकिन ‘Kinship Organization in India’ में उन्होंने इन तीन संदर्भों का प्रमुखता से उल्लेख किया है।
प्रश्न 11: सामाजिक अनुसंधान में ‘परिकल्पना’ (Hypothesis) का क्या महत्व है?
- यह शोध प्रश्न का संभावित उत्तर होता है।
- यह केवल एक अप्रमाणित धारणा है।
- यह शोध प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं निभाती है।
- यह अंतिम निष्कर्ष का पर्याय है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एक परिकल्पना एक परीक्षण योग्य कथन है जो दो या दो से अधिक चरों के बीच अपेक्षित संबंध का सुझाव देता है। यह शोधकर्ता के पूर्व ज्ञान, सिद्धांत या अवलोकन पर आधारित एक अनुमानित उत्तर है, जिसे डेटा के माध्यम से सत्यापित या असत्यापित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: परिकल्पना शोध को दिशा प्रदान करती है और अध्ययन को केंद्रित रखने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: परिकल्पना अप्रमाणित नहीं, बल्कि परीक्षण योग्य होती है। यह शोध प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, अंतिम निष्कर्ष नहीं।
प्रश्न 12: ‘एकीकरण’ (Integration) की अवधारणा, जिसका उपयोग अक्सर सामाजिक व्यवस्था और एकजुटता को समझाने के लिए किया जाता है, किस प्रमुख समाजशास्त्री से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- टैलकॉट पार्सन्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैलकॉट पार्सन्स ने ‘एकीकरण’ (Integration) को अपनी ‘ए.जी.ई.आई.एल.’ (AGIL) मॉडल के चार कार्यात्मक अनिवार्यताओं में से एक के रूप में पहचाना। यह सामाजिक प्रणाली के विभिन्न उप-प्रणालियों (जैसे अर्थव्यवस्था, राजनीति, कानून, परिवार) के बीच सामंजस्य और समन्वय को संदर्भित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का तर्क है कि एक स्थिर समाज के लिए इन सभी कार्यों का निर्वाह आवश्यक है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘एकता’ (Solidarity) की बात की, जो एकीकरण से संबंधित है लेकिन पार्सन्स की तरह एक विशिष्ट कार्यात्मक तत्व के रूप में नहीं। मार्क्स वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो अक्सर एकीकरण को बाधित करता है। वेबर शक्ति और नौकरशाही के विश्लेषण पर जोर देते हैं।
प्रश्न 13: भारत में ‘विवाह’ (Marriage) के संदर्भ में, ‘सम-गोत्र विवाह निषेध’ (Endogamy of the same Gotra) का क्या अर्थ है?
- एक ही गोत्र के व्यक्तियों के बीच विवाह की अनुमति है।
- एक ही गोत्र के व्यक्तियों के बीच विवाह निषिद्ध है।
- विवाह केवल भिन्न गोत्रों में ही हो सकता है।
- गोत्र विवाह के लिए अप्रासंगिक है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय समाज में, विशेष रूप से हिंदू धर्म में, ‘सपिंड’ (sapinda) और ‘सगोत्र’ (sagotra) के बीच विवाह वर्जित होता है। इसका अर्थ है कि एक ही गोत्र (पूर्वजों का एक काल्पनिक वंश) के व्यक्तियों के बीच विवाह निषिद्ध है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नियम पितृसत्तात्मक वंश से जुड़ा हुआ है, जहाँ गोत्र पिता से प्राप्त होता है। यह अंतर्विवाह (Endogamy) के व्यापक नियम के भीतर आता है, जो जाति या उप-जाति के भीतर विवाह की अनुमति देता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) निषेध की प्रकृति को गलत बताते हैं। विकल्प (d) इसे गलत तरीके से खारिज करता है।
प्रश्न 14: ‘धर्म के समाजशास्त्र’ (Sociology of Religion) के क्षेत्र में, एमिल दुर्खीम ने धर्म को समाज के लिए एक ‘एकजुटकारी बल’ (Cohesive Force) के रूप में देखा। उन्होंने पवित्र (Sacred) और अपवित्र (Profane) के बीच भेद को मौलिक माना। यह विचार उनकी किस पुस्तक में प्रमुखता से मिलता है?
- The Rules of Sociological Method
- Suicide
- The Elementary Forms of Religious Life
- The Division of Labour in Society
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Elementary Forms of Religious Life’ (1912) में धर्म के अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण को विस्तार से प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने तर्क दिया कि धर्म समाज के लिए एक एकीकृत शक्ति है, और समाज ही धर्म की जननी है, क्योंकि सामूहिक भावनाएँ ही पवित्र को जन्म देती हैं। उन्होंने पवित्र और अपवित्र के बीच भेद को सभी धर्मों का मूल माना।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने पवित्र और अपवित्र के भेद को सामाजिक व्यवस्था और सामूहिकता की अभिव्यक्ति के रूप में देखा।
- गलत विकल्प: अन्य पुस्तकें दुर्खीम के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को दर्शाती हैं, लेकिन धर्म के पवित्र/अपवित्र भेद का विस्तृत विश्लेषण ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में है।
प्रश्न 15: ‘सामूहिकता’ (Collectivism) के विपरीत, ‘व्यक्तिवाद’ (Individualism) की अवधारणा किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण का मूल है, जो व्यक्ति की स्वायत्तता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर देता है?
- मार्क्सवाद
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- उदारवादी सामाजिक सिद्धांत
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: व्यक्तिवाद, जो व्यक्तिगत अधिकारों, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता पर जोर देता है, अक्सर उदारवादी सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांतों का एक केंद्रीय तत्व होता है। यह उन दृष्टिकोणों के विपरीत है जो समाज को एक सामूहिक इकाई के रूप में देखते हैं या समूह के प्रभुत्व पर जोर देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कई पश्चिमी राजनीतिक दर्शन व्यक्तिवाद पर आधारित हैं, जहाँ राज्य की भूमिका व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
- गलत विकल्प: मार्क्सवाद सामूहिक स्वामित्व और वर्ग संघर्ष पर केंद्रित है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण पर जोर देता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत अंतःक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह व्यक्तिवाद को बढ़ावा दे जैसा कि उदारवादी सिद्धांत करता है।
प्रश्न 16: आर. के. मर्टन द्वारा प्रस्तुत ‘अनुकूली विचलन’ (Deviant Adaptation) की अवधारणा, विशेष रूप से ‘नवप्रवर्तन’ (Innovation), किस प्रकार के व्यक्ति की विशेषता है?
- वह व्यक्ति जो सांस्कृतिक लक्ष्यों को अस्वीकार करता है और संस्थागत साधनों को भी अस्वीकार करता है।
- वह व्यक्ति जो सांस्कृतिक लक्ष्यों को स्वीकार करता है लेकिन उन्हें प्राप्त करने के लिए गैर-संस्थागत साधनों का उपयोग करता है।
- वह व्यक्ति जो सांस्कृतिक लक्ष्यों को स्वीकार करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए संस्थागत साधनों का पालन करता है।
- वह व्यक्ति जो सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों दोनों को अस्वीकार करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट के. मर्टन ने अपनी ‘तनाव सिद्धांत’ (Strain Theory) में विचलन के विभिन्न तरीकों का वर्णन किया। ‘नवप्रवर्तन’ (Innovation) वह प्रतिक्रिया है जहाँ व्यक्ति समाज द्वारा अनुमोदित सांस्कृतिक लक्ष्यों (जैसे धन, सफलता) को स्वीकार करता है, लेकिन उन्हें प्राप्त करने के लिए अवैध या गैर-संस्थागत साधनों (जैसे अपराध) का उपयोग करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अनुरूपता (Conformity), नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), वापसी (Retreatism), और विद्रोह (Rebellion) जैसे प्रतिक्रियाओं को सूचीबद्ध किया।
- गलत विकल्प: (a) वापसी (Retreatism) या विद्रोह (Rebellion) से संबंधित हो सकता है। (c) अनुरूपता (Conformity) है। (d) वापसी (Retreatism) है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘अशोधित शक्ति’ (Power) को ‘नैतिक अधिकार’ (Legitimate Authority) से अलग करती है, जैसा कि मैक्स वेबर ने अपने ‘सत्ता के तीन आदर्श प्रकारों’ (Three Ideal Types of Authority) में समझाया?
- सत्ता बल द्वारा लागू की जाती है।
- सत्ता का आधार सामाजिक अनुग्रह है।
- सत्ता को वैध माना जाता है और स्वेच्छा से स्वीकार किया जाता है।
- सत्ता हमेशा करिश्माई होती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने वैध प्राधिकार (Legitimate Authority) को परिभाषित किया जो वह शक्ति है जिसे प्राप्तकर्ता अपने ऊपर उचित और न्यायसंगत मानते हैं। यह बल से नहीं, बल्कि विश्वास या स्वीकृति से उत्पन्न होती है। उनके तीन आदर्श प्रकार हैं: पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत।
- संदर्भ और विस्तार: वैध प्राधिकार को ‘सत्ता’ (Authority) कहा जाता है, जबकि बिना स्वीकृति के बल से लागू की गई शक्ति को ‘शक्ति’ (Power) कहा जाता है।
- गलत विकल्प: (a) यह शक्ति की परिभाषा है, वैध प्राधिकार की नहीं। (b) सामाजिक अनुग्रह (Grace) धार्मिक या करिश्माई सत्ता से संबंधित हो सकता है, लेकिन यह शक्ति को वैध बनाने का एकमात्र तरीका नहीं है। (d) केवल करिश्माई सत्ता ही प्राधिकार का एक प्रकार है, न कि सभी।
प्रश्न 18: भारतीय समाज में, ‘पवित्र प्रदूषण’ (Ritual Pollution) की अवधारणा मुख्य रूप से किस सामाजिक संरचना से जुड़ी है?
- वर्ग प्रणाली
- पंथ
- जाति प्रणाली
- राजनीतिक दल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय जाति प्रणाली में, ‘पवित्र प्रदूषण’ की अवधारणा महत्वपूर्ण है। उच्च जातियाँ निम्न जातियों को ‘पवित्र’ मानती हैं और उनके संपर्क से ‘अपवित्र’ (polluted) होने का भय रखती हैं। यह प्रदूषण शारीरिक संपर्क, व्यवसाय, या यहाँ तक कि छाया पड़ने से भी हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह जाति पदानुक्रम को बनाए रखने और छुआछूत की प्रथा को सही ठहराने का एक तरीका है।
- गलत विकल्प: वर्ग प्रणाली में ऐसी पवित्र/अपवित्र की अवधारणा नहीं होती। पंथ और राजनीतिक दल भी इससे अप्रभावित रहते हैं।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अध्ययन करते समय, निम्नलिखित में से कौन सी कसौटी (Criteria) का उपयोग अक्सर आय, संपत्ति और व्यवसाय जैसे आर्थिक कारकों को मापने के लिए किया जाता है?
- वर्ग (Class)
- स्थिति (Status)
- शक्ति (Power)
- जाति (Caste)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मार्क्सवादी परंपरा में, ‘वर्ग’ (Class) की अवधारणा मुख्य रूप से उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व या नियंत्रण पर आधारित है, जो सीधे तौर पर आय, संपत्ति और व्यवसाय को प्रभावित करती है। वेबर ने वर्ग को आर्थिक स्थिति से जोड़ा।
- संदर्भ और विस्तार: वर्ग एक स्तरीकरण की श्रेणी है जो मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति के आधार पर लोगों को विभाजित करती है।
- गलत विकल्प: ‘स्थिति’ (Status) सामाजिक प्रतिष्ठा, सम्मान और जीवन शैली से जुड़ी है, जो आर्थिक हो सकती है लेकिन हमेशा नहीं। ‘शक्ति’ (Power) राजनीतिक या संगठनात्मक प्रभाव से संबंधित है। ‘जाति’ (Caste) जन्म आधारित है और आर्थिक कारकों के अलावा अन्य कसौटियों पर भी आधारित होती है।
प्रश्न 20: ‘नृजाति विज्ञान’ (Ethnography) किस प्रकार की सामाजिक अनुसंधान विधि का एक उदाहरण है, जहाँ शोधकर्ता किसी विशेष सांस्कृतिक समूह के भीतर रहता है और उनके जीवन का गहन, वर्णनात्मक अध्ययन करता है?
- सर्वेक्षण (Survey)
- प्रयोग (Experiment)
- प्रतिभागियों का अवलोकन (Participant Observation)
- सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: नृजाति विज्ञान (Ethnography) अक्सर ‘प्रतिभागियों का अवलोकन’ (Participant Observation) विधि का उपयोग करता है। इसमें शोधकर्ता अध्ययन किए जा रहे समुदाय का हिस्सा बनकर, उनके साथ रहकर, उनकी गतिविधियों में भाग लेकर और उनके व्यवहारों को देखकर डेटा एकत्र करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधि किसी विशेष संस्कृति या सामाजिक समूह की गहरी समझ प्राप्त करने के लिए उपयोगी है।
- गलत विकल्प: सर्वेक्षण प्रश्नावली या साक्षात्कार पर आधारित होते हैं। प्रयोग नियंत्रित परिस्थितियों में चर के प्रभाव का अध्ययन करते हैं। सांख्यिकीय विश्लेषण मात्रात्मक डेटा पर केंद्रित होता है।
प्रश्न 21: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) की अवधारणा का तात्पर्य है:
- समाज में व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में परिवर्तन।
- एक समाज से दूसरे समाज में लोगों का प्रवासन।
- एक पीढ़ी के भीतर सामाजिक स्थिति में सुधार।
- सामाजिक संरचना का विश्लेषण।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में समय के साथ होने वाले परिवर्तन को संदर्भित करती है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: गतिशीलता एक व्यक्ति के जीवनकाल (अंतरा-पीढ़ी गतिशीलता) या विभिन्न पीढ़ियों के बीच (अंतरा-पीढ़ी गतिशीलता) हो सकती है।
- गलत विकल्प: (b) प्रवासन भौगोलिक गतिशीलता है, सामाजिक नहीं। (c) यह अंतरा-पीढ़ी ऊर्ध्वाधर गतिशीलता का एक विशिष्ट रूप है, लेकिन गतिशीलता का पूरा अर्थ नहीं है। (d) सामाजिक संरचना का विश्लेषण गतिशीलता का अध्ययन नहीं है।
प्रश्न 22: ‘जातिगत पंचायती राज’ (Caste Panchayat) की अवधारणा भारतीय ग्रामीण समाजों में किस प्रकार की सामाजिक नियंत्रण (Social Control) व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करती है?
- औपचारिक और कानूनी नियंत्रण
- अनौपचारिक और पारंपरिक नियंत्रण
- बाह्य नियंत्रण
- राज्य-नियंत्रित नियंत्रण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जाति पंचायतें भारतीय ग्रामीण समुदायों में अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण साधन रही हैं। वे जाति नियमों और परंपराओं के उल्लंघन पर जुर्माना, बहिष्कार या अन्य दंड लगाकर समुदाय के व्यवहार को नियंत्रित करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये पंचायतें अक्सर पारंपरिक जातिगत पदानुक्रम और मानदंडों पर आधारित होती हैं।
- गलत विकल्प: ये औपचारिक या कानूनी संस्थाएँ नहीं हैं, बल्कि अनौपचारिक निकाय हैं। बाह्य नियंत्रण एक व्यापक शब्द है, लेकिन जाति पंचायतें विशेष रूप से पारंपरिक और अनौपचारिक नियंत्रण का रूप हैं।
प्रश्न 23: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की अवधारणा का समाजशास्त्र में क्या अर्थ है, जो अक्सर औद्योगीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षता से जुड़ी है?
- मध्ययुगीन समाजों की वापसी।
- उन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों का समूह जो पश्चिमी यूरोप में औद्योगिक क्रांति के बाद हुए।
- प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध।
- एक पूरी तरह से कृषि-आधारित समाज।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकता एक जटिल अवधारणा है जो औद्योगीकरण, पूंजीवाद, राष्ट्र-राज्य, तर्कसंगतता, नौकरशाही, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षता जैसे बड़े सामाजिक परिवर्तनों के एक सेट का वर्णन करती है, जो मुख्य रूप से 18वीं शताब्दी के बाद पश्चिमी समाजों में शुरू हुए।
- संदर्भ और विस्तार: यह परंपरावादी समाजों से एक महत्वपूर्ण विचलन का प्रतिनिधित्व करता है।
- गलत विकल्प: आधुनिकता मध्ययुगीनता की वापसी नहीं है, बल्कि उससे एक विचलन है। यह प्रकृति के साथ सामंजस्य के बजाय तर्क और विज्ञान पर जोर देती है। यह कृषि-आधारित समाज से दूर एक औद्योगिक और शहरी समाज की ओर बदलाव है।
प्रश्न 24: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के दृष्टिकोण से, ‘भूमिका ग्रहण’ (Role-Taking) की प्रक्रिया क्या है?
- किसी व्यक्ति के लिए अपनी भूमिका निर्धारित करना।
- दूसरों के दृष्टिकोण से सोचना और अपनी भूमिका को समझना।
- समूह के नियमों का पालन करना।
- समाज द्वारा सौंपी गई भूमिकाओं को स्वीकार करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद में, ‘भूमिका ग्रहण’ (Role-Taking) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण को अपनाता है और यह समझने का प्रयास करता है कि वह व्यक्ति कैसे सोचेगा या कार्य करेगा। यह ‘स्व’ (Self) के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, जैसा कि जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने समझाया।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें ‘अन्य’ (the Other) की भूमिका को अपनाना शामिल है।
- गलत विकल्प: (a) भूमिका निर्धारण एक अलग प्रक्रिया हो सकती है। (c) भूमिका ग्रहण नियमों के पालन से अधिक गहन है। (d) यह केवल स्वीकार करने से परे जाकर दूसरे के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास है।
प्रश्न 25: एस.एफ. नडल (S.F. Nadel) ने किस प्रकार के समाजशास्त्रीय विश्लेषण पर जोर दिया, जिसमें उन्होंने समाज को एक ‘संरचना’ (Structure) के रूप में देखा और सामाजिक संबंधों के जटिल जाल का अध्ययन किया?
- कार्यात्मक विश्लेषण (Functional Analysis)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- संरचनावाद (Structuralism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एस.एफ. नडल, विशेष रूप से अपनी पुस्तक ‘The Foundations of Social Anthropology’ में, समाज का ‘संरचनात्मक’ (Structural) दृष्टिकोण से विश्लेषण करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने सामाजिक संबंधों के ‘पैटर्न’ और ‘जाल’ पर जोर दिया, जो समाज की संरचना का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उनका काम सीधे तौर पर क्लॉड लेवी-स्ट्रॉस जैसे नृविज्ञानियों के ‘संरचनावाद’ से जुड़ा हुआ है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक प्रणालियों में अंतर्निहित, छिपे हुए पैटर्न की तलाश करते हैं।
- गलत विकल्प: कार्यात्मक विश्लेषण (a) समाज के कार्यों पर केंद्रित है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद (b) समाज की संरचना और कार्यों दोनों को जोड़ता है, लेकिन नडल का जोर अधिक अमूर्त ‘संरचना’ पर था। संघर्ष सिद्धांत (d) समाज में शक्ति और संघर्ष पर केंद्रित है।
सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
[कोर्स और फ्री नोट्स के लिए यहाँ क्लिक करें]