समाजशास्त्र के दिग्गजों और सिद्धांतों को परखें: दैनिक ज्ञानोदय
नमस्कार, युवा समाजशास्त्री! आज आपके अवधारणात्मक ज्ञान और विश्लेषणात्मक कौशल को पैना करने का एक और दिन है। समाजशास्त्र की दुनिया में गहराई से उतरें और इन 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ अपनी समझ को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। प्रत्येक प्रश्न आपको प्रमुख सिद्धांतों, विचारकों और भारतीय समाज की बारीकियों से रूबरू कराएगा। आइए, इस बौद्धिक यात्रा का आरंभ करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘द्वंद्ववाद’ (Dialectic) की अवधारणा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या करता है, जिसमें वह ‘प्र tesis’, ‘एंटीथीसिस’ और ‘सिंथेसिस’ की प्रक्रिया बताता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या करने के लिए द्वंद्ववाद का उपयोग किया। उनके अनुसार, समाज में विरोधी शक्तियाँ (जैसे बुर्जुआज़ी और सर्वहारा) लगातार संघर्षरत रहती हैं, जो एक नए सामाजिक संश्लेषण को जन्म देती हैं, और यह प्रक्रिया चलती रहती है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने जॉर्ज हेगेल के द्वंद्ववाद को भौतिकवादी आधार पर पुनर्व्याख्यायित किया। उनके लिए, यह संघर्ष मुख्य रूप से आर्थिक उत्पादन प्रणाली (Mode of Production) में अंतर्निहित विरोधाभासों से उत्पन्न होता है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता की व्याख्या की। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता और ‘एनाॅमी’ पर ध्यान केंद्रित किया। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए ‘सामाजिक डार्विनवाद’ का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनाॅमी’ (Anomie) की स्थिति से तात्पर्य क्या है?
- समाज में नियमों और मानदंडों का अभाव या दुर्बलता।
- व्यक्तियों का अपने समाज से पूर्ण अलगाव।
- सामाजिक वर्गों के बीच तीव्र संघर्ष।
- पारंपरिक मूल्यों का पूर्ण त्याग।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: दुर्खीम ने ‘एनाॅमी’ को उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जब समाज में सामाजिक नियम और मानक कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों को मार्गदर्शन नहीं मिलता और वे दिशाहीन महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ जैसी कृतियों में प्रमुखता से मिलती है। उन्होंने दिखाया कि कैसे तीव्र सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक संकट ‘एनाॅमी’ को बढ़ा सकते हैं, जिससे आत्महत्या की दरें बढ़ सकती हैं।
- गलत विकल्प: (b) अलगाव (Alienation) कार्ल मार्क्स की अवधारणा है। (c) सामाजिक वर्गों का संघर्ष मार्क्स का केंद्रीय विचार है। (d) यह बहुत व्यापक है और ‘एनाॅमी’ का सटीक वर्णन नहीं करता, जो विशेष रूप से नियमों की कमी से संबंधित है।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने समाज को समझने के लिए किस पद्धति को महत्वपूर्ण माना?
- वस्तुनिष्ठ अवलोकन (Objective Observation)
- तुलनात्मक विधि (Comparative Method)
- व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) या ‘वरस्टेहेन’ (Verstehen)
- प्रायोगिक विधि (Experimental Method)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को एक ‘व्याख्यात्मक विज्ञान’ माना और ‘वरस्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा पर बल दिया, जिसका अर्थ है सामाजिक क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिगत अर्थों और इरादों को समझना।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र केवल बाहरी सामाजिक तथ्यों का अध्ययन नहीं कर सकता, बल्कि उसे व्यक्तियों द्वारा अपनी क्रियाओं को दिए जाने वाले व्यक्तिनिष्ठ (Subjective) अर्थों को भी पकड़ना होगा। यह दुर्खीम की वस्तुनिष्ठ (Objective) दृष्टिकोण से भिन्न है।
- गलत विकल्प: (a) वस्तुनिष्ठ अवलोकन दुर्खीम के दृष्टिकोण के करीब है। (b) तुलनात्मक विधि महत्वपूर्ण है लेकिन वेबर का मूल जोर ‘वरस्टेहेन’ पर था। (d) प्रायोगिक विधि समाजशास्त्र में कम प्रयुक्त होती है, खासकर वेबर जैसे समकालीन समाजशास्त्रियों द्वारा।
प्रश्न 4: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य प्रवर्तक कौन माना जाता है?
- T. Parsons
- G.H. Mead
- A. Comte
- E. Durkheim
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (G.H. Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख संस्थापक माना जाता है। उनके विचारों को उनके छात्रों ने उनकी मृत्यु के बाद ‘मन, स्व और समाज’ (Mind, Self, and Society) नामक पुस्तक में संकलित किया।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, और इस प्रक्रिया में वे अपने ‘स्व’ (Self) का निर्माण करते हैं। ‘I’ और ‘Me’ की अवधारणाएं इसी से जुड़ी हैं।
- गलत विकल्प: T. Parsons संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से संबंधित हैं। A. Comte समाजशास्त्र के संस्थापक माने जाते हैं। E. Durkheim प्रकार्यवाद और सामाजिक तथ्य के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी संरचनात्मक प्रकारवाद (Structural Functionalism) से संबंधित प्रमुख अवधारणा है?
- वर्ग संघर्ष
- सामाजिक क्रिया
- प्रकार्य (Function) और विप्रकार्य (Dysfunction)
- प्रतीक और अर्थ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज के संदर्भ में किस महत्वपूर्ण प्रक्रिया का उल्लेख किया, जिसमें निचली जातियाँ उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं?
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
- संसृSTकरण (Sanskritization)
- शहरीकरण (Urbanization)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसृSTकरण’ (Sanskritization) शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया है जिसमें निचली जातियों के लोग उच्च, प्रायः ब्राह्मणवादी, जातियों के आचरण, अनुष्ठानों और जीवन शैली का अनुकरण करके सामाजिक गतिशीलता प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति को अपनाने की प्रक्रिया है। (b) आधुनिकीकरण व्यापक है और इसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। (d) शहरीकरण गांवों से शहरों की ओर जनसंख्या के प्रवास को दर्शाता है।
प्रश्न 7: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था में, उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि) पर किसका स्वामित्व होता है?
- सर्वहारा (Proletariat)
- बुर्जुआज़ी (Bourgeoisie)
- कृषक वर्ग (Peasantry)
- बुद्धिजीवी वर्ग (Intelligentsia)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज दो मुख्य वर्गों में विभाजित है: बुर्जुआज़ी (पूंजीपति वर्ग) जो उत्पादन के साधनों का मालिक होता है, और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) जो अपनी श्रम शक्ति बेचकर जीवित रहता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का तर्क है कि यह स्वामित्व का अंतर ही वर्ग संघर्ष और शोषण का मूल कारण है। बुर्जुआज़ी अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए सर्वहारा का शोषण करता है।
- गलत विकल्प: (a) सर्वहारा वह वर्ग है जो श्रम बेचता है। (c) कृषक वर्ग ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है लेकिन पूंजीवाद में मुख्य मालिक बुर्जुआज़ी है। (d) बुद्धिजीवी वर्ग उत्पादन के साधनों का मालिक नहीं होता।
प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की एक प्रमुख विशेषता, जिसके अनुसार व्यक्ति अपनी जन्म से निर्धारित व्यवसाय ही कर सकता है, उसे क्या कहते हैं?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- पैतृक व्यवसाय (Hereditary Occupation)
- जातिगत शुद्धता (Caste Purity)
- निर्बंधन (Restrictions)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जाति व्यवस्था की एक पारंपरिक विशेषता पैतृक व्यवसाय है, जहाँ व्यक्ति अपने पिता के व्यवसाय को ही अपनाता है। यह व्यवस्था ने सामाजिक स्तरीकरण और श्रम विभाजन को दृढ़ता से स्थापित किया।
- संदर्भ और विस्तार:G. एस. घुरिये जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति व्यवस्था की विशेषताओं में इसे शामिल किया है। यह व्यवसाय का निर्धारण जन्म के आधार पर करता है, जिससे पेशेवर गतिशीलता सीमित हो जाती है।
- गलत विकल्प: (a) अंतर्विवाह का अर्थ है अपनी ही जाति के भीतर विवाह करना। (c) जातिगत शुद्धता एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, लेकिन सीधे तौर पर व्यवसाय निर्धारण से संबंधित नहीं है। (d) निर्बंधन सामान्य शब्द है, पैतृक व्यवसाय अधिक विशिष्ट है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘संरचनात्मक प्रकारवाद’ (Structural Functionalism) से संबंधित है और उसने समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जिसके विभिन्न अंग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं?
- Max Weber
- Karl Marx
- Emile Durkheim
- Talcott Parsons
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टालकोट पार्सन्स को आधुनिक संरचनात्मक प्रकारवाद का एक प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने समाज को एक स्थिर और एकीकृत प्रणाली के रूप में देखा, जिसके प्रत्येक भाग का एक विशिष्ट कार्य होता है जो पूरी व्यवस्था को बनाए रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) प्रतिमान विकसित किया, जो किसी भी सामाजिक प्रणाली द्वारा सामना की जाने वाली चार आवश्यक कार्यात्मकताओं का वर्णन करता है।
- गलत विकल्प: वेबर व्याख्यात्मक समाजशास्त्र के लिए, मार्क्स वर्ग संघर्ष और द्वंद्ववाद के लिए, और दुर्खीम सामाजिक एकता और ‘एनाॅमी’ के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 10: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से आप क्या समझते हैं?
- समाज में व्यक्तियों का उनकी सामाजिक स्थिति के आधार पर पदानुक्रमित विभाजन।
- समाज में प्रचलित विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों का अध्ययन।
- व्यक्तियों के बीच होने वाली आपसी बातचीत की प्रक्रिया।
- समाज में शिक्षा का प्रसार।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों या समूहों को उनकी आय, धन, शक्ति, प्रतिष्ठा या अन्य सामाजिक विशेषाधिकारों के आधार पर विभिन्न स्तरों (परतों) में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा विभिन्न समाजों में वर्ग, जाति, लिंग आदि के आधार पर असमानताओं को समझने में मदद करती है। यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है, यद्यपि इसके रूप भिन्न हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: (b) रीति-रिवाजों का अध्ययन संस्कृति या नृविज्ञान का हिस्सा है। (c) यह सामाजिक संपर्क है। (d) शिक्षा का प्रसार सामाजिक परिवर्तन से संबंधित है, न कि सीधे स्तरीकरण की परिभाषा से।
प्रश्न 11: निम्न में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मर्टन द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जो समाज में वांछित परिणामों के साथ-साथ अनपेक्षित या अप्रत्याशित परिणामों को भी दर्शाती है?
- प्रस्फुटित प्रकार्य (Manifest Function)
- अप्रस्फुटित प्रकार्य (Latent Function)
- विप्रकार्य (Dysfunction)
- यह सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद के अपने विश्लेषण में ‘प्रस्फुटित प्रकार्य’ (जो एक सामाजिक संस्था या क्रिया के इच्छित और स्पष्ट परिणाम होते हैं) और ‘अप्रस्फुटित प्रकार्य’ (जो अनपेक्षित और अस्पष्ट परिणाम होते हैं) के बीच अंतर किया। उन्होंने ‘विप्रकार्य’ (Dysfunction) को भी परिभाषित किया, जो समाज की स्थिरता के लिए नकारात्मक या हानिकारक हो सकता है। इसलिए, ये सभी अवधारणाएँ मर्टन द्वारा प्रस्तुत की गई थीं।
- संदर्भ और विस्तार: इन अवधारणाओं ने प्रकार्यवाद को अधिक सूक्ष्मता प्रदान की, यह स्वीकार करते हुए कि सामाजिक संरचनाओं के हमेशा सकारात्मक या इच्छित परिणाम नहीं होते।
- गलत विकल्प: ये सभी विकल्प मर्टन के काम से संबंधित हैं।
प्रश्न 12: ग्रामीण समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का क्या महत्व है?
- यह गाँव में भूमि के स्वामित्व का वर्णन करती है।
- यह जाति-आधारित सेवा-विनिमय की एक पारंपरिक प्रणाली है, जिसमें सेवा प्रदाता (जैसे नाई, कुम्हार) और सेवा प्राप्तकर्ता (स्वामी) के बीच संबंध होते हैं।
- यह ग्राम पंचायतों की निर्णय लेने की प्रक्रिया का वर्णन करती है।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास की प्रवृत्ति को दर्शाती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जजमानी प्रणाली एक पारंपरिक भारतीय ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था है जिसमें विभिन्न जातियों के कारीगर और सेवा प्रदाता (जैसे नाई, लोहार, कुम्हार) अपनी सेवाएं अपने ‘जजमानों’ (स्वामी) को प्रदान करते हैं, और इसके बदले में वे वस्तु या नकदी के रूप में भुगतान प्राप्त करते हैं। यह संबंध अक्सर वंशानुगत होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना की एक महत्वपूर्ण विशेषता रही है, जो परस्पर निर्भरता और जाति-आधारित श्रम विभाजन को दर्शाती है।
- गलत विकल्प: (a) भूमि स्वामित्व एक अलग मुद्दा है। (c) ग्राम पंचायतें राजनीतिक/प्रशासनिक संस्थाएं हैं। (d) प्रवास ग्रामीण-शहरी संबंध से संबंधित है।
प्रश्न 13: किस समाजशास्त्री ने ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की आदर्श-प्रकार (Ideal-Type) की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया और इसे आधुनिक समाज के प्रभुत्व (Domination) के एक रूप के रूप में देखा?
- Emile Durkheim
- Max Weber
- Auguste Comte
- Herbert Spencer
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-वैध प्रभुत्व (Rational-Legal Authority) के एक प्रमुख उदाहरण के रूप में विस्तृत रूप से विश्लेषित किया। उन्होंने नौकरशाही की विशेषताओं जैसे पदानुक्रम, नियमों का सेट, अलगाव, और अहस्तांतरणीय योग्यता पर आधारित नियुक्ति को सूचीबद्ध किया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, आधुनिक समाजों में बढ़ती जटिलता और कुशलता की आवश्यकता के कारण नौकरशाही का विस्तार अपरिहार्य है, यद्यपि इसके ‘लौह पिंजरे’ (Iron Cage) जैसे नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प प्रत्यक्ष रूप से नौकरशाही के इस स्तर के विश्लेषण से संबंधित नहीं हैं। दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर, कॉम्टे ने समाजशास्त्र के उद्भव पर, और स्पेंसर ने सामाजिक विकास पर जोर दिया।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?
- किसी व्यक्ति के पास उपलब्ध वित्तीय संसाधन।
- किसी व्यक्ति के पास उपलब्ध ज्ञान और कौशल।
- नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त लाभ।
- किसी व्यक्ति की पैतृक संपत्ति।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक पूंजी उन लाभों को संदर्भित करती है जो किसी व्यक्ति या समूह को उनके सामाजिक नेटवर्क, आपसी विश्वास और संबंधों के माध्यम से प्राप्त होते हैं। पियरे बॉर्डियू और रॉबर्ट पुटनम इस अवधारणा के प्रमुख प्रतिपादक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक संबंधों में अंतर्निहित संसाधनों का उपयोग करने की क्षमता है, जो अवसरों तक पहुंच, सूचना साझाकरण या सामूहिक कार्रवाई में सहायक हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) वित्तीय पूंजी और संपत्ति से संबंधित हैं। (b) मानव पूंजी (Human Capital) से संबंधित है।
प्रश्न 15: चार्ल्स कूले (Charles Cooley) द्वारा दी गई ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
- लंबे समय तक चलने वाले, आमने-सामने के संबंध जिनमें घनिष्ठता और सहयोग हो।
- औपचारिक और अप्रत्यक्ष संबंध।
- बड़े पैमाने पर संगठित समूह।
- संक्षिप्त और अनौपचारिक समूह।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चार्ल्स कूले ने प्राथमिक समूहों को ऐसे समूहों के रूप में परिभाषित किया है जो लंबे समय तक चलने वाले, आमने-सामने के संबंधों, घनिष्ठता, सहयोग और ‘हम’ की भावना (We-feeling) से पहचाने जाते हैं। परिवार, मित्र मंडली और पड़ोस प्राथमिक समूह के उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कूले के अनुसार, ये समूह व्यक्ति के सामाजिक व्यक्तित्व और मूल्यों के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
- गलत विकल्प: (b) द्वितीयक समूह (Secondary Group) के लक्षण हैं। (c) बड़े पैमाने पर संगठित समूह प्राथमिक समूह नहीं होते। (d) संक्षिप्त और अनौपचारिक हो सकते हैं, लेकिन घनिष्ठता और दीर्घकालिक संबंध प्राथमिक समूह के लिए आवश्यक हैं।
प्रश्न 16: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण पहलू नहीं है?
- औद्योगीकरण और शहरीकरण में वृद्धि।
- धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization) और तर्कसंगतता का प्रसार।
- पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण।
- शिक्षा और साक्षरता दर में वृद्धि।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आधुनिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आमतौर पर पारंपरिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं में परिवर्तन आता है और वे अधिक तर्कसंगत, धर्मनिरपेक्ष और औद्योगिक-आधारित हो जाती हैं। इसलिए, पारंपरिक संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण आधुनिकीकरण के विपरीत है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण में प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, राजनीतिक संस्थाओं और सांस्कृतिक मूल्यों में व्यापक परिवर्तन शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी आधुनिकीकरण के प्रमुख पहलू हैं।
प्रश्न 17: ‘पंथ’ (Sect) और ‘संप्रदाय’ (Church) के बीच अंतर करते हुए, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता पंथ (Sect) से अधिक संबंधित है?
- विशाल सदस्यता और व्यापक धार्मिक अनुष्ठान।
- उच्च स्तर की सदस्यता की चयनशीलता और कठोर नियम।
- समाज के साथ पूर्ण एकीकरण और अनुकूलन।
- एक स्थापित और संगठित धार्मिक पदानुक्रम।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पंथ (Sect) एक छोटा, बहिष्कृत समूह होता है जो आमतौर पर अपने सदस्यों से उच्च स्तर की प्रतिबद्धता की मांग करता है, चयनशील सदस्यता रखता है, और अक्सर अपने आस-पास के समाज से भिन्नता या अलगाव प्रदर्शित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, संप्रदाय (Church) एक बड़ा, व्यापक और समाज के साथ एकीकृत समूह होता है जिसकी सदस्यता अधिक सामान्य होती है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) संप्रदाय (Church) की विशेषताएँ हैं, पंथ (Sect) की नहीं।
प्रश्न 18: निम्नांकित में से कौन सामाजिक अनुसंधान की एक गुणात्मक (Qualitative) विधि है?
- सर्वेक्षण (Survey)
- सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
- साक्षात्कार (Interview)
- प्रयोग (Experiment)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: साक्षात्कार, विशेष रूप से गहन या असंरचित साक्षात्कार, गुणात्मक अनुसंधान की एक विधि है। यह व्यक्तियों के अनुभवों, भावनाओं और दृष्टिकोणों की गहराई से पड़ताल करने पर केंद्रित है।
- संदर्भ और विस्तार: गुणात्मक अनुसंधान ‘क्यों’ और ‘कैसे’ के सवालों का जवाब देने के लिए शब्दों, वर्णनों और व्याख्याओं पर निर्भर करता है, जबकि मात्रात्मक अनुसंधान संख्यात्मक डेटा पर निर्भर करता है।
- गलत विकल्प: (a) सर्वेक्षण आमतौर पर मात्रात्मक डेटा एकत्र करता है, हालांकि इसमें खुले प्रश्न भी हो सकते हैं। (b) सांख्यिकीय विश्लेषण मात्रात्मक डेटा का विश्लेषण है। (d) प्रयोग भी मुख्य रूप से मात्रात्मक होता है।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?
- किसी समाज में होने वाले राजनीतिक परिवर्तन।
- व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे में ऊपर या नीचे की ओर संक्रमण।
- किसी समाज की जनसंख्या का घनत्व।
- सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है व्यक्तियों या समूहों का उनकी सामाजिक स्थिति, वर्ग, या पदानुक्रम में ऊपर या नीचे की ओर खिसकना। यह क्षैतिज (एक ही स्तर पर) या ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाज में अवसरों की समानता और वर्ग संरचना की लचीलेपन को समझने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: (a) राजनीतिक परिवर्तन से संबंधित है। (c) जनसांख्यिकी का हिस्सा है। (d) सामाजिक परिवर्तन का एक हिस्सा है, लेकिन सीधे गतिशीलता की परिभाषा नहीं।
प्रश्न 20: हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) ने किस समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य का नामकरण किया, जो जी.एच. मीड के विचारों पर आधारित है?
- संरचनात्मक प्रकारवाद (Structural Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- घटना विज्ञान (Phenomenology)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हरबर्ट ब्लूमर ने जी.एच. मीड के विचारों को व्यवस्थित किया और ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) नामक शब्दावली को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने प्रतीकों के माध्यम से होने वाली अंतःक्रिया पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर ने इस सिद्धांत के तीन मुख्य सिद्धांत बताए: (1) व्यक्ति अपने से संबंधित चीजों को उनके अर्थों के आधार पर व्यवहार करते हैं; (2) इन अर्थों का उद्भव व्यक्ति की सामाजिक अंतःक्रिया से होता है; (3) इन अर्थों को व्याख्या की प्रक्रिया के माध्यम से संशोधित और रूपांतरित किया जाता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प विभिन्न समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य हैं।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘विभाजन का समाजशास्त्र’ (Sociology of Conflict) से संबंधित है?
- सामाजिक एकता
- सामाजिक नियंत्रण
- वर्ग संघर्ष
- प्रकार्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: वर्ग संघर्ष (Class Struggle) कार्ल मार्क्स के संघर्ष सिद्धांत का एक केंद्रीय तत्व है, जो बताता है कि समाज विभिन्न हित रखने वाले वर्गों में विभाजित है और इन वर्गों के बीच निरंतर संघर्ष होता रहता है, जो सामाजिक परिवर्तन को संचालित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाज में शक्ति, असमानता और प्रभुत्व के मुद्दों पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक एकता दुर्खीम से संबंधित है। (b) सामाजिक नियंत्रण समाजशास्त्र का एक व्यापक विषय है। (d) प्रकार्य प्रकार्यवाद से संबंधित है।
प्रश्न 22: भारत में, ‘अछूत’ (Untouchables) के रूप में जाने जाने वाले समुदायों को पारंपरिक रूप से किस श्रेणी में रखा गया था?
- क्षत्रिय
- वैश्य
- दलित
- शूद्र
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अछूत’ माने जाने वाले समुदायों को आधुनिक समाजशास्त्र और सामाजिक आंदोलनों में ‘दलित’ (Dalit) शब्द से संबोधित किया जाता है, जिसका अर्थ है ‘दबाया हुआ’ या ‘कुचला हुआ’। ऐतिहासिक रूप से, उन्हें वर्ण व्यवस्था के बाहर रखा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में, उन्हें चतुर्वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) के बाहर रखा गया था और उन्हें ‘पंचम’ या ‘अस्पृश्य’ कहा जाता था।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) वर्ण व्यवस्था के भीतर की श्रेणियां हैं।
प्रश्न 23: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने अपनी पुस्तक ‘द प्रेजेंटेशन ऑफ सेल्फ इन एवरीडे लाइफ’ (The Presentation of Self in Everyday Life) में सामाजिक अंतःक्रिया को समझने के लिए किस उपमा (Metaphor) का प्रयोग किया?
- युद्ध का मैदान
- नाटकीय मंच (Dramaturgy)
- पारिवारिक सभा
- कार्यस्थल
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी अवधारणाओं को समझाने के लिए ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) की उपमा का प्रयोग किया। उन्होंने माना कि लोग दैनिक जीवन में भूमिकाएँ निभाते हैं, जैसे मंच पर अभिनेता, और वे दूसरों को अपनी एक विशेष छवि प्रस्तुत करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: गॉफमैन के अनुसार, सामाजिक जीवन एक ‘मंच’ है जहाँ लोग ‘सामने वाले दृश्यों’ (Front Stage) और ‘पीछे वाले दृश्यों’ (Back Stage) में विभिन्न ‘भूमिकाएँ’ (Roles) निभाते हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक अंतःक्रिया के सटीक प्रतिनिधित्व नहीं करते जैसा गॉफमैन ने प्रस्तुत किया।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social Order) और ‘सामाजिक एकीकरण’ (Social Integration) पर अधिक बल देता है?
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संरचनात्मक प्रकारवाद
- उत्तर-संरचनावाद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संरचनात्मक प्रकारवाद (Structural Functionalism) समाज को एक स्थिर प्रणाली के रूप में देखता है जहाँ विभिन्न संस्थाएं और संरचनाएं मिलकर सामाजिक व्यवस्था बनाए रखती हैं और समाज में एकीकरण (Integration) लाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज में स्थिरता, सामंजस्य और अंतर्निर्भरता पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
- गलत विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन और विभाजन पर बल देता है। (b) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति-केंद्रित और सूक्ष्म स्तर पर केंद्रित है। (d) उत्तर-संरचनावाद शक्ति, ज्ञान और विखंडन जैसे विषयों की पड़ताल करता है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन भारत में ‘आदिवासी समाजों’ (Tribal Societies) की एक विशिष्ट विशेषता है?
- एक उच्च स्तरीय औद्योगिकीकरण।
- लिखित इतिहास और समृद्ध शहरीकरण।
- भूमि से गहरा जुड़ाव और विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान।
- कठोर जाति व्यवस्था में कठोर स्थिति।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अधिकांश आदिवासी समुदाय अपनी भूमि, वन और प्राकृतिक संसाधनों से गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से जुड़े होते हैं। उनकी अपनी विशिष्ट भाषा, रीति-रिवाज, सामाजिक संरचना और पहचान होती है, जो उन्हें मुख्यधारा के समाज से अलग करती है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में विभिन्न प्रकार के आदिवासी समूह पाए जाते हैं, जिनकी अपनी अनूठी विशेषताएं हैं, लेकिन भूमि से जुड़ाव और अलग पहचान उनकी सामान्य विशेषताएँ हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (b) आदिवासियों की सामान्य विशेषताएं नहीं हैं, बल्कि मुख्यधारा के औद्योगिक या शहरी समाजों की विशेषताएँ हैं। (d) जबकि आदिवासी कभी-कभी जाति व्यवस्था से प्रभावित होते हैं, वे स्वयं जाति व्यवस्था के भीतर कठोर रूप से परिभाषित नहीं होते हैं; उनकी अपनी सामाजिक व्यवस्था होती है।