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समाजशास्त्र की राह: आज का अग्निपरीक्षा

समाजशास्त्र की राह: आज का अग्निपरीक्षा

नमस्ते, भावी समाजशास्त्रियों! समाजशास्त्र की अपनी समझ को और पैना करने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन एक नई चुनौती आपका इंतजार कर रही है, जो आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखेगी। आइए, आज के इस ज्ञानवर्धक सत्र में गोता लगाएँ और अपनी तैयारी को एक नई ऊँचाई दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज को एकजुट रखने वाली प्राथमिक शक्ति क्या है?

  1. पूंजीवादी व्यवस्था
  2. सामाजिक एकजुटता (Solidarity)
  3. व्यक्तिगत हित
  4. कानूनी प्रणाली

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम, आधुनिक समाजशास्त्र के संस्थापकों में से एक, ने ‘समाजशास्त्रीय एकजुटता’ (Social Solidarity) की अवधारणा विकसित की। उनके अनुसार, यह वह सामाजिक गोंद है जो समाज के सदस्यों को एक साथ बांधता है। उन्होंने दो प्रकार की एकजुटता बताई: यांत्रिक (सरल समाजों में) और कार्बनिक (जटिल समाजों में)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी कृति “The Division of Labour in Society” में विस्तृत है। यांत्रिक एकजुटता समानता पर आधारित है, जबकि कार्बनिक एकजुटता श्रम विभाजन के कारण उत्पन्न अंतर्निर्भरता पर आधारित है।
  • गलत विकल्प: पूंजीवादी व्यवस्था (मार्क्स की अवधारणा), व्यक्तिगत हित (मुख्यतः नवशास्त्रीय अर्थशास्त्र में) और कानूनी प्रणाली (जो एकजुटता का परिणाम हो सकती है, लेकिन स्वयं प्राथमिक शक्ति नहीं) दुर्खीम के अनुसार एकजुटता के प्राथमिक स्रोत नहीं थे।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘प्रतिमान विचलन’ (Paradigm Shift) का सर्वोत्तम उदाहरण है?

  1. सूर्य का पृथ्वी के चारों ओर घूमना।
  2. चंद्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमना।
  3. पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर घूमना (हेलिओसेंट्रिसिज्म)।
  4. ग्रहों का अंडाकार कक्षा में घूमना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: थॉमस कुह्न ने ‘प्रतिमान विचलन’ (Paradigm Shift) शब्द को वैज्ञानिक प्रगति के संदर्भ में गढ़ा। इसका अर्थ है किसी क्षेत्र में स्थापित मौलिक मान्यताओं, तरीकों और सिद्धांतों का एक व्यापक परिवर्तन। पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर घूमना (हेलिओसेंट्रिसिज्म) ने सदियों पुराने भूकेंद्रीय (Geocentric) मॉडल को पलट दिया, जो एक स्पष्ट प्रतिमान विचलन था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा कुह्न की पुस्तक “The Structure of Scientific Revolutions” में मिलती है। वैज्ञानिक क्रांति, जैसे कि कोपरनिकस क्रांति, प्रतिमान विचलन के उदाहरण हैं।
  • गलत विकल्प: सूर्य का पृथ्वी के चारों ओर घूमना (भूकेंद्रीय मॉडल) वह पुराना प्रतिमान था जिसे बदला गया। चंद्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमना और ग्रहों का अंडाकार कक्षा में घूमना, भले ही वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण खोजें थीं, वे स्थापित प्रतिमान के भीतर ही सुधार थे, न कि उनका संपूर्ण प्रतिस्थापन।

प्रश्न 3: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) की व्यवस्था को समझने के लिए एम.एन. श्रीनिवास द्वारा कौन सी अवधारणा प्रस्तुत की गई?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. संसार की स्वायत्तता (Cosmic Autonomy)
  3. संस्कृतिकरण (Sanskritization)
  4. आधुनिकीकरण (Modernization)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह एक प्रक्रिया है जिसमें निचली या मध्य जातियों के लोग उच्च जातियों की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, परंपराओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊंचा उठाने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण रूप है, विशेषकर उप-महाद्वीप में।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति के तत्वों को अपनाने की प्रक्रिया है। संसार की स्वायत्तता समाजशास्त्रीय रूप से मान्य अवधारणा नहीं है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं, और संस्क्ृति इससे भिन्न है।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में मुख्य संघर्ष किनके बीच होता है?

  1. कृषक और जमींदार
  2. बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग)
  3. प्रशासनिक अधिकारी और जनता
  4. धार्मिक नेता और अनुयायी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष (Class Struggle) को इतिहास की मुख्य प्रेरक शक्ति माना। पूंजीवादी समाज में, उत्पादन के साधनों के मालिकों (बुर्जुआ या पूंजीपति वर्ग) और उनके श्रम को बेचने वाले श्रमिकों (सर्वहारा वर्ग) के बीच मौलिक अंतर्विरोध होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्स के भौतिकवादी इतिहास (Historical Materialism) और वर्ग चेतना (Class Consciousness) के सिद्धांतों का केंद्रीय तत्व है, जिसे उन्होंने “Das Kapital” और “The Communist Manifesto” जैसी रचनाओं में विस्तार से बताया है।
  • गलत विकल्प: कृषक और जमींदार सामंती समाजों में महत्वपूर्ण संघर्ष थे। प्रशासनिक अधिकारी और जनता या धार्मिक नेता और अनुयायी महत्वपूर्ण सामाजिक समूह हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार पूंजीवाद का मूल संघर्ष बुर्जुआ और सर्वहारा के बीच है।

प्रश्न 5: जब कोई व्यक्ति अपनी सामाजिक भूमिकाओं के अनुरूप व्यवहार नहीं कर पाता, तो वह किस स्थिति का अनुभव करता है?

  1. सामाजिकरण (Socialization)
  2. भूमिका द्वंद्व (Role Conflict)
  3. अमीबा (Anomie)
  4. अलगाव (Alienation)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भूमिका द्वंद्व (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह एक साथ कई ऐसी भूमिकाएँ निभाए जिनके नियम या मांगें परस्पर विरोधी हों। उदाहरण के लिए, एक प्रबंधक जो एक ही समय में अपने कर्मचारियों का मित्र और उनका निर्भीक पर्यवेक्षक दोनों बनने की कोशिश करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द समाजशास्त्र में भूमिका सिद्धांत (Role Theory) का हिस्सा है। यह दर्शाता है कि सामाजिक अपेक्षाएँ कभी-कभी व्यक्तिगत जीवन में तनाव पैदा कर सकती हैं।
  • गलत विकल्प: सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज के नियमों और मूल्यों को सीखता है। अमीबा (Anomie) दुर्खीम द्वारा प्रयुक्त एक अवधारणा है जो मानदंडों की कमी को दर्शाती है। अलगाव (Alienation) मार्क्स की एक अवधारणा है जो श्रमिकों को उनके श्रम, उत्पाद, स्वयं और दूसरों से अलग होने की भावना को दर्शाती है।

प्रश्न 6: मैक्से वेबर ने किस अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि समाजशास्त्री को व्यक्तियों के सामाजिक कार्यों के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थों को समझना चाहिए?

  1. विवेचन (Verstehen)
  2. अमीबा (Anomie)
  3. अलगाव (Alienation)
  4. सामाजिक संरचना (Social Structure)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्से वेबर ने ‘विवेचन’ (Verstehen) शब्द का प्रयोग किया। इसका अर्थ है ‘समझना’ या ‘व्याख्यात्मक समझ’। वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र को केवल बाहरी व्यवहारों का अवलोकन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन व्यक्तिपरक अर्थों, प्रेरणाओं और उद्देश्यों को भी समझना चाहिए जो लोगों को विशेष तरीके से व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह वेबर के व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का केंद्रीय सिद्धांत है और उनकी पुस्तक “Economy and Society” में प्रमुखता से चर्चा की गई है।
  • गलत विकल्प: अमीबा (Anomie) दुर्खीम से संबंधित है। अलगाव (Alienation) मार्क्स से संबंधित है। सामाजिक संरचना एक व्यापक अवधारणा है जो समाज के पैटर्न और व्यवस्थाओं को संदर्भित करती है, न कि व्यक्तिपरक समझ की विधि को।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था समाज के सदस्यों को ज्ञान, कौशल और मूल्यों को हस्तांतरित करने के लिए जिम्मेदार है?

  1. परिवार
  2. धर्म
  3. शिक्षा
  4. राज्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: शिक्षा प्रणाली समाज के सदस्यों, विशेषकर युवाओं को औपचारिक रूप से ज्ञान, कौशल, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को सिखाने और हस्तांतरित करने का कार्य करती है। यह भविष्य के नागरिकों को समाज में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: शिक्षा एक प्रमुख सामाजिक संस्था है जो समाज के स्थायित्व और परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह सामाजिक गतिशीलता का एक माध्यम भी हो सकती है।
  • गलत विकल्प: परिवार भी कुछ हद तक सामाजिकरण करता है, लेकिन शिक्षा प्राथमिक औपचारिक माध्यम है। धर्म आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को सिखाता है, लेकिन ज्ञान और कौशल का व्यापक हस्तांतरण शिक्षा का मुख्य कार्य है। राज्य समाज का शासन करता है और कानून व्यवस्था बनाए रखता है।

प्रश्न 8: जब एक समाज में सामाजिक मानदंडों के प्रति एक मजबूत अनुलग्नता का अभाव होता है, तो एमिल दुर्खीम इसे क्या कहते हैं?

  1. अलगाव (Alienation)
  2. भूमिका तनाव (Role Strain)
  3. प्रतिमान विचलन (Paradigm Shift)
  4. अमीबा (Anomie)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘अमीबा’ (Anomie) शब्द का प्रयोग समाज की उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ सामाजिक नियम कमजोर पड़ जाते हैं, अस्पष्ट हो जाते हैं, या अनुपस्थित होते हैं। ऐसी स्थिति में, व्यक्तियों को पता नहीं होता कि उनसे क्या अपेक्षा की जाती है, जिससे दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने यह अवधारणा अपनी “The Division of Labour in Society” और “Suicide” जैसी कृतियों में प्रस्तुत की। यह विशेष रूप से तीव्र सामाजिक परिवर्तन के दौर में या आर्थिक उछाल/मंदी के समय देखी जा सकती है।
  • गलत विकल्प: अलगाव मार्क्स की अवधारणा है। भूमिका तनाव एक व्यक्ति के भीतर ही होता है जब एक ही भूमिका की कई मांगें होती हैं। प्रतिमान विचलन वैज्ञानिक अवधारणा है।

प्रश्न 9: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने किस प्रक्रिया के माध्यम से ‘स्व’ (Self) के विकास की व्याख्या की?

  1. श्रम विभाजन
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. सामाजिक नियंत्रण
  4. राजनीतिक आधुनिकीकरण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के प्रमुख सिद्धांतकार थे। उन्होंने तर्क दिया कि ‘स्व’ (Self) या व्यक्तित्व जन्मजात नहीं होता, बल्कि सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है, जिसमें व्यक्ति प्रतीकों (भाषा, हावभाव) का उपयोग करके दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाता है और फिर अपनी प्रतिक्रिया को उसी के अनुसार ढालता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक “Mind, Self, and Society” में यह सिद्धांत विस्तृत है। उन्होंने ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) के बीच के द्वंद्व का भी उल्लेख किया, जो ‘स्व’ के निर्माण में महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: श्रम विभाजन दुर्खीम से संबंधित है। सामाजिक नियंत्रण समाज की व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया है। राजनीतिक आधुनिकीकरण एक व्यापक राजनीतिक परिवर्तन को संदर्भित करता है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की एक विशेषता है?

  1. यह एक व्यक्तिगत विशेषता है।
  2. यह समाज-व्यापी है।
  3. यह केवल अस्थायी है।
  4. यह हमेशा न्यायसंगत होती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण एक समाज-व्यापी घटना है। यह समाज के विभिन्न समूहों को धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, शिक्षा और अन्य संसाधनों के आधार पर एक पदानुक्रमित व्यवस्था में व्यवस्थित करता है। यह केवल व्यक्तियों की व्यक्तिगत विशेषताओं पर आधारित नहीं होती।
  • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण व्यवस्थाएँ (जैसे जाति, वर्ग) पीढ़ियों तक बनी रह सकती हैं (जो कि हमेशा अस्थायी नहीं है) और आवश्यक नहीं कि वे न्यायसंगत हों। वास्तव में, अक्सर ये असमानताओं को कायम रखती हैं।
  • गलत विकल्प: यह व्यक्तिगत विशेषता नहीं, बल्कि सामाजिक संरचना का हिस्सा है। यह अक्सर अस्थायी नहीं, बल्कि दीर्घकालिक होती है। और यह अक्सर न्यायसंगत होने के बजाय अन्यायपूर्ण व्यवस्थाओं को जन्म देती है।

प्रश्न 11: भारतीय समाज में, जनजाति (Tribe) और जाति (Caste) के बीच प्रमुख अंतर क्या है?

  1. जनजाति वाले समाज अधिक जटिल होते हैं।
  2. जनजाति के सदस्यों में सामाजिक गतिशीलता की संभावना अधिक होती है।
  3. जाति व्यवस्था में अंतर्विवाह (Endogamy) अधिक कठोर होता है।
  4. जनजातियों की निश्चित भौगोलिक सीमा होती है, जबकि जातियों की नहीं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जाति व्यवस्था की एक मुख्य विशेषता अंतर्विवाह (Endogamy) है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी जाति के भीतर ही विवाह करना होता है। जनजातियों में यह नियम अक्सर इतना कड़ाई से लागू नहीं होता, या यह कुल/गोत्र स्तर पर अधिक लागू हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ऐतिहासिक रूप से, जनजातियों की अपनी भौगोलिक सीमाएं, विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था और अक्सर एक अलग राजनीतिक पहचान रही है, जो जाति-आधारित समाजों से भिन्न होती है। हालांकि, जनजातियाँ अब काफी हद तक मुख्यधारा के समाज में एकीकृत हो रही हैं।
  • गलत विकल्प: जटिलता, गतिशीलता और भौगोलिक सीमा जैसे कारक विभिन्न समाजों में भिन्न हो सकते हैं और हमेशा एक स्पष्ट विभाजक रेखा नहीं खींचते; अंतर्विवाह का कठोर नियम जाति की अधिक विशिष्ट पहचान है।

प्रश्न 12: किसी वैज्ञानिक अध्ययन के लिए डेटा एकत्र करने के लिए, एक शोधकर्ता द्वारा सीधे प्रतिभागियों से प्रश्न पूछने या प्रतिक्रियाएँ प्राप्त करने की विधि को क्या कहा जाता है?

  1. सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
  2. प्रलेखन (Documentation)
  3. सर्वेक्षण (Survey)
  4. प्रत्यक्ष अवलोकन (Direct Observation)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सर्वेक्षण (Survey) विधि में, शोधकर्ता डेटा एकत्र करने के लिए प्रश्नावली (Questionnaire) या साक्षात्कार (Interview) के माध्यम से बड़े समूह के लोगों से व्यवस्थित रूप से प्रश्न पूछते हैं। यह व्यक्तिपरक राय, दृष्टिकोण और व्यवहार को समझने का एक आम तरीका है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वेक्षण मात्रात्मक (Quantitative) और गुणात्मक (Qualitative) दोनों प्रकार के डेटा उत्पन्न कर सकते हैं। यह एक व्यापक नमूना (Sample) का अध्ययन करने और सामान्यीकरण (Generalization) करने के लिए उपयोगी है।
  • गलत विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण डेटा को संसाधित करने की विधि है। प्रलेखन मौजूदा दस्तावेजों का अध्ययन है। प्रत्यक्ष अवलोकन बिना हस्तक्षेप के व्यवहार का अध्ययन है।

प्रश्न 13: किस समाजशास्त्री ने ‘अति-नियोजन’ (Over-socialization) की आलोचना की, यह तर्क देते हुए कि मनुष्य केवल सामाजिक नियमों का ‘रोबोट’ नहीं है?

  1. रॉबर्ट बर्नस्टेड (Robert Bierstedt)
  2. रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton)
  3. सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills)
  4. इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सी. राइट मिल्स ने ‘अति-नियोजन’ (Over-socialization) की आलोचना की। उन्होंने तर्क दिया कि समाजशास्त्री अक्सर इस बात पर बहुत अधिक जोर देते हैं कि समाज व्यक्ति को कैसे आकार देता है, जिससे वे यह भूल जाते हैं कि व्यक्ति भी अपने ढंग से समाज को प्रभावित कर सकते हैं और उनके पास अपनी इच्छाशक्ति और रचनात्मकता होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: मिल्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “The Sociological Imagination” में इस आलोचना को प्रस्तुत किया, जहाँ उन्होंने सामाजिक अनुसंधान के सामाजिक और व्यक्तिगत महत्व पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट बर्नस्टेड ने सामाजिक संरचना पर काम किया। रॉबर्ट मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) और ‘अनुकूलित विचलन’ (Anomic Deviation) जैसी अवधारणाएँ दीं। इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) के माध्यम से सामाजिक जीवन का अध्ययन किया।

प्रश्न 14: सामाजिक संस्थाओं में ‘परिवार’ की प्राथमिक भूमिका क्या है?

  1. राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  2. धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करना।
  3. बच्चों का जन्म, पालन-पोषण और समाजीकरण करना।
  4. उत्पादन और वितरण पर नियंत्रण रखना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: परिवार समाज की एक मौलिक संस्था है जिसका प्राथमिक कार्य सदस्यों की जैविक पुनरुत्पत्ति (बच्चों का जन्म) और उनका प्रारंभिक समाजीकरण (उन्हें समाज के सदस्य बनाना) है। यह भावनात्मक समर्थन और देखभाल भी प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: परिवार के विभिन्न स्वरूप (जैसे, एकविवाही, बहुविवाही, मातृसत्तात्मक, पितृसत्तात्मक) विभिन्न समाजों में पाए जाते हैं, लेकिन बच्चों का पालन-पोषण और समाजीकरण इसका सार्वभौमिक कार्य रहा है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्र की सुरक्षा राज्य का कार्य है। धार्मिक अनुष्ठान धर्म संस्था का कार्य है। उत्पादन और वितरण मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था का कार्य है।

प्रश्न 15: किसी भी सामाजिक समूह के सदस्यों के बीच समान विश्वासों, मूल्यों और व्यवहारों के साझा समूह को क्या कहा जाता है?

  1. सामाजिक संरचना (Social Structure)
  2. सांस्कृतिक प्रतिमान (Cultural Norms)
  3. सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)
  4. आर्थिक व्यवस्था (Economic System)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सांस्कृतिक प्रतिमान (Cultural Norms) वे नियम और अपेक्षाएँ हैं जो किसी समाज या समूह के सदस्यों के व्यवहार का मार्गदर्शन करती हैं। ये साझा विश्वासों, मूल्यों और परंपराओं से उपजे होते हैं और सामूहिक व्यवहार को दिशा देते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रतिमान सामाजिक व्यवस्था और पूर्वानुमेयता (Predictability) बनाए रखने में मदद करते हैं। वे सामाजिक नियंत्रण का एक रूप हैं, जो सदस्यों को स्वीकार्य व्यवहार के लिए प्रोत्साहित करते हैं और अस्वीकार्य व्यवहार को हतोत्साहित करते हैं।
  • गलत विकल्प: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न भागों की व्यवस्था को संदर्भित करती है। सामाजिक स्तरीकरण समूहों के बीच असमानता और पदानुक्रम है। आर्थिक व्यवस्था उत्पादन, वितरण और उपभोग से संबंधित है।

प्रश्न 16: जिस प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति समाज के स्वीकृत मूल्यों और व्यवहारों को सीखता है, उसे क्या कहते हैं?

  1. वि-सामाजिकरण (Deviance)
  2. सहयोग (Cooperation)
  3. सामाजिकरण (Socialization)
  4. आधुनिकीकरण (Modernization)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिकरण (Socialization) वह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज के सदस्यों के रूप में आवश्यक ज्ञान, कौशल, विश्वास, मूल्य और व्यवहार सीखते हैं। यह व्यक्ति को समाज के मानदंडों और अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करने में सक्षम बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया परिवार, शिक्षा, साथियों के समूह, मीडिया और कार्यस्थल जैसे विभिन्न सामाजिक एजेंटों के माध्यम से होती है। प्राथमिक सामाजिकरण बचपन में होता है, जबकि द्वितीयक सामाजिकरण वयस्कता में जारी रहता है।
  • गलत विकल्प: वि-सामाजिकरण उन व्यवहारों को संदर्भित करता है जो सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करते हैं। सहयोग साझा लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना है। आधुनिकीकरण एक व्यापक सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रिया है।

प्रश्न 17: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, समाज द्वारा स्वीकृत साधनों का उपयोग करके लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास क्या कहलाता है?

  1. अभिनव (Innovation)
  2. अनुष्ठानवाद (Ritualism)
  3. पलायनवाद (Retreatism)
  4. अनुरूपता (Conformity)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘अमीबीय विचलन’ (Anomic Deviance) के अपने सिद्धांत में, अनुरूपता (Conformity) को उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जहाँ व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्यों (जैसे धन, सफलता) को प्राप्त करने के लिए समाज द्वारा स्वीकृत साधनों (जैसे कड़ी मेहनत, शिक्षा) का उपयोग करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने पाँच प्रकार के व्यक्तिगत अनुकूलन बताए: अनुरूपता, नवाचार (लक्ष्य स्वीकृत, साधन अस्वीकृत), अनुष्ठानवाद (साधन स्वीकृत, लक्ष्य अस्वीकृत), पलायनवाद (लक्ष्य और साधन दोनों अस्वीकृत), और विद्रोह (नए लक्ष्य और साधन)।
  • गलत विकल्प: अभिनव (Innovation) तब होता है जब व्यक्ति लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अवैध या अनैतिक साधनों का उपयोग करता है। अनुष्ठानवाद में व्यक्ति लक्ष्यों की परवाह किए बिना नियमों का पालन करता है। पलायनवाद समाज से पीछे हटना है।

प्रश्न 18: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा दी, जिसे व्यक्ति के बाहर और उसके व्यवहार पर बाध्यकारी शक्ति रखने वाली चीजें माना जाता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्से वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. अगस्ट कॉम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा दी। उन्होंने इसे ‘चीजों’ के रूप में परिभाषित किया जो बाहरी हैं, व्यक्ति से भिन्न हैं, और जिनमें उन्हें बाध्य करने की एक शक्ति है। सामाजिक तथ्य सामूहिक चेतना, सामाजिक संरचनाओं और मानदंडों को संदर्भित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम का मानना था कि समाजशास्त्र का अध्ययन सामाजिक तथ्यों का ही है। उन्होंने अपनी पुस्तक “The Rules of Sociological Method” में इस पर जोर दिया। उदाहरणों में कानून, नैतिक नियम, जनमत और सामाजिक प्रवृत्तियाँ शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। वेबर व्यक्तिपरक अर्थों पर। कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन सामाजिक तथ्यों की व्यवस्थित व्याख्या दुर्खीम ने की।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक वर्ग’ (Social Class) का उदाहरण है?

  1. एक विशिष्ट धार्मिक समुदाय।
  2. एक समान जातीय पृष्ठभूमि वाले लोग।
  3. समान आर्थिक स्थिति और जीवन शैली साझा करने वाले लोगों का समूह।
  4. सभी लोग जो एक ही शहर में रहते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक वर्ग (Social Class) आमतौर पर लोगों के उन समूहों को संदर्भित करता है जो आर्थिक स्थिति, आय, धन, व्यवसाय और जीवन शैली जैसे कारकों के आधार पर एक पदानुक्रमित व्यवस्था में रखे जाते हैं। वे अक्सर साझा जीवन शैली और मूल्यों को साझा करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स ने वर्ग को उत्पादन के साधनों से संबंध के आधार पर परिभाषित किया, जबकि मैक्स वेबर ने इसमें स्थिति (Status) और शक्ति (Power) को भी शामिल किया।
  • गलत विकल्प: धार्मिक समुदाय या जातीय समूह मुख्य रूप से संस्कृति या वंश पर आधारित होते हैं, हालांकि वे स्तरीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। एक शहर में रहने वाले सभी लोग एक वर्ग का गठन नहीं करते; वे केवल एक भौगोलिक क्षेत्र साझा करते हैं।

प्रश्न 20: भारतीय ग्रामीण समाज में, भूमि स्वामित्व और कृषि पर आधारित पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक संबंध को क्या कहा जाता है?

  1. कृषि-पूंजीवाद (Agro-capitalism)
  2. सामंतवाद (Feudalism)
  3. औद्योगीकरण (Industrialization)
  4. शहरीकरण (Urbanization)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय ग्रामीण समाज में, विशेष रूप से औपनिवेशिक काल से पहले और उसके दौरान, भूमि स्वामित्व, कृषक श्रम और विभिन्न प्रकार के लगान या किराए के भुगतान पर आधारित संबंध अक्सर ‘सामंतवाद’ (Feudalism) के रूप में वर्णित किए जाते हैं। इसमें जमींदार (भूमि मालिक) और कृषक (जो भूमि पर काम करते थे) के बीच एक पदानुक्रमित संबंध शामिल था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संबंध सामाजिक स्तरीकरण, शक्ति संरचना और आर्थिक वितरण को परिभाषित करता था। भूमि ही धन और शक्ति का प्राथमिक स्रोत थी।
  • गलत विकल्प: कृषि-पूंजीवाद आधुनिक कृषि व्यवस्था है। औद्योगीकरण और शहरीकरण ग्रामीण समाज के विकास के बाद के चरण हैं।

प्रश्न 21: परिवार और विवाह का अध्ययन करते समय, एक समाजशास्त्री किसी विशेष समाज में प्रचलित विवाह के विभिन्न रूपों (जैसे, एकविवाह, बहुविवाह) और वंशानुक्रम के नियमों (जैसे, पितृवंश, मातृवंश) की जांच करता है। यह किस प्रकार का विश्लेषण है?

  1. आर्थिक विश्लेषण
  2. राजनीतिक विश्लेषण
  3. सांस्कृतिक विश्लेषण
  4. जैव-सामाजिक विश्लेषण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विवाह के रूप, वंशानुक्रम के नियम, और परिवार की संरचना जैसे विषय किसी समाज की ‘सांस्कृतिक’ (Cultural) प्रणाली के हिस्से हैं। यह विश्लेषण दर्शाता है कि कैसे सांस्कृतिक मानदंड और संस्थाएं लोगों के जीवन को आकार देती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र में, परिवार और नातेदारी (Kinship) का अध्ययन मानवशास्त्र और समाजशास्त्र दोनों में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है, जो विभिन्न संस्कृतियों में सामाजिक संगठन को समझने में मदद करता है।
  • गलत विकल्प: आर्थिक विश्लेषण संसाधनों के उत्पादन, वितरण और उपभोग पर केंद्रित होगा। राजनीतिक विश्लेषण शक्ति, शासन और राज्य पर केंद्रित होगा। जैव-सामाजिक विश्लेषण जैविक और सामाजिक कारकों के बीच परस्पर क्रिया को देखता है, लेकिन यहां मुख्य जोर सांस्कृतिक प्रथाओं पर है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘समूह के भीतर समूह’ (Group within a Group) की जटिलता को दर्शाती है, जहाँ व्यक्तिगत संबंध और प्राथमिक समूह मुख्य भूमिका निभाते हैं?

  1. प्राथमिक समूह (Primary Group)
  2. द्वितीयक समूह (Secondary Group)
  3. अंतःसमूह (In-group)
  4. बाह्यसमूह (Out-group)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: चार्ल्स कर्टिस कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा दी। ये वे समूह होते हैं जिनकी विशेषता आमने-सामने का, घनिष्ठ, निरंतर और सहकारी संबंध है। परिवार, बचपन के मित्रमंडली और प्राथमिक विद्यालय के सहपाठी इसके उदाहरण हैं। इन समूहों में भावनात्मक बंधन मजबूत होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूह व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिक मूल्यों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ‘हम’ की भावना को मजबूत करते हैं।
  • गलत विकल्प: द्वितीयक समूह अधिक औपचारिक, बड़े और उद्देश्य-उन्मुख होते हैं (जैसे कार्यस्थल)। अंतःसमूह वह समूह है जिससे व्यक्ति स्वयं को पहचानता है, और बाह्यसमूह वह है जिससे वह स्वयं को अलग पहचानता है। ये अवधारणाएं समूह की पहचान से संबंधित हैं, न कि संबंध की प्रकृति से।

प्रश्न 23: जब किसी समाज में अपराध दर में वृद्धि देखी जाती है, तो यह किस समाजशास्त्रीय अवधारणा से सबसे अधिक निकटता से जुड़ी हो सकती है?

  1. सामाजिक पूंजी (Social Capital)
  2. सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag)
  3. अमीबा (Anomie)
  4. सामाजिक प्रतिमान (Social Norms)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम के अनुसार, उच्च अपराध दर समाज में ‘अमीबा’ (Anomie) की स्थिति का सूचक हो सकती है। जब सामाजिक मानदंड कमजोर पड़ जाते हैं या व्यक्ति को यह स्पष्ट नहीं होता कि क्या अपेक्षित है, तो इससे अराजकता और विचलन (जैसे अपराध) की वृद्धि हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: अपराध, दुर्खीम के अनुसार, कुछ संदर्भों में अपरिहार्य और यहां तक कि कार्यात्मक (Functional) भी हो सकता है, क्योंकि यह सामाजिक सीमाओं को परिभाषित करने में मदद करता है। हालांकि, इसका अत्यधिक बढ़ना ‘अमीबा’ का संकेत है।
  • गलत विकल्प: सामाजिक पूंजी सामाजिक संबंधों और नेटवर्क से उत्पन्न मूल्य है। सांस्कृतिक विलंब नई प्रौद्योगिकियों और पुरानी संस्कृति के बीच का अंतर है। सामाजिक प्रतिमान वे नियम हैं जो विचलन का कारण बन सकते हैं, लेकिन अमीबा वह स्थिति है जहाँ वे ढीले हो जाते हैं।

प्रश्न 24: एक समाजशास्त्री द्वारा किसी समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं के गहन, व्यक्तिपरक समझ को प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली गुणात्मक शोध विधि क्या कहलाती है?

  1. सर्वेक्षण (Survey)
  2. प्रयोग (Experiment)
  3. नृवंशविज्ञान (Ethnography)
  4. सांख्यिकीय मॉडलिंग (Statistical Modeling)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: नृवंशविज्ञान (Ethnography) एक गुणात्मक शोध विधि है जिसमें शोधकर्ता किसी विशेष समुदाय या समूह के जीवन को गहराई से समझने के लिए उसमें लंबे समय तक रहता है, उनके व्यवहारों, विश्वासों और सामाजिक संरचनाओं का प्रत्यक्ष अवलोकन करता है और अक्सर भाग लेता है। इसका लक्ष्य ‘अंदर से’ समाज को समझना होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विधि विशेष रूप से मानवशास्त्रीय अनुसंधान में आम है, लेकिन समाजशास्त्र में भी इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसमें अक्सर गहन साक्षात्कार और केस स्टडी शामिल होती हैं।
  • गलत विकल्प: सर्वेक्षण में बड़ी संख्या में लोगों से संपर्क किया जाता है। प्रयोग नियंत्रित परिस्थितियों में कारण-प्रभाव संबंध का अध्ययन करता है। सांख्यिकीय मॉडलिंग गणितीय तकनीकों का उपयोग करता है।

प्रश्न 25: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ क्या है?

  1. किसी व्यक्ति का एक सामाजिक समूह से दूसरे में जाना।
  2. समाज के सदस्यों के बीच सहयोग की डिग्री।
  3. समाज में उपलब्ध संसाधनों का वितरण।
  4. लोगों की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में समान सामाजिक स्थिति बनाए रखना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का तात्पर्य है किसी व्यक्ति या समूह का समाज में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना। यह ऊर्ध्वाधर (Vertical) हो सकती है (ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (Horizontal) (समान स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह गतिशीलता करियर, शिक्षा, या सामाजिक वर्ग में परिवर्तन के कारण हो सकती है। यह सामाजिक संरचना के लचीलेपन और खुलेपन का संकेत देती है।
  • गलत विकल्प: सहयोग (b) समूह की प्रकृति है। संसाधनों का वितरण (c) स्तरीकरण का परिणाम है। समान स्थिति बनाए रखना (d) गतिहीनता (Immobility) है, गतिशीलता नहीं।

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