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समाजशास्त्र की पारखी कसौटी: आज का ज्ञान-यज्ञ

समाजशास्त्र की पारखी कसौटी: आज का ज्ञान-यज्ञ

परीक्षा की राह पर चलने वाले मेरे साथी, क्या आप अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई और स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हैं? हर दिन नए सवालों के साथ अपने अवबोधन को तीक्ष्ण करें और प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ें। आइए, आज के इस ज्ञान-यज्ञ में आहुति दें और अपनी तैयारी को नई दिशा दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: कार्ल मार्क्स के अनुसार, ‘अलगाव’ (Alienation) का सबसे प्रत्यक्ष कारण क्या है?

  1. पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली
  2. राजनीतिक दमन
  3. धार्मिक पाखंड
  4. पारिवारिक विघटन

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स के मार्क्सवादी सिद्धांत के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, सहकर्मियों और स्वयं से अलग-थलग महसूस करता है। यह अलगाव उत्पादन के साधनों पर श्रमिक के स्वामित्व के अभाव और श्रम के विभाजन का परिणाम है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ, 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में अलगाव की अवधारणा का विस्तार से विश्लेषण किया। उन्होंने चार प्रमुख प्रकार के अलगाव बताए: श्रम की प्रक्रिया से अलगाव, उत्पाद से अलगाव, अपनी प्रजाति-सार (species-being) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • गलत विकल्प: राजनीतिक दमन, धार्मिक पाखंड और पारिवारिक विघटन भी समाज में समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार अलगाव का मूल कारण पूंजीवादी आर्थिक व्यवस्था में निहित है, जहाँ श्रमिक अपने श्रम के फल का मालिक नहीं होता।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम ने समाज में ‘सामाजिक एकता’ (Social Solidarity) के दो मुख्य प्रकार बताए हैं। वे कौन से हैं?

  1. यांत्रिक एकता और कृत्रिम एकता
  2. सावयवी एकता और कृत्रिम एकता
  3. यांत्रिक एकता और सावयवी एकता
  4. अनुबंध एकता और सामाजिक एकता

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity) और सावयवी एकता (Organic Solidarity) की अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं।
  • संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकता पूर्व-आधुनिक समाजों में पाई जाती है, जहाँ सदस्यों के बीच समानता, समान विश्वास और अनुभव होते हैं (जैसे आदिवासी समाज)। सावयवी एकता आधुनिक, जटिल समाजों में पाई जाती है, जहाँ श्रम विभाजन के कारण सदस्य एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, ठीक उसी तरह जैसे मानव शरीर के विभिन्न अंग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
  • गलत विकल्प: कृत्रिम एकता दुर्खीम द्वारा वर्णित एकता का प्रकार नहीं है। अनुबंध एकता (Contractual Solidarity) सामाजिक व्यवस्था के लिए एक प्रारंभिक विचार हो सकती है, लेकिन दुर्खीम का मुख्य ध्यान यांत्रिक और सावयवी एकता पर था।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रारूप (Ideal Types) कौन से हैं?

  1. लोकतांत्रिक, अभिजात्य और अनार्किस्ट
  2. पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत
  3. पूंजीवादी, समाजवादी और साम्यवादी
  4. धार्मिक, धर्मनिरपेक्ष और नैतिक

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रारूप बताए हैं: पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority), करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority), और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority)।
  • संदर्भ और विस्तार: पारंपरिक सत्ता दीर्घकालीन रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित होती है (जैसे राजा)। करिश्माई सत्ता किसी व्यक्ति के असाधारण व्यक्तिगत गुणों, जैसे साहस, पवित्रता या नेतृत्व क्षमता पर आधारित होती है (जैसे कोई पैगंबर या महान नेता)। कानूनी-तर्कसंगत सत्ता नियमों, कानूनों और प्रक्रियाओं पर आधारित होती है, जो तर्कसंगत रूप से स्थापित होते हैं (जैसे आधुनिक नौकरशाही)।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प वेबर के सत्ता के वर्गीकरण से संबंधित नहीं हैं। वेबर ने इन आदर्श प्रारूपों का उपयोग करके सत्ता की विभिन्न अभिव्यक्तियों का विश्लेषण किया।

प्रश्न 4: भारतीय समाज में ‘पोटलाज’ (Potlage) शब्द का प्रयोग किस सामाजिक संस्था के संदर्भ में किया जाता है?

  1. परिवार
  2. विवाह
  3. जाति
  4. धर्म

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘पोटलाज’ (Potlage) शब्द का प्रयोग अप्रत्यक्ष विवाह (Indirect veya kabile evliliği) के एक रूप के संदर्भ में किया जाता है, जहाँ पुरुष या महिला किसी अन्य व्यक्ति के परिवार में तब तक रहते हैं जब तक कि वे विवाह करने के लिए तैयार न हों। यह वास्तव में एक प्रकार का ‘ब्राइड सर्विस’ (Bride Service) या ‘सेवा विवाह’ का एक रूप है, जो विभिन्न समाजों में प्रचलित रहा है। भारतीय संदर्भ में, यह विवाह के अर्थ में विस्तार से देखा जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द विशेष रूप से कुछ नृवंशविज्ञान अध्ययनों में प्रयोग हुआ है, जो विवाह के प्रारंभिक चरणों को संदर्भित करता है, जहाँ वर द्वारा वधू के परिवार के लिए सेवा करने की शर्त होती है। हालाँकि, यह एक अत्यधिक विशिष्ट शब्द है और आम प्रचलन में नहीं है। प्रश्न में थोड़ी अस्पष्टता है, लेकिन दिए गए विकल्पों में विवाह सबसे उपयुक्त उत्तर है, क्योंकि यह विवाह पूर्व की एक प्रथा को इंगित करता है।
  • गलत विकल्प: परिवार, जाति और धर्म सीधे तौर पर ‘पोटलाज’ शब्द से सम्बंधित नहीं हैं, जो विवाह की संस्था से जुड़ी एक विशेष प्रथा को इंगित करता है।

प्रश्न 5: टी. पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के चार क्रियात्मक पूर्व-आवश्यकताओं (Functional Prerequisites) का उल्लेख किया है, जिन्हें ‘ए.जी.आई.एल.’ (AGIL) मॉडल के रूप में जाना जाता है। ‘जी’ (G) क्या दर्शाता है?

  1. लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment)
  2. अनुकूलन (Adaptation)
  3. एकीकरण (Integration)
  4. व्यवस्था अनुरक्षण/मानसिकता (Latency/Pattern Maintenance)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: टैलकॉट पार्सन्स के AGIL मॉडल में ‘A’ अनुकूलन (Adaptation) का प्रतिनिधित्व करता है, जो समाज की पर्यावरण से निपटने की क्षमता है। ‘G’ लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment) को दर्शाता है, जो समाज के उद्देश्यों को निर्धारित करने और प्राप्त करने की क्षमता है। ‘I’ एकीकरण (Integration) को दर्शाता है, जो समाज के विभिन्न भागों को एक साथ लाने की क्षमता है। ‘L’ व्यवस्था अनुरक्षण/मानसिकता (Latency/Pattern Maintenance) को दर्शाता है, जो समाज की अपनी संरचना को बनाए रखने और सदस्यों की प्रेरणाओं को पोषित करने की क्षमता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने इस मॉडल का उपयोग समाज की निरंतरता और स्थिरता को समझने के लिए किया। यह मॉडल समाज की चार प्रमुख क्रियाओं का वर्णन करता है जो किसी भी सामाजिक व्यवस्था के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प AGIL मॉडल के अन्य घटकों को दर्शाते हैं, न कि ‘G’ को।

प्रश्न 6: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने विकसित की, जो कि व्यक्ति से बाह्य (External) और बाध्यकारी (Coercive) होती है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को अपने समाजशास्त्रीय अध्ययन का आधार बनाया। उन्होंने तर्क दिया कि समाजशास्त्र को सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में सामाजिक तथ्यों को परिभाषित करते हुए कहा कि वे ‘तरीके हैं कार्य करने, सोचने और महसूस करने के, जो व्यक्ति पर बाहर से दबाव डालते हैं और जिसकी सामान्य अभिव्यक्ति पूरे समाज में पाई जाती है।’ ये व्यक्ति के भीतर नहीं, बल्कि समाज में मौजूद होते हैं और उनका पालन न करने पर सामाजिक दबाव या दंड का अनुभव होता है (जैसे कानून)।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष और वर्ग चेतना पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और उसके व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर दिया। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के विकास में योगदान दिया, जिसमें व्यक्ति के आत्म और समाज के बीच अंतरक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया गया।

प्रश्न 7: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘स⿳सककण’ (Sanskritization) की अवधारणा का अर्थ क्या है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  2. उच्च जाति की प्रथाओं, कर्मकांडों और विश्वासों को अपनाकर निम्न जाति या जनजाति की स्थिति में सुधार की प्रक्रिया
  3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  4. शहरीकरण के कारण होने वाले सामाजिक परिवर्तन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘स⿳सककण’ (Sanskritization) शब्द का प्रयोग उन समाजों में होने वाले सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए किया, जहाँ निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों (विशेषकर द्विजातियों) की जीवनशैली, पूजा-पद्धति, आहार-विहार, और कर्मकांडों को अपनाकर अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को ऊँचा उठाने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है, जो व्यक्ति या समूह को अपनी स्थिति सुधारने का अवसर देता है, हालांकि यह संरचनात्मक परिवर्तन की तुलना में सांस्कृतिक परिवर्तन पर अधिक केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण है। आधुनिकीकरण (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें औद्योगिकीकरण, नगरीकरण और तर्कसंगतता शामिल है। शहरीकरण (Urbanization) शहरों की ओर जनसंख्या का पलायन है।

प्रश्न 8: ‘ड्रामेटर्जी’ (Dramaturgy) नामक समाजशास्त्रीय उपागम के मुख्य प्रस्तावक कौन हैं, जो समाज को एक रंगमंच और व्यक्तियों को अभिनेताओं के रूप में देखता है?

  1. इर्विंग गॉफमैन
  2. अल्फ्रेड शुट्ज़
  3. डेविड रीज़मैन
  4. हैरोल्ड गारफिंकेल

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) को ‘ड्रामेटर्जी’ (Dramaturgy) या नाट्यकला उपागम के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: गॉफमैन ने अपनी पुस्तक ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में तर्क दिया कि सामाजिक जीवन एक नाटक के समान है, जहाँ व्यक्ति अपनी ‘छवि’ (Image) को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न ‘मुखौटों’ (Masks) का उपयोग करते हैं। वे ‘सामने की ओर’ (Front Stage) में एक भूमिका निभाते हैं और ‘पीछे की ओर’ (Back Stage) में अपनी वास्तविक प्रकृति को प्रकट करते हैं।
  • गलत विकल्प: अल्फ्रेड शुट्ज़ घटना-विज्ञान (Phenomenology) से जुड़े थे। डेविड रीज़मैन ‘The Lonely Crowd’ के लिए जाने जाते हैं। हैरोल्ड गारफिंकेल ने ‘एथनोमेथोडोलॉजी’ (Ethnomethodology) विकसित की।

प्रश्न 9: किस समाजशास्त्री ने ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) को इतिहास की प्रेरक शक्ति माना और ‘सर्वहारा क्रांति’ (Proletarian Revolution) की भविष्यवाणी की?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. सिगमंड फ्रायड

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने अपने वर्ग संघर्ष के सिद्धांत में इतिहास को शोषक और शोषित वर्गों के बीच निरंतर संघर्ष के रूप में देखा। उन्होंने भविष्यवाणी की कि पूंजीपति वर्ग (Bourgeoisie) और सर्वहारा वर्ग (Proletariat) के बीच संघर्ष अंततः सर्वहारा क्रांति की ओर ले जाएगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) का केंद्रीय सिद्धांत है, जिसे उन्होंने ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ (The Communist Manifesto) और ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) जैसी कृतियों में विस्तार से प्रस्तुत किया।
  • गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग, स्थिति (Status) और शक्ति (Party) के आधार पर स्तरीकरण का बहुआयामी विश्लेषण किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित किया। फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे।

प्रश्न 10: भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?

  1. जाति के बाहर विवाह करना
  2. अपनी ही उप-जाति के भीतर विवाह करना
  3. अपनी ही गोत्र या कुल (Lineage) में विवाह करना
  4. विभिन्न जातियों के बीच विवाह करना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: अंतर्विवाह (Endogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने ही समूह (जैसे जाति, उप-जाति, धर्म) के भीतर विवाह करना चाहिए। भारतीय जाति व्यवस्था में, यह नियम अत्यंत कठोर रहा है, विशेषकर उप-जाति स्तर पर।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में अंतर्विवाह सामाजिक अलगाव और शुद्धता बनाए रखने का एक प्रमुख तंत्र है। इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने समूह (जैसे गोत्र, कुल) के बाहर विवाह करना चाहिए, जिसे ‘गोत्र बहिर्विवाह’ कहा जाता है।
  • गलत विकल्प: जाति के बाहर या विभिन्न जातियों के बीच विवाह ‘बहिर्विवाह’ (Exogamy) या ‘अंतरजातीय विवाह’ (Inter-caste marriage) कहलाता है। अपनी गोत्र या कुल में विवाह (अंतर्गोत्रीय विवाह) को भारतीय समाज में वर्जित माना जाता है।

प्रश्न 11: ‘सबल्टरन स्टडीज’ (Subaltern Studies) समूह मुख्य रूप से किस सामाजिक समूह के अध्ययन पर केंद्रित रहा है?

  1. शासक वर्ग
  2. पूंजीपति
  3. वंचित, अधीनस्थ और हाशिए पर पड़े समूह
  4. बुद्धिजीवी वर्ग

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘सबल्टरन स्टडीज’ समूह, जिसमें रणजीत गुहा जैसे विद्वान शामिल हैं, मुख्य रूप से उन अधीनस्थ, वंचित, हाशिए पर पड़े और आवाजहीन समूहों के इतिहास और सामाजिक अनुभवों का अध्ययन करता है जिन्हें पारंपरिक इतिहास लेखन में अक्सर नजरअंदाज किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह उपागम मार्क्सवाद, उत्तर-संरचनावाद और सांस्कृतिक अध्ययन से प्रभावित है। इसका उद्देश्य ऐतिहासिक आख्यानों को उन लोगों के दृष्टिकोण से फिर से लिखना है जो शक्ति संरचनाओं के अधीनस्थ रहे हैं।
  • गलत विकल्प: यह उपागम शासक वर्ग, पूंजीपतियों या अभिजात वर्ग पर केंद्रित नहीं है, बल्कि उनके विपरीत, ‘सबल्टरन’ (अधीनस्थ) पर केंद्रित है।

प्रश्न 12: सामाजिक अनुसंधान में ‘विश्वसनीयता’ (Reliability) का तात्पर्य है:

  1. यह सुनिश्चित करना कि मापा जाने वाला वही मापा जा रहा है जो मापा जाना चाहिए।
  2. यह सुनिश्चित करना कि बार-बार मापन से समान परिणाम प्राप्त हों।
  3. अध्ययन के निष्कर्षों का सामान्यीकरण।
  4. अनुसंधान प्रक्रिया में पूर्वाग्रह की अनुपस्थिति।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक अनुसंधान में विश्वसनीयता (Reliability) का अर्थ है कि यदि हम एक ही माप या विधि को बार-बार या विभिन्न परिस्थितियों में लागू करें, तो हमें लगातार समान या बहुत मिलते-जुलते परिणाम प्राप्त होने चाहिए। यह माप की स्थिरता (Consistency) से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, यदि एक सर्वेक्षण प्रश्न को दो अलग-अलग समय पर एक ही व्यक्ति से पूछा जाए और दोनों बार उत्तर समान आए, तो प्रश्न विश्वसनीय माना जाएगा। यह वैधता (Validity) से भिन्न है, जो यह मापती है कि क्या हम वास्तव में वही माप रहे हैं जो मापना चाहते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) वैधता (Validity) से संबंधित है। (c) सामान्यीकरण (Generalizability) बड़े पैमाने पर अध्ययन के निष्कर्षों को लागू करने की क्षमता है। (d) अनुसंधान प्रक्रिया में पूर्वाग्रह की अनुपस्थिति निष्पक्षता (Objectivity) का एक पहलू है।

प्रश्न 13: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की अवधारणा का संबंध निम्नलिखित में से किससे नहीं है?

  1. औद्योगिकीकरण
  2. तर्कसंगतता
  3. धर्मनिरपेक्षता
  4. सामुदायिक जीवन की प्रमुखता

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: आधुनिकता की अवधारणा का संबंध आम तौर पर औद्योगिकीकरण, तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षता, व्यक्तिवाद और शहरीकरण जैसी प्रक्रियाओं से है। यह अक्सर ‘पारंपरिकता’ (Traditionality) के विपरीत मानी जाती है, जिसकी विशेषता मजबूत सामुदायिक संबंध, सामूहिकता और गहरी धार्मिक आस्थाएँ थीं।
  • संदर्भ और विस्तार: आधुनिक समाज अपनी दक्षता, मानकीकरण और व्यक्तिगत स्वायत्तता पर जोर देते हैं, जो पारंपरिक समाजों की सामूहिक पहचान और सामुदायिक बंधनों से भिन्न होते हैं।
  • गलत विकल्प: औद्योगिकीकरण, तर्कसंगतता और धर्मनिरपेक्षता आधुनिकता के मुख्य स्तंभ हैं। सामुदायिक जीवन की प्रमुखता पारंपरिक समाजों की विशेषता है, न कि आधुनिक समाजों की।

प्रश्न 14: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?

  1. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण
  2. व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से निर्मित अर्थों का अध्ययन
  3. समाज में शक्ति संबंधों का विश्लेषण
  4. सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाली संस्थाओं का अध्ययन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख प्रस्तावक जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और एर्विंग गॉफमैन जैसे विद्वान हैं, व्यक्तियों के बीच होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय (Micro-level) अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। यह मानता है कि समाज प्रतीकों (भाषा, इशारों, हाव-भाव) के माध्यम से निर्मित होता है, जिन्हें लोग एक-दूसरे के साथ बातचीत करते समय अर्थ प्रदान करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि हमारी आत्म-पहचान (Self-identity) भी इन अंतःक्रियाओं और दूसरों द्वारा हमें देखे जाने के तरीके से ही बनती है।
  • गलत विकल्प: (a) बड़े पैमाने पर संरचनाओं का विश्लेषण प्रकार्यवाद (Functionalism) या मार्क्सवाद का क्षेत्र है। (c) शक्ति संबंधों का विश्लेषण अक्सर मार्क्सवाद या सत्ता सिद्धांत में किया जाता है। (d) संस्थाओं का अध्ययन भी प्रकार्यवाद का मुख्य बिंदु है।

प्रश्न 15: भारतीय समाज में ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) मूल रूप से किस प्रकार की व्यवस्था थी?

  1. औपचारिक आर्थिक विनिमय प्रणाली
  2. पारस्परिक सेवा-आदायगी पर आधारित एक सामाजिक-आर्थिक संबंध
  3. बाजार-आधारित लेन-देन प्रणाली
  4. सरकारी सहायता कार्यक्रम

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: जजमानी प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाज में पुरोहितों, कारीगरों, मजदूरों और अन्य सेवा प्रदाताओं (जिन्हें ‘जजमान’ कहा जाता था) तथा सेवाओं को प्राप्त करने वाले (जिन्हें ‘कामीन’ या ‘ the kamai’ कहा जाता था) के बीच एक पारंपरिक, वंशानुगत और पारस्परिक सेवा-आदायगी पर आधारित सामाजिक-आर्थिक संबंध थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था में, सेवा प्रदाता अपनी सेवाएं जजमानों को प्रदान करते थे और बदले में उन्हें अनाज, भोजन, या अन्य वस्तुएँ प्राप्त होती थीं, न कि मौद्रिक भुगतान। यह व्यवस्था जाति व्यवस्था और ग्रामीण सामाजिक संरचना से गहराई से जुड़ी थी।
  • गलत विकल्प: यह औपचारिक आर्थिक विनिमय (a) या बाजार-आधारित लेन-देन (c) नहीं थी, बल्कि एक अनौपचारिक, अनुष्ठानिक और पारस्परिक व्यवस्था थी। यह कोई सरकारी कार्यक्रम (d) भी नहीं था।

प्रश्न 16: ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) या ‘आईना-आत्मा’ की अवधारणा किसने दी, जिसके अनुसार हम दूसरों की नज़रों में स्वयं को देखते हैं?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. चार्ल्स होर्टन कूली
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: चार्ल्स होर्टन कूली (Charles Horton Cooley) ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ की अवधारणा दी, जो बताती है कि हमारे व्यक्तित्व का विकास दूसरों की धारणाओं के आधार पर होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कूली के अनुसार, यह प्रक्रिया तीन चरणों में होती है: (1) हम सोचते हैं कि दूसरे हमें कैसे देखते हैं, (2) हम सोचते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या निर्णय लेते हैं, और (3) इन निर्णयों के आधार पर हम स्वयं के बारे में एक भावना विकसित करते हैं। यह आत्म-चेतना के सामाजिक निर्माण का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
  • गलत विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘सेल्फ’ (Self) के विकास को अंतःक्रिया के माध्यम से समझाया, लेकिन ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ कूली का विशिष्ट योगदान है। दुर्खीम और वेबर वृहद्-स्तरीय (Macro-level) समाजशास्त्र से जुड़े हैं।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का एक रूप नहीं है?

  1. दासता (Slavery)
  2. जाति (Caste)
  3. वर्ग (Class)
  4. समुदाय (Community)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: दासता, जाति और वर्ग सभी सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख रूप हैं, जहाँ समाज को असमान स्तरों या पदानुक्रमों में विभाजित किया जाता है। समुदाय (Community) सामाजिक संबंधों और साझा पहचान का एक समूह है, लेकिन यह स्वयं में एक स्तरीकरण प्रणाली नहीं है, हालांकि समुदायों के भीतर स्तरीकरण हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज में संसाधनों, शक्ति और प्रतिष्ठा के असमान वितरण से संबंधित है। दासता में, एक व्यक्ति दूसरे का मालिक होता है। जाति एक बंद व्यवस्था है जहाँ स्थिति जन्म से तय होती है। वर्ग एक अधिक खुली व्यवस्था है जहाँ स्थिति आर्थिक कारकों से प्रभावित होती है।
  • गलत विकल्प: दासता, जाति और वर्ग तीनों पदानुक्रमित सामाजिक व्यवस्थाएँ हैं। समुदाय सदस्यों के बीच घनिष्ठ संबंध को दर्शाता है, न कि पदानुक्रम को।

प्रश्न 18: ‘अनॉमी’ (Anomie) या ‘विसंगति’ की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने या टूटने की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. रॉबर्ट मर्टन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘अनॉमी’ की अवधारणा एमिल दुर्खीम से सबसे अधिक जुड़ी हुई है, विशेषकर उनकी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में। उन्होंने इसे तब देखा जब समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक मानदंडों के बारे में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश या सहमति नहीं होती।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, अनॉमी तब उत्पन्न होती है जब सामाजिक नियम या तो अनुपस्थित होते हैं या इतने शिथिल हो जाते हैं कि व्यक्ति के व्यवहार को निर्देशित नहीं कर पाते। यह सामाजिक विघटन या तीव्र सामाजिक परिवर्तन के समय अधिक देखा जाता है। रॉबर्ट मर्टन ने भी अनॉमी की अवधारणा का उपयोग किया, लेकिन उन्होंने इसे लक्ष्यों और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधनों के बीच विसंगति के रूप में परिभाषित किया।
  • गलत विकल्प: मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। वेबर ने नौकरशाही और सत्ता पर काम किया। मर्टन ने दुर्खीम के काम को आगे बढ़ाया, लेकिन ‘अनॉमी’ का मूल उद्भव दुर्खीम से है।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘अप्रत्यक्ष सामाजिक संस्था’ (Indirect Social Institution) का उदाहरण है?

  1. परिवार
  2. विवाह
  3. शिक्षा
  4. भाषा

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रत्यक्ष सामाजिक संस्थाएँ वे हैं जो स्पष्ट रूप से परिभाषित उद्देश्यों, नियमों और संरचनाओं के साथ कार्य करती हैं, जैसे परिवार, विवाह, शिक्षा, राज्य, अर्थव्यवस्था। भाषा, हालांकि अत्यंत महत्वपूर्ण है, एक अप्रत्यक्ष सामाजिक संस्था है क्योंकि यह सीधे तौर पर सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निर्मित नहीं होती, बल्कि यह संचार, संस्कृति और सामाजिक अंतःक्रिया का एक माध्यम है जो धीरे-धीरे विकसित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अप्रत्यक्ष संस्थाएँ अक्सर अधिक अमूर्त होती हैं और सामाजिक व्यवहार को सूक्ष्म तरीकों से प्रभावित करती हैं। भाषा सामाजिक वास्तविकता को आकार देती है और विचारों को संप्रेषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन इसकी संरचनात्मक व्याख्या प्रत्यक्ष संस्थाओं की तरह स्पष्ट नहीं होती।
  • गलत विकल्प: परिवार, विवाह, शिक्षा और राज्य स्पष्ट रूप से परिभाषित सामाजिक संस्थाएँ हैं।

प्रश्न 20: भारतीय समाज में, ‘वर्ण’ (Varna) और ‘जाति’ (Jati) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

  1. वर्ण अधिक व्यापक है, जबकि जाति अधिक संकीर्ण और विशिष्ट है।
  2. जाति जन्म पर आधारित है, जबकि वर्ण कर्म पर आधारित है।
  3. वर्ण चार हैं (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र), जबकि जातियों की संख्या हजारों में है।
  4. सभी विकल्प सही हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: भारतीय समाजशास्त्र में, यह अंतर स्पष्ट रूप से समझा जाता है। वर्ण एक सैद्धांतिक, चार-भागों वाला वर्गीकरण है जो प्राचीन ग्रंथों में पाया जाता है और मुख्य रूप से व्यवसाय या कर्तव्य पर आधारित था (हालांकि यह जन्म से भी जुड़ गया)। जाति (जाति) वर्ण से अधिक संकीर्ण, अधिक विशिष्ठ, अक्सर स्थानीय या व्यावसायिक समूह हैं, और ये अत्यंत कठोर अंतर्विवाह नियम रखते हैं। जाति जन्म पर आधारित है और जातियों की संख्या हजारों में है।
  • संदर्भ और विस्तार: कई समाजशास्त्रियों ने माना है कि वास्तविक सामाजिक संरचना और अंतःक्रियाएँ मुख्य रूप से जाति (Jati) स्तर पर होती हैं, न कि वर्ण (Varna) स्तर पर। वर्ण एक आदर्श व्यवस्था है, जबकि जाति एक जीवित, परिवर्तनशील और जटिल वास्तविकता है।
  • गलत विकल्प: चूंकि सभी कथन वर्ण और जाति के बीच अंतर को सही ढंग से दर्शाते हैं, इसलिए विकल्प (d) सबसे उपयुक्त है।

प्रश्न 21: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के अध्ययन में, ‘डेवलपमेंट ऑफ ओवरसॉन्ग’ (Development of Oversong) नामक सिद्धांत किस समाजशास्त्री का है, जो प्रौद्योगिकी के विकास को सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख चालक मानता है?

  1. जेराल्ड लेसर
  2. लुईस आल्थूसर
  3. विलियम ओग्बर्न
  4. एंथोनी गिडेंस

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: विलियम ओग्बर्न (William Ogburn) ने सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी, जहाँ भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, कानून) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। “डेवलपमेंट ऑफ ओवरसॉन्ग” (Development of Oversong) उनके विचारों का एक अन्य पहलू है जो प्रौद्योगिकी के महत्व पर बल देता है। (यह ध्यान देने योग्य है कि “डेवलपमेंट ऑफ ओवरसॉन्ग” एक कम ज्ञात या शायद गलत अनुवादित अभिव्यक्ति हो सकती है; ओग्बर्न की मुख्य अवधारणा ‘सांस्कृतिक विलंब’ है, जो प्रौद्योगिकी को परिवर्तन का प्रमुख चालक मानती है।)
  • संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न ने माना कि तकनीकी नवाचार सामाजिक परिवर्तन का प्राथमिक स्रोत है। जब प्रौद्योगिकी (भौतिक संस्कृति) विकसित होती है, तो समाज के गैर-भौतिक पहलू (जैसे सामाजिक मानदंड, मूल्य, संस्थाएँ) उस गति से अनुकूलित नहीं हो पाते, जिससे विलंब या असंतुलन पैदा होता है।
  • गलत विकल्प: लेसर, आल्थूसर और गिडेंस सामाजिक परिवर्तन पर अन्य महत्वपूर्ण विचार रखते हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी को सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक मानने वाले ओग्बर्न हैं।

प्रश्न 22: निम्नांकित में से कौन सा एक ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) का उदाहरण है?

  1. औपचारिक कार्यस्थल
  2. पड़ोस
  3. विश्वविद्यालय का छात्र संघ
  4. मित्रों और परिवार का समूह

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: चार्ल्स होर्टन कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ की अवधारणा दी, जो छोटे, घनिष्ठ समूह होते हैं जहाँ सदस्य आमने-सामने, लंबे समय तक और संपूर्ण व्यक्तित्व के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। मित्रों और परिवार का समूह इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूहों में घनिष्ठता, सहयोग और ‘हम’ की भावना प्रमुख होती है। ये समूह व्यक्ति के समाजीकरण और व्यक्तित्व के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • गलत विकल्प: औपचारिक कार्यस्थल, पड़ोस और विश्वविद्यालय का छात्र संघ बड़े, अधिक अनौपचारिक या उद्देश्य-संचालित समूह हैं, जिन्हें अक्सर ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Group) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जहाँ अंतःक्रियाएँ अधिक औपचारिकतापूर्ण और विशिष्ट उद्देश्यों के लिए होती हैं।

प्रश्न 23: ‘ज्ञान-आधारित समाज’ (Knowledge Society) की अवधारणा का संबंध निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री से सबसे अधिक है?

  1. डैनियल बेल
  2. मैनुअल कैस्टल्स
  3. एल्विन टॉफलर
  4. सर्गे लाटूर

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: डैनियल बेल (Daniel Bell) को ‘ज्ञान-आधारित समाज’ (Knowledge Society) या ‘उत्तर-औद्योगिक समाज’ (Post-Industrial Society) की अवधारणा के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: बेल ने तर्क दिया कि औद्योगिक समाज से आगे बढ़ते हुए, समाज का आर्थिक और सामाजिक आधार उत्पादन (Goods Production) से ज्ञान (Knowledge) और सूचना (Information) के उत्पादन और वितरण पर आधारित हो जाएगा। ऐसे समाज में, पेशेवर और तकनीकी वर्ग का महत्व बढ़ जाता है।
  • गलत विकल्प: मैनुअल कैस्टल्स ‘नेटवर्क सोसायटी’ (Network Society) से जुड़े हैं। एल्विन टॉफलर ने ‘फ्यूचर शॉक’ (Future Shock) और ‘तीसरी लहर’ (The Third Wave) जैसी अवधारणाएँ दीं। सर्गे लाटूर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज के अध्ययन से संबंधित हैं।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘पूंजी’ (Capital) के रूप में नहीं जानी जाती, जिसे पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने समाज में असमानता के विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण माना?

  1. आर्थिक पूंजी (Economic Capital)
  2. सांस्कृतिक पूंजी (Cultural Capital)
  3. सामाजिक पूंजी (Social Capital)
  4. ज्ञान पूंजी (Knowledge Capital)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: पियरे बॉर्डियू ने सामाजिक असमानता को समझने के लिए तीन प्रमुख प्रकार की पूंजी का वर्णन किया: आर्थिक पूंजी (धन, संपत्ति), सांस्कृतिक पूंजी (शिक्षा, ज्ञान, कलात्मक क्षमता, जीवन शैली), और सामाजिक पूंजी (सामाजिक नेटवर्क, संबंध, समूह सदस्यता)। ‘ज्ञान पूंजी’ शब्द का प्रयोग होता है, लेकिन बॉर्डियू ने इसे मुख्य रूप से ‘सांस्कृतिक पूंजी’ के एक उप-घटक के रूप में संबोधित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू का तर्क है कि इन विभिन्न प्रकार की पूँजियों का संचय और हस्तांतरण सामाजिक वर्गों को बनाए रखने और पुनरुत्पादित करने में मदद करता है। सांस्कृतिक और सामाजिक पूँजी अक्सर आर्थिक पूँजी जितनी ही महत्वपूर्ण होती हैं।
  • गलत विकल्प: आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पूंजी बॉर्डियू के सिद्धांत के आधार स्तंभ हैं। ‘ज्ञान पूंजी’ का उल्लेख अप्रत्यक्ष रूप से सांस्कृतिक पूंजी के अंतर्गत ही किया जाता है।

प्रश्न 25: ग्रामीण समाजशास्त्र में, ‘ग्रामीण-शहरी सातत्य’ (Rural-Urban Continuum) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. ग्रामीण और शहरी जीवन के बीच एक तीव्र और स्पष्ट अंतर
  2. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को एक सतत स्पेक्ट्रम पर देखने का दृष्टिकोण, जहाँ कुछ क्षेत्र दोनों की विशेषताओं को साझा करते हैं।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों का धीरे-धीरे शहरी क्षेत्रों में रूपांतरण
  4. शहरीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों का विलुप्त होना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘ग्रामीण-शहरी सातत्य’ की अवधारणा का अर्थ है कि ग्रामीण और शहरी जीवन को दो अलग-अलग ध्रुवों के बजाय एक सतत स्पेक्ट्रम या पैमाने पर देखा जाना चाहिए। इस दृष्टिकोण के अनुसार, कई क्षेत्र ग्रामीण और शहरी दोनों विशेषताओं को साझा करते हैं, और संक्रमण धीरे-धीरे होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मानती है कि ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों, सामाजिक संरचनाओं और मूल्यों में अंतर हैं, लेकिन ये अंतर तीखे या निरपेक्ष नहीं हैं। विभिन्न समाजशास्त्री, जैसे कि रॉबर्ट रेडफील्ड, ने ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच विभिन्न स्तरों की निकटता और दूरी का सुझाव दिया है।
  • गलत विकल्प: (a) यह सातत्य के विपरीत है, जो अंतर की तीव्रता पर जोर देता है। (c) और (d) शहरीकरण की प्रक्रिया को दर्शाते हैं, लेकिन सातत्य का मुख्य विचार यह है कि विभिन्न क्षेत्र इस स्पेक्ट्रम पर मौजूद हैं, न कि केवल एक दिशा में परिवर्तन।

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