समाजशास्त्र की परीक्षा: आपकी अवधारणाओं की परख
नमस्ते, समाजशास्त्र के जिज्ञासु! क्या आप अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को चुनौती देने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न, जो आपकी आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे। आइए, अपनी तैयारी को परखें और ज्ञान के इस सफर में आगे बढ़ें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (social facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे वे समाजशास्त्र की मूल इकाई मानते थे?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- Émile Durkheim
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: Émile Durkheim ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने इसे “विचार करने, कार्य करने और अनुभव करने के ऐसे तरीके जो व्यक्ति के लिए बाहरी होते हैं और उस पर एक बाध्यकारी शक्ति रखते हैं” के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा उनके समाजशास्त्रीय प्रत्यक्षवाद (sociological positivism) का आधार है और उनकी प्रसिद्ध कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में विस्तार से बताई गई है। ड्यूरखाइम के अनुसार, सामाजिक तथ्यों का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की तरह ही वस्तुनिष्ठ (objective) होना चाहिए।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स आर्थिक निर्धारणवाद पर बल देते थे। मैक्स वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) को समझने के लिए ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया। हर्बर्ट स्पेंसर का सामाजिक विकास का सिद्धांत (social Darwinism) अन्य दिशा में था।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है?
- पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना
- स्थानीय लोक प्रथाओं को अपनाना
- किसी निम्न हिंदू जाति या जनजाति द्वारा किसी उच्च जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर उच्च स्थिति प्राप्त करने का प्रयास
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को स्पष्ट किया, जिसके तहत निचली जातियों या जनजातियों द्वारा ऊपरी जातियों की जीवन शैली, कर्मकांड और विश्वासों को अपनाकर सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति सुधारने का प्रयास किया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में दी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जो सामाजिक गतिशीलता का ही एक रूप है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) का अर्थ पश्चिमी देशों की जीवन शैली अपनाना है। ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। ‘शहरीकरण’ (Urbanization) ग्रामों से नगरों की ओर जनसंख्या का प्रवाह है।
प्रश्न 3: ‘कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य’ (Functionalist Perspective) के अनुसार, समाज को विभिन्न भागों या संस्थाओं से मिलकर बना एक जटिल तंत्र माना जाता है, जहाँ प्रत्येक भाग का एक विशेष कार्य होता है। इस परिप्रेक्ष्य के प्रमुख समर्थकों में से एक कौन थे?
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- Talcott Parsons
- C. Wright Mills
- Karl Mannheim
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टॉलकोट पार्सन्स (Talcott Parsons) कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य के एक प्रमुख सिद्धांतकार हैं। उन्होंने समाज को एक स्थिर प्रणाली के रूप में देखा, जहाँ परिवार, शिक्षा, धर्म जैसी विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ मिलकर समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स का ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) और ‘संरचनात्मक-कार्यात्मकता’ (Structural-Functionalism) पर कार्य बहुत प्रभावशाली रहा है। उन्होंने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल भी विकसित किया, जो किसी भी सामाजिक प्रणाली के लिए आवश्यक कार्यों का वर्णन करता है।
- गलत विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) से जुड़े हैं। सी. राइट मिल्स ने ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा दी और आलोचनात्मक परिप्रेक्ष्य अपनाया। कार्ल मैन्हेम ने ज्ञान के समाजशास्त्र (Sociology of Knowledge) पर कार्य किया।
प्रश्न 4: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में असमानता सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने और दक्षता बढ़ाने के लिए आवश्यक है?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक-कार्यात्मकता (Structural-Functionalism)
- मार्क्सवाद (Marxism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संरचनात्मक-कार्यात्मकता (विशेषकर डेविस-मूर सिद्धांत) यह तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के लिए कार्यात्मक है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए सबसे योग्य व्यक्तियों को प्रेरित करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: डेविस और मूर (Davis and Moore) ने तर्क दिया कि समाज को सभी पदों के लिए समान रूप से योग्य लोगों की आवश्यकता नहीं होती है। कुछ पद अधिक महत्वपूर्ण होते हैं और उन्हें विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। इन पदों पर सर्वोत्तम व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए, उन्हें उच्च पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) दिए जाने चाहिए, जिससे स्तरीकरण उत्पन्न होता है।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) और मार्क्सवाद असमानता को शक्ति और शोषण का परिणाम मानते हैं, न कि व्यवस्था बनाए रखने का आवश्यक तत्व। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक संबंधों और अर्थों पर केंद्रित है।
प्रश्न 5: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य बल किस पर होता है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएँ
- सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में संस्थाओं की भूमिका
- व्यक्तियों के बीच अंतःक्रिया में प्रयुक्त प्रतीकों और उनके द्वारा निर्मित अर्थों पर
- आर्थिक असमानता और वर्ग संघर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसका श्रेय मुख्य रूप से जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और चार्ल्स हॉर्टन कूली को जाता है, व्यक्तियों के बीच अंतःक्रिया की सूक्ष्म (micro-level) प्रकृति पर ध्यान केंद्रित करता है, विशेष रूप से उन प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) पर जो वे संवाद करने और अर्थ बनाने के लिए उपयोग करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: ब्लूमर ने इस सिद्धांत को व्यवस्थित रूप दिया, जिसमें तीन प्रमुख मान्यताएँ शामिल हैं: 1. मनुष्य उन चीजों पर कार्य करते हैं जिनके लिए वे उन्हें अर्थ देते हैं। 2. उन चीजों के अर्थ उनके सामाजिक अंतःक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं। 3. इन अर्थों को एक व्याख्यात्मक प्रक्रिया के माध्यम से संशोधित किया जाता है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) कार्यात्मकता और कुछ हद तक मार्क्सवाद से संबंधित हैं, जो स्थूल (macro-level) स्तर पर ध्यान केंद्रित करते हैं। (d) मार्क्सवाद और संघर्ष सिद्धांत का मुख्य बिंदु है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘अलगाव’ (Alienation) से सर्वाधिक निकटता से जुड़ी है, जिसे श्रमिक वर्ग द्वारा अपने श्रम, उत्पाद, साथी श्रमिकों और स्वयं से महसूस किया जाता है?
- Émile Durkheim
- Max Weber
- Karl Marx
- Auguste Comte
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Entfremdung) की अवधारणा का प्रयोग पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक द्वारा अनुभव की जाने वाली अलगाव की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद से, अपने श्रम की प्रक्रिया से, अपने साथी श्रमिकों से और अंततः अपनी मानवीय प्रकृति (species-being) से अलग-थलग महसूस करता है क्योंकि वह उत्पादन के साधनों का मालिक नहीं होता और उसके श्रम का उद्देश्य लाभ कमाना होता है, न कि आत्म-अभिव्यक्ति।
- गलत विकल्प: ड्यूरखाइम ने ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा दी, जो सामाजिक मानदंडों की अनुपस्थिति से उत्पन्न होती है। वेबर ने नौकरशाही और शक्ति के विश्लेषण पर काम किया। कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 7: ‘प्रजाति’ (Race) को अक्सर एक ‘सामाजिक निर्माण’ (Social Construct) के रूप में समझा जाता है। इसका क्या अर्थ है?
- प्रजाति जैविक रूप से निश्चित होती है और इसमें कोई सामाजिक व्याख्या नहीं होती।
- प्रजाति के विचार और उससे जुड़े अर्थ समाज द्वारा निर्मित होते हैं, न कि विशुद्ध रूप से जैविक।
- सभी प्रजातियों के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं होता है।
- प्रजाति का संबंध केवल व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से है, न कि सामाजिक संरचनाओं से।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘प्रजाति’ को एक सामाजिक निर्माण मानने का अर्थ है कि जिन जैविक विशेषताओं को प्रजाति के आधार के रूप में प्रयोग किया जाता है, उन्हें समाज द्वारा महत्वपूर्ण अर्थ दिए जाते हैं, और इन अर्थों के आधार पर सामाजिक अंतर, पदानुक्रम और भेदभाव उत्पन्न होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: वैज्ञानिक रूप से, मानव प्रजातियों के बीच महत्वपूर्ण जैविक भिन्नताएँ बहुत कम हैं। समाज इन भिन्नताओं को बढ़ाकर और उन्हें सत्ता, विशेषाधिकार और भेदभाव से जोड़कर ‘प्रजाति’ को एक सामाजिक वास्तविकता बनाता है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि यह सामाजिक निर्माण के विचार का खंडन करता है। (c) प्रजाति के संबंध में समाज में महत्वपूर्ण अंतर किए जाते हैं। (d) प्रजाति केवल व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से नहीं, बल्कि गहरी सामाजिक संरचनाओं और शक्ति संबंधों से भी जुड़ी है।
प्रश्न 8: परिवार की वह संरचना क्या कहलाती है जिसमें एक व्यक्ति के माता-पिता, भाई-बहन और स्वयं वह व्यक्ति शामिल होते हैं?
- विस्तारित परिवार (Extended Family)
- एकल परिवार (Nuclear Family)
- समरूपी परिवार (Consanguineal Family)
- पितृवंशीय परिवार (Patrilineal Family)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एकल परिवार (Nuclear Family) में पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह परिवार का सबसे छोटा रूप है। विस्तारित परिवार में दादा-दादी, चाचा-चाची, चचेरे भाई-बहन आदि भी शामिल हो सकते हैं, जो तीन या अधिक पीढ़ियों को कवर करते हैं। समरूपी परिवार रक्त संबंध पर आधारित होता है। पितृवंशीय परिवार वंश और उत्तराधिकार को पिता के माध्यम से निर्धारित करता है।
- गलत विकल्प: विस्तारित परिवार में अधिक सदस्य होते हैं। समरूपी और पितृवंशीय परिवार परिवार के संगठन या उत्तराधिकार के तरीके का वर्णन करते हैं, न कि उसकी संरचना के सदस्यों की संख्या का।
प्रश्न 9: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों की शिथिलता या अनुपस्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्रीय विचार से सबसे अधिक जुड़ी है?
- Max Weber
- Karl Marx
- Émile Durkheim
- Herbert Spencer
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: Émile Durkheim ने ‘एनोमी’ की अवधारणा का प्रयोग किया, विशेषकर अपनी कृति ‘Suicide’ में। इसका अर्थ है एक ऐसी सामाजिक स्थिति जब व्यक्तिगत आकांक्षाएं अनियंत्रित हो जाती हैं क्योंकि समाज द्वारा उन्हें नियंत्रित करने वाले पारंपरिक मानदंड कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: ड्यूरखाइम के अनुसार, एनोमी तब उत्पन्न होती है जब समाज में तीव्र परिवर्तन (जैसे आर्थिक मंदी या अचानक समृद्धि) होते हैं, या जब सामाजिक एकीकरण (social integration) कमजोर होता है, जिससे व्यक्तियों को पता नहीं चलता कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए और उनकी इच्छाओं की कोई सीमा नहीं रहती।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने ‘अलगाव’ पर जोर दिया। वेबर ने ‘तर्कसंगति’ (Rationalization) और ‘नौकरशाही’ पर काम किया। स्पेंसर का ‘सामाजिक डार्विनवाद’ समाज को एक जैविक जीव के रूप में देखता था।
प्रश्न 10: भारत में जाति व्यवस्था (Caste System) की एक प्रमुख विशेषता क्या है जो इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?
- गतिशीलता की उच्च डिग्री
- जन्म पर आधारित सदस्यता और अंतर्विवाह (Endogamy)
- खुला सामाजिक वर्ग (Open Social Class)
- व्यवसाय की पूर्ण स्वतंत्रता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था की पहचान मुख्य रूप से जन्म पर आधारित सदस्यता (Membership by birth) और अंतर्विवाह (Endogamy) है, यानी व्यक्ति उसी जाति में विवाह करता है जिससे वह उत्पन्न हुआ है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था एक बंद स्तरीकरण प्रणाली है जहाँ किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति काफी हद तक उसके जन्म से निर्धारित होती है। इसने ऐतिहासिक रूप से व्यवसाय, सामाजिक संपर्क और अन्य जीवन के पहलुओं को भी प्रतिबंधित किया है।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था में गतिशीलता (mobility) की डिग्री अत्यंत कम होती है। यह एक बंद प्रणाली है, खुली नहीं। व्यवसाय भी अक्सर जन्म से निर्धारित होते थे, जिसमें स्वतंत्रता सीमित थी।
प्रश्न 11: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक संबंधों, नेटवर्क और विश्वास पर आधारित है, किस विचारक से जुड़ी है?
- Pierre Bourdieu
- Robert Putnam
- James Coleman
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पियरे बॉरडियू (Pierre Bourdieu), रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) और जेम्स कोलमैन (James Coleman) – इन सभी समाजशास्त्रियों ने ‘सामाजिक पूंजी’ की अवधारणा के विकास और विश्लेषण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: बॉरडियू ने इसे उन संसाधनों के रूप में देखा जो सामाजिक नेटवर्क तक पहुँच से प्राप्त होते हैं। पुटनम ने नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन पर इसके प्रभाव पर जोर दिया। कोलमैन ने इसे उन अपेक्षाओं के रूप में परिभाषित किया जो लोगों को एक-दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए प्रेरित करती हैं।
- गलत विकल्प: यद्यपि तीनों ने अलग-अलग कोणों से योगदान दिया, फिर भी सभी इस अवधारणा से जुड़े हैं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था शिक्षा के प्रमुख कार्यों में से एक नहीं मानी जाती है?
- ज्ञान और कौशल का हस्तांतरण
- सामाजिक नियंत्रण को बढ़ावा देना
- बच्चों का समाजीकरण
- जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: शिक्षा का प्राथमिक कार्य ज्ञान, कौशल और मूल्यों का हस्तांतरण, समाजीकरण और सामाजिक नियंत्रण को सुदृढ़ करना है। जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना परिवार नियोजन या स्वास्थ्य सेवाओं जैसी संस्थाओं का कार्य है, न कि शिक्षा का सीधा कार्य।
- संदर्भ एवं विस्तार: शिक्षा समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए नए सदस्यों को तैयार करती है। यह समाज के ज्ञान और संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुंचाती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) शिक्षा के महत्वपूर्ण कार्य हैं। (d) शिक्षा का प्रत्यक्ष कार्य नहीं है, हालांकि अप्रत्यक्ष रूप से शैक्षिक स्तर और महिला सशक्तिकरण से यह प्रभावित हो सकता है।
प्रश्न 13: ‘अभिजात्य वर्ग’ (Elite) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है, जिन्होंने समाज को शासक वर्ग और शासित वर्ग में विभाजित देखा?
- Max Weber
- Vilfredo Pareto
- Robert Michels
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 14: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘परिकल्पना’ (Hypothesis) क्या है?
- अनुसंधान का अंतिम निष्कर्ष
- एक अस्थायी, परीक्षण योग्य कथन जो दो या दो से अधिक चरों के बीच संबंध का सुझाव देता है
- अनुसंधान का विषय
- अनुसंधान के निष्कर्षों का सारांश
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: परिकल्पना एक अनुमानित कथन है जो दो या दो से अधिक चरों (variables) के बीच संभावित संबंध की व्याख्या करता है, और जिसे अनुभवजन्य (empirical) साक्ष्य के माध्यम से परीक्षण किया जा सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह एक ‘तर्कसंगत अनुमान’ (educated guess) है जिसे डेटा एकत्र करके या तो समर्थन या खंडित किया जाता है। यह अनुसंधान प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) परिकल्पना की परिभाषा से मेल नहीं खाते। निष्कर्ष, विषय और सारांश अनुसंधान के अन्य चरण हैं।
प्रश्न 15: ‘संस्कृति’ (Culture) के समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार, इसमें क्या शामिल है?
- केवल कला और साहित्य
- केवल भौतिक वस्तुएँ जैसे भवन और मशीनें
- लोगों के जीने का तरीका, जिसमें उनके ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और वे जो भी क्षमताएं व आदतें समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त करते हैं, शामिल हैं।
- केवल सामाजिक व्यवस्था और संरचनाएं
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ई.बी. टाइलर (E.B. Tylor) द्वारा दी गई एक व्यापक परिभाषा के अनुसार, संस्कृति में वह सब कुछ शामिल है जो व्यक्ति समाज के सदस्य के रूप में सीखता है और अपनाता है, जिसमें भौतिक और अभौतिक दोनों पहलू शामिल हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसमें रीति-रिवाज, भाषा, मूल्य, मानक, कला, प्रौद्योगिकी, संस्थाएं आदि शामिल हैं। संस्कृति को सीखा जाता है, साझा किया जाता है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) संस्कृति के केवल आंशिक या गलत प्रतिनिधित्व हैं। संस्कृति व्यापक है और इसमें भौतिक (material) और अभौतिक (non-material) दोनों तत्व शामिल हैं।
प्रश्न 16: सामाजिक नियंत्रण (Social Control) का वह कौन सा प्रकार है जो समाज में नियमों और अपेक्षाओं को लागू करने के लिए औपचारिक साधनों जैसे कानून, पुलिस और अदालतों पर निर्भर करता है?
- अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण (Informal Social Control)
- प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण (Direct Social Control)
- बाह्य सामाजिक नियंत्रण (External Social Control)
- औपचारिक सामाजिक नियंत्रण (Formal Social Control)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण में समाज के नियमों को लागू करने के लिए स्थापित संस्थाओं और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसमें सरकार, कानून, दंड व्यवस्था, स्कूल, चर्च आदि शामिल हैं। अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण में परिवार, मित्र, पड़ोसी आदि के माध्यम से सामाजिक दबाव, निंदा, या अनुमोदन का उपयोग होता है।
- गलत विकल्प: (a) अनौपचारिक नियंत्रण है। (b) और (c) बहुत सामान्य शब्द हैं और (d) सबसे सटीक वर्णन करता है।
प्रश्न 17: ‘कृषि और समाज‘ के संदर्भ में, ‘हरित क्रांति’ (Green Revolution) का भारत में समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
- किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि
- ग्रामीण ऋणग्रस्तता में कमी
- कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ क्षेत्रीय असमानताओं में वृद्धि
- भूमि सुधार को प्रोत्साहन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हरित क्रांति ने भारत में कृषि उत्पादन को बढ़ाया, लेकिन इसके लाभ समान रूप से वितरित नहीं हुए, जिससे कुछ क्षेत्रों और किसानों को अधिक फायदा हुआ, जबकि अन्य पिछड़ गए, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं में वृद्धि हुई।
- संदर्भ एवं विस्तार: नई बीज किस्मों, उर्वरकों और सिंचाई के प्रयोग से उत्पादकता बढ़ी, लेकिन इसके लिए अधिक पूंजी, प्रौद्योगिकी और पानी की आवश्यकता थी, जो छोटे या कम साधन वाले किसानों के लिए हमेशा उपलब्ध नहीं था।
- गलत विकल्प: किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि कई कारकों का परिणाम है, जिसमें हरित क्रांति का अनुचित कार्यान्वयन भी शामिल हो सकता है, लेकिन यह सीधा और एकमात्र प्रभाव नहीं है। इसने ग्रामीण ऋणग्रस्तता को कम करने के बजाय कुछ मामलों में बढ़ाया भी। भूमि सुधार को प्रत्यक्ष प्रोत्साहन नहीं मिला, बल्कि कुछ पुरानी प्रथाएं मजबूत हुईं।
प्रश्न 18: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
- समाज में व्यक्तियों की शारीरिक आवाजाही
- समय के साथ सामाजिक संरचना में परिवर्तन
- एक व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना
- सामाजिक वर्गों के बीच संबंध
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपने सामाजिक पदानुक्रम में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी गतिशीलता), नीचे की ओर (अधोगामी गतिशीलता) या क्षैतिज (horizontal) हो सकती है। इसमें पीढ़ीगत (intergenerational) और अंतःपीढ़ीगत (intragenerational) गतिशीलता शामिल हो सकती है।
- गलत विकल्प: (a) शारीरिक गतिशीलता है, सामाजिक नहीं। (b) सामाजिक परिवर्तन (social change) है। (d) सामाजिक संबंधों से संबंधित है।
प्रश्न 19: ‘ नगरीयता’ (Urbanism) की अवधारणा, जिसका अर्थ है शहरी जीवन की एक विशेष जीवन शैली, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- Émile Durkheim
- Max Weber
- Louis Wirth
- Robert Park
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लुईस बर्थ (Louis Wirth) ने अपने प्रसिद्ध निबंध ‘Urbanism as a Way of Life’ में नगरीयता की अवधारणा को विस्तृत रूप से समझाया।
- संदर्भ एवं विस्तार: बर्थ के अनुसार, शहरीकरण के कारण जनसंख्या का बड़ा आकार, घनत्व और विषमजातीयता (heterogeneity) व्यक्तियों के बीच संबंधों की प्रकृति को बदल देती है, जिससे अधिक सतही, क्षणिक और अनाम (anonymous) रिश्ते बनते हैं।
- गलत विकल्प: ड्यूरखाइम ने ‘सांस्कृतिक एकता’ (mechanical solidarity) और ‘विश्लेषणात्मक एकता’ (organic solidarity) की बात की, जो शहरीकरण से संबंधित हो सकती है। वेबर ने शहरों के विकास और तर्कसंगतता पर काम किया। रॉबर्ट पार्क शिकागो स्कूल के प्रमुख सदस्य थे जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन बर्थ ने ‘नगरीयता’ को एक विशिष्ट जीवन शैली के रूप में परिभाषित किया।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा ‘विज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Science) का एक महत्वपूर्ण विषय है?
- व्यक्तिगत वैज्ञानिक की प्रेरणाएँ
- वैज्ञानिक ज्ञान के उत्पादन और प्रसार को प्रभावित करने वाली सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिस्थितियाँ
- वैज्ञानिक सिद्धांतों की सत्यता
- वैज्ञानिक अनुसंधान के नैतिक पहलू
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विज्ञान का समाजशास्त्र यह अध्ययन करता है कि समाज विज्ञान को कैसे आकार देता है और विज्ञान समाज को कैसे प्रभावित करता है। यह वैज्ञानिक ज्ञान के उत्पादन, सत्यापन और अनुप्रयोग को सामाजिक संदर्भों में देखता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह इस बात का विश्लेषण करता है कि कैसे सामाजिक संरचनाएं, संस्थाएं, मूल्य और शक्ति संबंध वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा, सामग्री और स्वीकार्यता को प्रभावित करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत मनोविज्ञान से अधिक संबंधित है। (c) विज्ञान दर्शन (philosophy of science) का विषय है। (d) यह एक संबंधित क्षेत्र है, लेकिन मुख्य विषय नहीं।
प्रश्न 21: ‘जाति‘ प्रणाली के संदर्भ में, ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?
- एक ही गोत्र (Clan) में विवाह
- किसी विशेष जाति या उप-जाति के भीतर विवाह
- दो भिन्न जातियों के बीच विवाह
- किसी व्यक्ति की पसंद के अनुसार विवाह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अंतर्विवाह का अर्थ है कि व्यक्ति अपनी ही सामाजिक श्रेणी, विशेष रूप से अपनी जाति या उप-जाति के सदस्यों से ही विवाह करे।
- संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था में, अंतर्विवाह जाति की शुद्धता और अखंडता को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण नियम रहा है।
- गलत विकल्प: (a) सगोत्र विवाह (Exogamy of gotra) के विरुद्ध है। (c) अंतरजातीय विवाह (Inter-caste marriage) है। (d) प्रेम विवाह (Love marriage) या पसंद का विवाह है।
प्रश्न 22: ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का समाजशास्त्र में क्या सिद्धांत है, जैसा कि ऑगस्ट कॉम्प्टे (Auguste Comte) ने प्रस्तुत किया?
- समाज को व्यक्तिपरक अर्थों के माध्यम से समझना चाहिए।
- समाज का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की तरह वस्तुनिष्ठ और अनुभवजन्य तरीकों से किया जाना चाहिए।
- समाज में संघर्ष ही प्रगति का इंजन है।
- समाज को दार्शनिक और धार्मिक विचारों के आधार पर समझना चाहिए।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रत्यक्षवाद के अनुसार, समाज का वैज्ञानिक अध्ययन केवल उन घटनाओं पर आधारित होना चाहिए जिन्हें अनुभवजन्य रूप से देखा और मापा जा सके। इसने समाजशास्त्र को एक विज्ञान बनाने का लक्ष्य रखा।
- संदर्भ एवं विस्तार: कॉम्प्टे ने समाज के विकास के ‘तीन चरणों’ (theological, metaphysical, and positive) का वर्णन किया, और सकारात्मक (positive) चरण में वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: (a) वेबर के ‘वेरस्टेहेन’ से संबंधित है। (c) मार्क्सवादी या संघर्ष सिद्धांत से संबंधित है। (d) यह धर्मशास्त्रीय या तत्वमीमांसीय (metaphysical) चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 23: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का सबसे अच्छा वर्णन क्या है?
- व्यक्तियों का एक समूह जो एक विशिष्ट कार्य करता है।
- सामाजिक रूप से स्वीकृत और स्थापित पैटर्न, रीति-रिवाजों और व्यवहारों का एक समूह जो समाज की बुनियादी जरूरतों को पूरा करता है।
- शहरों में लोगों के रहने का तरीका।
- किसी विशेष जाति के लोगों का समूह।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक संस्थाएँ समाज की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित, व्यवस्थित और स्थायी पैटर्न हैं, जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था।
- संदर्भ एवं विस्तार: ये संस्थाएँ व्यवहार के नियम, भूमिकाएँ और अपेक्षाएँ निर्धारित करती हैं।
- गलत विकल्प: (a) एक समिति या संगठन हो सकता है, लेकिन आवश्यक रूप से एक संस्था नहीं। (c) नगरीयता का वर्णन है। (d) एक जाति समूह का वर्णन है।
प्रश्न 24: भारत में ‘आदिवासी समुदाय’ (Tribal Communities) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?
- बड़े पैमाने पर शहरीकरण
- स्पष्ट वर्ग विभाजन
- एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र, अलग संस्कृति और आर्थिक संबंध
- उच्च स्तर की सामाजिक गतिशीलता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आदिवासी समुदाय अपनी भौगोलिक निकटता, विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान (जैसे भाषा, रीति-रिवाज, विश्वास), और अक्सर अपनी विशिष्ट आर्थिक प्रणालियों से पहचाने जाते हैं, जो मुख्यधारा के समाज से भिन्न हो सकती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि उनकी परिभाषा में भिन्नता है, इन तत्वों को आमतौर पर आदिवासी समुदायों की पहचान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- गलत विकल्प: आदिवासी समुदाय अक्सर ग्रामीण या दूरस्थ क्षेत्रों में निवास करते हैं, शहरीकरण उनका मुख्य लक्षण नहीं है। उनके यहाँ वर्ग विभाजन मुख्यधारा समाज जैसा स्पष्ट या उतना प्रभावी नहीं होता। सामाजिक गतिशीलता भी अक्सर सीमित होती है।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक विभेदीकरण‘ (Social Differentiation) और ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) में मुख्य अंतर क्या है?
- विभेदीकरण में पदानुक्रम होता है, जबकि स्तरीकरण में नहीं।
- स्तरीकरण में पदानुक्रम होता है, जबकि विभेदीकरण में नहीं।
- विभेदीकरण केवल भौतिक संपत्ति से संबंधित है, जबकि स्तरीकरण सामाजिक प्रतिष्ठा से।
- दोनों अवधारणाएँ समान हैं और परस्पर विनिमय योग्य हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक विभेदीकरण का अर्थ है समाज के सदस्यों के बीच कार्यों, क्षमताओं या विशेषताओं के आधार पर अंतर करना, जैसे डॉक्टर, शिक्षक, किसान। यह अंतर पदानुक्रमित नहीं होता। सामाजिक स्तरीकरण में, ये अंतर पदानुक्रमित होते हैं, जिसमें कुछ समूह दूसरों से उच्च या निम्न स्थिति में रखे जाते हैं (जैसे वर्ग, जाति)।
- संदर्भ एवं विस्तार: स्तरीकरण में असमानता, शक्ति और विशेषाधिकार का वितरण शामिल होता है, जो विभेदीकरण में आवश्यक रूप से मौजूद नहीं होता।
- गलत विकल्प: (a) यह विपरीत है। (c) यह एक अति-सरलीकरण है; दोनों ही संपत्ति और प्रतिष्ठा दोनों से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन स्तरीकरण में पदानुक्रम मुख्य है। (d) ये दो भिन्न अवधारणाएँ हैं।