Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

समाजशास्त्र की परख: आपकी तैयारी का हर दिन

समाजशास्त्र की परख: आपकी तैयारी का हर दिन

नमस्ते, भावी समाजशास्त्रियों! आज की अपनी विशेष समाजशास्त्र प्रश्नोत्तरी के लिए तैयार हो जाइए। यह दैनिक अभ्यास सत्र आपकी अवधारणाओं को पैना करने, विभिन्न विषयों पर आपकी पकड़ को मज़बूत करने और परीक्षा के माहौल के लिए आपको तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। चलिए, आज ही अपनी विशेषज्ञता की परीक्षा लें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की अवधारणा का संबंध निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री से है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमीले दुर्खीम
  4. जी. एच. मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: एमीले दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ की अवधारणा पेश की, जो किसी समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए गए विश्वासों, नैतिकता और दृष्टिकोणों के कुल योग को दर्शाती है। यह समाज की एकजुटता का आधार है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ (समाज में श्रम विभाजन) में इस अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह विभिन्न समाजों में सामाजिक एकता की प्रकृति को समझने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘प्रोटस्टेंट एथिक्स’ और ‘ब्यूरोक्रेसी’ जैसे विषयों पर काम किया। जी. एच. मीड ‘सिम्बोलिक इंटरैक्शनिज़्म’ से जुड़े हैं।

प्रश्न 2: जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘संसकृति’ (Sanskritization) शब्द किसने गढ़ा?

  1. एम. एन. श्रीनिवास
  2. ई. ई. ईवांस-प्रिचार्ड
  3. बी. एस. गुहा
  4. इरावती कर्वे

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: एम. एन. श्रीनिवास, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने ‘संसकृति’ शब्द का प्रतिपादन किया। यह उस प्रक्रिया का वर्णन करता है जिसमें निचली जातियों या जनजातियाँ अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने के लिए उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार इस अवधारणा का प्रयोग किया। यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: ई. ई. ईवांस-प्रिचार्ड सामाजिक नृविज्ञान में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। बी. एस. गुहा ने भारतीय आबादी के नृवैज्ञानिक वर्गीकरण पर काम किया। इरावती कर्वे ने नातेदारी व्यवस्था पर महत्वपूर्ण शोध किया।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था समाजीकरण (Socialization) का प्राथमिक साधन मानी जाती है?

  1. शिक्षा
  2. परिवार
  3. संचार माध्यम
  4. धर्म

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: परिवार को समाजीकरण का प्राथमिक साधन माना जाता है क्योंकि यह वह पहली संस्था है जिसके संपर्क में एक बच्चा आता है। यहीं पर बच्चा बुनियादी मूल्य, भाषा, व्यवहार के पैटर्न और सामाजिक अपेक्षाएँ सीखता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज के मानदंडों और मूल्यों को सीखता है और उन्हें अपने व्यक्तित्व में शामिल करता है। परिवार इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • गलत विकल्प: शिक्षा, संचार माध्यम और धर्म भी समाजीकरण में योगदान करते हैं, लेकिन वे आमतौर पर द्वितीयक साधन माने जाते हैं, जो बच्चे के प्रारंभिक समाजीकरण के बाद शुरू होते हैं।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, ‘अलगाव’ (Alienation) का मुख्य कारण क्या है?

  1. बुर्जुआ वर्ग का प्रभुत्व
  2. पूंजीवादी उत्पादन की प्रणाली
  3. राज्य का हस्तक्षेप
  4. धार्मिक विश्वास

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत, श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, अपने साथी श्रमिकों और अपनी मानवीय क्षमता से अलग-थलग महसूस करता है। उत्पादन की प्रक्रिया पर उसका कोई नियंत्रण नहीं होता।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में अलगाव के चार मुख्य रूपों (उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव) का वर्णन किया।
  • गलत विकल्प: बुर्जुआ वर्ग का प्रभुत्व अलगाव का एक परिणाम या कारक हो सकता है, लेकिन अलगाव का मूल कारण उत्पादन की प्रणाली है। राज्य का हस्तक्षेप और धार्मिक विश्वास सीधे तौर पर मार्क्स द्वारा अलगाव के मूल कारण के रूप में नहीं पहचाने गए।

प्रश्न 5: ‘तार्किक-वैध अधिकार’ (Rational-Legal Authority) की अवधारणा किससे संबंधित है?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. एमिल दुर्खीम
  4. टॉल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: मैक्स वेबर ने सत्ता (Authority) के तीन मुख्य प्रकारों का वर्णन किया: करिश्माई, पारंपरिक और तार्किक-वैध। तार्किक-वैध अधिकार नियमों, विधियों और एक स्थापित कानूनी ढांचे पर आधारित होता है, जिसका पालन व्यवस्था के प्रति निष्ठा के कारण किया जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने अपनी कृति ‘Economy and Society’ में इन अवधारणाओं का विस्तार से विश्लेषण किया। आधुनिक नौकरशाही (Bureaucracy) तार्किक-वैध अधिकार का एक प्रमुख उदाहरण है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान आर्थिक शक्तियों पर था। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर काम किया। टॉल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और कार्यप्रणाली पर बल दिया।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का रूप नहीं है?

  1. दास प्रथा
  2. जाति
  3. वर्ग
  4. पड़ोस

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: पड़ोस (Neighborhood) एक भौगोलिक या सामाजिक क्षेत्र है, लेकिन यह सामाजिक स्तरीकरण का एक औपचारिक रूप नहीं है। सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों की पदानुक्रमित व्यवस्था है, जिसमें संसाधनों और शक्ति का असमान वितरण होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दास प्रथा, जाति और वर्ग तीनों ही सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख रूप हैं जो विभिन्न समाजों में पाए जाते हैं और व्यक्तिगत स्थिति, अवसर और जीवन शैली को प्रभावित करते हैं।
  • गलत विकल्प: दास प्रथा, जाति और वर्ग सभी समाज में धन, शक्ति और प्रतिष्ठा के असमान वितरण पर आधारित हैं, इसलिए वे स्तरीकरण के रूप हैं। पड़ोस में लोग एक साथ रह सकते हैं, लेकिन यह पदानुक्रम का प्रत्यक्ष माप नहीं है।

प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं?

  1. ऑगस्ट कॉम्टे
  2. हरबर्ट स्पेंसर
  3. जी. एच. मीड
  4. रॉबर्ट ई. पार्क

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उनका काम इस बात पर केंद्रित था कि कैसे व्यक्ति अपने सामाजिक वातावरण के साथ बातचीत के माध्यम से स्वयं का निर्माण करते हैं, प्रतीकों और उनके अर्थों का उपयोग करके।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड का दर्शन, विशेष रूप से ‘Mind, Self, and Society’ में प्रकाशित, इस बात पर प्रकाश डालता है कि सामाजिक दुनिया प्रतीकों (जैसे भाषा) के माध्यम से निर्मित होती है, जिसके द्वारा हम एक-दूसरे के कार्यों की व्याख्या करते हैं।
  • गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक पिता हैं। हरबर्ट स्पेंसर का ‘सामाजिक डार्विनवाद’ से संबंध है। रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे, लेकिन मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का केंद्रीय व्यक्ति माना जाता है।

  • प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा दुर्खीम के ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) से सबसे अधिक संबंधित है?

    1. विशेषज्ञता
    2. पारंपरिक समाज
    3. समानता
    4. प्रतियोगिता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: दुर्खीम के अनुसार, यांत्रिक एकता उन समाजों में पाई जाती है जहाँ लोगों के बीच समानता (समरूपता) होती है – वे समान विश्वास, मूल्य और जीवन शैली साझा करते हैं। यह एकता ‘समानता’ से उत्पन्न होती है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यांत्रिक एकता पारंपरिक या सरल समाजों की विशेषता है जहाँ श्रम विभाजन कम होता है। जैसे-जैसे समाज अधिक जटिल होता जाता है, श्रम विभाजन बढ़ता है और ‘सांगठनिक एकता’ (Organic Solidarity) का उदय होता है।
    • गलत विकल्प: विशेषज्ञता सांगठनिक एकता से जुड़ी है। प्रतिस्पर्धा भी सांगठनिक एकता में भूमिका निभा सकती है। पारंपरिक समाज में यांत्रिक एकता पाई जाती है, लेकिन इसका मूल कारण सदस्यों की समानता है।

    प्रश्न 9: भारतीय समाज में, ‘दहाज़ प्रतिषेध अधिनियम’ (Dowry Prohibition Act) किस वर्ष पारित किया गया?

    1. 1955
    2. 1961
    3. 1976
    4. 1984

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: भारत में दहेज की बुराई को रोकने के लिए ‘दहाज़ प्रतिषेध अधिनियम’ 1961 में पारित किया गया था। इस अधिनियम के तहत दहेज देना या लेना एक दंडनीय अपराध है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: हालाँकि अधिनियम 1961 में पारित हुआ था, लेकिन इसमें समय-समय पर संशोधन किए गए हैं (जैसे 1984, 1986) ताकि इसे और अधिक प्रभावी बनाया जा सके, खासकर दहेज हत्याओं के मामलों में।
    • गलत विकल्प: 1955 हिंदू विवाह अधिनियम से संबंधित है। 1976 में संशोधन किए गए थे। 1984 का संशोधन महत्वपूर्ण था, लेकिन मूल अधिनियम 1961 में आया।

    प्रश्न 10: ‘अभिजन वर्ग सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख समर्थकों में से कौन शामिल हैं?

    1. C. Wright Mills
    2. David Easton
    3. Alvin Gouldner
    4. Pierre Bourdieu

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: C. Wright Mills अपनी पुस्तक ‘The Power Elite’ (1956) में अमेरिकी समाज में शक्ति के अभिजन की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा करते हैं। वे मानते थे कि समाज पर कुछ शक्तिशाली व्यक्तियों का समूह शासन करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: अभिजन वर्ग सिद्धांत यह बताता है कि हर समाज में शक्ति का असमान वितरण होता है और एक छोटा, विशेषाधिकार प्राप्त समूह (अभिजन) महत्वपूर्ण निर्णय लेता है।
    • गलत विकल्प: David Easton राजनीतिक विज्ञान में ‘सिस्टम थ्योरी’ के लिए जाने जाते हैं। Alvin Gouldner समाजशास्त्र में ‘रिफ्लेक्सिव सोशियोलॉजी’ से जुड़े हैं। Pierre Bourdieu का काम ‘कंसुप्शन’ और ‘हैबिटस’ जैसी अवधारणाओं पर है, हालांकि वे भी शक्ति और सामाजिक वर्ग का विश्लेषण करते हैं।

    प्रश्न 11: ‘कार्यप्रणाली’ (Functionalism) के दृष्टिकोण से, समाज को एक _______ के रूप में देखा जाता है?

    1. संघर्ष का क्षेत्र
    2. एकजुटता का जटिल
    3. आपस में जुड़े भागों की प्रणाली
    4. प्रतीकों का रंगमंच

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: कार्यप्रणाली, विशेष रूप से संरचनात्मक कार्यप्रणाली, समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखती है जिसके विभिन्न भाग (संस्थाएँ, संरचनाएँ) एक साथ मिलकर काम करते हैं ताकि समाज की स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित हो सके।
    • संदर्भ एवं विस्तार: टालकॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन जैसे समाजशास्त्रियों ने इस दृष्टिकोण का विकास किया। वे प्रत्येक सामाजिक संस्था के ‘कार्य’ (function) का विश्लेषण करते हैं – यानी, समाज के कामकाज में वे क्या योगदान देते हैं।
    • गलत विकल्प: संघर्ष का क्षेत्र ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) से संबंधित है। एकजुटता का जटिल दुर्खीम के कार्यप्रणाली के शुरुआती चरणों से जुड़ा हो सकता है, लेकिन यह पूर्ण नहीं है। प्रतीकों का रंगमंच ‘नाटकीयता सिद्धांत’ (Dramaturgy) से संबंधित है।

    प्रश्न 12: ‘पाश्चात्त्यीकरण’ (Westernization) की अवधारणा भारतीय समाज के संदर्भ में किसने विकसित की?

    1. योगेंद्र सिंह
    2. आंद्रे बेतेई
    3. लुई ड्यूमॉन्ट
    4. एम. एन. श्रीनिवास

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘पाश्चात्त्यीकरण’ की अवधारणा का प्रयोग भारतीय समाज पर पश्चिमी प्रभाव, विशेषकर ब्रिटिश शासन के दौरान हुए सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने बताया कि कैसे ब्रिटिश संस्थानों, शिक्षा, न्याय प्रणाली, वेशभूषा, और जीवन शैली के कारण भारतीय समाज में महत्वपूर्ण बदलाव आए, जिससे लोगों के विचारों और व्यवहारों में पाश्चात्त्य तत्व शामिल हुए।
    • गलत विकल्प: योगेंद्र सिंह ने आधुनिकीकरण पर काम किया। आंद्रे बेतेई और लुई ड्यूमॉन्ट ने भी भारतीय समाज पर महत्वपूर्ण अध्ययन किए, लेकिन पाश्चात्त्यीकरण की अवधारणा का श्रीनिवास से सीधा संबंध है।

    प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन ‘द्वंद्ववाद’ (Dialectics) की विधि का मुख्य प्रस्तावक था, जिसका उपयोग मार्क्स ने समाज को समझने के लिए किया?

    1. इमानुएल कांट
    2. जी. डब्ल्यू. एफ. हेगेल
    3. जॉन लॉक
    4. डेविड ह्यूम

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: कार्ल मार्क्स ने जॉर्ज विल्हेल्म फ्रेडरिक हेगेल के द्वंद्ववाद को अपनाया और उसे ‘भौतिकवादी’ दृष्टिकोण में रूपांतरित किया। हेगेल का द्वंद्ववाद विचारों के विकास की व्याख्या करता था, जबकि मार्क्स ने इसे भौतिक और आर्थिक शक्तियों के संघर्ष पर लागू किया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स का ‘भौतिकवादी द्वंद्ववाद’ (Dialectical Materialism) समाज में परिवर्तन को उत्पादन की शक्तियों और उत्पादन संबंधों के बीच द्वंद्व के रूप में देखता है, जो अंततः वर्ग संघर्ष और क्रांति की ओर ले जाता है।
    • गलत विकल्प: कांट, लॉक और ह्यूम प्रमुख दार्शनिक थे, लेकिन द्वंद्ववाद की केंद्रीय विधि हेगेल से जुड़ी है, जिसे मार्क्स ने संशोधित किया।

    प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ है:

    1. एक समूह से दूसरे समूह में परिवर्तन
    2. समाज में व्यक्ति या समूह की स्थिति में परिवर्तन
    3. सामाजिक मानदंडों का परिवर्तन
    4. नए विचारों का प्रसार

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: सामाजिक गतिशीलता उस प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति या समूह समाज में अपनी वर्तमान स्थिति से किसी अन्य स्थिति में जाता है, चाहे वह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) हो या क्षैतिज (समान स्तर पर)।
    • संदर्भ एवं विस्तार: इसमें आय, शिक्षा, व्यवसाय या सामाजिक वर्ग में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। यह सामाजिक संरचना की खुलीपन या बंदपन का संकेतक है।
    • गलत विकल्प: एक समूह से दूसरे समूह में परिवर्तन (a) अधिक सामान्य है। सामाजिक मानदंडों का परिवर्तन (c) और नए विचारों का प्रसार (d) समाजीकरण या सामाजिक परिवर्तन के अन्य पहलू हैं, लेकिन सीधे तौर पर सामाजिक गतिशीलता को परिभाषित नहीं करते।

    प्रश्न 15: रॉबर्ट मर्टन द्वारा प्रस्तुत ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Functions) का संबंध किससे है?

    1. समाज की स्थापित संस्थाओं के उद्देश्यपूर्ण परिणाम
    2. अनपेक्षित और अघोषित परिणाम
    3. सामाजिक मूल्यों को बनाए रखने की प्रक्रिया
    4. सामाजिक विचलन के कारण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Functions) – जो किसी सामाजिक घटना के उद्देश्यपूर्ण, अपेक्षित परिणाम होते हैं – और ‘प्रच्छन्न कार्य’ – जो अनपेक्षित, अप्रत्यक्ष और अक्सर अघोषित परिणाम होते हैं – के बीच अंतर किया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य शिक्षा प्रदान करना है, जबकि एक प्रच्छन्न कार्य सामाजिक नेटवर्क बनाना या विवाह के अवसर प्रदान करना हो सकता है।
    • गलत विकल्प: (a) प्रकट कार्यों को परिभाषित करता है। (c) और (d) सीधे तौर पर मर्टन के प्रच्छन्न कार्य की अवधारणा से संबंधित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक व्यवस्था या विचलन के अन्य पहलुओं से जुड़ते हैं।

    प्रश्न 16: ‘गुलामी’ (Slavery) किस प्रकार की सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करती है?

    1. खुली व्यवस्था
    2. बंद व्यवस्था
    3. अभिजन व्यवस्था
    4. औपचारिक व्यवस्था

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: गुलामी एक अत्यंत बंद स्तरीकरण व्यवस्था है जहाँ व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से ही तय हो जाती है और इसमें किसी भी प्रकार की गतिशीलता की संभावना नगण्य होती है। गुलाम संपत्ति माने जाते हैं और उनका अपने जीवन पर कोई नियंत्रण नहीं होता।
    • संदर्भ एवं विस्तार: बंद व्यवस्थाओं में, जैसे जाति व्यवस्था और दास प्रथा, व्यक्तियों की स्थिति कठोर सामाजिक नियमों द्वारा निर्धारित होती है और जीवन भर अपरिवर्तित रहती है।
    • गलत विकल्प: खुली व्यवस्था (जैसे वर्ग व्यवस्था) में गतिशीलता की संभावना अधिक होती है। अभिजन व्यवस्था (a) एक विशेष वर्ग के प्रभुत्व को दर्शाती है, लेकिन गुलामी स्वयं एक बंद स्तरीकरण का रूप है। औपचारिक व्यवस्था (d) से इसका कोई सीधा संबंध नहीं है।

    प्रश्न 17: ‘नातेदारी’ (Kinship) के अध्ययन में ‘अविवाहित संबंध’ (Affinal Kinship) का क्या अर्थ है?

    1. रक्त संबंध
    2. विवाह द्वारा स्थापित संबंध
    3. गोद लेने से बने संबंध
    4. पड़ोसी संबंध

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: अविवाहित संबंध (Affinal Kinship) उन संबंधों को संदर्भित करता है जो विवाह के माध्यम से स्थापित होते हैं, जैसे कि पति-पत्नी, ससुर, सास, साला, ननद आदि।
    • संदर्भ एवं विस्तार: नातेदारी को दो मुख्य प्रकारों में बांटा जाता है: रक्त संबंध (Consanguineal Kinship), जो जन्म से होता है (जैसे माता-पिता, भाई-बहन), और अविवाहित संबंध (Affinal Kinship), जो विवाह से उत्पन्न होता है।
    • गलत विकल्प: रक्त संबंध (a) को ‘सगोत्र संबंध’ (Consanguineal) कहते हैं। गोद लेने से बने संबंध (c) को ‘संस्कारजन्य संबंध’ (Assumed Kinship) कह सकते हैं। पड़ोसी संबंध (d) नातेदारी का प्रकार नहीं है।

    प्रश्न 18: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का वह रूप जो अनौपचारिक माध्यमों जैसे प्रशंसा, निंदा, और सामाजिक बहिष्कार से उत्पन्न होता है, क्या कहलाता है?

    1. क़ानून
    2. पुलिस
    3. सामाजिक दबाव
    4. नोकरशाही

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: सामाजिक दबाव, जिसमें प्रशंसा (पुरस्कार) और निंदा (दंड) शामिल है, अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण का एक शक्तिशाली रूप है। यह समाज द्वारा अपने सदस्यों को मानदंडों का पालन करने के लिए प्रेरित करने का तरीका है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: अनौपचारिक नियंत्रण परिवार, मित्रों, पड़ोसियों और धार्मिक समूहों के माध्यम से कार्य करता है। यह अक्सर लिखित नियमों के बजाय सामाजिक अपेक्षाओं पर आधारित होता है।
    • गलत विकल्प: कानून (a) और पुलिस (b) औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं। नौकरशाही (d) एक संगठनात्मक संरचना है जो औपचारिक नियंत्रण में भूमिका निभा सकती है, लेकिन ‘सामाजिक दबाव’ स्वयं अनौपचारिक नियंत्रण की प्रक्रिया है।

    प्रश्न 19: ‘समूह पहचान’ (Group Identity) के निर्माण में निम्नलिखित में से कौन सा तत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?

    1. केवल व्यक्तिगत राय
    2. साझा अनुभव और संस्कृति
    3. प्रसारण माध्यमों का अभाव
    4. सरकार की नीतियां

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: समूह पहचान, यानी किसी विशेष समूह से संबंधित होने की भावना, अक्सर साझा अनुभवों, इतिहास, मूल्यों, विश्वासों और सांस्कृतिक प्रथाओं से उत्पन्न होती है। ये तत्व समूह के सदस्यों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: जब लोग समान पृष्ठभूमि, भाषा, धर्म या लक्ष्यों को साझा करते हैं, तो उनमें एक मजबूत समूह पहचान विकसित होने की संभावना अधिक होती है, जिससे ‘हम’ बनाम ‘वे’ की भावना पैदा होती है।
    • गलत विकल्प: केवल व्यक्तिगत राय (a) समूह पहचान के लिए पर्याप्त नहीं है। प्रसारण माध्यम (c) पहचान के निर्माण में महत्वपूर्ण हो सकते हैं, और उनका अभाव (अभाव) पहचान को सीधे परिभाषित नहीं करता। सरकारी नीतियां (d) प्रभाव डाल सकती हैं, लेकिन साझा अनुभव और संस्कृति अधिक मौलिक हैं।

    प्रश्न 20: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

    1. विलियम एफ. ओगबर्न
    2. एमीले दुर्खीम
    3. कार्ल मार्क्स
    4. हरबर्ट स्पेंसर

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: विलियम एफ. ओगबर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा पेश की।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा बताती है कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, गैजेट्स) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, नैतिकता, कानून, सामाजिक संस्थाएँ) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है। इसके परिणामस्वरूप समाज में सामंजस्य की कमी या ‘विलंब’ होता है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम, मार्क्स और स्पेंसर समाजशास्त्र के महान विचारक हैं, लेकिन सांस्कृतिक विलंब की विशेष अवधारणा ओगबर्न द्वारा दी गई है।

    प्रश्न 21: भारतीय समाज में, ‘पंचांग’ (Panchayat) मुख्य रूप से किस प्रकार की संस्था का प्रतिनिधित्व करता है?

    1. कानूनी प्रणाली
    2. धार्मिक संगठन
    3. सामुदायिक शासन और सामाजिक नियंत्रण
    4. शैक्षणिक संस्थान

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: पारंपरिक रूप से, ग्राम पंचायतें (Panchayats) भारतीय ग्रामीण समाजों में सामुदायिक शासन, स्थानीय विवादों को सुलझाने और सामाजिक मानदंडों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण संस्थाएँ रही हैं। वे सामाजिक नियंत्रण का एक अनौपचारिक माध्यम भी हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यद्यपि अब इन्हें कानूनी मान्यता प्राप्त है, फिर भी उनका मूल कार्य समुदाय के भीतर व्यवस्था और सामंजस्य बनाए रखना है।
    • गलत विकल्प: पंचायतें पूरी तरह से कानूनी प्रणाली (a) या केवल धार्मिक संगठन (b) नहीं हैं। वे एक शैक्षणिक संस्थान (d) भी नहीं हैं, हालांकि वे परंपराओं और नियमों को सिखा सकती हैं।

    प्रश्न 22: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘सैद्धांतिक ढांचा’ (Theoretical Framework) का क्या उद्देश्य होता है?

    1. केवल डेटा का संग्रह
    2. अनुसंधान को निर्देशित करने और व्याख्या करने के लिए एक वैचारिक आधार प्रदान करना
    3. निष्कर्षों को प्रस्तुत करने का एक तरीका
    4. एक सर्वेक्षण प्रश्नावली बनाना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: एक सैद्धांतिक ढांचा सामाजिक अनुसंधान को एक वैचारिक दिशा प्रदान करता है। यह उन सिद्धांतों, अवधारणाओं और तर्कों का एक सेट है जो यह बताते हैं कि शोधकर्ता समस्या को कैसे देखेगा, किन चर को मापेगा, और परिणामों की व्याख्या कैसे करेगा।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह शोध के ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का मार्गदर्शन करता है, जिससे यह अधिक सुसंगत और सार्थक बनता है।
    • गलत विकल्प: केवल डेटा का संग्रह (a) अनुसंधान का एक हिस्सा है, लेकिन सैद्धांतिक ढांचा इसे निर्देशित करता है। निष्कर्षों को प्रस्तुत करने का तरीका (c) रिपोर्टिंग का हिस्सा है। एक सर्वेक्षण प्रश्नावली बनाना (d) एक शोध उपकरण है, जो ढांचे के भीतर उपयोग किया जा सकता है।

    प्रश्न 23: ‘रैडक्लिफ-ब्राउन’ (Radcliffe-Brown) द्वारा प्रतिपादित ‘संरचनात्मक-प्रकार्यवादी’ (Structural-Functionalist) दृष्टिकोण का मुख्य बल किस पर था?

    1. सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया
    2. सामाजिक संरचना और समाज की स्थिरता
    3. व्यक्तिगत अनुभव और भावनाएँ
    4. वर्ग संघर्ष और क्रांति

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: ए. आर. रैडक्लिफ-ब्राउन, एक प्रमुख मानवशास्त्री, ने समाज को एक संरचना के रूप में देखा जिसके विभिन्न हिस्से (संस्थाएँ) एक साथ मिलकर समाज की समग्र स्थिरता और व्यवस्था को बनाए रखते हैं। उनका ध्यान समाजशास्त्र के बजाय मानवशास्त्र में सामाजिक संरचना के कामकाज पर था।
    • संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने ‘सामाजिक संरचना’ को व्यक्तियों के बीच संबंधों के एक स्थायी पैटर्न के रूप में परिभाषित किया जो समाज को बनाए रखते हैं। उनका मानना था कि सामाजिक संस्थाएं समाज की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करके उसकी स्थिरता में योगदान करती हैं।
    • गलत विकल्प: सामाजिक परिवर्तन (a) का अध्ययन काल मार्क्स जैसे चिंतकों का मुख्य क्षेत्र था। व्यक्तिगत अनुभव (c) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से संबंधित है। वर्ग संघर्ष (d) मार्क्स के सिद्धांत का मूल है।

    प्रश्न 24: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया का सबसे प्रमुख परिणाम क्या है?

    1. ग्रामीण जीवन शैली का प्रसार
    2. शहरी क्षेत्रों की ओर जनसंख्या का प्रवासन
    3. पारंपरिक सामाजिक बंधनों का मज़बूत होना
    4. कृषि उत्पादन में वृद्धि

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: शहरीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग बेहतर अवसरों की तलाश में शहरों की ओर पलायन करते हैं, जिससे शहरों की आबादी और महत्व में वृद्धि होती है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया अक्सर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को जन्म देती है, जो शहरों और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को प्रभावित करती है।
    • गलत विकल्प: ग्रामीण जीवन शैली का प्रसार (a) शहरीकरण का परिणाम नहीं है। पारंपरिक सामाजिक बंधनों का मज़बूत होना (c) अक्सर शहरीकरण के कारण कमजोर होता है। कृषि उत्पादन में वृद्धि (d) सीधे तौर पर शहरीकरण का परिणाम नहीं है, यद्यपि इससे अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकते हैं।

    प्रश्न 25: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के सिद्धांत में ‘आविष्कार’ (Invention) और ‘खोज’ (Discovery) किस प्रकार के परिवर्तन के घटक हैं?

    1. आर्थिक परिवर्तन
    2. सांस्कृतिक परिवर्तन
    3. राजनीतिक परिवर्तन
    4. जनसांख्यिकीय परिवर्तन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: आविष्कार (नए विचारों, उपकरणों या प्रथाओं का निर्माण) और खोज (पहले से मौजूद लेकिन अज्ञात चीजों का पता लगाना) दोनों ही सांस्कृतिक परिवर्तन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। वे समाज के ज्ञान, प्रौद्योगिकी और जीवन शैली को प्रभावित करते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: विलियम ओगबर्न ने आविष्कार और खोज को सांस्कृतिक परिवर्तन के मुख्य चालकों के रूप में पहचाना, जिनके कारण समाज में नए सांस्कृतिक तत्व जुड़ते हैं।
    • गलत विकल्प: ये परिवर्तन आर्थिक (a), राजनीतिक (c), या जनसांख्यिकीय (d) हो सकते हैं, लेकिन आविष्कार और खोज सीधे तौर पर संस्कृति के क्षेत्र में परिवर्तन लाते हैं, जो फिर अन्य क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं।

    Leave a Comment