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समाजशास्त्र की नींव हिला देने वाले प्रश्न: अपनी तैयारी को धार दें!

समाजशास्त्र की नींव हिला देने वाले प्रश्न: अपनी तैयारी को धार दें!

नमस्ते, भविष्य के समाजशास्त्री! आज की अपनी दैनिक अभ्यास प्रश्नोत्तरी के साथ अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को चुनौती देने के लिए तैयार हो जाइए। यह 25 प्रश्नों का सेट आपके अवधारणात्मक स्पष्टता, विश्लेषणात्मक कौशल और प्रमुख समाजशास्त्रीय सिद्धांतों की गहरी समझ का परीक्षण करेगा। चलिए, अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले चलते हैं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: मैक्स वेबर के अनुसार, समाजशास्त्रीय अध्ययन का प्राथमिक लक्ष्य क्या होना चाहिए?

  1. सामाजिक संरचनाओं का वस्तुनिष्ठ मापन
  2. सामाजिक क्रियाओं के अर्थों को समझना (Verstehen)
  3. समूहों के बीच संघर्ष का विश्लेषण
  4. सामाजिक व्यवस्था का कार्यात्मक विश्लेषण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने “वरस्टेहेन” (Verstehen) की अवधारणा पेश की, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह इस बात पर जोर देता है कि समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं के पीछे लोगों द्वारा लगाए गए व्यक्तिपरक अर्थों और उद्देश्यों को समझने का प्रयास करना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके व्याख्यात्मक समाजशास्त्र का केंद्र बिंदु है और उनके कार्य ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है, जो वस्तुनिष्ठता पर अधिक बल देता है।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिक संरचनाओं का वस्तुनिष्ठ मापन प्रत्यक्षवाद या संरचनात्मक कार्यात्मकता की ओर अधिक झुकाव है। (c) सामाजिक संघर्ष का विश्लेषण कार्ल मार्क्स के कार्य का मुख्य विषय है। (d) सामाजिक व्यवस्था का कार्यात्मक विश्लेषण दुर्खीम और पार्सन्स जैसे लोगों के कार्य से अधिक जुड़ा है।

प्रश्न 2: दुर्खीम के अनुसार, समाज में सामाजिक एकजुटता (social solidarity) का सबसे प्राथमिक आधार क्या है?

  1. साझा उद्देश्य
  2. सांस्कृतिक भिन्नता
  3. सामूहिक चेतना (Collective Conscience)
  4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम के लिए, ‘सामूहिक चेतना’ वह समग्रता है जिसमें एक समाज के सदस्यों के विश्वासों, मनोवृत्तियों और ज्ञान का योग शामिल होता है। यह वह सीमेंट है जो समाज को एक साथ बांधता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ में यांत्रिक एकता (mechanical solidarity) और साव्यवी एकता (organic solidarity) के बीच अंतर किया। यांत्रिक एकता में, सामूहिक चेतना मजबूत होती है, जबकि साव्यवी एकता में, यह व्यक्तिगत भिन्नताओं को समायोजित करने के लिए अधिक लचीली हो जाती है।
  • गलत विकल्प: (a) साझा उद्देश्य परिणाम हो सकता है, लेकिन प्राथमिक आधार नहीं। (b) सांस्कृतिक भिन्नता अक्सर सामाजिक एकता को चुनौती दे सकती है। (d) व्यक्तिगत स्वतंत्रता, विशेष रूप से आधुनिक समाजों में, साव्यवी एकता से जुड़ी है, लेकिन यह एकजुटता का प्राथमिक आधार नहीं है।

प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द किससे संबंधित है?

  1. पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
  2. निम्न जाति का उच्च जाति के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों को अपनाकर सामाजिक स्थिति में सुधार करना
  3. औद्योगीकरण के कारण सामाजिक परिवर्तन
  4. धर्मनिरपेक्षता की ओर झुकाव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: संस्किृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया शब्द, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निचली जाति या जनजाति एक उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विचारधाराओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने पहली बार अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में इस अवधारणा का प्रस्ताव रखा था। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता का।
  • गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण पश्चिमी सांस्कृतिक लक्षणों को अपनाने को संदर्भित करता है। (c) औद्योगीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जो विभिन्न सामाजिक परिवर्तनों की ओर ले जाती है, न कि केवल संस्किृतिकरण। (d) धर्मनिरपेक्षता का अर्थ धार्मिक प्रभाव का कम होना है, जो संस्किृतिकरण के विपरीत भी हो सकता है।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स ने किस शब्द का प्रयोग उन श्रमिकों की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जो अपने श्रम के उत्पाद, अपनी श्रम प्रक्रिया, अपनी प्रजातिगत प्रकृति और अन्य मनुष्यों से कट गए हैं?

  1. वर्ग चेतना (Class Consciousness)
  2. शोषण (Exploitation)
  3. अलगाव (Alienation)
  4. अतिरिक्त मूल्य (Surplus Value)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था के तहत, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, अपनी श्रम प्रक्रिया, अपनी मानव प्रकृति (मानवीय सार) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं। इसे ‘अलगाव’ (Alienation) कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘इकॉनॉमिक एंड फिलोसोफ़िकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में पाई जाती है। मार्क्स का मानना था कि अलगाव वर्ग संघर्ष का एक अनिवार्य परिणाम है।
  • गलत विकल्प: (a) वर्ग चेतना वह जागरूकता है जो श्रमिक अपनी साझा स्थिति और हितों के बारे में विकसित करते हैं। (b) शोषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पूंजीपति श्रमिक के श्रम के मूल्य का एक हिस्सा हड़प लेते हैं। (d) अतिरिक्त मूल्य वह मूल्य है जो श्रमिक उत्पादन के दौरान पैदा करता है, लेकिन उसे मजदूरी के रूप में नहीं मिलता।

प्रश्न 5: औद्योगिक समाज में, परिवार की संरचना में किस प्रकार का परिवर्तन देखा गया है, जो अक्सर छोटे, अधिक केंद्रित इकाइयों की ओर ले जाता है?

  1. संयुक्त परिवार (Joint Family)
  2. विस्तारित परिवार (Extended Family)
  3. नाभिकीय परिवार (Nuclear Family)
  4. पितृसत्तात्मक परिवार (Patriarchal Family)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: औद्योगीकरण, शहरीकरण और व्यक्तिगतकरण की प्रक्रियाओं ने पारंपरिक विस्तारित और संयुक्त परिवारों से नाभिकीय परिवारों (माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे) की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को बढ़ावा दिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: नाभिकीय परिवार आर्थिक रूप से अधिक गतिशील होते हैं और अक्सर बेहतर रोजगार के अवसरों के लिए आवागमन की सुविधा प्रदान करते हैं। यह बदलते सामाजिक और आर्थिक परिवेश के अनुकूलन का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) पारंपरिक परिवार संरचनाएं हैं जो औद्योगीकरण से पहले आम थीं। (d) पितृसत्तात्मकता परिवार की शक्ति संरचना से संबंधित है, न कि इसके आकार या संरचनात्मक प्रकार से, हालांकि नाभिकीय परिवारों में भी यह मौजूद हो सकती है।

प्रश्न 6: सामाजिक अनुसंधान में, ‘विश्वसनीयता’ (Reliability) का क्या अर्थ है?

  1. यह सुनिश्चित करना कि मापन वही माप रहा है जिसका वह दावा करता है।
  2. एक ही विधि का बार-बार प्रयोग करने पर समान परिणाम प्राप्त करना।
  3. शोधकर्ता का व्यक्तिगत पूर्वाग्रह कम होना।
  4. शोध निष्कर्षों की प्रासंगिकता।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विश्वसनीयता का तात्पर्य है कि यदि किसी अध्ययन को कई बार दोहराया जाए, तो उसके परिणाम सुसंगत और समान होंगे। यह मापन की स्थिरता और सटीकता से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: विश्वसनीयता को अक्सर ‘सटीकता’ (Precision) के रूप में देखा जाता है। यह मात्रात्मक अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण मानदंड है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘वैधता’ (Validity) को परिभाषित करता है, जो मापन की सटीकता से संबंधित है। (c) शोधकर्ता का पूर्वाग्रह कम होना ‘वस्तुनिष्ठता’ (Objectivity) से संबंधित है। (d) शोध निष्कर्षों की प्रासंगिकता ‘वैधता’ या ‘प्रासंगिकता’ (Relevance) से अधिक संबंधित है।

  • प्रश्न 7: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के चार कार्यात्मक पूर्व-आवश्यकताओं का एक मॉडल विकसित किया, जिसे उन्होंने AGIL योजना कहा। इसमें ‘I’ का क्या अर्थ है?

    1. Integration (एकीकरण)
    2. Intelligence (बुद्धिमत्ता)
    3. Institution (संस्था)
    4. Interest (हित)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: पार्सन्स की AGIL योजना में, A का अर्थ ‘अनुकूलन’ (Adaptation), G का अर्थ ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment), I का अर्थ ‘एकीकरण’ (Integration) और L का अर्थ ‘निहितार्थ/व्यवस्था संरक्षण’ (Latency/Pattern Maintenance) है। ‘I’ यानी एकीकरण, समाज के विभिन्न भागों को एक साथ जोड़ने और समन्वयित करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह मॉडल समाज को एक स्व-विनियमन प्रणाली के रूप में देखता है जो अपने सदस्यों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चार मुख्य कार्यों को करती है।
    • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) AGIL योजना के घटक नहीं हैं।

    प्रश्न 8: रॉबर्ट मर्टन ने ‘कार्य’ (Function) की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Functions) और ‘सुप्त कार्य’ (Latent Functions) के बीच अंतर किया। ‘सुप्त कार्य’ का सबसे अच्छा वर्णन क्या है?

    1. किसी सामाजिक संस्था या व्यवहार के इच्छित और प्रत्यक्ष परिणाम।
    2. किसी सामाजिक संस्था या व्यवहार के अनपेक्षित और अप्रत्यक्ष परिणाम।
    3. सामाजिक व्यवस्था के लिए हानिकारक परिणाम।
    4. दीर्घकालिक सामाजिक परिवर्तन के रुझान।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मर्टन के अनुसार, ‘सुप्त कार्य’ (Latent Functions) वे परिणाम हैं जो अनपेक्षित, अप्रत्यक्ष और अक्सर अज्ञात होते हैं, जो किसी सामाजिक क्रिया या संस्था से उत्पन्न होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, कॉलेज जाने का प्रकट कार्य शिक्षा प्राप्त करना और डिग्री अर्जित करना है, जबकि सुप्त कार्य नए दोस्त बनाना, सामाजिक नेटवर्क का विस्तार करना या टीम वर्क सीखना हो सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Functions) की परिभाषा है। (c) सामाजिक व्यवस्था के लिए हानिकारक परिणामों को ‘दुष्कार्य’ (Dysfunctions) कहा जाता है। (d) यह सामाजिक परिवर्तनों के व्यापक अवलोकन से संबंधित है।

  • प्रश्न 9: भारत में आर्थिक उदारीकरण (1991 के बाद) के परिणामस्वरूप किस प्रकार के सामाजिक परिवर्तन को बल मिला?

    1. संस्किृतिकरण में वृद्धि
    2. पश्चिमीकरण और आधुनिकीकरण में वृद्धि
    3. पारंपरिक जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
    4. ग्रामीण समुदायों का पूर्ण अलगाव

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1991 के बाद भारत में आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण ने पश्चिमी जीवन शैली, उपभोग पैटर्न और विचारों को अपनाने की प्रक्रिया को तेज किया है, जिसे पश्चिमीकरण और आधुनिकीकरण के रूप में देखा जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसने संचार, मीडिया और यात्रा के माध्यम से पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को बढ़ाया है, जिससे सामाजिक मूल्यों और व्यवहारों में बदलाव आया है।
  • गलत विकल्प: (a) संस्किृतिकरण अभी भी मौजूद है, लेकिन उदारीकरण का सीधा प्रभाव पश्चिमीकरण पर अधिक है। (c) जाति व्यवस्था जटिल रूप से बदल रही है, लेकिन उदारीकरण ने पारंपरिक बंधनों को शिथिल भी किया है। (d) वैश्वीकरण के कारण ग्रामीण समुदाय अलग-थलग रहने के बजाय बाहरी दुनिया से अधिक जुड़ गए हैं।

  • प्रश्न 10: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘स्व’ (Self) का विकास किस प्रक्रिया से होता है?

    1. प्रभुत्वशाली अन्य (Dominant Other) के साथ पहचान
    2. संकेतात्मक अन्य (Significant Other) के साथ बातचीत
    3. ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच द्वंद्व
    4. सामाजिक खेल और भूमिका ग्रहण (Role-taking)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के अनुसार, ‘स्व’ (Self) का विकास सामाजिक अंतःक्रिया, विशेष रूप से ‘अन्य की भूमिका ग्रहण’ (Taking the Role of the Other) और ‘खेल’ (Play) और ‘खेल’ (Game) के माध्यम से होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: खेल के चरण में, बच्चा विशिष्ट व्यक्तियों की भूमिकाओं को अपनाना सीखता है, जबकि खेल के चरण में, वह ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) के दृष्टिकोण को सीखता है, जो समाज की सामान्य अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ‘अन्य की भूमिका ग्रहण’ एक व्यापक अवधारणा है। (c) ‘मैं’ और ‘मुझे’ ‘स्व’ के दो पहलू हैं, लेकिन उनका विकास (d) के माध्यम से होता है।

  • प्रश्न 11: जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) ने सामाजिक अंतःक्रिया के अध्ययन में समूह के आकार के महत्व पर जोर दिया। दो व्यक्तियों के समूह को क्या कहा जाता है?

    1. त्रय (Triad)
    2. द्वंद्व (Dyad)
    3. सामाजिक दूरी (Social Distance)
    4. अजनबी (Stranger)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज सिमेल ने समाजशास्त्र में ‘द्वंद्व’ (Dyad) और ‘त्रय’ (Triad) जैसे सामाजिक समूहों के आकार के प्रभाव का विश्लेषण किया। द्वंद्व दो व्यक्तियों का एक समूह है, जो सबसे सरल सामाजिक रूप है, और इसमें एक अनूठी निकटता और नाजुकता होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सिमेल का तर्क था कि त्रय के प्रवेश से समूह की गतिशीलता बदल जाती है, जो मध्यस्थता, विभाजन या संतुलन की अनुमति दे सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) त्रय तीन व्यक्तियों का समूह है। (c) सामाजिक दूरी व्यक्तियों या समूहों के बीच मनोवैज्ञानिक अलगाव की डिग्री को संदर्भित करती है। (d) ‘अजनबी’ सिमेल द्वारा विश्लेषणित एक विशिष्ट सामाजिक प्रकार है, न कि समूह का आकार।

  • प्रश्न 12: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द एलिमेंट्री फॉर्म्स ऑफ रिलीजियस लाइफ’ में धर्म को समाज में किस भूमिका से जोड़ा?

    1. व्यक्तिगत भय को दूर करना
    2. सामाजिक नियंत्रण को मजबूत करना
    3. सामूहिक चेतना और सामाजिक एकजुटता को सुदृढ़ करना
    4. धार्मिक अनुभव का अलौकिक से संबंध

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: दुर्खीम ने तर्क दिया कि धर्म समाज में एकता और सामंजस्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। पवित्र और अपवित्र के बीच अंतर, और सामूहिक समारोह (जैसे टोटीवाद) समाज के सदस्यों के बीच साझा विश्वासों और मूल्यों को मजबूत करते हैं, जिससे सामूहिक चेतना और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने धर्म को सामाजिक जीवन का एक ‘सामूहिक प्रस्फुटन’ (Collective Effervescence) माना, जो समाज की ही अभिव्यक्ति है।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) धर्म के व्यक्तिगत या अलौकिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि दुर्खीम का ध्यान समाजशास्त्रीय कार्य पर था। (b) सामाजिक नियंत्रण एक परिणाम हो सकता है, लेकिन दुर्खीम के लिए प्राथमिक कार्य सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देना था।

  • प्रश्न 13: भारत में आदिवासी समुदायों को अक्सर किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

    1. विकासशील समाजों में पूर्ण समावेश
    2. भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के कारण पहचान का संकट
    3. आधुनिक शिक्षा प्रणाली से सहज अनुकूलन
    4. बाहरी दुनिया से पूर्ण अलगाव

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विकास परियोजनाओं, औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण आदिवासी अपनी पारंपरिक भूमि और संसाधनों से विस्थापित हो जाते हैं। यह अक्सर उनकी सांस्कृतिक पहचान, आजीविका और सामाजिक संरचनाओं के लिए एक बड़ा संकट पैदा करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में आदिवासी समुदायों की स्थिति उनके इतिहास, उनकी भूमि से जुड़ाव और औपनिवेशिक और उसके बाद के राज्य की नीतियों से गहराई से प्रभावित हुई है।
  • गलत विकल्प: (a) समावेश अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है, न कि पूर्ण। (c) आधुनिक शिक्षा प्रणाली को अपनाना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें अक्सर सांस्कृतिक टकराव शामिल होता है। (d) आदिवासी समुदाय बाहरी दुनिया से अलग-थलग नहीं हैं, बल्कि अक्सर उससे प्रभावित और शोषित होते हैं।

  • प्रश्न 14: सामाजिक अनुसंधान की किस विधि में शोधकर्ता स्वयं अध्ययन किए जा रहे समूह के सदस्य के रूप में भाग लेता है और अवलोकन करता है?

    1. सर्वेक्षण (Survey)
    2. केस स्टडी (Case Study)
    3. नृवंशविज्ञान (Ethnography) / सहभागी अवलोकन (Participant Observation)
    4. सामग्री विश्लेषण (Content Analysis)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: नृवंशविज्ञान (Ethnography) या सहभागी अवलोकन (Participant Observation) एक गुणात्मक अनुसंधान विधि है जिसमें शोधकर्ता किसी विशेष समुदाय या संस्कृति को गहराई से समझने के लिए उसमें सक्रिय रूप से भाग लेता है और उसका अवलोकन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विधि अक्सर लंबे समय तक चलती है और इसका उद्देश्य अध्ययन किए जा रहे लोगों के दृष्टिकोण और अनुभवों को अंदर से समझना होता है।
  • गलत विकल्प: (a) सर्वेक्षण आमतौर पर बड़ी आबादी से डेटा एकत्र करने के लिए प्रश्नावली का उपयोग करते हैं। (b) केस स्टडी किसी विशेष व्यक्ति, घटना या समूह का गहन विश्लेषण है। (d) सामग्री विश्लेषण लिखित या दृश्य सामग्री का विश्लेषण है।

  • प्रश्न 15: हर्बर्ट स्पेंसर, जिन्हें अक्सर ‘समाजशास्त्रीय डार्विनवादी’ कहा जाता है, ने समाज के विकास को किस सिद्धांत के माध्यम से समझाया?

    1. सामाजिक विकास (Social Evolution)
    2. योग्यतम की उत्तरजीविता (Survival of the Fittest)
    3. जैविक सादृश्य (Organic Analogy)
    4. समाजवाद (Socialism)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: हर्बर्ट स्पेंसर ने समाज को एक जटिल, एकीकृत प्रणाली के रूप में देखा जो सरल से जटिल रूपों में विकसित होती है, ठीक उसी तरह जैसे एक जैविक जीव। उन्होंने इस तुलना को ‘जैविक सादृश्य’ (Organic Analogy) कहा।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ (Survival of the Fittest) की अवधारणा का भी समाज पर विस्तार से प्रयोग किया, जो उनके सामाजिक विकास के विचारों का एक प्रमुख हिस्सा बन गया।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिक विकास एक व्यापक शब्द है, जबकि जैविक सादृश्य स्पेंसर का विशिष्ट दृष्टिकोण था। (b) योग्यतम की उत्तरजीविता उनके जैविक सादृश्य का एक परिणाम और अंग था। (d) समाजवाद स्पेंसर के विचारों के विपरीत था, जो अहस्तक्षेप (laissez-faire) की वकालत करते थे।

  • प्रश्न 16: कार्ल मार्क्स के अनुसार, सर्वहारा वर्ग (proletariat) को अपने वर्ग हितों और मुक्ति की संभावना के बारे में अज्ञानता में रखने वाली प्रमुख शक्ति को क्या कहा जाता है?

    1. वर्ग चेतना (Class Consciousness)
    2. विचारधारा (Ideology)
    3. मिथ्या चेतना (False Consciousness)
    4. क्रांति (Revolution)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘मिथ्या चेतना’ (False Consciousness) वह स्थिति है जहाँ श्रमिक अपने वास्तविक वर्ग हितों को समझने में असमर्थ होते हैं या बुर्जुआ वर्ग द्वारा प्रचारित भ्रामक विचारों को स्वीकार कर लेते हैं, जिससे वे अपने शोषण को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीपति वर्ग की ‘विचारधारा’ (Ideology) उत्पादन का माध्यम बन जाती है जो समाज पर हावी रहती है और श्रमिकों में मिथ्या चेतना पैदा करती है।
  • गलत विकल्प: (a) वर्ग चेतना वह स्थिति है जब श्रमिक अपने वास्तविक वर्ग हितों को पहचान लेते हैं। (b) विचारधारा वह विचार प्रणाली है जो प्रभुत्व वर्ग द्वारा फैलाई जाती है। (d) क्रांति मिथ्या चेतना को दूर करने और वर्ग चेतना प्राप्त करने का परिणाम हो सकती है।

  • प्रश्न 17: भारतीय समाज में, ‘वर्ण’ (Varna) और ‘जाति’ (Jati) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

    1. वर्ण एक विस्तृत, सैद्धांतिक पदानुक्रम है, जबकि जाति एक संकीर्ण, व्यावहारिक, अंतःप्रजनन समूह है।
    2. जाति वर्णों का एक उप-विभाजन है।
    3. वर्ण मुख्य रूप से व्यवसाय पर आधारित है, जबकि जाति पर आधारित है।
    4. वर्ण हमेशा जन्म से तय होता है, जबकि जाति को अर्जित किया जा सकता है।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘वर्ण’ (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) चार-स्तरीय, सैद्धांतिक और पदानुक्रमित सामाजिक विभाजन हैं जो प्राचीन ग्रंथों में वर्णित हैं। ‘जाति’ (Jati) हजारों छोटे, अंतःप्रजनन (endogamous) समूह हैं जो स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर अधिक व्यावहारिक और कार्यात्मक हैं, और अक्सर एक विशिष्ट व्यवसाय या शिल्प से जुड़े होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि ऐतिहासिक रूप से वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था के बीच संबंध स्थापित किया गया है, लेकिन आधुनिक भारतीय समाज में जाति अधिक प्रत्यक्ष और प्रभावी भूमिका निभाती है।
  • गलत विकल्प: (b) जाति वर्णों का उप-विभाजन से कहीं अधिक जटिल है, हालांकि कुछ संबंध मौजूद हैं। (c) वर्ण मुख्य रूप से जन्म और कर्म पर आधारित है, न कि केवल व्यवसाय पर। जाति व्यवसाय से जुड़ी हो सकती है, लेकिन यह अंततः जन्म पर आधारित है। (d) दोनों ही मुख्य रूप से जन्म पर आधारित हैं।

  • प्रश्न 18: भारतीय सामाजिक व्यवस्था में ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का प्राथमिक कार्य क्या था?

    1. भूमि का पुनः वितरण
    2. पारस्परिक सेवा और वस्तुओं का विनिमय
    3. अंतर-जातीय विवाह को बढ़ावा देना
    4. पूरी तरह से बाजार-आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जजमानी प्रणाली एक पारंपरिक भारतीय सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी जिसमें विभिन्न जातियों के बीच पारस्परिक सेवा और वस्तुओं का विनिमय शामिल था। सेवा प्रदाता (जैसे नाई, धोबी, लोहार) अपनी सेवाओं के बदले में सेवा प्राप्तकर्ताओं (आमतौर पर कृषक या भूस्वामी) से निर्धारित भुगतान (अक्सर अनाज के रूप में) प्राप्त करते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली पारंपरिक भारतीय गांवों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना का आधार थी, जो जाती आधारित श्रम विभाजन और निर्भरता पर टिकी थी।
  • गलत विकल्प: (a) जजमानी प्रणाली का मुख्य कार्य भूमि का पुनः वितरण नहीं था। (c) यह प्रणाली अंतःप्रजनन (endogamy) को मजबूत करती थी, अंतर-जातीय विवाह को नहीं। (d) यह एक पारंपरिक, गैर-बाजार प्रणाली थी।

  • प्रश्न 19: अगस्टे कॉम्टे ने समाजशास्त्र के विकास में किस ‘तीन चरणों के नियम’ (Law of Three Stages) का प्रस्ताव रखा?

    1. धार्मिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक
    2. सैद्धांतिक, अनुभवजन्य, व्यावहारिक
    3. धार्मिक (Theological), पारलौकिक (Metaphysical), और प्रत्यक्षवादी (Positive)
    4. भौतिकवादी, आदर्शवादी, द्वैतवादी

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: अगस्टे कॉम्टे, जिन्हें समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, का मानना था कि मानव समाज और ज्ञान तीन चरणों से गुजरता है: धार्मिक (अलौकिक शक्तियों द्वारा स्पष्टीकरण), पारलौकिक (अमूर्त शक्तियों या सार द्वारा स्पष्टीकरण), और प्रत्यक्षवादी (वैज्ञानिक अवलोकन और तर्क पर आधारित)।
  • संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे ने समाजशास्त्र को इन तीनों चरणों की अंतिम और उच्चतम अभिव्यक्ति के रूप में देखा, जो वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प ज्ञान या समाज के विकास के विभिन्न पहलुओं का वर्णन कर सकते हैं, लेकिन कॉम्टे का नियम विशिष्ट रूप से (c) है।

  • प्रश्न 20: दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

    1. जब समाज में सामाजिक नियंत्रण बहुत मजबूत होता है।
    2. जब सामाजिक नियम और मानक कमजोर या अनुपस्थित होते हैं, जिससे अनिश्चितता और अव्यवस्था उत्पन्न होती है।
    3. जब व्यक्ति समाज से पूरी तरह से अलग-थलग महसूस करते हैं।
    4. जब विभिन्न सामाजिक वर्ग दृढ़ता से विभाजित होते हैं।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘एनोमी’ (Anomie) एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक मानदंड और मूल्य या तो कमजोर हो जाते हैं या पूरी तरह से गायब हो जाते हैं। यह अक्सर तेजी से सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या व्यक्तिगत स्वतंत्रता में अत्यधिक वृद्धि के दौरान होता है, जिससे व्यक्ति को दिशाहीनता का अनुभव होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने आत्महत्या (Suicide) के विश्लेषण में इस अवधारणा का विशेष रूप से उपयोग किया।
  • गलत विकल्प: (a) यह अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण को दर्शाता है। (c) यह मार्क्स के ‘अलगाव’ (Alienation) से अधिक संबंधित है। (d) यह वर्ग संघर्ष से संबंधित है।

  • प्रश्न 21: शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों (जैसे रॉबर्ट पार्क) ने शहरी जीवन के अध्ययन में किस प्रमुख दृष्टिकोण का उपयोग किया?

    1. सामूहिकता (Gemeinschaft)
    2. मानव पारिस्थितिकी (Human Ecology)
    3. सामाजिक पूंजी (Social Capital)
    4. विभाजन (Segregation)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों ने शहरों को एक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में देखा, जहाँ विभिन्न समूह और संस्थाएँ स्थान, प्रतिस्पर्धा और क्षेत्र के लिए संघर्ष करती हैं। उन्होंने इस दृष्टिकोण को ‘मानव पारिस्थितिकी’ (Human Ecology) कहा।
  • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण का उपयोग उन्होंने शहरीकरण, अपराध, प्रवासन और सामाजिक विघटन जैसे शहरी मुद्दों को समझने के लिए किया।
  • गलत विकल्प: (a) सामूहिक (Gemeinschaft) और (b) समुदाय (Gesellschaft) फ़र्डिनेंड टोनीज़ द्वारा दी गई अवधारणाएँ हैं जो पारंपरिक और आधुनिक समाजों की विशेषता बताती हैं। (c) सामाजिक पूंजी बाद की एक अवधारणा है, हालांकि यह शहरी अध्ययन से संबंधित हो सकती है। (d) विभाजन मानव पारिस्थितिकी का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह मुख्य दृष्टिकोण नहीं है।

  • प्रश्न 22: समाजशास्त्र में ‘पूर्ण गरीबी’ (Absolute Poverty) का क्या अर्थ है?

    1. अन्य लोगों की तुलना में कम आय होना।
    2. बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं (जैसे भोजन, आश्रय, वस्त्र) को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी।
    3. गरीबी का सांस्कृतिक रूप से सीखा हुआ व्यवहार।
    4. पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही गरीबी।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पूर्ण गरीबी का तात्पर्य उस स्थिति से है जब कोई व्यक्ति या परिवार अपने अस्तित्व के लिए आवश्यक बुनियादी जीवन-निर्वाह वस्तुओं (जैसे पर्याप्त भोजन, साफ पानी, स्वच्छ आश्रय, आवश्यक वस्त्र, स्वास्थ्य सेवा) को प्राप्त करने में असमर्थ होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह आय के स्तर से स्वतंत्र एक वस्तुनिष्ठ माप है, जो जीवन रक्षा की न्यूनतम आवश्यकता पर केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘सापेक्ष गरीबी’ (Relative Poverty) की परिभाषा है। (c) यह ‘गरीबी का संस्कृति’ (Culture of Poverty) सिद्धांत से संबंधित है, जिसे ऑस्कर लुईस ने विकसित किया था। (d) यह ‘पीढ़ीगत गरीबी’ (Generational Poverty) को दर्शाता है।

  • प्रश्न 23: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने समाज में शक्ति और असमानता का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न प्रकार की ‘पूंजी’ (Capital) की अवधारणा विकसित की। ‘सांस्कृतिक पूंजी’ (Cultural Capital) में क्या शामिल है?

    1. वित्तीय संपत्ति और आय।
    2. सामाजिक नेटवर्क और संबंध।
    3. ज्ञान, शिक्षा, कौशल, शिष्टाचार और सांस्कृतिक वस्तुओं पर स्वामित्व।
    4. भौतिक संसाधन और उत्पादन के साधन।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बॉर्डियू के अनुसार, सांस्कृतिक पूंजी में ज्ञान, शिक्षा, कौशल, भाषा, शिष्टाचार, कलात्मक क्षमताएं और सांस्कृतिक वस्तुएं शामिल हैं जो किसी व्यक्ति को सामाजिक पदानुक्रम में लाभ पहुंचाती हैं। यह अक्सर शिक्षा प्रणाली के माध्यम से प्रसारित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने आर्थिक पूंजी (धन) और सामाजिक पूंजी (नेटवर्क) के साथ-साथ सांस्कृतिक पूंजी को भी महत्वपूर्ण माना, जो सामाजिक स्तरीकरण को बनाए रखने में भूमिका निभाती है।
  • गलत विकल्प: (a) आर्थिक पूंजी है। (b) सामाजिक पूंजी है। (d) यह आर्थिक पूंजी या उत्पादन के साधनों से संबंधित है।

  • प्रश्न 24: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय गांवों के अपने अध्ययन में ‘प्रभावी जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा प्रस्तुत की। प्रभावी जाति की मुख्य विशेषता क्या है?

    1. सबसे बड़ी संख्या वाली जाति
    2. उच्चतम पदानुक्रम वाली जाति
    3. गाँव में पर्याप्त भूमि स्वामित्व और संख्यात्मक प्रभुत्व के आधार पर राजनीतिक और आर्थिक शक्ति रखने वाली जाति
    4. केवल पारंपरिक अनुष्ठानों का पालन करने वाली जाति

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: श्रीनिवास के अनुसार, ‘प्रभावी जाति’ वह जाति है जो गाँव के भूमि स्वामित्व, संख्यात्मक बल और आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के मामले में सबसे प्रमुख होती है। इस जाति का गाँव के सामाजिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह जरूरी नहीं कि पदानुक्रम में सबसे ऊंची जाति हो, लेकिन इसके पास गांव में निर्णय लेने की वास्तविक शक्ति होती है।
  • गलत विकल्प: (a) केवल सबसे बड़ी जाति प्रभावी नहीं हो सकती। (b) पदानुक्रम में सबसे ऊंची जाति के पास आवश्यक रूप से आर्थिक या राजनीतिक शक्ति नहीं हो सकती है। (d) अनुष्ठानों का पालन करना केवल एक पहलू है, शक्ति संरचना को नहीं दर्शाता।

  • प्रश्न 25: जॉर्ज रिज़र (George Ritzer) ने अपनी पुस्तक ‘द मैक्डोनल्डाइजेशन ऑफ सोसाइटी’ में किस प्रक्रिया का वर्णन किया है?

    1. वैश्वीकरण के कारण संस्कृतियों का संलयन।
    2. सामाजिक आंदोलनों का प्रसार।
    3. पैट्रिक-डे, हैम्बर्गर, फ्रेंच फ्राइज़ और मिल्कशेक जैसे फास्ट-फूड रेस्तरां के सिद्धांतों और तर्कसंगतता का समाज के अन्य क्षेत्रों में विस्तार।
    4. ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में प्रवासन।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज रिज़र ने ‘मैक्डोनल्डाइजेशन’ शब्द का प्रयोग उन सिद्धांतों (जैसे दक्षता, भविष्यवाणी, मात्रात्मकता और गैर-मानवीकरण) के समाज के अन्य क्षेत्रों, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और मनोरंजन में विस्तार का वर्णन करने के लिए किया है, जो फास्ट-फूड उद्योग की विशेषताएँ हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक आधुनिक वैचारिक शब्द है जो तर्कसंगतता और मानकीकरण के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह वैश्वीकरण का एक पहलू हो सकता है, लेकिन मैक्डोनल्डाइजेशन का विशिष्ट वर्णन नहीं है। (b) सामाजिक आंदोलनों का प्रसार एक अलग विषय है। (d) यह प्रवासन से संबंधित है, न कि तर्कसंगतता के प्रसार से।
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