समाजशास्त्र की धुरी: महत्वपूर्ण अवधारणाओं का दैनिक मंथन
तैयारी के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर, आइए अपनी समाजशास्त्रीय समझ को और पैना करें! आज का यह प्रश्नोत्तरी आपको मुख्य समाजशास्त्रीय सिद्धांतों, विचारकों और भारतीय समाज के विशिष्ट पहलुओं पर गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करेगा। अपनी संकल्पनाओं को परखें और ज्ञान के इस दैनिक महायज्ञ में आहुति दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा, जिसे वस्तुनिष्ठ रूप से बाहरी और व्यक्ति पर बाध्यकारी माना जाता है, किस समाजशास्त्री द्वारा प्रतिपादित की गई है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमील दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: एमील दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा पेश की। उन्होंने इसे ‘तरीके से सोचने, महसूस करने और कार्य करने के बाहरी तरीके, जो व्यक्ति पर बाध्यकारी शक्ति रखते हैं’ के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के लिए, सामाजिक तथ्य प्राथमिक रूप से समाज की संरचना और कार्यप्रणाली से उत्पन्न होते हैं, न कि व्यक्तिगत चेतना से। वे समाज के व्यक्ति से ऊपर होने पर जोर देते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर ध्यान केंद्रित करते थे। मैक्स वेबर ने ‘सब्जेक्टिव मीनिंग’ (subjective meaning) और ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का समर्थन किया।
प्रश्न 2: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से, “अभिजात्य वर्ग” (Elite) की अवधारणा का अर्थ क्या है?
- समाज का सबसे गरीब वर्ग
- विशेष विशेषाधिकार प्राप्त और प्रभावशाली समूह
- समाज का औसत नागरिक
- ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: समाजशास्त्र में, अभिजात्य वर्ग (Elite) से तात्पर्य समाज के उस छोटे, शक्तिशाली और प्रभावशाली समूह से है जो राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य क्षेत्रों में उच्च पदों पर आसीन होता है और समाज की दिशा को प्रभावित करता है। विल्फ्रेडो परेटो, गायेटानो मोस्का और सी. राइट मिल्स जैसे विचारकों ने इस पर विस्तार से चर्चा की है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक ‘द पावर एलीट’ (The Power Elite) में अमेरिकी समाज में सैन्य, कॉर्पोरेट और राजनीतिक अभिजात्य वर्ग के संलयन का वर्णन किया। ये समूह निर्णय लेने की प्रक्रिया में अत्यधिक शक्ति रखते हैं।
- गलत विकल्प: समाज का सबसे गरीब वर्ग ‘वंचित वर्ग’ या ‘निम्न वर्ग’ कहलाता है। औसत नागरिक ‘सामान्य’ या ‘जनसाधारण’ वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ‘ग्रामीण समुदाय’ का हिस्सा होते हैं, भले ही उनमें अभिजात्य वर्ग के सदस्य हों।
प्रश्न 3: पश्चिमीकरण (Westernization) की अवधारणा, जैसा कि एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज के संदर्भ में प्रयोग किया है, मुख्य रूप से किस प्रकार के परिवर्तन को इंगित करती है?
- धार्मिक आधुनिकीकरण
- तकनीकी उन्नति
- पश्चिमी संस्कृति, जीवन शैली और व्यवहारों को अपनाना
- जाति व्यवस्था का उन्मूलन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: एम. एन. श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण को ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीयों द्वारा पश्चिमी जीवन शैली, रीति-रिवाजों, प्रौद्योगिकी, विचारों और संस्थानों को अपनाने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया। यह सांस्कृतिक और व्यवहारिक परिवर्तन पर केंद्रित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने इस शब्द का प्रयोग 1960 के दशक में किया और यह संस्कृतिकरण (Sanskritization) के विपरीत एक अवधारणा है, जो भारतीय संदर्भ में ऊँची जातियों के अनुकरण को दर्शाती है।
- गलत विकल्प: धार्मिक आधुनिकीकरण या तकनीकी उन्नति ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) के व्यापक पहलू हैं। जाति व्यवस्था का उन्मूलन सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों का परिणाम हो सकता है, न कि केवल पश्चिमीकरण का।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा कार्ल मार्क्स के वर्ग संघर्ष (Class Struggle) के सिद्धांत का मूल तत्व है?
- सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
- अनुकूलन (Adaptation)
- उत्पादन के साधनों का स्वामित्व (Ownership of the Means of Production)
- सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: कार्ल मार्क्स के अनुसार, उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, कारखाने, मशीनें) के स्वामित्व पर आधारित सामाजिक वर्गों के बीच अंतर्निहित संघर्ष ही इतिहास का मुख्य चालक है। बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) उत्पादन के साधनों का मालिक होता है, जबकि सर्वहारा (मजदूर वर्ग) अपनी श्रम शक्ति बेचता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स का मानना था कि पूंजीवादी समाज में बुर्जुआ और सर्वहारा के बीच यह संघर्ष अंततः सर्वहारा क्रांति और साम्यवाद की स्थापना की ओर ले जाएगा।
- गलत विकल्प: सामाजिक गतिशीलता वर्ग संरचना में व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन है। अनुकूलन किसी वातावरण के अनुरूप ढलना है। सांस्कृतिक सापेक्षवाद विभिन्न संस्कृतियों को उनके अपने संदर्भ में समझना है।
प्रश्न 5: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) द्वारा प्रतिपादित “मैं” (I) और “मुझे” (Me) की अवधारणाएं किस सिद्धांत से संबंधित हैं?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- विनिमय सिद्धांत (Exchange Theory)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के एक प्रमुख विचारक थे, जिन्होंने व्यक्ति के ‘स्व’ (Self) के विकास की व्याख्या ‘मैं’ और ‘मुझे’ के माध्यम से की। ‘मुझे’ समाज के संगठित दृष्टिकोणों (Generalized Other) का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘मैं’ व्यक्ति की तात्कालिक, प्रतिक्रियात्मक और रचनात्मक प्रतिक्रिया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मीड के अनुसार, व्यक्ति समाज के साथ अंतःक्रिया करके, दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाकर और फिर उन पर प्रतिक्रिया करके अपना ‘स्व’ विकसित करता है। ‘मैं’ व्यक्ति की मौलिकता है, जबकि ‘मुझे’ सामाजिक नियमानुसार ढला हुआ हिस्सा है।
- गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को विभिन्न परस्पर जुड़े भागों से बना एक तंत्र मानता है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। विनिमय सिद्धांत सामाजिक व्यवहार को लागत-लाभ विश्लेषण के रूप में देखता है।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में, “सगोत्र विवाह” (Endogamy) का संबंध किस सामाजिक संस्था से है?
- धर्म
- राजनीति
- जाति (Caste)
- अर्थव्यवस्था
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: सगोत्र विवाह (Endogamy), जिसे अंतर्विवाह भी कहते हैं, एक ऐसी सामाजिक प्रथा है जिसमें व्यक्ति को अपने ही समूह, विशेष रूप से अपनी जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करने की अपेक्षा या नियम होता है। भारतीय जाति व्यवस्था में यह एक प्रमुख विशेषता रही है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था के भीतर, विभिन्न उप-जातियों (Sub-castes) ने अपने सदस्यों के विवाह को सख्ती से नियंत्रित किया है, ताकि जाति की शुद्धता और सामाजिक प्रतिष्ठा बनी रहे।
- गलत विकल्प: धर्म, राजनीति और अर्थव्यवस्था के अपने नियम और संस्थाएं हैं, लेकिन सगोत्र विवाह का प्रत्यक्ष और ऐतिहासिक संबंध मुख्य रूप से जाति व्यवस्था से रहा है।
प्रश्न 7: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) के अनुसार, किसी सामाजिक व्यवस्था में ऐसे अनपेक्षित और अवांछित परिणाम क्या कहलाते हैं जो किसी संस्था या प्रथा के मूल उद्देश्य से भिन्न होते हैं?
- प्रकट प्रकार्य (Manifest Functions)
- प्रच्छन्न प्रकार्य (Latent Functions)
- दुष्प्रकार्य (Dysfunctions)
- सामाजिक विचलन (Social Deviance)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद (Functionalism) के अपने संशोधन में ‘दुष्प्रकार्य’ (Dysfunctions) की अवधारणा पेश की। ये वे परिणाम होते हैं जो किसी सामाजिक व्यवस्था या संस्था को बनाए रखने या उसके अनुकूलन में बाधा डालते हैं, यानी नकारात्मक परिणाम।
- संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन ने ‘प्रकट प्रकार्य’ (इच्छित परिणाम) और ‘प्रच्छन्न प्रकार्य’ (अनपेक्षित, अचेतन या अनौपचारिक परिणाम) के बीच भी अंतर किया। दुष्प्रकार्य इन दोनों से भिन्न होते हैं और व्यवस्था के लिए हानिकारक होते हैं।
- गलत विकल्प: प्रकट प्रकार्य इच्छित परिणाम हैं। प्रच्छन्न प्रकार्य अनपेक्षित परिणाम हैं। सामाजिक विचलन वे व्यवहार हैं जो समाज के मानदंडों का उल्लंघन करते हैं।
प्रश्न 8: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) की अवधारणा को सबसे अच्छी तरह से कैसे परिभाषित किया जा सकता है?
- समाज में व्यक्तियों के बीच सहयोग की प्रक्रिया।
- समाज में असमानता के आधार पर समूहों का एक पदानुक्रमित विभाजन।
- समाज में व्यक्तियों के बीच घनिष्ठ संबंध।
- समाज में एकरूपता (Homogeneity) का प्रसार।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: सामाजिक स्तरीकरण व्यक्तियों और समूहों को उनकी आय, धन, शिक्षा, शक्ति, प्रतिष्ठा या अन्य सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण विशेषताओं के आधार पर असमान रूप से श्रेणीबद्ध करने की एक सार्वभौमिक और स्थायी प्रक्रिया है। यह समाज में अंतर्निहित असमानता को दर्शाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: स्तरीकरण के विभिन्न रूप हैं जैसे वर्ग (Class), जाति (Caste), लिंग (Gender), प्रजाति (Race) आदि, जो अलग-अलग समाजों में अलग-अलग महत्व रखते हैं।
- गलत विकल्प: सहयोग सामाजिक एकता है। घनिष्ठ संबंध सामाजिक सामंजस्य है। एकरूपता का प्रसार एक समरूप समाज का संकेत है, न कि असमानता का।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने “सामूहिक चेतना” (Collective Conscience) की अवधारणा दी, जो एक समाज के सदस्यों के बीच साझा विश्वासों, मूल्यों और मनोवृत्तियों का योग है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: एमील दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में ‘सामूहिक चेतना’ की अवधारणा पेश की। उनके अनुसार, यह वह साझा सामाजिक चेतना है जो समाज के सदस्यों को एक साथ बांधती है और सामाजिक एकता (Social Solidarity) को बनाए रखती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity) और सावयवी एकता (Organic Solidarity) के बीच अंतर किया। पारंपरिक समाजों में यांत्रिक एकता सामूहिक चेतना की प्रबलता से उत्पन्न होती है, जबकि आधुनिक समाजों में सावयवी एकता श्रम विभाजन से उत्पन्न आत्मनिर्भरता से आती है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने नौकरशाही और शक्ति पर काम किया। ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) की वकालत की। कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर जोर दिया।
प्रश्न 10: भारतीय समाज में, “प्रजाति” (Race) शब्द का प्रयोग अक्सर किस अर्थ में किया जाता है?
- सांस्कृतिक समूह
- जाति समूह
- धार्मिक समूह
- भौगोलिक क्षेत्र
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: भारत में, ‘प्रजाति’ (Race) शब्द का प्रयोग अक्सर ऐतिहासिक और सामाजिक-सांस्कृतिक कारणों से ‘जाति’ (Caste) के अर्थ में किया जाता रहा है, हालांकि समाजशास्त्रीय रूप से ये दोनों अवधारणाएं भिन्न हैं। प्रजाति शारीरिक विशेषताओं पर आधारित होती है, जबकि जाति जन्म, व्यवसाय और सामाजिक रीति-रिवाजों पर।
- संदर्भ एवं विस्तार: औपनिवेशिक काल में कुछ ब्रिटिश विद्वानों ने भारतीय जातियों को प्रजातीय वर्गीकरण में फिट करने का प्रयास किया, जिससे यह भ्रम फैला। आधुनिक समाजशास्त्र इस भेद को स्पष्ट करता है।
- गलत विकल्प: प्रजाति को सांस्कृतिक, धार्मिक या भौगोलिक समूह से अलग समझा जाता है, हालांकि ये कारक जाति व्यवस्था से जुड़ सकते हैं।
प्रश्न 11: “विचलित व्यवहार” (Deviant Behavior) को समाजशास्त्र में कैसे समझा जाता है?
- सभी प्रकार के असामान्य व्यवहार
- समाज के स्वीकृत मानदंडों, नियमों या अपेक्षाओं से विचलन
- धार्मिक अनुष्ठानों का पालन
- पारंपरिक जीवन शैली
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: समाजशास्त्र में, विचलित व्यवहार (Deviant Behavior) वह कोई भी व्यवहार है जो समाज के अधिकांश सदस्यों द्वारा स्वीकार्य माने जाने वाले मानदंडों, नियमों या अपेक्षाओं से भिन्न होता है। यह विचलन सकारात्मक (जैसे सामाजिक सुधारक) या नकारात्मक (जैसे अपराध) हो सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: कई समाजशास्त्रीय सिद्धांत, जैसे कि लेबलिंग सिद्धांत (Labeling Theory), यह बताते हैं कि कैसे कुछ व्यवहारों को ‘विचलित’ के रूप में लेबल किया जाता है और इसका व्यक्तियों की पहचान पर क्या प्रभाव पड़ता है।
- गलत विकल्प: सभी असामान्य व्यवहार विचलित नहीं होते (जैसे प्रतिभाशाली होना)। धार्मिक अनुष्ठान और पारंपरिक जीवन शैली अक्सर सामाजिक मानदंडों का हिस्सा होते हैं, न कि विचलन।
प्रश्न 12: सामाजिक व्यवस्था (Social Order) को बनाए रखने में “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य योगदान क्या है?
- समाज को एक जटिल तंत्र के रूप में देखना।
- लोगों के बीच अर्थों के निर्माण और साझाकरण की प्रक्रिया को समझना।
- शक्ति संरचनाओं और असमानता का विश्लेषण करना।
- सामाजिक परिवर्तन के कारणों की व्याख्या करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस बात पर जोर देता है कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और कैसे वे इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से अर्थों का निर्माण करते हैं। यह साझा समझ सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक वास्तविकता के निर्माण पर केंद्रित है। जैसे, किसी वस्तु या घटना का अर्थ व्यक्तिपरक होता है और सामाजिक अंतःक्रिया से बनता है।
- गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक प्रकार्यवाद से संबंधित है। (c) संघर्ष सिद्धांत से संबंधित है। (d) कई सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या करते हैं, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का मुख्य ध्यान व्यक्तिगत अर्थ निर्माण पर है।
प्रश्न 13: “निरपवाद” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के क्षरण या कमजोर पड़ने की स्थिति को दर्शाती है, किस प्रमुख समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमील दुर्खीम
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: एमील दुर्खीम ने ‘निरपवाद’ (Anomie) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया, विशेष रूप से अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज में सामाजिक नियंत्रण के नियम कमजोर हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और उद्देश्यहीनता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अनॉमी को आत्महत्या के कारणों में से एक के रूप में पहचाना, जहाँ व्यक्ति सामाजिक नियमों और अपेक्षाओं से बंधा हुआ महसूस नहीं करता।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष से जुड़े हैं। मैक्स वेबर ने सत्ता और नौकरशाही पर काम किया। इर्विंग गॉफमैन ने नाटकीयता (Dramaturgy) के सिद्धांत पर काम किया।
प्रश्न 14: भारतीय ग्रामीण समाजों के अध्ययन में, “जाजमानी व्यवस्था” (Jajmani System) क्या है?
- भूमि सुधार की एक योजना
- पारस्परिक सेवा-भुगतान की एक परंपरागत प्रणाली
- ग्राम पंचायत की बैठक
- न्यूनतम मजदूरी कानून
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: जाजमानी व्यवस्था भारत के पारंपरिक ग्रामीण समुदायों में सेवा प्रदाताओं (जैसे नाई, कुम्हार, दर्जी, पुजारी) और सेवा प्राप्तकर्ताओं (जाजमान, आमतौर पर उच्च जातियों के किसान) के बीच वंशानुगत, पारस्परिक सेवा-भुगतान संबंध की एक प्रणाली है। यह अक्सर धन के बजाय वस्तु विनिमय या दीर्घकालिक सेवाओं पर आधारित होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यवस्था भारतीय ग्राम अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना की एक महत्वपूर्ण विशेषता रही है, जो जाति और अंतर्निर्भरता को सुदृढ़ करती है।
- गलत विकल्प: यह भूमि सुधार, पंचायत या मजदूरी कानून से संबंधित नहीं है, बल्कि पारंपरिक सेवा-आदान-प्रदान से है।
प्रश्न 15: “संस्कृति” (Culture) को समाजशास्त्रीय रूप से कैसे परिभाषित किया जा सकता है?
- केवल कला और साहित्य का क्षेत्र।
- एक समाज या समूह के सदस्यों द्वारा सीखा गया व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, मूल्य, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएं और आदतें।
- व्यक्तियों की जैव-जैविकीय विशेषताएं।
- सरकार द्वारा निर्धारित नियम।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: समाजशास्त्र में, संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है जिसमें किसी समाज या समूह के सदस्यों द्वारा साझा किए गए और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सीखे गए सभी व्यवहार, विचार, मूल्य, प्रतीक और सामग्री शामिल हैं। यह मानव व्यवहार का सीखा हुआ और साझा किया गया पैटर्न है।
- संदर्भ एवं विस्तार: संस्कृति में ‘भौतिक संस्कृति’ (जैसे भवन, उपकरण) और ‘अभौतिक संस्कृति’ (जैसे विचार, मूल्य, भाषा) दोनों शामिल हैं।
- गलत विकल्प: संस्कृति केवल कला-साहित्य तक सीमित नहीं है। यह जैव-जैविकीय नहीं, बल्कि सीखी हुई है। यह सरकारों द्वारा पूरी तरह निर्धारित नहीं होती, बल्कि साझा अंतःक्रिया से विकसित होती है।
प्रश्न 16: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने सामाजिक अंतःक्रियाओं को समझने के लिए किस उपागम (Approach) का प्रयोग किया?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- नारकीय समाजशास्त्र (Dramaturgy)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक ‘द प्रेजेंटेशन ऑफ सेल्फ इन एवरीडे लाइफ’ (The Presentation of Self in Everyday Life) में ‘नारकीय समाजशास्त्र’ (Dramaturgy) के विचार का प्रस्ताव रखा। इसके अनुसार, सामाजिक अंतःक्रियाओं को रंगमंच के प्रदर्शन के समान देखा जा सकता है, जहाँ व्यक्ति ‘स्टेज’ पर भूमिकाएं निभाते हैं और दूसरों पर एक निश्चित प्रभाव डालने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: गॉफमैन ने ‘सामने का नकाब’ (Front Stage) और ‘पीछे का नकाब’ (Back Stage) जैसी अवधारणाओं का उपयोग करके समझाया कि कैसे लोग अपने व्यवहार को सामाजिक संदर्भों के अनुसार प्रबंधित करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) दुर्खीम और पार्सन्स से जुड़ा है। (c) मीड और ब्लूमर से जुड़ा है। (d) कार्ल मार्क्स से जुड़ा है।
प्रश्न 17: भारतीय समाज में, “समता” (Equality) की अवधारणा को समझने में निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ऐतिहासिक रूप से एक बाधा रही है?
- परिवार
- विवाह
- जाति व्यवस्था
- धर्म (आम तौर पर)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: भारतीय समाज में जाति व्यवस्था, अपनी पदानुक्रमित संरचना, अंतर्विवाह के नियमों और जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों के कारण, जन्म से ही व्यक्तियों के बीच मौलिक समानता की अवधारणा के विरुद्ध रही है। इसने विभिन्न समूहों के लिए अवसरों और सामाजिक स्थिति में गहरी असमानता पैदा की है।
- संदर्भ एवं विस्तार: स्वतंत्रता के बाद, भारतीय संविधान ने समानता के अधिकार की गारंटी दी है, लेकिन जातिगत भेदभाव अभी भी सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू बना हुआ है।
- गलत विकल्प: परिवार, विवाह और धर्म (हालांकि कुछ व्याख्याएं अनुदार हो सकती हैं) स्वयं में मौलिक रूप से समता के विरोधी नहीं हैं, लेकिन जाति व्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से असमानता को संस्थागत बनाती है।
प्रश्न 18: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से आपका क्या तात्पर्य है?
- लोगों का एक शहर से दूसरे शहर जाना।
- किसी व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना।
- एक समाज से दूसरे समाज में जाना।
- लोगों का एक ही सामाजिक स्थिति में बने रहना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 19: पारसन्स (Talcott Parsons) के अनुसार, समाज को एक व्यवस्थित इकाई के रूप में बनाए रखने के लिए कौन सी आवश्यक भूमिकाएं (Functions) निभाई जानी चाहिए?
- उत्पादन, वितरण, खपत, और विनिमय
- लक्षण (Pattern Maintenance), एकीकरण (Integration), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), और अनुकूलन (Adaptation) (AGIL)
- संघर्ष, प्रतियोगिता, सहयोग, और संघर्ष समाधान
- नियंत्रण, समन्वय, सूचना प्रसारण, और नवाचार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: तालकॉट पारसन्स ने अपने ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) में ‘AGIL’ प्रतिमान (Paradigm) विकसित किया। इसके अनुसार, किसी भी सामाजिक प्रणाली को कार्य करने के लिए चार प्रमुख प्रकार्य करने होते हैं: अनुकूलन (Adaptation – पर्यावरण से निपटना), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment – उद्देश्यों को परिभाषित करना और प्राप्त करना), एकीकरण (Integration – प्रणाली के घटकों को एकजुट रखना), और लक्षण-रखरखाव (Pattern Maintenance – सांस्कृतिक मूल्यों और प्रेरणाओं को बनाए रखना)।
- संदर्भ एवं विस्तार: पारसन्स का मानना था कि ये चार प्रकार्य समाज को स्थिर और सुव्यवस्थित रखते हैं।
- गलत विकल्प: (a) आर्थिक गतिविधियों का वर्णन है। (c) सामाजिक प्रक्रियाओं का मिश्रण है। (d) प्रबंधन या संगठनात्मक कार्यों का विवरण है।
प्रश्न 20: भारतीय समाज में, “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया पर निम्नलिखित में से किस पहलू का प्रभाव सर्वाधिक रहा है?
- कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
- औपनिवेशिक शासन और पश्चिमी शिक्षा
- पारंपरिक सामाजिक संरचनाएं
- धार्मिक कट्टरता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पर औपनिवेशिक शासन का गहरा प्रभाव पड़ा है। ब्रिटिश राज द्वारा लाई गई पश्चिमी शिक्षा, प्रशासनिक व्यवस्था, कानून, प्रौद्योगिकी और औद्योगिकरण के विचारों ने पारंपरिक भारतीय समाज में परिवर्तन की गति को तेज किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि इसने सामाजिक असमानताओं को भी जन्म दिया, लेकिन इसने आधुनिक राष्ट्र-राज्य, धर्मनिरपेक्षता, और व्यक्तिगत अधिकारों जैसी आधुनिक अवधारणाओं की नींव भी रखी।
- गलत विकल्प: कृषि अर्थव्यवस्था आधुनिकीकरण से पहले का आधार है। पारंपरिक सामाजिक संरचनाएं आधुनिकीकरण के प्रभाव को झेलती हैं, वे स्वयं प्रभाव का कारण नहीं हैं। धार्मिक कट्टरता अक्सर आधुनिकीकरण का प्रतिरोध करती है।
प्रश्न 21: “संस्था” (Institution) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?
- केवल व्यक्तियों का एक समूह।
- उन नियमों, भूमिकाओं और संबंधों का एक स्थापित पैटर्न जो कुछ विशिष्ट सामाजिक आवश्यकताओं या उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विकसित हुआ है।
- किसी भी प्रकार की सामाजिक व्यवस्था।
- सरकार द्वारा बनाए गए कानून।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: सामाजिक संस्थाएं वे व्यवस्थित और स्थायी सामाजिक संरचनाएं हैं जो समाज की प्रमुख आवश्यकताओं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार, अर्थव्यवस्था) को पूरा करने के लिए स्थापित की जाती हैं। इनमें नियम, अपेक्षाएं, भूमिकाएं और व्यवहार के पैटर्न शामिल होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, परिवार संस्था यौन संबंध, प्रजनन, समाजीकरण और बच्चों की देखभाल जैसी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- गलत विकल्प: संस्था केवल व्यक्तियों का समूह नहीं है, बल्कि उन व्यक्तियों के बीच संबंधों और नियमों का एक ढाँचा है। यह किसी भी सामाजिक व्यवस्था से व्यापक है और केवल सरकारी कानूनों तक सीमित नहीं है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा कथन “विधिसम्मत-तर्कसंगत अधिकार” (Legal-Rational Authority) के बारे में सही है, जैसा कि मैक्स वेबर ने वर्णित किया है?
- यह व्यक्तिगत करिश्मा पर आधारित है।
- यह परंपराओं और रीति-रिवाजों पर आधारित है।
- यह नियमों, कानूनों और प्रक्रियाओं की एक औपचारिक प्रणाली पर आधारित है।
- यह अलौकिक शक्तियों में विश्वास पर आधारित है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: मैक्स वेबर ने सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों का वर्णन किया: पारंपरिक (Traditional), करिश्माई (Charismatic), और विधिसम्मत-तर्कसंगत (Legal-Rational)। विधिसम्मत-तर्कसंगत अधिकार नियमों, कानूनों और मानकीकृत प्रक्रियाओं के एक तार्किक और व्यवस्थित ढांचे पर आधारित होता है, जैसे कि आधुनिक नौकरशाही में पाया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस प्रकार के अधिकार में, शक्ति धारक अपनी व्यक्तिगत क्षमता के कारण नहीं, बल्कि पद और स्थापित नियमों के कारण शासन करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) करिश्माई अधिकार से संबंधित है। (b) पारंपरिक अधिकार से संबंधित है। (d) भी पारंपरिक या करिश्माई अधिकार से संबंधित हो सकता है, लेकिन मुख्य रूप से यह अलौकिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 23: भारतीय समाज में “हरित क्रांति” (Green Revolution) के सामाजिक परिणाम क्या थे?
- शहरीकरण में वृद्धि
- किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण असमानताओं में वृद्धि
- औद्योगिक विकास में कमी
- पारंपरिक खेती के तरीकों का प्रसार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: हरित क्रांति, जिसने नई कृषि प्रौद्योगिकियों (जैसे उच्च-उपज वाली किस्में, उर्वरक, कीटनाशक) की शुरुआत की, ने किसानों की उत्पादकता और आय में वृद्धि की। हालांकि, इसने उन किसानों को भी लाभान्वित किया जो इन नई तकनीकों को वहन कर सकते थे, जिससे अमीर और गरीब किसानों के बीच ग्रामीण असमानताएं बढ़ीं।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में धन का असमान वितरण हुआ और कुछ क्षेत्रों में पलायन भी बढ़ा।
- गलत विकल्प: शहरीकरण में वृद्धि इसका एक अप्रत्यक्ष परिणाम हो सकता है, लेकिन आय वृद्धि और असमानता मुख्य सामाजिक परिणाम थे। औद्योगिक विकास प्रभावित नहीं हुआ, बल्कि कृषि-आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिला। इसने पारंपरिक तरीकों को प्रतिस्थापित किया, प्रसार नहीं।
प्रश्न 24: “सामाजिककरण” (Socialization) की प्रक्रिया समाजशास्त्र में क्या भूमिका निभाती है?
- यह किसी व्यक्ति को समाज का सदस्य बनने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल, मूल्यों और मानदंडों को सीखने में मदद करती है।
- यह व्यक्तियों को उनकी जैविक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।
- यह समाज में विरोध और संघर्ष पैदा करती है।
- यह किसी भी प्रकार के सामाजिक परिवर्तन को रोकती है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: सामाजिककरण वह आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज के सदस्य के रूप में कार्य करना सीखते हैं। इसमें संस्कृति को आत्मसात करना, सामाजिक भूमिकाएं सीखना और सामान्य सामाजिक मानदंडों और मूल्यों को अपनाना शामिल है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया परिवार, स्कूल, सहकर्मी समूह और मास मीडिया जैसे विभिन्न एजेंटों के माध्यम से होती है, और व्यक्ति के ‘स्व’ (Self) के विकास के लिए मौलिक है।
- गलत विकल्प: सामाजिककरण जैविक आवश्यकताओं पर नहीं, बल्कि सामाजिक आवश्यकताओं पर केंद्रित है। यह विरोध या संघर्ष पैदा करने के बजाय सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में सहायक है। यह परिवर्तन को रोकती नहीं, बल्कि परिवर्तन के अनुकूलन में भी मदद कर सकती है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ (Dialectical Materialism) के सिद्धांत से जुड़ा है, जिसने इतिहास को वर्ग संघर्ष के माध्यम से विकसित होते देखा?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- ऑगस्ट कॉम्टे
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही है: कार्ल मार्क्स ने ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ की अवधारणा को अपनाया और उसे अपने सामाजिक सिद्धांत का आधार बनाया। यह सिद्धांत मानता है कि भौतिक परिस्थितियों (विशेष रूप से उत्पादन के साधनों) में अंतर्निहित विरोधाभास (द्वंद्व) समाज में संघर्ष और परिवर्तन को जन्म देते हैं, जिससे इतिहास आगे बढ़ता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के अनुसार, इतिहास दास-स्वामी, सामंत-कृषक और पूंजीपति-सर्वहारा जैसे विरोधी वर्गों के बीच संघर्ष का इतिहास है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर, ऑगस्ट कॉम्टे और इर्विंग गॉफमैन समाजशास्त्र के अन्य प्रमुख विचारक हैं, लेकिन द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत विशेष रूप से कार्ल मार्क्स से जुड़ा है।