Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

समाजशास्त्र की धुरी: आज की अवधारणाओं का परीक्षण

समाजशास्त्र की धुरी: आज की अवधारणाओं का परीक्षण

समाजशास्त्र के प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के सारथी! अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार हो जाइए। आज के इस गहन अभ्यास सत्र में, हम समाजशास्त्रीय विचारों और सिद्धांतों की गहराई में उतरेंगे। आइए, एक-एक करके इन 25 प्रश्नों को हल करें और अपनी तैयारी को नई दिशा दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा को किसने प्रतिपादित किया, जो यह बताता है कि समाज के विभिन्न अंग (जैसे भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति) अलग-अलग गति से बदलते हैं?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. विलियम ग्राहम समनर
  3. एल्बट कोवेस
  4. ऑगस्ट कॉम्ते

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एल्बट कोवेस (Alvert Cowles) ने 1922 में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा पेश की। यह अवधारणा बताती है कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, उपकरण) अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, आदर्श, कानून, संस्थाएं) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में एक प्रकार का अलगाव या तनाव पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कोवेस के अनुसार, इस विलंब के कारण सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं क्योंकि सामाजिक मान्यताएं और संस्थाएं नई भौतिक वास्तविकताओं के साथ तालमेल बिठाने में पीछे रह जाती हैं।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ और ‘एनोमी’ जैसी अवधारणाएं दीं। विलियम ग्राहम समनर ने ‘फोल्कवेज़’ और ‘मोरज़’ के बीच अंतर किया। ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘वैज्ञानिकता’ (Positivism) का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में अलगाव (Alienation) का सबसे महत्वपूर्ण रूप कौन सा है?

  1. उत्पाद से अलगाव
  2. उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव
  3. स्वयं की प्रजाति-प्रकृति (Species-Nature) से अलगाव
  4. अन्य मनुष्यों से अलगाव

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ की चार प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन किया: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव। उनके अनुसार, इन सभी का मूल कारण स्वयं की प्रजाति-प्रकृति से अलगाव है, क्योंकि मनुष्य अपने श्रम के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त करता है और जब यह अभिव्यक्ति वस्तुनिष्ठ हो जाती है, तो अलगाव उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘इकोनॉमिक एंड फिलॉसॉफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में पाई जाती है। मार्क्स के लिए, मनुष्य का सार उसके रचनात्मक और उत्पादक श्रम में निहित है, और पूंजीवाद इस सार को विकृत करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य तीनों विकल्प भी अलगाव के रूप हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार, ये स्वयं की प्रजाति-प्रकृति से अलगाव के परिणाम हैं, न कि इसका मूल कारण।

प्रश्न 3: सामाजिक संरचना (Social Structure) के संबंध में, हर्बर्ट स्पेंसर का दृष्टिकोण किसके समान था?

  1. शरीर-विज्ञान (Physiology)
  2. मनोविज्ञान (Psychology)
  3. अर्थशास्त्र (Economics)
  4. राजनीति विज्ञान (Political Science)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: हर्बर्ट स्पेंसर ने समाज की तुलना एक जीवित जीव (organic analogy) से की। उन्होंने तर्क दिया कि जैसे एक जीव के विभिन्न अंग (जैसे हृदय, फेफड़े) एक विशेष कार्य करते हैं और वे मिलकर जीव को जीवित रखते हैं, उसी प्रकार समाज के विभिन्न संस्थान (जैसे परिवार, सरकार, अर्थव्यवस्था) भी समाज के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए विशिष्ट कार्य करते हैं। इस प्रकार, उनका दृष्टिकोण शरीर-विज्ञान के समान था।
  • संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर ने अपनी पुस्तक ‘प्रिंसिपल्स ऑफ सोशियोलॉजी’ में इस विचार को विकसित किया। यह सामाजिक डार्विनवाद का प्रारंभिक रूप भी है, जहाँ वे ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ के विचार को सामाजिक विकास पर भी लागू करते थे।
  • गलत विकल्प: मनोविज्ञान व्यक्ति के मन का अध्ययन करता है, अर्थशास्त्र संसाधनों के वितरण से संबंधित है, और राजनीति विज्ञान शक्ति और शासन से संबंधित है। स्पेंसर का मुख्य जोर समाज की समग्र संरचना और उसके विकास पर था, न कि इन विशिष्ट क्षेत्रों पर।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के विकास से सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. टैल्कॉट पार्सन्स
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. रॉबर्ट मेर्टन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक पिता माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति स्वयं और समाज के बारे में अपनी समझ प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से दूसरों के साथ अंतःक्रिया करके विकसित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड के विचारों को उनके मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ में संकलित किया गया है। उन्होंने ‘सेल्फ’ (स्वयं) के विकास को सामाजिक प्रक्रिया का परिणाम माना, जो ‘टेकिंग द रोल ऑफ द अदर’ (दूसरे की भूमिका निभाना) के माध्यम से होता है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने कार्यात्मकता (Functionalism) और सामाजिक एकता का अध्ययन किया। पार्सन्स एक प्रमुख कार्यात्मकतावादी थे जिन्होंने सामाजिक व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया। मेर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ और ‘विभेदित साहचर्य’ (Differential Association) जैसी अवधारणाएं विकसित कीं।

प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘सामूहिक आत्मा’ (Collective Effervescence) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब समाज में उच्च स्तर का श्रम विभाजन होता है
  2. जब व्यक्ति अकेले में आत्म-चिंतन करते हैं
  3. जब लोग किसी धार्मिक अनुष्ठान या समारोह में एक साथ एकत्रित होते हैं
  4. जब समाज पूरी तरह से भौतिक प्रगति पर केंद्रित होता है

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द एलिमेंट्री फॉर्म्स ऑफ द रिलीजियस लाइफ’ में ‘सामूहिक आत्मा’ या ‘सामूहिक उत्साह’ की अवधारणा का वर्णन किया। यह तब उत्पन्न होती है जब लोग किसी साझा गतिविधि (विशेषकर अनुष्ठानों और समारोहों) में एक साथ आते हैं, जिससे एक तीव्र सामूहिक भावना और एकता का अनुभव होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम का मानना ​​था कि ऐसे क्षण समाज की एकजुटता को सुदृढ़ करते हैं और वे सामूहिक चेतना (collective conscience) के उद्भव और प्रकटीकरण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: उच्च श्रम विभाजन ‘यांत्रिक एकता’ के बजाय ‘सांगठनिक एकता’ (organic solidarity) की ओर ले जाता है, जो अलग-अलग भूमिकाओं पर आधारित है। अकेले आत्म-चिंतन व्यक्तिगत प्रक्रिया है, न कि सामूहिक। भौतिक प्रगति से प्रत्यक्ष रूप से सामूहिक आत्मा उत्पन्न नहीं होती।

प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का तात्पर्य निम्नलिखित में से किससे है?

  1. सभी जातियों को समान अधिकार प्राप्त होना
  2. किसानों और श्रमिकों द्वारा भूमि मालिकों को सेवा और वस्तुएं प्रदान करना
  3. पारंपरिक ग्रामीण समाज में विभिन्न जातियों के बीच आदान-प्रदान की एक प्रणाली
  4. जाति व्यवस्था का पूर्ण रूप से समाप्त होना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जजमानी प्रणाली पारंपरिक भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था का एक अभिन्न अंग थी। यह विभिन्न जातियों के बीच सेवाओं और वस्तुओं के आदान-प्रदान पर आधारित एक अंतर्निर्भर संबंध था, जहाँ पुरोहित, नाई, कुम्हार, धोबी जैसी सेवा प्रदाता जातियाँ (कमचारी) भूमिधारक या उच्च जाति के परिवारों (जजमान) को सेवाएँ प्रदान करती थीं और बदले में भोजन, कपड़े, पैसा या भूमि प्राप्त करती थीं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली आनुवंशिक (hereditary) और पारस्परिक (reciprocal) थी, और यह अक्सर सामुदायिक बंधनों को मजबूत करती थी, भले ही इसमें असमानताएँ निहित हों।
  • गलत विकल्प: यह समान अधिकार प्रदान नहीं करती थी; बल्कि, यह जाति-आधारित श्रम विभाजन और परस्पर निर्भरता पर आधारित थी। विकल्प (b) जजमानी प्रणाली का एक हिस्सा है, लेकिन पूर्ण परिभाषा नहीं है। विकल्प (d) इसके विपरीत है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘सांस्कृतिक भिन्नता’ (Cultural Relativism) के विचार को बढ़ावा दिया, जिसके अनुसार किसी संस्कृति को उसके अपने संदर्भ में समझा जाना चाहिए?

  1. एडवर्ड बर्नेट टायलर
  2. लुईस हेनरी मॉर्गन
  3. फ्रांज बोआस
  4. मैलिनोव्स्की

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: फ्रांज बोआस, जिन्हें अमेरिकी मानव विज्ञान का जनक माना जाता है, ने सांस्कृतिक भिन्नता (Cultural Relativism) की अवधारणा को विकसित और बढ़ावा दिया। उनका तर्क था कि किसी भी संस्कृति के रीति-रिवाजों, विश्वासों और मूल्यों का मूल्यांकन उस संस्कृति के अपने विशिष्ट ऐतिहासिक, सामाजिक और पर्यावरणीय संदर्भ में किया जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी संस्कृति (जैसे पश्चिमी संस्कृति) के मानकों के आधार पर।
  • संदर्भ और विस्तार: बोआस ने इस दृष्टिकोण का उपयोग नृवंशविज्ञान (ethnography) में प्रचलित नृजातीय केन्द्रीवाद (ethnocentrism) का खंडन करने के लिए किया।
  • गलत विकल्प: टायलर और मॉर्गन विकासवादी मानवविज्ञानी थे जिन्होंने अक्सर संस्कृतियों को सार्वभौमिक चरणों से गुजरते हुए देखा। मैलिनोव्स्की ने कार्यात्मकता (Functionalism) पर काम किया, लेकिन बोआस सांस्कृतिक भिन्नता के प्रमुख प्रवर्तक थे।

प्रश्न 8: ‘रचनात्मकता’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के ढीलेपन या अनुपस्थिति की स्थिति का वर्णन करती है, किसके द्वारा विकसित की गई थी?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट ब्लूमर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा का उपयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जिसमें समाज में कोई स्पष्ट नियम या मानक नहीं होते हैं, या वे दुर्बल हो जाते हैं। यह व्यक्ति को दिशाहीन और अनिश्चित महसूस कराता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ जैसी अपनी प्रमुख कृतियों में इस अवधारणा पर चर्चा की। उन्होंने तर्क दिया कि सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या व्यक्तिगत जीवन में बड़े बदलाव (जैसे तलाक या मृत्यु) एनोमी को जन्म दे सकते हैं।
  • गलत विकल्प: मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और अलगाव पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता का अध्ययन किया। ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।

प्रश्न 9: भारत में ‘सकर्मणता’ (Dominant Caste) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है कि एक गांव में वह जाति जिसके पास सबसे अधिक भूमि, राजनीतिक शक्ति और सामाजिक प्रभाव होता है?

  1. जी.एस. घुरिये
  2. एम.एन. श्रीनिवास
  3. ई.एफ. स्कॉट
  4. आंद्रे बेतेइ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने ‘सकर्मणता’ (Dominant Caste) की अवधारणा को अपनी रचनाओं में प्रस्तुत किया। यह उस जाति को संदर्भित करता है जो किसी गाँव या क्षेत्र में संख्यात्मक रूप से बड़ी होती है, जिसके पास पर्याप्त भूमि होती है, और जो स्थानीय शक्ति संरचनाओं पर हावी होती है, जिसके परिणामस्वरूप उस पर उसका सामाजिक प्रभुत्व होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने मैसूर में किए गए अपने नृवंशविज्ञान अनुसंधान के आधार पर इस अवधारणा को विकसित किया। उन्होंने दर्शाया कि कैसे यह ‘सकर्मणता’ स्थानीय निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है।
  • गलत विकल्प: घुरिये ने भारतीय समाज और जाति पर महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन यह विशेष अवधारणा श्रीनिवास की है। स्कॉट और बेतेइ ने भी भारतीय समाज पर काम किया है, लेकिन यह शब्दावली श्रीनिवास से जुड़ी है।

प्रश्न 10: मैक्स वेबर ने समाज को समझने के लिए ‘सहानुभूतिपूर्ण समझ’ (Verstehen) की विधि का प्रस्ताव दिया। इसका क्या अर्थ है?

  1. समाजशास्त्री को सामाजिक घटनाओं का वस्तुनिष्ठ रूप से विश्लेषण करना चाहिए।
  2. समाजशास्त्री को सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तिपरक अर्थों को समझना चाहिए।
  3. समाजशास्त्री को समाज की संरचनात्मक कार्यात्मकताओं का वर्णन करना चाहिए।
  4. समाजशास्त्री को सांख्यिकीय डेटा के आधार पर भविष्यवाणियां करनी चाहिए।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘वेर्स्टेहेन’ (Verstehen) एक जर्मन शब्द है जिसका अर्थ है ‘समझना’। मैक्स वेबर के अनुसार, समाजशास्त्रियों को न केवल सामाजिक घटनाओं का अवलोकन करना चाहिए, बल्कि उन अभिनेताओं के व्यक्तिपरक अर्थों, प्रेरणाओं और इरादों को भी समझना चाहिए जो उन घटनाओं में भाग लेते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का आधार है, जो सामाजिक क्रियाओं के अर्थपूर्ण पहलुओं पर जोर देता है, जैसा कि वेबर ने अपनी कृति ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ में विस्तार से बताया है।
  • गलत विकल्प: (a) दुर्खीम जैसे समाजशास्त्री वस्तुनिष्ठता पर अधिक जोर देते थे। (c) यह कार्यात्मकतावादी दृष्टिकोण है। (d) यह मात्रात्मक (quantitative) दृष्टिकोण से जुड़ा है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) को ‘शासक वर्ग के विचारों’ के रूप में देखता है, जो उत्पादन के साधनों के मालिक होते हैं?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. ई. डिगबी बैटल
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, समाज का स्तरीकरण मुख्य रूप से आर्थिक संबंधों पर आधारित है। बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि) का मालिक होता है, और वे अपने वर्ग के हितों को बनाए रखने के लिए समाज की विचार-प्रणाली (जैसे धर्म, शिक्षा, कानून) को भी नियंत्रित करते हैं। इसलिए, शासक वर्ग के विचार समाज में प्रमुख बन जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘दास कैपिटल’ और ‘द जर्मन आइडियोलॉजी’ जैसी कृतियों में इस विचार को प्रतिपादित किया। उन्होंने पूंजीवादी व्यवस्था में वर्ग-संघर्ष को समाज परिवर्तन का मुख्य चालक माना।
  • गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग, प्रतिष्ठा (status) और शक्ति (party) के आधार पर स्तरीकरण को बहुआयामी बताया। पार्सन्स ने कौशल और योग्यता के आधार पर स्तरीकरण का तर्क दिया। बैटल ने भारतीय समाज पर काम किया।

प्रश्न 12: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की अवधारणा को विभिन्न समाजों में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्थाओं में होने वाले व्यापक परिवर्तनों के समूह के रूप में परिभाषित किया गया है। इनमें से कौन सा परिवर्तन आधुनिकता का एक प्रमुख सूचक नहीं माना जाता?

  1. औद्योगीकरण (Industrialization)
  2. शहरीकरण (Urbanization)
  3. तर्कसंगतता (Rationalization)
  4. परंपरावाद (Traditionalism)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आधुनिकता का संबंध औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण (secularization), राष्ट्र-राज्य का उदय, और तर्कसंगतता (जैसे नौकरशाही) जैसी प्रक्रियाओं से है। परंपरावाद (Traditionalism) के विपरीत, आधुनिकता परंपराओं के क्षरण और नवीनता, परिवर्तन तथा तर्कसंगत गणना पर जोर देती है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री जैसे मैक्स वेबर ने तर्कसंगतता को आधुनिकता का एक केंद्रीय तत्व माना।
  • गलत विकल्प: औद्योगीकरण, शहरीकरण और तर्कसंगतता सभी आधुनिकता के प्रमुख संकेतक हैं। परंपरावाद आधुनिकता के बजाय पारंपरिक समाजों की विशेषता है।

प्रश्न 13: ‘सांस्कृतिक आत्मसात्करण’ (Cultural Assimilation) का क्या अर्थ है?

  1. विभिन्न संस्कृतियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान
  2. एक समूह द्वारा दूसरे समूह की संस्कृति को पूरी तरह से अपनाना, जिससे मूल संस्कृति का लोप हो जाए
  3. सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखते हुए विभिन्न संस्कृतियों का सह-अस्तित्व
  4. संस्कृति के केवल कुछ पहलुओं को अपनाना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सांस्कृतिक आत्मसात्करण एक प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति या समूह किसी अन्य संस्कृति के रीति-रिवाजों, मूल्यों और व्यवहारों को अपनाता है, अक्सर तब जब वे किसी नए समाज या बहुसांस्कृतिक वातावरण में शामिल होते हैं। यह तब पूरा होता है जब नया समूह अपनी मूल संस्कृति को छोड़ देता है और प्रमुख संस्कृति में पूरी तरह से विलीन हो जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ‘सांस्कृतिक अनुकूलन’ (cultural adaptation) से भिन्न है, जिसमें सांस्कृतिक तत्वों को बनाए रखा जाता है। ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (cultural pluralism) सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने पर जोर देता है।
  • गलत विकल्प: (a) विचारों का आदान-प्रदान ‘सांस्कृतिक प्रसार’ (cultural diffusion) हो सकता है। (c) यह ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ का वर्णन करता है। (d) यह ‘सांस्कृतिक अपनाना’ (cultural adoption) का एक सीमित रूप हो सकता है।

प्रश्न 14: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जिसका अर्थ है कि सामाजिक नेटवर्क (मित्र, परिवार, सहकर्मी) व्यक्तियों को लाभ पहुंचाते हैं, को किसने प्रमुखता से विकसित किया?

  1. जेम्स कॉलमैन
  2. रॉबर्ट पुटनम
  3. पियरे बॉर्डियू
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पियरे बॉर्डियू, एक फ्रांसीसी समाजशास्त्री, ने ‘सामाजिक पूंजी’ की अवधारणा को विकसित किया, इसे एक ऐसे संसाधन के रूप में परिभाषित किया जो सामाजिक संबंधों के माध्यम से उपलब्ध होता है। हालांकि कॉलमैन और पुटनम ने इस विचार का आगे विस्तार किया, बॉर्डियू को इसके सैद्धांतिक आधार स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने सामाजिक पूंजी को ‘सदस्यों के बीच पारस्परिक परिचय और मान्यता के नेटवर्क तक पहुंच’ के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इसे आर्थिक पूंजी और सांस्कृतिक पूंजी के साथ समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए एक महत्वपूर्ण अवधारणा माना।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट पुटनम ने नागरिक जुड़ाव (civic engagement) के संदर्भ में अमेरिकी समाज में सामाजिक पूंजी के ह्रास पर काम किया। जेम्स कॉलमैन ने भी सामाजिक पूंजी पर विस्तार से लिखा, विशेष रूप से शिक्षा के संदर्भ में। लेकिन सैद्धांतिक विकास में बॉर्डियू का योगदान मौलिक है।

प्रश्न 15: एमिल दुर्खीम ने समाज को व्यवस्थित रखने वाले बंधन को क्या कहा?

  1. सामाजिक एकता (Social Solidarity)
  2. सामूहिक चेतना (Collective Conscience)
  3. सामाजिक नियंत्रण (Social Control)
  4. पारस्परिक निर्भरता (Interdependence)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने समाज के सदस्यों को एक साथ बांधने वाले गोंद या बंधन को ‘सामाजिक एकता’ (Social Solidarity) कहा। उन्होंने इसके दो मुख्य रूपों का वर्णन किया: ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) जो समानता और समान विश्वासों पर आधारित है, और ‘सांगठनिक एकता’ (Organic Solidarity) जो श्रम विभाजन और परस्पर निर्भरता पर आधारित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ का केंद्रीय विषय है।
  • गलत विकल्प: सामूहिक चेतना समाज के सदस्यों में साझा विश्वासों और मूल्यों का कुल योग है। सामाजिक नियंत्रण उन तंत्रों को संदर्भित करता है जिनके द्वारा समाज अपनी व्यवस्था बनाए रखता है। पारस्परिक निर्भरता सांगठनिक एकता का एक घटक है, लेकिन सामाजिक एकता व्यापक अवधारणा है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय समाजशास्त्रीय अवधारणा किसी निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करती है, ताकि सामाजिक पदानुक्रम में उच्च स्थान प्राप्त किया जा सके?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. आधुनिकीकरण (Modernization)
  3. संसकृतीकरण (Sanskritization)
  4. लौकिकीकरण (Secularization)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: संसकृतीकरण (Sanskritization) की अवधारणा को एम.एन. श्रीनिवास ने प्रस्तुत किया था। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ निम्न जातियाँ या जनजातियाँ ऊपरी, विशेषकर ब्राह्मणों जैसी, जातियों के अनुष्ठानों, जीवन शैली, खान-पान, वेशभूषा और धार्मिक प्रथाओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘रिलिजन एंड सोसाइटी अमंग द कू्रग्स ऑफ साउथ इंडिया’ में पहली बार सामने आई। यह सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक रूप है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को दर्शाता है। आधुनिकीकरण प्रौद्योगिकी और संस्थागत परिवर्तनों से संबंधित है। लौकिकीकरण धर्म के प्रभाव में कमी को दर्शाता है।

प्रश्न 17: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘मात्रात्मक दृष्टिकोण’ (Quantitative Approach) मुख्य रूप से किस पर केंद्रित होता है?

  1. गहन साक्षात्कार और केस अध्ययन
  2. अवलोकन और व्यक्तिपरक व्याख्या
  3. सांख्यिकीय डेटा का संग्रह और विश्लेषण
  4. ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मात्रात्मक दृष्टिकोण सांख्यिकीय और संख्यात्मक डेटा के संग्रह, माप और विश्लेषण पर केंद्रित होता है। इसका उद्देश्य चरों (variables) के बीच संबंधों को पहचानना, पैटर्न का वर्णन करना और सामान्यीकरण (generalizations) करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वेक्षण, प्रश्नावली, और मौजूदा सांख्यिकीय डेटा का उपयोग मात्रात्मक अनुसंधान की सामान्य विधियाँ हैं।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) गुणात्मक (qualitative) अनुसंधान विधियों से संबंधित हैं। (d) ऐतिहासिक अनुसंधान विधियों से संबंधित है।

प्रश्न 18: इरावती कर्वे के अनुसार, भारतीय समाज की व्यवस्था का आधार क्या है?

  1. जमींदारी प्रणाली
  2. पुनर्जन्म का सिद्धांत
  3. विवाह और नातेदारी
  4. धर्म और कर्म

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: इरावती कर्वे, एक प्रमुख भारतीय मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री, ने भारतीय समाज के अध्ययन में विवाह और नातेदारी (Marriage and Kinship) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार, भारत में नातेदारी व्यवस्था, विशेष रूप से विवाह संबंधी संबंध, सामाजिक संगठन, वंशानुक्रम और पहचान का एक केंद्रीय स्तंभ रहे हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिंदू सोसाइटी: एन एनालिसिस ऑफ द स्ट्रक्चर’ में उन्होंने जाति व्यवस्था और विवाह के बीच गहरे संबंध को उजागर किया।
  • गलत विकल्प: जबकि जमींदारी, धर्म और कर्म सभी भारतीय समाज के महत्वपूर्ण पहलू हैं, कर्वे के विश्लेषण में नातेदारी संरचनाओं का केंद्रीय महत्व था।

प्रश्न 19: ‘समाज’ (Society) को समाजशास्त्रीय अर्थ में सबसे अच्छी तरह से कैसे परिभाषित किया जा सकता है?

  1. एक ही छत के नीचे रहने वाले लोगों का एक समूह।
  2. समान जातीय पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों का समूह।
  3. एक सामान्य क्षेत्र में रहने वाले और साझा संस्कृति, संस्थाओं और एक साझा पहचान के माध्यम से एक दूसरे पर निर्भर व्यक्तियों का एक जटिल समूह।
  4. किसी विशेष राजनीतिक इकाई के नागरिक।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाज एक अमूर्त अवधारणा है जिसमें केवल भौगोलिक निकटता या रक्त संबंध से अधिक शामिल है। यह साझा संस्कृति, नियमों, संस्थाओं और अंतःक्रियाओं के माध्यम से संगठित व्यक्तियों का एक स्थायी समूह है, जो एक साझा पहचान को बढ़ावा देता है और जिसमें सदस्य एक दूसरे पर निर्भर होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा समाजशास्त्र के मूल तत्वों को समाहित करती है, जैसे कि संरचना, संस्कृति, संस्थाएं और सामाजिक संबंध।
  • गलत विकल्प: (a) केवल भौगोलिक निकटता समाज नहीं है (जैसे एक अपार्टमेंट बिल्डिंग)। (b) जातीय पृष्ठभूमि साझा हो सकती है, लेकिन यह समाज की एकमात्र परिभाषा नहीं है। (d) राजनीतिक इकाई नागरिकता परिभाषित करती है, समाज नहीं।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा विचार टैलकोट पार्सन्स के ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social Order) के सिद्धांत से संबंधित है?

  1. वर्ग संघर्ष सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखता है।
  2. सामाजिक व्यवस्था अंतर्निहित मूल्यों और मानदंडों के एकीकरण (Integration) से उत्पन्न होती है।
  3. व्यक्तिगत हित सामाजिक व्यवस्था के लिए सर्वोपरि हैं।
  4. सामाजिक व्यवस्था का अर्थ सामाजिक नियमों का पूर्ण अभाव है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: टैलकोट पार्सन्स, एक प्रमुख संरचनात्मक-कार्यात्मकतावादी, ने तर्क दिया कि सामाजिक व्यवस्था मुख्य रूप से समाज के सदस्यों के बीच साझा मूल्यों और मानदंडों के एकीकरण (Integration) से उत्पन्न होती है। ये मूल्य और मानदंड सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से प्रसारित होते हैं और व्यक्ति को सामाजिक अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी ‘सिस्टम ऑफ एक्शन’ (System of Action) की अवधारणा समाज को चार उप-प्रणालियों (AGIL – Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) में विभाजित करती है, जहाँ एकीकरण (Integration) सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: (a) मार्क्स वर्ग संघर्ष को व्यवस्था के बजाय परिवर्तन का चालक मानते थे। (c) पार्सन्स के अनुसार, सामूहिक मूल्यों को व्यक्तिगत हितों पर प्राथमिकता दी जाती है। (d) यह ‘एनोमी’ की स्थिति है।

प्रश्न 21: ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) के क्षेत्र में, जिसे समाज के विचारों और ज्ञान को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारकों के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया गया है, किस विचार का विश्लेषण किया जाता है?

  1. ज्ञान पूरी तरह से व्यक्तिपरक है और इसका कोई सामाजिक आधार नहीं है।
  2. ज्ञान पूरी तरह से वस्तुनिष्ठ है और सभी समाजों में सार्वभौमिक रूप से समान है।
  3. ज्ञान सामाजिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों द्वारा आकारित और प्रभावित होता है।
  4. ज्ञान केवल वैज्ञानिक अनुसंधान से उत्पन्न होता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ज्ञान का समाजशास्त्र इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि समाज में ज्ञान का उत्पादन, प्रसार और वैधता कैसे होती है, और यह सामाजिक संरचनाओं, शक्ति संबंधों, हितों और सांस्कृतिक संदर्भों से कैसे प्रभावित होता है। यह स्वीकार करता है कि ज्ञान पूर्णतः वस्तुनिष्ठ या व्यक्तिपरक नहीं है, बल्कि सामाजिक रूप से निर्मित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मैनहेम (Karl Mannheim) इस क्षेत्र के प्रमुख विचारक हैं, जिन्होंने ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ पर मौलिक कार्य किया।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) ज्ञान की सामाजिक प्रकृति को नकारते हैं। (d) ज्ञान के अन्य स्रोतों को अनदेखा करता है।

  • प्रश्न 22: समाज में ‘भेदभाव’ (Discrimination) को कैसे सबसे अच्छी तरह समझा जा सकता है?

    1. किसी समूह के बारे में नकारात्मक रूढ़िवादिता (Stereotypes) रखना।
    2. किसी समूह के सदस्यों के प्रति प्रतिकूल व्यवहार करना।
    3. किसी समूह के सदस्यों के प्रति प्रतिकूल विश्वास रखना।
    4. किसी समूह के बारे में राय बनाना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भेदभाव (Discrimination) किसी व्यक्ति या समूह के साथ अनुचित और प्रतिकूल व्यवहार है, जो अक्सर उनकी जाति, धर्म, लिंग, आयु, यौन अभिविन्यास आदि के आधार पर किया जाता है। यह पूर्वाग्रह (prejudice) का एक व्यवहारिक (behavioral) पहलू है।
  • संदर्भ और विस्तार: पूर्वाग्रह (prejudice) किसी समूह या उसके सदस्यों के प्रति नकारात्मक या पक्षपाती दृष्टिकोण या विश्वास (option c) है, जबकि रूढ़िवादिता (stereotype) किसी समूह के बारे में अत्यधिक सरलीकृत और सामान्यीकृत विश्वास (option a) है। व्यवहारिक कार्रवाई (option b) ही भेदभाव है।
  • गलत विकल्प: (a) और (c) भेदभाव के संज्ञानात्मक (cognitive) और भावनात्मक (affective) घटक हैं, जबकि (b) व्यवहारिक (behavioral) घटक है। (d) राय बनाना निष्पक्ष या पक्षपाती हो सकती है, लेकिन विशेष रूप से प्रतिकूल नहीं।

  • प्रश्न 23: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) के संबंध में, ‘संक्रमणीय गतिशीलता’ (Intergenerational Mobility) का क्या अर्थ है?

    1. एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में उसकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
    2. किसी समाज में विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच लोगों का स्थानांतरण।
    3. पिता की सामाजिक स्थिति की तुलना में पुत्र की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
    4. किसी व्यक्ति द्वारा एक पेशे से दूसरे पेशे में जाना।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: संक्रमणीय गतिशीलता (Intergenerational Mobility) का तात्पर्य एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सामाजिक स्थिति में होने वाले परिवर्तन से है। इसे आम तौर पर एक व्यक्ति की सामाजिक स्थिति की तुलना उसके माता-पिता (विशेष रूप से पिता) की सामाजिक स्थिति से करके मापा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक व्यक्ति के जन्म के समय की सामाजिक स्थिति और उसके वयस्क होने पर प्राप्त की गई स्थिति के बीच अंतर को समझने में मदद करता है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता’ (Intragenerational Mobility) को संदर्भित करता है। (b) सामाजिक गतिशीलता का सामान्य विवरण है। (d) पेशे में बदलाव ‘व्यवसायिक गतिशीलता’ (Occupational Mobility) का एक रूप है, जो संक्रमणीय गतिशीलता का एक पहलू हो सकता है।

  • प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मेर्टन द्वारा दी गई है, जो समाज में उन अनपेक्षित और अवांछित परिणामों का वर्णन करती है जो जानबूझकर किए गए कार्यों या नीतियों से उत्पन्न हो सकते हैं?

    1. अवसर संरचना (Opportunity Structure)
    2. अनपेक्षित परिणाम (Unintended Consequences)
    3. सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag)
    4. एनोमी (Anomie)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: रॉबर्ट मेर्टन ने ‘अनपेक्षित परिणाम’ (Unintended Consequences) की अवधारणा विकसित की, जिसमें ‘अनपेक्षित कार्य’ (Unanticipated Consequences) और ‘अवांछित परिणाम’ (Undesirable Consequences) शामिल हैं। उनका तर्क था कि सामाजिक कार्यों और नीतियों के हमेशा वे परिणाम नहीं होते जिनकी उम्मीद की जाती है, और समाजशास्त्री को इन अनपेक्षित प्रभावों पर ध्यान देना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: मेर्टन ने अपनी पुस्तक ‘सोशल थ्योरी एंड सोशल स्ट्रक्चर’ में इस पर विस्तार से चर्चा की।
  • गलत विकल्प: अवसर संरचना (a) मेर्टन की एक अन्य अवधारणा है जो व्यक्ति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के अवसरों को संदर्भित करती है। सां. िक विलंब (c) कोवेस से जुड़ा है। एनोमी (d) दुर्खीम से जुड़ा है।

  • प्रश्न 25: भारत में, ‘आदिवासी समुदाय’ (Tribal Communities) को अक्सर मुख्यधारा के समाज से अलग माना जाता है। उनके समाजशास्त्र से संबंधित कौन सा कथन अधिक प्रासंगिक है?

    1. वे मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं।
    2. उनकी सामाजिक संरचना, संस्कृति और आर्थिक व्यवस्था मुख्यधारा के समाज से काफी भिन्न हो सकती है।
    3. वे हमेशा बाहरी प्रभावों से पूरी तरह से अप्रभावित रहते हैं।
    4. उनकी सामाजिक गतिशीलता की दर अत्यधिक उच्च होती है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट सामाजिक संरचनाएं, सांस्कृतिक प्रथाएं, भाषाएं, धार्मिक विश्वास और आर्थिक प्रणालियाँ होती हैं, जो अक्सर बहुसंख्यक या मुख्यधारा के भारतीय समाज से भिन्न होती हैं। इन भिन्नताओं को समझना आदिवासी समाजशास्त्र का एक केंद्रीय विषय है।
  • संदर्भ और विस्तार: विभिन्न समाजशास्त्रियों और मानवशास्त्रियों ने भारत के विभिन्न आदिवासी समूहों का अध्ययन किया है, जैसे कि एम.एन. श्रीनिवास, वेरियर एल्विन, और टी.बी. नायक।
  • गलत विकल्प: आदिवासी समुदाय मुख्य रूप से ग्रामीण और वन क्षेत्रों में निवास करते हैं (a)। वे बाहरी प्रभावों से प्रभावित होते हैं, हालाँकि विभिन्न स्तरों पर (c)। उनकी गतिशीलता की दरें भिन्न-भिन्न होती हैं और यह हमेशा उच्च नहीं होती (d)।
  • Leave a Comment