समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपनी पकड़ मजबूत करें!
तैयारी के इस सफर में, अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को परखने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है! आज की यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपके सैद्धांतिक आधार को मजबूत करने और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार की गई है। आइए, सामाजिक दुनिया की जटिलताओं को समझने की अपनी क्षमता को और बेहतर बनाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा किसने दी, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र की वस्तु मानने का सुझाव दिया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: इमाइल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय माना। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति के व्यवहार को बाध्य किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में बताया कि सामाजिक तथ्य व्यक्ति से बाह्य (external) होते हैं और उनके व्यवहार को बाध्य (coercive) करते हैं। ये सामाजिक संरचनाओं, मूल्यों और विश्वासों से उत्पन्न होते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और अर्थव्यवस्था पर था। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया (Social Action) और उसके अर्थ को समझने (Verstehen) पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का विकास किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एरिक होबस्बॉम द्वारा ‘मास’ (Mass) की बदलती प्रकृति का वर्णन करने के लिए उपयोग की गई थी?
- आधुनिक भीड़
- संयोजन की भीड़
- असंगठित भीड़
- सामूहिक चेतना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: एरिक होबस्बॉम ने अपनी पुस्तक “Age of Extremes” में, विशेषकर 20वीं सदी के संदर्भ में, ‘संयोजन की भीड़’ (Masses aggregate) जैसी अवधारणाओं का उपयोग करके पारंपरिक भीड़ से आधुनिक, संगठित जनसमूह की बदलती प्रकृति का वर्णन किया।
- संदर्भ और विस्तार: होबस्बॉम ने दिखाया कि कैसे औद्योगिकरण और शहरीकरण ने लोगों को बड़े समूहों में संगठित किया, जिससे ‘मास’ की भूमिका राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में महत्वपूर्ण हो गई।
- गलत विकल्प: ‘आधुनिक भीड़’ एक सामान्य शब्द है। ‘असंगठित भीड़’ भीड़ के एक विशेष प्रकार का वर्णन करती है, जबकि ‘सामूहिक चेतना’ दुर्खीम की अवधारणा है।
प्रश्न 3: एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज में “संस्कृतीकरण” (Sanskritization) की प्रक्रिया का वर्णन करते हुए बताया कि यह निम्न जातियों द्वारा किसकी नकल करने की प्रक्रिया है?
- पश्चिमी संस्कृति
- शहरी जीवन शैली
- उच्च जातियाँ
- आदिवासी समुदाय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास ने “संस्कृतीकरण” शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया जहाँ निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन शैलियों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में प्रमुखता से प्रस्तुत की गई थी। संस्क्ृतिकरण सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमी संस्कृति’ और ‘शहरी जीवन शैली’ आधुनिकता के प्रतीक हैं, जो संस्क्ृतिकरण का प्रत्यक्ष लक्ष्य नहीं हैं। ‘आदिवासी समुदाय’ अक्सर संस्क्ृतिकरण की प्रक्रिया से गुजरते हैं, न कि वे स्वयं नकल का स्रोत होते हैं।
प्रश्न 4: पैटर्सन (Paterson) द्वारा प्रस्तुत “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा का संबंध किससे है?
- जब भौतिक संस्कृति, अभौतिक संस्कृति से पीछे रह जाती है
- जब अभौतिक संस्कृति, भौतिक संस्कृति से पीछे रह जाती है
- जब आर्थिक विकास, सामाजिक विकास से पीछे रह जाता है
- जब राजनीतिक चेतना, सामाजिक चेतना से पीछे रह जाती है
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी, जिसमें उन्होंने बताया कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, गैजेट्स) तेजी से बदलती है, जबकि अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, मानदंड, संस्थाएं) इस परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ जाती है। पैटर्सन ने इसे आगे बढ़ाया।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में इस पर विस्तार से लिखा है। उदाहरण के लिए, इंटरनेट के आगमन ने संचार को तेज किया, लेकिन गोपनीयता और डिजिटल शिष्टाचार जैसे अभौतिक सांस्कृतिक पहलुओं को अनुकूलित होने में समय लगा।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प सांस्कृतिक विलंब के विपरीत परिदृश्यों को दर्शाते हैं।
प्रश्न 5: दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एकीकरण’ (Integration) का प्रमुख स्रोत क्या है?
- आर्थिक प्रतियोगिता
- धर्म और सामूहिक चेतना
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता
- शक्ति संरचना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: इमाइल दुर्खीम ने समाज में एकीकरण के दो मुख्य स्रोतों का उल्लेख किया: यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity), जो समानता और साझा विश्वासों (धर्म, सामूहिक चेतना) पर आधारित है, और साव्यविक एकता (Organic Solidarity), जो श्रम के विभाजन और अंतर-निर्भरता पर आधारित है। हालाँकि, धर्म और सामूहिक चेतना को उन्होंने आदिम समाजों में एकीकरण का एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक रूप माना।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम की पुस्तक “The Division of Labour in Society” में इन पर चर्चा की गई है। धर्म न केवल व्यक्तिगत विश्वास बल्कि सामाजिक समूह को भी एक साथ बांधता है।
- गलत विकल्प: आर्थिक प्रतियोगिता अलगाव को बढ़ा सकती है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता, हालांकि आधुनिक समाजों में महत्वपूर्ण है, दुर्खीम के अनुसार एकीकरण का प्राथमिक स्रोत नहीं है। शक्ति संरचनाएं सामाजिक व्यवस्था बनाए रख सकती हैं, लेकिन वे एकीकरण के मूल भावनात्मक या नैतिक आधार नहीं हैं।
प्रश्न 6: दुर्खीम के “एनोमी” (Anomie) की अवधारणा का सबसे उपयुक्त वर्णन क्या है?
- एक सामाजिक समूह की बाहरी बाध्यता
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अत्यधिकता
- सामाजिक मानदंडों का अभाव या कमजोर होना
- जातिगत भेदभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: “एनोमी” वह स्थिति है जहाँ समाज के नियम, मूल्य और मानदंड स्पष्ट नहीं होते, कमजोर हो जाते हैं या गायब हो जाते हैं। इससे व्यक्तियों को अनिश्चितता और दिशाहीनता का अनुभव होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम द्वारा “The Division of Labour in Society” और “Suicide” जैसी पुस्तकों में विकसित की गई थी। यह विशेष रूप से सामाजिक परिवर्तन या संकट के समय देखी जाती है।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक तथ्य’ बाह्य बाध्यता है, एनोमी नहीं। ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अत्यधिकता’ एनोमी का एक संभावित परिणाम हो सकती है, लेकिन यह स्वयं एनोमी नहीं है। ‘जातिगत भेदभाव’ भारतीय समाज की एक समस्या है, जो एनोमी से भिन्न है।
प्रश्न 7: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में अलगाव (Alienation) का मूल कारण क्या है?
- धर्म का प्रभाव
- श्रम का विभाजन और उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व का अभाव
- राज्य की शक्ति
- उपभोक्तावाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, अपने श्रम की प्रक्रिया, स्वयं अपने आप से और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है। इसका मुख्य कारण उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, मशीनें) पर उसका स्वामित्व न होना और श्रम का अत्यधिक विभाजन होना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार उनके “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में प्रमुखता से मिलता है। श्रमिक केवल एक मशीन का पुर्जा बनकर रह जाता है।
- गलत विकल्प: धर्म को मार्क्स ने ‘जनता की अफीम’ कहा था, जो अलगाव को बनाए रखने में सहायक हो सकता है, लेकिन मूल कारण नहीं। राज्य और उपभोक्तावाद भी अलगाव में भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन मार्क्स के विश्लेषण के केंद्र में उत्पादन संबंध थे।
प्रश्न 8: मैक्स वेबर ने समाज को समझने के लिए किस पद्धति पर बल दिया?
- भौतिकवाद
- नियतिवाद
- सांस्कृतिक सापेक्षवाद
- व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को एक “व्याख्यात्मक विज्ञान” (Interpretive Science) के रूप में परिभाषित किया, जिसमें समाजशास्त्री को सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्ति द्वारा दिए गए अर्थों (subjective meanings) को समझना चाहिए। इस पद्धति को उन्होंने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) कहा।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र को केवल बाहरी घटनाओं का अध्ययन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन प्रेरणाओं, इरादों और अर्थों को भी समझना चाहिए जो लोगों के व्यवहार को निर्देशित करते हैं।
- गलत विकल्प: ‘भौतिकवाद’ मार्क्सवाद से जुड़ा है। ‘नियतिवाद’ पूर्वनिर्धारित भाग्य में विश्वास है। ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ संस्कृतियों को उनके अपने संदर्भ में समझने का तरीका है, जो वेबर के वर्स्टेहेन से कुछ हद तक भिन्न है, हालांकि इसमें समानताएं हैं।
प्रश्न 9: चार्ल्स कूली (Charles Cooley) द्वारा दी गई “प्राथमिक समूह” (Primary Group) की अवधारणा का सबसे अच्छा उदाहरण क्या है?
- सहकर्मी समूह
- ऑनलाइन समुदाय
- परिवार और निकट मित्र
- राष्ट्रीय खेल टीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: चार्ल्स कूली ने “प्राथमिक समूह” को ऐसे छोटे, घनिष्ठ समूहों के रूप में परिभाषित किया जहाँ आमने-सामने का संबंध, सहयोग और “हम” की भावना पाई जाती है। परिवार और निकट मित्र इसका प्रमुख उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कूली ने अपनी पुस्तक “Social Organization” में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। इन समूहों का व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिकरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- गलत विकल्प: सहकर्मी समूह, ऑनलाइन समुदाय और राष्ट्रीय खेल टीम अक्सर द्वितीयक समूह (Secondary Group) के उदाहरण होते हैं, जहाँ संबंध अधिक अनौपचारिक, उद्देश्य-उन्मुख और कम घनिष्ठ होते हैं।
प्रश्न 10: जी. एच. मीड (G.H. Mead) के अनुसार, “स्व” (Self) का विकास किससे होता है?
- जैविक प्रवृत्तियाँ
- सामाजिक संपर्क और अंतःक्रिया
- अचेतन मन
- आत्म-अन्वेषण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के प्रमुख विचारकों में से एक थे, जिन्होंने बताया कि “स्व” (Self) व्यक्ति के सामाजिक अनुभवों और दूसरों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है। इसमें “मैं” (I) और “मी” (Me) की अवधारणाएं महत्वपूर्ण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने “Mind, Self, and Society” में विस्तार से समझाया कि हम दूसरों की प्रतिक्रियाओं को देखकर और ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) की भूमिका को अपनाकर स्वयं को समझते हैं।
- गलत विकल्प: जैविक प्रवृत्तियाँ ‘मैं’ (I) का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन ‘स्व’ का पूर्ण विकास नहीं। अचेतन मन फ्रायड का क्षेत्र है। आत्म-अन्वेषण एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह विकास का प्राथमिक स्रोत नहीं है।
प्रश्न 11: रবার্ট मर्टन (Robert Merton) ने समाज में ‘कार्य’ (Function) के विश्लेषण के लिए किन दो प्रकारों में अंतर किया?
- स्पष्ट कार्य और छिपे हुए कार्य
- सकारात्मक कार्य और नकारात्मक कार्य
- सामाजिक कार्य और व्यक्तिगत कार्य
- प्रतीकात्मक कार्य और वास्तविक कार्य
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: रবার্ট मर्टन ने सामाजिक संरचना के कार्यों का विश्लेषण करते हुए ‘स्पष्ट कार्य’ (Manifest Functions) और ‘छिपे हुए कार्य’ (Latent Functions) के बीच अंतर किया। स्पष्ट कार्य वे उद्देश्यपूर्ण और मान्यता प्राप्त परिणाम होते हैं, जबकि छिपे हुए कार्य अनपेक्षित और अप्रत्यक्ष परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन की पुस्तक “Social Theory and Social Structure” में यह अवधारणा विस्तृत है। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय की स्पष्ट कार्य छात्रों को शिक्षित करना है, जबकि उसका छिपा हुआ कार्य सामाजिक नेटवर्किंग और विवाह के अवसर प्रदान करना हो सकता है। उन्होंने ‘अकार्य’ (Dysfunction) का भी उल्लेख किया, जो समाज के लिए हानिकारक होते हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प मर्टन के वर्गीकरण से मेल नहीं खाते।
प्रश्न 12: भारतीय समाज में “जाति व्यवस्था” (Caste System) की एक महत्वपूर्ण विशेषता निम्नलिखित में से कौन सी है?
- खुला संस्करण (Open System)
- जन्म पर आधारित व्यवसायों की कठोरता
- गतिशीलता की उच्च संभावना
- अंतर-जातीय विवाह का सामान्य प्रचलन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: भारतीय जाति व्यवस्था पारंपरिक रूप से एक बंद संस्करण (Closed System) रही है, जहाँ व्यवसाय जन्म से तय होते थे। प्रत्येक जाति का अपना पारंपरिक पेशा होता था, और इससे बाहर निकलना या बदलना अत्यंत कठिन था।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था, एंडोगेमी (Endogamy – सम-जातीय विवाह) और बहिर्जाति (Exogamy – अंतर-जातीय विवाह का निषेध) जैसे नियमों द्वारा शासित होती है। जी. एस. घुरिये जैसे समाजशास्त्रियों ने इस पर विस्तार से लिखा है।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था एक बंद संस्करण है, खुला नहीं। इसमें गतिशीलता की संभावना बहुत कम थी, और अंतर-जातीय विवाह आम तौर पर वर्जित था।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने “संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य” (Structural-Functional Perspective) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया?
- जॉर्ज सिमेल
- टॉल्कॉट पार्सन्स
- सिगमंड फ्रायड
- अल्बर्ट बंडुरा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: टॉल्कॉट पार्सन्स को आधुनिक युग में संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक माना जाता है। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था, अभिसमय (Consensus) और सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांतों का विकास किया।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल जैसे सिद्धांत सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाली विभिन्न प्रणालियों की व्याख्या करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि समाज कैसे अपने सदस्यों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- गलत विकल्प: जॉर्ज सिमेल ने स्वरूप (Form) पर ध्यान केंद्रित किया। सिगमंड फ्रायड मनोविश्लेषण से संबंधित हैं। अल्बर्ट बंडुरा सामाजिक अधिगम सिद्धांत से जुड़े हैं।
प्रश्न 14: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का तात्पर्य क्या है?
- समाज में वर्गों का उद्भव
- समाज में असमानता की व्यवस्था, जिसमें लोगों को उनकी सामाजिक स्थिति के आधार पर विभिन्न स्तरों में वर्गीकृत किया जाता है
- कक्षा संघर्ष का परिणाम
- सांस्कृतिक भिन्नताओं का अध्ययन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज अपने सदस्यों को धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, शिक्षा आदि जैसे विभिन्न संसाधनों तक असमान पहुँच के आधार पर ऊँच-नीच के विभिन्न स्तरों या परतों (strata) में व्यवस्थित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के विभिन्न रूप हैं जैसे जाति, वर्ग, लिंग, आयु आदि। डेविस और मूर (Davis and Moore) ने प्रकार्यात्मक सिद्धांत के तहत बताया कि स्तरीकरण समाज के लिए आवश्यक है क्योंकि यह सबसे योग्य व्यक्तियों को सबसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करने को प्रोत्साहित करता है।
- गलत विकल्प: ‘वर्गों का उद्भव’ स्तरीकरण का एक रूप है, पर यह पूरी परिभाषा नहीं है। ‘कक्षा संघर्ष’ स्तरीकरण का एक विश्लेषण है, न कि स्वयं स्तरीकरण। ‘सांस्कृतिक भिन्नताओं का अध्ययन’ नृविज्ञान का क्षेत्र है।
प्रश्न 15: भारतीय ग्रामीण समाज में “जजमानी व्यवस्था” (Jajmani System) किससे संबंधित है?
- अंतर-ग्राम व्यापार
- पारंपरिक सेवाओं के आदान-प्रदान पर आधारित सामाजिक-आर्थिक संबंध
- भूमि सुधार
- पंचायत प्रणाली
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: जजमानी व्यवस्था एक पारंपरिक भारतीय संस्था है जहाँ विभिन्न जातियों के बीच सेवाओं और वस्तुओं का आदान-प्रदान एक वंशानुगत और पारस्परिक संबंध पर आधारित होता है। एक जाति (जजमान) दूसरी जाति (कुम्हार, लोहार, नाई आदि) को सेवा के बदले में वस्तुएँ या आय देती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था सामाजिक पदानुक्रम और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बनाए रखती है। विलियम वाइजर (William Wiser) ने इस पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
- गलत विकल्प: यह अंतर-ग्राम व्यापार, भूमि सुधार या पंचायत प्रणाली नहीं है, बल्कि सेवाओं के आदान-प्रदान की एक विशिष्ट व्यवस्था है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सामाजिक परिवर्तन के “संघर्ष सिद्धांत” (Conflict Theory) का प्रमुख समर्थक था?
- लुईस कोज़र
- राल्फ डेहरनडॉर्फ़
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: कार्ल मार्क्स सामाजिक परिवर्तन के संघर्ष सिद्धांत के सबसे प्रमुख और प्रभावशाली विचारक थे। उन्होंने समाज के विकास को विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच निरंतर संघर्ष (विशेष रूप से बुर्जुआजी और सर्वहारा) का परिणाम माना।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह संघर्ष ही सामाजिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त करता है और समाज को एक अवस्था से दूसरी अवस्था में ले जाता है।
- गलत विकल्प: लुईस कोज़र और राल्फ डेहरनडॉर्फ़ ने भी संघर्ष के प्रकार्यों और स्रोतों पर लिखा, लेकिन उनका दृष्टिकोण मार्क्स से भिन्न था और वे अक्सर मार्क्सवादी परंपरा के भीतर या उसके आलोचक के रूप में काम करते थे। मैक्स वेबर ने संघर्ष को एक महत्वपूर्ण तत्व माना, लेकिन इसे मार्क्स के समान केंद्रीय स्थान नहीं दिया।
प्रश्न 17: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा का संबंध किससे है?
- वित्तीय संपत्ति
- व्यक्तिगत कौशल और योग्यता
- लोगों के बीच सामाजिक संबंध, नेटवर्क और विश्वास जिनसे लाभ प्राप्त होता है
- भौतिक संसाधनों तक पहुँच
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: सामाजिक पूंजी का तात्पर्य उन सामाजिक संबंधों, नेटवर्कों, समूह की सदस्यता और उन संबंधों से उत्पन्न होने वाले भरोसे और सहयोग से है जो व्यक्तियों या समूहों को लाभ पहुंचाते हैं। पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे विचारकों ने इस पर काम किया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत लाभ, सूचना तक पहुँच, समर्थन या सामूहिक कार्रवाई को सक्षम कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक मजबूत सामुदायिक नेटवर्क सामाजिक पूंजी का एक रूप है।
- गलत विकल्प: वित्तीय संपत्ति ‘आर्थिक पूंजी’ है। व्यक्तिगत कौशल ‘मानव पूंजी’ है। भौतिक संसाधनों तक पहुँच ‘आर्थिक’ या ‘सामाजिक’ शक्ति का परिणाम हो सकती है, लेकिन स्वयं सामाजिक पूंजी नहीं है।
प्रश्न 18: किस समाजशास्त्री ने “विभेदक साहचर्य सिद्धांत” (Differential Association Theory) का प्रतिपादन किया, जो बताता है कि अपराध कैसे सीखा जाता है?
- रॉबर्ट पार्क
- एडविन सदरलैंड
- एमिल दुर्खीम
- हॉवर्ड बेकर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: एडविन सदरलैंड ने “विभेदक साहचर्य सिद्धांत” प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार व्यक्ति अपने आस-पास के लोगों (विशेष रूप से प्राथमिक समूहों में) से अपराध और अपराध-विरोधी दोनों तरह के दृष्टिकोण, औचित्य और तकनीकें सीखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि अपराध सीखना अन्य सभी कौशलों की तरह ही होता है, और इसका सबसे अधिक प्रभाव तब पड़ता है जब यह बहुत कम उम्र में, अक्सर और महत्वपूर्ण लोगों से सीखा जाता है।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट पार्क और हॉवर्ड बेकर भी विचलन (Deviance) पर काम करते थे, लेकिन विभेदक साहचर्य सिद्धांत सदरलैंड से जुड़ा है। दुर्खीम ने एनोमी और आत्महत्या पर काम किया।
प्रश्न 19: “पूंजीवाद का उदय” (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) नामक प्रसिद्ध पुस्तक किसने लिखी?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एफ. तॉनीज
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: मैक्स वेबर ने अपनी प्रतिष्ठित पुस्तक “The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism” में तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट नैतिकता (विशेष रूप से कैल्विनवाद) ने पूंजीवाद के उदय के लिए एक महत्वपूर्ण “आध्यात्मिक” आधार प्रदान किया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने समझाया कि कैसे पूर्व-नियति (predestination) के कैल्विनवादी सिद्धांत ने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि उनकी व्यावसायिक सफलता ईश्वर की कृपा का संकेत हो सकती है, जिससे कड़ी मेहनत, मितव्ययिता और धन संचय को बढ़ावा मिला।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद का विश्लेषण आर्थिक आधार पर किया। एफ. तॉनीज ने ‘गेमेन्शाफ्ट’ (Gemeinschaft) और ‘गेसेलशाफ्ट’ (Gesellschaft) के बीच अंतर किया। दुर्खीम ने श्रम विभाजन और सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 20: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?
- एक समाज से दूसरे समाज में जाना
- एक समाज के भीतर व्यक्तियों या समूहों की स्थिति या स्तर में परिवर्तन
- किसी व्यक्ति के जीवन में सामाजिक संबंधों का विस्तार
- सामाजिक असमानता का स्थायित्व
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है किसी समाज के सदस्यों की सामाजिक स्थिति या स्तरों में होने वाला ऊपर या नीचे की ओर परिवर्तन। इसमें ऊर्ध्वाधर (Vertical) गतिशीलता (जैसे गरीबी से अमीरी) और क्षैतिज (Horizontal) गतिशीलता (जैसे एक नौकरी से दूसरी समान स्तर की नौकरी) शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्ति या समूह के जीवनकाल में (इंट्रा-जेनरेशनल) या विभिन्न पीढ़ियों के बीच (इंटर-जेनरेशनल) हो सकती है।
- गलत विकल्प: ‘एक समाज से दूसरे समाज में जाना’ प्रवासन (migration) है। ‘सामाजिक संबंधों का विस्तार’ सामाजिक पूंजी या नेटवर्क का निर्माण है। ‘सामाजिक असमानता का स्थायित्व’ स्तरीकरण की एक विशेषता है, गतिशीलता नहीं।
प्रश्न 21: नगरीय समाज (Urban Society) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?
- घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध
- कठोर सामाजिक नियंत्रण
- विविधीकरण और विशेषज्ञता
- प्रकृति पर अत्यधिक निर्भरता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: नगरीय समाज की विशेषताएँ अक्सर घनी आबादी, विविधीकृत जनसंख्या, श्रम का उच्च स्तर का विभाजन और विशेषज्ञता, तथा अमूर्त और अप्रत्यक्ष सामाजिक संबंध होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लुईस वर्थ (Louis Wirth) ने “Urbanism as a Way of Life” में शहरीकरण के सामाजिक प्रभावों का वर्णन किया, जिसमें अधिक मुखरता (Impersonality), स्वतंत्रता और प्रतिस्पर्धा शामिल है। श्रम विभाजन के कारण विभिन्न व्यवसायों और सेवाओं में विशेषज्ञता बढ़ती है।
- गलत विकल्प: घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध ग्रामीण या प्राथमिक समूहों की विशेषताएँ हैं। कठोर सामाजिक नियंत्रण अक्सर छोटे, पारंपरिक समाजों में पाया जाता है। प्रकृति पर निर्भरता भी ग्रामीण समाजों की विशेषता है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था समाज के “पुनरुत्पादन” (Reproduction) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
- मीडिया
- शिक्षा
- बाजार
- सेना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- Correctness: शिक्षा प्रणाली न केवल ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, बल्कि सामाजिक मूल्यों, मानदंडों, विश्वासों और अपेक्षाओं को भी अगली पीढ़ी तक पहुँचाती है, इस प्रकार समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक पुनरुत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- Context & Elaboration: शिक्षा सामाजिक समाजीकरण (Socialization) की एक प्राथमिक संस्था है। यह बच्चों को समाज में उनकी भूमिकाओं के लिए तैयार करती है और सांस्कृतिक निरंतरता को सुनिश्चित करती है।
- Incorrect Options: मीडिया भी सूचना और मूल्यों का प्रसार करता है, लेकिन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ही पुनरुत्पादन है। बाजार आर्थिक गतिविधियों पर केंद्रित है, और सेना सुरक्षा और व्यवस्था पर।
प्रश्न 23: “औद्योगीकरण” (Industrialization) का समाज पर निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रभाव है?
- पारंपरिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण
- श्रम के विभाजन में कमी
- शहरीकरण में वृद्धि
- वंशानुगत व्यवसायों का पुनरुज्जीवन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: औद्योगीकरण, जो उत्पादन की मशीनीकृत विधियों पर आधारित है, अक्सर लोगों को रोजगार के अवसरों की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे शहरीकरण में भारी वृद्धि होती है।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण ने परिवार की संरचना, सामाजिक स्तरीकरण, जीवन शैली और सामाजिक संबंधों में मौलिक परिवर्तन लाए। इसने श्रम के विभाजन को भी बढ़ाया, पारंपरिक संबंधों को कमजोर किया और नई सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया।
- गलत विकल्प: औद्योगीकरण ने पारंपरिक संबंधों को कमजोर किया, श्रम के विभाजन को बढ़ाया, और वंशानुगत व्यवसायों को कम महत्व दिया।
प्रश्न 24: “सामाजिक अनुसंधान” (Social Research) में “गुणात्मक विधि” (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- संख्यात्मक डेटा का संग्रह और विश्लेषण
- घटनाओं की आवृत्ति और मात्रा को मापना
- सामाजिक घटनाओं के अर्थ, अनुभव और संदर्भ को गहराई से समझना
- सांख्यिकीय सहसंबंध स्थापित करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य सामाजिक घटनाओं के पीछे के ‘क्यों’ और ‘कैसे’ को समझना है, जिसमें लोगों के अनुभव, भावनाएं, दृष्टिकोण और किसी स्थिति के संदर्भ में उनके द्वारा दिए गए अर्थ शामिल होते हैं। इसके लिए साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी आदि का उपयोग किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका लक्ष्य व्याख्यात्मक और वर्णनात्मक समझ विकसित करना है, न कि संख्यात्मक सटीकता।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प मात्रात्मक (Quantitative) अनुसंधान की विशेषताओं का वर्णन करते हैं, जहाँ संख्याओं और सांख्यिकी का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 25: “उत्तर-आधुनिकता” (Postmodernity) की अवधारणा के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह आधुनिकता का एक सरल विस्तार है।
- यह तर्कसंगतता, सार्वभौमिकता और प्रगति में विश्वास को चुनौती देता है।
- यह एकल, एकीकृत सत्य की खोज पर जोर देता है।
- यह बड़े आख्यानों (Grand Narratives) के सुदृढ़ीकरण की वकालत करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: उत्तर-आधुनिकता आधुनिकता की उन प्रमुख मान्यताओं को चुनौती देती है जो तर्कसंगतता, वैज्ञानिक प्रगति, सार्वभौमिक सत्य और महान आख्यानों (जैसे धर्म, मार्क्सवाद) पर आधारित थीं। यह बहुलतावाद, विखंडन और स्थानीय आख्यानों (local narratives) पर जोर देती है।
- संदर्भ और विस्तार: उत्तर-आधुनिक विचारक जैसे जीन बॉड्रिलार्ड (Jean Baudrillard) और मिशेल फूको (Michel Foucault) ने आधुनिकता के बाद के समाज की जटिलताओं, जैसे सिमुलेशन (simulation) और हाइपररियलिटी (hyperreality) का विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: उत्तर-आधुनिकता आधुनिकता का विस्तार नहीं, बल्कि एक आलोचनात्मक प्रतिक्रिया है। यह एकल सत्य की खोज के बजाय बहुल सत्य (multiple truths) को स्वीकार करती है, और बड़े आख्यानों को कमजोर या खंडित मानती है।