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समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपनी संकल्पनाओं को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपनी संकल्पनाओं को परखें!

नमस्ते, भावी समाजशास्त्री! आज की यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपकी समाजशास्त्रीय समझ को और गहरा करने के लिए डिज़ाइन की गई है। अपने ज्ञान की धार को तेज करें, अपनी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को चुनौती दें, और सफलता की ओर एक और कदम बढ़ाएं। आइए, शुरू करें यह बौद्धिक सफर!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सबलीकरण” (Manifest Functions) और “अप्रत्यक्ष कार्य” (Latent Functions) की अवधारणाएँ किस समाजशास्त्रीय उपागम से जुड़ी हैं?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
  4. उत्तर-आधुनिकतावाद (Post-modernism)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: रॉबर्ट के. मर्टन ने संरचनात्मक प्रकार्यवाद के अपने विश्लेषण में “सबलीकरण” (स्पष्ट, इच्छित कार्य) और “अप्रत्यक्ष कार्य” (स्पष्ट न होने वाले, अनपेक्षित कार्य) की अवधारणाओं को पेश किया।
  • संदर्भ और विस्तार: ये अवधारणाएँ सामाजिक संस्थाओं और व्यवहारों के अनपेक्षित परिणामों को समझने में मदद करती हैं। मर्टन ने अपनी पुस्तक “Social Theory and Social Structure” में इस पर विस्तार से चर्चा की है।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (मार्क्स) सामाजिक असमानता और शक्ति पर केंद्रित है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (मीड) सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों पर जोर देता है। उत्तर-आधुनिकतावाद सामाजिक संरचनाओं की निश्चितता पर सवाल उठाता है।

प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सी विशेषता ‘वर्ग’ (Class) की तुलना में ‘जाति’ (Caste) को अधिक विशिष्ट बनाती है?

  1. गतिशीलता (Mobility)
  2. अंतर्विवाह (Endogamy)
  3. पेशा (Occupation)
  4. धन (Wealth)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: जाति व्यवस्था में ‘अंतर्विवाह’ (अपनी जाति के भीतर विवाह करना) एक प्रमुख विशेषता है जो इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: जबकि वर्ग में भी कुछ हद तक गतिशीलता, पेशा और धन महत्वपूर्ण होते हैं, जाति व्यवस्था इन पर एक बंद व्यवस्था के रूप में सख्त प्रतिबंध लगाती है, खासकर विवाह के संबंध में।
  • गलत विकल्प: वर्ग में भी गतिशीलता (कठोर या लचीली) हो सकती है। पेशा और धन वर्ग निर्धारण में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जाति में यह संबंध अधिक कठोर और जन्मजात होता है।

प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज की एकता का मूल स्रोत क्या है?

  1. व्यक्तिगत स्वार्थ (Individual Self-interest)
  2. साझा मान्यताएँ और मूल्य (Shared Beliefs and Values)
  3. शक्ति और प्रभुत्व (Power and Domination)
  4. बाजार व्यवस्था (Market Economy)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: दुर्खीम ने “साझा मान्यताएँ और मूल्य” (जिन्हें वे “सामूहिक चेतना” कहते हैं) को सामाजिक एकजुटता और सामंजस्य का आधार माना, विशेष रूप से यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity) वाले समाजों में।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक “The Division of Labour in Society” में, उन्होंने दर्शाया कि जैसे-जैसे समाज में श्रम विभाजन बढ़ता है (जैविक एकता – Organic Solidarity), एकता का आधार व्यक्तिगत भिन्नता का पारस्परिक आश्रय बन जाता है, लेकिन तब भी साझा मूल्यों की आवश्यकता बनी रहती है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत स्वार्थ पूंजीवाद का प्रमुख तत्व है। शक्ति और प्रभुत्व संघर्ष सिद्धांत का केंद्रीय विषय है। बाजार व्यवस्था जैविक एकता में भूमिका निभा सकती है, लेकिन यह एकता का एकमात्र या मूल स्रोत नहीं है।

प्रश्न 4: ‘अजनबी’ (The Stranger) की समाजशास्त्रीय अवधारणा का संबंध किस विचारक से है?

  1. जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel)
  2. मैक्स वेबर (Max Weber)
  3. कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
  4. इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: जॉर्ज सिमेल ने “The Stranger” नामक निबंध में अजनबी की समाजशास्त्रीय अवधारणा का विश्लेषण किया, जो समाज का सदस्य होते हुए भी उससे भिन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सिमेल के अनुसार, अजनबी समाज के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अपनी दूरी के कारण वस्तुनिष्ठता बनाए रख सकता है और समूह के आंतरिक पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर नए विचारों और संबंधों को जन्म दे सकता है।
  • गलत विकल्प: वेबर नौकरशाही और शक्ति के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। मार्क्स वर्ग संघर्ष के अपने सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध हैं। गॉफमैन ने सामाजिक अंतःक्रियाओं को नाटकीय रूपक (Dramaturgy) के माध्यम से समझाया।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, एन. के. बोस द्वारा प्रतिपादित कौन सी महत्वपूर्ण अवधारणा है?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. सार्वभौमिकरण (Universalization)
  3. सांस्कृतिक समरूपता (Cultural Homogenization)
  4. सांस्कृतिक समायोजन (Cultural Adjustment)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एन. के. बोस ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण के संदर्भ में “सांस्कृतिक समायोजन” की अवधारणा दी, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय लोग पश्चिमी प्रभाव को पूरी तरह स्वीकार किए बिना, अपनी पारंपरिक संस्कृति के साथ उसे समायोजित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: बोस का मानना था कि भारतीय समाज पश्चिमीकरण को जस का तस नहीं अपनाता, बल्कि उसे अपनी सांस्कृतिक संरचनाओं के भीतर ढाल लेता है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (एम.एन. श्रीनिवास) पश्चिमी संस्कृति को अपनाने की प्रक्रिया है। सार्वभौमिकरण (D.P. Mukerji) क्षेत्रीय संस्कृतियों का राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार है। सांस्कृतिक समरूपता एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ सभी संस्कृतियाँ एक समान हो जाती हैं, जो बोस के विचार से भिन्न है।

प्रश्न 6: मैरी डगलस के अनुसार, “शुद्धता और खतरा” (Purity and Danger) की अवधारणाएँ किससे संबंधित हैं?

  1. सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)
  2. प्रतीकात्मक व्यवस्थाएँ (Symbolic Systems)
  3. आर्थिक असमानता (Economic Inequality)
  4. राजनीतिक शक्ति (Political Power)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मैरी डगलस ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “Purity and Danger” में दिखाया कि कैसे विभिन्न संस्कृतियाँ “शुद्ध” (व्यवस्थित, परिचित) और “खतरनाक” (अव्यवस्थित, अपरिचित) के बीच भेद करके अपनी प्रतीकात्मक व्यवस्थाएँ बनाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये भेद केवल भौतिक या धार्मिक नहीं होते, बल्कि सामाजिक और संज्ञानात्मक (cognitive) भी होते हैं, और नियमों, वर्जनाओं और वर्गीकरणों के माध्यम से प्रकट होते हैं।
  • गलत विकल्प: ये अवधारणाएँ सीधे तौर पर सामाजिक स्तरीकरण, आर्थिक असमानता या राजनीतिक शक्ति से नहीं जुड़ी हैं, बल्कि वे इन संरचनाओं को प्रतीकात्मक रूप से कैसे समझा और व्यवस्थित किया जाता है, इससे संबंधित हैं।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘पारिवारिक’ (Familial) नहीं है?

  1. विवाह (Marriage)
  2. वंशानुक्रम (Kinship)
  3. धर्म (Religion)
  4. परिवार (Family)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: धर्म एक प्रमुख सामाजिक संस्था है, लेकिन यह सीधे तौर पर ‘पारिवारिक’ संस्था का हिस्सा नहीं है। विवाह, वंशानुक्रम और परिवार ये तीनों एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और परिवार की संरचना व कार्यप्रणाली का अभिन्न अंग हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र में, परिवार, विवाह और वंशानुक्रम को अक्सर एक साथ अध्ययन किया जाता है क्योंकि ये रक्त संबंधों, विवाह संबंधों और सामाजिक पुनरुत्पादन से संबंधित हैं। धर्म व्यक्तिगत और सामूहिक विश्वासों, प्रथाओं और नैतिकता से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: विवाह परिवार का आधार है। वंशानुक्रम परिवार की निरंतरता और सदस्यों के बीच संबंधों को परिभाषित करता है। परिवार समाज की मौलिक इकाई है।

  • प्रश्न 8: हर्बर्ट स्पेंसर ने समाज के अध्ययन के लिए किस जैविक उपमा (Biological Analogy) का प्रयोग किया?

    1. आनुवंशिकी (Genetics)
    2. जैविक विकास (Biological Evolution)
    3. कोशिका संरचना (Cellular Structure)
    4. तंत्रिका तंत्र (Nervous System)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: हर्बर्ट स्पेंसर ने समाज की तुलना एक “जैविक जीव” से की और सामाजिक विकास की व्याख्या “जैविक विकास” के सिद्धांतों, विशेषकर डार्विन के प्राकृतिक चयन के सिद्धांतों (Social Darwinism) के माध्यम से की।
    • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने तर्क दिया कि समाज सरल से जटिल रूपों में विकसित होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे जैविक प्रजातियाँ। उनकी प्रसिद्ध उपमा “समाज एक जीव है” (Society is like an organism) है।
    • गलत विकल्प: आनुवंशिकी, कोशिका संरचना और तंत्रिका तंत्र जैविक प्रक्रियाएँ हैं, लेकिन स्पेंसर की मुख्य उपमा समग्र ‘जैविक विकास’ की थी, न कि किसी एक विशिष्ट जैविक प्रक्रिया की।

    प्रश्न 9: निम्नांकित में से कौन सी स्थिति ‘विस्थापन’ (Alienation) की वेबरियन अवधारणा से सबसे कम संबंधित है?

    1. श्रमिक का उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव (Worker’s separation from the process of production)
    2. श्रमिक का अपने श्रम के फल से अलगाव (Worker’s separation from the product of his labour)
    3. श्रमिक का अपनी मानव प्रजाति से अलगाव (Worker’s separation from his species-being)
    4. नौकरशाही में निर्णय-प्रक्रिया का अवैयक्तिकरण (Impersonalization of decision-making in bureaucracy)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘विस्थापन’ (Alienation) की अवधारणा को विस्तृत रूप से समझाया, जिसमें श्रमिक का उत्पादन प्रक्रिया, उसके श्रम के फल, अन्य श्रमिकों और अपनी “मानव प्रजाति” (Species-being) से अलगाव शामिल है। नौकरशाही में निर्णय-प्रक्रिया का अवैयक्तिकरण मैक्स वेबर की अवधारणा है, जो विस्थापन से भिन्न है, हालांकि इसमें भी एक प्रकार का अलगाव निहित हो सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली श्रमिकों को उनके श्रम से अलग कर देती है, जिससे उनमें विस्थापन की भावना पैदा होती है। वेबर ने नौकरशाही की विशेषता के रूप में अवैयक्तिक और नियम-आधारित संबंधों का वर्णन किया।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सीधे तौर पर मार्क्स के विस्थापन के सिद्धांत के प्रमुख पहलू हैं।

    प्रश्न 10: सामाजिक अनुसंधान में ‘गुणात्मक’ (Qualitative) विधि का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

    1. बड़े पैमाने पर सामान्यीकरण करना (To generalize on a large scale)
    2. चरों के बीच कारण-कार्य संबंध स्थापित करना (To establish cause-effect relationships between variables)
    3. सामाजिक घटनाओं के अर्थ और संदर्भ को समझना (To understand the meaning and context of social phenomena)
    4. जनसंख्या का सांख्यिकीय विश्लेषण करना (To statistically analyze a population)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: गुणात्मक विधियों (जैसे साक्षात्कार, नृवंशविज्ञान) का मुख्य उद्देश्य किसी सामाजिक घटना के पीछे छिपे अर्थों, अनुभवों और संदर्भों को गहराई से समझना होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: ये विधियाँ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर देने में सहायक होती हैं, जो प्रतिभागियों के दृष्टिकोण को समझने पर केंद्रित होती हैं।
    • गलत विकल्प: बड़े पैमाने पर सामान्यीकरण और सांख्यिकीय विश्लेषण मात्रात्मक (Quantitative) विधियों का लक्ष्य है। चर के बीच कारण-कार्य संबंध स्थापित करना भी अक्सर मात्रात्मक विधियों द्वारा किया जाता है, हालांकि गुणात्मक विधियाँ भी कुछ अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती हैं।

    प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा समूह ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) का एक उदाहरण है?

    1. एक फुटबॉल टीम (A football team)
    2. एक विश्वविद्यालय का छात्र संघ (A university student union)
    3. एक परिवार (A family)
    4. एक राजनीतिक दल (A political party)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: चार्ल्स कूली द्वारा परिभाषित ‘प्राथमिक समूह’ घनिष्ठ, आमने-सामने की अंतःक्रिया, सहयोग और “हम” की भावना पर आधारित होते हैं। परिवार इस परिभाषा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
    • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूह व्यक्ति के समाजीकरण और व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • गलत विकल्प: फुटबॉल टीम, छात्र संघ और राजनीतिक दल अक्सर द्वितीयक समूह (Secondary Groups) के उदाहरण होते हैं, जिनमें अंतःक्रियाएँ अधिक अनौपचारिक, उद्देश्य-उन्मुख और सीमित होती हैं।

    प्रश्न 12: जी. एच. मीड के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणाएँ किससे संबंधित हैं?

    1. समाज की संरचना (The structure of society)
    2. आत्म (Self) के विकास की प्रक्रिया (The process of self-development)
    3. सामाजिक नियंत्रण के साधन (Means of social control)
    4. शक्ति का वितरण (Distribution of power)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अपने सिद्धांत में ‘आत्म’ (Self) के विकास को समझाने के लिए ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं।
    • संदर्भ और विस्तार: ‘मी’ (Me) समाज द्वारा आत्मसात किए गए दृष्टिकोणों (Generalized Other) का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘मैं’ (I) व्यक्ति की प्रतिक्रियात्मक, अनूठी और अप्रत्याशित प्रकृति है। आत्म इन दोनों के बीच एक सतत संवाद के माध्यम से विकसित होता है।
    • गलत विकल्प: ये अवधारणाएँ सीधे तौर पर समाज की संरचना, सामाजिक नियंत्रण या शक्ति वितरण से नहीं जुड़ी हैं, बल्कि यह समझाती हैं कि व्यक्ति समाज के साथ अंतःक्रिया करके अपना ‘आत्म’ कैसे विकसित करता है।

    प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा ‘वर्ण’ (Varna) व्यवस्था का हिस्सा नहीं है?

    1. ब्राह्मण (Brahmin)
    2. क्षत्रिय (Kshatriya)
    3. वैश्य (Vaishya)
    4. दलित (Dalit)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: प्राचीन भारतीय वर्ण व्यवस्था में चार मुख्य वर्ण थे: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। ‘दलित’ शब्द का प्रयोग आधुनिक समय में उन जातियों के लिए किया जाता है जिन्हें ऐतिहासिक रूप से अस्पृश्य माना जाता था और वे वर्ण व्यवस्था से बाहर थे।
    • संदर्भ और विस्तार: वर्ण व्यवस्था जन्म और कर्म पर आधारित एक सैद्धांतिक स्तरीकरण था, जबकि जाति व्यवस्था इससे अधिक जटिल और ऐतिहासिक रूप से विकसित हुई।
    • गलत विकल्प: ब्राह्मण (पुरोहित/विद्वान), क्षत्रिय (योद्धा/शासक) और वैश्य (व्यापारी/कृषक) वर्ण व्यवस्था के हिस्से हैं।

    प्रश्न 14: भारत में ‘पंचायती राज’ व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. केंद्रीकृत शासन को मजबूत करना (To strengthen centralized governance)
    2. स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देना (To promote local self-governance)
    3. ग्रामीण विद्युतीकरण (Rural electrification)
    4. भूमि सुधार लागू करना (To implement land reforms)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: पंचायती राज व्यवस्था भारत में स्थानीय स्तर पर स्वशासन की संस्थाओं को स्थापित करने और उन्हें सशक्त बनाने का एक प्रयास है, जिसका उद्देश्य लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण है।
    • संदर्भ और विस्तार: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने इसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
    • गलत विकल्प: यह केंद्रीकृत शासन को मजबूत नहीं करता, बल्कि शक्तियों का विकेंद्रीकरण करता है। जबकि विद्युतीकरण और भूमि सुधार इसके कार्यों में शामिल हो सकते हैं, मुख्य उद्देश्य स्वशासन है।

    प्रश्न 15: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब:

    1. किसी व्यक्ति को एक ही भूमिका में परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है (A person faces contradictory expectations within a single role)
    2. किसी व्यक्ति को विभिन्न भूमिकाओं में परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है (A person faces contradictory expectations in different roles)
    3. समाज में भूमिकाओं का अभाव होता है (There is a lack of roles in society)
    4. भूमिकाएं अत्यधिक स्पष्ट और निश्चित होती हैं (Roles are highly clear and fixed)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) तब होता है जब किसी व्यक्ति को उसकी विभिन्न सामाजिक भूमिकाओं (जैसे, पिता, कर्मचारी, नागरिक) से जुड़ी अपेक्षाओं को एक साथ पूरा करने में कठिनाई होती है, और ये अपेक्षाएँ परस्पर विरोधी होती हैं। ‘भूमिका तनाव’ (Role Strain) तब होता है जब एक ही भूमिका के भीतर परस्पर विरोधी अपेक्षाएँ होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को काम पर देर तक रुकना पड़ सकता है (कर्मचारी की भूमिका) लेकिन उसी समय उसे अपने बच्चे को स्कूल से लाने की उम्मीद होती है (माता-पिता की भूमिका)।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a) ‘भूमिका तनाव’ का वर्णन करता है। विकल्प (c) और (d) भूमिका संघर्ष के कारण नहीं हैं।

    प्रश्न 16: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा ‘विभेदक साहचर्य सिद्धांत’ (Differential Association Theory) से संबंधित है?

    1. ए. कोहेन (A. Cohen)
    2. एडविन सदरलैंड (Edwin Sutherland)
    3. ट्रैविस हिर्शी (Travis Hirschi)
    4. रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: एडविन सदरलैंड ने ‘विभेदक साहचर्य सिद्धांत’ को विकसित किया, जिसमें तर्क दिया गया है कि आपराधिक व्यवहार सीखा जाता है, विशेष रूप से उन समूहों के साथ साहचर्य के माध्यम से जो आपराधिक व्यवहार को अधिक अनुकूल बनाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि व्यक्ति विभिन्न लोगों के साथ बातचीत करके, कुछ लोग अपराध की ओर झुकाव पैदा करने वाली व्याख्याओं के संपर्क में आते हैं।
    • गलत विकल्प: कोहेन उपसंस्कृति सिद्धांत से जुड़े हैं। हिर्शी नियंत्रण सिद्धांत (Control Theory) से जुड़े हैं। मर्टन ने तनाव सिद्धांत (Strain Theory) और अनॉमी (Anomie) पर काम किया।

    प्रश्न 17: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में क्या शामिल होता है?

    1. केवल कला और साहित्य (Only art and literature)
    2. मानव निर्मित भौतिक वस्तुएँ (Human-made material objects)
    3. सीखे हुए व्यवहार, मान्यताएँ, मूल्य और प्रतीक (Learned behaviours, beliefs, values, and symbols)
    4. वंशानुगत आनुवंशिक विशेषताएँ (Hereditary genetic traits)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: समाजशास्त्र में, संस्कृति को किसी समूह के सदस्यों द्वारा सीखा गया व्यवहार, विचार, विश्वास, मूल्य, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई अन्य क्षमता और आदतें के संपूर्ण जटिल के रूप में परिभाषित किया जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें भौतिक संस्कृति (जैसे औजार, भवन) और अभौतिक संस्कृति (जैसे विचार, भाषा) दोनों शामिल हैं।
    • गलत विकल्प: (a) और (b) संस्कृति के केवल कुछ हिस्से हैं। (d) जैविक है, सांस्कृतिक नहीं।

    प्रश्न 18: ‘अनॉमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्रीय विचारक से सबसे अधिक गहराई से जुड़ी है?

    1. कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
    2. मैक्स वेबर (Max Weber)
    3. एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim)
    4. हरबर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘अनॉमी’ की अवधारणा को विस्तृत रूप से विकसित किया, जिसका अर्थ है कि जब सामाजिक मानदंड कमजोर या अनुपस्थित होते हैं, तो व्यक्ति दिशाहीन महसूस करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने इसे आत्महत्या के विश्लेषण (“Suicide”) में एक महत्वपूर्ण कारण के रूप में पहचाना, जहाँ सामाजिक नियंत्रण का क्षरण होता है। रॉबर्ट मर्टन ने बाद में इसे अपराध और विचलन के संदर्भ में विस्तारित किया।
    • गलत विकल्प: मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता पर ध्यान केंद्रित किया। स्पेंसर ने विकासवादी सिद्धांतों का उपयोग किया।

    प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का एक रूप नहीं है?

    1. दासता (Slavery)
    2. जाति (Caste)
    3. वर्ग (Class)
    4. समाज (Society)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: समाज (Society) एक सामाजिक व्यवस्था है, जबकि दासता, जाति और वर्ग विभिन्न प्रकार की सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियाँ हैं जिनमें लोगों को उनकी स्थिति, अधिकार और विशेषाधिकारों के आधार पर पदानुक्रमित रूप से व्यवस्थित किया जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण एक सार्वभौमिक सामाजिक विशेषता है जो व्यक्तियों और समूहों को असमान अवसर और जीवन शैली प्रदान करती है।
    • गलत विकल्प: दासता, जाति और वर्ग सभी सामाजिक स्तरीकरण के सिद्धान्तों का हिस्सा हैं।

    प्रश्न 20: ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) के विश्लेषण में कार्ल मार्क्स द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रमुख अवधारणा क्या है?

    1. नौकरशाही (Bureaucracy)
    2. तर्कसंगतता (Rationality)
    3. वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
    4. आदर्श प्रारूप (Ideal Type)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज का मूल इंजन ‘वर्ग संघर्ष’ है, जो उत्पादन के साधनों के स्वामित्व को लेकर बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (मजदूर वर्ग) के बीच होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उनका मानना था कि यह संघर्ष अंततः समाजवाद और साम्यवाद की ओर ले जाएगा।
    • गलत विकल्प: नौकरशाही और आदर्श प्रारूप (Ideal Type) मैक्स वेबर की प्रमुख अवधारणाएँ हैं। तर्कसंगतता वेबर के समाज के तर्कसंगतकरण (Rationalization) के सिद्धांत का केंद्रीय विषय है।

    प्रश्न 21: ‘धर्म’ (Religion) के समाजशास्त्रीय अध्ययन में, एमिल दुर्खीम ने धर्म को किस रूप में देखा?

    1. एक व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक अनुभव (A purely individual psychological experience)
    2. समाज की एकता का प्रतीक (A symbol of social unity)
    3. भ्रम और अज्ञानता का स्रोत (A source of delusion and ignorance)
    4. आर्थिक शोषण का साधन (A tool for economic exploitation)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Elementary Forms of Religious Life” में तर्क दिया कि धर्म “समाज का ही एक रूप है”, जो समाज के सदस्यों को एकजुट करता है और सामूहिक चेतना को मजबूत करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने पवित्र (Sacred) और अपवित्र (Profane) के बीच भेद को धर्म का मूल माना और इसे सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण बताया।
    • गलत विकल्प: (a) दुर्खीम इसे व्यक्तिगत से अधिक सामाजिक मानते थे। (c) यह मार्क्सवादी या नास्तिक दृष्टिकोण हो सकता है। (d) यह भी मार्क्सवादी दृष्टिकोण से अधिक संबंधित है।

    प्रश्न 22: निम्नांकित में से कौन सी ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Group) की विशेषता है?

    1. घनिष्ठ और व्यक्तिगत संबंध (Intimate and personal relationships)
    2. लंबे समय तक चलने वाली अंतःक्रिया (Long-lasting interactions)
    3. अस्पष्ट और उद्देश्य-उन्मुख संबंध (Impersonal and goal-oriented relationships)
    4. भावनाओं की गहन भागीदारी (Deep emotional involvement)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: द्वितीयक समूह वे होते हैं जिनमें संबंध आमतौर पर अस्पष्ट, अनौपचारिक और किसी विशेष उद्देश्य या लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए होते हैं। अंतःक्रियाएँ अक्सर अल्पकालिक और उपकरण-आधारित होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरणों में कार्यस्थल, विश्वविद्यालय, राजनीतिक दल आदि शामिल हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) प्राथमिक समूहों की विशेषताएँ हैं, जहाँ संबंध घनिष्ठ, दीर्घकालिक और भावनात्मक रूप से सघन होते हैं।

    प्रश्न 23: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?

    1. विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn)
    2. मैनहट्टन स्कॉट (Manhattan Scott)
    3. चार्ल्स कूली (Charles Cooley)
    4. पीटर एल. बर्जर (Peter L. Berger)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा पेश की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, रीति-रिवाज, मूल्य) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में असंतुलन या विलंब उत्पन्न होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट के आगमन ने संचार के तरीकों को तेज़ी से बदला, लेकिन गोपनीयता और डेटा सुरक्षा से संबंधित कानून और सामाजिक मानदंड इस गति से नहीं बदल पाए।
    • गलत विकल्प: कूली प्राथमिक समूह और आत्म-अवधारणा से जुड़े हैं। बर्जर धर्म और समाजशास्त्र से जुड़े हैं। मैनहट्टन स्कॉट समाजशास्त्रीय अध्ययन में एक प्रमुख नाम नहीं है।

    प्रश्न 24: भारतीय समाज में ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?

    1. एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas)
    2. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर (Dr. B.R. Ambedkar)
    3. इरावती कर्वे (Iravati Karve)
    4. एस.सी. दुबे (S.C. Dubey)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “Social Change in Modern India” में भारत में पश्चिमीकरण की अवधारणा का व्यापक रूप से प्रयोग किया, जो ब्रिटिश शासन के प्रभाव के कारण जीवन शैली, खान-पान, पहनावा, शिक्षा और विचारों में आए बदलावों को दर्शाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने इसे सामाजिक, सांस्कृतिक और वैचारिक परिवर्तनों के एक जटिल समूह के रूप में परिभाषित किया।
    • गलत विकल्प: अम्बेडकर ने दलितों के उत्थान और सामाजिक न्याय पर काम किया। कर्वे ने परिवार और नातेदारी पर काम किया। दुबे ने भारतीय गाँवों और समाजशास्त्रीय सिद्धांतों पर लिखा।

    प्रश्न 25: ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) में परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए कौन सी विधि सबसे उपयुक्त हो सकती है?

    1. सर्वेक्षण (Survey)
    2. साक्षात्कार (Interview)
    3. प्रकरण अध्ययन (Case Study)
    4. उपरोक्त सभी (All of the above)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: पारिवारिक संरचना में परिवर्तन एक बहुआयामी विषय है। सर्वेक्षण बड़े पैमाने पर पैटर्न को समझने के लिए उपयोगी है। साक्षात्कार व्यक्तिगत अनुभवों और कारणों को गहराई से जानने में मदद करते हैं। प्रकरण अध्ययन (Case Study) एक विशिष्ट परिवार या परिवारों के समूह के गहन अध्ययन की अनुमति देता है। इसलिए, इन विधियों का संयोजन सबसे व्यापक समझ प्रदान कर सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: अनुसंधान के प्रश्नों के आधार पर, प्रत्येक विधि के अपने फायदे और नुकसान हैं। एक मिश्रित-विधि (Mixed-methods) दृष्टिकोण अक्सर सबसे प्रभावी होता है।
    • गलत विकल्प: केवल एक विधि का प्रयोग सीमित जानकारी प्रदान करेगा।

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