समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपने ज्ञान को परखें!
समाजशास्त्र के जिज्ञासुओं, तैयार हो जाइए! आज की यह दैनिक परीक्षा आपके सामाजिक चिंतन को तेज करने और मुख्य समाजशास्त्रीय अवधारणाओं, विचारकों और सिद्धांतों पर आपकी पकड़ को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन की गई है। क्या आप अपने ज्ञान का स्तर बढ़ाने और आगामी परीक्षाओं के लिए आत्मविश्वास हासिल करने के लिए तैयार हैं?
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने बाहरी, बाध्यकारी और सामान्य के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- Émile Durkheim
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: Émile Durkheim ने अपनी पुस्तक “The Rules of Sociological Method” में “सामाजिक तथ्य” (social facts) की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने इसे इस प्रकार परिभाषित किया: “प्रत्येक वह तरीका, चाहे वह निश्चित हो या न हो, जो व्यक्ति पर बाहर से बाध्यकारी हो, या जो किसी समाज में, उसकी आंतरिक रूप से निश्चित होकर भी, सभी व्यक्तियों द्वारा व्यक्त किया जाता है।”
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्ति के मन के बाहर मौजूद होते हैं और उन पर सामाजिक दबाव डालते हैं। ये सामाजिक संरचनाओं, जैसे कानून, रीति-रिवाज, नैतिकता, विश्वास और भावनाएं हो सकती हैं। यह अवधारणा समाजशास्त्र को मनोविज्ञान और दर्शन से अलग करती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद पर था; मैक्स वेबर ने “सामाजिक क्रिया” और “Verstehen” (समझ) पर जोर दिया; हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का समर्थन किया।
प्रश्न 2: भारत में, ‘जाति व्यवस्था’ को समझने के लिए एम.एन. श्रीनिवास द्वारा किस शब्द का प्रयोग किया गया था, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है?
- पश्चिमीकरण
- आधुनिकीकरण
- धर्मनिरपेक्षीकरण
- संस्कृतीकरण
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) शब्द गढ़ा। यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से निम्न जातियों या जनजातियाँ उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों, अनुष्ठानों और विचारधाराओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, जो सामाजिक स्तरीकरण के भीतर सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करता है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है; ‘आधुनिकीकरण’ तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से जुड़ा है; ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ धर्म के प्रभाव में कमी को दर्शाता है।
प्रश्न 3: निम्नांकित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘अलगाव’ (Alienation) से सबसे अधिक संबंधित है, जिसे कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक के अनुभव का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया?
- परायापन
- एकात्मकता
- एकीकरण
- सामाजिक नियंत्रण
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का उपयोग यह बताने के लिए किया कि कैसे पूंजीवादी व्यवस्था में, श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, अपने साथी श्रमिकों और अंततः अपनी मानव प्रजाति-सार (species-being) से अलग हो जाता है। ‘परायापन’ (estrangement) अलगाव का एक समानार्थी है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ (1844)’ में इस अवधारणा की विस्तार से चर्चा की। उनके अनुसार, यह अलगाव उत्पादन के साधनों पर श्रमिक के नियंत्रण की कमी और उसके श्रम के वस्तुकरण का परिणाम है।
- गलत विकल्प: ‘एकात्मकता’ (cohesion) सामाजिक एकता को दर्शाती है; ‘एकीकरण’ (integration) समाज के विभिन्न भागों के मिलन को बताता है; ‘सामाजिक नियंत्रण’ (social control) समाज में व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 4: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया: उद्देश्यपूर्ण-तर्कसंगत, मूल्य-तर्कसंगत, भावनात्मक और पारंपरिक?
- Émile Durkheim
- Max Weber
- Talcott Parsons
- Alfred Schutz
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया के चार प्रकारों को पहचाना: (1) उद्देश्यपूर्ण-तर्कसंगत क्रिया ( Zweckrational), (2) मूल्य-तर्कसंगत क्रिया (Wertrational), (3) भावनात्मक क्रिया (Affectual), और (4) पारंपरिक क्रिया (Traditional)।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र का उद्देश्य सामाजिक क्रिया को समझना और उसकी व्याख्या करना है। उनकी यह वर्गीकरण व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का आधार है, जिसे उन्होंने ‘Verstehen’ के माध्यम से विकसित किया।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों पर ध्यान केंद्रित किया; पार्सन्स ने अपने AGIL मॉडल के साथ संरचनात्मक-प्रजातिवाद (structural-functionalism) का विकास किया; शुट्ज़ ने फेनोमेनोलॉजी (phenomenology) को समाजशास्त्र में लागू किया।
प्रश्न 5: समाज में सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का वह रूप क्या है जो जन्म पर आधारित होता है, अत्यधिक कठोर होता है, और एक व्यक्ति की सामाजिक स्थिति को निर्धारित करता है, जिसमें गतिशीलता की संभावना बहुत कम होती है?
- वर्ग
- जाति
- दासता
- एस्टेट (Estate)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में पाई जाने वाली जाति व्यवस्था सामाजिक स्तरीकरण का एक ऐसा रूप है जो जन्म पर आधारित है, अत्यधिक कठोर है, और इसमें सामाजिक गतिशीलता (social mobility) की गुंजाइश बहुत कम होती है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था कठोर अंतःसमूह (endogamy) के नियमों, व्यवसायों के निर्धारण, खान-पान पर प्रतिबंध और पदानुक्रमित स्थिति से चिह्नित होती है। यह एक अनुवांशिक व्यवस्था है।
- गलत विकल्प: ‘वर्ग’ (class) मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति पर आधारित होता है और इसमें कुछ गतिशीलता संभव है; ‘दासता’ (slavery) एक ऐसी प्रणाली है जहाँ व्यक्ति को संपत्ति माना जाता है; ‘एस्टेट’ (estate) सामंती व्यवस्था में पाया जाने वाला एक स्तरीकरण का रूप था (जैसे पादरी, कुलीन, सामान्य)।
प्रश्न 6: किस समाजशास्त्री ने ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा को समाज में सामाजिक मानदंडों की शिथिलता या अनुपस्थिति से उत्पन्न होने वाली सामाजिक अव्यवस्था की स्थिति का वर्णन करने के लिए पेश किया?
- Karl Marx
- Max Weber
- Émile Durkheim
- Robert Merton
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: Émile Durkheim ने ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा को विकसित किया। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज में सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का अभाव हो जाता है, या वे कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तकों “The Division of Labour in Society” और “Suicide” में अनमी का विश्लेषण किया। उन्होंने इसे सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या अनियंत्रित आकांक्षाओं के कारण उत्पन्न होने वाली एक सामाजिक विकृति के रूप में देखा।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने अनमी को अमेरिकी समाज में लक्ष्यों और साधनों के बीच असंतुलन के रूप में समझाया; मार्क्स का मुख्य ध्यान आर्थिक असमानता पर था; वेबर ने सामाजिक क्रिया पर जोर दिया।
प्रश्न 7: निम्नांकित में से कौन सी संस्था समाज के सदस्यों के बीच यौन व्यवहार को नियंत्रित करने, बच्चों को जन्म देने, उनकी परवरिश करने और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का प्राथमिक कार्य करती है?
- शिक्षा
- धर्म
- परिवार
- राजनीति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: परिवार (Family) समाज की एक सार्वभौमिक संस्था है जो यौन व्यवहार को नियंत्रित करने, प्रजनन, समाजीकरण, आर्थिक सहायता और भावनात्मक समर्थन जैसे प्राथमिक कार्य करती है।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार के विभिन्न रूप हो सकते हैं (जैसे, नाभिकीय, विस्तारित, एकल), लेकिन इसके मूल कार्य सामाजिक व्यवस्था और निरंतरता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- गलत विकल्प: शिक्षा ज्ञान और कौशल हस्तांतरण करती है; धर्म विश्वासों और अनुष्ठानों से संबंधित है; राजनीति शक्ति और शासन से संबंधित है।
प्रश्न 8: समाजशास्त्र में, ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाज के विभिन्न हिस्सों (जैसे भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति) के बीच परिवर्तन की भिन्न गति का वर्णन करती है?
- William Ogburn
- Charles Horton Cooley
- George Herbert Mead
- Bronislaw Malinowski
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विलियम ओगबर्न (William Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ (Cultural Lag) की अवधारणा को विकसित किया। उनके अनुसार, समाज की भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनें) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, कानून, नैतिकता) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे एक विलम्ब या सामंजस्य की कमी पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने इसे सामाजिक समायोजन (social adjustment) में एक प्रमुख कारक माना। उदाहरण के लिए, नई प्रौद्योगिकियाँ (जैसे इंटरनेट) तेजी से विकसित होती हैं, लेकिन उनके उपयोग से संबंधित सामाजिक नियम और नैतिकता (जैसे गोपनीयता, साइबर अपराध) उन्हें पकड़ने में समय लेती हैं।
- गलत विकल्प: कूली ने ‘प्रत्याशित आत्म’ (looking-glass self) की अवधारणा दी; मीड ने ‘मैं’ और ‘मुझे’ (I and Me) का सिद्धांत दिया; मैलिनोवस्की ने कार्यात्मकता (functionalism) पर काम किया।
प्रश्न 9: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) को व्यक्तियों के बीच स्थापित, दीर्घकालिक और अपेक्षाकृत स्थिर संबंधों के पैटर्न के रूप में परिभाषित किया?
- Karl Marx
- Max Weber
- Anthony Giddens
- Talcott Parsons
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टालकॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) ने सामाजिक संरचना को मुख्य रूप से सामाजिक क्रिया (social action) के पैटर्न के रूप में देखा, जो व्यक्तियों के बीच स्थापित, सुसंगत और अपेक्षाकृत स्थिर संबंधों से बनता है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स संरचनात्मक-प्रजातिवाद (structural-functionalism) के एक प्रमुख विचारक थे। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में संरचनाओं और कार्यों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने समाज को परस्पर संबंधित संस्थाओं के एक जटिल जाल के रूप में देखा।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने सामाजिक संरचना को उत्पादन के साधनों और उत्पादन संबंधों के आधार पर देखा; वेबर ने सामाजिक क्रिया की बहुलता पर जोर दिया; गिडेंस ने संरचनाकरण (structuration) का सिद्धांत दिया, जिसमें संरचना और कर्ता (agency) को एकीकृत किया गया।
प्रश्न 10: निम्नांकित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के उस रूप को संदर्भित करती है जहाँ एक व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन करता है, चाहे वह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी) या नीचे की ओर (अधोगामी) हो?
- सामाजिक नियंत्रण
- सामाजिक एकीकरण
- सामाजिक स्तरीकरण
- सामाजिक प्रचालन (Social Circulation)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘सामाजिक प्रचालन’ (Social Circulation) वह शब्द है जो समाज में व्यक्तियों या समूहों की गतिशीलता, यानी उनकी सामाजिक स्थिति में ऊपर या नीचे की ओर होने वाले परिवर्तन को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द विशेष रूप से सामाजिक स्तरीकरण के संदर्भ में इस्तेमाल होता है, जहाँ यह दिखाता है कि कैसे लोग विभिन्न स्तरों के बीच आवागमन करते हैं। यह एक संकीर्ण अर्थ में ऊर्ध्वगामी या अधोगामी गतिशीलता दोनों को शामिल कर सकता है।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक नियंत्रण’ व्यवस्था बनाए रखने के तरीके हैं; ‘सामाजिक एकीकरण’ समाज के विभिन्न भागों के मेलजोल को बताता है; ‘सामाजिक स्तरीकरण’ समाज को विभिन्न स्तरों में विभाजित करने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 11: वेबर के अनुसार, किस प्रकार की सत्ता (Authority) जादू, अनुष्ठान या अलौकिक शक्तियों में विश्वास पर आधारित होती है, और अक्सर पारंपरिक समाजों में पाई जाती है?
- तर्कसंगत-विधिक सत्ता (Rational-Legal Authority)
- करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
- पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority)
- जादुई सत्ता (Magical Authority)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता (Authority) के तीन मुख्य प्रकार बताए: तर्कसंगत-विधिक, करिश्माई और पारंपरिक। ‘पारंपरिक सत्ता’ (Traditional Authority) विश्वास पर आधारित होती है कि “चीजें हमेशा से ऐसी ही रही हैं” और यह रीति-रिवाजों और पैतृक उत्तराधिकार से उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: पारंपरिक सत्ता का उदाहरण राजा, मुखिया या वंशानुगत नेता होते हैं, जिनका अधिकार उनके पद की परंपरा से प्राप्त होता है, न कि व्यक्तिगत गुणों या कानून से।
- गलत विकल्प: तर्कसंगत-विधिक सत्ता कानून और तर्क पर आधारित है; करिश्माई सत्ता असाधारण व्यक्तिगत गुणों पर आधारित है; ‘जादुई सत्ता’ वेबर के वर्गीकरण का हिस्सा नहीं है, हालांकि पारंपरिक सत्ता में जादुई मान्यताओं का पुट हो सकता है।
प्रश्न 12: भारतीय समाज में, ‘द्वितीयक धर्म’ (Secondary Religiosity) की अवधारणा का संबंध किससे है, जैसा कि कुछ समाजशास्त्रियों द्वारा समझाया गया है?
- सार्वजनिक जीवन में धर्म का बढ़ता प्रभाव
- व्यक्तिगत जीवन के बजाय अनुष्ठानों और बाहरी प्रथाओं पर अधिक जोर
- धर्म के प्रति व्यक्तिगत विश्वासों में वृद्धि
- धर्म के सैद्धांतिक पहलुओं में रुचि
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘द्वितीयक धर्म’ (Secondary Religiosity) की अवधारणा भारतीय समाजशास्त्र में यह इंगित करने के लिए प्रयोग की जाती है कि कैसे धार्मिक अभ्यास अक्सर गहरी व्यक्तिगत आस्था के बजाय सामाजिक दबाव, अनुष्ठानों की बाध्यता, या सामाजिक पहचान बनाए रखने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह धार्मिक व्यवहार को व्यक्तिगत विश्वासों से अलग करता है, जहाँ लोग सामाजिक मानदंडों का पालन करने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, भले ही उनकी व्यक्तिगत आस्था उतनी गहरी न हो।
- गलत विकल्प: (a) सार्वजनिक जीवन में धर्म का बढ़ता प्रभाव ‘धार्मिकता’ (religiosity) का एक पहलू हो सकता है, लेकिन ‘द्वितीयक धर्म’ विशेष रूप से व्यवहार के प्रकार पर केंद्रित है; (c) और (d) व्यक्तिगत आस्था और विश्वास से संबंधित हैं, जबकि द्वितीयक धर्म बाहरी प्रथाओं पर जोर देता है।
प्रश्न 13: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न भाग (जैसे संस्थाएं, समूह, वर्ग) एक साथ मिलकर काम करते हैं ताकि इसे स्थिर और सुसंगत बनाया जा सके?
- संघर्ष दृष्टिकोण (Conflict Perspective)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक-प्रजातिवाद (Structural-Functionalism)
- समाजशास्त्रीय प्रत्यक्षवाद (Sociological Positivism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संरचनात्मक-प्रजातिवाद (Structural-Functionalism) समाज को एक जैविक जीव के समान देखता है, जहाँ प्रत्येक अंग (संरचना) एक विशेष कार्य (function) करता है जो पूरे जीव के अस्तित्व और स्थिरता के लिए आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स और मर्टन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। वे समाज में स्थिरता, व्यवस्था और सामाजिक एकजुटता (social solidarity) बनाए रखने पर जोर देते हैं।
- गलत विकल्प: संघर्ष दृष्टिकोण समाज को शक्ति और असमानता के संघर्ष के रूप में देखता है; प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) अंतःक्रियाओं और प्रतीकों पर ध्यान केंद्रित करता है; प्रत्यक्षवाद वैज्ञानिक पद्धति को समाजशास्त्र पर लागू करने पर जोर देता है।
प्रश्न 14: भारतीय ग्रामीण समाज के संदर्भ में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) क्या थी, जो पारंपरिक रूप से विभिन्न जातियों के बीच सेवा और वस्तु विनिमय के संबंधों को नियंत्रित करती थी?
- एक आधुनिक सहकारी व्यवस्था
- एक आर्थिक और सामाजिक संबंध प्रणाली
- एक राजनीतिक गठबंधन
- एक शिक्षा प्रणाली
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) भारतीय ग्रामीण समाज की एक पारंपरिक प्रणाली थी जिसमें एक समुदाय के भीतर विभिन्न जातियाँ एक-दूसरे को सेवाएं (जैसे नाई, कुम्हार, लोहार, पुजारी) प्रदान करती थीं और बदले में वस्तु या सेवाओं के रूप में भुगतान प्राप्त करती थीं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली आनुवंशिक आधार पर काम करती थी और अक्सर जन्मसिद्ध अधिकार और कर्तव्य निर्धारित करती थी। हालांकि यह प्रणाली आधुनिकता के साथ कमजोर हुई है, लेकिन इसके निशान अभी भी कुछ हद तक मौजूद हैं।
- गलत विकल्प: यह कोई आधुनिक व्यवस्था, राजनीतिक गठबंधन या शिक्षा प्रणाली नहीं थी, बल्कि एक विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक विनिमय प्रणाली थी।
प्रश्न 15: निम्नांकित समाजशास्त्रियों में से किसने ‘सांस्कृतिक भिन्नता’ (Cultural Relativity) के सिद्धांत को बढ़ावा दिया, जिसमें कहा गया है कि किसी भी संस्कृति का मूल्यांकन उसके अपने संदर्भ में किया जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी मानक से?
- Ruth Benedict
- Franz Boas
- Bronislaw Malinowski
- Edward Burnett Tylor
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फ्रांज बोआस (Franz Boas) को अक्सर ‘अमेरिकी मानव विज्ञान का जनक’ कहा जाता है और उन्होंने ‘सांस्कृतिक भिन्नता’ (Cultural Relativity) के सिद्धांत को प्रमुखता से प्रचारित किया।
- संदर्भ और विस्तार: बोआस ने तर्क दिया कि प्रत्येक संस्कृति अपने विशिष्ट ऐतिहासिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों का परिणाम है, और इसलिए, हमें प्रत्येक संस्कृति को उसके अपने अनूठे संदर्भ में समझना चाहिए। यह नृजातिवाद (ethnocentrism) का खंडन करता है, जो अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ मानता है।
- गलत विकल्प: रूथ बेनेडिक्ट ने ‘पैटर्न ऑफ कल्चर’ में संस्कृतियों के प्रकारों का वर्णन किया; मैलिनोवस्की ने कार्यात्मकता पर काम किया; टायलर ने ‘संस्कृति’ की पहली व्यापक परिभाषा दी।
प्रश्न 16: समाजशास्त्र में ‘सत्यापन’ (Verification) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
- किसी सिद्धांत को केवल मान्यताओं पर आधारित करना
- वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करके किसी सिद्धांत या परिकल्पना की सत्यता की जाँच करना
- किसी घटना के बारे में व्यक्तिगत राय बनाना
- सामाजिक सुधारों की वकालत करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समाजशास्त्र में ‘सत्यापन’ (Verification) का अर्थ है वैज्ञानिक विधियों, जैसे अवलोकन, डेटा संग्रह और विश्लेषण, का उपयोग करके किसी समाजशास्त्रीय सिद्धांत या परिकल्पना की सत्यता या असत्यता की जाँच करना।
- संदर्भ और विस्तार: यह वैज्ञानिक पद्धति का एक महत्वपूर्ण कदम है जो सिद्धांतों को अनुभवजन्य साक्ष्य (empirical evidence) द्वारा समर्थित या खंडित करने की अनुमति देता है।
- गलत विकल्प: (a) सत्यापन मान्यताओं पर आधारित नहीं होता, बल्कि साक्ष्य पर आधारित होता है; (c) व्यक्तिगत राय वैज्ञानिक जाँच नहीं है; (d) वकालत अनुसंधान का परिणाम हो सकती है, लेकिन सत्यापन स्वयं अनुसंधान की प्रक्रिया है।
प्रश्न 17: निम्नांकित में से कौन सी समाजीकरण (Socialization) की प्रक्रिया का वह प्रकार है जो व्यक्ति के जीवन में पहली बार होता है, जहाँ वह परिवार और निकटतम साथियों से मौलिक सांस्कृतिक मूल्यों और व्यवहारों को सीखता है?
- द्वितीयक समाजीकरण
- यौन समाजीकरण
- औपचारिक समाजीकरण
- प्राथमिक समाजीकरण
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘प्राथमिक समाजीकरण’ (Primary Socialization) जीवन की शुरुआती अवधि में होता है, मुख्य रूप से परिवार के भीतर, जहाँ बच्चा भाषा, मूल सामाजिक नियम, मूल्य और पहचान के शुरुआती रूप सीखता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाजीकरण का सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के भविष्य के सामाजिक व्यवहार और व्यक्तित्व के विकास की नींव रखता है।
- गलत विकल्प: ‘द्वितीयक समाजीकरण’ बाद के जीवन में होता है (जैसे स्कूल, कार्यस्थल); ‘यौन समाजीकरण’ लिंग भूमिकाओं और यौन व्यवहार से संबंधित है; ‘औपचारिक समाजीकरण’ अक्सर संस्थागत (जैसे स्कूल) होता है।
प्रश्न 18: “दर्शनशास्त्र का समाजशास्त्र” (Sociology of Philosophy) या “ज्ञान का समाजशास्त्र” (Sociology of Knowledge) के क्षेत्र में, निम्नांकित में से किस विचारक का कार्य महत्वपूर्ण है, जो विचारों और ज्ञान के सामाजिक संदर्भों पर प्रकाश डालता है?
- Auguste Comte
- Karl Mannheim
- Emile Durkheim
- Max Weber
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मैनहाइम (Karl Mannheim) को ‘ज्ञान के समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) के क्षेत्र में एक प्रमुख विचारक माना जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक “Ideology and Utopia” में इस बात पर जोर दिया कि कैसे सामाजिक परिस्थितियाँ (जैसे वर्ग, समूह) विचारों और ज्ञान के निर्माण को प्रभावित करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मैनहाइम ने ‘निर्बंधन’ (relationism) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है कि हम अपने विचारों को अपने सामाजिक संदर्भों से पूरी तरह से अलग नहीं कर सकते।
- गलत विकल्प: कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है; दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और एकजुटता पर काम किया; वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता पर काम किया।
प्रश्न 19: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया को मुख्य रूप से किससे जोड़ा गया है?
- ग्रामीण जीवन शैली का पुनरुद्धार
- पारंपरिक संस्थाओं और मूल्यों का क्षरण
- पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण
- धार्मिक अनुष्ठानों में वृद्धि
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को अक्सर पारंपरिक संस्थाओं, जैसे कि कुछ हद तक परिवार, जाति और समुदाय के प्रभाव के क्षरण (erosion) या परिवर्तन से जोड़ा जाता है। इसके साथ ही, औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण और तर्कसंगतता में वृद्धि जैसे परिवर्तन आते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल हैं। यह अक्सर पश्चिमी समाजों के अनुभवों से प्रभावित होता है, लेकिन इसके परिणाम हर समाज में भिन्न हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) आधुनिकीकरण अक्सर ग्रामीण से शहरीकरण की ओर ले जाता है; (c) पश्चिमीकरण आधुनिकीकरण का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह इसका संपूर्ण अर्थ नहीं है; (d) धर्मनिरपेक्षीकरण आधुनिकीकरण से जुड़ा एक प्रमुख परिवर्तन है, न कि धार्मिक अनुष्ठानों में वृद्धि।
प्रश्न 20: निम्नांकित में से कौन सी समाजशास्त्रीय विधि (Sociological Method) सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) सामाजिक अंतःक्रियाओं, प्रतीकों और उनके द्वारा उत्पन्न अर्थों को समझने पर केंद्रित है?
- संरचनात्मक-प्रजातिवाद
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
- नृवंशविज्ञान (Ethnography)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन जैसे विचारकों से जुड़ा है। यह व्यक्तियों के बीच होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है, जहाँ वे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से अर्थ का निर्माण करते हैं और एक-दूसरे की क्रियाओं की व्याख्या करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण इस बात पर जोर देता है कि सामाजिक वास्तविकता लोगों की व्याख्याओं और अंतःक्रियाओं से निर्मित होती है।
- गलत विकल्प: संरचनात्मक-प्रजातिवाद स्थूल-स्तरीय (macro-level) प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करता है; द्वंद्वात्मक भौतिकवाद मार्क्सवादी दृष्टिकोण है; नृवंशविज्ञान एक अनुसंधान पद्धति है जो किसी विशिष्ट समूह के विस्तृत अध्ययन के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन यह स्वयं एक सैद्धांतिक दृष्टिकोण नहीं है।
प्रश्न 21: समाजशास्त्र में ‘अनुभवजन्य अनुसंधान’ (Empirical Research) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- केवल दार्शनिक तर्कों पर आधारित सिद्धांत विकसित करना
- अवलोकन और प्रयोगों के माध्यम से ठोस साक्ष्य एकत्र करना
- साहित्यिक कृतियों का विश्लेषण करना
- ऐतिहासिक घटनाओं की व्याख्या करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अनुभवजन्य अनुसंधान (Empirical Research) समाजशास्त्र में वास्तविक दुनिया के अवलोकनों, प्रयोगों और डेटा संग्रह पर आधारित होता है। इसका मुख्य उद्देश्य ठोस, सत्यापन योग्य साक्ष्य (evidence) प्राप्त करना है।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार के अनुसंधान से प्राप्त निष्कर्षों का उपयोग सिद्धांतों के निर्माण, परीक्षण और शोधन के लिए किया जाता है।
- गलत विकल्प: (a) अनुभवजन्य अनुसंधान केवल दार्शनिक तर्कों पर नहीं, बल्कि साक्ष्य पर आधारित होता है; (c) और (d) अनुसंधान के अन्य रूप हो सकते हैं, लेकिन अनुभवजन्य अनुसंधान मुख्य रूप से अवलोकन और डेटा पर केंद्रित होता है।
प्रश्न 22: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने अपने ‘नाटकीयता विश्लेषण’ (Dramaturgical Analysis) में, सामाजिक अंतःक्रियाओं को एक मंच पर होने वाले नाटक के समान माना। इस विश्लेषण के अनुसार, व्यक्ति अपनी सामाजिक भूमिकाओं को कैसे निभाते हैं?
- बिना सोचे-समझे, सहज रूप से
- एक “अग्र-मंच” (front-stage) पर जहाँ वे अपनी भूमिका का प्रदर्शन करते हैं
- एक “पृष्ठ-मंच” (back-stage) पर जहाँ वे वास्तविक होते हैं
- उपरोक्त दोनों (b) और (c)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इर्विंग गॉफमैन ने सामाजिक अंतःक्रियाओं को समझने के लिए नाटकीयता (Dramaturgy) का उपयोग किया। उनके अनुसार, व्यक्ति “अग्र-मंच” (front-stage) पर अपनी इच्छित छवि को बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से अपनी भूमिका का प्रदर्शन करते हैं, जबकि “पृष्ठ-मंच” (back-stage) पर वे उस प्रदर्शन की तैयारी करते हैं या विश्राम करते हैं, जहाँ वे अधिक अनौपचारिक और “वास्तविक” हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह विश्लेषण बताता है कि कैसे लोग सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने व्यवहार को प्रबंधित और प्रस्तुत करते हैं।
- गलत विकल्प: वे केवल सहज रूप से कार्य नहीं करते; अग्र-मंच और पृष्ठ-मंच दोनों उनके विश्लेषण के महत्वपूर्ण भाग हैं।
प्रश्न 23: किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से ‘शक्ति’ (Power) को समाज में एक आवश्यक तत्व माना जाता है, भले ही यह असमान रूप से वितरित हो, जो सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
- संघर्ष दृष्टिकोण
- प्रजातिवादी दृष्टिकोण
- सांस्कृतिक दृष्टिकोण
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रजातिवादी दृष्टिकोण (Functionalist Perspective) समाज को एक प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न अंग सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता में योगदान करते हैं। शक्ति, हालांकि असमान रूप से वितरित, अक्सर निर्णय लेने, संसाधन आवंटन और सामाजिक नियंत्रण के लिए आवश्यक मानी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रजातिवादी यह तर्क दे सकते हैं कि शक्ति के बिना, समाज अराजकता में पड़ सकता है। वे सत्ता की भूमिका को समाज को एक साथ बांधने वाले सामाजिक गोंद के रूप में देखते हैं, भले ही वह शोषक हो।
- गलत विकल्प: संघर्ष दृष्टिकोण शक्ति को संघर्ष का स्रोत मानता है, न कि व्यवस्था का; सांस्कृतिक दृष्टिकोण संस्कृति के तत्वों पर केंद्रित है; प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है।
प्रश्न 24: भारत में ‘हरित क्रांति’ (Green Revolution) के संबंध में, समाजशास्त्रियों ने इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का अध्ययन किया है। निम्नांकित में से कौन सा एक प्रमुख प्रभाव है?
- ग्रामीण निर्धनता में समान कमी
- किसानों के बीच आय असमानता में वृद्धि
- छोटे किसानों की तुलना में बड़े किसानों को अधिक लाभ
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हरित क्रांति ने भारतीय कृषि में उत्पादकता बढ़ाई, लेकिन इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव जटिल थे। बड़े किसानों, जिनके पास बेहतर संसाधन और भूमि थी, ने नई तकनीकों का अधिक लाभ उठाया, जिससे उनकी आय बढ़ी और आय असमानता में वृद्धि हुई। छोटे किसानों को अक्सर बीज, उर्वरक और सिंचाई के लिए उच्च लागत के कारण अधिक नुकसान हुआ, या वे पीछे रह गए।
- संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्रियों ने हरित क्रांति को ग्रामीण सामाजिक संरचना, वर्ग संबंधों और कृषि श्रम पर इसके प्रभाव के संदर्भ में अध्ययन किया है।
- गलत विकल्प: जैसा कि ऊपर बताया गया है, इसके प्रभाव मिश्रित थे और अक्सर असमानता में वृद्धि हुई, इसलिए (a) और (b), (c) सही हैं, जो (d) का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 25: निम्नांकित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) का सबसे अच्छा वर्णन करती है?
- किसी व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति
- समाज में किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत कौशल और ज्ञान
- नेटवर्क, विश्वास और सहयोग पर आधारित सामाजिक संबंध जो व्यक्तियों और समूहों को लाभ पहुँचाते हैं
- किसी समुदाय की भौतिक संपदा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) एक ऐसी अवधारणा है जिसे पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है। यह व्यक्तियों के बीच मौजूद सामाजिक नेटवर्क, उनके आपसी विश्वास और सहयोग के पैटर्न को संदर्भित करता है, जो सामूहिक या व्यक्तिगत लाभ प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अच्छे सामाजिक संबंध लोगों को जानकारी, समर्थन और अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- गलत विकल्प: (a) वित्तीय संपत्ति आर्थिक पूंजी है; (b) व्यक्तिगत कौशल मानव पूंजी है; (d) भौतिक संपदा भौतिक पूंजी है।