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समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपने ज्ञान को परखें

समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपने ज्ञान को परखें

तैयारी के इस रोमांचक सफर में आपका स्वागत है, जहाँ हर दिन आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का अवसर है! आइए, आज के 25 विशेष प्रश्नों के साथ अपनी अवधारणाओं की स्पष्टता और विश्लेषण क्षमता को निखारें। यह मॉक टेस्ट आपको प्रतिस्पर्धा परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार करेगा!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को किसने समाज के ‘निश्चित’ और ‘स्थायी’ पहलुओं के रूप में परिभाषित किया है, जिसमें संस्थाएं, समूह और सामाजिक संबंध शामिल हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक संरचना को एक ऐसे स्थिर और व्यवस्थित पैटर्न के रूप में देखा जो समाज के सदस्यों के बीच अंतःक्रियाओं को आकार देता है। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में इसकी भूमिका पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स को संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उनकी कृति ‘The Social System’ में उन्होंने सामाजिक व्यवस्था, भूमिकाओं और संस्थाओं के माध्यम से संरचना को समझने का प्रयास किया।
  • अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक संरचना को आर्थिक आधार (उत्पादन के संबंध) से जोड़ा और इसे वर्ग संघर्ष के लेंस से देखा। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता पर जोर दिया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (solidarity) और सामूहिक चेतना (collective consciousness) पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में अत्यधिक सामाजिक परिवर्तन या नैतिक नियमों के अभाव की स्थिति को क्या कहा जाता है?

  1. अलगाव (Alienation)
  2. अराजकता (Anomie)
  3. पूंजीवाद (Capitalism)
  4. सामूहिकता (Collectivism)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘अराजकता’ (Anomie) शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज में मानक, नियम और नैतिकता शिथिल या अनुपस्थित हो जाती है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की पुस्तक ‘Suicide’ में विस्तार से वर्णित है, जहाँ उन्होंने दिखाया कि कैसे अनिश्चितता और सामाजिक नियंत्रण के कमजोर होने से आत्महत्या की दर बढ़ सकती है।
  • अincorrect विकल्प: ‘अलगाव’ कार्ल मार्क्स का एक प्रमुख सिद्धांत है जो श्रमिकों को उनके श्रम, उत्पाद, स्वयं और दूसरों से अलग महसूस कराता है। ‘पूंजीवाद’ एक आर्थिक प्रणाली है, और ‘सामूहिकता’ एक सामाजिक-राजनीतिक सिद्धांत है।

प्रश्न 3: मैकियावेली ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द प्रिंस’ में किस प्रकार की शक्ति और शासन का विश्लेषण किया?

  1. लोकतांत्रिक शक्ति
  2. पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority)
  3. करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
  4. यथार्थवादी और साधन-साध्य शक्ति (Realpolitik and Pragmatic Power)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैकियावेली ने ‘द प्रिंस’ में शासकों द्वारा शक्ति प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए अपनाई जाने वाली यथार्थवादी, व्यावहारिक और कभी-कभी क्रूर रणनीतियों का विश्लेषण किया। उन्होंने नैतिकता से परे जाकर शासक के दीर्घकालिक अस्तित्व और राज्य की स्थिरता पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: मैकियावेली को अक्सर राजनीतिक यथार्थवाद (Political Realism) का जनक माना जाता है। उनकी रचनाएँ शक्ति की प्रकृति और उसके प्रयोग पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
  • अincorrect विकल्प: मैकियावेली का विश्लेषण लोकतांत्रिक आदर्शों या वेबर द्वारा परिभाषित पारंपरिक व करिश्माई सत्ता की औपचारिकताओं से परे था।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) का उदाहरण नहीं है?

  1. परिवार
  2. पड़ोसी
  3. विद्यालय का वर्ग
  4. मित्र मंडली

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: चार्ल्स कर्टिस कोली द्वारा परिभाषित प्राथमिक समूह वे होते हैं जहाँ आमने-सामने का, घनिष्ठ, सहयोगात्मक और स्थायी संबंध पाया जाता है। परिवार, मित्र और घनिष्ठ पड़ोसी इसके उदाहरण हैं। विद्यालय का वर्ग एक द्वितीयक समूह (Secondary Group) का उदाहरण है जहाँ संबंध अक्सर अनौपचारिक, उद्देश्य-आधारित और कम घनिष्ठ होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कोली की पुस्तक ‘Social Organization’ (1909) में इन समूहों की अवधारणा को समझाया गया है। प्राथमिक समूह व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • अincorrect विकल्प: परिवार, मित्र मंडली और घनिष्ठ पड़ोसी प्राथमिक समूह की श्रेणी में आते हैं क्योंकि उनमें घनिष्ठता और व्यक्तिगत संबंध होते हैं।

प्रश्न 5: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज में उच्च जाति की रीति-रिवाजों, परंपराओं और जीवन शैली को निम्न जाति द्वारा अपनाने की प्रक्रिया को क्या नाम दिया?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. आधुनिकीकरण (Modernization)
  3. संसकृतीकरण (Sanskritization)
  4. शहरीकरण (Urbanization)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें निम्न या मध्य जातियों द्वारा उच्च, विशेषतः द्विज जातियों के अनुष्ठानों, कर्मकांडों, देवताओं और जीवन शैली का अनुकरण करके सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रयोग किया गया था। यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है जो भारत में जाति व्यवस्था के भीतर देखा जाता है।
  • अincorrect विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाना है, ‘आधुनिकीकरण’ तकनीकी, आर्थिक और संस्थागत परिवर्तन से संबंधित है, और ‘शहरीकरण’ ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का स्थानांतरण है।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति ‘समझ’ (Verstehen) पर आधारित है, जो सामाजिक क्रियाओं के व्यक्तिपरक अर्थ को समझने पर जोर देती है?

  1. प्रत्यक्षवाद (Positivism)
  2. व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
  3. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
  4. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘Verstehen’ (जर्मन में ‘समझ’) की अवधारणा विकसित की, जो समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं के पीछे लोगों के व्यक्तिपरक अर्थों, प्रेरणाओं और इरादों को समझने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह व्याख्यात्मक समाजशास्त्र का मूल है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि सामाजिक दुनिया को केवल बाहरी व्यवहार के रूप में नहीं, बल्कि उसके पीछे छिपे अर्थों के संदर्भ में समझना आवश्यक है।
  • अincorrect विकल्प: प्रत्यक्षवाद (Auguste Comte) मात्रात्मक और वैज्ञानिक विधियों पर जोर देता है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद और संघर्ष सिद्धांत मैक्रो-लेवल सामाजिक संरचनाओं और प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, व्यक्तिपरक अर्थों पर नहीं।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का संबंध मुख्य रूप से किससे है?

  1. अंतर-जातीय विवाह
  2. पारंपरिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सेवाओं का आदान-प्रदान
  3. राजनीतिक शक्ति का वितरण
  4. शिक्षा का प्रसार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जजमानी प्रणाली एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी जिसमें ग्रामीण समुदाय के विभिन्न जाति समूह एक-दूसरे को निश्चित सेवाओं और वस्तुओं के बदले में आजीविका का समर्थन करते थे। पुरोहित, नाई, कुम्हार, लोहार आदि अपनी सेवाएँ ‘जजमानों’ (ग्राहक) को देते थे और बदले में अनाज या अन्य वस्तुएँ प्राप्त करते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था जन्म पर आधारित और पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली थी, जो ग्रामीण भारत में जाति, श्रम विभाजन और आर्थिक अंतर्निर्भरता को दर्शाती थी।
  • अincorrect विकल्प: जजमानी प्रणाली का सीधा संबंध अंतर-जातीय विवाह, राजनीतिक शक्ति वितरण या शिक्षा के प्रसार से नहीं था, हालांकि ये अन्य सामाजिक पहलू थे।

प्रश्न 8: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि) का स्वामित्व किसके पास होता है?

  1. सर्वहारा वर्ग (Proletariat)
  2. बुर्जुआ वर्ग (Bourgeoisie)
  3. पूंजीपति वर्ग (Capitalists)
  4. (b) और (c) दोनों

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया: बुर्जुआ (Bourgeoisie), जो उत्पादन के साधनों के मालिक होते हैं, और सर्वहारा (Proletariat), जो केवल अपनी श्रम शक्ति बेचकर जीवित रहते हैं। ‘पूंजीपति वर्ग’ बुर्जुआ वर्ग का ही दूसरा नाम है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के सिद्धांत का केंद्रीय विचार उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर वर्ग संघर्ष है। वह मानते थे कि बुर्जुआ वर्ग सर्वहारा वर्ग का शोषण करता है।
  • अincorrect विकल्प: सर्वहारा वर्ग उत्पादन के साधनों का मालिक नहीं होता, बल्कि श्रम बेचता है। बुर्जुआ वर्ग और पूंजीपति वर्ग एक ही वर्ग को संदर्भित करते हैं, जो स्वामित्व रखता है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मर्टन के ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) से संबंधित है?

  1. सामाजिक व्यवस्था (Social System)
  2. अराजकता (Anomie)
  3. सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)
  4. वैज्ञानिक समाजशास्त्र (Scientific Sociology)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ की वकालत की, जो न तो अत्यधिक सामान्य (जैसे समाजशास्त्रीय सिद्धांत) और न ही अत्यधिक विशिष्ट (जैसे किसी एक घटना का अध्ययन) होते हैं। ‘अराजकता’ (Anomie) उनके प्रसिद्ध मध्यम-श्रेणी के सिद्धांतों में से एक है, जिसका उन्होंने अपराध और विचलन के अध्ययन में प्रयोग किया।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन का मानना था कि समाजशास्त्रीय सिद्धांत को व्यापक सामान्यीकरणों के बजाय विशिष्ट सामाजिक घटनाओं के बारे में अधिक केंद्रित परिकल्पनाओं पर आधारित होना चाहिए। ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा के माध्यम से उन्होंने समाज के लक्ष्यों और साधनों के बीच असंतुलन का विश्लेषण किया।
  • अincorrect विकल्प: सामाजिक व्यवस्था पार्सन्स के व्यापक सिद्धांत का हिस्सा है। सामाजिक स्तरीकरण एक व्यापक अवधारणा है, और वैज्ञानिक समाजशास्त्र एक सामान्य दृष्टिकोण है।

प्रश्न 10: विवाह, परिवार और नातेदारी किस प्रकार की सामाजिक संस्थाओं के उदाहरण हैं?

  1. आर्थिक संस्थाएँ
  2. राजनीतिक संस्थाएँ
  3. पारिवारिक संस्थाएँ
  4. धार्मिक संस्थाएँ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विवाह, परिवार और नातेदारी प्रणालियाँ समाज की सबसे मौलिक सामाजिक संस्थाओं में से हैं जो मानव जीवन के पुनरुत्पादन, समाजीकरण और सामाजिक संगठन के बुनियादी पहलुओं को नियंत्रित करती हैं। ये संस्थाएं विशेष रूप से ‘पारिवारिक संस्थाओं’ की श्रेणी में आती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये संस्थाएँ समाज की संरचना और कार्यप्रणाली को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, व्यक्तियों को सामाजिक भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ प्रदान करती हैं।
  • अincorrect विकल्प: आर्थिक संस्थाएँ उत्पादन, वितरण और उपभोग से संबंधित हैं। राजनीतिक संस्थाएँ शक्ति, सरकार और निर्णय लेने से संबंधित हैं। धार्मिक संस्थाएँ विश्वासों, अनुष्ठानों और अलौकिक शक्तियों से संबंधित हैं।

प्रश्न 11: जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) ने अपने समाजशास्त्रीय कार्यों में किस पर विशेष जोर दिया?

  1. सामाजिक संरचना का समग्र विश्लेषण
  2. औपचारिक सामाजिक संबंध और अंतःक्रियाओं के रूप
  3. वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद
  4. सामाजिक परिवर्तन की ऐतिहासिक प्रक्रियाएँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जॉर्ज सिमेल एक जर्मन समाजशास्त्री थे जिन्होंने ‘औपचारिक समाजशास्त्र’ (Formal Sociology) पर जोर दिया। उनका ध्यान समाज के अंतर्निहित सामग्री के बजाय सामाजिक अंतःक्रियाओं के ‘रूपों’ (forms) पर था, जैसे कि प्रतिस्पर्धा, सहयोग, प्रभुत्व, अधीनता आदि।
  • संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) सामाजिक अंतःक्रियाओं, व्यक्तिगत संबंधों और शहरी जीवन के समाजशास्त्र का अध्ययन किया। उनकी कृतियों में ‘The Philosophy of Money’ और ‘Sociology’ शामिल हैं।
  • अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। दुर्खीम और पार्सन्स बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण करते थे।

प्रश्न 12: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या करती है, किससे संबंधित है?

  1. ई.टी. हॉल
  2. विलियम एफ. ऑग्बर्न
  3. रॉबर्ट पार्क
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विलियम एफ. ऑग्बर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब उत्पन्न होती है जब समाज के विभिन्न हिस्से (जैसे भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति) अलग-अलग दरों पर बदलते हैं, जिससे सामाजिक असंतुलन पैदा होता है। भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज) की तुलना में तेजी से बदलती है।
  • संदर्भ और विस्तार: ऑग्बर्न ने अपनी पुस्तक ‘Social Change’ में इस विचार का विस्तार से वर्णन किया है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि कैसे नई प्रौद्योगिकियाँ सामाजिक मानदंडों और संस्थाओं के साथ तालमेल बिठाने में संघर्ष करती हैं।
  • अincorrect विकल्प: ई.टी. हॉल प्रॉक्सिमिक्स (Proxemics) से संबंधित हैं। रॉबर्ट पार्क शहरी समाजशास्त्र के एक प्रमुख व्यक्ति थे। दुर्खीम ने अराजकता (Anomie) की अवधारणा दी।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘प्रतिकारात्मक न्याय’ (Retributive Justice) का उदाहरण है?

  1. अपराधी को समाज सेवा के लिए भेजना
  2. अपराधी को पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश देना
  3. अपराधी को जेल भेजना क्योंकि उसने कानून तोड़ा है
  4. अपराधी को सुधारात्मक शिक्षा प्रदान करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: प्रतिकारात्मक न्याय इस सिद्धांत पर आधारित है कि जो व्यक्ति गलत करता है, उसे उसके कार्य के अनुपात में दंड मिलना चाहिए। इस दृष्टिकोण में, अपराध को एक ऐसी क्रिया के रूप में देखा जाता है जो सामाजिक व्यवस्था को बाधित करती है, और दंड का उद्देश्य उस बाधा को दूर करना और संतुलन बहाल करना है, न कि सुधार या पुन: एकीकरण। जेल भेजना एक विशिष्ट प्रतिक्रिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्रीय रूप से एमिल दुर्खीम के ‘दमनकारी कानून’ (repressive law) से जुड़ा है, जो पारंपरिक समाजों में देखा जाता है जहाँ साझा नैतिकता के उल्लंघन पर सामूहिक प्रतिक्रिया तीव्र होती है।
  • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) सुधारात्मक न्याय (rehabilitative justice) या पुनर्स्थापनात्मक न्याय (restorative justice) के उदाहरण हैं, जिनका उद्देश्य सुधार, मुआवजा या पुन: एकीकरण पर केंद्रित होता है।

प्रश्न 14: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में अस्पृश्यता (Untouchability) के उन्मूलन का प्रावधान है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 17
  4. अनुच्छेद 21

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 सीधे तौर पर अस्पृश्यता को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को प्रतिबंधित करता है। यह भारतीय समाज से छुआछूत जैसी गहरी सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान है।
  • संदर्भ और विस्तार: अस्पृश्यता का उन्मूलन भारतीय समाज में समानता और सामाजिक न्याय स्थापित करने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।
  • अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता, अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध, और अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है। ये सभी समानता के अधिकार को बढ़ावा देते हैं, लेकिन अनुच्छेद 17 विशेष रूप से अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए है।

प्रश्न 15: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अर्थ है:

  1. समाज में लोगों को विभिन्न समूहों में व्यवस्थित करना
  2. समाज में असमानता की एक व्यवस्था, जहाँ लोगों को पद, विशेषाधिकार और शक्ति के आधार पर विभिन्न स्तरों में रखा जाता है
  3. समाज में लोगों का नैतिक मूल्यांकन
  4. समाज में सामाजिक गतिशीलता की प्रक्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी प्रणाली को संदर्भित करता है जिसमें समाज के सदस्यों को उनकी आय, धन, शिक्षा, व्यवसाय, शक्ति और प्रतिष्ठा जैसे कारकों के आधार पर पदानुक्रमित स्तरों (strata) में व्यवस्थित किया जाता है। यह असमानता का एक व्यवस्थित और संस्थागत रूप है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री स्तरीकरण के विभिन्न रूपों का अध्ययन करते हैं, जैसे जाति, वर्ग, लिंग, नस्ल आदि, और ये संरचनाएँ कैसे व्यक्तियों के जीवन के अवसरों को प्रभावित करती हैं।
  • अincorrect विकल्प: (a) एक सामान्य वर्गीकरण है, न कि असमानता पर आधारित। (c) व्यक्तिगत स्तर पर होता है, सामाजिक व्यवस्था पर नहीं। (d) स्तरीकरण का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं स्तरीकरण का अर्थ नहीं है।

प्रश्न 16: वेबर के सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों में कौन सा शामिल नहीं है?

  1. पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority)
  2. कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority)
  3. करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
  4. सैन्य सत्ता (Military Authority)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने तीन प्रकार की आदर्श सत्ता (authority) का वर्णन किया: पारंपरिक सत्ता (जो स्थापित रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित है, जैसे राजशाही), करिश्माई सत्ता (जो किसी व्यक्ति के असाधारण गुणों और नेतृत्व पर आधारित है, जैसे पैगंबर), और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (जो नियमों, प्रक्रियाओं और पद पर आधारित है, जैसे आधुनिक नौकरशाही)। ‘सैन्य सत्ता’ उनका वर्गीकृत प्रकार नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, इन तीनों प्रकार की सत्ताएँ सामाजिक व्यवस्थाओं को वैधता प्रदान करती हैं, भले ही उनकी प्रकृति भिन्न हो।
  • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) वेबर द्वारा परिभाषित सत्ता के तीन मुख्य आदर्श प्रकार हैं।

प्रश्न 17: ‘सार्वभौमिकता’ (Universality) और ‘विशिष्टता’ (Particularism) के बीच द्वंद्व (Dichotomy) का प्रयोग किसने सामाजिक क्रियाओं को समझने के लिए किया?

  1. रॉबर्ट मर्टन
  2. इमाइल दुर्खीम
  3. टैल्कॉट पार्सन्स
  4. सी. राइट मिल्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक क्रिया के अपने ‘एक्शन थ्योरी’ (Action Theory) में, व्यक्तियों को विभिन्न मानदंडों के अनुसार व्यवहार करने के लिए निर्देशित करने वाले ‘पैटर्न वेरिएबल्स’ (Pattern Variables) की एक श्रृंखला प्रस्तुत की। ‘सार्वभौमिकता बनाम विशिष्टता’ (Universality vs. Particularism) उनमें से एक है, जो यह बताता है कि क्या व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ उसके सामान्य पद (जैसे डॉक्टर) या उसके विशेष संबंध (जैसे अपना बेटा) के आधार पर व्यवहार करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने इन द्वंद्वों का उपयोग यह समझने के लिए किया कि कैसे विभिन्न समाजों में लोग अपनी भूमिकाओं का निर्वाह करते हैं और सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करते हैं।
  • अincorrect विकल्प: अन्य समाजशास्त्री अपने-अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यह विशेष द्वंद्व पार्सन्स की देन है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘गुमनाम समाज’ (Gemeinschaft) का उदाहरण है, जहाँ संबंध घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक होते हैं?

  1. एक आधुनिक महानगर
  2. एक ऑनलाइन फ़ोरम
  3. एक पारंपरिक ग्रामीण समुदाय
  4. एक विशाल निगम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: फर्डिनेंड टोनीज़ (Ferdinand Tönnies) ने ‘गुमनाम समाज’ (Gemeinschaft) को ऐसे समुदायों के रूप में वर्णित किया जहाँ संबंध व्यक्तिगत, अंतरंग, भावनात्मक और स्थायी होते हैं, जैसे कि एक पारंपरिक ग्रामीण गाँव या परिवार। इसके विपरीत, ‘गेसेलशाफ्ट’ (Gesellschaft) आधुनिक, औद्योगिक समाजों की विशेषता है जहाँ संबंध अवैयक्तिक, साधन-साध्य और क्षणिक होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: टोनीज़ की पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (1887) में इन दो प्रकार के सामाजिक संगठनों का विस्तृत वर्णन है।
  • अincorrect विकल्प: आधुनिक महानगर, ऑनलाइन फ़ोरम और विशाल निगम ‘गेसेलशाफ्ट’ के उदाहरण हैं, जिनमें संबंध अधिक अवैयक्तिक और उद्देश्य-केंद्रित होते हैं।

प्रश्न 19: ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) का सिद्धांत क्या मानता है?

  1. सभी संस्कृतियाँ समान रूप से उन्नत हैं।
  2. किसी भी संस्कृति को उसके अपने संदर्भ में ही समझा जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी संस्कृति के मानकों से।
  3. पश्चिमी संस्कृति सभी संस्कृतियों के लिए एक मॉडल है।
  4. संस्कृति का अध्ययन मात्रात्मक विधियों से किया जाना चाहिए।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सांस्कृतिक सापेक्षवाद यह मानता है कि किसी व्यक्ति की मान्यताओं, मूल्यों और प्रथाओं को उसी व्यक्ति की संस्कृति के संदर्भ में समझा और मूल्यांकित किया जाना चाहिए। यह किसी संस्कृति को श्रेष्ठ या निम्न मानने के बजाय, उसकी आंतरिक तर्कसंगतता और संदर्भ को महत्व देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानवशास्त्री फ्रान्ज़ बोआस (Franz Boas) से जुड़ा है, जिन्होंने मानवविज्ञानी को अपनी सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों से बचने और विभिन्न संस्कृतियों के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • अincorrect विकल्प: (a) सांस्कृतिक सापेक्षवाद की ओर इशारा करता है लेकिन पूर्ण समानता का दावा नहीं करता। (c) यह ‘जातिवाद’ (Ethnocentrism) का विपरीत है। (d) यह पद्धति के बारे में है, न कि संस्कृति की समझ के बारे में।

प्रश्न 20: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) को किस रूप में परिभाषित किया?

  1. समाज द्वारा निर्धारित भूमिकाओं से विचलित होना।
  2. उत्पादन की प्रक्रिया में व्यक्ति का अपनी मानवता और श्रम के उत्पाद से कटा हुआ महसूस करना।
  3. सामाजिक मानदंडों के अभाव के कारण दिशाहीनता।
  4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दमन।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद (जो उन्हें बेचा जाता है), श्रम की प्रक्रिया (जो उनकी अपनी रचनात्मकता के बजाय थोपी जाती है), अपने सहकर्मियों (जो प्रतिस्पर्धी होते हैं), और स्वयं अपनी प्रजाति-प्रकृति (species-being) से अलग-थलग महसूस करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से पाई जाती है, और यह उनके वर्ग-संघर्ष सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • अincorrect विकल्प: (a) विचलन (deviance) से संबंधित है। (c) दुर्खीम की ‘अराजकता’ (anomie) से संबंधित है। (d) स्वतंत्रता के दमन का वर्णन है, लेकिन अलगाव का विशिष्ट रूप नहीं।

प्रश्न 21: भारत में ‘आदिवासी’ (Tribal) समुदायों के संदर्भ में ‘पृथक्करण’ (Isolation) का अर्थ है:

  1. अन्य समाजों से कम सामाजिक संपर्क।
  2. भौगोलिक रूप से दूर और दुर्गम क्षेत्रों में निवास।
  3. अपनी सांस्कृतिक पहचान और प्रथाओं को बनाए रखना।
  4. (a) और (b) दोनों।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: आदिवासी समुदायों के संदर्भ में ‘पृथक्करण’ का अर्थ प्रायः दो मुख्य पहलुओं से लिया जाता है: उनका भौगोलिक रूप से मुख्यधारा के समाज से दूर, अक्सर दुर्गम क्षेत्रों (जैसे पहाड़, घने जंगल) में निवास करना, और परिणामस्वरूप, उनका अन्य समाजों के साथ कम सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संपर्क होना।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पृथक्करण उनकी विशिष्ट पहचान और प्रथाओं को बनाए रखने में सहायक रहा है, लेकिन इसने उन्हें विकास के अवसरों से भी वंचित रखा है।
  • अincorrect विकल्प: (c) पृथक्करण का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन इसका प्राथमिक अर्थ भौतिक और सामाजिक अलगाव है।

प्रश्न 22: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का अर्थ क्या है?

  1. किसी व्यक्ति के पास मौजूद वित्तीय धन।
  2. किसी व्यक्ति के पास उपलब्ध भौतिक संसाधन।
  3. सामाजिक संबंधों, नेटवर्क और इन संबंधों से उत्पन्न विश्वास और सहयोग के माध्यम से प्राप्त लाभ।
  4. समाज में व्यक्ति की सामाजिक स्थिति।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक पूंजी, जैसा कि पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित किया गया है, उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक नेटवर्क और संबंधों के माध्यम से प्राप्त होते हैं। इसमें विश्वास, आपसी समझ और सहयोग की भावनाएं शामिल हैं जो सामाजिक संबंधों से उत्पन्न होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अच्छी सामाजिक पूंजी वाले लोग अक्सर सूचना, समर्थन और अवसरों तक बेहतर पहुँच रखते हैं।
  • अincorrect विकल्प: (a) और (b) वित्तीय और भौतिक पूंजी हैं, जबकि (d) सामाजिक स्थिति स्तरीकरण से संबंधित है।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया का परिणाम नहीं माना जा सकता है?

  1. धर्म की सार्वजनिक भूमिका में कमी
  2. विज्ञान और तर्कवाद का बढ़ता प्रभाव
  3. व्यक्तिगत जीवन पर धार्मिक अनुष्ठानों का कम प्रभाव
  4. धार्मिक संस्थानों का सामाजिक जीवन पर पूर्ण नियंत्रण

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: धर्मनिरपेक्षीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समाज में धर्म की भूमिका, प्रभाव और महत्व कम हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप अक्सर सार्वजनिक क्षेत्र में धर्म का प्रभाव घटता है, विज्ञान और तर्कवाद का उदय होता है, और व्यक्तिगत जीवन में धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व कम होता है। ‘धार्मिक संस्थानों का सामाजिक जीवन पर पूर्ण नियंत्रण’ धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत है, क्योंकि यह धार्मिक प्रभाव के बढ़ने को दर्शाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा आधुनिकता और औद्योगीकरण से जुड़ी हुई है।
  • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) सभी धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के सामान्य परिणाम हैं।

प्रश्न 24: ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा किसने दी, जो व्यक्तिगत समस्याओं को व्यापक सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ से जोड़ती है?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. एमिल दुर्खीम
  4. सी. राइट मिल्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक ‘The Sociological Imagination’ (1959) में इस अवधारणा को पेश किया। यह व्यक्तियों को उनकी व्यक्तिगत दुविधाओं (personal troubles) को सार्वजनिक मुद्दों (public issues) से जोड़ने की क्षमता के रूप में परिभाषित करती है, ताकि वे अपने जीवन को समाज और इतिहास के व्यापक संदर्भ में समझ सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: मिल्स का मानना था कि समाजशास्त्रीय कल्पना एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो व्यक्तियों को समाज के भीतर अपनी स्थिति को समझने और उसमें परिवर्तन लाने की शक्ति प्रदान करती है।
  • अincorrect विकल्प: वेबर, मार्क्स और दुर्खीम क्लासिकल समाजशास्त्री हैं जिन्होंने सामाजिक व्यवस्था, वर्ग, और एकजुटता जैसे व्यापक विषयों पर काम किया, लेकिन ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ शब्द मिल्स का है।

प्रश्न 25: भारत में ‘दलित’ (Dalit) शब्द का प्रयोग निम्नलिखित में से किस समूह को संदर्भित करने के लिए किया जाता है?

  1. उच्च जाति के लोग
  2. पिछड़ी जातियाँ
  3. वे जातियाँ जिन्हें ऐतिहासिक रूप से बहिष्कृत और उत्पीड़ित किया गया है
  4. सभी गैर-ब्राह्मण जातियाँ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘दलित’ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘कुचले हुए’ या ‘दबे-कुचले’ है। यह उन ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ित और बहिष्कृत जातियों को संदर्भित करता है जिन्हें पहले ‘अछूत’ कहा जाता था। यह शब्द आत्म-सम्मान, प्रतिरोध और सामाजिक न्याय के लिए एक सामूहिक पहचान का प्रतीक है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस शब्द को बी.आर. अम्बेडकर और बाद में दलित पैंथर्स जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था, ताकि एक साझा पहचान और राजनीतिक उद्देश्य को व्यक्त किया जा सके।
  • अincorrect विकल्प: यह शब्द केवल पिछड़ी जातियों या सभी गैर-ब्राह्मण जातियों के लिए प्रयुक्त नहीं होता, बल्कि विशेष रूप से उन जातियों के लिए है जो गंभीर भेदभाव और उत्पीड़न का शिकार रही हैं।

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