Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपनी तैयारी को परखें

समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपनी तैयारी को परखें

समाजशास्त्र के अथाह सागर में डुबकी लगाने और अपनी वैचारिक स्पष्टता को पैना करने का समय आ गया है! हर दिन एक नई चुनौती आपका इंतज़ार कर रही है, जो आपको महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय अवधारणाओं, विचारकों और सिद्धांतों की गहन समझ के लिए प्रेरित करेगी। आइए, आज के इस अभ्यास-सत्र के साथ अपनी परीक्षा की तैयारी को और मज़बूत करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किस समाजशास्त्री ने प्रतिपादित की?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. Émile Durkheim
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: Émile Durkheim ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य समाज में व्यक्तियों के व्यवहार, विचार और भावनाओं के ऐसे बाहरी तरीके हैं जिनमें एक बाध्यकारी शक्ति होती है। वे व्यक्ति पर बाहर से थोपे जाते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा डुरकेम की पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में विस्तृत है। वे समाज को व्यक्तियों के योग से अधिक मानते थे और सामाजिक तथ्यों के अध्ययन को समाजशास्त्र का मूल मानते थे।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य जोर वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) पर बल दिया, जो व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर केंद्रित है। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का विचार दिया।

प्रश्न 2: ‘संस्थानीकरण’ (Institutionalization) की प्रक्रिया से तात्पर्य है:

  1. सामाजिक मानदंडों का व्यक्तिगत व्यवहार में बदलना
  2. व्यवहार के निश्चित तरीकों का सामाजिक स्वीकृति और स्थायित्व प्राप्त करना
  3. समूहों के बीच सहयोग की प्रक्रिया
  4. सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन लाना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘संस्थानीकरण’ वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहार के विशेष पैटर्न (जैसे विवाह, शिक्षा, सरकार) समाज में स्वीकृत, नियमित और स्थायी हो जाते हैं, जिन्हें संस्थाओं के रूप में पहचाना जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक संरचना और परिवर्तन को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। जब कोई व्यवहार बार-बार दोहराया जाता है और समाज द्वारा उसे मान्यता मिल जाती है, तो वह एक संस्था का रूप ले लेता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘समाजीकरण’ का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह संस्था का निर्माण नहीं है। (c) सहयोग एक सामाजिक प्रक्रिया है, न कि स्थायित्व प्राप्त करने की प्रक्रिया। (d) संस्थाएं परिवर्तन ला सकती हैं, लेकिन संस्थाीकरण स्वयं प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहार को स्थायित्व मिलता है।

प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई ‘संसकृति’ (Sanskritization) की अवधारणा का संबंध किससे है?

  1. पश्चिमीकरण की प्रक्रिया
  2. उच्च जातियों की जीवन शैली का अनुकरण
  3. जनजातियों द्वारा मुख्यधारा की संस्कृति को अपनाना
  4. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृति’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है कि निम्न या मध्य जातियों द्वारा उच्च, विशेषतः द्विजातियों की रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और जीवन शैलियों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह भारत में जाति व्यवस्था में सांस्कृतिक गतिशीलता का एक प्रमुख उदाहरण है, जैसा कि उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में वर्णित है।
  • गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की जीवन शैली को अपनाने से संबंधित है। (c) जनजातियों द्वारा मुख्यधारा की संस्कृति को अपनाना ‘आदिवासीकरण’ या अन्य संदर्भों में आ सकता है। (d) आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जो प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और शासन से संबंधित है।

प्रश्न 4: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) के चार प्रकार बताए हैं?

  1. Émile Durkheim
  2. Max Weber
  3. Karl Marx
  4. Talcott Parsons

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ के चार प्रकार बताए हैं: 1. पारंपरिक क्रिया (Tradition-rational action), 2. भावनात्मक क्रिया (Affectual action), 3. मूल्य-तर्कसंगत क्रिया (Value-rational action), और 4. साधन-साध्य तर्कसंगत क्रिया (Instrumentally-rational action)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर के अनुसार, समाजशास्त्र का कार्य सामाजिक क्रियाओं को समझना और उनकी व्याख्या करना है। उन्होंने इस पर अपनी पुस्तक ‘Economy and Society’ में गहनता से लिखा है।
  • गलत विकल्प: डुरकेम ने सामाजिक तथ्यों पर, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर, और पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था तथा AGIL प्रतिमान पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 5: ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों में शिथिलता या अभाव को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. Auguste Comte
  2. Herbert Spencer
  3. Émile Durkheim
  4. George Simmel

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: Émile Durkheim ने ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा को आत्महत्या के एक कारण के रूप में विस्तार से समझाया है। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज के सामान्य नियम या नैतिकता व्यक्ति के लिए अस्पष्ट या अप्रभावी हो जाते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: डुरकेम ने इसे अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में सामाजिक एकता के संदर्भ में विश्लेषित किया है। उन्होंने अनॉमिक आत्महत्या, परार्थवादी आत्महत्या और अहंवादी आत्महत्या का भी वर्णन किया।
  • गलत विकल्प: कॉम्टे ने समाजशास्त्र को एक ‘विज्ञान’ के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया। स्पेंसर ने जैविक विकास के सिद्धांतों को समाज पर लागू किया। सिमेल ने सूक्ष्म सामाजिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 6: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) के आदर्श प्रारूप (Ideal Type) का व्यवस्थित विश्लेषण किसने किया?

  1. Karl Marx
  2. Max Weber
  3. Talcott Parsons
  4. Robert Merton

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन प्रकारों (परंपरागत, करिश्माई, वैधानिक-तर्कसंगत) के विश्लेषण के संदर्भ में नौकरशाही के आदर्श प्रारूप का विस्तृत अध्ययन किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर के अनुसार, नौकरशाही एक तर्कसंगत, कुशल और व्यवस्थित संगठन संरचना है जो नियमों, पदानुक्रम और विशेषज्ञता पर आधारित होती है। उन्होंने इसे आधुनिक समाज के प्रभुत्व के सबसे शुद्ध रूप के रूप में देखा।
  • गलत विकल्प: मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के मॉडल विकसित किए। मर्टन ने नौकरशाही के ‘अनैच्छिक परिणामों’ (Dysfunctions) पर काम किया।

प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का संबंध मुख्य रूप से किस समाजशास्त्रीय विचारक से है?

  1. Émile Durkheim
  2. Auguste Comte
  3. George Herbert Mead
  4. Herbert Spencer

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि व्यक्ति अपने आस-पास के वातावरण के साथ प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से अंतःक्रिया करके अपनी पहचान और स्वयं का निर्माण करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड के विचारों को उनके मरणोपरांत छात्रों द्वारा ‘Mind, Self, and Society’ पुस्तक में संकलित किया गया। उन्होंने ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच अंतर और ‘अन्य’ (The Other) की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
  • गलत विकल्प: डुरकेम, कॉम्टे और स्पेंसर वृहद-स्तरीय (macro-level) समाजशास्त्र से जुड़े हैं, जबकि प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) है।

प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘अछूत’ (Untouchables) शब्द के स्थान पर ‘दलित’ (Dalit) शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में अधिक उपयुक्त माना जाता है?

  1. केवल ऐतिहासिक संदर्भ में
  2. सफाई व्यवस्था से जुड़े श्रमिकों के लिए
  3. उत्पीड़न और वंचना के विरुद्ध संघर्ष तथा आत्म-सम्मान के प्रतीक के रूप में
  4. जातिगत शुद्धता के आधार पर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘दलित’ शब्द का अर्थ है ‘कुचला हुआ’ या ‘दबाया हुआ’। यह शब्द ऐतिहासिक उत्पीड़न और सामाजिक-आर्थिक वंचना को दर्शाता है, तथा इसमें स्वयं की मुक्ति और गरिमा के लिए एक राजनीतिक और सामाजिक चेतना निहित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दलित आंदोलन और विचारकों ने इस शब्द को अपनाकर अपनी पहचान और संघर्ष को मुखर किया है। यह केवल एक श्रेणी नहीं, बल्कि एक सामूहिक पहचान और प्रतिरोध का प्रतीक है।
  • गलत विकल्प: (a) यह केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि वर्तमान संघर्ष को भी दर्शाता है। (b) यह उस कार्य से संबंधित हो सकता है, लेकिन शब्द का अर्थ अधिक व्यापक है। (d) यह जातिगत शुद्धता के विपरीत, अशुद्धता और उत्पीड़न से मुक्ति का द्योतक है।

प्रश्न 9: ‘संसाधन गतिशीलता’ (Resource Mobility) की अवधारणा का प्रयोग निम्न में से किस सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में किया जाता है?

  1. विवाह प्रथाओं में परिवर्तन
  2. शहरीकरण की प्रक्रिया
  3. राजनीतिक दलों का उदय
  4. जाति व्यवस्था में परिवर्तन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘संसाधन गतिशीलता’ की अवधारणा का प्रयोग अक्सर भारतीय जाति व्यवस्था के अध्ययन में किया जाता है, जहाँ विभिन्न जातियाँ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक संसाधनों (भूमि, शिक्षा, सत्ता) पर नियंत्रण के माध्यम से अपनी स्थिति को ऊपर या नीचे ले जाने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा एम.एन. श्रीनिवास के ‘संसकृति’ और ‘पश्चिमीकरण’ जैसे अन्य विचारों से जुड़कर जातिगत स्थिति में परिवर्तन को समझने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: जबकि अन्य विकल्प भी सामाजिक परिवर्तन से संबंधित हैं, ‘संसाधन गतिशीलता’ जाति-आधारित पदानुक्रम में परिवर्तन को समझने का अधिक प्रत्यक्ष और उपयुक्त उपकरण है।

प्रश्न 10: परिवार के प्रकारों में ‘मातृवंशीय’ (Matrilineal) परिवार प्रणाली का आधार क्या है?

  1. वंशज पिता से चलता है
  2. वंशज माता से चलता है
  3. पति-पत्नी साथ रहते हैं
  4. परिवार का मुखिया सबसे बड़ा पुत्र होता है

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मातृवंशीय परिवार प्रणाली में, वंश, संपत्ति और उत्तराधिकार का अधिकार माता से उनकी संतानों (विशेषकर पुत्रियों) को प्राप्त होता है। वंशानुक्रम माता की ओर से चलता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत में खासी, गारो और नायर समुदायों में इस प्रकार की परिवार व्यवस्था पाई जाती है। इसमें पति अपनी पत्नी के घर जाकर रहता है, न कि पत्नी पति के घर।
  • गलत विकल्प: (a) यह पितृवंशीय (Patrilineal) व्यवस्था है। (c) यह निवास के प्रकार (Matrilocal/Patrilocal) से संबंधित है, न कि वंशानुक्रम से। (d) यह भी पितृवंशीय व्यवस्था में पुत्र की भूमिका को दर्शाता है।

प्रश्न 11: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?

  1. William Ogburn
  2. Robert Park
  3. Charles Cooley
  4. Max Weber

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विलियम ऑगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उनके अनुसार, भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनें) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, कानून, नैतिकता) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में तालमेल का अभाव हो जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ऑगबर्न ने अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में इस विचार को प्रस्तुत किया। यह आधुनिक समाजों में सामाजिक समस्याओं का एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।
  • गलत विकल्प: पार्क शिकागो स्कूल के प्रमुख सदस्य थे और शहरी समाजशास्त्र में योगदान दिया। कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी। वेबर नौकरशाही और तर्कसंगतीकरण पर केंद्रित थे।

प्रश्न 12: ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) किस प्रकार की सामाजिक संरचना का एक मुख्य लक्षण है?

  1. समतावादी (Egalitarian)
  2. वर्गहीन (Classless)
  3. स्तरीकृत (Stratified)
  4. औपचारिक (Formal)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पदानुक्रम, जहाँ समाज को विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित किया जाता है, स्तरीकृत समाजों (Stratified Societies) का एक मूलभूत लक्षण है। इन स्तरों में शक्ति, धन और प्रतिष्ठा का असमान वितरण होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था, वर्ग व्यवस्था और कुलीनतंत्र (Aristocracy) स्तरीकृत समाज के उदाहरण हैं, जिनमें स्पष्ट पदानुक्रम पाए जाते हैं।
  • गलत विकल्प: समतावादी समाज में समानता पर बल होता है। वर्गहीन समाज में कोई वर्ग भेद नहीं होता। औपचारिक संरचनाओं में नियम और प्रक्रियाएं होती हैं, लेकिन पदानुक्रम उनका एकमात्र लक्षण नहीं है।

प्रश्न 13: ‘सामाजिक विविधीकरण’ (Social Differentiation) का अर्थ है:

  1. समाज में असमानता का बढ़ना
  2. समाज में विभिन्न भूमिकाओं और विशेषताओं के आधार पर विभाजन
  3. जाति व्यवस्था का अंत
  4. समूहों के बीच संघर्ष

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक विविधीकरण समाज को विशिष्ट भूमिकाओं, कार्यों या विशेषताओं के आधार पर उप-समूहों या वर्गों में विभाजित करने की प्रक्रिया है। यह स्वयं में असमानता नहीं है, बल्कि असमानता का आधार बन सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: श्रम विभाजन, व्यवसायों का बंटवारा, या राजनीतिक दलों का गठन सामाजिक विविधीकरण के उदाहरण हैं। यह सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) से भिन्न है, जो असमानता पर अधिक केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: (a) असमानता का बढ़ना ‘सामाजिक स्तरीकरण’ या ‘असमानता’ है। (c) जाति व्यवस्था का अंत ‘सामाजिक गतिशीलता’ या ‘क्रांति’ हो सकती है। (d) संघर्ष एक परिणाम हो सकता है, प्रक्रिया नहीं।

प्रश्न 14: ‘आत्मसात्करण’ (Assimilation) की प्रक्रिया में क्या होता है?

  1. विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण होता है, जिसमें सभी अपनी पहचान बनाए रखते हैं।
  2. एक संस्कृति या समूह दूसरी संस्कृति में घुल-मिल जाता है, अपनी मूल पहचान खो देता है।
  3. विभिन्न समूह समान अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं।
  4. दो संस्कृतियाँ एक-दूसरे पर प्रभाव डालती हैं लेकिन अलग बनी रहती हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आत्मसात्करण एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ अल्पसंख्यक समूह या व्यक्ति बहुसंख्यक समूह की संस्कृति, भाषा और रीति-रिवाजों को पूरी तरह से अपना लेते हैं, और अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान को छोड़ देते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सांस्कृतिक संपर्क का एक परिणाम हो सकता है, जहाँ एक समूह दूसरे में पूर्णतः समाहित हो जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (Cultural Pluralism) या ‘सांस्कृतिक मिश्रण’ (Amalgamation) जैसा है। (c) यह ‘समानता’ या ‘संघर्ष’ का परिप्रेक्ष्य है। (d) यह ‘सांस्कृतिक आदान-प्रदान’ (Cultural Exchange) या ‘सामंजस्य’ (Accommodation) जैसा है।

प्रश्न 15: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को किसने लोकप्रिय बनाया, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग पर आधारित है?

  1. Pierre Bourdieu
  2. Robert Putnam
  3. James Coleman
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पियरे बॉर्दियू, जेम्स कोलमन और रॉबर्ट पुटनम – इन तीनों समाजशास्त्रियों ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा के विकास और लोकप्रियकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, हालांकि उनके दृष्टिकोण थोड़े भिन्न रहे हैं। बॉर्दियू ने इसे सामाजिक संबंधों से प्राप्त लाभ के रूप में देखा, कोलमन ने इसे संरचनात्मक संपत्ति के रूप में, और पुटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव से जोड़ा।
  • संदर्भ एवं विस्तार: तीनों ने सामाजिक पूंजी को व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर संसाधनों के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में पहचाना।
  • गलत विकल्प: चूंकि तीनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए केवल एक को चुनना गलत होगा।

प्रश्न 16: निम्न में से कौन सी एक ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की विशेषता नहीं है?

  1. आमने-सामने का संबंध
  2. अस्थायी और सतही संबंध
  3. घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध
  4. समूह के सदस्यों के बीच ‘हम’ की भावना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्राथमिक समूह, जिसे चार्ल्स कूली ने परिभाषित किया है, घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंधों की विशेषता रखता है। संबंध अक्सर स्थायी और गहरे होते हैं, न कि अस्थायी और सतही।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परिवार, निकटतम मित्र मंडली और खेलकूद समूह प्राथमिक समूहों के उदाहरण हैं। ये व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सभी प्राथमिक समूह की प्रमुख विशेषताएँ हैं। (b) ‘अस्थायी और सतही संबंध’ द्वितीयक समूहों (Secondary Groups) की विशेषता है।

प्रश्न 17: ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) में अलगाव (Alienation) की अवधारणा किस विचारक से प्रमुखता से जुड़ी है?

  1. Max Weber
  2. Karl Marx
  3. Adam Smith
  4. Emile Durkheim

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक के अलगाव (Alienation) की चार प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन किया: उत्पादन के साधन से अलगाव, उत्पाद से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद पर नियंत्रण खो देता है, जिससे वह अपने कार्य और स्वयं से भी अलग-थलग महसूस करने लगता है। यह उनकी कृति ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से मिलता है।
  • गलत विकल्प: वेबर ने तर्कसंगतीकरण और नौकरशाही के संदर्भ में अलगाव पर बात की, लेकिन मार्क्स का विश्लेषण अधिक केंद्रीय है। स्मिथ ने मुक्त बाज़ार की बात की। डुरकेम ने अनमी का विचार दिया।

प्रश्न 18: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ को समझने के लिए ‘आनुष्ठानिक अपवित्रता’ (Ritual Impurity) और ‘पवित्रता’ (Purity) के सिद्धांत का महत्व किसने बताया?

  1. G.S. Ghurye
  2. Louis Dumont
  3. M.N. Srinivas
  4. André Béteille

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लुई ड्यूमॉन्ट ने अपनी पुस्तक ‘Homo Hierarchicus: The Caste System and Its Implications’ में भारतीय जाति व्यवस्था की व्याख्या मुख्य रूप से ‘पवित्रता’ और ‘अपवित्रता’ के धार्मिक और आनुष्ठानिक पदानुक्रम के आधार पर की है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ड्यूमॉन्ट के अनुसार, जाति व्यवस्था मुख्य रूप से अनुष्ठानिक शुद्धता के विचारों से संचालित होती है, न कि केवल आर्थिक या राजनीतिक शक्ति से।
  • गलत विकल्प: घुरिये ने पश्चिमीकरण, प्रभुत्वशाली जाति और जाति के लक्षणों पर बल दिया। श्रीनिवास ने संसकृति और पश्चिमीकरण पर काम किया। बेतेईले ने जाति, वर्ग और नातेदारी के तुलनात्मक अध्ययन किए।

प्रश्न 19: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत मतभेद
  2. समाज में असमानता का व्यवस्थित वितरण
  3. सामाजिक समूहों के बीच सहयोग की प्रक्रिया
  4. समाज में परिवर्तन की दर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण समाज को विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित रूप से विभाजित करने की प्रक्रिया है, जिसमें शक्ति, धन, प्रतिष्ठा और विशेषाधिकारों का असमान वितरण होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह एक सार्वभौमिक घटना है जो विभिन्न रूपों (जैसे वर्ग, जाति, लिंग) में प्रकट होती है और सामाजिक संरचना का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत मतभेद व्यक्तिगत भिन्नताएँ हैं, स्तरीकरण नहीं। (c) सहयोग एक सामाजिक प्रक्रिया है, स्तरीकरण नहीं। (d) परिवर्तन की दर सामाजिक गतिशीलता से संबंधित हो सकती है।

प्रश्न 20: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का संबंध किससे है?

  1. एक ही पीढ़ी में व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन
  2. दो पीढ़ियों के बीच स्थिति में अंतर
  3. केवल आर्थिक स्थिति में परिवर्तन
  4. समाज में लोगों की गति का अध्ययन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में एक स्तर से दूसरे स्तर तक होने वाले परिवर्तन से है। जब यह परिवर्तन एक ही पीढ़ी के भीतर होता है, तो इसे ‘अंतः-पीढ़ी गतिशीलता’ (Intra-generational Mobility) कहा जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जब हम पीढ़ियों के बीच स्थिति के परिवर्तन की बात करते हैं, तो वह ‘अंतर-पीढ़ी गतिशीलता’ (Inter-generational Mobility) कहलाती है। प्रश्न विशेष रूप से “व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन” के बारे में पूछता है, जो अधिक सामान्य रूप से गतिशीलता को दर्शाता है, और (a) इसका सबसे प्रत्यक्ष वर्णन करता है।
  • गलत विकल्प: (b) यह अंतर-पीढ़ी गतिशीलता है। (c) गतिशीलता केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक आदि भी हो सकती है। (d) समाज में लोगों की गति का अध्ययन बहुत व्यापक है; सामाजिक गतिशीलता विशेष रूप से ‘सामाजिक स्थिति’ के परिवर्तन पर केंद्रित है।

प्रश्न 21: ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularization) की प्रक्रिया के संदर्भ में कौन सा कथन सत्य है?

  1. धर्म का समाज में महत्व कम हो जाता है।
  2. सभी लोग नास्तिक हो जाते हैं।
  3. धर्म का स्वरूप अधिक सार्वजनिक और संस्थागत हो जाता है।
  4. विज्ञान और तर्कवाद धर्म का स्थान ले लेते हैं, लेकिन धर्म समाप्त नहीं होता।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: धर्मनिरपेक्षता की प्रक्रिया में, धर्म का प्रभाव समाज के सार्वजनिक क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, कानून) से कम होने लगता है, जबकि विज्ञान, तर्कवाद और आधुनिक संस्थाएं अधिक प्रमुख हो जाती हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि धर्म समाप्त हो जाता है; यह अक्सर व्यक्तिगत और निजी दायरे में सिमट जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह आधुनिकता और तर्कसंगतीकरण से जुड़ी एक जटिल प्रक्रिया है।
  • गलत विकल्प: (a) धर्म का महत्व कम हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह समाप्त नहीं होता। (b) सभी का नास्तिक होना आवश्यक नहीं है। (c) धर्मनिरपेक्षता का अर्थ प्रायः सार्वजनिक महत्व में कमी है, न कि वृद्धि।

प्रश्न 22: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया में निम्न में से क्या शामिल है?

  1. औद्योगीकरण और शहरीकरण
  2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार
  3. राजनीतिक लोकतंत्रीकरण
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति, शिक्षा का प्रसार, राजनीतिक लोकतंत्रीकरण, व्यक्तिवाद का उदय और पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का परिवर्तन जैसी विभिन्न विशेषताएँ शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह विश्व के विभिन्न समाजों में होने वाले व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण सैद्धांतिक ढाँचा है।
  • गलत विकल्प: चूंकि सभी विकल्प आधुनिकीकरण के घटक हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

प्रश्न 23: ‘लोकतंत्र’ (Democracy) में ‘लोक’ (the people) की संप्रभुता को बनाए रखने के लिए किन सिद्धांतों का पालन आवश्यक है?

  1. अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा
  2. नियमित और निष्पक्ष चुनाव
  3. कानून का शासन (Rule of Law)
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लोकतंत्र का मूल सिद्धांत ‘जनता का शासन’ है। इस शासन को प्रभावी बनाने के लिए नागरिकों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं की सुरक्षा, नियमित और निष्पक्ष चुनाव जो जनता को अपनी सरकार चुनने का अवसर देते हैं, और कानून का शासन जहाँ सभी नागरिक कानून के अधीन हों, अत्यंत आवश्यक हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये सभी सिद्धांत मिलकर एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था का निर्माण करते हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि सभी सिद्धांत लोकतंत्र के लिए मौलिक हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

प्रश्न 24: ‘नगरीयता’ (Urbanism) की अवधारणा, जिसमें शहर में जीवन जीने के विशेष ढंग और सामाजिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है, का श्रेय मुख्य रूप से किस समाजशास्त्रीय समूह को दिया जाता है?

  1. फ्रैंकफर्ट स्कूल
  2. शिकागो स्कूल
  3. लंदन स्कूल
  4. पेरिस स्कूल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों, जैसे रॉबर्ट पार्क, अर्नेस्ट बर्गेस और लुई वर्थ, ने 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिकी शहरों के सामाजिक जीवन, प्रवासन, अपराध, और नगरीयता (Urbanism) के प्रभाव पर गहन शोध किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: लुई वर्थ ने विशेष रूप से ‘Urbanism as a Way of Life’ नामक लेख में नगरीयता की सामाजिक-मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का वर्णन किया, जैसे कि भीड़भाड़, आकार और भिन्नता का प्रभाव।
  • गलत विकल्प: अन्य स्कूल अलग-अलग समाजशास्त्रीय दृष्टिकोणों से जुड़े हैं, जैसे फ्रैंकफर्ट स्कूल महत्वपूर्ण सिद्धांत (Critical Theory) से।

प्रश्न 25: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) को समझने के लिए ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) का प्रमुख दृष्टिकोण क्या है?

  1. समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखना
  2. संसाधनों के लिए विभिन्न समूहों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष
  3. धीरे-धीरे होने वाले सांस्कृतिक विकास
  4. समूहों के बीच सामंजस्य और एकीकरण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: संघर्ष सिद्धांत (जैसे कार्ल मार्क्स का सिद्धांत) मानता है कि समाज में परिवर्तन मुख्य रूप से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच शक्ति, संसाधनों और अवसरों के लिए होने वाले संघर्ष और प्रतिस्पर्धा का परिणाम होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि समाज में हमेशा तनाव और संघर्ष बना रहता है, जो अंततः सामाजिक परिवर्तन को जन्म देता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) कार्यात्मकतावादी (Functionalist) दृष्टिकोण के करीब हैं, जो संतुलन और स्थिरता पर जोर देते हैं। (c) धीरे-धीरे होने वाला विकास ‘विकासवादी’ (Evolutionary) दृष्टिकोण से संबंधित है।

Leave a Comment