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समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपनी पकड़ मज़बूत करें!

समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपनी पकड़ मज़बूत करें!

नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज की इस विशेष क्विज़ के साथ अपने ज्ञान को परखने और अपनी तैयारी को एक नई दिशा देने के लिए तैयार हो जाइए। यह 25 प्रश्नों की श्रृंखला आपके अवलोकनात्मक कौशल और सैद्धांतिक समझ को चुनौती देगी। आइए, सामाजिक दुनिया की गहराई में उतरें और अपनी विशेषज्ञता को निखारें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे समाजशास्त्र का मुख्य अध्ययन क्षेत्र माना जाता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. ऑगस्ट कॉम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा दी, जिसे वे “तरीके का आचरण, विचार और भावनाएँ, जो व्यक्ति के लिए बाहरी हैं और बाध्यकारी शक्ति रखती हैं” के रूप में परिभाषित करते हैं। उनका मानना ​​था कि समाजशास्त्र का अध्ययन इन सामाजिक तथ्यों का ही होना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में केंद्रीय है। यह समाजशास्त्रीय सकारात्मकतावाद का आधार बनती है, जो सामाजिक घटनाओं को वस्तुनिष्ठ रूप से अध्ययन करने पर जोर देती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष पर था। मैक्स वेबर ने “क्रिया” (Action) के अर्थपूर्ण बोध पर बल दिया (Verstehen)। ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन उन्होंने “सामाजिक स्थैतिकी” और “गतिशील” जैसे शब्दों का प्रयोग किया।

प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की विशेषता निम्नलिखित में से कौन सी नहीं है?

  1. स्पष्ट अधिकार क्षेत्र और पदानुक्रम
  2. लिखित नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित
  3. कर्मचारियों के बीच व्यक्तिगत संबंधों पर जोर
  4. योग्यता के आधार पर चयन और पदोन्नति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: वेबर के आदर्श प्रकार (Ideal Type) की नौकरशाही में, कर्मचारियों के बीच व्यक्तिगत संबंधों पर जोर नहीं दिया जाता है; बल्कि, संबंध नियमों और औपचारिक प्रक्रियाओं द्वारा शासित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी पुस्तक “अर्थव्यवस्था और समाज” (Economy and Society) में तर्कसंगतता (Rationality) के विकास के हिस्से के रूप में नौकरशाही को एक प्रभावी संगठनात्मक रूप बताया। उन्होंने इसके गुणों के रूप में स्पष्ट अधिकार क्षेत्र, पदानुक्रम, लिखित नियम, अवैयक्तिक संबंध, योग्यता-आधारित चयन और पेशेवर विशेषज्ञता का उल्लेख किया।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) सभी वेबर के आदर्श प्रकार की नौकरशाही की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 3: भारतीय समाज में ‘संसकृति’ (Sanskritization) की अवधारणा का प्रयोग किसने किया?

  1. एस.सी. दुबे
  2. एम.एन. श्रीनिवास
  3. ई.वी. रामासामी पेरियार
  4. गौरी शंकर जोशी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृति’ की अवधारणा दी। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों (आमतौर पर द्विजा) के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने इस अवधारणा का सर्वप्रथम प्रयोग अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में किया था। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण रूप है जो भारतीय जाति व्यवस्था में देखने को मिलता है।
  • गलत विकल्प: एस.सी. दुबे ने भारतीय गाँवों और जनजातियों पर महत्वपूर्ण कार्य किया। ई.वी. रामासामी पेरियार द्रविड़ आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे और जाति-विरोधी सुधारकों में से थे। गौरी शंकर जोशी एक समाजशास्त्री थे जिन्होंने भारतीय समाज पर काम किया।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का एक रूप नहीं है?

  1. दासता (Slavery)
  2. जाति (Caste)
  3. वर्ग (Class)
  4. संघ (Association)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: संघ (Association) लोगों का एक स्वैच्छिक संगठन है जो समान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाया जाता है (जैसे, खेल क्लब, पेशेवर संघ)। यह स्तरीकरण का रूप नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों का एक पदानुक्रमित व्यवस्था में विभाजन है, जिसमें विभिन्न समूहों को असमान अवसर और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। दासता, जाति और वर्ग प्रमुख ऐतिहासिक और समकालीन सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियाँ हैं।
  • गलत विकल्प: दासता, जाति और वर्ग सभी समाज के भीतर शक्ति, धन और प्रतिष्ठा के असमान वितरण को दर्शाते हैं।

प्रश्न 5: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, ‘अनौमी’ (Anomie) का क्या अर्थ है?

  1. समाज में सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का क्षय या अभाव
  2. अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण
  3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिरेक
  4. पारिवारिक विघटन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: ‘अनौमी’ (Anomie) एक ऐसी स्थिति है जिसमें समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं में सामंजस्य या स्पष्टता का अभाव होता है, जिससे भटकाव और अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “आत्महत्या” (Suicide) में विस्तृत रूप से प्रस्तुत की थी। उन्होंने इसे कुछ प्रकार की आत्महत्याओं (जैसे, बेतुकी आत्महत्या) के कारण के रूप में पहचाना, जहाँ व्यक्ति के लक्ष्य और सामाजिक संरचना के बीच असंतुलन होता है।
  • गलत विकल्प: अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण (b) एक अलग अवधारणा है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिरेक (c) अनौमी का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन स्वयं अनौमी नहीं। पारिवारिक विघटन (d) अनौमी का एक संकेतक या परिणाम हो सकता है।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से किस सिद्धांतकार ने ‘पैटर्न वेरिएशंस’ (Pattern Variations) के आधार पर समाजों को ‘पारंपरिक’ और ‘आधुनिक’ में वर्गीकृत किया?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. टॉल्कोट पार्सन्स
  4. डेविड एप्पेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: टॉल्कोट पार्सन्स ने समाजों के विकास को समझने के लिए ‘पैटर्न वेरिएशंस’ (Pattern Variables) का एक सेट विकसित किया, जिसमें उन्होंने समाज को ‘पारंपरिक’ (Traditional) और ‘आधुनिक’ (Modern) में वर्गीकृत किया। इन पैटर्न वेरिएबल्स में (जैसे, असाइनमेंट बनाम अचीवमेंट, सार्वभौमिकता बनाम विशिष्टता, आदि) एक समाज अपने सदस्यों की भूमिकाओं को कैसे परिभाषित करता है, यह शामिल था।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का यह वर्गीकरण सामाजिक व्यवस्था और परिवर्तन के उनके व्यापक सिद्धांत का हिस्सा था। उनका मानना ​​था कि आधुनिक समाज ‘अचीवमेंट’ (उपलब्धि), ‘यूनिवर्सलिज्म’ (सार्वभौमिकता) और ‘स्पेसिफिसिटी’ (विशिष्टता) जैसे पैटर्नों की ओर बढ़ता है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ के आधार पर समाजों को ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) और ‘जैविक एकता’ (Organic Solidarity) में वर्गीकृत किया। मार्क्स ने उत्पादन की शक्तियों और संबंधों के आधार पर समाज का वर्गीकरण किया। डेविड एप्पेल ने सामाजिक विकास पर कार्य किया है लेकिन पार्सन्स की तरह पैटर्न वेरिएबल्स का यह विशिष्ट वर्गीकरण उनका नहीं है।

प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रतिपादक किसे माना जाता है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. टेल्कोट पार्सन्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख संस्थापक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति अपने स्वयं के सामाजिक अनुभवों के माध्यम से ‘स्व’ (Self) और अपने आसपास की दुनिया के बारे में अर्थ का निर्माण कैसे करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड का काम, विशेष रूप से उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक “मन, स्व और समाज” (Mind, Self, and Society), ने इस माइक्रो-लेवल सिद्धांत की नींव रखी। उन्होंने “मैं” (I) और “मी” (Me) के बीच अंतर, और “अन्य” (Others) की भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर मैक्रो-लेवल सिद्धांतकार थे। पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) के प्रमुख प्रस्तावक थे।

प्रश्न 8: सामाजिक परिवर्तन के ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के प्रमुख प्रस्तावक कौन थे?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. ऑगस्ट कॉ़म्टे

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: कार्ल मार्क्स सामाजिक परिवर्तन के संघर्ष सिद्धांत के सबसे प्रमुख प्रस्तावक थे। उनका मानना ​​था कि इतिहास वर्ग संघर्ष द्वारा संचालित होता है, जहाँ उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व को लेकर विभिन्न वर्गों के बीच टकराव होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी कृतियों जैसे “दास कैपिटल” (Das Kapital) और “कम्युनिस्ट घोषणापत्र” (The Communist Manifesto) में इस सिद्धांत को विकसित किया। उन्होंने तर्क दिया कि उत्पादन संबंधों में अंतर्निहित विरोधाभास अंततः क्रांति और एक नए सामाजिक व्यवस्था की ओर ले जाते हैं।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक सामंजस्य और एकता पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने सामाजिक क्रिया और तर्कसंगतता के महत्व पर जोर दिया। कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक थे जिन्होंने सकारात्मकतावाद का प्रस्ताव रखा।

प्रश्न 9: भारतीय समाज में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का उन्मूलन भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत एक दंडनीय अपराध घोषित किया गया है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 17
  3. अनुच्छेद 19
  4. अनुच्छेद 21

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है और इसके किसी भी रूप में आचरण को प्रतिबंधित करता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, अस्पृश्यता से उत्पन्न किसी भी अक्षमता को लागू करना भारतीय कानून के अनुसार दंडनीय होगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद भारतीय समाज में जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक कदम है। यह सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांत को स्थापित करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है, अनुच्छेद 19 वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे कुछ अधिकारों के संबंध में संरक्षण देता है, और अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है। हालाँकि, अस्पृश्यता के प्रत्यक्ष उन्मूलन का उल्लेख अनुच्छेद 17 में ही है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी ‘समूह’ (Group) की विशेषता नहीं है?

  1. सदस्यों के बीच ‘हम’ की भावना
  2. आपसी निर्भरता या अंतःक्रिया
  3. समान उद्देश्यों की पूर्ति
  4. अस्थायी और औपचारिक संबंध

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: ‘समूह’ की विशेषता अस्थायी और औपचारिक संबंध नहीं है। समूहों में आमतौर पर सदस्यों के बीच अधिक स्थायी, प्रत्यक्ष और अक्सर अनौपचारिक संबंध होते हैं, साथ ही ‘हम’ की भावना, आपसी निर्भरता और समान उद्देश्य होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक समूह लोगों का वह संग्रह है जो एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं, एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, और एक साझा पहचान और उद्देश्य की भावना साझा करते हैं।
  • गलत विकल्प: ‘हम’ की भावना (a), आपसी निर्भरता (b), और समान उद्देश्य (c) सभी समूहों की प्रमुख विशेषताएँ हैं। अस्थायी और औपचारिक संबंध (d) अक्सर ‘समूह’ (Group) के बजाय ‘श्रेणी’ (Category) या ‘भीड़’ (Crowd) जैसी अन्य सामाजिक संरचनाओं की विशेषता होती है।

प्रश्न 11: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

  1. एल्बन जी. डेविस
  2. विलियम ग्राहम समनर
  3. ऑगस्ट कॉम्प्टे
  4. हर्बर्ट स्पेंसर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक “फोकवेज” (Folkways) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब होता है जब भौतिक संस्कृति (जैसे, प्रौद्योगिकी, मशीनें) अभौतिक संस्कृति (जैसे, कानून, रीति-रिवाज, नैतिकता) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे असंतुलन पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समनर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे नए आविष्कार या तकनीकी प्रगति समाज के अन्य हिस्सों (जैसे, सामाजिक नियंत्रण, नैतिकता) के अनुकूल होने से पहले समाज में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे सामाजिक तनाव और समायोजन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • गलत विकल्प: एल्बन जी. डेविस ने परिवार पर कार्य किया। ऑगस्ट कॉम्प्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है। हर्बर्ट स्पेंसर ने विकासवाद (Evolutionism) पर कार्य किया।

प्रश्न 12: समाजशास्त्र में ‘अनुसंधान अभिकल्प’ (Research Design) का क्या उद्देश्य है?

  1. यह तय करना कि किस सैद्धांतिक दृष्टिकोण का उपयोग करना है
  2. शोध प्रश्न का उत्तर देने के लिए डेटा संग्रह और विश्लेषण की एक योजना बनाना
  3. शोध के निष्कर्षों को प्रकाशित करना
  4. शोध में नैतिक दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: अनुसंधान अभिकल्प (Research Design) शोध प्रश्न का व्यवस्थित रूप से उत्तर देने के लिए डेटा संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या की एक विस्तृत योजना है। यह शोध प्रक्रिया का ब्लूप्रिंट है।
  • संदर्भ और विस्तार: एक अच्छा अभिकल्प यह सुनिश्चित करता है कि शोध वैध (Valid) और विश्वसनीय (Reliable) हो, और शोधकर्ता को अपने निष्कर्षों के बारे में आत्मविश्वास हो। इसमें अध्ययन का प्रकार (जैसे, प्रायोगिक, सहसंबंधी), नमूनाकरण विधि, डेटा संग्रह के तरीके (जैसे, सर्वेक्षण, साक्षात्कार), और डेटा विश्लेषण की तकनीकें शामिल होती हैं।
  • गलत विकल्प: केवल सैद्धांतिक दृष्टिकोण का चयन (a) अनुसंधान अभिकल्प का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन पूरा उद्देश्य नहीं। निष्कर्षों का प्रकाशन (c) अनुसंधान का अंतिम चरण है। नैतिक दिशानिर्देशों का पालन (d) महत्वपूर्ण है, लेकिन यह अभिकल्प का एक पहलू है, पूरा उद्देश्य नहीं।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) का उदाहरण है?

  1. एक विश्वविद्यालय का छात्र संघ
  2. एक राजनीतिक दल
  3. परिवार
  4. एक पेशेवर संगठन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: परिवार को प्राथमिक समूह का सबसे अच्छा उदाहरण माना जाता है। प्राथमिक समूहों की विशेषता आमने-सामने, दीर्घकालिक, भावनात्मक और घनिष्ठ संबंध हैं, जो परिवार में पाए जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स हॉरटन कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ की अवधारणा पेश की, जो व्यक्तित्व के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये समूह ‘हम’ की भावना और घनिष्ठता पर आधारित होते हैं।
  • गलत विकल्प: छात्र संघ (a), राजनीतिक दल (b), और पेशेवर संगठन (d) आमतौर पर द्वितीयक समूहों (Secondary Groups) के उदाहरण हैं, जिनमें संबंध अधिक अनौपचारिक, उद्देश्य-उन्मुख और कम भावनात्मक होते हैं।

प्रश्न 14: ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) के विकास में ‘प्रोटेस्टेंट नैतिकता’ (Protestant Ethic) की भूमिका का विश्लेषण किस समाजशास्त्री ने किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. रॉबर्ट मर्टन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: मैक्स वेबर ने अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक “प्रोटेस्टेंट एथिक्स एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म” (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) में तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट धर्म की कुछ नैतिकताएँ, विशेष रूप से केल्विनवाद, ने पूंजीवाद के उदय और विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने बताया कि कैसे प्रोविडेंस, कड़ी मेहनत, मितव्ययिता और सफलता को ईश्वर की कृपा का संकेत मानने जैसी प्रोटेस्टेंट मान्यताएं, पूंजी संचय और निवेश को बढ़ावा देने वाले व्यवहार को प्रोत्साहित करती थीं, जो पूंजीवाद के लिए आवश्यक था।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद का विश्लेषण वर्ग संघर्ष और शोषण के आधार पर किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और कार्य विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। रॉबर्ट मर्टन ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और अमेरिकी समाज पर वेबर के काम का विस्तार किया।

प्रश्न 15: समाजशास्त्रीय शब्दावली में, ‘अभिकर्मक’ (Agent) शब्द आमतौर पर किसके संदर्भ में प्रयोग किया जाता है?

  1. सामाजिक संरचना का एक घटक
  2. व्यक्ति जो अपने पर्यावरण को प्रभावित करने की क्षमता रखता है
  3. सामाजिक परिवर्तन का एक बल
  4. सामूहिक चेतना का एक तत्व

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: समाजशास्त्र में, ‘अभिकर्मक’ (Agent) शब्द उस व्यक्ति या इकाई को संदर्भित करता है जो सक्रिय रूप से कार्य करता है और अपने पर्यावरण या सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यह अक्सर ‘संरचना’ (Structure) के विपरीत प्रयोग किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संरचना-अभिकर्मक द्वंद्व (Structure-Agent Duality) कई समकालीन समाजशास्त्रीय सिद्धांतों (जैसे, एंथोनी गिडेंस के संरचना सिद्धांत) में एक केंद्रीय बहस है, जो यह समझने की कोशिश करते हैं कि सामाजिक व्यवस्थाएँ व्यक्तियों के कार्यों द्वारा कैसे निर्मित और पुन: उत्पन्न होती हैं।
  • गलत विकल्प: सामाजिक संरचना का घटक (a), सामाजिक परिवर्तन का बल (c), और सामूहिक चेतना का तत्व (d) ये अभिकर्मक की परिभाषा के सभी पहलू हो सकते हैं, लेकिन ‘अभिकर्मक’ का मुख्य अर्थ सक्रिय, प्रभावशाली इकाई है।

प्रश्न 16: भारत में ‘पूंजीवाद’ के उदय और जाति व्यवस्था पर इसके प्रभाव का अध्ययन किसने किया?

  1. एम.एन. श्रीनिवास
  2. इरफान हबीब
  3. आलोक वर्मा
  4. सुकांत चौधरी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: इरफान हबीब, एक प्रख्यात इतिहासकार, ने मध्यकालीन भारत के इतिहास के साथ-साथ आधुनिक भारत में पूंजीवाद के विकास और समाज पर इसके विभिन्न प्रभावों, जिसमें जाति व्यवस्था भी शामिल है, पर महत्वपूर्ण कार्य किया है।
  • संदर्भ और विस्तार: हबीब के कार्यों ने भारत में सामंतवाद, कृषि संबंध और औपनिवेशिक काल में पूंजीवादी व्यवस्था के उद्भव की गहराई से जांच की है, और बताया है कि कैसे इन आर्थिक परिवर्तनों ने सामाजिक संरचनाओं, विशेष रूप से जाति और वर्ग को प्रभावित किया।
  • गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास मुख्य रूप से जाति, संस्तुतिकरण और दक्षिण भारत पर अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं। आलोक वर्मा और सुकांत चौधरी भी समाजशास्त्र और संबंधित क्षेत्रों में योगदानकर्ता हैं, लेकिन हबीब का कार्य विशेष रूप से भारत में पूंजीवाद के उद्भव और उसके समाजशास्त्रीय प्रभावों पर अधिक केंद्रीय है।

प्रश्न 17: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से तात्पर्य है:

  1. किसी समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में स्थानांतरण
  2. समाज में हो रहे सांस्कृतिक परिवर्तन
  3. सामाजिक असमानता का वितरण
  4. नई सामाजिक संरचनाओं का निर्माण

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य व्यक्तियों या समूहों के सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर या नीचे की ओर (ऊर्ध्वाधर गतिशीलता) या एक स्तर पर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में (क्षैतिज गतिशीलता) जाने से है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह किसी समाज की खुलीपन और समतावाद की डिग्री को मापने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इसमें आत्मकथात्मक गतिशीलता (एक व्यक्ति के जीवनकाल में) और पीढ़ीगत गतिशीलता (एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में) शामिल हो सकती है।
  • गलत विकल्प: सांस्कृतिक परिवर्तन (b) सामाजिक परिवर्तन का एक रूप है, लेकिन विशिष्ट रूप से गतिशीलता नहीं। सामाजिक असमानता का वितरण (c) स्तरीकरण का विषय है, गतिशीलता का परिणाम या माप हो सकता है। नई सामाजिक संरचनाओं का निर्माण (d) सामाजिक परिवर्तन का एक व्यापक परिणाम है।

प्रश्न 18: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘कार्यात्मक सामंजस्य’ (Organic Solidarity) किस प्रकार के समाजों में पाया जाता है?

  1. सरल, सजातीय समाजों में
  2. जटिल, विषमांगी समाजों में
  3. आदिम समाजों में
  4. सभी प्रकार के समाजों में

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: दुर्खीम के अनुसार, कार्यात्मक सामंजस्य (Organic Solidarity) जटिल और विषमांगी समाजों में पाया जाता है, जहाँ श्रम विभाजन (Division of Labour) अत्यधिक विकसित होता है। लोग अपनी विशिष्ट भूमिकाओं और अन्य लोगों पर अपनी निर्भरता के माध्यम से एकजुट होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक “श्रम का विभाजन” (The Division of Labour in Society) में इस अवधारणा का वर्णन किया। इसके विपरीत, सरल, सजातीय समाजों में ‘यांत्रिक सामंजस्य’ (Mechanical Solidarity) पाया जाता है, जो साझा विश्वासों और मूल्यों से उत्पन्न होता है।
  • गलत विकल्प: सरल, सजातीय समाज (a) यांत्रिक सामंजस्य प्रदर्शित करते हैं। आदिम समाज (c) को दुर्खीम सरल समाजों के रूप में वर्गीकृत करते हैं। सभी प्रकार के समाजों (d) में एक ही प्रकार का सामंजस्य नहीं होता।

प्रश्न 19: ‘उपनिवेशवाद’ (Colonialism) के कारण होने वाले ‘सांस्कृतिक आघात’ (Cultural Shock) का विश्लेषण किस संदर्भ में किया जाता है?

  1. औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा स्थानीय संस्कृतियों का दमन
  2. स्थानीय समुदायों द्वारा नई औपनिवेशिक जीवन शैली को अपनाना
  3. विभिन्न संस्कृतियों के बीच संघर्ष
  4. नई सामाजिक असमानताओं का उदय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: उपनिवेशवाद अक्सर ‘सांस्कृतिक आघात’ का कारण बनता है, जिसका तात्पर्य औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा स्थानीय संस्कृतियों, भाषाओं, धर्मों और सामाजिक संरचनाओं के जानबूझकर या अनजाने में किए गए दमन, प्रतिस्थापन या विघटन से है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया स्थानीय आबादी के लिए गंभीर मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिणाम लाती है, जिससे पहचान का संकट और सामाजिक विघटन हो सकता है। यह उत्तर-औपनिवेशिक सिद्धांत (Post-Colonial Theory) का एक महत्वपूर्ण विषय है।
  • गलत विकल्प: स्थानीय समुदायों द्वारा नई जीवन शैली को अपनाना (b) ‘आधुनिकीकरण’ या ‘पश्चिमीकरण’ का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह सांस्कृतिक आघात का प्राथमिक अर्थ नहीं है। विभिन्न संस्कृतियों के बीच संघर्ष (c) आघात का एक परिणाम हो सकता है। नई सामाजिक असमानताओं का उदय (d) भी आघात से जुड़ा है, लेकिन आघात का मूल सांस्कृतिक आयाम है।

प्रश्न 20: समाजशास्त्र में ‘तटस्थता’ (Neutrality) या ‘वस्तुनिष्ठता’ (Objectivity) का सिद्धांत किससे संबंधित है?

  1. शोधकर्ता के व्यक्तिगत मूल्यों और पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर अनुसंधान करना
  2. शोध के निष्कर्षों को जानबूझकर छिपाना
  3. सभी सामाजिक सिद्धांतों को समान महत्व देना
  4. शोध के लिए केवल गुणात्मक विधियों का उपयोग करना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: तटस्थता या वस्तुनिष्ठता का सिद्धांत समाजशास्त्र में एक आदर्श है, जिसका अर्थ है कि शोधकर्ता को अपने व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों, विश्वासों और मूल्यों को अपने शोध की योजना, डेटा संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या में हस्तक्षेप करने से रोकना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर ने ‘मूल्य-तटस्थता’ (Value-Neutrality) की अवधारणा पर जोर दिया, यह मानते हुए कि सामाजिक वास्तविकता को समझना महत्वपूर्ण है, लेकिन निर्णय देना (मूल्य-निर्णय) सामाजिक विज्ञान का कार्य नहीं है। हालाँकि, पूर्ण वस्तुनिष्ठता प्राप्त करना एक चुनौती है।
  • गलत विकल्प: निष्कर्षों को छिपाना (b) अक्षम्य है। सभी सिद्धांतों को समान महत्व देना (c) अव्यावहारिक है। केवल गुणात्मक विधियों का उपयोग करना (d) वस्तुनिष्ठता की गारंटी नहीं देता है; वस्तुनिष्ठता पद्धति की परवाह किए बिना एक दृष्टिकोण है।

प्रश्न 21: भारत में ‘जनजातीय समुदाय’ (Tribal Communities) के संदर्भ में ‘अलगाव’ (Isolation) की क्या विशेषताएँ हैं?

  1. मुख्यधारा के समाज से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से दूरी
  2. अन्य जनजातीय समुदायों के साथ घनिष्ठ संबंध
  3. आधुनिक तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग
  4. संसाधनों का समान वितरण

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: जनजातीय समुदायों के संदर्भ में ‘अलगाव’ का तात्पर्य मुख्यधारा के भारतीय समाज से उनकी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक दूरी से है। वे अक्सर अपने पारंपरिक जीवन शैली, संस्थाओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव उन्हें कई सरकारी योजनाओं और विकास के लाभों से वंचित कर सकता है। भारतीय समाजशास्त्र में एन. के. बोस, टी.बी. नायक जैसे समाजशास्त्रियों ने जनजातीय समुदायों के एकीकरण और अलगाव पर विस्तृत अध्ययन किया है।
  • गलत विकल्प: अन्य जनजातीय समुदायों के साथ घनिष्ठ संबंध (b) हो सकता है, लेकिन यह अलगाव की परिभाषा नहीं है। आधुनिक तकनीक का उपयोग (c) और संसाधनों का समान वितरण (d) अक्सर अलगाव की अनुपस्थिति का संकेत देते हैं, जो जनजातियों के मामले में हमेशा मौजूद नहीं होता।

  • प्रश्न 22: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब:

    1. एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक परस्पर विरोधी भूमिकाएँ निभानी पड़ती हैं
    2. एक व्यक्ति को अपनी भूमिका का निर्वहन करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं मिलते
    3. एक व्यक्ति अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से नहीं समझ पाता
    4. समाज में भूमिकाओं की कमी होती है

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब होता है जब एक व्यक्ति से अपेक्षित विभिन्न भूमिकाओं की माँगें असंगत या विरोधी होती हैं, जिससे उस व्यक्ति के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी भूमिका पहले निभानी है या कैसे दोनों को समायोजित करना है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक कामकाजी माँ को अपने पेशेवर कर्तव्यों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संघर्ष का अनुभव हो सकता है। भूमिका तनाव (Role Strain) तब होता है जब एक ही भूमिका के भीतर विभिन्न माँगें विरोधाभासी होती हैं।
    • गलत विकल्प: पर्याप्त संसाधनों की कमी (b) भूमिका तनाव या भूमिका निर्वहन में बाधा उत्पन्न कर सकती है। भूमिका को न समझ पाना (c) भूमिका अस्पष्टता (Role Ambiguity) है। भूमिकाओं की कमी (d) भूमिका का अभाव (Role Vacancy) या सामाजिक विघटन से संबंधित हो सकती है।

    प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) की विशेषता नहीं है?

    1. स्पष्ट उद्देश्य और कार्य
    2. स्थिरता और स्थायित्व
    3. मानकीकृत व्यवहार पैटर्न
    4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: सामाजिक संस्थाएँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूरी तरह से समाप्त नहीं करतीं; बल्कि, वे अक्सर सामाजिक व्यवस्था और पूर्वानुमान को बनाए रखने के लिए व्यक्तिगत व्यवहार को संरचित और निर्देशित करती हैं। हालाँकि, वे कभी-कभी व्यक्तिगत विकल्पों को सीमित कर सकती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएँ वे स्थापित और स्थायी पैटर्न हैं जो समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था और राजनीति। इनमें स्पष्ट उद्देश्य, मानकीकृत व्यवहार पैटर्न और स्थिरता होती है।
    • गलत विकल्प: स्पष्ट उद्देश्य (a), स्थिरता (b), और मानकीकृत व्यवहार पैटर्न (c) सभी सामाजिक संस्थाओं की परिभाषित विशेषताएँ हैं।

    प्रश्न 24: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया को समाजशास्त्र में कैसे समझा जाता है?

    1. पारंपरिक समाजों का प्रौद्योगिकी, औद्योगिकीकरण और तर्कसंगतता की ओर परिवर्तन
    2. केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
    3. ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का स्थानांतरण
    4. सामाजिक असमानताओं में वृद्धि

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें पारंपरिक समाजों का प्रौद्योगिकी, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा के प्रसार, धर्मनिरपेक्षता और तर्कसंगत तथा नौकरशाही संस्थाओं के विकास की ओर परिवर्तन शामिल है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से कहीं अधिक है; यह एक बहुआयामी प्रक्रिया है जो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों को प्रभावित करती है।
    • गलत विकल्प: केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाना (b) ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) है, जो आधुनिकीकरण का एक पहलू हो सकता है लेकिन उसका पूरा अर्थ नहीं। ग्रामीण से शहरी स्थानांतरण (c) शहरीकरण का हिस्सा है, जो आधुनिकीकरण से जुड़ा है, लेकिन आधुनिकीकरण स्वयं केवल प्रवास नहीं है। सामाजिक असमानताओं में वृद्धि (d) आधुनिकीकरण का एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन यह आधुनिकीकरण की परिभाषा नहीं है।

    प्रश्न 25: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

    1. बड़ी आबादी के बीच प्रवृत्तियों और संबंधों को मापना
    2. सामाजिक घटनाओं की गहराई, अर्थ और संदर्भ को समझना
    3. निष्कर्षों को सांख्यिकीय रूप से प्रस्तुत करना
    4. सामाजिक घटनाओं की आवृत्ति की गणना करना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: गुणात्मक विधि का प्राथमिक उद्देश्य सामाजिक घटनाओं की गहराई, अर्थ, व्याख्या और संदर्भ को समझना है। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर खोजने पर केंद्रित है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें साक्षात्कार (Interviews), फोकस समूह (Focus Groups), नृवंशविज्ञान (Ethnography) और केस स्टडी (Case Studies) जैसी तकनीकें शामिल हैं, जो प्रतिभागियों के अनुभवों और दृष्टिकोणों की समृद्ध, वर्णनात्मक समझ प्रदान करती हैं।
    • गलत विकल्प: बड़ी आबादी की प्रवृत्तियों को मापना (a) मात्रात्मक विधि (Quantitative Method) का उद्देश्य है। निष्कर्षों को सांख्यिकीय रूप से प्रस्तुत करना (c) भी मात्रात्मक विधि का हिस्सा है। सामाजिक घटनाओं की आवृत्ति की गणना करना (d) भी मात्रात्मक शोध का मुख्य कार्य है।

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