समाजशास्त्र की दैनिक धार: परीक्षा की राह पर अपनी समझ को पैना बनाएं
समाजशास्त्र के प्रिय विद्यार्थियों, आपकी ज्ञान यात्रा में आज एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है! अपनी अवधारणाओं को परखने, गहन चिंतन करने और आगामी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को एक नई धार देने के लिए तैयार हो जाइए। आज के ये 25 प्रश्न आपकी विश्लेषणात्मक क्षमता और सैद्धांतिक पकड़ को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आइए, इस बौद्धिक चुनौती का सामना करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- ई.बी. टायलर
- विलियम ग्राहम समनर
- एल. के. सोरोकिन
- विलियम एफ. ओगबर्न
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज” (1922) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा पेश की। उन्होंने तर्क दिया कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, कानून, रीति-रिवाज) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे समाज में असंतुलन या ‘विलंब’ उत्पन्न होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, यह विलंब सामाजिक समस्याओं को जन्म दे सकता है क्योंकि समाज की संस्थाएँ और मूल्य नई तकनीकी वास्तविकताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष करते हैं।
- गलत विकल्प: ई.बी. टायलर संस्कृति के विकास के लिए “सामाजिक डार्विनवाद” से जुड़े थे; विलियम ग्राहम समनर ने “सामजिक मूल्य” (folkways) और “रूढ़ियों” (mores) के बीच अंतर किया; एल. के. सोरोकिन ने “सांस्कृतिक गत्यात्मकता” (Cultural Dynamics) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित “प्रस्थिति (Status) का विनिमय” (Status Crystallization) की अवधारणा से निम्नलिखित में से कौन सा विचार सबसे अधिक संबंधित है?
- सामाजिक स्तरीकरण में व्यक्तिगत प्रस्थिति की बहुलता और विरोधाभास
- जाति व्यवस्था में शुद्धता और प्रदूषण की अवधारणा
- वर्ग संघर्ष के कारण सामाजिक गतिशीलता
- औद्योगीकरण के कारण पारंपरिक भूमिकाओं का क्षरण
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने भारत में जाति और वर्ग के अध्ययन में “प्रस्थिति का विनिमय” (Status Crystallization) का विचार प्रस्तुत किया, हालांकि यह शब्द मुख्य रूप से गर्ट बॉमर (Gertrude R. Boym) जैसे समाजशास्त्रियों से जुड़ा है। यह अवधारणा तब उत्पन्न होती है जब एक व्यक्ति की विभिन्न सामाजिक मापदंडों (जैसे शिक्षा, आय, जाति, व्यवसाय) पर भिन्न-भिन्न प्रस्थितियाँ होती हैं, जिससे एक विरोधाभासी या असंगत प्रस्थिति प्रोफाइल बनता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति उच्च जाति का हो सकता है लेकिन निम्न आय वाला हो, या उच्च शिक्षित हो लेकिन पारंपरिक व्यवसायी हो। यह सामाजिक स्तरीकरण के अध्ययन में जटिलता जोड़ता है।
- गलत विकल्प: (b) शुद्धता और प्रदूषण जाति व्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू हैं लेकिन प्रस्थिति विनिमय का सीधा अर्थ नहीं हैं; (c) वर्ग संघर्ष मार्क्सवादी सिद्धांत का केंद्रीय विचार है; (d) औद्योगीकरण निश्चित रूप से भूमिकाओं को बदलता है, लेकिन यह प्रस्थिति विनिमय के विशिष्ट अर्थ को नहीं बताता।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने “तर्कसंगत-विधिक प्राधिकार” (Rational-Legal Authority) की अवधारणा दी?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने शक्ति और प्राधिकार (Authority) के तीन प्रमुख प्रकारों – पारम्परिक, करिश्माई और तर्कसंगत-विधिक – का विस्तृत विश्लेषण किया। तर्कसंगत-विधिक प्राधिकार नियमों, विधियों और स्थापित पदानुक्रम पर आधारित होता है, जैसे कि आधुनिक नौकरशाही में पाया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, आधुनिक समाजों में प्रभुत्व (Dominance) का यह सबसे सामान्य रूप है, जहाँ सत्ता कानून और नियमों के अनुसार प्रयोग की जाती है, न कि व्यक्ति के व्यक्तिगत गुण या परंपरा के आधार पर।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और आर्थिक आधार पर आधारित शक्ति का विश्लेषण किया; एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया; हर्बर्ट स्पेंसर विकासवाद के सिद्धांत से जुड़े थे।
प्रश्न 4: “सामूहिक अवचेतन” (Collective Unconscious) की अवधारणा किस समाजशास्त्रीय/मनोवैज्ञानिक सिद्धांत से जुड़ी है?
- सिगमंड फ्रायड
- कार्ल गुस्ताव जुंग
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- अल्फ्रेड शूत्ज़
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल गुस्ताव जुंग, एक स्विस मनोचिकित्सक, ने “सामूहिक अवचेतन” की अवधारणा विकसित की। यह वह स्तर है जिसमें मानव प्रजाति के पूरे इतिहास के अनुभव, विशेष रूप से सार्वभौमिक अनुभूतियाँ और प्रतीक, निहित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जुंग के अनुसार, ये “आदिम रूप” (Archetypes) सपनों, मिथकों और कला में प्रकट होते हैं और सांस्कृतिक समानता की व्याख्या करने में मदद करते हैं। यद्यपि यह मुख्य रूप से मनोविज्ञान से संबंधित है, इसके सांस्कृतिक और सामाजिक निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं।
- गलत विकल्प: सिगमंड फ्रायड ने व्यक्तिगत अवचेतन (Personal Unconscious) की बात की; जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने “सेल्फ” (Self) के विकास में प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद पर जोर दिया; अल्फ्रेड शूत्ज़ ने सामाजिक विज्ञान में फेनोमेनोलॉजी (Phenomenology) पर काम किया।
प्रश्न 5: सामाजिक संरचना (Social Structure) के संदर्भ में, “समान्यीकृत अन्य” (Generalized Other) की अवधारणा किसने विकसित की?
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- हरबर्ट ब्लूमर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- इरविंग गॉफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने “सेल्फ” (Self) और “समाज” के विकास को समझने के लिए “समान्यीकृत अन्य” की अवधारणा दी। यह वह सामान्यीकृत दृष्टिकोण और अपेक्षाएँ हैं जो एक व्यक्ति समाज या उसके विशिष्ट समूहों के बारे में रखता है, और जो उसके व्यवहार को प्रभावित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, व्यक्ति खेल (Game) के माध्यम से “समान्यीकृत अन्य” की भूमिका को आत्मसात करता है, जहाँ उसे विभिन्न खिलाड़ियों की भूमिकाओं और नियमों को समझना होता है। इससे वह समाज की अपेक्षाओं को अपने भीतर समाहित कर लेता है।
- गलत विकल्प: चार्ल्स हॉर्टन कूली ने “लुकिंग-ग्लास सेल्फ” (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी; हर्बर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख प्रस्तावक थे; इरविंग गॉफमैन ने “नाटकशास्त्र” (Dramaturgy) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का प्रकार नहीं है?
- ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
- क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
- प्रतीकात्मक गतिशीलता (Symbolic Mobility)
- अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता (Inter-generational Mobility)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “प्रतीकात्मक गतिशीलता” सामाजिक गतिशीलता का एक स्थापित प्रकार नहीं है। सामाजिक गतिशीलता मुख्य रूप से व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति या पदानुक्रम में एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाने को संदर्भित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (ऊपर या नीचे की ओर स्थिति में परिवर्तन), क्षैतिज गतिशीलता (एक ही स्तर पर स्थिति बदलना, जैसे नौकरी बदलना लेकिन आय और प्रतिष्ठा समान रहना), और अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता (एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के बीच स्थिति में परिवर्तन) सामाजिक गतिशीलता के मुख्य प्रकार हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सामाजिक गतिशीलता के मान्यता प्राप्त प्रकार हैं।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में “प्रभु जाति” (Dominant Caste) की अवधारणा किसने विकसित की?
- जी.एस. घुरिये
- इरावती कर्वे
- एम.एन. श्रीनिवास
- ए.आर. देसाई
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय गांवों के अपने क्षेत्रीय अध्ययन के आधार पर “प्रभु जाति” की अवधारणा प्रस्तुत की। प्रभु जाति वह जाति होती है जो गाँव में सबसे अधिक संख्या में हो, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सबसे शक्तिशाली हो, और जिसकी प्रथाओं को अक्सर सम्मान की दृष्टि से देखा जाता हो।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “India’s Villages” में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। यह आवश्यक नहीं है कि प्रभु जाति हमेशा ‘उच्च’ जाति हो, बल्कि यह उस गाँव के संदर्भ में प्रभावी होती है।
- गलत विकल्प: जी.एस. घुरिये ने भारतीय जाति व्यवस्था पर विस्तार से लिखा, जिसमें ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ (Other Backward Classes) का उल्लेख भी शामिल था; इरावती कर्वे ने नातेदारी व्यवस्था पर काम किया; ए.आर. देसाई ग्रामीण समाजशास्त्र और सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन से जुड़े थे।
प्रश्न 8: “साम्यवाद” (Communism) के अंतिम चरण के रूप में “वर्गहीन समाज” (Classless Society) की परिकल्पना किस समाजशास्त्रीय सिद्धांतकार ने की?
- मैक्स वेबर
- ई.एच. कार
- ऑगस्टे कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने इतिहास के अपने भौतिकवादी व्याख्या में, पूंजीवाद के पतन और सर्वहारा क्रांति के बाद साम्यवाद के एक अंतिम चरण की कल्पना की, जहाँ वर्ग, राज्य और शोषण समाप्त हो जाएगा, जिससे एक वर्गहीन और समानता पर आधारित समाज का निर्माण होगा।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह इतिहास का वह अंतिम चरण होगा जहाँ उत्पादन के साधन सामूहिक स्वामित्व में होंगे और “प्रत्येक से उसकी क्षमता के अनुसार, प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार” का सिद्धांत लागू होगा।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने शक्ति और प्राधिकार के अन्य रूपों का विश्लेषण किया; ई.एच. कार इतिहासकार थे; ऑगस्टे कॉम्टे ने प्रत्यक्षवाद (Positivism) और समाजशास्त्र के संस्थापक होने का श्रेय प्राप्त किया।
प्रश्न 9: “धर्म समाज की अफीम है” (Religion is the opium of the people) – यह प्रसिद्ध कथन किस समाजशास्त्री का है?
- ई. दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 10: “अभिजन वर्ग” (Elite) के चक्रीय सिद्धांत (Theory of Circulation of Elites) के मुख्य प्रतिपादक कौन हैं?
- विलफ्रेडो डी. पैरेटो
- गाएतानो मोस्का
- रॉबर्ट मिचेल्स
- सी. राइट मिल्स
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विल्फ्रेडो डी. पैरेटो इतालवी अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री थे, जिन्होंने अभिजन वर्ग के चक्रीय सिद्धांत को विकसित किया। उनके अनुसार, समाज हमेशा अभिजन (शासक वर्ग) और गैर-अभिजन (शासित वर्ग) में विभाजित रहता है।
- संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने तर्क दिया कि समाज में अभिजन वर्ग के भीतर निरंतर गतिशीलता (circulation of elites) होती रहती है, जहाँ अधिक सक्षम और ऊर्जावान गैर-अभिजन धीरे-धीरे अभिजन वर्ग में प्रवेश करते हैं, जबकि कमजोर अभिजन वर्ग से बाहर हो जाते हैं। उन्होंने शेरों (Lion) और लोमड़ियों (Foxes) के रूपक का उपयोग करके दो प्रकार के अभिजन (बल और चालाकी का उपयोग करने वाले) बताए।
- गलत विकल्प: गाएतानो मोस्का ने भी अभिजन वर्ग के सिद्धांत पर काम किया, खासकर “शासक वर्ग” (Ruling Class) की अवधारणा पर; रॉबर्ट मिचेल्स ने “ओलिगार्की का लौह नियम” (Iron Law of Oligarchy) का सिद्धांत दिया; सी. राइट मिल्स ने अमेरिकी शक्ति अभिजन (Power Elite) का विश्लेषण किया।
प्रश्न 11: मैकेनिज्म (Mechanical Solidarity) और ऑर्गेनिक सॉलिडैरिटी (Organic Solidarity) के बीच अंतर करने वाले समाजशास्त्री कौन हैं?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- ई. दुर्खीम
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” (1893) में समाज में एकजुटता (Solidarity) के दो मुख्य प्रकारों का वर्णन किया: यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity) और कार्बनिक एकजुटता (Organic Solidarity)।
- संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकजुटता छोटे, सजातीय समाजों में पाई जाती है जहाँ लोग समान अनुभव, विश्वास और मूल्य साझा करते हैं (सामूहिक चेतना प्रबल)। कार्बनिक एकजुटता जटिल, विषम समाजों में पाई जाती है जहाँ श्रम विभाजन उच्च होता है और लोग अपनी विशिष्ट भूमिकाओं के माध्यम से एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने नौकरशाही और प्राधिकार पर काम किया; कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया; हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकासवाद और “सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट” के सिद्धांत दिए।
प्रश्न 12: “कठिन विज्ञान” (Hard Science) के रूप में समाजशास्त्र को स्थापित करने के समर्थक कौन थे?
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- ऑगस्टे कॉम्टे
- इमाइल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ऑगस्टे कॉम्टे, जिन्हें समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, ने “प्रत्यक्षवाद” (Positivism) का दर्शन विकसित किया। उनका मानना था कि समाज का अध्ययन वैज्ञानिक तरीकों से किया जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे प्राकृतिक विज्ञानों का अध्ययन किया जाता है, ताकि सामाजिक व्यवस्था और प्रगति को समझा जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे ने समाजशास्त्र को “सामाजिक भौतिकी” (Social Physics) कहा था और इसे “कठिन विज्ञान” बनाने की वकालत की थी। उन्होंने ‘मानव ज्ञान के विकास का तीन अवस्थाओं का नियम’ (Law of Three Stages – Theologic, Metaphysic, and Positive) भी प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद और आलोचनात्मक सिद्धांत दिया; जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े थे; इमाइल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों (Social Facts) और वैज्ञानिक पद्धति पर जोर दिया, लेकिन कॉम्टे की तरह समाजशास्त्र को ‘कठिन विज्ञान’ के रूप में स्थापित करने का श्रेय उन्हें नहीं जाता।
प्रश्न 13: “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा किसने दी और समाजशास्त्र को विज्ञान के रूप में स्थापित करने में इसे कैसे परिभाषित किया?
- मैक्स वेबर – व्यक्तिपरक अर्थों को समझना
- कार्ल मार्क्स – आर्थिक संबंधों का विश्लेषण
- इमाइल दुर्खीम – बाहरी और बाध्यकारी सामाजिक प्रवृत्तियाँ
- हरबर्ट स्पेंसर – सामाजिक विकास के नियम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” को समाजशास्त्र की अध्ययन इकाई के रूप में परिभाषित किया। उनका मानना था कि सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति के विचार, भावनाएँ और व्यवहार समाज में बाहरी और बाध्यकारी होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Rules of Sociological Method” (1895) में कहा कि सामाजिक तथ्यों को ‘वस्तुओं’ की तरह अध्ययन किया जाना चाहिए। यह दृष्टिकोण समाजशास्त्र को मनोविज्ञान या दर्शन से अलग एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण था।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने “Verstehen” (समझ) पर जोर दिया; कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर; हर्बर्ट स्पेंसर ने विकासवाद पर।
प्रश्न 14: “आलीनीकरण” (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से पूंजीवाद के तहत श्रम की प्रकृति से संबंधित, किस प्रमुख सिद्धांतकार से जुड़ी है?
- ई. दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने “आलीनीकरण” (Entfremdung) की अवधारणा को अपने प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में विस्तार से समझाया। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में, श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, अपनी मानव प्रकृति और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग (alienated) हो जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद पर कोई नियंत्रण नहीं रखता, वह अपने श्रम की प्रक्रिया से जुड़ नहीं पाता, और अंततः अपनी सृजनात्मक क्षमता से भी दूर हो जाता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘अनॉमी’ (Anomie) पर काम किया; वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘अफ़सोस’ (Disenchantment) पर चर्चा की; फ्रायड ने मनोवैज्ञानिक अलीनीकरण पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 15: “स्वनियोजित” (Self-made) व्यक्ति के सामाजिक निर्माण और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालने वाली समाजशास्त्रीय अवधारणा क्या है?
- प्रारंभिक पूंजी संचय (Primitive Accumulation)
- मध्यम वर्ग का उदय
- प्रोटेस्टेंट नैतिकता (Protestant Ethic)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism” (1905) में तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट धर्म, विशेष रूप से केल्विनवाद, ने “स्वनियोजित” (self-made) व्यक्ति के आदर्श को बढ़ावा दिया। इसमें कड़ी मेहनत, मितव्ययिता और ईश्वर की कृपा के संकेत के रूप में धन संचय शामिल था।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, यह धार्मिक प्रेरणा पूंजीवाद की भावना (Spirit of Capitalism) के विकास में महत्वपूर्ण कारक बनी, जिसने व्यक्ति को अपने भाग्य का निर्माता बनने के लिए प्रेरित किया।
- गलत विकल्प: प्रारंभिक पूंजी संचय मार्क्सवादी अवधारणा है; मध्यम वर्ग का उदय एक व्यापक सामाजिक परिवर्तन है; संघर्ष सिद्धांत व्यापक रूप से सामाजिक असमानता पर केंद्रित है।
प्रश्न 16: एम.एन. श्रीनिवास के अनुसार, “संस्कृतिग्रहण” (Sanskritization) की प्रक्रिया में क्या शामिल है?
- निम्न जाति का उच्च जाति की रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाना
- उच्च जाति का निम्न जाति के रीति-रिवाजों को अपनाना
- पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव
- धार्मिक रूढ़ियों का त्याग
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने “संस्कृतिग्रहण” (Sanskritization) को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जिसमें निम्न या मध्यम जाति के लोग किसी उच्च, द्विजातीय (twice-born) जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों, देवताओं और जीवन शैली को अपनाते हैं, ताकि वे सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर उठ सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है जो भारत में जाति व्यवस्था के भीतर अक्सर देखी जाती है। श्रीनिवास ने इस अवधारणा को दक्षिण भारत के कूर्ग लोगों के अपने अध्ययन “Religion and Society Among the Coorgs of South India” (1952) में प्रस्तुत किया था।
- गलत विकल्प: (b) उल्टा है; (c) पश्चिमीकरण (Westernization) है; (d) सही नहीं है।
प्रश्न 17: “अनॉमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक नियमों और मानदंडों की शिथिलता या अनुपस्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से सबसे प्रमुख रूप से जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने “अनॉमी” (Anomie) की अवधारणा को अपनी कृतियों, विशेष रूप से “The Division of Labour in Society” और “Suicide” (1897) में विकसित किया। अनॉमी एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक नियमों का कोई स्पष्ट बोध नहीं होता, जिससे वे दिशाहीन महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने आत्महत्या के कारणों में अनॉमी को एक महत्वपूर्ण कारक माना, जैसे कि आर्थिक संकट या अचानक धन की प्राप्ति की स्थिति में। यह तब होता है जब सामाजिक नियंत्रण कमजोर हो जाता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और शोषण पर जोर दिया; मैक्स वेबर ने तर्कसंगतता और नौकरशाही पर काम किया; रॉबर्ट मर्टन ने अनॉमी की अवधारणा को विकृत करके अपराध के सिद्धांत में उपयोग किया, लेकिन मूल रूप से यह दुर्खीम की अवधारणा है।
प्रश्न 18: “आर्थिक रूप से पिछड़े समाज” (Underdeveloped Societies) की अवधारणा और उन समाजों पर बाहरी (विशेषकर पश्चिमी) देशों के प्रभाव का विश्लेषण किस सिद्धांत से जुड़ा है?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- अभिजन सिद्धांत (Elite Theory)
- निर्भरता सिद्धांत (Dependency Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: निर्भरता सिद्धांत (Dependency Theory) 20वीं सदी के उत्तरार्ध में विकसित एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जिसने तर्क दिया कि ‘पिछड़े’ या ‘अविकसित’ देशों की गरीबी और अविकसितता का कारण उन्हें वैश्विक पूंजीवादी व्यवस्था में ‘विकासशील’ देशों द्वारा शोषण है।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के मुख्य प्रस्तावक आंद्रे गुंडर फ्रैंक (Andre Gunder Frank) जैसे समाजशास्त्री थे, जिन्होंने तर्क दिया कि विकसित देशों का विकास अविकसित देशों के अविकास की कीमत पर होता है।
- गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक संतुलित प्रणाली के रूप में देखता है; अभिजन सिद्धांत शासक वर्ग पर केंद्रित है; प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय सामाजिक अंतःक्रियाओं का अध्ययन करता है।
प्रश्न 19: “नारीवाद” (Feminism) के विभिन्न तरंगों (Waves) के संदर्भ में, दूसरी लहर (Second Wave) ने मुख्य रूप से किन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया?
- समान मतदान अधिकार और कानूनी अधिकार
- लैंगिक समानता, कार्यस्थल, यौनिकता, परिवार और प्रजनन अधिकार
- जाति और वर्ग के साथ लिंग के अंतर्संबंध (Intersectionality)
- डिजिटल युग में महिलाओं के अधिकार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: नारीवाद की दूसरी लहर (लगभग 1960s-1980s) ने लैंगिक समानता के broader मुद्दों को उठाया, जिसमें कार्यस्थल में समानता, यौनिक मुक्ति, परिवार की संरचना, गर्भपात और प्रजनन अधिकार, और सार्वजनिक व निजी जीवन में महिलाओं की भूमिकाएँ शामिल थीं।
- संदर्भ और विस्तार: इस लहर का नारा था “The Personal is Political” (व्यक्तिगत ही राजनीतिक है), जो दिखाता है कि महिलाओं के निजी अनुभव भी सामाजिक और राजनीतिक संरचनाओं से कैसे जुड़े हुए हैं।
- गलत विकल्प: (a) पहली लहर (First Wave) के मुख्य मुद्दे थे; (c) तीसरी लहर (Third Wave) से अधिक जुड़ा है, खासकर किम्बर्ली क्रेंशॉ (Kimberlé Crenshaw) के काम के साथ; (d) समकालीन (Contemporary) या चौथी लहर (Fourth Wave) से जुड़ा है।
प्रश्न 20: “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism) का अर्थ क्या है?
- यह मानना कि एक संस्कृति दूसरी से श्रेष्ठ है।
- किसी संस्कृति का मूल्यांकन उसके अपने संदर्भ में करना, न कि किसी बाहरी मानक के आधार पर।
- अपनी संस्कृति को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति मानना।
- संस्कृति के अध्ययन के लिए केवल संख्यात्मक डेटा का उपयोग करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद एक मानवशास्त्रीय और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण है जिसके अनुसार किसी भी संस्कृति को उसके अपने सदस्यों के दृष्टिकोण और उसके अपने सांस्कृतिक संदर्भ के अनुसार समझा और मूल्यांकित किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह सांस्कृतिक सार्वभौमिकताओं (cultural universals) या एक संस्कृति की दूसरे पर श्रेष्ठता के दावे को अस्वीकार करता है। फ्रांज बोआस (Franz Boas) को इस अवधारणा का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) नृजातीयतावाद (Ethnocentrism) को दर्शाते हैं; (d) मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) से जुड़ा है, न कि सांस्कृतिक सापेक्षवाद से।
प्रश्न 21: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और आपसी सहयोग के महत्व पर जोर देती है, किससे संबंधित है?
- पियरे बॉर्डियू
- रॉबर्ट पुटनम
- जेम्स कॉलमैन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को कई प्रमुख समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है। पियरे बॉर्डियू ने इसे सामाजिक संबंधों के समूह तक पहुंच के रूप में देखा, रॉबर्ट पुटनम ने नागरिक जुड़ाव के संदर्भ में, और जेम्स कॉलमैन ने इसे सामाजिक संरचनाओं से प्राप्त लाभ के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: ये सभी विद्वान इस बात पर सहमत हैं कि सामाजिक संबंध, नेटवर्क और उनमें निहित विश्वास और सहयोग व्यक्तियों और समुदायों के लिए संसाधन प्रदान करते हैं, जो उन्हें अपने लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करते हैं।
- गलत विकल्प: हालांकि प्रत्येक का दृष्टिकोण थोड़ा भिन्न है, वे सभी इस अवधारणा से महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हैं।
प्रश्न 22: भारत में “दलित” (Dalit) शब्द का प्रयोग किसके लिए किया जाता है?
- शूद्र वर्ण के लोग
- अछूत माने जाने वाले समुदाय
- आदिवासी समूह
- भूमिहीन किसान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “दलित” शब्द, जिसका अर्थ “कुचले हुए” या “दबे हुए” है, का प्रयोग उन समुदायों के लिए किया जाता है जिन्हें ऐतिहासिक रूप से अस्पृश्य (Untouchables) माना जाता था और जिन्हें जाति व्यवस्था के बाहर रखा गया था। यह शब्द आत्म-पहचान और सशक्तिकरण का प्रतीक है।
- संदर्भ और विस्तार: बी.आर. अम्बेडकर और अन्य दलित नेताओं ने इस शब्द को बढ़ावा दिया ताकि उन समुदायों की सामूहिक पहचान और राजनीतिक चेतना को मजबूत किया जा सके जो सदियों से भेदभाव और उत्पीड़न का शिकार हुए हैं।
- गलत विकल्प: (a) शूद्र वर्ण से भिन्न है, हालांकि ऐतिहासिक रूप से दलितों का स्थान शूद्रों से भी नीचे माना जाता था; (c) आदिवासी समूह अलग हैं; (d) भूमिहीन किसान सभी दलित नहीं होते, न ही सभी दलित भूमिहीन किसान होते हैं।
प्रश्न 23: “जातिगत ऊंच-नीच” (Caste Hierarchy) के संदर्भ में “शुद्धता” (Purity) और “अशुद्धता” (Pollution) की अवधारणाएं किससे संबंधित हैं?
- आर्थिक क्षमता
- रक्त संबंध
- धार्मिक अनुष्ठान और व्यावसायिक पवित्रता/अपवित्रता
- राजनीतिक शक्ति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था में, शुद्धता और अशुद्धता की अवधारणाएं पारंपरिक रूप से पुरोहिती (धार्मिक अनुष्ठान), खान-पान के नियम, व्यवसाय और शारीरिक संपर्क से जुड़ी हुई हैं। उच्च जातियां (विशेष रूप से ब्राह्मण) शुद्धता के प्रतीक मानी जाती हैं, जबकि कुछ निम्न जातियां (जैसे सफाईकर्मी, चमड़े का काम करने वाले) अशुद्धता से जुड़ी होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मैरी डगलस (Mary Douglas) की पुस्तक “Purity and Danger” ने इस विषय पर महत्वपूर्ण मानवशास्त्रीय कार्य किया, जिसने समाजशास्त्रीय अध्ययन को भी प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: आर्थिक क्षमता, रक्त संबंध या राजनीतिक शक्ति सीधे तौर पर शुद्धता-अशुद्धता के पारंपरिक मानदंडों का आधार नहीं हैं, हालांकि वे जाति व्यवस्था के भीतर अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित हो सकते हैं।
प्रश्न 24: “पर्यावरणीय समाजशास्त्र” (Environmental Sociology) का मुख्य सरोकार क्या है?
- केवल पारिस्थितिक तंत्र का अध्ययन
- मनुष्यों और पर्यावरण के बीच द्विपक्षीय संबंध, सामाजिक संरचनाओं और पर्यावरण पर उनके प्रभाव का विश्लेषण
- प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन
- पशु कल्याण के मुद्दे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पर्यावरणीय समाजशास्त्र मानव समाज और प्राकृतिक पर्यावरण के बीच जटिल और गतिशील अंतःक्रियाओं का अध्ययन करता है। यह जांचता है कि सामाजिक संरचनाएं, आर्थिक प्रणालियाँ, सांस्कृतिक मूल्य और राजनीतिक निर्णय पर्यावरण को कैसे प्रभावित करते हैं, और इसके विपरीत, पर्यावरण परिवर्तन मानव समाज को कैसे प्रभावित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, संसाधन क्षरण, टिकाऊ विकास, पर्यावरण आंदोलन आदि जैसे मुद्दे शामिल हैं।
- गलत विकल्प: (a) केवल पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन जीव विज्ञान या पारिस्थितिकी का क्षेत्र है; (c) प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रबंधन विज्ञान का हिस्सा है; (d) पशु कल्याण एक विशेष क्षेत्र है।
प्रश्न 25: “उत्तर-औद्योगिक समाज” (Post-Industrial Society) की अवधारणा का श्रेय किसे दिया जाता है?
- एंटनी गिडेंस
- जीन बॉडरिलार्ड
- डैनियल बेल
- मैनुअल कैस्टल्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: डैनियल बेल, एक अमेरिकी समाजशास्त्री, ने 1970 के दशक में “उत्तर-औद्योगिक समाज” की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने तर्क दिया कि विकसित पश्चिमी समाजों में, विनिर्माण (manufacturing) के बजाय सेवाओं (services), सूचना (information) और ज्ञान (knowledge) पर आधारित अर्थव्यवस्था का प्रभुत्व हो रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: बेल के अनुसार, उत्तर-औद्योगिक समाज की प्रमुख विशेषता ज्ञान और सूचना का उदय है, जो नवाचार और सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक बनता है।
- गलत विकल्प: एंटनी गिडेंस ने आधुनिकता और संरचना सिद्धांत पर काम किया; जी. बॉडरिलार्ड ने उत्तर-आधुनिकता (Postmodernity) और सिमुलेशन (Simulation) पर लिखा; मैनुअल कैस्टल्स ने सूचना युग (Information Age) और नेटवर्क समाज (Network Society) पर महत्वपूर्ण काम किया, जो उत्तर-औद्योगिक समाज की ही एक विकसित अवस्था है।