समाजशास्त्र की दैनिक धार: अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता को तेज करें!
तैयारी के इस रोमांचक सफर में आपका स्वागत है! आज हम समाजशास्त्र की दुनिया में गहराई से उतरेंगे और 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ अपने ज्ञान का परीक्षण करेंगे। यह क्विज़ न केवल आपकी वैचारिक पकड़ को मजबूत करेगा, बल्कि विभिन्न महत्वपूर्ण अवधारणाओं और विचारकों की आपकी समझ को भी परखेगा। आइए, अपनी विश्लेषण क्षमता को निखारें और प्रतिस्पर्धा में बढ़त बनाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को किसने विस्तृत रूप से विकसित किया, जिसमें उन्होंने सामाजिक व्यवस्था, एकीकरण और प्रकार्यवाद पर बल दिया?
- कार्ल मार्क्स
- इमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को सामाजिक व्यवस्था, एकीकरण और समाज के विभिन्न भागों के प्रकार्यात्मक संबंधों के संदर्भ में विकसित किया। उन्होंने समाज को एक ‘सावयव’ (organism) के रूप में देखा, जिसके विभिन्न अंग (संस्थाएं) समाज के अस्तित्व और निरंतरता के लिए आवश्यक कार्य करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, सामाजिक संरचना सामूहिक चेतना (collective conscience) और सामाजिक एकजुटता (social solidarity) से बनी होती है। उनकी पुस्तक “The Division of Labour in Society” में इसका विस्तृत विवेचन मिलता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और आर्थिक संरचना पर ध्यान केंद्रित किया। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता पर बल दिया, जबकि हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के विकासवादी सिद्धांत पर जोर दिया, लेकिन दुर्खीम की तरह संरचनात्मक प्रकार्यवाद पर इतना अधिक केंद्रित नहीं थे।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित “संस्कृति-करण” (Sanskritization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
- किसी व्यक्ति द्वारा पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- किसी निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर सामाजिक स्थिति प्राप्त करने का प्रयास
- आधुनिक तकनीक और जीवन शैली को अपनाना
- शहरी जीवन शैली की नकल करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने “संस्कृति-करण” की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह एक प्रक्रिया है जिसमें निचली या मध्यम जातियों के सदस्य उच्च जातियों (आमतौर पर द्विजातियों) के व्यवहार, पूजा पद्धतियों, खान-पान और जीवन शैली की नकल करते हैं, ताकि वे जाति-व्यवस्था में अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक रूप है।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है, (c) आधुनिकीकरण (Modernization) तकनीकी और संस्थागत परिवर्तन से संबंधित है, और (d) शहरी जीवन शैली की नकल करना एक व्यापक शब्द है जो संस्कृति-करण की विशिष्टता को नहीं दर्शाता।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री “तर्कसंगतता” (Rationalization) और “वि-जादूगरी” (Disenchantment) की अवधारणाओं के लिए जाना जाता है?
- ऑगस्ट कॉम्ते
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपनी रचनाओं में “तर्कसंगतता” को आधुनिक पश्चिमी समाज की एक प्रमुख विशेषता के रूप में पहचाना। तर्कसंगतता का अर्थ है कि सामाजिक जीवन के सभी पहलुओं – अर्थव्यवस्था, प्रशासन, कानून, यहाँ तक कि धर्म – को कुशलता, भविष्यवाणी और नियंत्रण के लिए तर्क और गणना पर आधारित किया जा रहा है। “वि-जादूगरी” का अर्थ है कि दुनिया अब जादुई या रहस्यमय शक्तियों द्वारा संचालित नहीं मानी जाती, बल्कि नियमों और प्रक्रियाओं द्वारा शासित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर की कृति “The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism” में तर्कसंगतता की उत्पत्ति का विश्लेषण किया गया है।
- गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्ते को प्रत्यक्षवाद (Positivism) का जनक माना जाता है। कार्ल मार्क्स का मुख्य सरोकार वर्ग संघर्ष और आर्थिक नियतत्ववाद था। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं और रूप (form) पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 4: “एनामिक” (Anomic) आत्महत्या की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्ते
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध कृति “Suicide” में आत्महत्या के सामाजिक कारणों का विश्लेषण करते हुए एनामिक आत्महत्या का उल्लेख किया है। यह तब होती है जब समाज में सामाजिक नियम या नियंत्रण कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने स्वार्थवादी (egoistic), परोपकारी (altruistic) और अन्नामिक (anomic) के अलावाFatalistic (भाग्यवादी) आत्महत्या का भी जिक्र किया है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर, ऑगस्ट कॉम्ते और कार्ल मार्क्स ने आत्महत्या पर दुर्खीम की तरह व्यवस्थित रूप से अध्ययन नहीं किया था।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा चार्ल्स कूली द्वारा विकसित की गई थी?
- “मुझे” और “मैं”
- “प्राइमरी ग्रुप्स” (Primary Groups)
- “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism)
- “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: चार्ल्स कूली ने “Primary Groups” की अवधारणा को विकसित किया। उनके अनुसार, प्राथमिक समूह वे होते हैं जिनमें आमने-सामने का घनिष्ठ संबंध और सहयोग पाया जाता है, जैसे परिवार, पड़ोस और खेल समूह। ये समूह व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिकरण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Social Organization: A Study of the Larger Mind” में प्रस्तुत की गई थी।
- गलत विकल्प: “मुझे” और “मैं” (Me and I) की अवधारणा जॉर्ज हर्बर्ट मीड से संबंधित है। “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” फ्रांस बोआस जैसे मानवशास्त्रियों से जुड़ा है। “सामाजिक गतिशीलता” एक व्यापक अवधारणा है जिसका अध्ययन कई समाजशास्त्रियों ने किया है।
प्रश्न 6: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) के संदर्भ में, “अभिजात वर्ग” (Elite) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- विलफ्रेडो परेटो
- राबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलफ्रेडो परेटो ने अभिजात वर्ग के चक्रीय सिद्धांत (Theory of the Circulation of Elites) को विकसित किया। उन्होंने तर्क दिया कि समाज में हमेशा शासक और शासित वर्ग होते हैं, और अभिजात वर्ग (Elite) एक स्थिर इकाई नहीं है, बल्कि यह समय के साथ बदलता रहता है।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी प्रसिद्ध पुस्तक “The Mind and Society” (जिसे “Treatise of General Sociology” भी कहा जाता है) में इस सिद्धांत का विस्तृत विश्लेषण है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने बुर्जुआ और सर्वहारा वर्ग की बात की, जो आर्थिक आधार पर था। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित किया। राबर्ट मर्टन ने ‘सन्दर्भ समूह’ (reference group) जैसी अवधारणाएं दीं।
प्रश्न 7: “सबलीकरण” (Empowerment) की अवधारणा किस सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया से गहराई से जुड़ी है?
- वैश्वीकरण
- उदारीकरण
- लोकतांत्रिकरण
- ये सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सबलीकरण (Empowerment) का अर्थ है व्यक्तियों या समूहों को शक्ति, अधिकार और संसाधनों तक पहुँच प्रदान करना ताकि वे अपने जीवन पर नियंत्रण रख सकें। यह प्रक्रिया वैश्वीकरण (Globalization) के माध्यम से सूचना और संचार तक पहुँच बढ़ाकर, उदारीकरण (Liberalization) के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक बाधाओं को हटाकर, और लोकतांत्रिकरण (Democratization) के माध्यम से राजनीतिक भागीदारी बढ़ाकर संभव होती है।
- संदर्भ और विस्तार: ये तीनों प्रक्रियाएं अक्सर एक साथ मिलकर हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाने में योगदान करती हैं।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों विकल्प सबलीकरण से जुड़े हैं, इसलिए केवल एक को चुनना सही नहीं होगा।
प्रश्न 8: भारतीय समाज में, “अछूत” (Untouchables) या दलितों के लिए “हृजन” (Harijan) शब्द का प्रयोग सबसे पहले किसने किया?
- बी.आर. अम्बेडकर
- महात्मा गांधी
- एम.के. गांधी
- पेरियार ई.वी. रामासामी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: महात्मा गांधी (जिन्हें एम.के. गांधी भी कहा जाता है) ने अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए काम किया और “दलितों” को “हरिजन” (ईश्वर के लोग) कहकर संबोधित किया, ताकि उनके प्रति सम्मान की भावना उत्पन्न हो सके।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि यह शब्द उनके द्वारा लोकप्रिय किया गया था, बाद में बी.आर. अम्बेडकर और अन्य दलित नेताओं ने “दलित” शब्द को अधिक पसंद किया क्योंकि यह उनकी अस्मिता और पहचान का प्रतिनिधित्व करता था।
- गलत विकल्प: बी.आर. अम्बेडकर ने स्वयं “दलित” शब्द का प्रयोग किया और सामाजिक समानता के लिए संघर्ष किया। पेरियार ने द्रविड़ आंदोलन का नेतृत्व किया और आत्म-सम्मान के विचार को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 9: “मैक्रो-सोशियोलॉजी” (Macro-Sociology) मुख्य रूप से किस पर ध्यान केंद्रित करती है?
- व्यक्तियों के बीच अंतःक्रिया
- सूक्ष्म स्तर के सामाजिक मुद्दों
- बड़े पैमाने की सामाजिक संरचनाओं और प्रणालियों
- सांस्कृतिक प्रतीकों का विश्लेषण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्रो-सोशियोलॉजी समाज के बड़े पैमाने के पैटर्न, संरचनाओं और संस्थानों का अध्ययन करती है, जैसे कि सामाजिक स्तरीकरण, अर्थव्यवस्था, राजनीति और धर्म। यह समाज को एक समग्र प्रणाली के रूप में देखती है।
- संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम, कार्ल मार्क्स और टालकोट पार्सन्स जैसे विचारक मैक्रो-सोशियोलॉजी के प्रमुख प्रतिनिधि हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (b) सूक्ष्म-समाजशास्त्र (Micro-Sociology) के अध्ययन का विषय हैं, जो व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं और छोटे समूहों पर केंद्रित है। (d) सांस्कृतिक प्रतीकों का विश्लेषण प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) जैसे सूक्ष्म-समाजशास्त्रीय दृष्टिकोणों का हिस्सा हो सकता है।
प्रश्न 10: “अजनबी” (The Stranger) की अवधारणा को किसने प्रस्तुत किया, जो एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन करता है जो समाज में मौजूद है लेकिन उससे पूरी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है?
- जॉर्ज सिमेल
- मैनन काई डेर्लिंग
- अल्फ्रेड शूत्ज़
- श्रीमती ज़िमेल
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज सिमेल ने “The Stranger” की अवधारणा को विकसित किया। अजनबी वह व्यक्ति होता है जो समाज का हिस्सा होता है, लेकिन उसकी जड़ें कहीं और होती हैं, जिससे वह समूह के आंतरिक नियमों और भावनाओं से थोड़ा दूर रहता है, और इसी दूरी के कारण वह वस्तुनिष्ठ (objective) दृष्टिकोण अपना पाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह उनके निबंध “The Stranger” में विस्तार से बताया गया है।
- गलत विकल्प: अल्फ्रेड शूत्ज़ ने भी सामाजिक दुनिया की व्यक्तिपरक व्याख्या पर काम किया, लेकिन “अजनबी” की मूल अवधारणा सिमेल द्वारा दी गई।
प्रश्न 11: टालकोट पार्सन्स का “एजीएल” (AGIL) ढाँचा किस सिद्धांत का हिस्सा है?
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- पदानुक्रमित विश्लेषण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टालकोट पार्सन्स एक प्रमुख संरचनात्मक प्रकार्यवादी थे। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए चार आवश्यक प्रकार्यात्मक उप-प्रणालियों का प्रस्ताव दिया: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration) और अव्यवस्था का छद्म-पूंजीकरण (Latency/Pattern Maintenance)। इन्हें सामूहिक रूप से AGIL कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह ढाँचा समाज की जटिलता और उसके विभिन्न घटकों के बीच परस्पर निर्भरता को समझने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत सामाजिक व्यवस्था के बजाय संघर्ष पर केंद्रित है। (b) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म स्तर पर केंद्रित है। (d) यह कोई स्थापित समाजशास्त्रीय शब्द नहीं है।
प्रश्न 12: “धर्म व्यक्ति की अफीम है” – यह प्रसिद्ध कथन किस समाजशास्त्री से जुड़ा है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- अगस्त कॉम्ते
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स का मानना था कि धर्म अक्सर समाज के शोषित वर्गों को सांत्वना प्रदान करके या उनकी वर्तमान दुर्दशा को स्वीकार्य बनाकर सामाजिक यथास्थिति बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए, उन्होंने इसे “जनता की अफीम” कहा।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार उनके मार्क्सवादी सिद्धांत का हिस्सा है जो बताता है कि धर्म एक अधिरचना (superstructure) है जो आधार (economic base) द्वारा निर्मित होती है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने धर्म को सामाजिक एकता का स्रोत माना, वेबर ने पूंजीवाद के विकास में धर्म की भूमिका का अध्ययन किया, और कॉम्ते ने अपने प्रत्यक्षवादी धर्म (Religion of Humanity) की बात की।
प्रश्न 13: “अनुकूलन” (Adaptation) की सामाजिक प्रक्रिया, जैसा कि अक्सर भारतीय समाज में देखा जाता है, का एक उदाहरण क्या है?
- जातिगत व्यवस्था का कड़ाई से पालन
- आधुनिक तकनीकों को अपनाकर कृषि उत्पादन बढ़ाना
- पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों को छोड़ देना
- शहरी जीवन शैली का पूर्ण बहिष्कार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: अनुकूलन का अर्थ है पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाना या उसमें बदलाव करना। भारतीय समाज में, किसानों द्वारा बेहतर फसल के लिए नई कृषि तकनीकों को अपनाना, बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के अनुकूल होने का एक उदाहरण है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया समाज को जीवित रहने और विकसित होने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: (a) जातिगत व्यवस्था का कड़ाई से पालन परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध का प्रतीक है, अनुकूलन का नहीं। (c) अनुष्ठानों को छोड़ना अनुकूलन का एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन स्वयं अनुकूलन की प्रक्रिया नहीं। (d) बहिष्कार अलगाव का प्रतीक है, अनुकूलन का नहीं।
प्रश्न 14: “क्लासिक सामाजिक स्तरीकरण” (Classic Social Stratification) के तीन मुख्य आधार किसने बताए?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- विलफ्रेडो परेटो
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण के तीन आयाम बताए: वर्ग (Class – आर्थिक स्थिति), दर्जा (Status – सामाजिक प्रतिष्ठा) और दल (Party – राजनीतिक शक्ति)। उन्होंने मार्क्स के केवल आर्थिक निर्धारणवाद की आलोचना की।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का यह बहुआयामी दृष्टिकोण स्तरीकरण की जटिलताओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर वर्ग को महत्वपूर्ण माना। दुर्खीम का ध्यान सामाजिक एकता पर था। परेटो ने अभिजात वर्ग के चक्रीय सिद्धांत पर काम किया।
प्रश्न 15: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा का संबंध मुख्य रूप से किस समाजशास्त्री से है?
- पियरे बॉर्डियू
- रॉबर्ट पुटनम
- जेम्स कोलमैन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पियरे बॉर्डियू, रॉबर्ट पुटनम और जेम्स कोलमैन – इन सभी समाजशास्त्रियों ने “सामाजिक पूंजी” की अवधारणा को विभिन्न दृष्टिकोणों से विकसित और विश्लेषण किया है। बॉर्डियू ने इसे सामाजिक संबंधों के नेटवर्क के रूप में देखा, पुटनम ने सामुदायिक जुड़ाव और नागरिक भागीदारी के संदर्भ में, और कोलमैन ने इसे सामाजिक संरचनाओं की एक विशेषता के रूप में परिभाषित किया जो सामाजिक क्रियाओं को सक्षम बनाती है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी उन लाभों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक नेटवर्क और संबंधों के माध्यम से प्राप्त होते हैं।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सबसे उपयुक्त उत्तर है।
प्रश्न 16: भारत में “आदिवासी समाज” (Tribal Society) के अध्ययन के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता सामान्यतः पाई जाती है?
- भूमि का निजी स्वामित्व
- उच्च स्तर का औद्योगिकीकरण
- विशिष्ट संस्कृति और सामाजिक संगठन
- मजबूत वर्ग विभाजन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आदिवासी समाजों की एक सामान्य विशेषता उनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा, परंपराएं, रीति-रिवाज और सामाजिक संगठन का होना है, जो उन्हें बहुसंख्यक समाज से अलग पहचान देता है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि आधुनिक प्रभाव से इनमें परिवर्तन आ रहे हैं, फिर भी एक विशिष्ट पहचान बनी रहती है।
- गलत विकल्प: अक्सर, आदिवासियों के बीच भूमि पर सामूहिक स्वामित्व या सामुदायिक नियंत्रण होता है, निजी नहीं (a)। वे आम तौर पर औद्योगिकीकरण और वर्ग विभाजन के निम्न स्तर वाले होते हैं (b, d)।
प्रश्न 17: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?
- समाज की विशाल संरचनाएं
- औपचारिक संगठन
- व्यक्ति और समूह के बीच अर्थों का निर्माण और आदान-प्रदान
- आर्थिक संबंध
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण है जो इस बात पर केंद्रित है कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और अपने सामाजिक जीवन के लिए अर्थ का निर्माण करते हैं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इसके प्रमुख विचारक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि समाज लोगों के बीच निरंतर अंतःक्रिया और अर्थ-निर्माण की प्रक्रिया से बनता है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) मैक्रो-समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र हैं। (b) औपचारिक संगठन का अध्ययन संरचनात्मक प्रकार्यवाद या नौकरशाही के सिद्धांत के तहत अधिक होता है।
प्रश्न 18: “डेविएशन” (Deviation) या विचलन का संबंध किस समाजशास्त्रीय अवधारणा से है, जो सामाजिक मानदंडों से असहमत व्यवहार को दर्शाता है?
- एनोमी (Anomie)
- सामाजिक नियंत्रण (Social Control)
- संस्कृति (Culture)
- सामाजिक संरचना (Social Structure)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एनोमी (Anomie), जैसा कि एमिल दुर्खीम द्वारा परिभाषित किया गया है, एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज में स्पष्ट नियम और मानदंड नहीं होते, या वे कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में अनिश्चितता और सामाजिक मानदंडों से विचलन की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। राबर्ट मर्टन ने भी एनोमी को साधनों और लक्ष्यों के बीच विसंगति के रूप में देखा, जिससे विचलन होता है।
- संदर्भ और विस्तार: विचलन (Deviation) वह व्यवहार है जो किसी समूह या समाज के मानदंडों और अपेक्षाओं से भिन्न होता है।
- गलत विकल्प: सामाजिक नियंत्रण (b) विचलन को रोकने के लिए समाज द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रियाएं हैं। संस्कृति (c) मानदंडों और मूल्यों का एक सेट है। सामाजिक संरचना (d) समाज का एक व्यापक ढांचा है।
प्रश्न 19: “जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत” (Demographic Transition Theory) समाज की जनसंख्या वृद्धि को किन चरणों में विभाजित करता है?
- उच्च जन्म दर, उच्च मृत्यु दर; गिरती जन्म दर, गिरती मृत्यु दर
- उच्च जन्म दर, गिरती मृत्यु दर; निम्न जन्म दर, निम्न मृत्यु दर
- गिरती जन्म दर, उच्च मृत्यु दर; उच्च जन्म दर, निम्न मृत्यु दर
- प्रारंभिक उच्च जन्म दर, उच्च मृत्यु दर; फिर घटती मृत्यु दर और बाद में घटती जन्म दर, अंततः स्थिर जनसंख्या
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत बताता है कि जैसे-जैसे कोई देश औद्योगीकरण और विकास के चरणों से गुजरता है, उसकी जनसंख्या वृद्धि दर तीन मुख्य चरणों से गुजरती है: पहला, उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर (कम या स्थिर जनसंख्या); दूसरा, उच्च जन्म दर लेकिन घटती मृत्यु दर (तेज जनसंख्या वृद्धि); और तीसरा, घटती जन्म दर और निम्न मृत्यु दर (धीमी जनसंख्या वृद्धि या स्थिर जनसंख्या)।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत जनसंख्या अध्ययन में एक महत्वपूर्ण मॉडल है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प चरणों के क्रम या विवरण को सही ढंग से नहीं दर्शाते हैं।
प्रश्न 20: “पारिवारिक संस्था” (Family Institution) के किस प्रकार में, विवाह के बाद पति और पत्नी अपने-अपने मूल परिवारों से स्वतंत्र होकर एक नए परिवार की स्थापना करते हैं?
- पितृवंशीय परिवार (Patriarchal Family)
- मातृवंशीय परिवार (Matriarchal Family)
- नव-स्थाने परिवार (Neolocal Family)
- सह-स्थाने परिवार (Patrilocal Family)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: नव-स्थाने (Neolocal) निवास का अर्थ है कि विवाह के बाद नवविवाहित जोड़ा अपने माता-पिता या मूल परिवार से अलग, एक नए स्थान पर अपना घर बसाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आधुनिक समाजों में एक सामान्य प्रवृत्ति है।
- गलत विकल्प: पितृवंशीय परिवार (a) में पति अपने परिवार के साथ रहता है। सह-स्थाने (d) में पत्नी अपने पति के परिवार के साथ रहती है। मातृवंशीय परिवार (b) में निवास या वंश माँ के पक्ष से होता है।
प्रश्न 21: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का अर्थ है?
- समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अंतर
- व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना
- समाज के विभिन्न संस्थानों का कार्य
- सांस्कृतिक मूल्यों में परिवर्तन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता व्यक्तियों या समूहों के सामाजिक पदानुक्रम (social hierarchy) में ऊपर या नीचे की ओर या क्षैतिज रूप से एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें ऊर्ध्वाधर (vertical) गतिशीलता (ऊपर या नीचे जाना) और क्षैतिज (horizontal) गतिशीलता (समान स्तर पर स्थिति बदलना) शामिल है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का वर्णन करता है। (c) सामाजिक संस्थाओं के प्रकार्य (functions) का वर्णन करता है। (d) सांस्कृतिक परिवर्तन (Cultural Change) को दर्शाता है।
प्रश्न 22: “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) का सिद्धांत किस समाजशास्त्रीय विचार-धारा का केंद्रीय तत्व है?
- प्रकार्यवाद (Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- नारीवाद (Feminism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: वर्ग संघर्ष, विशेष रूप से बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच, कार्ल मार्क्स द्वारा विकसित संघर्ष सिद्धांत का एक मूल सिद्धांत है। मार्क्स के अनुसार, यह संघर्ष सामाजिक परिवर्तन का मुख्य इंजन है।
- संदर्भ और विस्तार: संघर्ष सिद्धांत मानता है कि समाज शक्ति, प्रभुत्व और संघर्ष का परिणाम है, न कि सहमति और संतुलन का।
- गलत विकल्प: प्रकार्यवाद समाज को एक संतुलित प्रणाली के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म स्तर पर ध्यान केंद्रित करता है। नारीवाद लैंगिक असमानता पर केंद्रित है, हालांकि संघर्ष के तत्व इसमें भी हो सकते हैं।
प्रश्न 23: “आत्मसात्करण” (Assimilation) और “बहुसंस्कृतिवाद” (Multiculturalism) किस प्रकार की सामाजिक प्रक्रियाओं से संबंधित हैं?
- जाति व्यवस्था से
- प्रवासन और जातीय संबंधों से
- शहरीकरण से
- ग्रामीण विकास से
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आत्मसात्करण वह प्रक्रिया है जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक समाज की संस्कृति, मूल्यों और व्यवहारों को अपना लेता है, जबकि बहुसंस्कृतिवाद यह विचार है कि विभिन्न सांस्कृतिक समूह अपने रीति-रिवाजों को बनाए रखते हुए एक साथ सह-अस्तित्व में रह सकते हैं। ये दोनों अवधारणाएं प्रवासन (Migration) और विभिन्न जातीय समूहों के बीच संबंधों के अध्ययन से जुड़ी हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये प्रक्रियाएं दर्शाती हैं कि समाज में सांस्कृतिक विविधता कैसे प्रबंधित की जाती है।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था (a) मुख्य रूप से भारतीय समाज की स्तरीकरण प्रणाली है। शहरीकरण (c) और ग्रामीण विकास (d) are related to settlement patterns and development, not directly to cultural integration of diverse groups.
प्रश्न 24: “संसाधन जुटाना” (Resource Mobilization) का सिद्धांत मुख्य रूप से किस प्रकार के सामाजिक आंदोलनों के विश्लेषण से जुड़ा है?
- पारंपरिक आंदोलन
- राजनीतिक आंदोलन
- सामाजिक आंदोलन
- आर्थिक आंदोलन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संसाधन जुटाना सिद्धांत (Resource Mobilization Theory) सामाजिक आंदोलनों के अध्ययन में एक प्रमुख दृष्टिकोण है। यह मानता है कि किसी भी सामाजिक आंदोलन की सफलता उसके द्वारा जुटाए जा सकने वाले संसाधनों (जैसे धन, लोग, संगठन, संचार माध्यम) पर निर्भर करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि विरोध के लिए अवसर और संसाधनों का होना कितना महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: हालांकि आंदोलन राजनीतिक (b) या आर्थिक (d) हो सकते हैं, लेकिन संसाधन जुटाना एक सामान्य सिद्धांत है जो सभी प्रकार के सामाजिक आंदोलनों (c) पर लागू होता है। पारंपरिक आंदोलन (a) शायद ही कभी इस सिद्धांत के अंतर्गत आते हैं क्योंकि उनमें अक्सर स्थापित शक्ति संरचनाओं का विरोध नहीं होता।
प्रश्न 25: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी, जो समाज में भौतिक संस्कृति की तुलना में अभौतिक संस्कृति के धीमे परिवर्तन को दर्शाती है?
- एल्विन टॉफ़लर
- विलियम एफ. ऑग्बर्न
- मैनन काई डेर्लिंग
- ई.बी. टाइलर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ऑग्बर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, तकनीकी नवाचार (भौतिक संस्कृति) अक्सर समाज में तेजी से होते हैं, लेकिन सामाजिक संस्थाएं, मूल्य, कानून और रीति-रिवाज (अभौतिक संस्कृति) इन परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ जाते हैं, जिससे सामाजिक समायोजन में कठिनाई उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, नई संचार तकनीकें तेजी से विकसित होती हैं, लेकिन उनके उपयोग के नैतिक और कानूनी नियम धीमे विकसित होते हैं।
- गलत विकल्प: एल्विन टॉफ़लर भविष्यवादी और “फ्यूचर शॉक” जैसे विचारों से जुड़े हैं। ई.बी. टाइलर मानवशास्त्र में संस्कृति के अध्ययन से संबंधित हैं।