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समाजशास्त्र की दैनिक धार: अपनी समझ को पैना करें।

समाजशास्त्र की दैनिक धार: अपनी समझ को पैना करें।

क्या आप समाजशास्त्र की गहनताओं में गोता लगाने और अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हैं? हर दिन एक नई चुनौती आपका इंतजार कर रही है! आज के ये 25 प्रश्न आपके ज्ञान के क्षितिज को विस्तृत करेंगे और आपको प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए बेहतर ढंग से तैयार करेंगे। आइए, अपनी तैयारी की धार तेज करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को समाजशास्त्र में किसने केंद्रीय महत्व दिया, इसे अमूर्त, स्थायी और समाज के भीतर संबंधों के अंतर्निहित पैटर्न के रूप में देखा?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. इमाइल दुर्खीम
  3. टैल्कॉट पार्सन्स
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स ने ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को अपने ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक’ सिद्धांत के केंद्र में रखा। उन्होंने इसे सामाजिक व्यवस्था के अपेक्षाकृत स्थिर पहलुओं, जैसे कि संस्थाएं, भूमिकाएं और मानदंड, के रूप में परिभाषित किया, जो समाज के भीतर अंतर्संबंधित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का मानना था कि समाज को समझने के लिए इन स्थायी संरचनाओं का विश्लेषण आवश्यक है। उनकी पुस्तक “The Social System” इस विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्य है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान ‘सामाजिक वर्ग’ और ‘संघर्ष’ पर था; इमाइल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकजुटता’ और ‘एकात्मता’ पर जोर दिया; और मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और ‘सत्ता’ पर ध्यान केंद्रित किया, हालांकि वे भी संरचनाओं के महत्व को स्वीकार करते थे।

प्रश्न 2: “वर्गीकृत समाज” (Class Society) की अवधारणा, जो उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व पर आधारित है, किस प्रमुख समाजशास्त्रीय विचारक से जुड़ी है?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमाइल दुर्खीम
  3. ऑगस्ट कॉम्टे
  4. कार्ल मार्क्स

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने “वर्गीकृत समाज” की अवधारणा को केंद्रीय माना, जिसमें समाज मुख्य रूप से उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, कारखाने) के स्वामित्व के आधार पर दो विरोधी वर्गों – बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (मजदूर) – में विभाजित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह वर्ग संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का मुख्य इंजन है। उनकी कृति “दास कैपिटल” में इस विश्लेषण का विस्तृत वर्णन है।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने वर्ग के अलावा ‘स्टेटस’ (प्रतिष्ठा) और ‘पार्टी’ (शक्ति) को भी सामाजिक स्तरीकरण के आधार माना। दुर्खीम ने श्रम-विभाजन और सामाजिक एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक थे लेकिन उनका ध्यान प्रत्यक्षवाद पर अधिक था।

प्रश्न 3: इमाइल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनामी’ (Anomie) या ‘एनॉमी’ की स्थिति से क्या तात्पर्य है?

  1. सामाजिक एकता की कमी
  2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अत्यधिकता
  3. मानदंडों और मूल्यों में शिथिलता या स्पष्टता का अभाव
  4. सामाजिक संस्थाओं का विघटन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: दुर्खीम ने ‘एनॉमी’ को एक ऐसी सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया जहां समाज में व्यापक रूप से स्वीकृत सामाजिक मानदंड, नियम और मूल्य कमजोर पड़ जाते हैं या उनका अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्तियों को मार्गदर्शन और सामाजिक नियंत्रण में कमी महसूस होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक “Suicide” में तर्क दिया कि तीव्र सामाजिक या आर्थिक परिवर्तन की अवधि में एनॉमी बढ़ सकती है, जिससे आत्महत्या की दर भी बढ़ सकती है।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिक एकता की कमी ‘एनॉमी’ का परिणाम हो सकती है, लेकिन यह एनॉमी की सीधी परिभाषा नहीं है। (b) व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अत्यधिकता कुछ हद तक योगदान कर सकती है, लेकिन एनॉमी मुख्य रूप से मानदंडों की अनुपस्थिति है। (d) सामाजिक संस्थाओं का विघटन भी एनॉमी का प्रभाव हो सकता है।

प्रश्न 4: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा का उपयोग किस उद्देश्य से किया?

  1. समाज का यथार्थवादी चित्रण प्रस्तुत करने के लिए
  2. सामाजिक घटनाओं के विश्लेषण हेतु एक वैचारिक उपकरण बनाने के लिए
  3. सांख्यिकीय डेटा का संकलन करने के लिए
  4. सामाजिक समस्याओं का समाधान खोजने के लिए

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रारूप’ को सामाजिक घटनाओं के विश्लेषण के लिए एक वैचारिक या विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में विकसित किया। यह किसी घटना की विशिष्ट विशेषताओं को अतिरंजित करके ( exagerrating) बनाई गई एक तार्किक रूप से सुसंगत (logically consistent) छवि है, जिसका उपयोग वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को समझने और तुलना करने के लिए एक मानक के रूप में किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: आदर्श प्रारूप वास्तविक नहीं है, न ही यह एक आदर्श (ideal in the sense of perfect) है, बल्कि यह विश्लेषण के लिए एक ‘तार्किक’ (logical) या ‘वैचारिक’ (conceptual) उपकरण है।
  • गलत विकल्प: (a) आदर्श प्रारूप यथार्थवादी चित्रण नहीं है, बल्कि विश्लेषण के लिए एक सरलीकरण है। (c) यह सांख्यिकीय डेटा के संकलन का तरीका नहीं है। (d) हालांकि विश्लेषण समस्याओं को समझने में मदद कर सकता है, लेकिन आदर्श प्रारूप का प्राथमिक उद्देश्य सीधे समाधान खोजना नहीं है।

प्रश्न 5: निम्नांकित में से कौन सा कथन जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) के ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के सिद्धांत के लिए सटीक है?

  1. समाज सामाजिक संरचनाओं और संस्थाओं से निर्मित होता है।
  2. समाज व्यक्तियों के बीच अर्थों और प्रतीकों के निर्माण और आदान-प्रदान के माध्यम से निर्मित होता है।
  3. सामाजिक परिवर्तन मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष से होता है।
  4. सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सामाजिक नियंत्रण आवश्यक है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारकों में से एक, मानते थे कि समाज और व्यक्ति की आत्म-पहचान (self-identity) प्रतीकों (जैसे भाषा) के माध्यम से होने वाली पारस्परिक क्रियाओं (interactions) में निर्मित होती है। व्यक्ति अपनी क्रियाओं को समझने के लिए दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड की पुस्तक “Mind, Self, and Society” उनके विचारों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • गलत विकल्प: (a) यह दृष्टिकोण संरचनात्मक प्रकार्यवाद (जैसे पार्सन्स) से अधिक मेल खाता है। (c) यह कार्ल मार्क्स के सिद्धांत का केंद्रीय विचार है। (d) यह दुर्खीम या पार्सन्स जैसे विचारकों के लिए अधिक प्रासंगिक है।

प्रश्न 6: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ को समझने के लिए एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संसकृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. निम्न जाति का उच्च जाति की जीवन शैली, रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों को अपनाना।
  2. सभी जातियों का पश्चिमी संस्कृति को अपनाना।
  3. जाति व्यवस्था का समाप्त होना।
  4. शहरीकरण के कारण पारंपरिक जाति भूमिकाओं का बदलना।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृतिकरण’ की अवधारणा दी, जिसका अर्थ है कि निम्न या मध्यम स्तर की जातियां या जनजातियां अपने सामाजिक स्तर को ऊंचा उठाने के प्रयास में उच्च, विशेष रूप से द्विजातीय (twice-born) जातियों के अनुष्ठानों, खान-पान, वेशभूषा, पूजा पद्धति और जीवन शैली का अनुकरण करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: (b) ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) एक अलग अवधारणा है। (c) संसकृतिकरण जाति व्यवस्था को समाप्त नहीं करता, बल्कि उसमें गतिशीलता लाता है। (d) शहरीकरण ‘आधुनिकीकरण’ या ‘पश्चिमीकरण’ से संबंधित हो सकता है, लेकिन संसकृतिकरण का मुख्य आधार अन्य उच्च जातियों का अनुकरण है।

प्रश्न 7: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्र में ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का एक रूप नहीं है?

  1. जाति
  2. वर्ग
  3. गुलाम प्रथा (Slavery)
  4. परिवार

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ‘परिवार’ एक सामाजिक संस्था है, जबकि जाति, वर्ग और गुलाम प्रथा समाज में व्यक्तियों को उनकी स्थिति, शक्ति और संसाधनों के आधार पर विभिन्न स्तरों में वर्गीकृत करने वाली व्यवस्थाएं हैं, जो सामाजिक स्तरीकरण के रूप हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण से तात्पर्य समाज में असमानताओं की एक व्यवस्थित संरचना से है, जहां समूहों को विशेषाधिकारों और वंचनाओं के आधार पर पदानुक्रमित (hierarchical) किया जाता है।
  • गलत विकल्प: जाति, वर्ग और गुलाम प्रथा सभी ऐतिहासिक और समकालीन समाजों में पाए जाने वाले स्तरीकरण के प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 8: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो यह बताती है कि भौतिक संस्कृति (material culture) अभौतिक संस्कृति (non-material culture) की तुलना में तेजी से बदलती है?

  1. एमील दुर्खीम
  2. विलियम ग्राहम समनर
  3. अल्बर्ट कोहेन
  4. ऑगस्ट कॉम्टे

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक “Folkways” (1906) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उनका तर्क था कि प्रौद्योगिकी और भौतिक प्रगति (जैसे नए उपकरण) समाज में तेजी से फैलती हैं, लेकिन सामाजिक मानदंड, मूल्य, कानून और नैतिकता (अभौतिक संस्कृति) इन परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में पीछे रह जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक परिवर्तन की गतिशीलता और उसके असंतुलनों को समझने में महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर काम किया। कोहेन ने उपसंस्कृतियों पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक थे।

  • प्रश्न 9: निम्नांकित में से कौन सी ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की विशेषता नहीं है?

    1. आमने-सामने का घनिष्ठ संबंध
    2. स्थायी और दीर्घकालिक संबंध
    3. व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध
    4. औपचारिकता और उद्देश्यों की प्रधानता

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: ‘प्राथमिक समूह’ (जैसे परिवार, घनिष्ठ मित्र) की विशेषताएँ आमने-सामने का संबंध, घनिष्ठता, भावनात्मक जुड़ाव और लंबे समय तक चलने वाले संबंध हैं। ‘औपचारिकता’ और ‘उद्देश्यों की प्रधानता’ ‘द्वितीयक समूहों’ (secondary groups) की विशेषताएँ हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स कूले ने प्राथमिक समूहों की अवधारणा दी, जिन्हें उन्होंने समाज के ‘प्रसारक’ (disseminators) के रूप में वर्णित किया, जहाँ व्यक्ति अपना व्यक्तित्व विकसित करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) प्राथमिक समूह की मुख्य विशेषताएँ हैं। (d) औपचारिकता और उद्देश्यों की प्रधानता द्वितीयक समूहों (जैसे कार्यस्थल, राजनीतिक दल) से संबंधित है।

    प्रश्न 10: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

    1. समाज में व्यक्तियों की जनसंख्या वृद्धि।
    2. समाज के भीतर व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में परिवर्तन।
    3. समाज में प्रचलित विभिन्न संस्कृतियों का अध्ययन।
    4. सामाजिक संरचना में होने वाले अमूर्त परिवर्तन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में ऊपर या नीचे की ओर या क्षैतिज रूप से (horizontally) बढ़ना। इसमें ऊर्ध्वाधर (vertical) (ऊपर या नीचे) और क्षैतिज (horizontal) (समान स्तर पर) गतिशीलता शामिल है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक स्तरीकरण के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो यह बताता है कि समाज में अवसर कितने खुले या बंद हैं।
    • गलत विकल्प: (a) जनसंख्या वृद्धि जनसांख्यिकी का विषय है। (c) यह सांस्कृतिक नृविज्ञान या समाजशास्त्र का एक पहलू है, लेकिन गतिशीलता का नहीं। (d) अमूर्त परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन का एक बहुत व्यापक विचार है।

    प्रश्न 11: भारत में ‘ट्राइबल’ (Tribal) समुदायों को अक्सर ‘पिछड़ा हिंदू’ (Backward Hindus) क्यों कहा जाता है?

    1. क्योंकि वे हिंदू धर्म का पालन नहीं करते।
    2. क्योंकि उन्होंने हिंदू संस्कृति के कुछ तत्वों को आत्मसात कर लिया है और वे अक्सर एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं।
    3. क्योंकि वे अत्यंत पिछड़े हुए हैं और उनका विकास नहीं हुआ है।
    4. क्योंकि वे पारंपरिक रूप से कृषि पर निर्भर हैं।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: भारत में कुछ समाजशास्त्रियों, विशेषकर Ghurye, ने जनजातीय समुदायों को ‘पिछड़ा हिंदू’ कहकर संबोधित किया क्योंकि उन्होंने हिन्दू समाज की कुछ प्रथाओं (जैसे मंदिरों में जाना, कुछ देवी-देवताओं की पूजा) को अपना लिया था और वे अक्सर भौगोलिक रूप से हिंदू बहुल क्षेत्रों में ही निवास करते थे। हालाँकि, यह एक विवादास्पद शब्दावली है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस वर्गीकरण का उद्देश्य जनजातीय लोगों को मुख्यधारा के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने से जोड़ने की प्रक्रिया को समझना था, लेकिन इसने उन्हें ‘हिंदू’ के रूप में ‘अन्य’ (othering) करने का भी काम किया।
    • गलत विकल्प: (a) कई जनजातियाँ हिन्दू धर्म का पालन करती हैं या उससे प्रभावित हैं। (c) ‘पिछड़ापन’ एक सापेक्ष शब्द है और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को दर्शाता है, न कि स्वयं को ‘पिछड़ा हिंदू’ कहने का कारण। (d) कृषि पर निर्भरता कई समुदायों की विशेषता हो सकती है, लेकिन यह उन्हें ‘पिछड़ा हिंदू’ कहने का विशेष कारण नहीं है।

    प्रश्न 12: ‘संस्था’ (Institution) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, यह क्या है?

    1. कुछ व्यक्तियों का एक समूह जो समान रुचि रखते हैं।
    2. समूहों के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले स्थापित प्रतिमान (patterns) और मानदंड।
    3. समाज में प्रचलित विभिन्न विचारों का संग्रह।
    4. समाज में होने वाले तीव्र परिवर्तन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, ‘संस्था’ (जैसे परिवार, शिक्षा, सरकार) व्यवहार के ऐसे स्थापित और स्थायी प्रतिमान (patterns), नियम, मानदंड और संगठन हैं जो किसी समाज की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित होते हैं और व्यक्तियों के व्यवहार को व्यवस्थित और नियंत्रित करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: संस्थाएं समाज का ढाँचा बनाती हैं और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती हैं।
    • गलत विकल्प: (a) यह एक समूह (group) या संघ (association) की परिभाषा हो सकती है। (c) यह विचारों का संग्रह हो सकता है, लेकिन संस्था व्यवहार को निर्देशित करती है। (d) यह सामाजिक परिवर्तन है, संस्था नहीं।

    प्रश्न 13: लुईस विर्थ (Louis Wirth) के अनुसार, ‘शहर’ (City) की प्रमुख विशेषता क्या है?

    1. उच्च जनसंख्या घनत्व, बड़ा आकार और विषम (heterogeneous) जनसंख्या
    2. गहरे व्यक्तिगत संबंध और सामुदायिक भावना
    3. धीमी गति का जीवन और पारंपरिक मूल्य
    4. प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: लुईस विर्थ ने अपने प्रभावशाली लेख “Urbanism as a Way of Life” में शहर को तीन मुख्य विशेषताओं से परिभाषित किया: उच्च जनसंख्या घनत्व, बड़े आकार की जनसंख्या, और जनसंख्या की विषम प्रकृति (विविध जातीय, सांस्कृतिक, व्यावसायिक पृष्ठभूमि)।
    • संदर्भ और विस्तार: विर्थ का तर्क था कि ये विशेषताएँ शहरी जीवन को ग्रामीण जीवन से अलग करती हैं और व्यक्तियों के संबंधों, मूल्यों और व्यवहारों को भी प्रभावित करती हैं, जिससे अक्सर संबंध अधिक अनाम (anonymous) और कम व्यक्तिगत हो जाते हैं।
    • गलत विकल्प: (b) यह ग्रामीण या छोटे समुदायों की विशेषता है। (c) शहरी जीवन अक्सर तेज गति वाला होता है और पारंपरिक मूल्यों की तुलना में नए या मिश्रित मूल्यों को जन्म देता है। (d) शहर प्रकृति से दूर होते हैं।

    प्रश्न 14: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) की अवधारणा से निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे सटीक रूप से मेल खाता है?

    1. किसी समाज में व्यक्तियों की केवल आर्थिक स्थिति में बदलाव।
    2. किसी समाज की संस्कृति, संरचना या व्यवहार के पैटर्न में समय के साथ होने वाला परिवर्तन।
    3. समाज में व्यक्तियों के बीच केवल वैचारिक मतभेद।
    4. किसी भी प्रकार की सामाजिक गतिविधि या समूह निर्माण।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक परिवर्तन एक व्यापक अवधारणा है जो किसी समाज की संरचना (जैसे संस्थाएं, वर्ग), संस्कृति (जैसे मूल्य, विश्वास, जीवन शैली) और व्यवहार के पैटर्न में समय के साथ होने वाले महत्वपूर्ण और स्थायी बदलावों को संदर्भित करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह परिवर्तन छोटे पैमाने पर या बड़े पैमाने पर हो सकता है, और यह विकासवादी, क्रांतिकारी या अनियोजित हो सकता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह केवल एक प्रकार का परिवर्तन है। (c) मतभेद परिवर्तन का कारण हो सकता है, लेकिन यह स्वयं परिवर्तन की परिभाषा नहीं है। (d) सामाजिक गतिविधि परिवर्तन का एक माध्यम या परिणाम हो सकती है, लेकिन यह परिवर्तन की परिभाषा नहीं है।

    प्रश्न 15: ‘अजनबी’ (The Stranger) की समाजशास्त्रीय अवधारणा, जिसे अल्फ्रेड शुट्ज़ (Alfred Schutz) ने विकसित किया, किसको संदर्भित करती है?

    1. एक ऐसा व्यक्ति जो अपनी ही संस्कृति में पूरी तरह से एकीकृत है।
    2. एक ऐसा व्यक्ति जो समाज से पूरी तरह अलग-थलग है।
    3. एक ऐसा व्यक्ति जो एक नए समाज में प्रवेश करता है और अपनी पिछली पृष्ठभूमि से जुड़ा रहता है, जिससे वह ‘पास’ में है लेकिन ‘अंदर’ नहीं।
    4. एक ऐसा व्यक्ति जो समाज के मानदंडों का उल्लंघन करता है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: अल्फ्रेड शुट्ज़ के अनुसार, ‘अजनबी’ वह व्यक्ति होता है जो किसी नए सामाजिक समूह या समाज में प्रवेश करता है। वह उस समाज के रीति-रिवाजों, मूल्यों और व्यवहारों से अपरिचित होता है और अपनी पिछली दुनिया के अनुभवों और ज्ञान से जुड़ा रहता है। वह उस समाज का हिस्सा बनने की कोशिश करता है, लेकिन पूरी तरह से एकीकृत नहीं हो पाता, जिससे वह ‘पास’ (near) होता हुआ भी ‘अंदर’ (inside) नहीं होता।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा आप्रवासी (immigrants), शरणार्थी (refugees) या किसी भी ऐसे व्यक्ति के अनुभवों को समझने के लिए उपयोगी है जो एक अपरिचित सामाजिक वातावरण में रहता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (b) अजनबी की स्थिति का वर्णन नहीं करते। (d) यह केवल एक सामाजिक विचलित (deviant) का वर्णन है, न कि अजनबी का।

    प्रश्न 16: ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) का सिद्धांत क्या कहता है?

    1. सभी संस्कृतियाँ समान रूप से विकसित होती हैं।
    2. एक संस्कृति को उसकी अपनी मान्यताओं, मूल्यों और मानदंडों के संदर्भ में ही समझा जाना चाहिए, न कि किसी अन्य संस्कृति के मानदंडों से।
    3. पश्चिमी संस्कृति सभी संस्कृतियों से श्रेष्ठ है।
    4. आधुनिक समाज पारंपरिक समाजों से बेहतर है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद एक नृजातीय (anthropological) दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि किसी संस्कृति की प्रथाओं, विश्वासों और मूल्यों का मूल्यांकन उसी संस्कृति के मानदंडों के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी या अन्य संस्कृति के मानदंडों के आधार पर। इसका उद्देश्य सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों से बचना है।
    • संदर्भ और विस्तार: फ्रैंज बोआस (Franz Boas) इस अवधारणा के प्रमुख प्रस्तावक थे।
    • गलत विकल्प: (a) विकास की दर अलग-अलग हो सकती है। (c) और (d) सांस्कृतिक श्रेष्ठतावाद (cultural ethnocentrism) के उदाहरण हैं, जिनके विरुद्ध सांस्कृतिक सापेक्षवाद है।

    प्रश्न 17: ‘धर्म’ (Religion) को समाजशास्त्र में किस रूप में देखा जाता है?

    1. केवल व्यक्तिगत आस्था का विषय।
    2. समाज को एकीकृत करने वाली एक सामाजिक संस्था, जो सामूहिक चेतना और प्रतीकों से जुड़ी है।
    3. उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण का एक रूप।
    4. वैज्ञानिक प्रगति में बाधक।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम जैसे समाजशास्त्रियों ने धर्म को एक ‘सामाजिक घटना’ के रूप में देखा, जो समाज को एकीकृत करने वाली एक शक्तिशाली संस्था है। धर्म साझा विश्वासों, अनुष्ठानों और प्रतीकों के इर्द-गिर्द लोगों को एकजुट करता है, जिससे ‘सामूहिक चेतना’ (collective consciousness) का विकास होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम की पुस्तक “The Elementary Forms of Religious Life” में इस पर विस्तृत चर्चा है।
    • गलत विकल्प: (a) समाजशास्त्र धर्म को एक सामाजिक घटना के रूप में देखता है, न कि केवल व्यक्तिगत। (c) यह मार्क्सवादी दृष्टिकोण का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन धर्म की संपूर्ण समाजशास्त्रीय समझ नहीं। (d) यह एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण है, समाजशास्त्रीय परिभाषा नहीं।

    प्रश्न 18: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) का क्या अर्थ है?

    1. दो अलग-अलग सामाजिक समूहों के बीच संघर्ष।
    2. एक ही व्यक्ति की विभिन्न भूमिकाओं की माँगों के बीच असंगति।
    3. समाज में व्यक्तियों की भूमिकाएँ निश्चित होती हैं।
    4. भूमिकाओं का धीरे-धीरे परिवर्तन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: भूमिका संघर्ष तब होता है जब किसी एक व्यक्ति को अपनी दो या दो से अधिक भिन्न भूमिकाओं (जैसे पिता, कर्मचारी, नागरिक) के बीच असंगत या परस्पर विरोधी माँगों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, कार्यस्थल पर देर तक रुकने की आवश्यकता और परिवार के सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उपस्थित होने की आवश्यकता के बीच संघर्ष।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में भूमिका सिद्धांत (role theory) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
    • गलत विकल्प: (a) यह समूह संघर्ष (group conflict) है। (c) यह भूमिका सिद्धांत की पूर्वधारणा को झुठलाता है। (d) यह भूमिका परिवर्तन है, संघर्ष नहीं।

    प्रश्न 19: निम्नांकित में से कौन सी ‘सामाजिक विकृति’ (Social Deviance) का एक उदाहरण है?

    1. सभी विधियों का पालन करना।
    2. आम जनता की अपेक्षाओं के विरुद्ध जाने वाली कोई भी क्रिया।
    3. सकारात्मक सामाजिक व्यवहार।
    4. समाज में व्यवस्था बनाए रखना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक विकृति (Deviance) किसी भी ऐसे व्यवहार को संदर्भित करती है जो समाज के स्वीकृत मानदंडों और अपेक्षाओं का उल्लंघन करता है। इसमें अपराध, नशाखोरी, या अन्य गैर-कानूनी या सामाजिक रूप से अस्वीकार्य क्रियाएं शामिल हो सकती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: विकृति की परिभाषा अक्सर सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ पर निर्भर करती है। जो एक समाज में विकृति है, वह दूसरे में नहीं भी हो सकती।
    • गलत विकल्प: (a) और (c) सामाजिक अनुरूपता (conformity) के उदाहरण हैं। (d) यह सामाजिक व्यवस्था (social order) है।

    प्रश्न 20: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया मुख्य रूप से किससे जुड़ी है?

    1. पारंपरिक समाज की संरचनाओं का विघटन और वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का उदय।
    2. केवल भौतिक सुख-सुविधाओं का बढ़ना।
    3. व्यक्तिगत स्वार्थ का बढ़ना।
    4. धर्म का अत्यधिक प्रभाव।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें समाज पारंपरिक, कृषि-आधारित और स्थानीयकृत (localized) अवस्था से औद्योगिक, शहरीकृत, वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से उन्नत अवस्था में परिवर्तित होता है। इसमें अक्सर औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, लोकतंत्रीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण (secularization) जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह एक व्यापक अवधारणा है जो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को समाहित करती है।
    • गलत विकल्प: (b) और (c) आधुनिकीकरण के संभावित परिणाम या पहलू हो सकते हैं, लेकिन वे इसकी पूर्ण परिभाषा नहीं हैं। (d) आधुनिकीकरण अक्सर धर्मनिरपेक्षीकरण से जुड़ा होता है, न कि धर्म के बढ़ते प्रभाव से।

    प्रश्न 21: ‘सांस्कृतिक परिवर्तन’ (Cultural Change) का सबसे आम कारण क्या है?

    1. प्रौद्योगिकी में नवाचार
    2. अन्य संस्कृतियों से संपर्क (Diffusion)
    3. पर्यावरणीय कारक
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सांस्कृतिक परिवर्तन के अनेक कारण हो सकते हैं। प्रौद्योगिकी में नवाचार (जैसे इंटरनेट, स्मार्टफोन) जीवन शैली को बदलते हैं। अन्य संस्कृतियों से संपर्क (diffusion) विचारों, तकनीकों और प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है। पर्यावरणीय कारक (जैसे प्राकृतिक आपदाएं, जलवायु परिवर्तन) भी सामाजिक और सांस्कृतिक अनुकूलन की आवश्यकता पैदा करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: ये सभी कारक सामूहिक रूप से संस्कृति को प्रभावित और रूपांतरित करते हैं।
    • गलत विकल्प: केवल एक कारण को चुनना परिवर्तन की बहुआयामी प्रकृति को नजरअंदाज करेगा।

    प्रश्न 22: ‘परिवार’ (Family) को समाजशास्त्र में किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है?

    1. वंशानुक्रम (Lineage) और निवास (Residence)
    2. आकार और संगठन
    3. सत्ता की संरचना
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: परिवार का अध्ययन करते समय समाजशास्त्री विभिन्न आधारों का उपयोग करते हैं। वंशानुक्रम (पैट्रिलिनियल/मैट्रिलिनियल), निवास (पैट्रिलॉजिकल/मैट्रिलॉजिकल/नियोलोकल), आकार (जैसे एकल परिवार, संयुक्त परिवार) और संगठन (जैसे पितृसत्तात्मक, मातृसत्तात्मक) प्रमुख वर्गीकरण के आधार हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: ये वर्गीकरण परिवार की संरचना, कार्यों और सदस्यों के बीच संबंधों को समझने में मदद करते हैं।
    • गलत विकल्प: किसी एक आधार को चुनना परिवार के अध्ययन की व्यापकता को सीमित करेगा।

    प्रश्न 23: ‘शिक्षा’ (Education) का समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्या है?

    1. बच्चों को केवल अकादमिक ज्ञान देना।
    2. समाज की संस्कृति, मूल्यों और मानदंडों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाना (Socialization) और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना।
    3. सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करना।
    4. रोजगार के लिए कौशल प्रदान करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, शिक्षा को न केवल ज्ञान के प्रसारण के एक माध्यम के रूप में देखा जाता है, बल्कि एक ऐसी संस्था के रूप में भी देखा जाता है जो समाजीकरण (socialization) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह युवा पीढ़ी को समाज के स्वीकृत मूल्यों, विश्वासों, व्यवहारों और मानदंडों को सिखाती है, जिससे सामाजिक निरंतरता और व्यवस्था बनी रहती है।
    • संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम जैसे विचारकों ने शिक्षा को समाज की एकजुटता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण माना।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) शिक्षा के महत्वपूर्ण कार्य हो सकते हैं, लेकिन समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से सबसे मौलिक और व्यापक कार्य समाजीकरण है।

    प्रश्न 24: ‘सामाजिक आंदोलन’ (Social Movement) को कैसे परिभाषित किया जाता है?

    1. कुछ लोगों का एक साथ आना और चर्चा करना।
    2. समाज में परिवर्तन लाने या उसका विरोध करने के उद्देश्य से संगठित प्रयासों की एक सतत प्रक्रिया।
    3. एक व्यक्ति का व्यक्तिगत विरोध।
    4. किसी विशेष घटना पर अचानक प्रतिक्रिया।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक आंदोलन आमतौर पर आम लोगों द्वारा शुरू किए गए संगठित प्रयास होते हैं जो सामाजिक या राजनीतिक परिवर्तन को बढ़ावा देना चाहते हैं, उसका विरोध करना चाहते हैं, या किसी विशेष मुद्दे पर सामूहिक कार्रवाई करना चाहते हैं। यह एक प्रक्रिया है जो कुछ समय तक चलती है और अक्सर एक लक्ष्य के प्रति समर्पित होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक आंदोलनों का अध्ययन समाज में शक्ति, संघर्ष, परिवर्तन और सामूहिक व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: (a) अनौपचारिक या अव्यवस्थित हो सकता है। (c) व्यक्तिगत कार्रवाई है। (d) एक क्षणिक प्रतिक्रिया है, न कि सतत आंदोलन।

    प्रश्न 25: एमाइल दुर्खीम ने ‘समाज’ को समझने के लिए किस पद्धति का सुझाव दिया?

    1. व्यक्तिपरक अर्थों को समझना (Verstehen)
    2. सामाजिक तथ्यों (Social Facts) को वस्तुओं की तरह मानना
    3. वर्ग संघर्ष का विश्लेषण
    4. व्यक्तिगत मनोविज्ञान का अध्ययन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: एमाइल दुर्खीम एक प्रत्यक्षवादी (positivist) थे और उन्होंने समाजशास्त्र को एक विज्ञान बनाने के लिए ‘सामाजिक तथ्यों’ (social facts) को वस्तुओं की तरह (as things) अध्ययन करने की वकालत की। सामाजिक तथ्य वे व्यवहार के तरीके, विचार और भावनाएं हैं जो व्यक्ति के बाहर मौजूद हैं और उस पर बाहरी दबाव डालते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक “The Rules of Sociological Method” इस पद्धति का विवरण देती है।
    • गलत विकल्प: (a) ‘Verstehen’ मैक्स वेबर की पद्धति है। (c) यह कार्ल मार्क्स का मुख्य दृष्टिकोण है। (d) समाजशास्त्र को मनोविज्ञान से अलग करने का प्रयास दुर्खीम ने किया था।

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