समाजशास्त्र की दैनिक डोज: अपनी अवधारणात्मक शक्ति को परखें
तैयारी के इस सफर में, अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल का परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को नई ऊँचाइयों पर ले चलें और विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों से पूछे गए इन 25 प्रश्नों के माध्यम से अपनी पकड़ को मजबूत करें।
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- विलियम एफ. ऑग्बन
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विलियम एफ. ऑग्बन ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। इसका अर्थ है कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, नैतिकता, कानून) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे असंतुलन पैदा होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: ऑग्बन ने अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ (1922) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। यह सामाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जहाँ समाज नई प्रौद्योगिकियों या आविष्कारों को अपनाता है, लेकिन सामाजिक मूल्य और संस्थान उस गति से नहीं बदलते।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकजुटता’ और ‘एनोमी’ जैसे विचारों पर काम किया। कार्ल मार्क्स ‘वर्ग संघर्ष’ और ऐतिहासिक भौतिकवाद के लिए जाने जाते हैं। मैक्स वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘अधिपति’ (hegemony) की अवधारणाएँ दीं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन दुर्खीम के अनुसार सामाजिक व्यवस्था (Social Order) बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण तत्व है?
- व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा
- सांझा मूल्य और विश्वास (सामूहिक चेतना)
- आर्थिक प्रतिस्पर्धा
- सत्ता का केंद्रीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Conscience) को सामाजिक व्यवस्था और एकजुटता का आधार माना। यह समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए जाने वाले विश्वासों, मूल्यों और नैतिकताओं का योग है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम का मानना था कि यह सामूहिक चेतना समाज को एक साथ बांधे रखती है और व्यक्तियों को सामाजिक मानदंडों का पालन करने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने ‘द डिवीज़न ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ में यांत्रिक एकजुटता (साझा विश्वासों पर आधारित) और सावयवी एकजुटता (श्रम के विभाजन पर आधारित, जहाँ साझा मूल्य फिर भी महत्वपूर्ण होते हैं) का अंतर बताया।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और आर्थिक प्रतिस्पर्धा व्यक्तिगत या आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं, लेकिन दुर्खीम के अनुसार ये सामाजिक व्यवस्था के लिए प्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण नहीं हैं। सत्ता का केंद्रीकरण व्यवस्था ला सकता है, लेकिन यह दुर्खीम के द्वारा बताए गए साझा मूल्यों के विपरीत एक बाहरी नियंत्रण का रूप है।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, सत्ता (Authority) का वह रूप जो ‘परंपरा’ पर आधारित होता है, क्या कहलाता है?
- करिश्माई सत्ता
- तर्कसंगत-कानूनी सत्ता
- पारंपरिक सत्ता
- नौकरशाही सत्ता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई और तर्कसंगत-कानूनी। पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority) उन आदतों और रीति-रिवाजों पर आधारित होती है जो ‘सदैव से चली आ रही हैं’।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस प्रकार की सत्ता में, व्यक्ति इसलिए आज्ञा मानते हैं क्योंकि ‘यह हमेशा से ऐसा ही रहा है’। उदाहरण के लिए, राजशाही या वंशानुगत पद। वेबर ने इसे ‘The Theory of Social and Economic Organization’ में समझाया है।
- गलत विकल्प: करिश्माई सत्ता असाधारण व्यक्तिगत गुणों पर आधारित होती है। तर्कसंगत-कानूनी सत्ता नियमों, कानूनों और औपचारिक पदों पर आधारित होती है, जो नौकरशाही का आधार है। नौकरशाही स्वयं सत्ता का एक रूप नहीं, बल्कि तर्कसंगत-कानूनी सत्ता को लागू करने की एक विधि है।
प्रश्न 4: ‘आत्मसঅত’ (Self) की अवधारणा, जो अंतःक्रियावाद (Interactionism) का एक केंद्रीय विचार है, का विकास किस समाजशास्त्री ने किया?
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- हरबर्ट ब्लूमर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘आत्म’ (Self) की अवधारणा को विकसित किया, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का एक प्रमुख सिद्धांत है। उन्होंने बताया कि व्यक्ति का ‘आत्म’ सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मीड के अनुसार, व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के दृष्टिकोण को आंतरिक बनाकर और उस भूमिका को निभाकर ‘आत्म’ का विकास करता है जिसे वे ‘दूसरा’ (Generalized Other) कहते हैं। यह विचार उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’ में संकलित है।
- गलत विकल्प: चार्ल्स हॉर्टन कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी, जो मीड के विचार से संबंधित है लेकिन ‘आत्म’ के विकास का पूर्ण सिद्धांत मीड ने दिया। हरबर्ट ब्लूमर ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्दावली को गढ़ा और मीड के विचारों को व्यवस्थित किया। मैक्स वेबर एक प्रमुख शास्त्रीय समाजशास्त्री हैं जिनके विचार मीड से भिन्न हैं।
प्रश्न 5: भारत में जाति व्यवस्था का अध्ययन करते हुए, एम.एन. श्रीनिवास ने किस प्रक्रिया का वर्णन किया, जिसमें निम्न जातियाँ उच्च जातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों को अपनाती हैं?
- पश्चिमीकरण
- आधुनिकीकरण
- संसकृतीकरण
- धर्मनिरपेक्षीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निम्न जाति के लोग उच्च जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों, पूजा विधियों, खान-पान और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में प्रस्तुत की थी। यह भारत में सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की संस्कृति और जीवन शैली को अपनाने से संबंधित है। आधुनिकीकरण औद्योगीकरण, शहरीकरण और तर्कसंगतता से जुड़ा एक व्यापक शब्द है। धर्मनिरपेक्षीकरण धर्म के सार्वजनिक और निजी जीवन में महत्व के कम होने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) की एक प्रमुख अवधारणा है?
- अराजकता
- विस्थापन
- अनुकूलन (Adaptation)
- अलगाव
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 7: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जो पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिकों की निराशा को दर्शाती है, किस विचारक से सबसे अधिक संबंधित है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया। उनके अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम, उत्पादन, सहकर्मियों और स्वयं से अलग-थलग महसूस करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में चार प्रकार के अलगाव पर चर्चा की: उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, उत्पादन के उत्पाद से अलगाव, अपने साथी श्रमिकों से अलगाव, और अपने मानवीय सार (species-being) से अलगाव।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) की बात की, जो सामाजिक मानदंडों में शिथिलता से उत्पन्न होती है। वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘पिंजरे’ (iron cage) के माध्यम से आधुनिकता के नकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला। हरबर्ट स्पेंसर विकासवाद और सामाजिक डार्विनवाद के समर्थक थे।
प्रश्न 8: समाजशास्त्र में, ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) का क्या अर्थ है?
- समाज के व्यक्तियों की कुल संख्या
- समाज में व्यक्तियों के बीच संबंध और पैटर्न
- सरकार की विधायी शाखा
- आर्थिक उत्पादन के साधन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज में व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं के बीच अपेक्षाकृत स्थायी और व्यवस्थित पैटर्न वाले संबंधों से है। यह समाज का ‘ढाँचा’ प्रदान करती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसमें भूमिकाएँ, संस्थाएँ, शक्ति संबंध, सामाजिक स्तरीकरण आदि शामिल हैं। यह सामाजिक व्यवहार को आकार देती है और पूर्वानुमानित बनाती है। दुर्खीम, पार्सन्स और लेवी-स्ट्रॉस जैसे समाजशास्त्रियों ने संरचना के महत्व पर जोर दिया है।
- गलत विकल्प: व्यक्तियों की संख्या केवल जनसंख्या का माप है। विधायी शाखा केवल राजनीतिक संरचना का एक हिस्सा है। आर्थिक उत्पादन के साधन मार्क्सवादी विश्लेषण का हिस्सा हैं, लेकिन सामाजिक संरचना का यह व्यापक अर्थ नहीं है।
प्रश्न 9: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने या अनुपस्थित होने की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- पीटर बर्जर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा को सामाजिक विघटन और व्यक्तियों में दिशाहीनता की स्थिति का वर्णन करने के लिए प्रयोग किया। यह तब उत्पन्न होती है जब पारंपरिक सामाजिक नियम अप्रचलित हो जाते हैं या नए मानदंड स्थापित नहीं होते।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में दिखाया कि कैसे एनोमी आत्महत्या के कारणों में से एक हो सकती है, विशेषकर तीव्र सामाजिक परिवर्तन (जैसे आर्थिक संकट या उछाल) के दौरान।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘अलगाव’ और ‘वर्ग संघर्ष’ से जुड़े हैं। मैक्स वेबर ‘तर्कसंगतता’ और ‘नौकरशाही’ जैसे विषयों पर केंद्रित थे। पीटर बर्जर ने ‘The Social Construction of Reality’ लिखी है, लेकिन एनोमी की केंद्रीय अवधारणा दुर्खीम की है।
प्रश्न 10: भारत में ‘जनजाति’ (Tribe) की एक विशिष्ट विशेषता क्या है?
- एक लिखित संविधान
- राष्ट्र-राज्य के भीतर एक अलग राजनीतिक पहचान
- भौगोलिक अलगाव और विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान
- उच्च साक्षरता दर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारतीय संदर्भ में, जनजातियों को अक्सर भौगोलिक अलगाव (पहाड़ी या जंगली क्षेत्रों में निवास), एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान (भाषा, रीति-रिवाज, धर्म, सामाजिक संगठन) और मुख्यधारा के समाज से भिन्नता के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जबकि कुछ जनजातियों में अपनी स्वयं की शासन प्रणालियाँ हो सकती हैं, राष्ट्र-राज्य के भीतर एक ‘अलग राजनीतिक पहचान’ उनकी पारंपरिक परिभाषा का केंद्रीय तत्व नहीं है, बल्कि भारतीय संविधान उन्हें विशेष अधिकार प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: अधिकांश जनजातियों का लिखित संविधान नहीं होता। राष्ट्र-राज्य के भीतर उनकी राजनीतिक पहचान एकीकृत होती है, हालाँकि उन्हें स्वायत्तता प्राप्त हो सकती है। साक्षरता दर अक्सर निम्न होती है, हालांकि यह बदल रहा है।
प्रश्न 11: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की प्रमुख विशेषता क्या है?
- अनौपचारिक संबंध
- लचीली प्रक्रियाएँ
- पदानुक्रमित संरचना और स्पष्ट नियमों का पालन
- व्यक्तिगत पसंद पर आधारित निर्णय
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने आदर्श-प्रकार की नौकरशाही (Ideal-Type Bureaucracy) की कई विशेषताओं का वर्णन किया, जिनमें सबसे प्रमुख हैं – एक स्पष्ट पदानुक्रम, लिखित नियमों और प्रक्रियाओं का पालन, विशेषज्ञता, अवैयक्तिक संबंध और योग्यता के आधार पर चयन।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर का मानना था कि ये विशेषताएँ एक संगठन को कुशलतापूर्वक और निष्पक्ष रूप से संचालित करने में मदद करती हैं, हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यह ‘लोहे के पिंजरे’ (Iron Cage) का निर्माण कर सकती है।
- गलत विकल्प: अनौपचारिक संबंध, लचीली प्रक्रियाएँ और व्यक्तिगत पसंद नौकरशाही की दक्षता और निष्पक्षता के विपरीत हैं, जो इसके मुख्य सिद्धांत हैं।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का सबसे आम आधार क्या है?
- व्यक्तिगत प्रतिभा
- जन्म और अर्जित स्थिति
- केवल शिक्षा का स्तर
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को पदानुक्रमित व्यवस्था में विभाजित करने की प्रक्रिया है, जहाँ विभिन्न स्तरों (जैसे वर्ग, जाति) को अलग-अलग मात्रा में विशेषाधिकार, शक्ति और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। इसके आधार में अक्सर जन्म (जैसे जाति) और अर्जित स्थिति (जैसे धन, शिक्षा) दोनों शामिल होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: समाजशास्त्री जैसे डेविस और मूर ने स्तरीकरण के प्रकार्यात्मक महत्व पर जोर दिया, जबकि मार्क्स ने इसे उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण से जोड़ा। हालाँकि, इन दोनों में ही जन्म (वंशानुक्रम) और व्यक्ति की सामाजिक-आर्थिक स्थिति (अर्जित) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: केवल व्यक्तिगत प्रतिभा, शिक्षा का स्तर या व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्तरीकरण के पूर्ण आधार नहीं हैं, बल्कि ये कारक अक्सर सामाजिक स्तरीकरण के परिणामों या आंशिक कारणों के रूप में कार्य करते हैं।
प्रश्न 13: भारत में ‘आश्रम व्यवस्था’ का संबंध किससे है?
- राज्य का प्रशासन
- जीवन के चार चरण
- पारिवारिक संरचना
- धार्मिक अनुष्ठान
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आश्रम व्यवस्था हिन्दू सामाजिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो व्यक्ति के जीवन को चार चरणों (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास) में विभाजित करती है, प्रत्येक का अपना विशिष्ट कर्तव्य और उद्देश्य होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यवस्था व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों में उसके सामाजिक और आध्यात्मिक विकास के लिए एक ढाँचा प्रदान करती है। यह प्राचीन भारतीय समाज की जीवन-शैली का एक आदर्श मॉडल है।
- गलत विकल्प: इसका सीधा संबंध राज्य प्रशासन, पारिवारिक संरचना या केवल धार्मिक अनुष्ठानों से नहीं है, बल्कि यह एक जीवन-दर्शन और जीवन-जीने का एक क्रमबद्ध तरीका है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘ज्ञान का सामाजिक निर्माण’ (Social Construction of Knowledge) के सिद्धांत को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है?
- ज्ञान स्वाभाविक रूप से सत्य होता है।
- ज्ञान समाज और उसकी अंतःक्रियाओं द्वारा आकार लेता है।
- ज्ञान केवल वैज्ञानिक प्रयोगों से प्राप्त होता है।
- ज्ञान व्यक्तियों की व्यक्तिगत सोच तक सीमित है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘ज्ञान का सामाजिक निर्माण’ का सिद्धांत, जिसे पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन ने ‘The Social Construction of Reality’ में प्रतिपादित किया, बताता है कि हमारा ज्ञान, हमारे विश्वास और वास्तविकता की हमारी समझ समाज में हमारे सामाजिक अनुभवों और अंतःक्रियाओं से निर्मित होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जो चीजें हम ‘सच’ या ‘वास्तविक’ मानते हैं, वे समाज द्वारा साझा की गई परिभाषाओं, अर्थों और प्रतीकों का परिणाम होती हैं। भाषा, संस्कृति और सामाजिक संस्थाएं ज्ञान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- गलत विकल्प: ज्ञान स्वाभाविक रूप से सत्य नहीं होता, बल्कि सामाजिक रूप से सत्यापित होता है। यह केवल वैज्ञानिक प्रयोगों तक सीमित नहीं है, और न ही यह केवल व्यक्तिगत सोच तक।
प्रश्न 15: ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology) में, ‘भूरीयता’ (Gemeinschaft) और ‘गेशेलशाफ्ट’ (Gesellschaft) की अवधारणाओं का प्रयोग किसने किया?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- फर्डिनेंड टोनीस
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: फर्डिनेंड टोनीस ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (1887) में इन दो अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। भूरीयता (Gemeinschaft) उन सामाजिक बंधनों को दर्शाती है जो घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंधों पर आधारित होते हैं (जैसे परिवार, पड़ोस), जो ग्रामीण समाजों की विशेषता माने जाते हैं। गेशेलशाफ्ट (Gesellschaft) उन संबंधों को दर्शाता है जो औपचारिकता, व्यक्तिगत लाभ और अमूर्त नियमों पर आधारित होते हैं, जो आधुनिक शहरी समाजों की विशेषता हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणाएँ ग्रामीण और शहरी समाजों के बीच अंतर करने के लिए महत्वपूर्ण हैं और सामाजिक परिवर्तन को समझने में मदद करती हैं।
- गलत विकल्प: मार्क्स, दुर्खीम और वेबर ने सामाजिक संबंधों और समाज के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन ये विशिष्ट शब्दावली और अवधारणा टोनीस की है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी प्रक्रिया सामाजिक परिवर्तन का एक मुख्य कारक मानी जाती है?
- प्रौद्योगिकी का विकास
- धार्मिक अनुष्ठान
- व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा
- पारंपरिक जीवन शैली
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रौद्योगिकी का विकास (जैसे औद्योगिक क्रांति, सूचना क्रांति) सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख कारक रहा है। यह लोगों के काम करने, संवाद करने, यात्रा करने और जीवन जीने के तरीके को मौलिक रूप से बदल देता है, जिससे समाज में व्यापक बदलाव आते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: ऑग्बन के ‘सांस्कृतिक विलंब’ सिद्धांत में भी प्रौद्योगिकी को एक ऐसे तत्व के रूप में देखा गया जो अभौतिक संस्कृति की तुलना में तेज़ गति से बदलता है और समाज में नयापन लाता है।
- गलत विकल्प: धार्मिक अनुष्ठान, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और पारंपरिक जीवन शैली आमतौर पर सामाजिक स्थिरता बनाए रखने में योगदान करते हैं, या परिवर्तन की गति को धीमा कर सकते हैं, न कि स्वयं परिवर्तन के प्रमुख कारक के रूप में कार्य करते हैं।
प्रश्न 17: समाजशास्त्र में ‘विभेदित साहचर्य’ (Differential Association) का सिद्धांत किससे संबंधित है?
- गरीबी
- बाल अपराध और विचलन
- पारिवारिक विघटन
- शहरीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एडविन सदरलैंड ने ‘विभेदित साहचर्य’ का सिद्धांत विकसित किया, जो बताता है कि व्यक्ति अपराध करना इसलिए सीखता है क्योंकि वे ऐसे लोगों के संपर्क में आते हैं जो अपराध के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं और अपराध करने के औचित्य को सिखाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत अपराध और विचलन (Deviance) को सामाजिक सीखने की प्रक्रिया के रूप में देखता है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति अपने सामाजिक परिवेश से, विशेषकर अपने साथियों और परिवार से, आपराधिक व्यवहार के तरीके सीखता है।
- गलत विकल्प: जबकि गरीबी, पारिवारिक विघटन और शहरीकरण विचलन से संबंधित हो सकते हैं, ‘विभेदित साहचर्य’ सीधे तौर पर सीखने की प्रक्रिया की व्याख्या करता है, न कि इन सामाजिक स्थितियों की।
प्रश्न 18: ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) की प्रक्रिया, जो आधुनिकीकरण का एक केंद्रीय पहलू है, का विश्लेषण किस समाजशास्त्री ने सबसे प्रमुखता से किया?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ को आधुनिक पश्चिमी समाजों की एक प्रमुख विशेषता माना। उनका तर्क था कि समाज धीरे-धीरे पारंपरिक, भावनात्मक और करिश्माई सोच से हटकर अधिक गणनात्मक, कुशल और नियम-आधारित (‘तर्कसंगत’) तरीकों की ओर बढ़ रहा है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने इसे नौकरशाही, पूंजीवाद और कानून जैसे विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में देखा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह प्रक्रिया ‘लौह पिंजरे’ (Iron Cage) का निर्माण कर सकती है, जो मानव स्वतंत्रता को सीमित कर देती है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और एनोमी पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स वर्ग संघर्ष और आर्थिक व्यवस्था पर केंद्रित थे। ऑगस्ट कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक पिता माने जाते हैं और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 19: भारतीय समाज में, ‘पंथ’ (Sect) और ‘संप्रदाय’ (Church) के समान, ‘जाति’ (Caste) के संदर्भ में किस प्रकार के समूह पाए जाते हैं?
- वर्ग
- गोत्र
- उप-जाति (Sub-caste)
- वर्ग (Class)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जाति व्यवस्था एक जटिल पदानुक्रमित व्यवस्था है, जिसमें बड़ी जातियों (जिन्हें कभी-कभी ‘वर्ण’ के व्यापक श्रेणियों से जोड़ा जाता है) के भीतर कई ‘उप-जातियाँ’ (Sub-castes) या ‘कुल’ (Jatis) पाई जाती हैं। ये उप-जातियाँ विवाह, खान-पान और व्यवसाय के संबंध में अधिक सख्त नियम लागू करती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: जीएस घुरिये और एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने भारतीय जाति व्यवस्था के अध्ययन में उप-जातियों के महत्व को रेखांकित किया है। इन्हें अक्सर स्थानीय या क्षेत्रीय समूहों के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: वर्ग (Class) एक आर्थिक अवधारणा है जो मुख्य रूप से धन और आय पर आधारित है, जबकि जाति वंशानुगत है। गोत्र (Gotra) पितृवंशीय वंश का एक समूह है। ‘पंथ’ और ‘संप्रदाय’ धार्मिक समूहों के वर्गीकरण में प्रयुक्त होते हैं।
प्रश्न 20: ‘सांस्कृतिक विभिन्नीकरण’ (Cultural Differentiation) से आप क्या समझते हैं?
- सांस्कृतिक तत्वों का एक समान हो जाना
- एक ही समाज के भीतर विभिन्न उप-संस्कृतियों का विकास
- सभी संस्कृतियों का एक ही मूल से उत्पन्न होना
- संस्कृतियों का भौगोलिक विस्तार
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सांस्कृतिक विभिन्नीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक समाज के भीतर विभिन्न समूहों (जैसे वर्ग, जातीय समूह, क्षेत्रीय समूह) द्वारा अपनी विशेष पहचान, मूल्य, विश्वास और व्यवहार पैटर्न विकसित किए जाते हैं, जिससे उप-संस्कृतियाँ (Subcultures) जन्म लेती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह सामाजिक विविधता का एक परिणाम है और यह दर्शाता है कि कैसे एक ही समाज के भीतर लोगों के अनुभव और जीवन शैलियाँ भिन्न हो सकती हैं।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक एकरूपता (Cultural Uniformity) या आत्मसात्तिकरण (Assimilation) विभिन्नीकरण के विपरीत हैं। संस्कृतियों का एक मूल से उत्पन्न होना या भौगोलिक विस्तार सांस्कृतिक विकास के अन्य पहलुओं को दर्शाता है।
प्रश्न 21: समाजशास्त्र में ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति
- सामाजिक नेटवर्क और उन नेटवर्कों से प्राप्त होने वाले लाभ
- सरकारी योजनाएँ और सहायता
- शिक्षा और कौशल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक पूंजी से तात्पर्य उन सामाजिक नेटवर्कों, विश्वास, आपसी सहयोग और संबंधों से है जो व्यक्तियों या समूहों को लाभ पहुँचाते हैं। यह व्यक्तियों को उनके सामाजिक संबंधों के माध्यम से मिलने वाली ‘सहायता’ या ‘संसाधन’ है।
- संदर्भ एवं विस्तार: पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा पर काम किया है। यह उन नेटवर्कों की शक्ति को उजागर करती है जो सामाजिक और आर्थिक अवसरों तक पहुँच प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: वित्तीय संपत्ति को ‘आर्थिक पूंजी’ कहा जाता है। सरकारी योजनाएँ या शिक्षा और कौशल ‘मानव पूंजी’ (Human Capital) का हिस्सा हैं।
प्रश्न 22: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘सॉलिडैरिटी’ (Solidarity) का कौन सा रूप आधुनिक, औद्योगिक समाजों की विशेषता है?
- यांत्रिक सॉलिडैरिटी
- सावयवी सॉलिडैरिटी
- एनोमिक सॉलिडैरिटी
- एनोमिक सॉलिडैरिटी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: दुर्खीम ने ‘सावयवी सॉलिडैरिटी’ (Organic Solidarity) को आधुनिक, जटिल समाजों की विशेषता बताया। यह श्रम के विभाजन और व्यक्तियों की परस्पर निर्भरता पर आधारित होती है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति समाज के एक विशिष्ट कार्य को करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: ‘The Division of Labour in Society’ में, दुर्खीम ने तर्क दिया कि पूर्व-आधुनिक समाजों में ‘यांत्रिक सॉलिडैरिटी’ (Mechanical Solidarity) पाई जाती थी, जो साझा विश्वासों, मूल्यों और समानताओं पर आधारित थी। आधुनिक समाजों में, लोग एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, लेकिन इस भिन्नता के कारण वे एक-दूसरे पर अधिक निर्भर होते हैं, जो सावयवी सॉलिडैरिटी को जन्म देता है।
- गलत विकल्प: यांत्रिक सॉलिडैरिटी पूर्व-आधुनिक समाजों से जुड़ी है। एनोमिक सॉलिडैरिटी कोई मान्य शब्द नहीं है; एनोमी एक स्थिति है, सॉलिडैरिटी का प्रकार नहीं।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा कार्ल मार्क्स का ‘पूंजीवाद’ के विश्लेषण का केंद्रीय तत्व है?
- सांस्कृतिक सापेक्षवाद
- वर्ग संघर्ष
- प्रत्यक्षवाद
- सामाजिक स्तरीकरण का प्रकार्यवाद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद की मुख्य विशेषता ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) है, जो उत्पादन के साधनों के स्वामित्व पर आधारित दो मुख्य वर्गों – बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (मजदूर वर्ग) – के बीच निरंतर टकराव है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने ‘दास कैपिटल’ और ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ जैसी अपनी रचनाओं में तर्क दिया कि यह संघर्ष इतिहास को संचालित करता है और अंततः पूंजीवाद को उखाड़ फेंकेगा।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक सापेक्षवाद का संबंध नृविज्ञान से है। प्रत्यक्षवाद ऑगस्ट कॉम्टे से जुड़ा है। सामाजिक स्तरीकरण का प्रकार्यवाद डेविस और मूर जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवादियों द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
प्रश्न 24: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ के संदर्भ में, ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?
- अपनी ही जाति के भीतर विवाह करना
- विभिन्न जातियों के बीच विवाह करना
- अपने ही गोत्र में विवाह करना
- अंतर-जातीय विवाह करना
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: अंतर्विवाह (Endogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना आवश्यक है। यह जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता है जो जाति की सीमाओं को बनाए रखती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रथा सुनिश्चित करती है कि जातिगत पहचान और पदानुक्रम पीढ़ी दर पीढ़ी बने रहें। इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है किसी विशेष समूह (जैसे गोत्र) से बाहर विवाह करना।
- गलत विकल्प: विभिन्न जातियों या अंतर-जातीय विवाह (Inter-caste marriage) बहिर्विवाह के प्रकार हैं, न कि अंतर्विवाह। अपने गोत्र में विवाह करना भी जाति के नियमों के अनुसार वर्जित हो सकता है।
प्रश्न 25: समाजशास्त्र में ‘अनुसंधान पद्धति’ (Research Methodology) का क्या उद्देश्य है?
- सामाजिक घटनाओं का सुंदर वर्णन करना
- सामाजिक दुनिया को व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से समझना
- केवल व्यक्तिगत राय एकत्र करना
- सामाजिक समस्याओं का राजनीतिक समाधान खोजना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: अनुसंधान पद्धति समाजशास्त्रियों को सामाजिक दुनिया को व्यवस्थित, तार्किक और वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए उपकरण और सिद्धांत प्रदान करती है। यह बताती है कि डेटा कैसे एकत्र किया जाए, उसका विश्लेषण कैसे किया जाए और निष्कर्ष कैसे निकाले जाएं।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसमें मात्रात्मक (Quantitative) और गुणात्मक (Qualitative) दोनों तरह की विधियाँ शामिल हैं, जैसे सर्वेक्षण, साक्षात्कार, नृवंशविज्ञान, सामग्री विश्लेषण आदि। इसका लक्ष्य सामाजिक घटनाओं की व्याख्या करना और सामान्यीकरण करना है।
- गलत विकल्प: यह केवल सुंदर वर्णन करने या व्यक्तिगत राय एकत्र करने तक सीमित नहीं है। जबकि समाजशास्त्र सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करता है, पद्धति का मुख्य उद्देश्य ‘वैज्ञानिक समझ’ प्राप्त करना है, न कि सीधे तौर पर ‘राजनीतिक समाधान’ खोजना, हालांकि यह समाधानों के लिए जानकारी प्रदान कर सकता है।