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समाजशास्त्र की दैनिक जंग: अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र की दैनिक जंग: अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र के महासागर में गोता लगाने के लिए तैयार हो जाइए! आज का दैनिक क्विज़ आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखने और विश्लेषणात्मक कौशल को पैना करने का एक सुनहरा अवसर है। आइए, अपनी तैयारी को एक नई दिशा दें और महत्वपूर्ण अवधारणाओं पर अपनी पकड़ को और मजबूत करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का कौन सा सिद्धांत मानता है कि समाज के भीतर असमानताएँ समाज के कामकाज के लिए आवश्यक हैं?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. कार्यात्मकता (Functionalism)
  4. फेमिनिस्ट सिद्धांत (Feminist Theory)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: कार्यात्मकता (Functionalism) सिद्धांत, विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis and Moore) के कार्य में, यह तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण आवश्यक है क्योंकि यह समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण पदों को सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा भरे जाने को सुनिश्चित करता है, जो इन पदों के साथ आने वाले पुरस्कारों (जैसे धन, प्रतिष्ठा) के माध्यम से प्रेरित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण मानता है कि असमानताएँ समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने के लिए एक प्रकार्यात्मक (functional) भूमिका निभाती हैं।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory), विशेष रूप से कार्ल मार्क्स से जुड़ा, असमानता को शोषण और सत्ता संघर्ष के परिणाम के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) व्यक्ति-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। फेमिनिस्ट सिद्धांत (Feminist Theory) लैंगिक असमानता पर प्रकाश डालता है।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने ‘आत्महत्या’ (Suicide) नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में किस प्रकार की आत्महत्या का वर्णन किया है, जो व्यक्ति के सामाजिक एकीकरण (social integration) के अत्यधिक निम्न स्तर से उत्पन्न होती है?

  1. अहंवादी आत्महत्या (Egoistic Suicide)
  2. परार्थवादी आत्महत्या (Altruistic Suicide)
  3. अनोमिक आत्महत्या (Anomic Suicide)
  4. भाग्यवादी आत्महत्या (Fatalistic Suicide)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अहंवादी आत्महत्या (Egoistic Suicide) का वर्णन उस स्थिति के रूप में किया है जो तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति सामाजिक समूहों से कमजोर रूप से जुड़ा होता है, जिससे अलगाव और अर्थहीनता की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह तब होता है जब समाज अपने सदस्यों को पर्याप्त समर्थन या दिशा प्रदान नहीं करता है, जिससे व्यक्ति के लिए सामाजिक ताने-बाने से जुड़ाव महसूस करना मुश्किल हो जाता है।
  • गलत विकल्प: परार्थवादी आत्महत्या (Altruistic Suicide) अत्यधिक उच्च एकीकरण से उत्पन्न होती है (जहां व्यक्ति समूह के लिए अपना जीवन बलिदान कर देता है)। अनोमिक आत्महत्या (Anomic Suicide) सामाजिक नियमों में अचानक बदलाव या अनिश्चितता से उत्पन्न होती है। भाग्यवादी आत्महत्या (Fatalistic Suicide) अत्यधिक दमनकारी परिस्थितियों में होती है।

प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स (Karl Marx) के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिकों द्वारा अनुभव की जाने वाली ‘अलगाव’ (Alienation) की सबसे महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति क्या है?

  1. उत्पाद से अलगाव (Alienation from the product)
  2. उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव (Alienation from the process of production)
  3. साथी मनुष्यों से अलगाव (Alienation from fellow human beings)
  4. अपनी प्रजाति-सार (species-essence) से अलगाव (Alienation from their species-essence)
  5. उपरोक्त सभी

उत्तर: (e)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन के तहत अलगाव के चार मुख्य रूपों का वर्णन किया है: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, साथी मनुष्यों से अलगाव, और अपनी प्रजाति-सार (मानवीय क्षमता) से अलगाव।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के लिए, अलगाव श्रमिक को उसके काम, उसके उत्पाद, उसके सहकर्मियों और अंततः खुद से अलग कर देता है, जिससे वह शक्तिहीन और निरर्थक महसूस करता है।
  • गलत विकल्प: इनमें से कोई भी विकल्प गलत नहीं है; सभी मार्क्स द्वारा पहचानी गई अलगाव की अभिव्यक्तियाँ हैं।

प्रश्न 4: मैक्स वेबर (Max Weber) ने नौकरशाही (Bureaucracy) की अवधारणा को किसके साथ जोड़ा?

  1. पारंपरिक अधिकार (Traditional Authority)
  2. करिश्माई अधिकार (Charismatic Authority)
  3. तर्कसंगत-कानूनी अधिकार (Rational-Legal Authority)
  4. अधिकार का मिश्रण (A mix of authorities)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-कानूनी अधिकार (Rational-Legal Authority) के आदर्श प्रारूप (ideal type) के रूप में पहचाना।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार के अधिकार में, शक्ति नियमों, कानूनों और प्रक्रियाओं के एक स्थापित सेट में निहित होती है, न कि व्यक्ति के करिश्मे या परंपरा में। नौकरशाही, वेबर के अनुसार, दक्षता और निष्पक्षता के लिए एक तर्कसंगत तरीका है।
  • गलत विकल्प: पारंपरिक अधिकार वंशानुगत या रीति-रिवाजों पर आधारित होता है (जैसे राजशाही)। करिश्माई अधिकार किसी व्यक्ति के असाधारण गुणों पर आधारित होता है (जैसे एक महान नेता)।

प्रश्न 5: जी.एच. मीड (G.H. Mead) द्वारा विकसित ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर है?

  1. सामाजिक संरचनाएँ और व्यवस्थाएँ
  2. सामाजिक वर्ग और संघर्ष
  3. व्यक्तिगत अंतःक्रियाएँ और प्रतीकों का अर्थ
  4. समूहों और समुदायों की कार्यात्मकता

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: जी.एच. मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के संस्थापक पिताओं में से एक, ने इस बात पर जोर दिया कि समाज व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होता है, जो प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) पर आधारित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस बात की पड़ताल करता है कि व्यक्ति अपने आसपास की दुनिया को कैसे समझते हैं और कैसे वे साझा अर्थों के माध्यम से अपनी स्वयं की पहचान और सामाजिक वास्तविकता का निर्माण करते हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प क्रमशः संरचनात्मक कार्यात्मकता, मार्क्सवाद और संघर्ष सिद्धांत के फोकस क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने भारतीय समाज के संदर्भ में किस अवधारणा को प्रस्तुत किया, जो निचली जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. आधुनिकीकरण (Modernization)
  3. संस्कृतिकरण (Sanskritization)
  4. धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द गढ़ा, जिसका अर्थ है कि निम्न सामाजिक या जातीय समूह उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों, धर्मशास्त्रों, जीवन शैली और विचारों को अपनाते हैं ताकि अपनी स्थिति को बेहतर बनाया जा सके।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया विशेष रूप से जाति व्यवस्था के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहाँ यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप प्रदान करती है। उन्होंने इसे अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तावित किया था।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृतियों के तत्वों को अपनाने से संबंधित है, जबकि आधुनिकीकरण तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों को संदर्भित करता है। धर्मनिरपेक्षीकरण धार्मिक प्रभावों में कमी को दर्शाता है।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘धर्म’ (Caste) को एक सामाजिक स्तरीकरण की प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसकी प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?

  1. जाति आधारित व्यवसाय (Caste-based occupation)
  2. अंतर्विवाह (Endogamy)
  3. पदानुक्रमित व्यवस्था (Hierarchical arrangement)
  4. सामाजिक बहिष्कार (Social exclusion)
  5. उपरोक्त सभी

उत्तर: (e)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं में जाति-आधारित व्यवसाय, कड़ाई से अंतर्विवाह (समान जाति में विवाह), विभिन्न जातियों के बीच एक स्पष्ट पदानुक्रम और उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों का सामाजिक बहिष्कार शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये विशेषताएँ मिलकर जाति को भारतीय समाज में एक अनूठी और कठोर स्तरीकरण प्रणाली बनाती हैं।
  • गलत विकल्प: सभी विकल्प जाति व्यवस्था के परिभाषित लक्षण हैं।

प्रश्न 8: रॉबर्ट मर्ता (Robert Merton) ने ‘अनुकूली विचलन’ (Deviant Adaptation) के अपने सिद्धांत में ‘अनोमी’ (Anomie) की स्थिति का वर्णन करने के लिए कौन सी शब्दावली गढ़ी?

  1. सांस्कृतिक लक्ष्य बनाम संस्थागत माध्यम (Cultural goals vs. Institutional means)
  2. सामाजिक एकीकरण (Social integration)
  3. प्रतीकात्मक अंतःक्रिया (Symbolic interaction)
  4. सामूहिक प्रतिनिधित्व (Collective representation)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: रॉबर्ट मर्ता ने ‘सांस्कृतिक लक्ष्य’ (जैसे सफलता की इच्छा) और ‘संस्थागत माध्यम’ (उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समाज द्वारा स्वीकृत तरीके) के बीच विसंगति को अनोमी के रूप में वर्णित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: जब ये दोनों तत्व असंतुलित हो जाते हैं, तो व्यक्ति अपराध या अन्य प्रकार के विचलन का सहारा ले सकता है। मर्ता ने इस विसंगति के आधार पर विचलन के विभिन्न पैटर्न (जैसे नवाचार, अनुष्ठानवाद, पलायनवाद, विद्रोह) प्रस्तुत किए।
  • गलत विकल्प: सामाजिक एकीकरण दुर्खीम से संबंधित है, प्रतीकात्मक अंतःक्रिया जी.एच. मीड से, और सामूहिक प्रतिनिधित्व दुर्खीम से।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की मुख्य विशेषता है, जैसा कि चार्ल्स कूले (Charles Cooley) द्वारा परिभाषित किया गया है?

  1. औपचारिकता और बड़े पैमाने पर सदस्यता
  2. अस्थायी संबंध और विशिष्ट उद्देश्य
  3. आमने-सामने की निकटता और घनिष्ठ, व्यक्तिगत संबंध
  4. पदानुक्रमित संरचना और विशिष्ट भूमिकाएँ

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: चार्ल्स कूले ने प्राथमिक समूह को “आमने-सामने की निकटता और घनिष्ठ, व्यक्तिगत संबंधों” के रूप में परिभाषित किया, जो समूह की सदस्यता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। परिवार, मित्र मंडली और बचपन के खेल समूह इसके उदाहरण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूह सामाजिक निर्माण और व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प ‘द्वितीयक समूहों’ (Secondary Groups) की विशेषताओं का वर्णन करते हैं, जो अक्सर बड़े, अवैयक्तिक और उद्देश्य-उन्मुख होते हैं।

प्रश्न 10: भारतीय समाज में, ‘वंशानुक्रम’ (Kinship) प्रणाली को अक्सर ‘रेखा’ (Lineage) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। ‘मातृवंशीय’ (Matrilineal) वंशानुक्रम में, वंशानुक्रम और संपत्ति का हस्तांतरण किस दिशा में होता है?

  1. पिता से पुत्र की ओर
  2. माँ से बेटी की ओर
  3. पिता से बेटी की ओर
  4. माँ से पुत्र की ओर

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मातृवंशीय (Matrilineal) वंशानुक्रम प्रणाली में, वंशानुक्रम, संपत्ति और उपाधि माँ से उसके पुत्र (या उसके परिवार की महिलाओं के माध्यम से) को हस्तांतरित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पितृवंशीय (Patrilineal) प्रणाली के विपरीत है, जहाँ यह पिता से पुत्र की ओर होता है। भारत में, कुछ समुदायों में मातृवंशीय व्यवस्था पाई जाती है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प पितृवंशीय या अन्य गैर-मानक हस्तांतरण को दर्शाते हैं।

प्रश्न 11: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘निगमन’ (Deduction) दृष्टिकोण का क्या अर्थ है?

  1. सामान्य सिद्धांतों से शुरू करके विशिष्ट अवलोकनों तक पहुंचना।
  2. विशिष्ट अवलोकनों से शुरू करके सामान्य सिद्धांत विकसित करना।
  3. अवलोकनों के बीच संबंधों को स्थापित करना।
  4. मानव व्यवहार के व्यक्तिपरक अर्थों को समझना।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: निगमन (Deduction) एक शोध विधि है जो एक सामान्य सिद्धांत या परिकल्पना (hypothesis) से शुरू होती है और फिर उस सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए विशिष्ट डेटा या अवलोकन एकत्र करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ‘आगमन’ (Induction) के विपरीत है, जो विशिष्ट अवलोकनों से शुरू होकर सामान्य सिद्धांत तक पहुँचता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) आगमन का वर्णन करता है, जबकि (c) और (d) क्रमशः सहसंबंधात्मक अध्ययन और व्याख्यात्मक विधियों के पहलू हो सकते हैं।

प्रश्न 12: ‘संस्था’ (Institution) के समाजशास्त्रीय अर्थ में, कौन सा निम्नलिखित में से एक सामाजिक संस्था का उदाहरण **नहीं** है?

  1. परिवार (Family)
  2. शिक्षा (Education)
  3. धर्म (Religion)
  4. पड़ोस (Neighbourhood)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में, एक संस्था एक स्थापित और स्थायी सामाजिक पैटर्न या सामाजिक व्यवहार का ढाँचा है जो किसी विशेष सामाजिक कार्य या उद्देश्य को पूरा करता है। परिवार, शिक्षा और धर्म प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं। पड़ोस एक भौगोलिक या सामाजिक क्षेत्र हो सकता है, लेकिन यह इन संस्थाओं के समान संरचनात्मक और कार्यात्मक अर्थ नहीं रखता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संस्थाएँ समाज को व्यवस्थित और पूर्वानुमेय तरीके से कार्य करने में मदद करती हैं।
  • गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और धर्म सभी अच्छी तरह से स्थापित सामाजिक संस्थाएँ हैं जिनके अपने नियम, भूमिकाएँ और कार्य होते हैं।

प्रश्न 13: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के अध्ययन में, **’आधुनिकीकरण सिद्धांत’** (Modernization Theory) मुख्य रूप से किस पर जोर देता है?

  1. पश्चिमी संस्कृतियों के नकारात्मक प्रभाव
  2. विकासशील समाजों में पारंपरिक से आधुनिक की ओर संक्रमण
  3. वैश्विक पूंजीवाद और उपनिवेशवाद का प्रभाव
  4. संसाधनों का पुनर्वितरण और वर्ग संघर्ष

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण सिद्धांत मानता है कि समाज पारंपरिक, कृषि-आधारित अवस्थाओं से विकसित होकर आधुनिक, औद्योगिक और शहरी अवस्थाओं में परिवर्तित होते हैं। यह प्रक्रिया अक्सर पश्चिमी समाजों को मॉडल के रूप में देखती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें तकनीकी विकास, धर्मनिरपेक्षीकरण, शहरीकरण और लोकतांत्रिक संस्थाओं का उदय शामिल है।
  • गलत विकल्प: (a) आधुनिकीकरण के विरोधियों का दृष्टिकोण हो सकता है। (c) और (d) निर्भरता सिद्धांत (Dependency Theory) और मार्क्सवादी दृष्टिकोण के पहलू हैं, जो आधुनिकीकरण सिद्धांत से भिन्न हैं।

प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का कौन सा प्रकार व्यक्ति के जीवनकाल में होने वाले परिवर्तन को संदर्भित करता है, जैसे कि एक व्यक्ति निम्न सामाजिक वर्ग से उच्च सामाजिक वर्ग में पदोन्नत होता है?

  1. अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility)
  2. अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intragenerational Mobility)
  3. ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
  4. क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intragenerational Mobility) एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में सामाजिक स्थिति में होने वाले परिवर्तन को संदर्भित करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) एक प्रकार की अंतः-पीढ़ीगत या अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता है जो स्थिति में ऊपर या नीचे की ओर परिवर्तन को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility) विभिन्न पीढ़ियों के बीच सामाजिक स्थिति में परिवर्तन को मापती है (जैसे पिता से पुत्र तक)। क्षैतिज गतिशीलता एक ही स्तर पर स्थिति में परिवर्तन है।

प्रश्न 15: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) की ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) की अवधारणा के अनुसार, सामाजिक जीवन को किस रूप में देखा जाता है?

  1. एक तर्कसंगत और सुनियोजित प्रक्रिया
  2. एक कच्चा और अनियंत्रित व्यवहार
  3. एक मंच पर प्रदर्शन, जहाँ व्यक्ति अपनी भूमिकाएँ निभाते हैं
  4. एक पूर्व-निर्धारित सामाजिक संरचना का अनुपालन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) का सिद्धांत विकसित किया, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि सामाजिक जीवन एक मंच की तरह है जहाँ व्यक्ति अपनी स्वयं की छवि को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न ‘भूमिकाएँ’ (roles) निभाते हैं और ‘सामने’ (front stage) पर प्रदर्शन करते हैं, जबकि ‘पर्दे के पीछे’ (back stage) अधिक अनौपचारिक व्यवहार करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह लोगों के अपने व्यवहार को सामाजिक अपेक्षाओं और अन्य लोगों की धारणाओं के अनुसार प्रस्तुत करने के तरीके पर प्रकाश डालता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प गॉफमैन के नाटकीय दृष्टिकोण के विपरीत हैं, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से प्रभावित था।

प्रश्न 16: भारत में ‘अनुसूचित जाति’ (Scheduled Caste) की अवधारणा ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान सामाजिक न्याय के प्रयास के रूप में उभरी। इन समुदायों को ऐतिहासिक रूप से किस समस्या का सामना करना पड़ा है?

  1. जातिगत भेदभाव और बहिष्कार (Caste discrimination and exclusion)
  2. भूमि का स्वामित्व (Land ownership)
  3. रोजगार के अवसर (Employment opportunities)
  4. शैक्षणिक पहुँच (Educational access)
  5. उपरोक्त सभी

उत्तर: (e)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: अनुसूचित जातियों को लंबे समय से गंभीर जातिगत भेदभाव, सामाजिक बहिष्कार, भूमि से वंचित रखने, सीमित रोजगार के अवसर और शैक्षणिक पहुँच में बाधाओं का सामना करना पड़ा है। ‘अनुसूचित’ (Scheduled) शब्द का प्रयोग ब्रिटिश सरकार द्वारा इन ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों को पहचानने के लिए किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान इन समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
  • गलत विकल्प: सभी विकल्प अनुसूचित जातियों द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियाँ हैं।

प्रश्न 17: ‘कुल समूह’ (Total Institution) की अवधारणा, जिसे इर्विंग गॉफमैन ने विकसित किया, किस प्रकार के सामाजिक वातावरण का वर्णन करती है?

  1. खुले और गतिशील सामाजिक समूह
  2. जहाँ व्यक्ति समाज से पूरी तरह से अलग हो जाते हैं और उन पर सख्त नियंत्रण रखा जाता है
  3. जहाँ व्यक्ति मुक्त रूप से संवाद करते हैं
  4. जहाँ व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाए रखते हैं

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: गॉफमैन ने ‘कुल समूह’ (Total Institution) को ऐसे स्थानों के रूप में परिभाषित किया जहाँ कई प्रकार के लोग एक ही स्थान पर, एक ही दैनिक गतिविधियों में, एक ही प्राधिकारी के नियंत्रण में, एक ही प्रकार के अनुष्ठानों के साथ, एक ही लक्ष्य के लिए व्यवस्थित होते हैं, जैसे कि जेल, मानसिक अस्पताल, मठ या सैन्य बैरक।
  • संदर्भ और विस्तार: इन संस्थानों में, व्यक्तियों को उनके बाहरी समाज से अलग कर दिया जाता है, और उनकी पहचान को अक्सर ‘धोया’ (stripped) जाता है और नए नियमों और भूमिकाओं के अनुसार पुनर्निर्माण किया जाता है।
  • गलत विकल्प: ये वर्णन कुल समूहों की बंद, नियंत्रित और अलगाववादी प्रकृति के विपरीत हैं।

  • प्रश्न 18: समाजशास्त्र में, ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) का क्या अर्थ है?

    1. लोगों की व्यक्तिगत भावनाएँ और विचार
    2. समाज के भीतर स्थिर और स्थायी पैटर्न, रिश्ते और संगठन
    3. समाज के अचानक और अराजक परिवर्तन
    4. सामाजिक समूहों के बीच अनौपचारिक संबंध

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न तत्वों (जैसे संस्थाएँ, भूमिकाएँ, वर्ग, समूह) के बीच पैटर्न वाले, स्थिर संबंधों और व्यवस्थाओं को संदर्भित करती है जो समाज को एक एकीकृत संपूर्ण के रूप में कार्य करने की अनुमति देते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाज की ‘रूपरेखा’ या ‘ढाँचा’ है जो सामाजिक जीवन को आकार देता है।
    • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत भावनाओं और विचारों को ‘सामाजिक क्रिया’ (social action) या ‘संस्कृति’ (culture) के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है। (c) सामाजिक परिवर्तन को दर्शाता है। (d) अनौपचारिक संबंधों को दर्शाता है, जो संरचना का केवल एक पहलू है।

    प्रश्न 19: किस समाजशास्त्री ने ‘ज्ञान की समाजशास्त्रीय समझ’ (Sociology of Knowledge) का विकास किया, जिसमें यह तर्क दिया गया कि हमारा ज्ञान और विश्वास सामाजिक रूप से निर्मित होते हैं?

    1. कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
    2. मैक्स वेबर (Max Weber)
    3. पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन (Peter Berger and Thomas Luckmann)
    4. एमील दुर्खीम (Émile Durkheim)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन ने अपनी पुस्तक ‘द सोशल कंस्ट्रक्शन ऑफ रियलिटी’ (The Social Construction of Reality) में तर्क दिया कि हमारा ज्ञान, हमारी चेतना और स्वयं वास्तविकता सामाजिक रूप से निर्मित होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: वे मानते थे कि व्यक्ति सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से दुनिया के बारे में अर्थ और समझ विकसित करते हैं।
    • गलत विकल्प: मार्क्स ने उत्पादन के साधनों और वर्ग संघर्ष के माध्यम से सामाजिक चेतना को प्रभावित करने की बात की, लेकिन बर्जर और लकमैन की तरह ‘ज्ञान के निर्माण’ पर विशेष ध्यान नहीं दिया। वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ पर जोर दिया, जो अर्थ की समझ से संबंधित है। दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ (collective consciousness) की बात की।

    प्रश्न 20: भारतीय समाज में ‘आदिवासियों’ (Tribal Communities) से संबंधित कौन सी विशेषता उन्हें अन्य समुदायों से अलग करती है?

    1. एक विशिष्ट भाषा और संस्कृति (A distinct language and culture)
    2. जंगल या पहाड़ी क्षेत्रों में निवास (Residence in forest or hilly areas)
    3. सांस्कृतिक अलगाव और जातीय पहचान (Cultural isolation and ethnic identity)
    4. अस्पष्ट सामाजिक-आर्थिक स्थिति (Vague socio-economic status)
    5. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (e)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: भारतीय आदिवासी समुदायों की सामान्य विशेषताओं में अक्सर एक विशिष्ट भाषा, अनूठी सांस्कृतिक परंपराएँ, जंगल या दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में निवास, बाहरी समाज से अपेक्षाकृत सांस्कृतिक अलगाव और एक मजबूत जातीय पहचान शामिल होती है। उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति अक्सर मुख्यधारा के समाज की तुलना में अनिश्चित और वंचित रही है।
    • संदर्भ और विस्तार: इन विशेषताओं ने उन्हें भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता का एक महत्वपूर्ण और विशिष्ट हिस्सा बनाया है।
    • गलत विकल्प: ये सभी विशेषताएँ आदिवासी समुदायों को परिभाषित करने में सहायक होती हैं।

    प्रश्न 21: ‘लैंगिक भूमिका’ (Gender Role) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, यह मुख्य रूप से _______ के माध्यम से सीखी जाती है?

    1. जैविक नियतिवाद (Biological determinism)
    2. सामाजिक समाजीकरण (Socialization)
    3. व्यक्तिगत पसंद (Individual choice)
    4. आनुवंशिक प्रभाव (Genetic influence)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: समाजशास्त्र में, लैंगिक भूमिकाओं को मुख्य रूप से सामाजिक समाजीकरण (Socialization) की प्रक्रिया के माध्यम से सीखा जाता है, जहाँ व्यक्ति परिवार, स्कूल, मीडिया और अन्य सामाजिक अभिकर्ताओं से अपेक्षाएँ और व्यवहार सीखते हैं जो उनकी संस्कृति में पुरुष या महिला होने से जुड़े होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह जैविक नियतिवाद के विपरीत है, जो मानता है कि ये भूमिकाएँ जन्मजात हैं।
    • गलत विकल्प: जैविक नियतिवाद और आनुवंशिक प्रभाव को लैंगिक भूमिकाओं की व्याख्या के रूप में खारिज किया जाता है; व्यक्तिगत पसंद महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन भूमिकाएँ मुख्य रूप से सीखी जाती हैं।

    प्रश्न 22: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया के संबंध में, ‘सामुदायिक भावना’ (Sense of Community) पर लुईस विर्थ (Louis Wirth) के काम का मुख्य तर्क क्या था?

    1. शहरीकरण सामुदायिक भावना को बढ़ाता है।
    2. शहरीकरण सामुदायिक भावना को कमजोर करता है।
    3. शहरीकरण सामुदायिक भावना को अपरिवर्तित रखता है।
    4. शहरीकरण विभिन्न प्रकार की सामुदायिक भावनाएँ उत्पन्न करता है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: लुईस विर्थ ने अपने ‘शहरीवाद’ (Urbanism) पर लेख में तर्क दिया कि शहरी वातावरण की विशेषताएँ, जैसे बड़ी आबादी, घनत्व और विषमजातीयता (heterogeneity), व्यक्ति-से-व्यक्ति संबंधों को कमजोर करती हैं और ‘प्राथमिक संबंधों’ (primary relations) पर आधारित पारंपरिक सामुदायिक भावना को कम करती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: शहरी जीवन अक्सर अधिक अवैयक्तिक और सतही होता है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प विर्थ के सिद्धांत से भिन्न हैं।

    प्रश्न 23: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के संदर्भ में, ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?

    1. किसी भी जाति में विवाह करना
    2. एक ही उप-जाति या जाति के भीतर विवाह करना
    3. विभिन्न जातियों के बीच विवाह करना
    4. केवल उच्च जाति में विवाह करना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: अंतर्विवाह (Endogamy) का अर्थ है एक ऐसे समूह के भीतर विवाह करना जिसके व्यक्ति सदस्य हैं, विशेष रूप से अपनी स्वयं की जाति या उप-जाति के भीतर। यह जाति व्यवस्था की एक मौलिक विशेषता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह जाति की सीमाओं को बनाए रखने और जातिगत पहचान को संरक्षित करने में मदद करता है।
    • गलत विकल्प: (a) एक सामान्य विवाह की अनुमति देता है। (c) अंतरजातीय विवाह (Exogamy) है। (d) केवल उच्च जाति में विवाह करने का प्रतिबंध एक प्रकार का अंतर्विवाह है, लेकिन (b) अधिक व्यापक परिभाषा है।

    प्रश्न 24: समाजशास्त्र में ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. यह सुनिश्चित करना कि व्यक्ति समाज के नियमों और मूल्यों को सीखें और आत्मसात करें।
    2. यह सुनिश्चित करना कि व्यक्ति केवल व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करें।
    3. यह सुनिश्चित करना कि व्यक्ति समाज के विरुद्ध विद्रोह करें।
    4. यह सुनिश्चित करना कि व्यक्ति नए कौशल सीखें।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज के सदस्य बनना सीखते हैं। यह उन्हें समाज के सांस्कृतिक मानदंडों, मूल्यों, विश्वासों, भाषाओं और भूमिकाओं को सीखने और आंतरिक बनाने में मदद करती है, जिससे वे सामाजिक व्यवस्था में भाग ले सकें।
    • संदर्भ और विस्तार: यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जो व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है।
    • गलत विकल्प: (b) और (c) सामाजिकरण के प्राथमिक उद्देश्य नहीं हैं। (d) नए कौशल सीखना सामाजिकरण का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह मुख्य उद्देश्य नहीं है।

    प्रश्न 25: किस भारतीय समाजशास्त्री ने ‘प्रभु जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है कि एक गाँव में, एक जाति, चाहे उसकी संख्यात्मक शक्ति कम ही क्यों न हो, स्थानीय भूमि स्वामित्व, संख्यात्मक श्रेष्ठता और राजनीतिक शक्ति के आधार पर गाँव के जीवन को नियंत्रित करती है?

    1. टी. के. ओमेन (T.K. Oommen)
    2. एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas)
    3. इरावती कर्वे (Iravati Karve)
    4. योगेंद्र सिंह (Yogendra Singh)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘प्रभु जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा का प्रस्ताव दिया, जो एक गाँव में सबसे प्रभावशाली जाति का वर्णन करती है, जो अक्सर भूमि स्वामित्व, संख्यात्मक बहुमत और कुछ हद तक राजनीतिक और अनुष्ठानिक प्रतिष्ठा के संयोजन पर आधारित होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा भारतीय गाँवों में शक्ति संरचनाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: अन्य सूचीबद्ध समाजशास्त्रियों ने भारतीय समाज पर महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, लेकिन ‘प्रभु जाति’ की अवधारणा विशेष रूप से श्रीनिवास से जुड़ी है।

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