समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज की इस विशेष प्रश्नोत्तरी के साथ अपने ज्ञान की धार को और पैना करें। हम आपके लिए लेकर आए हैं समाजशास्त्र के हर पहलू को छूने वाले 25 नए प्रश्न। अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल का परीक्षण करें और आज ही अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- विलियम एफ. ओगबर्न
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विलियम एफ. ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज” (1922) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा पेश की। उनका तर्क था कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनें) अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, मानदंड, संस्थाएँ) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे सामंजस्य की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जब समाज नई तकनीकें या भौतिक आविष्कार अपनाता है, तो सामाजिक मानदंड, मूल्य और संस्थाएँ अक्सर उस गति से अनुकूलित नहीं हो पातीं। यह अंतर सामाजिक तनाव और समस्याओं को जन्म दे सकता है।
- अincorrect विकल्प: मैक्स वेबर ने “वर्टेहेन” (Verstehen) और “आदर्श प्रारूप” (Ideal Type) जैसी अवधारणाएं दीं। एमिल दुर्खीम ने “सामूहिकता की चेतना” (Collective Conscience) और “एनामी” (Anomie) जैसी अवधारणाओं पर काम किया। कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) पर था।
प्रश्न 2: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्री “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के प्रमुख विचारकों में से एक नहीं है?
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- हर्बर्ट ब्लूमर
- चार्ल्स कूले
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम को कार्यात्मकतावाद (Functionalism) और समाजशास्त्र में वस्तुनिष्ठ (objective) पद्धतियों के अग्रदूतों में गिना जाता है, न कि प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) परिप्रेक्ष्य है जो इस बात पर ज़ोर देता है कि व्यक्ति अपने आसपास की दुनिया को अर्थ कैसे प्रदान करते हैं, मुख्य रूप से प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने “स्व” (Self) और “समाज” के विकास में प्रतीकों की भूमिका पर बल दिया, और हर्बर्ट ब्लूमर ने इस सिद्धांत को औपचारिक रूप दिया। चार्ल्स कूले का “लुकिंग-ग्लास सेल्फ” (Looking-glass Self) सिद्धांत भी प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़ा है।
- अincorrect विकल्प: मीड, ब्लूमर और कूले सभी प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख व्यक्ति हैं। दुर्खीम का कार्य संरचनात्मक कार्यात्मकतावाद से अधिक जुड़ा है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किस सामाजिक विचारक ने “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा का वर्णन किया है, जिन्हें “समाज के हर सदस्य के भीतर काम करने वाले व्यवहार के तरीके” के रूप में परिभाषित किया गया है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- बर्ट्रेंड रसेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” को समाजशास्त्र का मुख्य अध्ययन विषय माना। उन्होंने इसे “समाज के प्रत्येक सदस्य के भीतर काम करने वाले व्यवहार के ऐसे तरीके, सोचने के तरीके और महसूस करने के तरीके, जो बाहरी होते हैं और व्यक्ति पर ज़बरदस्ती थोपने की क्षमता रखते हैं” के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम का मानना था कि सामाजिक तथ्यों को वस्तुओं की तरह अध्ययन किया जाना चाहिए, जो व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र होते हैं। यह समाजशास्त्रीय प्रत्यक्षवाद (Sociological Positivism) का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान आर्थिक निर्धारणवाद और वर्ग संघर्ष पर था। मैक्स वेबर ने “वर्टेहेन” (Verstehen) यानी व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर ज़ोर दिया। बर्ट्रेंड रसेल एक दार्शनिक और गणितज्ञ थे।
प्रश्न 4: मैक्सी वेबर के अनुसार, सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकार कौन से हैं?
- आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक
- परंपरागत, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत
- प्रभावी, गैर-प्रभावी, अनौपचारिक
- प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, मिश्रित
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए हैं: परंपरागत सत्ता (Traditional Authority), जो परंपराओं और रीति-रिवाजों पर आधारित होती है; करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority), जो नेता के व्यक्तिगत गुणों और असाधारण आकर्षण पर आधारित होती है; और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority), जो नियमों, कानूनों और पद की वैधता पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इन आदर्श प्रकारों का उपयोग विभिन्न समाजों और संगठनों में शक्ति के प्रयोग को समझने और वर्गीकृत करने के लिए किया। आधुनिक समाज में, कानूनी-तर्कसंगत सत्ता का प्रभुत्व होता है।
- अincorrect विकल्प: अन्य विकल्प वेबर द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण से मेल नहीं खाते हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की प्रणाली में, व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से निर्धारित होती है और इसमें परिवर्तन की संभावना बहुत कम होती है?
- वर्ग (Class)
- जाति (Caste)
- दासता (Slavery)
- जागीरदारी (Estate)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जाति व्यवस्था, विशेष रूप से भारतीय जाति व्यवस्था, जन्म पर आधारित एक अत्यधिक कठोर स्तरीकरण प्रणाली है। किसी व्यक्ति की जाति उसके जन्म से तय होती है, और सामाजिक गतिशीलता (mobility) बहुत सीमित होती है, जिससे वे एक जाति से दूसरी जाति में जा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था पवित्रता और प्रदूषण, अंतर्विवाह (endogamy), और व्यवसाय के निर्धारण जैसे मानदंडों से जुड़ी हुई है। यह अन्य प्रणालियों की तुलना में अधिक स्थिर और अनुष्ठानिक रूप से वर्गीकृत है।
- अincorrect विकल्प: वर्ग व्यवस्था में कुछ हद तक जन्म के साथ-साथ उपलब्धि (achievement) भी स्थिति को प्रभावित करती है। दासता में व्यक्ति को संपत्ति माना जाता है, लेकिन आधुनिक दासता अक्सर अर्जित की जाती है। जागीरदारी (जैसे सामंती व्यवस्था में) भी जन्म पर आधारित थी, लेकिन जाति जितनी कठोर नहीं थी।
प्रश्न 6: एम. एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तावित “संस्कृतीकरण” (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- उच्च जातियों के रीति-रिवाजों और कर्मकांडों को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एम. एन. श्रीनिवास ने “संस्कृतीकरण” शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया जिसमें निम्न या मध्यम हिंदू जातियाँ या आदिवासी समूह उच्च, द्विजातीय (twice-born) जातियों के अनुष्ठानों, प्रथाओं, देवताओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा विशेष रूप से भारत में जातिगत गतिशीलता के अध्ययन में महत्वपूर्ण है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन का एक रूप है, जहाँ निम्न जातियाँ उच्च जातियों की नकल करती हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। (c) आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है। (d) शहरीकरण शहरी जीवन शैली से जुड़ा है।
प्रश्न 7: “संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद” (Structural-Functionalism) के दृष्टिकोण के अनुसार, समाज को कैसे देखा जाता है?
- अराजकता और संघर्ष का क्षेत्र
- आपस में जुड़े हुए भागों की एक प्रणाली, जहाँ प्रत्येक भाग समाज के अस्तित्व और स्थिरता में योगदान देता है
- व्यक्तिगत अर्थ और व्याख्याओं का एक निर्माण
- आर्थिक शक्तियों द्वारा संचालित एक व्यवस्था
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद (जिसके प्रमुख पैरोकार दुर्खीम, पार्सन्स, मर्टन हैं) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जिसमें विभिन्न अंग (संस्थाएँ, संरचनाएँ) होते हैं जो एक साथ कार्य करते हैं ताकि समाज को संतुलित और स्थिर रख सकें। प्रत्येक अंग का एक विशिष्ट कार्य (function) होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज को एक जीवित जीव से तुलना करता है, जहाँ प्रत्येक अंग (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) शरीर के समग्र कार्य के लिए आवश्यक है।
- अincorrect विकल्प: (a) अराजकता और संघर्ष को संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) देखता है। (c) व्यक्तिगत अर्थ प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का केंद्र हैं। (d) आर्थिक शक्तियाँ मार्क्सवाद का केंद्रीय बिंदु हैं।
प्रश्न 8: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, “अवसर” (Opportunity) का क्या अर्थ है?
- किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति
- समाज द्वारा स्वीकार्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उपलब्ध सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत साधन
- सामाजिक स्तरीकरण का परिणाम
- अवैध तरीकों से धन कमाने की संभावना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने अपनी “तनाव सिद्धांत” (Strain Theory) में, “अवसर” (Legitimate Means) को उन सांस्कृतिक रूप से अनुमोदित साधनों के रूप में परिभाषित किया है जो समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उपलब्ध होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन के अनुसार, जब समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्य और उन्हें प्राप्त करने के साधन (अवसर) के बीच एक बेमेल (mismatch) होता है, तो यह तनाव उत्पन्न करता है, जो विभिन्न प्रकार के अनौपचारिक व्यवहारों (जैसे नवाचार, अनुष्ठानवाद, पलायनवाद, विद्रोह) को जन्म दे सकता है।
- अincorrect विकल्प: (a), (c), और (d) मर्टन के “अवसर” की परिभाषा के प्रत्यक्ष रूप से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 9: “अभिजात वर्ग” (Elite) की अवधारणा को सबसे पहले व्यवस्थित रूप से किसने विकसित किया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- विलफ्रेडो पैरेटो और गैटानो मोस्का
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विलफ्रेडो पैरेटो और गैटानो मोस्का दोनों ने “अभिजात वर्ग” के सिद्धांत को विकसित किया। उनका मानना था कि सभी समाजों में, चाहे वह कितने भी लोकतांत्रिक क्यों न हों, एक छोटा, शासक अल्पसंख्यक वर्ग (अभिजात वर्ग) होता है जो शक्ति और विशेषाधिकारों को नियंत्रित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने “शेरों” (Lions) और “लोमड़ियों” (Foxes) के अभिजात वर्ग के बीच चक्रीय (cyclical) परिवर्तन की बात की, जबकि मोस्का ने “शासक वर्ग” (Ruling Class) के नियंत्रण के तंत्र का वर्णन किया।
- अincorrect विकल्प: दुर्खीम सामाजिक एकता पर केंद्रित थे, वेबर सत्ता के प्रकारों पर, और मार्क्स आर्थिक वर्ग संरचनाओं पर।
प्रश्न 10: सामाजिक अनुसंधान में “आत्मनिष्ठता” (Subjectivity) के महत्व पर किसने बल दिया?
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्टे
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को एक “व्याख्यात्मक विज्ञान” (Interpretive Science) के रूप में परिभाषित किया और “वर्टेहेन” (Verstehen – समझ) की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना था कि समाजशास्त्रियों को न केवल बाहरी सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए, बल्कि उन व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) को भी समझना चाहिए जो लोग अपने कार्यों को निर्देशित करने के लिए उपयोग करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का दृष्टिकोण दुर्खीम के वस्तुनिष्ठ (objective) और प्रत्यक्षवादी (positivist) दृष्टिकोण से भिन्न था, जो सामाजिक तथ्यों को बाहरी वस्तुनिष्ठ वास्तविकता मानते थे।
- अincorrect विकल्प: दुर्खीम और कॉम्टे प्रत्यक्षवाद पर केंद्रित थे, जबकि स्पेंसर एक विकासवादी समाजशास्त्री थे।
प्रश्न 11: “सांस्कृतिक भिन्नता” (Cultural Relativism) का अर्थ क्या है?
- अपनी संस्कृति को अन्य संस्कृतियों से श्रेष्ठ मानना
- किसी संस्कृति को उसके अपने संदर्भ में समझना, न कि अपनी संस्कृति के मानदंडों से आंकना
- सभी संस्कृतियों के समान होने का सिद्धांत
- संस्कृति के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं का मूल्यांकन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सांस्कृतिक भिन्नता वह दृष्टिकोण है जिसके अनुसार एक व्यक्ति को किसी अन्य संस्कृति के सदस्यों या रीति-रिवाजों के बारे में अपने स्वयं के सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर निर्णय नहीं लेना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें उस संस्कृति के दृष्टिकोण से प्रथाओं को समझना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मानव विज्ञान (Anthropology) में महत्वपूर्ण है और विभिन्न संस्कृतियों के प्रति सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देती है। यह “नृजातीयतावाद” (Ethnocentrism) के विपरीत है।
- अincorrect विकल्प: (a) नृजातीयतावाद है। (c) यह सांस्कृतिक सार्वभौमिकता (cultural universalism) के करीब है, जो सांस्कृतिक भिन्नता से भिन्न है। (d) यह मूल्यांकन का एक रूप है, जबकि सांस्कृतिक भिन्नता समझ पर ज़ोर देती है।
प्रश्न 12: समाज में “अनौपचारिक नियंत्रण” (Informal Social Control) के उदाहरण क्या हैं?
- पुलिस और अदालतें
- कानून और नियम
- परिवार, पड़ोसी और मित्रों का सामाजिक दबाव
- सरकार द्वारा लगाए गए दंड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण उन तंत्रों को संदर्भित करता है जिनका उपयोग समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करने के लिए करता है, जो औपचारिक कानूनों या नियमों द्वारा नहीं, बल्कि सामाजिक अपेक्षाओं, दबावों, अनुमोदन या अस्वीकृति के माध्यम से काम करते हैं। परिवार, दोस्त, सहकर्मी और समुदाय द्वारा लगाया गया सामाजिक दबाव इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्ति के समाजीकरण (socialization) की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- अincorrect विकल्प: (a), (b) और (d) सभी औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के उदाहरण हैं, जो कानून, पुलिस, अदालतों और दंड द्वारा लागू किए जाते हैं।
प्रश्न 13: “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, जो औद्योगिक पूंजीवाद के तहत श्रमिक की अनुभव की जाने वाली अलगाव की स्थिति का वर्णन करती है, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज सिमेल
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने “अलगाव” (Entfremdung) की अवधारणा को विकसित किया, विशेष रूप से उनके “इकोनॉमिक एंड फिलोसोफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844” में। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद से, स्वयं के श्रम की प्रक्रिया से, अपने मानव सार (species-being) से और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव उत्पादन के साधनों पर श्रमिकों के नियंत्रण की कमी और उत्पादन प्रक्रिया में उनकी यांत्रिक भूमिका से उत्पन्न होता है।
- अincorrect विकल्प: दुर्खीम ने “एनामी” (Anomie) पर काम किया, वेबर ने सत्ता और नौकरशाही पर, और सिमेल ने आधुनिकता और शहरी जीवन के सामाजिक मनोविज्ञान पर।
प्रश्न 14: सामाजिक संरचना (Social Structure) के संदर्भ में, “संस्था” (Institution) का क्या तात्पर्य है?
- व्यक्तियों का एक समूह
- समाज के विभिन्न स्तर
- स्थापित और स्वीकृत नियमों, मानदंडों और प्रथाओं का एक पैटर्न जो सामाजिक जीवन के प्रमुख पहलुओं को व्यवस्थित करता है
- सांस्कृतिक मूल्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संस्थाएँ (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार, अर्थव्यवस्था) उन स्थापित और स्थायी पैटर्न को संदर्भित करती हैं जो समाज के महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने के लिए विकसित होते हैं। ये पैटर्न आमतौर पर नियमों, भूमिकाओं, मानदंडों और मूल्यों का एक समूह होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्थाएँ समाज के संचालन के लिए एक ढाँचा प्रदान करती हैं और व्यक्तियों के व्यवहार को निर्देशित करती हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) व्यक्तियों का समूह केवल एक भीड़ या समुदाय हो सकता है। (b) समाज के विभिन्न स्तर स्तरीकरण से संबंधित हैं। (d) सांस्कृतिक मूल्य संस्थाओं के लिए प्रेरणा या औचित्य प्रदान कर सकते हैं, लेकिन वे स्वयं संस्थाएँ नहीं हैं।
प्रश्न 15: “अभिजात्य वर्ग” (Elite) के सिद्धांत के अनुसार, समाज की शक्ति किसके हाथों में केंद्रित होती है?
- आम जनता
- एक छोटा, विशेषाधिकार प्राप्त अल्पसंख्यक समूह
- सरकारी नौकरशाह
- धार्मिक नेता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अभिजात्य वर्ग के सिद्धांत (Elite Theory) के समर्थक, जैसे कि पैरेटो और मोस्का, मानते हैं कि किसी भी समाज में, चाहे उसका स्वरूप कुछ भी हो, शक्ति हमेशा एक छोटे, विशेषाधिकार प्राप्त अल्पसंख्यक समूह के हाथों में केंद्रित होती है, जिसे अभिजात वर्ग कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अभिजात वर्ग अपनी स्थिति को विरासत में प्राप्त कर सकता है या योग्यता के आधार पर प्राप्त कर सकता है, और यह समाज के निर्णय लेने की प्रक्रियाओं पर हावी रहता है।
- अincorrect विकल्प: यह सिद्धांत मानता है कि शक्ति आम जनता, नौकरशाहों या धार्मिक नेताओं में समान रूप से वितरित नहीं होती है, बल्कि एक विशिष्ट समूह में केंद्रित होती है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय समाज की विशेषता नहीं है?
- जाति
- संयुक्त परिवार
- धार्मिक विविधता
- खुला वर्ग ढाँचा
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता जाति व्यवस्था है, जो जन्म पर आधारित है और स्थिति को काफी हद तक निर्धारित करती है। पश्चिमी समाजों में पाए जाने वाले “खुले वर्ग ढांचे” (Open Class Structure), जहाँ स्थिति मुख्य रूप से व्यक्तिगत उपलब्धि पर आधारित होती है, भारतीय समाज की विशेषता नहीं है, जहाँ जाति का प्रभाव महत्वपूर्ण है।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त परिवार और धार्मिक विविधता भारतीय सामाजिक संरचना के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
- अincorrect विकल्प: जाति, संयुक्त परिवार और धार्मिक विविधता भारतीय समाज की महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 17: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से आपका क्या तात्पर्य है?
- समाज में लोगों की आवाजाही
- किसी व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- स्थायी सामाजिक स्थिति
- सामाजिक संरचना का स्थायित्व
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य व्यक्तियों या समूहों का सामाजिक सीढ़ी पर ऊपर या नीचे जाने से है। यह एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन को दर्शाता है, चाहे वह ऊर्ध्वाधर (vertical) हो (जैसे ऊपर या नीचे जाना) या क्षैतिज (horizontal) हो (जैसे एक नौकरी से दूसरी समान स्तर की नौकरी में जाना)।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाज में अवसर और परिवर्तन के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण अवधारणा है।
- अincorrect विकल्प: (a) सामान्य लोगों की आवाजाही को प्रवास (migration) या आवागमन (movement) कह सकते हैं। (c) और (d) गतिशीलता के विपरीत हैं, जो स्थायित्व का संकेत देते हैं।
प्रश्न 18: “नृजातीयतावाद” (Ethnocentrism) क्या है?
- अपनी संस्कृति को अन्य संस्कृतियों से श्रेष्ठ मानना और अन्य संस्कृतियों को अपनी संस्कृति के मानदंडों से आंकना
- सभी संस्कृतियों के प्रति सम्मान
- संस्कृति का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान की प्रक्रिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: नृजातीयतावाद वह विश्वास है कि कोई व्यक्ति या समूह अपनी संस्कृति को बाकी सभी से श्रेष्ठ मानता है। इसमें अक्सर अन्य संस्कृतियों को कमतर या विकृत माना जाता है, और उन्हें अपनी संस्कृति के मानदंडों के आधार पर आंका जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सांस्कृतिक भिन्नता (Cultural Relativism) के विपरीत है।
- अincorrect विकल्प: (b) सांस्कृतिक भिन्नता या सहिष्णुता है। (c) वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन प्रयास होता है, लेकिन नृजातीयतावाद में पूर्वाग्रह होता है। (d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान सहयोग है, जबकि नृजातीयतावाद अलगाव और श्रेष्ठता की भावना है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा “द्वितीयक समूह” (Secondary Group) का उदाहरण है?
- परिवार
- पड़ोस
- सहकर्मी समूह (जैसे किसी क्लब या कार्यस्थल के सदस्य)
- अंतरंग मित्र
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: द्वितीयक समूह बड़े, अवैयक्तिक और उद्देश्य-उन्मुख समूह होते हैं, जिनके सदस्य आमतौर पर एक-दूसरे को पूरी तरह से नहीं जानते हैं। इनका संबंध आमतौर पर किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने या किसी विशेष कार्य को पूरा करने के लिए बनता है। किसी क्लब या कार्यस्थल के सहकर्मी इसके उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: द्वितीयक समूहों के विपरीत, प्राथमिक समूह (जैसे परिवार, घनिष्ठ मित्र) छोटे, घनिष्ठ और भावनात्मक संबंधों वाले होते हैं।
- अincorrect विकल्प: परिवार, पड़ोस और अंतरंग मित्र सभी प्राथमिक समूह के उदाहरण हैं, जहाँ संबंध व्यक्तिगत और भावनात्मक होते हैं।
प्रश्न 20: “गुटबाजी” (Factionalism) समाजशास्त्र में किस अवधारणा से संबंधित है?
- सभी सदस्यों के बीच पूर्ण सहयोग
- एक बड़े संगठन या समूह के भीतर छोटे, प्रायः विरोधी समूहों का निर्माण
- सामाजिक व्यवस्था का विश्लेषण
- व्यक्तिगत पहचान का निर्माण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गुटबाजी (Factionalism) एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करती है जहाँ एक बड़े संगठन, राजनीतिक दल या समुदाय के भीतर छोटे, अलग-थलग और अक्सर विरोधी समूह बन जाते हैं, जो मुख्य रूप से अपनी विशिष्ट रुचियों या एजेंडे को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर संगठनात्मक संघर्ष, शक्ति की राजनीति और सामुदायिक विभाजन से जुड़ा होता है।
- अincorrect विकल्प: (a) सहयोग गुटबाजी के विपरीत है। (c) और (d) इस अवधारणा के मुख्य फोकस नहीं हैं।
प्रश्न 21: “प्रत्याशात्मक समाजीकरण” (Anticipatory Socialization) का क्या अर्थ है?
- समाज द्वारा अपेक्षित भूमिकाओं को सीखने की प्रक्रिया
- किसी ऐसे समूह या स्थिति के लिए तैयार होना जिसमें व्यक्ति भविष्य में शामिल होने की उम्मीद करता है
- पुरानी आदतों को भूलना
- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रत्याशात्मक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति उन भूमिकाओं, व्यवहारों और मूल्यों को सीखना शुरू कर देता है जिनकी अपेक्षा उससे भविष्य में किसी नए सामाजिक समूह या स्थिति में शामिल होने पर की जाएगी। उदाहरण के लिए, एक छात्र जो डॉक्टर बनना चाहता है, वह पहले से ही चिकित्सा नैतिकता और अभ्यास के बारे में सीखना शुरू कर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर उन लोगों द्वारा अनुभव किया जाता है जो पदोन्नति, विवाह, या जीवन में किसी बड़े बदलाव से पहले तैयारी कर रहे होते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) यह सामान्य समाजीकरण है। (c) और (d) इस अवधारणा के सीधे तौर पर संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 22: “जाति आधारित प्रभुत्व” (Caste Dominance) के सिद्धांत के अनुसार, भारतीय समाज में ऐतिहासिक रूप से निम्न जातियों पर नियंत्रण रखने में किस तत्व की भूमिका रही है?
- आर्थिक शक्ति
- राजनीतिक शक्ति
- सांस्कृतिक और धार्मिक सत्ता
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय समाज में, जाति आधारित प्रभुत्व केवल एक कारक (जैसे आर्थिक या राजनीतिक) द्वारा निर्धारित नहीं होता है। उच्च जातियाँ ऐतिहासिक रूप से न केवल आर्थिक और राजनीतिक सत्ता रखती थीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक मानदंडों, अनुष्ठानों और विश्वासों का भी ज़ोरदार नियंत्रण रखती थीं, जो निम्न जातियों के जीवन को निर्देशित करते थे और उनकी स्थिति को बनाए रखते थे।
- संदर्भ और विस्तार: एमएन श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति के बहुआयामी स्वरूप पर बल दिया है, जिसमें विभिन्न प्रकार की सत्ताएँ शामिल होती हैं।
- अincorrect विकल्प: प्रत्येक विकल्प प्रभुत्व में भूमिका निभाता है, लेकिन तीनों मिलकर एक पूर्ण चित्र प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 23: “पारंपरिक प्राधिकारी” (Traditional Authority) का सबसे अच्छा उदाहरण क्या है?
- एक निर्वाचित राष्ट्रपति
- एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई संसद
- एक शाही परिवार जहाँ राजा सत्ता अपने बेटे को सौंपता है
- एक कंपनी का सीईओ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर के अनुसार, पारंपरिक प्राधिकारी वह सत्ता है जो “हमेशा से चली आ रही परंपराओं की पवित्रता” पर आधारित होती है। एक शाही परिवार में, सत्ता राजा से उसके उत्तराधिकारी को सौंपना परंपरा पर आधारित है, न कि योग्यता या किसी नियम पर।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार के प्राधिकारी अक्सर वंशानुगत होते हैं और इसके प्रति वफादारी व्यक्तिगत संबंध या आदत पर आधारित होती है।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) सभी कानूनी-तर्कसंगत प्राधिकारी (Legal-Rational Authority) के उदाहरण हैं, जहाँ सत्ता नियमों, कानूनों और प्रक्रियाओं पर आधारित होती है।
प्रश्न 24: “शहरीकरण” (Urbanization) से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन क्या है?
- पारिवारिक संरचना का विस्तार
- औपचारिक सामाजिक नियंत्रण का बढ़ना
- व्यक्तिवाद और गुमनामी में वृद्धि
- ग्रामीण जीवन शैली का प्रसार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: शहरीकरण, जो कि ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का स्थानांतरण है, अक्सर व्यक्तिवाद (individualism) और गुमनामी (anonymity) में वृद्धि से जुड़ा होता है। शहरों में, लोग अक्सर अपने पड़ोसियों को कम जानते हैं, और पहचान व्यक्तिगत उपलब्धियों और आत्म-अभिव्यक्ति पर अधिक निर्भर करती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस परिवर्तन के कारण पारंपरिक सामुदायिक बंधन कमजोर हो सकते हैं और अनौपचारिक नियंत्रण की जगह औपचारिक नियंत्रण (जैसे कानून) ले सकता है।
- अincorrect विकल्प: (a) शहरीकरण में अक्सर संयुक्त परिवारों से नाभिकीय परिवारों (nuclear families) की ओर बदलाव देखा जाता है। (b) औपचारिक नियंत्रण बढ़ सकता है, लेकिन अनौपचारिक नियंत्रण कम हो सकता है। (d) ग्रामीण जीवन शैली का प्रसार शहरीकरण के विपरीत है।
प्रश्न 25: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) की एक प्रणाली के रूप में “वर्ग” (Class) की मुख्य विशेषता क्या है?
- यह पूरी तरह से जन्म पर आधारित है।
- यह केवल धार्मिक स्थिति से निर्धारित होता है।
- यह आर्थिक कारकों (धन, आय, व्यवसाय) पर आधारित है और इसमें कुछ हद तक सामाजिक गतिशीलता संभव है।
- यह एक कठोर और अपरिवर्तनीय व्यवस्था है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: वर्ग व्यवस्था, जैसा कि कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा अध्ययन किया गया है, मुख्य रूप से आर्थिक कारकों जैसे धन, आय, संपत्ति और व्यवसाय पर आधारित होती है। यह जाति जैसी व्यवस्थाओं की तुलना में अधिक खुला है, जहाँ व्यक्ति कुछ हद तक अपनी सामाजिक स्थिति को प्राप्त करने या बदलने के लिए प्रयास कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वर्ग एक संचयित (accumulative) और अक्सर अर्जित (achieved) स्थिति है, हालांकि जन्म का प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है।
- अincorrect विकल्प: (a) यह जाति के लिए अधिक सटीक है। (b) धार्मिक स्थिति स्तरीकरण का एक कारक हो सकती है, लेकिन वर्ग का मुख्य आधार नहीं है। (d) वर्ग व्यवस्था, हालांकि अक्सर स्थिर होती है, पूरी तरह से अपरिवर्तनीय नहीं होती।