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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!

सभी भावी समाजशास्त्रियों का स्वागत है! आज की यह प्रश्नोत्तरी आपकी समाजशास्त्रीय समझ को तेज करने और महत्वपूर्ण अवधारणाओं पर आपकी पकड़ को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन की गई है। अपने विश्लेषणात्मक कौशल को चुनौती दें और देखें कि आप इन 25 गहन प्रश्नों में से कितने सही कर पाते हैं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (social fact) की अवधारणा को किसने प्रतिपादित किया, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय माना?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा पेश की। उन्होंने इसे समाजशास्त्र का प्राथमिक अध्ययन क्षेत्र माना, जिसे बाहरी, बाध्यकारी और सामान्य होने के रूप में परिभाषित किया गया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में पाई जाती है। उनका मानना था कि सामाजिक तथ्यों का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञान की तरह ही वस्तुनिष्ठ होना चाहिए।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) और नौकरशाही के अध्ययन पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का समर्थन किया।

प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा मैक्स वेबर द्वारा प्रतिपादित ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) से संबंधित है?

  1. सामाजिक तथ्य
  2. वर्स्टेहेन
  3. तर्कसंगतता
  4. अराजकता (Anomie)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर के लिए, ‘आदर्श प्रारूप’ एक वैचारिक उपकरण था जिसका उपयोग समाजशास्त्री सामाजिक वास्तविकता की जटिलता को समझने और उसका विश्लेषण करने के लिए करते थे। तर्कसंगतता (Rationality) का विस्तार से अध्ययन करने के लिए उन्होंने इसका उपयोग किया।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने तर्कसंगतता के विभिन्न रूपों (जैसे – पारंपरिक, करिश्माई, मूल्य-तर्कसंगत, और साधन-तर्कसंगत) का विश्लेषण करने के लिए आदर्श प्रारूपों का उपयोग किया, विशेष रूप से नौकरशाही के संदर्भ में।
  • गलत विकल्प: ‘सामाजिक तथ्य’ दुर्खीम से संबंधित है। ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) वेबर की एक अन्य महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसका अर्थ है व्यक्तिपरक अर्थों को समझना, लेकिन यह ‘आदर्श प्रारूप’ से सीधा संबंधित नहीं है। ‘अराजकता’ (Anomie) दुर्खीम की अवधारणा है।

प्रश्न 3: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का वह सिद्धांत जो यह मानता है कि समाज में असमानताएँ कार्यात्मक रूप से आवश्यक हैं और समाज के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं, किस नाम से जाना जाता है?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. कार्यात्मकता (Functionalism)
  4. नारियोंवाद (Feminism)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्यात्मकता (Functionalism) सिद्धांत, विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis and Moore) द्वारा प्रस्तुत, यह तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के लिए कार्यात्मक है क्योंकि यह सबसे योग्य व्यक्तियों को सबसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करने के लिए प्रेरित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्यात्मक दृष्टिकोण समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जहाँ प्रत्येक भाग (जैसे वर्ग) समाज को सुचारू रूप से चलाने में योगदान देता है।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (जैसे मार्क्स का) मानता है कि असमानता शक्ति और शोषण का परिणाम है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति-स्तर पर अंतःक्रियाओं और अर्थों पर केंद्रित है। नारियोंवाद लैंगिक असमानताओं पर केंद्रित है।

  • प्रश्न 4: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) का वह रूप जो प्रारंभिक, सरल समाजों में पाया जाता है, जहाँ लोग समान विश्वासों और मूल्यों को साझा करते हैं, क्या कहलाता है?

    1. यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity)
    2. जैविक एकजुटता (Organic Solidarity)
    3. अराजकता (Anomie)
    4. सामाजिक तथ्य (Social Fact)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: दुर्खीम ने प्रारंभिक समाजों में ‘यांत्रिक एकजुटता’ का वर्णन किया, जहाँ व्यक्तियों के बीच समानताएं (समान कार्य, समान विश्वास) मजबूत बंधन बनाती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की पुस्तक “समाज में श्रम विभाजन” (The Division of Labour in Society) में मिलती है।
    • गलत विकल्प: ‘जैविक एकजुटता’ जटिल, आधुनिक समाजों में पाई जाती है जहाँ लोग विशेषीकरण के कारण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। ‘अराजकता’ सामाजिक मानदंडों की कमी की स्थिति है। ‘सामाजिक तथ्य’ सामाजिक वास्तविकता की प्रकृति है।

    प्रश्न 5: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन की वह प्रक्रिया जिसमें श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद से, अपने श्रम की क्रिया से, और अंततः अपने मानव स्वभाव से अलग-थलग महसूस करते हैं, क्या कहलाती है?

    1. विदेशीकरण (Alienation)
    2. वर्ग चेतना (Class Consciousness)
    3. पूंजीवाद (Capitalism)
    4. द्वंद्ववाद (Dialectics)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: मार्क्स ने ‘विदेशीकरण’ (Alienation) की अवधारणा का प्रयोग पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक के अनुभव का वर्णन करने के लिए किया, जहाँ वह उत्पादन प्रक्रिया और उसके परिणामों से कटा हुआ महसूस करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्स के प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से “आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां” (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में एक प्रमुख विषय है।
    • गलत विकल्प: ‘वर्ग चेतना’ वह जागरूकता है जो एक वर्ग अपने सामाजिक-आर्थिक स्थिति और साझा हितों के बारे में विकसित करता है। ‘पूंजीवाद’ उत्पादन का एक आर्थिक तंत्र है। ‘द्वंद्ववाद’ एक दार्शनिक विधि है।

    प्रश्न 6: निम्नांकित में से कौन सा एक सामाजिक संस्थान (Social Institution) नहीं है?

    1. परिवार
    2. शिक्षा
    3. धर्म
    4. पड़ोस

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: पड़ोस एक भौगोलिक या सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र हो सकता है, लेकिन यह समाजशास्त्र में एक मौलिक सामाजिक संस्थान (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था, राजनीति) के रूप में परिभाषित नहीं है।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थान समाज के वे बुनियादी ढांचे हैं जो सामाजिक जीवन को व्यवस्थित और बनाए रखते हैं। वे स्थापित पैटर्न और नियम हैं जो विशेष रूप से सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
    • गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और धर्म सभी प्रमुख सामाजिक संस्थान हैं जो समाज के कामकाज के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    प्रश्न 7: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया किससे संबंधित है?

    1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
    2. उच्च जाति की प्रथाओं को अपनाना
    3. शहरीकरण की प्रक्रिया
    4. आधुनिकीकरण का एक पहलू

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसमें निम्न जाति या जनजाति के लोग किसी उच्च, प्रमुख जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों, जीवन शैली और विचारों को अपनाते हैं ताकि सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठाया जा सके।
    • संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया था।
    • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की जीवन शैली का अनुकरण है। शहरीकरण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवासन है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण आदि शामिल हैं।

    प्रश्न 8: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) द्वारा विकसित सिद्धांत, जो बताता है कि ‘स्व’ (Self) सामाजिक अंतःक्रिया और संचार के माध्यम से विकसित होता है, क्या कहलाता है?

    1. संरचनात्मक कार्यात्मकता (Structural Functionalism)
    2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
    3. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
    4. सामाजिक विनिमय सिद्धांत (Social Exchange Theory)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के संस्थापक पिताओं में से एक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘स्व’ (Self) और चेतना जन्मजात नहीं होती, बल्कि सामाजिक अंतःक्रियाओं, विशेष रूप से प्रतीकों (जैसे भाषा) के उपयोग के माध्यम से सीखी जाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: मीड की पुस्तक “मन, स्व और समाज” (Mind, Self and Society) मरणोपरांत प्रकाशित हुई, जिसमें उनके विचारों को संकलित किया गया है।
    • गलत विकल्प: संरचनात्मक कार्यात्मकता समाज को एक एकीकृत प्रणाली के रूप में देखती है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। सामाजिक विनिमय सिद्धांत सामाजिक व्यवहार को लागत-लाभ विश्लेषण के रूप में देखता है।

    प्रश्न 9: निम्नांकित में से कौन सी विशेषता भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) का हिस्सा नहीं है?

    1. अंतर्विवाह (Endogamy)
    2. पेशागत प्रतिबंध (Occupational Restrictions)
    3. गतिहीनता (Immobility)
    4. पेशागत चयन की स्वतंत्रता (Freedom of Occupational Choice)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था में, पारंपरिक रूप से व्यक्ति का पेशा उसकी जाति द्वारा निर्धारित होता था, जिससे पेशा चयन की स्वतंत्रता का अभाव था। स्वतंत्रता इसका विपरीत है।
    • संदर्भ और विस्तार: अंतर्विवाह (एक ही जाति में विवाह), पेशागत प्रतिबंध और गतिहीनता (उच्च या निम्न जाति में बदलाव की कठिनाई) जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं रही हैं।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी पारंपरिक जाति व्यवस्था के मुख्य लक्षण हैं, जबकि (d) इसका खंडन करता है।

    प्रश्न 10: सामाजिक अनुसंधान में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना
    2. घटनाओं के बीच कारण-प्रभाव संबंध स्थापित करना
    3. सामाजिक अनुभवों, अर्थों और संदर्भों को गहराई से समझना
    4. विशाल जनसंख्या का सामान्यीकरण (Generalization) करना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: गुणात्मक विधियाँ (जैसे साक्षात्कार, केस स्टडी, अवलोकन) लोगों के अनुभवों, उनकी भावनाओं, प्रेरणाओं, विश्वासों और सामाजिक घटनाओं के पीछे के गहरे अर्थों को समझने पर केंद्रित होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विधियाँ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उपयोगी हैं, बजाय इसके कि ‘कितना’ या ‘कितने’।
    • गलत विकल्प: सांख्यिकीय डेटा और सामान्यीकरण मात्रात्मक विधियों (Quantitative Methods) की विशेषताएँ हैं। कारण-प्रभाव संबंध स्थापित करना दोनों विधियों का लक्ष्य हो सकता है, लेकिन गुणात्मक विधियाँ मुख्य रूप से समझ पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

    प्रश्न 11: रॉबर्ट के. मर्टन (Robert K. Merton) ने ‘प्रयोजनों’ (Functions) को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया। वे क्या हैं?

    1. स्पष्ट और अप्रत्यक्ष
    2. प्रत्यक्ष और परोक्ष
    3. सकारात्मक और नकारात्मक
    4. संस्थागत और गैर-संस्थागत

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: मर्टन ने ‘प्रत्यक्ष प्रयोजन’ (Manifest Functions) और ‘परोक्ष प्रयोजन’ (Latent Functions) में अंतर किया। प्रत्यक्ष प्रयोजन किसी सामाजिक पैटर्न के स्पष्ट, इच्छित परिणाम होते हैं, जबकि परोक्ष प्रयोजन अनपेक्षित, अनजाने परिणाम होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके कार्यात्मक विश्लेषण में महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रत्यक्ष प्रयोजन शिक्षा देना है, जबकि परोक्ष प्रयोजन नए सामाजिक संबंध बनाना या करियर के अवसर प्रदान करना हो सकता है।
    • गलत विकल्प: ‘स्पष्ट और अप्रत्यक्ष’ या ‘सकारात्मक और नकारात्मक’ वर्गीकरण मर्टन के नहीं हैं, यद्यपि ‘सकारात्मक/नकारात्मक’ को कभी-कभी ‘स्पष्ट/परोक्ष’ के साथ जोड़ा जाता है।

    प्रश्न 12: निम्नांकित में से कौन सी सामाजिक परिवर्तन की एक ‘प्रमुख’ (dominant) विशेषता नहीं है, बल्कि ‘गौण’ (secondary) विशेषता है?

    1. नियतिवाद (Determinism)
    2. संचय (Accumulation)
    3. विकास (Evolution)
    4. प्रगति (Progress)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: नियतिवाद, जो मानता है कि सभी घटनाएँ पूर्व-निर्धारित कारणों से होती हैं, सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में एक प्रमुख सिद्धांत नहीं है, हालांकि कुछ सिद्धांत (जैसे डार्विनवाद से प्रभावित) इसे मानते हैं। संचय (नए ज्ञान और तकनीक का जमाव), विकास (सरल से जटिल की ओर परिवर्तन) और प्रगति (सुधार की ओर परिवर्तन) सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख विश्लेषण के तत्व रहे हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: विभिन्न समाजशास्त्री सामाजिक परिवर्तन के लिए अलग-अलग कारण बताते हैं। नियतिवाद को अक्सर एक सरलीकृत दृष्टिकोण माना जाता है।
    • गलत विकल्प: संचय, विकास और प्रगति सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या के लिए अधिक स्थापित और महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं।

    प्रश्न 13: पैट्रिक गेड्डेस (Patrick Geddes) और लुईस ममफोर्ड (Lewis Mumford) किस क्षेत्र के विकास से जुड़े हुए हैं?

    1. शहरी समाजशास्त्र (Urban Sociology)
    2. ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology)
    3. पर्यावरण समाजशास्त्र (Environmental Sociology)
    4. राजनीतिक समाजशास्त्र (Political Sociology)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: पैट्रिक गेड्डेस और लुईस ममफोर्ड आधुनिक शहरी समाजशास्त्र और शहर नियोजन के अग्रदूत माने जाते हैं। उन्होंने शहरों के विकास, योजना और सामाजिक जीवन पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
    • संदर्भ और विस्तार: गेड्डेस को ‘शहरी योजना का पिता’ भी कहा जाता है। ममफोर्ड ने भी शहरों के इतिहास और समाजशास्त्र पर गहन लेखन किया।
    • गलत विकल्प: जबकि उनके काम में पर्यावरण और राजनीति के पहलू शामिल हो सकते हैं, उनका मुख्य योगदान शहरी समाजशास्त्र के क्षेत्र में है।

    प्रश्न 14: समाजशास्त्र में ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का संबंध मुख्य रूप से किससे है?

    1. आर्थिक संसाधन
    2. व्यक्तिगत कौशल और ज्ञान
    3. सामाजिक नेटवर्क और उनमें निहित विश्वास एवं सहयोग
    4. भौतिक संपत्ति

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक पूंजी का तात्पर्य उन लाभों से है जो व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक नेटवर्क (मित्र, परिवार, सहकर्मी) के माध्यम से प्राप्त होते हैं, जिसमें आपसी विश्वास, सहयोग और संबंधों से उत्पन्न होने वाले संसाधन शामिल हैं। पियरे बॉर्डिउ (Pierre Bourdieu) और जेम्स कोलमन (James Coleman) इस अवधारणा के प्रमुख प्रतिपादक हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तियों को सूचना, समर्थन और अवसरों तक पहुँचने में मदद करता है।
    • गलत विकल्प: यह आर्थिक या भौतिक संसाधनों से भिन्न है, यद्यपि यह उन तक पहुँचने में सहायक हो सकता है। व्यक्तिगत कौशल ‘मानव पूंजी’ (Human Capital) का हिस्सा है।

    प्रश्न 15: ‘अनौपचारिक संगठन’ (Informal Organization) की अवधारणा, जो औपचारिक संरचना के भीतर विकसित होने वाले सामाजिक संबंधों और समूहों को दर्शाती है, का श्रेय मुख्य रूप से किसे दिया जाता है?

    1. मैक्स वेबर
    2. एल्टन मेयो (Elton Mayo)
    3. फ्रेडरिक टेलर (Frederick Taylor)
    4. चेस्टर बर्नार्ड (Chester Barnard)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एल्टन मेयो को उनके हॉथोर्न प्रयोगों (Hawthorne Experiments) के लिए जाना जाता है, जहाँ उन्होंने अनौपचारिक संगठन के महत्व और श्रमिकों के मनोबल व उत्पादकता पर सामाजिक संबंधों के प्रभाव की खोज की।
    • संदर्भ और विस्तार: उनके काम ने प्रबंधकीय अध्ययनों में मानव संबंध आंदोलन (Human Relations Movement) की शुरुआत की।
    • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने नौकरशाही का अध्ययन किया, फ्रेडरिक टेलर वैज्ञानिक प्रबंधन के जनक थे, और चेस्टर बर्नार्ड ने संगठन के कार्यों पर लिखा, लेकिन अनौपचारिक संगठन पर मेयो का काम सबसे प्रमुख है।

    प्रश्न 16: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण परिणाम नहीं रहा है?

    1. धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)
    2. व्यक्तिवाद का उदय (Rise of Individualism)
    3. जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन (Complete Abolition of Caste System)
    4. शहरीकरण (Urbanization)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: यद्यपि आधुनिकीकरण ने जाति व्यवस्था को प्रभावित किया है और कुछ हद तक कमजोर किया है, इसने अभी तक इसका पूर्ण उन्मूलन नहीं किया है। भारत में जाति आज भी प्रासंगिक है, भले ही इसके स्वरूप और प्रभाव बदल गए हों।
    • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण अक्सर धर्मनिरपेक्षीकरण, व्यक्तिवाद में वृद्धि और शहरीकरण को बढ़ावा देता है, जैसा कि विकल्प (a), (b) और (d) में कहा गया है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) आधुनिकीकरण के सामान्य परिणाम हैं, जबकि (c) एक अतिश्योक्तिपूर्ण दावा है जो पूरी तरह सच नहीं है।

    प्रश्न 17: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो समाज की भौतिक संस्कृति में परिवर्तन की गति और अभौतिक संस्कृति (जैसे संस्थाएं, मूल्य) में परिवर्तन की गति के बीच अंतर का वर्णन करती है, किसने दी?

    1. विलियम ओगबर्न (William Ogburn)
    2. एमिल दुर्खीम
    3. कार्ल मार्क्स
    4. अगस्ट कॉम्टे (Auguste Comte)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: विलियम ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक संस्थाएं, कानून, नैतिकता) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, नई तकनीक (जैसे इंटरनेट) का तेजी से विकास हुआ, लेकिन इसके उपयोग को नियंत्रित करने वाले सामाजिक और कानूनी नियम (जैसे गोपनीयता कानून) पीछे रह गए।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प प्रमुख समाजशास्त्री हैं जिनके पास अलग-अलग मुख्य योगदान हैं।

    प्रश्न 18: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा सामाजिक नियंत्रण (Social Control) के ‘अनौपचारिक’ साधनों का उदाहरण है?

    1. पुलिस और न्यायालय
    2. कानून और दंड
    3. सार्वजनिक राय और सामाजिक बहिष्कार
    4. कारावास

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सार्वजनिक राय (जैसे निंदा या प्रशंसा) और सामाजिक बहिष्कार (जैसे किसी समूह से अलग करना) समाज के सदस्यों को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करने के अनौपचारिक तरीके हैं, जो सीधे राज्य या औपचारिक संस्थाओं द्वारा लागू नहीं किए जाते।
    • संदर्भ और विस्तार: ये अक्सर नैतिक शिक्षा, परंपराओं और सामाजिक मानदंडों के माध्यम से कार्य करते हैं।
    • गलत विकल्प: पुलिस, न्यायालय, कानून, दंड और कारावास सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधनों के उदाहरण हैं।

    प्रश्न 19: ‘जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत’ (Demographic Transition Theory) किस सामाजिक प्रक्रिया की व्याख्या करता है?

    1. सामाजिक स्तरीकरण में परिवर्तन
    2. शहरीकरण और ग्रामीणकरण
    3. जनसंख्या वृद्धि और उसके चरणों
    4. सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: यह सिद्धांत बताता है कि समय के साथ, समाज उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर से निम्न जन्म दर और निम्न मृत्यु दर की ओर कैसे बढ़ता है, जिससे जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न चरणों को समझा जा सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत आम तौर पर तीन चरणों में विभाजित होता है, जो औद्योगिकरण और आधुनिकीकरण से जुड़ा होता है।
    • गलत विकल्प: यह सीधे तौर पर सामाजिक स्तरीकरण, शहरीकरण के केवल एक पहलू, या सामाजिक गतिशीलता की व्याख्या नहीं करता है, बल्कि यह जनसंख्या परिवर्तन का एक मॉडल है।

    प्रश्न 20: ‘समूह’ (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘समूह’ का आवश्यक लक्षण है?

    1. समूह के सदस्यों का केवल एक साथ रहना
    2. सदस्यों के बीच प्रत्यक्ष अंतःक्रिया और एक-दूसरे के प्रति जागरूकता
    3. समान वेशभूषा पहनना
    4. एक समान राजनीतिक विचारधारा रखना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एक सच्चा समाजशास्त्रीय समूह होने के लिए, सदस्यों के बीच कुछ स्तर की अंतःक्रिया, संपर्क और एक-दूसरे के प्रति चेतना (awareness) होनी चाहिए, जिससे वे एक इकाई के रूप में महसूस करें।
    • संदर्भ और विस्तार: केवल एक साथ होना (जैसे भीड़ में) या समान विशेषताएँ साझा करना (जैसे समान रंग के कपड़े) एक समूह नहीं बनाता है जब तक कि अंतःक्रिया और जागरूकता न हो।
    • गलत विकल्प: केवल एक साथ रहना, समान वेशभूषा या समान विचारधारा समूह की परिभाषा के लिए पर्याप्त नहीं हैं; अंतःक्रिया और चेतना मुख्य तत्व हैं।

    प्रश्न 21: भारत में ‘ट्राइबल (आदिवासी) आंदोलन’ (Tribal Movements) का मुख्य कारण क्या रहा है?

    1. संस्कृति का संरक्षण
    2. धार्मिक शुद्धिकरण
    3. भूमि का अधिग्रहण और वन नीतियों से असंतोष
    4. आधुनिकीकरण को अपनाना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: भारतीय जनजातियों ने अक्सर बाहरी लोगों (गैर-जनजातियों) द्वारा उनकी भूमि पर अतिक्रमण, वन संसाधनों पर नियंत्रण के नुकसान और उनके पारंपरिक जीवन शैली को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के कारण विरोध किया है।
    • संदर्भ और विस्तार: ये आंदोलन अक्सर अपनी पहचान, संसाधनों और स्वायत्तता की रक्षा के लिए होते हैं।
    • गलत विकल्प: यद्यपि संस्कृति का संरक्षण एक कारक हो सकता है, मुख्य प्रेरक शक्ति अक्सर आर्थिक और भूमि-संबंधी मुद्दे होते हैं। धार्मिक शुद्धिकरण या आधुनिकीकरण को अपनाना सामान्यतः आंदोलनों का प्राथमिक कारण नहीं होता।

    प्रश्न 22: ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social Order) को बनाए रखने में ‘धर्म’ (Religion) की भूमिका का विश्लेषण करते हुए, दुर्खीम ने इसे समाज के लिए क्या माना?

    1. अलगाव (Alienation) का स्रोत
    2. सामाजिक व्यवस्था का विरोधी
    3. सामूहिक चेतना (Collective Conscience) को सुदृढ़ करने वाला
    4. संघर्ष का मुख्य कारण

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने धर्म को ‘सामूहिक चेतना’ (अर्थात समाज के सामान्य विश्वासों, मूल्यों और नैतिक भावनाओं का योग) को बनाए रखने और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना, जो सामाजिक व्यवस्था के लिए आवश्यक है।
    • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक “धर्म के प्रारंभिक रूप” (The Elementary Forms of Religious Life) में, उन्होंने दिखाया कि कैसे अनुष्ठान और पवित्र वस्तुएं समूह के सदस्यों के बीच एकता और एकजुटता की भावना पैदा करती हैं।
    • गलत विकल्प: मार्क्स धर्म को ‘जनता के लिए अफीम’ कहकर अलगाव और दमन से जोड़ते हैं, जबकि दुर्खीम इसे एकता से जोड़ते हैं।

    प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय शोध पद्धति ‘कारण-प्रभाव’ (Cause-Effect) संबंधों को स्थापित करने में सबसे अधिक प्रभावी मानी जाती है?

    1. प्रश्नावली (Questionnaire)
    2. साक्षात्कार (Interview)
    3. प्रयोग (Experiment)
    4. अवलोकन (Observation)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में प्रयोग, विशेष रूप से नियंत्रित प्रयोग, चर (variables) के बीच कारण-प्रभाव संबंधों को स्थापित करने का सबसे सीधा तरीका प्रदान करते हैं, जहाँ शोधकर्ता एक चर (स्वतंत्र चर) में हेरफेर करता है और दूसरे चर (आश्रित चर) पर इसके प्रभाव को मापता है।
    • संदर्भ और विस्तार: हालांकि समाजशास्त्र में नियंत्रित प्रयोग करना अक्सर नैतिक या व्यावहारिक कारणों से कठिन होता है, वे सिद्धांत रूप में कारण-प्रभाव स्थापित करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
    • गलत विकल्प: प्रश्नावली और साक्षात्कार डेटा एकत्र करने के तरीके हैं, लेकिन वे सीधे कारण-प्रभाव संबंध नहीं बताते। अवलोकन भी घटनाओं का वर्णन करता है, कारण नहीं।

    प्रश्न 24: ‘पैटर्न में विचलन’ (Deviance) की व्याख्या करने वाले ‘लेबलिंग सिद्धांत’ (Labeling Theory) के अनुसार, विचलन क्या है?

    1. एक व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक समस्या
    2. एक ऐसा कार्य जो समाज द्वारा परिभाषित और लेबल किया गया है
    3. केवल वे कार्य जो कानून तोड़ते हैं
    4. एक जन्मजात व्यवहार

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: लेबलिंग सिद्धांतकार (जैसे हॉवर्ड बेकर) यह तर्क देते हैं कि विचलन एक वस्तुनिष्ठ गुण नहीं है, बल्कि एक सामाजिक रूप से निर्मित लेबल है जो किसी व्यक्ति या उसके व्यवहार पर लगाया जाता है जब वह समाज के स्थापित मानदंडों से विचलित होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि कैसे कुछ व्यवहारों को ‘विचलित’ के रूप में नामित किया जाता है और उस लेबल का व्यक्ति की पहचान और आगे के व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता है।
    • गलत विकल्प: विचलन केवल कानून तोड़ने तक सीमित नहीं है, न ही यह पूरी तरह से मनोवैज्ञानिक या जन्मजात है। यह सामाजिक प्रतिक्रिया का परिणाम है।

    प्रश्न 25: ‘संस्थात्मक पूर्वाग्रह’ (Institutional Bias) का क्या अर्थ है?

    1. व्यक्तिगत पूर्वाग्रह जो संस्थानों में प्रवेश करता है
    2. नीतियों, प्रथाओं और संरचनाओं में अंतर्निहित पूर्वाग्रह जो अनजाने में कुछ समूहों को नुकसान पहुंचाते हैं
    3. पूर्वाग्रहों के प्रति एक संस्थान की प्रतिक्रिया
    4. मीडिया में पूर्वाग्रहों का प्रसार

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: संस्थागत पूर्वाग्रह किसी संस्थान की नीतियों, प्रक्रियाओं, नियमों या संरचनाओं में व्यवस्थित रूप से निहित पूर्वाग्रह को संदर्भित करता है, जो अनजाने में भी, कुछ सामाजिक समूहों (जैसे नस्ल, लिंग, जाति के आधार पर) के लिए असमान परिणाम उत्पन्न कर सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से भिन्न है क्योंकि यह व्यक्ति विशेष की दुर्भावना के बजाय सिस्टम में गहराई से समाया हुआ है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a) व्यक्तिगत पूर्वाग्रह को संस्थान में लाता है, लेकिन संस्थागत पूर्वाग्रह स्वयं संरचना में होता है। (c) और (d) इसके परिणाम या प्रसार से संबंधित हैं, न कि मूल अर्थ से।

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