समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी समझ को परखें!
यूपीएससी, स्टेट पीएससी, यूजीसी-नेट के उम्मीदवारों के लिए तैयार हो जाइए! आपकी समाजशास्त्रीय अवधारणाओं, सिद्धांतों और विचारकों की पकड़ को मजबूत करने का यह एक और अवसर है। हर दिन की तरह, आज भी हम आपके लिए लाए हैं 25 अनोखे और विचारोत्तेजक प्रश्न। आइए, अपनी तैयारी को धार दें और सामाजिक दुनिया की जटिलताओं को सुलझाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्ते
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा पेश की। उनका मानना था कि सामाजिक तथ्य बाह्य होते हैं, व्यक्ति पर दबाव डालते हैं, और इन्हें वस्तुओं की तरह अध्ययन किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को स्पष्ट किया। वे समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करना चाहते थे, जिसका अपना अनूठा अध्ययन क्षेत्र हो।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक व्यवस्था पर था। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या आभिप्रायात्मक समझ पर जोर दिया। ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन उन्होंने ‘सामाजिक स्थैतिकी’ और ‘सामाजिक गतिकी’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया।
प्रश्न 2: ‘विभाजनकारी श्रम’ (Division of Labour) की समाज में भूमिका और उसके परिणामों का विश्लेषण किस समाजशास्त्री ने किया?
- अगस्त कॉम्ते
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
- इमाइल दुर्खीम
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में समाज में बढ़ते विभाजनकारी श्रम के सामाजिक एकीकरण पर पड़ने वाले प्रभावों का गहन विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity) और सा.व्य. एकता (Organic Solidarity) के बीच अंतर स्पष्ट किया। उन्होंने तर्क दिया कि आधुनिक समाजों में, जो श्रम के उच्च विभाजन की विशेषता रखते हैं, लोगों की परस्पर निर्भरता सा.व्य. एकता को बढ़ावा देती है, जो सामाजिक एकजुटता का एक नया रूप है।
- गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्ते ने सामाजिक स्थैतिकी और गतिकी का सिद्धांत दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास में जैविक विकासवाद (Organic Analogy) का प्रयोग किया। इमाइल दुर्खीम (Emile Durkheim) का सही स्पेलिंग है, लेकिन प्रश्न में विकल्प ‘b’ सही है।
प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में वर्ग संघर्ष का मुख्य आधार क्या है?
- धार्मिक मतभेद
- राष्ट्रीयता का अंतर
- उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व
- जातीय पूर्वाग्रह
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical Materialism) के अनुसार, पूंजीवादी समाज दो मुख्य वर्गों में विभाजित है: बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) जो उत्पादन के साधनों का मालिक होता है, और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) जो अपनी श्रम शक्ति बेचता है। यह स्वामित्व का अंतर ही संघर्ष का मूल है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) और ‘द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ (The Communist Manifesto) जैसी रचनाओं में इस वर्ग संघर्ष को इतिहास की मुख्य संचालक शक्ति बताया। उनका मानना था कि यह संघर्ष अंततः एक वर्गहीन समाज की स्थापना करेगा।
- गलत विकल्प: धार्मिक मतभेद, राष्ट्रीयता और जातीय पूर्वाग्रह मार्क्स के लिए द्वितीयक कारक थे; वर्ग संघर्ष वर्ग-आधारित आर्थिक संबंधों से उत्पन्न होता है।
प्रश्न 4: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्ररूप’ (Ideal Type) की अवधारणा का उपयोग किसलिए किया?
- वास्तविकता को हूबहू चित्रित करने के लिए
- तुलनात्मक विश्लेषण के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में
- सांख्यिकीय डेटा एकत्र करने के लिए
- सामाजिक समस्याओं का समाधान खोजने के लिए
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्ररूप’ को वास्तविकता का एक अतिरंजित या तार्किक रूप से सुसंगत मॉडल माना, जिसका उपयोग वास्तविक सामाजिक घटनाओं को समझने, वर्गीकृत करने और तुलना करने के लिए किया जाता है। यह वास्तविकता का दर्पण नहीं, बल्कि एक वैचारिक उपकरण है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही, पूंजीवाद, और प्रभुत्व के प्रकारों (पारंपरिक, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत) के विश्लेषण के लिए आदर्श प्ररूप का उपयोग किया। यह समझने में मदद करता है कि वास्तविक दुनिया इन अमूर्त मॉडलों से कैसे भिन्न है।
- गलत विकल्प: आदर्श प्ररूप वास्तविकता को हूबहू चित्रित नहीं करते, वे एक विशिष्टता पर जोर देते हैं। ये सीधे तौर पर सांख्यिकीय डेटा एकत्र करने का उपकरण नहीं हैं, बल्कि उस डेटा को समझने का ढाँचा प्रदान करते हैं। यह समस्याओं का समाधान खोजने के बजाय उनके विश्लेषण में सहायक है।
प्रश्न 5: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अर्थ क्या है?
- समाज में व्यक्तियों का एक-दूसरे से मिलना-जुलना
- समाज में विभिन्न समूहों के बीच सहयोग
- समाज में असमान वितरण और पदानुक्रमित व्यवस्था
- समुदाय के सदस्यों के बीच सामाजिक संबंध
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण किसी समाज में लोगों को उनकी संपत्ति, आय, शिक्षा, सामाजिक स्थिति, शक्ति या अन्य विशेषताओं के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित करने और उन परतों को एक पदानुक्रम में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के मुख्य रूप जाति, वर्ग, लिंग, आयु, और जातीयता पर आधारित हो सकते हैं। यह एक सार्वभौमिक घटना है, हालांकि इसके स्वरूप अलग-अलग समाजों में भिन्न होते हैं।
- गलत विकल्प: सामाजिक मेलजोल (a) और सहयोग (b) सामाजिक संपर्क के पहलू हैं, स्तरीकरण नहीं। सामाजिक संबंध (d) किसी भी समाज का हिस्सा है, लेकिन स्तरीकरण विशेष रूप से असमानता और पदानुक्रम से संबंधित है।
प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या तात्पर्य है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और मान्यताओं को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
- औद्योगीकरण की प्रक्रिया
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द का प्रयोग भारतीय समाज में उस प्रक्रिया के लिए किया, जिसमें निचली जातियाँ या जनजातियाँ अक्सर उच्च जातियों (विशेष रूप से द्विजातियों) की प्रथाओं, अनुष्ठानों, कर्मकांडों, रीति-रिवाजों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जो सामाजिक गतिशीलता को प्राप्त करने का एक साधन हो सकती है।
- गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति को अपनाना ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) है। औद्योगीकरण (c) और शहरी जीवन शैली (d) आधुनिकीकरण या शहरीकरण के पहलू हैं, संस्किृतिकरण के नहीं।
प्रश्न 7: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक नियमों के टूटने या स्पष्ट न होने की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि जब समाज में सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का कोई स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं रह जाता, तो व्यक्ति एक प्रकार की दिशाहीनता और अनिश्चितता का अनुभव करता है, जिससे अपराध, आत्महत्या आदि की दरें बढ़ सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में एनोमिक आत्महत्या का विस्तार से वर्णन किया है, जो समाज में तीव्र परिवर्तन या संकट के समय उत्पन्न होती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य जोर वर्ग संघर्ष पर था। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ पर काम किया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकासवाद का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 8: ‘आत्मसातकरण’ (Assimilation) वह प्रक्रिया है जिसमें:
- विविध सांस्कृतिक समूह अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए एक बड़े समाज में एकीकृत होते हैं।
- एक अल्पसंख्यक समूह धीरे-धीरे बहुसंख्यक समूह की संस्कृति, मूल्यों और व्यवहार को अपना लेता है।
- समाज विभिन्न सांस्कृतिक समूहों को अलग-अलग रहने की अनुमति देता है।
- विभिन्न समूह एक-दूसरे से सांस्कृतिक आदान-प्रदान करते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आत्मसातकरण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक या अधिक व्यक्ति या समूह, जो पहले एक अलग सांस्कृतिक पहचान रखते थे, एक बड़े, अधिक प्रमुख सांस्कृतिक समूह की जीवन शैली, मूल्यों, व्यवहार और मानदंडों को अपना लेते हैं, और अंततः अपनी मूल पहचान खो देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह विशेष रूप से आप्रवासी समुदायों या अल्पसंख्यक समूहों के संदर्भ में देखा जाता है जब वे मेजबान समाज में घुलमिल जाते हैं। यह बहुसंस्कृतिवाद (Multiculturalism) या संगतिकरण (Acculturation) से भिन्न है।
- गलत विकल्प: (a) बहुसंस्कृतिवाद या संगतिकरण का वर्णन करता है, जहाँ पहचान बनी रहती है। (c) अलगाव (Segregation) या बहुलवाद (Pluralism) का वर्णन करता है। (d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान (Cultural Diffusion) का वर्णन करता है।
प्रश्न 9: जॉन गर्टर (John Gerth) और सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) ने मैक्स वेबर के किस प्रमुख कार्य का अंग्रेजी में अनुवाद और संपादन किया, जिसने उनके विचारों को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराया?
- The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism
- From Max Weber: Essays in Sociology
- The Theory of Social and Economic Organization
- Economy and Society
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉन गर्टर और सी. राइट मिल्स ने मैक्स वेबर के महत्वपूर्ण निबंधों का संकलन ‘From Max Weber: Essays in Sociology’ के रूप में संपादित और अनुवादित किया, जिसने वेबर के विचारों, विशेष रूप से नौकरशाही, शक्ति, और सामाजिक विज्ञान के तरीकों पर उनके विचारों को व्यापक रूप से प्रसारित किया।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक समाजशास्त्र के छात्रों और विद्वानों के लिए वेबर को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनी।
- गलत विकल्प: (a) वेबर की एक मौलिक कृति है, लेकिन गर्टर और मिल्स का संपादन नहीं। (c) और (d) वेबर की अन्य महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं, लेकिन (b) विशेष रूप से गर्टर और मिल्स के संपादन का परिणाम है।
प्रश्न 10: भारत में जाति व्यवस्था के अध्ययन में ‘विवाह’ (Marriage) की भूमिका को किसने महत्वपूर्ण माना, विशेषकर अंतर्विवाह (Endogamy) के नियम पर?
- जी.एस. घुरिये
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- योगेंद्र सिंह
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: इरावती कर्वे, एक प्रसिद्ध मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री, ने भारतीय समाज, विशेषकर विवाह और नातेदारी प्रणालियों के अध्ययन पर बहुत जोर दिया। उन्होंने ‘किनशिप ऑर्गनाइजेशन इन इंडिया’ (Kinship Organization in India) जैसी अपनी रचनाओं में जाति व्यवस्था को बनाए रखने में अंतर्विवाह (एक ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह) की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया।
- संदर्भ और विस्तार: कर्वे ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विवाह प्रथाओं की तुलना की और क्षेत्रीय संस्कृतियों को समझने में नातेदारी और विवाह की संरचनाओं के महत्व पर प्रकाश डाला।
- गलत विकल्प: जी.एस. घुरिये ने जाति पर व्यापक लेखन किया, लेकिन विवाह पर कर्वे जितना विशेष ध्यान नहीं दिया। एम.एन. श्रीनिवास ने संस्किृतिकरण और दक्षिण भारत पर ध्यान केंद्रित किया। योगेंद्र सिंह ने भारतीय समाज में परिवर्तन और आधुनिकीकरण का विश्लेषण किया।
प्रश्न 11: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) के संदर्भ में, कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?
- यह केवल तकनीकी प्रगति को दर्शाता है।
- यह मुख्य रूप से पश्चिमी संस्कृति को अपनाने की प्रक्रिया है।
- यह एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल हैं।
- यह पारंपरिक समाज को पूरी तरह से समाप्त कर देता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आधुनिकीकरण एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, लोकतंत्रीकरण, शिक्षा का प्रसार, वैज्ञानिक सोच का विकास, और पारंपरिक संस्थाओं व मूल्यों में परिवर्तन जैसे विभिन्न आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसे अक्सर पश्चिमीकरण से जोड़ा जाता है, लेकिन यह केवल नकल नहीं है, बल्कि यह अपनी विशिष्टताओं के साथ नए संस्थानों और व्यवहारों का विकास भी है। यह पारंपरिक को पूरी तरह से समाप्त करने के बजाय उसे रूपांतरित भी करता है।
- गलत विकल्प: (a) आधुनिकीकरण का एक हिस्सा है, लेकिन यह एकमात्र पहलू नहीं। (b) पश्चिमीकरण के करीब है, लेकिन आधुनिकीकरण एक व्यापक अवधारणा है। (d) यह एक अतिरंजित कथन है; अक्सर पारंपरिक तत्व रूपांतरित होकर बने रहते हैं।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) से आप क्या समझते हैं?
- समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ाना
- समाज में व्यवस्था और पूर्वानुमान सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत व्यवहार को विनियमित करने की प्रक्रिया
- ज्ञान और सूचना का प्रसार
- सामुदायिक भावना को बढ़ावा देना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है, ताकि वे स्वीकृत मानदंडों, नियमों और मूल्यों के अनुसार कार्य करें। इसमें औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे परिवार, पड़ोस, जनमत) दोनों तरह के तरीके शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था, स्थिरता और पूर्वानुमेयता बनाए रखना है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक नियंत्रण अक्सर व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करता है। (c) ज्ञान का प्रसार शिक्षा से जुड़ा है। (d) सामुदायिक भावना महत्वपूर्ण है, लेकिन सामाजिक नियंत्रण का प्राथमिक कार्य व्यवस्था बनाए रखना है।
प्रश्न 13: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) के अनुसार, ‘कार्य’ (Function) का क्या अर्थ है?
- किसी सामाजिक संरचना द्वारा उत्पन्न प्रत्यक्ष और स्पष्ट परिणाम
- किसी सामाजिक संरचना द्वारा उत्पन्न अप्रत्यक्ष और छिपे हुए परिणाम
- सामाजिक संरचना के नकारात्मक परिणाम
- व्यक्तिगत संतुष्टि
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) को किसी सामाजिक संस्था या व्यवहार के उन स्पष्ट, प्रत्यक्ष और इच्छित परिणामों के रूप में परिभाषित किया है, जिन्हें समाज या उसके सदस्य पहचानते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने ‘प्रसुप्त कार्य’ (Latent Function) का भी वर्णन किया, जो अप्रत्यक्ष, अनपेक्षित और अक्सर अनजाने में होने वाले परिणाम होते हैं। उन्होंने यह भी ‘अकार्य’ (Dysfunction) की अवधारणा दी, जो सामाजिक व्यवस्था को बाधित करने वाले परिणामों को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: (b) प्रसुप्त कार्य (Latent Function) को परिभाषित करता है। (c) अकार्य (Dysfunction) को परिभाषित करता है। (d) व्यक्तिपरक है, जबकि कार्य सामाजिक संरचना से संबंधित है।
प्रश्न 14: ‘जाति का लोकतंत्रीकरण’ (Democratization of Caste) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है कि जाति अपनी शुद्धता और पवित्रता की धारणाओं को खोते हुए आर्थिक और राजनीतिक मानदंडों से प्रभावित हो रही है?
- आंद्रे बेतेई
- एन.के. बॉस
- ई. वी. रामासामी पेरियार
- अशोक मित्र
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 15: ‘समूह’ (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक समूह का उदाहरण नहीं है?
- एक परिवार
- एक क्रिकेट टीम
- एक कक्षा में बैठे सभी छात्र जो एक-दूसरे को नहीं जानते
- एक राजनीतिक दल के सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, समूह को आम तौर पर दो या दो से अधिक व्यक्तियों के संग्रह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, और एक साझा पहचान या उद्देश्य रखते हैं। विकल्प (c) में, छात्र एक साथ बैठे हैं, लेकिन उनमें आपसी बातचीत, पहचान या साझा उद्देश्य की कमी है, इसलिए वे एक समाजशास्त्रीय अर्थ में समूह नहीं बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार (a), क्रिकेट टीम (b), और राजनीतिक दल के सदस्य (d) सभी में आपसी जागरूकता, अंतःक्रिया और साझा लक्ष्य या पहचान होती है, जो उन्हें समूह बनाती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी समाजशास्त्रीय अर्थ में समूहों के उदाहरण हैं क्योंकि उनमें परस्पर क्रिया, साझा उद्देश्य और पहचान होती है।
प्रश्न 16: ‘अभिजात्य वर्ग’ (Elite) के सिद्धांत का विकास मुख्य रूप से किन दो विचारकों से जुड़ा है?
- कार्ल मार्क्स और एमिल दुर्खीम
- विलफ्रेडो परेटो और गेटाना मोस्का
- मैक्स वेबर और जॉर्ज सिमेल
- हरबर्ट स्पेंसर और ऑगस्ट कॉम्ते
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विल्फ्रेडो परेटो (Vilfredo Pareto) और गेटाना मोस्का (Gaetano Mosca) 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत के इतालवी समाजशास्त्री थे जिन्होंने ‘अभिजात्य वर्ग के सिद्धांत’ (Elite Theory) का विकास किया। उन्होंने तर्क दिया कि सभी समाजों में, चाहे वे कितने भी लोकतांत्रिक क्यों न हों, एक छोटा, शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग होता है जो सत्ता और संसाधनों पर नियंत्रण रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: परेटो ने ‘अभिजात्य वर्ग के परिभ्रमण’ (Circulation of Elites) का विचार दिया, जबकि मोस्का ने ‘शासक वर्ग’ (Ruling Class) के विचारों पर काम किया।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाजशास्त्र के अन्य प्रमुख विचारकों के हैं जिनके सिद्धांत अभिजात्य वर्ग के सिद्धांत से सीधे संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से तात्पर्य है:
- समाज में व्यक्तियों की भौतिक गति
- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी या एक व्यक्ति के जीवनकाल में सामाजिक स्थिति या वर्ग में परिवर्तन
- समाज में समूहों का एक साथ आना
- सामाजिक संरचना में परिवर्तन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति में ऊपर या नीचे की ओर बढ़ते हैं। यह ‘ऊर्ध्वाधर गतिशीलता’ (Vertical Mobility) (जैसे गरीबी से अमीरी) या ‘क्षैतिज गतिशीलता’ (Horizontal Mobility) (जैसे एक नौकरी से दूसरी समान स्थिति वाली नौकरी में जाना) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह या तो ‘अंतर-पीढ़ीगत’ (Intergenerational) हो सकती है (जैसे पिता और पुत्र की स्थिति की तुलना) या ‘अंतः-पीढ़ीगत’ (Intragenerational) (एक व्यक्ति के जीवनकाल में)।
- गलत विकल्प: (a) भौतिक गति है। (c) सामाजिक संपर्क या एकीकरण है। (d) सामाजिक संरचना का परिवर्तन है, जबकि गतिशीलता व्यक्तियों या समूहों की स्थिति का परिवर्तन है।
प्रश्न 18: ‘नगरीयता’ (Urbanism) की अवधारणा, जिसमें शहरी जीवन शैली के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों का अध्ययन किया जाता है, किस समाजशास्त्री से मुख्य रूप से जुड़ी है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- लुईस वर्थ
- पार्क्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: लुईस वर्थ (Louis Wirth) अपने प्रसिद्ध लेख ‘अर्बनिज्म एज ए वे ऑफ लाइफ’ (Urbanism as a Way of Life) में शहरीकरण के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का विश्लेषण करने वाले प्रमुख समाजशास्त्रियों में से एक हैं। उन्होंने शहरी जीवन को बड़े आकार, उच्च जनसंख्या घनत्व और विषमरूपता (Heterogeneity) के आधार पर परिभाषित किया, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्तिगत संबंध कमजोर पड़ते हैं, व्यक्तिवाद बढ़ता है, और सामाजिक नियंत्रण के अनौपचारिक तरीके अप्रभावी हो जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वर्थ शिकागो स्कूल ऑफ सोशियोलॉजी का हिस्सा थे, जिसने शहरीकरण के समाजशास्त्रीय अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने यांत्रिक और सा.व्य. एकता का अध्ययन किया। वेबर ने नौकरशाही और धर्म पर काम किया। पार्क्स (Robert E. Park) भी शिकागो स्कूल से थे और उन्होंने ‘मानव पारिस्थितिकी’ (Human Ecology) पर जोर दिया, लेकिन वर्थ ने विशेष रूप से ‘नगरीयता’ को जीवन शैली के रूप में परिभाषित किया।
प्रश्न 19: ‘धर्म’ (Religion) को समाज में ‘अफीम’ (Opium of the masses) किसने कहा, यह तर्क देते हुए कि यह उत्पीड़ितों को उनकी दुर्दशा को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- अगस्त कॉम्ते
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने धर्म को ‘जनता की अफीम’ कहा था। उनका मानना था कि धर्म लोगों को वर्तमान कष्टों से राहत दिलाने का झूठा वादा करता है और उन्हें क्रांतिकारी कार्रवाई से रोकता है, जिससे वे अपनी शोषित स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, धर्म “चेतना का विपर्यय” (Opium of the people) है, जो वर्तमान व्यवस्था को बनाए रखने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने धर्म को सामाजिक एकता और सामूहिक चेतना के स्रोत के रूप में देखा। वेबर ने प्रोटेस्टेंट नीतिशास्त्र और पूंजीवाद के बीच संबंध का विश्लेषण किया। कॉम्ते ने धार्मिक चरण का उल्लेख किया लेकिन मार्क्स जैसा आलोचनात्मक दृष्टिकोण नहीं अपनाया।
प्रश्न 20: ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) का सिद्धांत क्या सुझाव देता है?
- सभी संस्कृतियाँ नैतिक रूप से समान हैं।
- किसी संस्कृति को उसकी अपनी विशिष्ट मान्यताओं और मूल्यों के संदर्भ में ही समझा और मूल्यांकित किया जाना चाहिए।
- एक संस्कृति दूसरी संस्कृति से श्रेष्ठ होती है।
- सभी संस्कृतियों को एक समान मानक के अनुसार मापा जाना चाहिए।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सांस्कृतिक सापेक्षवाद एक मानवशास्त्रीय और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण है जो मानता है कि किसी भी संस्कृति के विश्वासों, मूल्यों और प्रथाओं को उस संस्कृति के संदर्भ में ही समझा जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी संस्कृति के मानदंडों या मूल्यों के आधार पर। इसका उद्देश्य किसी संस्कृति को श्रेष्ठ या निम्नतर आंकने से बचना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नृजातीयतावाद (Ethnocentrism) का विरोधी है, जिसमें व्यक्ति अपनी संस्कृति को दूसरों से श्रेष्ठ मानता है।
- गलत विकल्प: (a) सांस्कृतिक सापेक्षवाद नैतिक समानता का दावा नहीं करता, बल्कि समझ के लिए प्रासंगिक संदर्भ पर जोर देता है। (c) और (d) नृजातीयतावाद या सार्वभौमिकतावाद (Universalism) के विचार हैं, न कि सांस्कृतिक सापेक्षवाद के।
प्रश्न 21: भारत में ‘आदिवासी समुदायों’ (Tribal Communities) के अध्ययन में ‘अलगाव’ (Isolation) और ‘एकिकरण’ (Integration) के मुद्दों पर किसने काम किया?
- रामचंद्र गुहा
- एन.के. बोस
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
- घासीराम
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एन.के. बोस (N. K. Bose) ने भारत में आदिवासी समुदायों के समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने आदिवासियों के समाज, संस्कृति और भारतीय समाज के साथ उनके संबंध, विशेष रूप से ‘अलगाव’ (Isolation) और ‘एकिकरण’ (Integration) की प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से लिखा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आदिवासी समुदाय मुख्यधारा के समाज के साथ बातचीत करते हैं और बदलते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बोस ने आदिवासियों के भारत के साथ विलय (absorption) और आत्मसातकरण (assimilation) की प्रक्रियाओं का विश्लेषण किया, जिसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के परिणाम शामिल थे।
- गलत विकल्प: रामचंद्र गुहा पर्यावरण समाजशास्त्र और इतिहासकार हैं। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने जाति और दलितों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया, हालांकि उन्होंने आदिवासी मुद्दों का भी उल्लेख किया। घासीराम एक समाजशास्त्री हैं जिन्होंने दलित आंदोलन और सामाजिक न्याय पर काम किया।
प्रश्न 22: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) का सबसे उपयुक्त समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?
- समाज में व्यक्तियों के बीच रिश्ते
- समाज के प्रमुख संस्थानों और समूहों के बीच अंतर्संबंधों की अपेक्षाकृत स्थिर व्यवस्था
- लोगों का भौतिक ढाँचा
- किसी समाज के नियम और कानून
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक संरचना का तात्पर्य समाज के विभिन्न भागों, जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था, आदि के बीच अंतर्संबंधों की एक पैटर्न वाली, व्यवस्थित और अपेक्षाकृत स्थिर व्यवस्था से है। यह समाज के सदस्यों के व्यवहार और संबंधों को प्रभावित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स और अन्य समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर दिया। यह अमूर्त है और समाज के व्यक्तियों के समूह से अधिक स्थायी है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक संबंधों का हिस्सा है, लेकिन संरचना का संपूर्ण सार नहीं। (c) भौतिक ढांचा है। (d) संरचना का एक हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन पूरी संरचना नहीं।
प्रश्न 23: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को सबसे पहले व्यापक रूप से किसने विकसित किया?
- रॉबर्ट मर्टन
- जेम्स कोलमन
- पियरे बॉर्डियु
- एच.एस. बेकर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: पियरे बॉर्डियु (Pierre Bourdieu), एक फ्रांसीसी समाजशास्त्री, ने ‘सामाजिक पूंजी’ की अवधारणा को विकसित किया। उनके अनुसार, सामाजिक पूंजी वह संसाधन है जो किसी व्यक्ति या समूह को उनके सामाजिक नेटवर्क (संबंधों, संपर्कों) के माध्यम से प्राप्त होता है। ये नेटवर्क पारस्परिक विश्वास, सहयोग और समर्थन को बढ़ावा देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियु ने इसे सांस्कृतिक पूंजी (Cultural Capital) और आर्थिक पूंजी (Economic Capital) के साथ शक्ति के स्रोतों में से एक माना। बाद में, जेम्स कोलमन (James Coleman) ने भी इस अवधारणा पर महत्वपूर्ण काम किया, खासकर इसे व्यक्ति के कार्यों से जोड़ते हुए।
- गलत विकल्प: मर्टन ने ‘प्रकट और प्रसुप्त कार्य’ का सिद्धांत दिया। बेकर (Howard S. Becker) ने लेबलिंग सिद्धांत (Labeling Theory) पर काम किया। कोलमन ने बॉर्डियु के बाद सामाजिक पूंजी पर विस्तार से काम किया, लेकिन बॉर्डियु को इसका मूल प्रस्तावक माना जाता है।
प्रश्न 24: ‘भारतीय समाज में पश्चिमीकरण’ (Westernization in Indian Society) की अवधारणा, जिसमें बाहरी, पश्चिमी संस्कृति और जीवन शैली के प्रभाव का अध्ययन शामिल है, पर किसने विस्तार से लिखा?
- श्रीनिवास
- योगेंद्र सिंह
- टी.के. ओमन
- ए.आर. देसाई
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास (M. N. Srinivas) ने संस्किृतिकरण के साथ-साथ ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा का भी उपयोग किया, विशेषकर भारत में ब्रिटिश शासन के बाद हुए सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को समझाने के लिए। उन्होंने बताया कि कैसे ब्रिटिश संस्थानों, शिक्षा, कानून, प्रौद्योगिकी और जीवन शैली ने भारतीय समाज को प्रभावित किया।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण को संस्किृतिकरण के विपरीत या पूरक प्रक्रिया के रूप में देखा, जिससे सामाजिक परिवर्तन होता है।
- गलत विकल्प: योगेंद्र सिंह ने आधुनिकीकरण और सामाजिक परिवर्तन का अध्ययन किया। टी.के. ओमन ने सामाजिक परिवर्तन, सामाजिक आंदोलन और धार्मिकता पर काम किया। ए.आर. देसाई ने भारतीय राष्ट्रवाद और सामाजिक परिवर्तन पर मार्क्सवादी दृष्टिकोण से लिखा।
प्रश्न 25: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं, जिनका मानना था कि सामाजिक वास्तविकता लोगों के बीच अंतःक्रिया के माध्यम से निर्मित होती है?
- डेविड मिल्स
- एच. ब्लाउ
- जी.एच. मीड
- डेविड ई. एप्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के संस्थापक पिताओं में से एक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति अपने आत्म (Self) का विकास सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से करते हैं, विशेष रूप से प्रतीकों (भाषा, हाव-भाव) का उपयोग करके। समाजशास्त्र में इस विचारधारा का विस्तार चार्ल्स हॉर्टन कूली (Charles Horton Cooley) और हर्बर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) जैसे विद्वानों ने किया।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का ‘आत्म’, ‘समाज’ और ‘संज्ञानात्मक प्रक्रिया’ (Mind) पर काम प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद की नींव है।
- गलत विकल्प: डेविड मिल्स (C. Wright Mills) ने ‘इमेजिनेशन’ पर काम किया। एच. ब्लाउ (Peter Blau) ने विनिमय सिद्धांत (Exchange Theory) पर काम किया। डेविड ई. एप्स (David E. Apter) राजनीति विज्ञान से संबंधित हैं।