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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: संकल्पनाओं को पैना करें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: संकल्पनाओं को पैना करें!

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्री! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। ये 25 प्रश्न आपको समाजशास्त्र की गहराई में ले जाएंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी को नई दिशा देंगे। चलिए, शुरू करते हैं यह ज्ञानवर्धक यात्रा!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?

  1. ए.एल. क्रोएबर
  2. विलियम एफ. ओगबर्न
  3. ई.बी. टायलर
  4. रॉबर्ट रेडफील्ड

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उन्होंने तर्क दिया कि संस्कृति के दो मुख्य भाग होते हैं: भौतिक संस्कृति (तकनीक, गैजेट्स) और अभौतिक संस्कृति (विचार, मूल्य, कानून, रीति-रिवाज)। अक्सर, भौतिक संस्कृति अभौतिक संस्कृति की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिसके परिणामस्वरूप अभौतिक संस्कृति को भौतिक संस्कृति में हुए परिवर्तनों के अनुकूल होने में समय लगता है, इसी विलंब को ‘सांस्कृतिक विलंब’ कहते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सोशल चेंज: इट्स कंडीशंस एंड कॉजेज’ (1922) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उदाहरण के लिए, इंटरनेट का तीव्र विकास (भौतिक संस्कृति) ने नए सामाजिक व्यवहार और नैतिकता (अभौतिक संस्कृति) के विकास को जन्म दिया है, लेकिन कानूनों और सामाजिक मानदंडों को इसके अनुरूप ढलने में समय लग रहा है।
  • गलत विकल्प: ए.एल. क्रोएबर और ए.टी. हॉवेल ने संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन ‘सांस्कृतिक विलंब’ उनकी मुख्य अवधारणा नहीं थी। ई.बी. टायलर ने ‘मानव विज्ञान’ के क्षेत्र में कार्य किया। रॉबर्ट रेडफील्ड ने ‘लोक संस्कृति’ और ‘शहरी संस्कृति’ के बीच अंतर किया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी एक प्रारंभिक समाजशास्त्रीय प्रणाली है जो समाज को एक जीव के समान मानती है, जिसमें विभिन्न अंग एक-दूसरे पर निर्भर होकर कार्य करते हैं?

  1. संघर्ष सिद्धांत
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  3. प्रकार्यात्मकता
  4. व्यवहारवाद

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: प्रकार्यात्मकता (Functionalism) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखती है, जिसके विभिन्न हिस्से (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) समाज के संतुलन और स्थिरता को बनाए रखने के लिए मिलकर काम करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे एक जीवित जीव के विभिन्न अंग कार्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: हरबर्ट स्पेंसर ने इस ‘जैविक समानता’ (Organic Analogy) को सबसे पहले विकसित किया। बाद में, एमिल दुर्खीम, टालकॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन जैसे समाजशास्त्रियों ने प्रकार्यात्मक विश्लेषण को परिष्कृत किया। पार्सन्स ने समाज को चार प्रमुख प्रकार्यों (AGIL) में वर्गीकृत किया।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) समाज को शक्ति और संघर्ष के आधार पर देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) सूक्ष्म स्तर पर व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। व्यवहारवाद (Behaviorism) मनोविज्ञान की एक शाखा है जो अवलोकन योग्य व्यवहार का अध्ययन करती है।

प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में मुख्य विभाजन किस पर आधारित है?

  1. जाति
  2. धर्म
  3. उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व
  4. राष्ट्रीयता

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद के अनुसार, पूंजीवादी समाज में वर्ग विभाजन उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, मशीनें, भूमि) के स्वामित्व पर आधारित है। एक वर्ग (बुर्जुआजी) का उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व होता है, जबकि दूसरा वर्ग (सर्वहारा) केवल अपनी श्रम शक्ति बेच सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी कृति ‘दास कैपिटल’ में इस वर्ग संघर्ष को पूंजीवाद के अंतर्निहित इंजन के रूप में विश्लेषित किया। उन्होंने माना कि यह संघर्ष अंततः समाजवाद की ओर ले जाएगा।
  • गलत विकल्प: जाति, धर्म और राष्ट्रीयता भी सामाजिक स्तरीकरण के आधार हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के पूंजीवादी विश्लेषण में प्राथमिक विभाजन उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व से उत्पन्न वर्ग संघर्ष पर केंद्रित था।

प्रश्न 4: ‘एनोमी’ (Anomie) या ‘अराजकता’ की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के शिथिल होने से उत्पन्न होती है, किस समाजशास्त्री से सर्वाधिक जुड़ी है?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. ई. एच. श्मिट्स
  4. ई. दुर्खीम

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि जब समाज में सामूहिक चेतना कमजोर हो जाती है और व्यक्तियों के लिए कोई स्पष्ट सामाजिक मार्गदर्शन या नियम नहीं रह जाते, तो व्यक्ति दिशाहीन और अशांत महसूस करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में इस अवधारणा को विकसित किया। उन्होंने दिखाया कि कैसे सामाजिक विघटन या तीव्र सामाजिक परिवर्तन के दौरान एनोमी आत्मघाती दर को बढ़ा सकती है।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) जैसी अवधारणाएं दीं। कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) और ‘वर्ग संघर्ष’ पर ध्यान केंद्रित किया। ई. एच. श्मिट्स एक अर्थशास्त्री थे।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में, ‘जाति’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. यह मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति पर आधारित है।
  2. यह जन्म से निर्धारित होती है और इसमें गतिशीलता सीमित है।
  3. यह व्यावसायिक आधार पर निर्वाध रूप से बदल सकती है।
  4. इसका कोई धार्मिक आधार नहीं है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति अपनी जाति में पैदा होता है और आमतौर पर मृत्यु तक उसी जाति का सदस्य रहता है। इसमें ऊर्ध्वाधर (ऊंची-नीची) और क्षैतिज (एक ही स्तर की भिन्न जातियां) गतिशीलता अत्यंत सीमित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास, जीएस घुरिये जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया है। जाति कठोर स्तरीकरण का एक रूप है, जो अक्सर व्यवसाय, खान-पान, विवाह (अंतर्विवाह) और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है।
  • गलत विकल्प: जाति का प्राथमिक आधार आर्थिक स्थिति नहीं, बल्कि जन्म और वंशानुक्रम है। हालांकि व्यवसाय जाति से जुड़ा रहा है, लेकिन यह निर्वाध परिवर्तनशील नहीं है। जाति व्यवस्था का गहरा धार्मिक आधार भी है, जैसा कि कर्म और धर्म की अवधारणाओं में देखा जाता है।

प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संसकृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव
  2. किसी निम्न जाति द्वारा उच्च जाति के रिवाजों और विश्वासों को अपनाना
  3. औद्योगिकीकरण के कारण सामाजिक परिवर्तन
  4. शहरीकरण की प्रक्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास के अनुसार, संसकृतीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई निम्न या मध्यम हिंदू जाति या जनजाति, या कोई अन्य समूह, किसी उच्च या द्विजाति (twice-born) जाति के अनुष्ठानों, रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में प्रस्तुत की थी। यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, जो सामाजिक संरचना में बदलाव ला सकता है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) कहा जाता है। औद्योगिकीकरण और शहरीकरण सामाजिक परिवर्तन के अन्य प्रकार हैं, लेकिन संसकृतीकरण विशेष रूप से जाति व्यवस्था के भीतर की गतिशीलता से संबंधित है।

प्रश्न 7: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. अनौपचारिक संबंध और व्यक्तिगत पक्षपात
  2. पदानुक्रमित अधिकार, स्पष्ट नियम और विशेषज्ञता
  3. नियमों का अभाव और निर्णय में लचीलापन
  4. आकस्मिक नियुक्ति और अनिश्चित पद

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) के रूप में नौकरशाही का विश्लेषण किया, जिसकी मुख्य विशेषताएं एक स्पष्ट पदानुक्रम, नियमों और विनियमों का एक सुसंगत ढांचा, कार्य विभाजन, विशेषज्ञता, अमूर्तता (Impersonality) और योग्यता-आधारित चयन और पदोन्नति हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि यह संरचना आधुनिक समाजों में तर्कसंगतता और दक्षता लाती है, लेकिन साथ ही यह ‘लोहे का पिंजरा’ (Iron Cage) भी बना सकती है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करता है।
  • गलत विकल्प: अनौपचारिक संबंध, नियमों का अभाव और आकस्मिक नियुक्ति नौकरशाही की विशेषताएं नहीं हैं, बल्कि अनौपचारिक संगठन या निम्न-कुशल संगठनों में पाई जा सकती हैं।

प्रश्न 8: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रवर्तकों में से कौन एक हैं?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. एमाइल दुर्खीम

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख संस्थापक विचारकों में से एक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और स्वयं (Self) और समाज का निर्माण करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड का कार्य, विशेष रूप से उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ (Mind, Self and Society), प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के मूल सिद्धांतों को रेखांकित करता है, जिसमें ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) की अवधारणाएं शामिल हैं। उनके छात्र हर्बर्ट ब्लूमर ने इस सिद्धांत को व्यवस्थित रूप दिया और ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द गढ़ा।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम प्रकार्यात्मकता और सामाजिक तथ्यों के अध्ययन से जुड़े हैं। कार्ल मार्क्स संघर्ष सिद्धांत के जनक हैं। (नोट: एमाइल दुर्खीम वही व्यक्ति हैं जिनका नाम गलती से दो बार सूचीबद्ध किया गया है।)

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्र में अनुसंधान पद्धति का एक मात्रात्मक (Quantitative) दृष्टिकोण है?

  1. साक्षात्कार (Interviews)
  2. समूह चर्चा (Focus Groups)
  3. सर्वेक्षण (Surveys)
  4. नृवंशविज्ञान (Ethnography)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सर्वेक्षण (Surveys) में आमतौर पर संरचित प्रश्नावली का उपयोग करके बड़े नमूने से संख्यात्मक डेटा एकत्र किया जाता है। इस डेटा का विश्लेषण सांख्यिकीय विधियों से किया जाता है, जिससे पैटर्न और सहसंबंधों की पहचान की जा सके। यह मात्रात्मक अनुसंधान का एक प्रमुख तरीका है।
  • संदर्भ और विस्तार: मात्रात्मक अनुसंधान उद्देश्यपूर्ण, वस्तुनिष्ठ और सामान्यीकरण योग्य निष्कर्ष प्राप्त करने का प्रयास करता है। सर्वेक्षणों में आम तौर पर बंद-अंत वाले प्रश्न होते हैं जिनका आसानी से संख्यात्मक विश्लेषण किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: साक्षात्कार (विशेषकर गहन साक्षात्कार), समूह चर्चा और नृवंशविज्ञान गुणात्मक (Qualitative) अनुसंधान विधियाँ हैं, जो गहराई से समझ, अर्थ और संदर्भ प्राप्त करने पर केंद्रित होती हैं।

प्रश्न 10: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की अवधारणा से जुड़े समाजशास्त्री कौन हैं?

  1. औगुस्त कॉम्ते
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: औगुस्त कॉम्ते, एमिल दुर्खीम और मैक्स वेबर सभी को आधुनिकता के अध्ययन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रारंभिक समाजशास्त्रियों के रूप में देखा जाता है। कॉम्ते ने ‘सकारात्मकता’ (Positivism) के माध्यम से समाज के वैज्ञानिक अध्ययन का मार्ग प्रशस्त किया। दुर्खीम ने श्रम विभाजन और सामाजिक एकजुटता के बदलते रूपों का विश्लेषण किया। वेबर ने तर्कसंगतता, नौकरशाही और ‘जादुई दुनिया से मुक्ति’ (Disenchantment of the World) जैसी अवधारणाओं के माध्यम से आधुनिकता की व्याख्या की।
  • संदर्भ और विस्तार: इन तीनों ने मिलकर उन प्रमुख सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों की नींव रखी जिन्हें हम आधुनिकता से जोड़ते हैं, जैसे औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण और राष्ट्र-राज्य का उदय।
  • गलत विकल्प: चूंकि तीनों ही आधुनिकता के विश्लेषण से जुड़े हैं, इसलिए यह विकल्प सही है।

प्रश्न 11: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकार्यों’ (Functions) को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया: प्रत्यक्ष प्रकार्य (Manifest Functions) और अप्रत्यक्ष प्रकार्य (Latent Functions)। अप्रत्यक्ष प्रकार्य क्या हैं?

  1. सामाजिक व्यवस्था के स्वीकृत और इच्छित परिणाम
  2. समाज के असंतुलित परिणाम
  3. सामाजिक व्यवस्था के अनपेक्षित और अकथित परिणाम
  4. सामाजिक व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: अप्रत्यक्ष प्रकार्य (Latent Functions) वे परिणाम हैं जो किसी सामाजिक घटना, संस्था या व्यवहार के अनपेक्षित और अक्सर अकथित (unintended and often unrecognized) होते हैं। वे जानबूझकर या सचेत रूप से नहीं किए जाते।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक ‘सोशल थ्योरी एंड सोशल स्ट्रक्चर’ (Social Theory and Social Structure) में इन अवधारणाओं का विस्तार से वर्णन किया। उदाहरण के लिए, विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त करना एक प्रत्यक्ष प्रकार्य है, जबकि नए सामाजिक संबंध बनाना या एक विशिष्ट उपसंस्कृति का हिस्सा बनना अप्रत्यक्ष प्रकार्य हो सकते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) प्रत्यक्ष प्रकार्यों की परिभाषा है। विकल्प (b) और (d) ‘प्रकार्यात्मक विकृतियों’ (Dysfunctions) या नकारात्मक परिणामों की ओर इशारा करते हैं, न कि अप्रत्यक्ष प्रकार्यों की।

प्रश्न 12: भारतीय समाज में, ‘पंथ’ (Sect) और ‘संप्रदाय’ (Cult) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

  1. पंथ एक संगठित धर्म है, जबकि संप्रदाय एक नया धार्मिक आंदोलन है।
  2. पंथ का एक निश्चित संस्थापक होता है, जबकि संप्रदाय का नहीं।
  3. पंथ आम तौर पर एक छोटे, अधिक विशिष्ट समूह का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि संप्रदाय एक बड़े, अधिक समावेशी समूह का।
  4. पंथ में दृढ़ विश्वास होते हैं, जबकि संप्रदाय में नहीं।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: आम तौर पर, समाजशास्त्र में, एक ‘पंथ’ (Sect) को एक ऐसे धार्मिक समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो मुख्यधारा के धर्म से अलग हो गया है, जिसके अपने विशिष्ट विश्वास और अभ्यास हैं, और जो अक्सर एक छोटे, अधिक विशिष्ट और संकीर्ण सदस्य आधार वाला होता है। इसके विपरीत, एक ‘संप्रदाय’ (Cult) अक्सर एक ऐसे समूह को संदर्भित करता है जो अधिक नए, अनौपचारिक, करिश्माई और अक्सर बहिर्मुखी होता है, जो किसी विशेष नेता या नवीन विश्वासों पर केंद्रित होता है। हालाँकि, ये शब्द अक्सर अतिव्यापी होते हैं और इनकी परिभाषाएँ बहस का विषय रही हैं। कुछ इसे अधिक संगठित बनाम कम संगठित के रूप में देखते हैं। विकल्प (a) इन दो शब्दों के बीच एक सामान्य अंतर को इंगित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अर्नेस्ट ट्रेलट्श (Ernst Troeltsch) ने पंथ और चर्च (Church) के बीच अंतर किया था, जहाँ पंथ को एक स्वैच्छिक, आदर्शवादी समूह माना गया था। बाद में, इन अवधारणाओं को विस्तार दिया गया।
  • गलत विकल्प: संस्थापक का होना या न होना हमेशा एक स्पष्ट विभाजक रेखा नहीं होता। पंथ और संप्रदाय दोनों में दृढ़ विश्वास हो सकते हैं। विकल्प (a) एक सामान्य अंतर को दर्शाता है, हालांकि हमेशा सर्वव्यापी नहीं।

प्रश्न 13: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जो व्यक्तियों को उनके श्रम, स्वयं, दूसरों और उत्पादन की प्रक्रिया से अलग महसूस कराती है, किस समाजशास्त्री की केंद्रीय थी?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. ई. दुर्खीम
  4. सिगमंड फ्रायड

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था के तहत श्रमिकों के ‘अलगाव’ (Alienation) के चार मुख्य रूपों का विश्लेषण किया: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव (मानवीय सार से अलगाव), और दूसरों से अलगाव।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके शुरुआती लेखन, विशेष रूप से ‘इकोनॉमिक एंड फिलॉसॉफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में प्रमुखता से पाई जाती है। मार्क्स के अनुसार, अलगाव पूंजीवाद की एक स्वाभाविक परिणाम है।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘शक्तिहीनता’ (Powerlessness) और ‘अर्थहीनता’ (Meaninglessness) जैसी अवधारणाओं का विश्लेषण किया, लेकिन अलगाव मार्क्स के केंद्रीय विश्लेषण का विषय था। दुर्खीम ने ‘एनोमी’ पर ध्यान केंद्रित किया। सिगमंड फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक संस्थान’ (Social Institution) का उदाहरण है?

  1. मित्रता
  2. एक विशिष्ट राजनीतिक दल
  3. परिवार
  4. एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: परिवार एक मौलिक सामाजिक संस्था है जो समाज के सदस्यों के प्रजनन, समाजीकरण, आर्थिक सहायता और भावनात्मक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करता है। यह एक स्थायी संरचना, नियम और मूल्य प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अन्य सामाजिक संस्थाओं में विवाह, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था शामिल हैं। ये संस्थाएँ समाज को व्यवस्थित और संचालित करने में मदद करती हैं।
  • गलत विकल्प: मित्रता, एक राजनीतिक दल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जबकि महत्वपूर्ण सामाजिक संबंध या संरचनाएं हो सकती हैं, वे परिवार जैसे व्यापक और मौलिक सामाजिक संस्थाओं के समान स्थायी या सार्वभौमिक नहीं हैं, जो समाज के मूलभूत कार्यों को पूरा करती हैं।

प्रश्न 15: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का क्या अर्थ है?

  1. लोगों के बीच सामाजिक संबंधों का अध्ययन
  2. समाज में धन और संसाधनों का समान वितरण
  3. समाज में व्यक्तियों और समूहों की श्रेणीबद्ध व्यवस्था
  4. समाज में भूमिकाओं और स्थिति का अध्ययन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों को उनकी स्थिति, शक्ति, विशेषाधिकार और धन के आधार पर एक पदानुक्रमित (hierarchical) व्यवस्था में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है जो विभिन्न रूपों (जैसे वर्ग, जाति, लिंग) में प्रकट होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: डेविस और मूर (Davis and Moore) जैसे प्रकार्यात्मकविदों का तर्क है कि स्तरीकरण समाज के लिए आवश्यक है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए सबसे सक्षम व्यक्तियों को प्रेरित करता है। दूसरी ओर, संघर्ष सिद्धांतकार इसे शोषण और असमानता का स्रोत मानते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) सामाजिक संरचना या सामाजिक अंतःक्रिया का हिस्सा है। विकल्प (b) सामाजिक समानता की बात करता है, जो स्तरीकरण के विपरीत है। विकल्प (d) सामाजिक भूमिकाओं और स्थिति के बारे में है, लेकिन ‘स्तरीकरण’ विशेष रूप से उन भूमिकाओं और स्थितियों की श्रेणीबद्धता को दर्शाता है।

प्रश्न 16: एल. कोजर (Lewis Coser) के अनुसार, संघर्ष के कौन से प्रकार्य (Functions) समाज के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं?

  1. केवल संघर्ष को समाप्त करना
  2. समूहों के बीच एकजुटता बढ़ाना और आंतरिक एकता को मजबूत करना
  3. सभी सामाजिक समूहों को अलग-थलग करना
  4. सामाजिक परिवर्तन को रोकना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एल. कोजर ने अपनी पुस्तक ‘द फंक्शन्स ऑफ सोशल कॉनफ्लिक्ट’ (The Functions of Social Conflict) में तर्क दिया कि संघर्ष हमेशा विनाशकारी नहीं होता। बल्कि, यह समूहों के बीच एकता को बढ़ा सकता है, विशेषकर जब वे बाहरी समूह के खिलाफ एकजुट होते हैं। यह समूह की पहचान को भी मजबूत करता है और स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कोजर ने जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) के विचारों को आगे बढ़ाया, जिन्होंने संघर्ष को सामाजिक जीवन का एक अभिन्न अंग माना था। कोजर ने संघर्ष को सकारात्मक भूमिका निभाने वाले के रूप में देखा, जैसे कि यह नवीनता और सामाजिक परिवर्तन ला सकता है।
  • गलत विकल्प: संघर्ष को पूरी तरह से समाप्त करना या सामाजिक परिवर्तन को रोकना संघर्ष के सकारात्मक प्रकार्य नहीं हैं। अलगाव भी संघर्ष का एक नकारात्मक परिणाम हो सकता है।

प्रश्न 17: भारतीय ग्रामीण समाज के संदर्भ में, ‘बिरादरी’ (Biradari) की अवधारणा मुख्य रूप से क्या दर्शाती है?

  1. ग्राम पंचायत का निर्णय
  2. जाति या उप-जाति पर आधारित नातेदारी और सामाजिक समूह
  3. भूमि स्वामित्व का वितरण
  4. किसानों और ज़मींदारों के बीच संबंध

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: भारतीय ग्रामीण समाज में, ‘बिरादरी’ शब्द का प्रयोग आमतौर पर किसी विशेष जाति या उप-जाति से संबंधित लोगों के समूह के लिए किया जाता है, जिनके बीच घनिष्ठ नातेदारी, सामाजिक संबंध और साझा पहचान होती है। यह समूह अक्सर पारस्परिक सहायता और सामाजिक नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कई समाजशास्त्रियों ने भारतीय ग्राम समुदायों के अध्ययन में बिरादरी के महत्व पर प्रकाश डाला है। यह समूह अक्सर विवाह, सामाजिक रीति-रिवाजों और स्थानीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • गलत विकल्प: ग्राम पंचायत एक प्रशासनिक इकाई है। भूमि स्वामित्व और किसान-ज़मींदार संबंध स्तरीकरण के पहलू हैं, लेकिन बिरादरी मुख्य रूप से जाति-आधारित नातेदारी समूह को संदर्भित करती है।

प्रश्न 18: ‘आत्मसातकरण’ (Assimilation) की प्रक्रिया में क्या होता है?

  1. विभिन्न संस्कृतियाँ सह-अस्तित्व में रहती हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं।
  2. एक अल्पसंख्यक समूह प्रमुख संस्कृति के मूल्यों, व्यवहारों और पहचान को अपनाता है।
  3. विभिन्न सांस्कृतिक समूह अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए एक साझा संस्कृति विकसित करते हैं।
  4. समूह अपनी मूल संस्कृति को बनाए रखते हुए नई संस्कृति के तत्वों को अपनाते हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: आत्मसातकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह, या एक नई संस्कृति में प्रवेश करने वाला समूह, धीरे-धीरे या पूरी तरह से प्रमुख संस्कृति के मूल्यों, भाषा, व्यवहारों, रीति-रिवाजों और पहचान को अपना लेता है, और अपनी मूल सांस्कृतिक विशिष्टताओं को छोड़ देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक समावेशन की एक प्रक्रिया है, लेकिन यह अक्सर सांस्कृतिक हानि का कारण बन सकती है। यह ‘मेल्टिंग पॉट’ सिद्धांत के समान है, जहाँ विभिन्न समूह एक नई, एकीकृत संस्कृति बनाने के लिए मिश्रित होते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (Cultural Pluralism) को दर्शाता है। विकल्प (c) ‘एकीकरण’ (Integration) को दर्शाता है, जहाँ अपनी पहचान बनाए रखी जाती है। विकल्प (d) ‘सांस्कृतिक समायोजन’ (Acculturation) हो सकता है, जो आत्मसातकरण से कम पूर्ण है।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘अप्रत्यक्ष संस्था’ (Informal Institution) का उदाहरण है?

  1. सरकार
  2. स्कूल
  3. परंपराएँ और रीति-रिवाज
  4. न्यायपालिका

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: परंपराएँ और रीति-रिवाज अप्रत्यक्ष संस्थाएँ हैं क्योंकि वे समाज में अनौपचारिक रूप से विकसित और प्रसारित होती हैं। वे लिखित नियमों या औपचारिक संरचनाओं पर आधारित नहीं होतीं, बल्कि साझा समझ, विश्वासों और व्यवहारों पर आधारित होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रत्यक्ष संस्थाओं में सरकार, स्कूल, चर्च, बैंक आदि शामिल हैं, जिनमें स्पष्ट नियम, संरचनाएँ और पद होते हैं। अप्रत्यक्ष संस्थाएँ व्यवहार को निर्देशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन वे अनौपचारिक होती हैं।
  • गलत विकल्प: सरकार, स्कूल और न्यायपालिका स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष संस्थाएँ हैं क्योंकि वे औपचारिक नियमों, संरचनाओं और संगठनों पर आधारित हैं।

प्रश्न 20: ‘समूह’ (Group) के समाजशास्त्रीय अर्थ में, निम्नलिखित में से कौन सी एक विशेषता सबसे महत्वपूर्ण है?

  1. सदस्यों की न्यूनतम संख्या (कम से कम दो)
  2. आपसी जागरूकता और अंतःक्रिया
  3. समान भौगोलिक स्थान
  4. समान राजनीतिक विचारधारा

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, एक समूह को व्यक्तियों के एक संग्रह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक-दूसरे के प्रति सचेत होते हैं, एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं, और एक-दूसरे की उपस्थिति या कार्यों को प्रभावित करते हैं। यह आपसी जागरूकता और अंतःक्रिया समूह की पहचान और एकजुटता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) और ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Group) के बीच अंतर किया। प्राथमिक समूह छोटे, अंतरंग होते हैं और आमने-सामने की अंतःक्रिया पर आधारित होते हैं (जैसे परिवार, मित्र)। द्वितीयक समूह बड़े, अधिक अनौपचारिक और अक्सर विशिष्ट उद्देश्यों के लिए गठित होते हैं।
  • गलत विकल्प: केवल दो या अधिक सदस्यों का होना पर्याप्त नहीं है (जैसे भीड़)। समान भौगोलिक स्थान या राजनीतिक विचारधारा अपने आप में एक समूह नहीं बनाती जब तक कि आपसी अंतःक्रिया और जागरूकता न हो।

प्रश्न 21: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया का अर्थ क्या है?

  1. सभी धर्मों का अंत
  2. राजनीति और धर्म का पूर्ण पृथक्करण
  3. समाज में धर्म के प्रभाव और महत्व में कमी
  4. धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीना

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: धर्मनिरपेक्षीकरण उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसके द्वारा धर्म का समाज के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में प्रभाव, महत्व और शक्ति कम हो जाती है। यह जरूरी नहीं कि धर्म का अंत हो, बल्कि उसका महत्व घट जाए।
  • संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर जैसे समाजशास्त्रियों ने आधुनिकता और तर्कसंगतता के उदय के साथ धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया का विश्लेषण किया। यह शिक्षा, विज्ञान और राज्य के अलगाव जैसी प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) एक चरम स्थिति है जो हमेशा सच नहीं होती। विकल्प (b) ‘धर्म का राज्य से पृथक्करण’ (Separation of Church and State) को दर्शाता है, जो धर्मनिरपेक्षीकरण का एक पहलू हो सकता है, लेकिन स्वयं प्रक्रिया नहीं। विकल्प (d) धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत है।

प्रश्न 22: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया (Social Action) को समझने के लिए किस पद्धति पर जोर दिया?

  1. प्रयोग (Experimentation)
  2. सहसंबंध विश्लेषण (Correlation Analysis)
  3. वर्टेहेन (Verstehen) या व्याख्यात्मक समझ
  4. आंकड़ों का प्रत्यक्ष अवलोकन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को ‘सामाजिक क्रिया’ के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया, और इस क्रिया को समझने के लिए ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) पद्धति का सुझाव दिया। वर्टेहेन का अर्थ है कर्ता के दृष्टिकोण से उस क्रिया के पीछे के अर्थ, उद्देश्य और प्रेरणा को समझना।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि केवल बाह्य व्यवहार का अवलोकन करना पर्याप्त नहीं है; हमें उस व्यवहार के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थ को भी समझना होगा। यह उन्हें एमिल दुर्खीम के प्रत्यक्षतावादी (Positivist) दृष्टिकोण से अलग करता है।
  • गलत विकल्प: प्रयोग, सहसंबंध विश्लेषण और केवल प्रत्यक्ष अवलोकन ये मात्रात्मक या अधिक वस्तुनिष्ठ विधियाँ हैं, जबकि वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर दिया।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘कुल आत्मसात’ (Total Assimilation) की स्थिति का वर्णन करती है?

  1. अल्पसंख्यक समूह अपनी संस्कृति और पहचान को बनाए रखता है।
  2. अल्पसंख्यक समूह प्रमुख संस्कृति में विलय हो जाता है और अपनी मूल पहचान को पूरी तरह से छोड़ देता है।
  3. विभिन्न समूह सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखते हुए एक साथ रहते हैं।
  4. समूह नई संस्कृति के कुछ तत्वों को अपनाता है लेकिन अपनी मूल संस्कृति को प्रमुखता देता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कुल आत्मसातकरण वह स्थिति है जहाँ एक अल्पसंख्यक या आप्रवासी समूह पूरी तरह से मेजबान (प्रमुख) संस्कृति में विलय हो जाता है, अपनी मूल भाषा, रीति-रिवाजों, मूल्यों और पहचान को छोड़ देता है और मेजबान समाज की संस्कृति को पूरी तरह से अपना लेता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह आत्मसातकरण का सबसे चरम रूप है, और आधुनिक समाजशास्त्रीय विचार में, इसे हमेशा सकारात्मक नहीं माना जाता क्योंकि यह सांस्कृतिक हानि का कारण बनता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) सांस्कृतिक अलगाव या समावेशन की कमी को दर्शाता है। विकल्प (c) ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (Cultural Pluralism) को दर्शाता है। विकल्प (d) ‘सांस्कृतिक समायोजन’ (Acculturation) का एक रूप हो सकता है, लेकिन कुल आत्मसातकरण नहीं।

प्रश्न 24: ए.एल. क्रोएबर (A.L. Kroeber) ने संस्कृति को कैसे परिभाषित किया?

  1. यह मानव व्यवहार की कुल योग है।
  2. यह आनुवंशिक रूप से प्रसारित होने वाला व्यवहार है।
  3. यह सीखा हुआ, सामाजिक रूप से प्रेषित व्यवहार का कुल योग है।
  4. यह केवल भौतिक वस्तुओं का संग्रह है।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ए.एल. क्रोएबर, एक प्रमुख मानवविज्ञानी, ने संस्कृति को ‘सीखे हुए, सामाजिक रूप से प्रेषित व्यवहार के कुल योग’ के रूप में परिभाषित किया। इसका अर्थ है कि संस्कृति जन्मजात नहीं है, बल्कि समाज द्वारा सीखी जाती है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: क्रोएबर का कार्य संस्कृति के ‘अति-कार्बनिक’ (Superorganic) दृष्टिकोण पर केंद्रित था, यह मानते हुए कि संस्कृति अपने आप में एक अलग स्तर पर मौजूद है जो जैविक और भौतिक से स्वतंत्र है।
  • गलत विकल्प: मानव व्यवहार का कुल योग संस्कृति के साथ-साथ जैविक प्रक्रियाओं को भी शामिल करता है। आनुवंशिक रूप से प्रसारित व्यवहार जैविक है, सांस्कृतिक नहीं। संस्कृति में भौतिक वस्तुएं शामिल हैं, लेकिन यह केवल भौतिक वस्तुओं का संग्रह नहीं है; इसमें गैर-भौतिक तत्व (जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा) भी शामिल हैं।

प्रश्न 25: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का तात्पर्य है:

  1. समाज में एक व्यक्ति की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
  2. समाज में विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष।
  3. समाज में असमानता का वितरण।
  4. समाज में व्यक्तियों के बीच सामाजिक संबंधों का जाल।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाने की प्रक्रिया। यह ऊपर की ओर (ऊंची स्थिति में), नीचे की ओर (निचली स्थिति में), या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता को अक्सर ‘ऊर्ध्वाधर गतिशीलता’ (Vertical Mobility) और ‘क्षैतिज गतिशीलता’ (Horizontal Mobility) में वर्गीकृत किया जाता है। यह किसी व्यक्ति के जीवनकाल में हो सकती है (‘अंतरा-पीढ़ीगत गतिशीलता’) या एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक (‘अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता’)।
  • गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष (b) सामाजिक स्तरीकरण से संबंधित है, लेकिन गतिशीलता नहीं। असमानता का वितरण (c) भी स्तरीकरण का हिस्सा है। सामाजिक संबंधों का जाल (d) सामाजिक संरचना या नेटवर्क का वर्णन करता है।

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