समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अवधारणाओं को परखें, सफलता पाएं!
तैयारी के इस सफ़र में, अपनी समाजशास्त्रीय समझ को पैना करने का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं! पेश है आज का विशेष प्रश्नोत्तरी, जो आपके ज्ञान की गहराई और विश्लेषणात्मक क्षमता को परखेगा। आइए, इन 25 सवालों के साथ अपने अभ्यास को एक नई दिशा दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘अभिज्ञ’ (Verstehen) की अवधारणा किसने विकसित की, जिसका अर्थ है सामाजिक क्रियाओं को समझने के लिए कर्ता के व्यक्तिपरक अर्थों को समझना?
- कार्ल मार्क्स
- Émile Durkheim
- Max Weber
- Herbert Spencer
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘अभिज्ञ’ (Verstehen) की अवधारणा पेश की, जिसमें समाजशास्त्रियों को उन व्यक्तिपरक अर्थों को समझने की आवश्यकता पर बल दिया गया जो लोग अपनी क्रियाओं को देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) के केंद्र में है और उनके कार्य ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवाद (positivist) दृष्टिकोण के विपरीत है।
- गलत विकल्प: ‘वर्ग संघर्ष’ कार्ल मार्क्स का एक केंद्रीय विचार है, जबकि ‘अभिज्ञ’ वेबर की देन है। दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) जैसी अवधारणाएं विकसित कीं। हर्बर्ट स्पेंसर का योगदान सामाजिक डार्विनवाद (Social Darwinism) से जुड़ा है।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द क्या दर्शाता है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
- निचली जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर जाति पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त करने की प्रक्रिया
- औद्योगीकरण के कारण सामाजिक संरचना में परिवर्तन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संस्कृतीकरण, जैसा कि एम.एन. श्रीनिवास ने परिभाषित किया है, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निचली जाति या जनजाति, उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर जाति पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त करने का प्रयास करती है।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने पहली बार इस अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘दक्षिण भारत के कूर्गों के बीच धर्म और समाज’ (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रस्तावित किया था। यह संरचनात्मक गतिशीलता के बजाय सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी सांस्कृतिक लक्षणों को अपनाने से संबंधित है। ‘जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन’ एक क्रांतिकारी परिवर्तन है, जबकि संस्कृतीकरण मौजूदा पदानुक्रम के भीतर गतिशीलता है। ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) अधिक व्यापक शब्द है जो तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से संबंधित है।
प्रश्न 3: दुर्खीम के अनुसार, समाज में सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) का आधार क्या बदलता है, जब समाज सरल से जटिल औद्योगिक समाजों की ओर बढ़ता है?
- यांत्रिक एकजुटता से जैविक एकजुटता
- जैविक एकजुटता से यांत्रिक एकजुटता
- सामूहिक चेतना से व्यक्तिगत चेतना
- अनिवार्य श्रम से स्वैच्छिक सहयोग
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: दुर्खीम ने ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में तर्क दिया कि सरल, पूर्व-औद्योगिक समाजों में ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) होती है, जो साझा विश्वासों और समानताओं पर आधारित होती है। जटिल, औद्योगिक समाजों में, ‘जैविक एकजुटता’ (Organic Solidarity) विकसित होती है, जो परस्पर निर्भरता और श्रम के विभाजन पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिवर्तन समाज की बढ़ती जटिलता और विशेषज्ञता का परिणाम है। यांत्रिक एकजुटता में ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) बहुत मजबूत होती है, जबकि जैविक एकजुटता में व्यक्तिवाद बढ़ता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) विपरीत प्रक्रिया बताता है। विकल्प (c) सामूहिक चेतना के परिवर्तन को दर्शाता है, लेकिन यांत्रिक से जैविक एकजुटता के परिवर्तन का यह केवल एक पहलू है, पूरा आधार नहीं। विकल्प (d) सीधे तौर पर श्रम के विभाजन के परिवर्तन को संबोधित नहीं करता है।
प्रश्न 4: जॉन होमान्स (John Homans) के किस सिद्धांत को सामाजिक जीवन के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण माना जाता है?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- विनिमय सिद्धांत (Exchange Theory)
- द्वंद्ववाद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉन होमान्स, सामाजिक विनिमय सिद्धांत (Social Exchange Theory) के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक थे। यह सिद्धांत मानता है कि सामाजिक संबंध व्यक्तिगत पुरस्कारों और लागतों के आदान-प्रदान पर आधारित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: होमान्स ने अपनी कृति ‘सोशल बिहेवियर: इट्स बेसिक एलिमेंट्स’ (Social Behavior: Its Basic Elements) में इस सिद्धांत को प्रस्तुत किया, जो मनोविज्ञान से प्रभावित था। इसके अनुसार, लोग उन व्यवहारों को दोहराते हैं जिनके लिए उन्हें पुरस्कृत किया जाता है और उन व्यवहारों से बचते हैं जिनके लिए उन्हें दंडित किया जाता है।
- गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Parsons, Merton), प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Mead, Blumer), और द्वंद्ववाद (Marx) अन्य प्रमुख समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण हैं, लेकिन होमान्स मुख्य रूप से विनिमय सिद्धांत से जुड़े हैं।
प्रश्न 5: भारत में, ‘पिछड़ा वर्ग’ (Backward Classes) की अवधारणा से कौन सा समाजशास्त्रीय/सामाजिक-राजनीतिक सिद्धांत सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?
- सामाजिक डार्विनवाद
- वर्ग संघर्ष सिद्धांत
- सकारात्मक क्रिया (Affirmative Action) और आरक्षण
- संस्कृति का प्रसार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारत में ‘पिछड़ा वर्ग’ की अवधारणा ऐतिहासिक सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक असमानताओं को दूर करने के लिए सकारात्मक क्रिया (Affirmative Action) और आरक्षण की नीतियों से गहराई से जुड़ी हुई है।
- संदर्भ और विस्तार: मंडल आयोग (Mandal Commission) की रिपोर्ट और उसके बाद के सामाजिक आंदोलन पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर केंद्रित थे, जिसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना था।
- गलत विकल्प: सामाजिक डार्विनवाद (Social Darwinism) सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट की अवधारणा पर आधारित है, जो पिछड़े वर्गों की मदद करने के बजाय उन्हें बहिष्कृत कर सकता है। वर्ग संघर्ष सिद्धांत (Class Struggle Theory) मुख्य रूप से आर्थिक आधार पर समाज को विभाजित करता है, जबकि भारत में ‘पिछड़ापन’ केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और ऐतिहासिक रूप से भी परिभाषित है। संस्कृति का प्रसार (Diffusion of Culture) एक अलग अवधारणा है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का केंद्रीय तत्व है?
- समाज एक बड़े जैविक जीव के समान है।
- सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सामाजिक संस्थाएं कार्य करती हैं।
- व्यक्ति समाज के साथ अंतःक्रिया करते हुए स्वयं का अर्थ निर्माण करते हैं, प्रतीकों के माध्यम से।
- सामाजिक परिवर्तन मुख्य रूप से आर्थिक और वर्ग संघर्ष से प्रेरित होता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का मुख्य सरोकार यह है कि व्यक्ति समाज में प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं, और इसी अंतःक्रिया के माध्यम से वे स्वयं की और अपने आसपास की दुनिया की समझ (अर्थ) का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को इस दृष्टिकोण का संस्थापक माना जाता है, जिन्होंने ‘स्व’ (Self) और ‘समाज’ के निर्माण में अंतःक्रिया की भूमिका पर जोर दिया। हार्ल्ड गरफिंकल (Harold Garfinkel) और इरविंग गॉफमैन (Erving Goffman) भी इस परंपरा के महत्वपूर्ण विचारक हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structure-Functionalism) के बारे में है (जैसे स्पेंसर)। विकल्प (b) भी संरचनात्मक प्रकार्यवाद से संबंधित है। विकल्प (d) मार्क्सवाद (Marxism) का केंद्रीय विचार है।
प्रश्न 7: राल्फ डेरेंडोर्फ़ (Ralf Dahrendorf) ने कार्ल मार्क्स के वर्ग सिद्धांत का विस्तार करते हुए, आधुनिक समाजों में शक्ति के स्रोत के रूप में किस पर जोर दिया?
- संपत्ति का स्वामित्व
- उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण
- अधिकार और शक्ति (Authority and Power)
- कौशल और विशेषज्ञता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: राल्फ डेरेंडोर्फ़ ने तर्क दिया कि आधुनिक समाजों में, मार्क्स द्वारा बताए गए संपत्ति स्वामित्व के बजाय, समाज में अधिकार और शक्ति का वितरण वर्ग विभाजन का मुख्य आधार है।
- संदर्भ और विस्तार: अपनी पुस्तक ‘क्लास एंड क्लास कॉन्फ्लिक्ट इन इंडस्ट्रियल सोसाइटी’ (Class and Class Conflict in Industrial Society) में, उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास किसी संगठन में वैध अधिकार होता है (शासक वर्ग) और जिनके पास नहीं होता (अधीनस्थ वर्ग), उनके बीच संघर्ष होता है।
- गलत विकल्प: हालांकि संपत्ति और उत्पादन के साधन (a, b) ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहे हैं, डेरेंडोर्फ़ के अनुसार आधुनिक समाज में ये प्रत्यक्ष शक्ति स्रोत कम और अधिकार/नियंत्रण अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। कौशल और विशेषज्ञता (d) शक्ति का एक कारक हो सकता है, लेकिन डेरेंडोर्फ़ का मुख्य जोर संगठनात्मक अधिकार पर था।
प्रश्न 8: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) से निपटने के लिए कौन सा संवैधानिक प्रावधान सबसे महत्वपूर्ण है?
- अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता)
- अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध)
- अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन)
- अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 स्पष्ट रूप से ‘अस्पृश्यता’ के उन्मूलन का प्रावधान करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को वर्जित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद भारत में सामाजिक न्याय और समानता स्थापित करने के लिए एक मौलिक कदम था, जिसका उद्देश्य सदियों से चले आ रहे दलितों के उत्पीड़न को समाप्त करना था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध), और अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) सभी मौलिक अधिकार हैं और समानता को बढ़ावा देते हैं, लेकिन अनुच्छेद 17 सीधे तौर पर अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए समर्पित है।
प्रश्न 9: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने ‘अनुकूलित व्यवहार’ (Deviant Behavior) के बारे में अपनी ‘तनाव सिद्धांत’ (Strain Theory) में कौन से पाँच तरीके बताए?
- अनुपालन, नवाचार, अनुष्ठानवाद, पतन, विद्रोह
- अनुरूपता, नवाचार, अनुष्ठानवाद, पतन, विद्रोह
- अनुपालन, समस्या-समाधान, सामाजिकता, विद्रोह, अलगाव
- अनुरूपता, नवाचार, सामाजिकता, पतन, विद्रोह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने अपने तनाव सिद्धांत में बताया कि जब समाज में सांस्कृतिक रूप से परिभाषित लक्ष्य (जैसे धन, सफलता) और उन्हें प्राप्त करने के संस्थागत साधन (जैसे शिक्षा, नौकरी) के बीच एक बेमेल (तनाव) होता है, तो विभिन्न प्रकार के अनुकूलित व्यवहार उत्पन्न होते हैं। ये पाँच तरीके हैं: अनुरूपता (Conformity), नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), पतन (Retreatism), और विद्रोह (Rebellion)।
- संदर्भ और विस्तार: अनुरूपता वह स्थिति है जब व्यक्ति सांस्कृतिक लक्ष्यों और साधनों दोनों को स्वीकार करता है। नवाचार तब होता है जब व्यक्ति लक्ष्यों को स्वीकार करता है लेकिन साधनों को अस्वीकार कर देता है (जैसे ड्रग डीलर)। अनुष्ठानवाद में व्यक्ति साधनों को स्वीकार करता है लेकिन लक्ष्यों को छोड़ देता है (जैसे एक नियम-पालक क्लर्क)। पतन तब होता है जब व्यक्ति दोनों को अस्वीकार कर देता है (जैसे बेघर)। विद्रोह तब होता है जब व्यक्ति दोनों को अस्वीकार कर उन्हें बदलने का प्रयास करता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) में ‘अनुपालन’ (Compliance) का प्रयोग किया गया है जो अनुरूपता (Conformity) का पर्याय नहीं है। विकल्प (c) और (d) में गलत शब्द (जैसे समस्या-समाधान, सामाजिकता) शामिल हैं।
प्रश्न 10: भारत में, ‘पंचायती राज’ संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- ग्रामीण विकास में अभिजात वर्ग को मजबूत करना
- स्थानीय शासन को बढ़ावा देना और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना
- कृषि उत्पादन को बढ़ाना
- शहरीकरण को प्रोत्साहित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पंचायती राज संस्थाएं भारत में स्थानीय शासन को बढ़ावा देने और ग्रामीण स्तर पर सहभागी लोकतंत्र (participatory democracy) को मजबूत करने के लिए स्थापित की गई हैं।
- संदर्भ और विस्तार: 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम (1992) ने पंचायती राज संस्थाओं (ग्रामीण) और नगरपालिका (शहरी) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिसका उद्देश्य सत्ता का विकेंद्रीकरण करना और स्थानीय समुदायों को अपने विकास में अधिक शामिल करना था।
- गलत विकल्प: पंचायती राज संस्थाओं का उद्देश्य किसी विशेष वर्ग को मजबूत करना नहीं, बल्कि समावेशिता है। कृषि उत्पादन बढ़ाना (c) एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन यह मुख्य उद्देश्य नहीं है। शहरीकरण को प्रोत्साहित करना (d) शहरी स्थानीय निकायों का कार्य है, पंचायती राज का नहीं।
प्रश्न 11: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘प्रत्याशात्मक समाजीकरण’ (Anticipatory Socialization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- बच्चों का अपने माता-पिता से सीखना
- एक नई सामाजिक भूमिका निभाने से पहले, उस भूमिका से जुड़े मूल्यों, मानदंडों और व्यवहारों को सीखना।
- समाज में अपनी वर्तमान भूमिका को बनाए रखना।
- किसी समूह से बहिष्कृत होने की प्रक्रिया।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रत्याशात्मक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति भविष्य में निभाने वाली सामाजिक भूमिकाओं के लिए खुद को तैयार करते हैं, उन भूमिकाओं से जुड़े ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को सीखकर।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा रॉबर्ट मर्टन से जुड़ी हुई है। उदाहरण के लिए, एक युवा व्यक्ति जो डॉक्टर बनना चाहता है, वह मेडिकल स्कूल में प्रवेश करने से पहले ही अपनी पढ़ाई और जीवनशैली को तदनुसार समायोजित कर सकता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) सामान्य समाजीकरण का एक रूप है। विकल्प (c) वर्तमान भूमिका के रखरखाव को दर्शाता है, जबकि प्रत्याशात्मक समाजीकरण भविष्य की भूमिका पर केंद्रित है। विकल्प (d) समाजीकरण के विपरीत है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा इमाइल दुर्खीम के ‘सामूहिक मन’ (Collective Mind) या ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) के विचार से सबसे अधिक निकटता से जुड़ी है?
- शक्ति का वितरण
- सामाजिक नियंत्रण के तरीके
- समाज के साझा विश्वास, मूल्य और नैतिकता
- आर्थिक असमानता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: इमाइल दुर्खीम के अनुसार, ‘सामूहिक चेतना’ समाज के सदस्यों के साझा विश्वासों, मूल्यों, मनोवृत्तियों और ज्ञान का कुल योग है, जो समाज में एकजुटता पैदा करती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में इस विचार पर प्रकाश डाला। उनका मानना था कि जहाँ यांत्रिक एकजुटता होती है, वहाँ सामूहिक चेतना बहुत प्रबल होती है, जो समाज को एक इकाई के रूप में बांधती है।
- गलत विकल्प: शक्ति का वितरण (a), सामाजिक नियंत्रण (b), और आर्थिक असमानता (d) समाज के अन्य महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर दुर्खीम के ‘सामूहिक चेतना’ की परिभाषा में नहीं आते, जो सामाजिक एकजुटता के आधार का वर्णन करती है।
प्रश्न 13: मैक्स वेबर ने समाज को समझने के लिए ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) का उपयोग किस रूप में किया?
- वास्तविक सामाजिक घटनाओं का यथार्थवादी चित्रण
- ऐतिहासिक प्रगति का अंतिम लक्ष्य
- जटिल सामाजिक घटनाओं का विश्लेषण करने के लिए एक वैचारिक उपकरण
- लोकप्रिय जनमत का प्रतिनिधित्व
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘आदर्श प्रारूप’ एक वैचारिक उपकरण है, जो किसी विशेष सामाजिक घटना के प्रमुख, विशिष्ट लक्षणों को अतिरंजित करके बनाया जाता है, ताकि उसका विश्लेषण और तुलना करना आसान हो जाए। यह पूर्ण वास्तविकता नहीं है, बल्कि एक सारगर्भित मॉडल है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (bureaucracy), पूंजीवाद (capitalism) और धर्म (religion) जैसे कई आदर्श प्रारूप विकसित किए। वे इनका उपयोग वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को व्यवस्थित करने और समझने के लिए करते थे।
- गलत विकल्प: आदर्श प्रारूप (a) वास्तविक घटनाओं का यथार्थवादी चित्रण नहीं है, बल्कि एक विश्लेषण का उपकरण है। यह (b) ऐतिहासिक प्रगति का लक्ष्य भी नहीं है। यह (d) जनमत का प्रतिनिधित्व भी नहीं करता।
प्रश्न 14: समाजशास्त्रीय अध्ययन के लिए ‘आत्मसातकरण’ (Assimilation) और ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (Cultural Pluralism) किन दो विपरीत अवधारणाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं?
- सामाजिक गतिशीलता और सामाजिक स्तरीकरण
- सामाजिक नियंत्रण और सामाजिक विचलन
- संस्कृति का एकीकरण और संस्कृति का सह-अस्तित्व
- पारंपरिकता और आधुनिकता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आत्मसातकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक संस्कृति में एकीकृत हो जाता है, अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान को छोड़कर। इसके विपरीत, सांस्कृतिक बहुलवाद में, विभिन्न सांस्कृतिक समूह एक ही समाज में अपनी अलग पहचान बनाए रखते हुए सह-अस्तित्व में रहते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये अवधारणाएं विशेष रूप से आप्रवासन (immigration) और जातीय संबंधों (ethnic relations) के अध्ययन में महत्वपूर्ण हैं। आत्मसातकरण ‘मेल्टिंग पॉट’ (Melting Pot) मॉडल के समान है, जबकि सांस्कृतिक बहुलवाद ‘सलाद बाउल’ (Salad Bowl) मॉडल के समान है।
- गलत विकल्प: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) और सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) सामाजिक संरचना से संबंधित हैं। सामाजिक नियंत्रण (Social Control) और सामाजिक विचलन (Social Deviance) समाज के नियमों से संबंधित हैं। पारंपरिकता (Tradition) और आधुनिकता (Modernity) सामाजिक परिवर्तन के व्यापक पैटर्न हैं।
प्रश्न 15: समाजशास्त्र में, ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) से सबसे अधिक क्या तात्पर्य है?
- किसी समाज के व्यक्तियों की कुल संख्या।
- एक समाज में सामाजिक संबंधों, संस्थाओं और पदानुक्रमों का अपेक्षाकृत स्थिर पैटर्न।
- किसी समाज में प्रचलित रीति-रिवाजों और परंपराओं का समूह।
- समाज में होने वाले सभी सामाजिक परिवर्तन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संरचना उन अपेक्षाकृत स्थिर पैटर्न को संदर्भित करती है जो सामाजिक संबंधों, सामाजिक संस्थाओं (जैसे परिवार, शिक्षा, सरकार), भूमिकाओं और पदानुक्रमों से मिलकर बनते हैं, जो समाज को आकार देते हैं और व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स, और स्ट्रॉस जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर दिया है। यह समाज को एक स्थायी और व्यवस्थित इकाई के रूप में समझने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: (a) केवल जनसंख्या का आकार है। (c) संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन संरचना का केवल एक पहलू। (d) समाज की एक विशेषता है, लेकिन संरचना स्वयं नहीं।
प्रश्न 16: लुई अल्थुसर (Louis Althusser) के अनुसार, ‘विचारधारात्मक राज्य उपकरण’ (Ideological State Apparatuses – ISAs) क्या कार्य करते हैं?
- राज्य की दमनकारी शक्ति को प्रत्यक्ष रूप से लागू करना।
- समाज में शक्ति और उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण बनाए रखना।
- मुख्यतः बल और हिंसा का उपयोग करके सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना।
- लोगों को विचारों, मूल्यों और विश्वासों के माध्यम से राज्य की सत्ता को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करना।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अल्थुसर ने ‘विचारधारात्मक राज्य उपकरण’ (ISAs) जैसे स्कूल, परिवार, धर्म, मीडिया आदि का वर्णन किया, जो बल के बजाय विचारधारा और सहमति के माध्यम से राज्य की सत्ता को बनाए रखते हैं। ये उपकरण लोगों के मन को आकार देते हैं और उन्हें मौजूदा सामाजिक व्यवस्था को स्वाभाविक और स्वीकार्य मानने के लिए प्रेरित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अल्थुसर मार्क्सवादी परंपरा के विचारक थे, जिन्होंने पूंजीवादी समाजों में सत्ता बनाए रखने के तरीकों का विश्लेषण किया। उन्होंने ‘दमनकारी राज्य उपकरण’ (Repressive State Apparatuses – RSAs) जैसे पुलिस, सेना से इन्हें अलग किया, जो प्रत्यक्ष बल का प्रयोग करते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) दमनकारी राज्य उपकरणों (RSAs) का वर्णन करते हैं। विकल्प (b) मार्क्सवादी विश्लेषण का एक सामान्य बिंदु है, लेकिन अल्थुसर का विशेष योगदान ISAs के माध्यम से विचारधारा के कार्य को समझाना है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रारंभिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है?
- Émile Durkheim
- Karl Marx
- Max Weber
- George Herbert Mead
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने ‘स्व’ (Self), ‘समाज’ (Society) और ‘मन’ (Mind) के विकास में प्रतीकों और अंतःक्रिया की भूमिका पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि मीड ने स्वयं अपने विचार प्रकाशित नहीं किए, उनके छात्रों (जैसे हरबर्ट ब्लूमर) ने उनके व्याख्यानों को संकलित किया और ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द गढ़ा। उन्होंने ‘मैं’ (I), ‘मी’ (Me), और ‘जनरलाइज्ड अदर’ (Generalized Other) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाएं दीं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम, मार्क्स और वेबर क्रमशः प्रकार्यवाद, मार्क्सवाद और व्याख्यात्मक समाजशास्त्र के प्रमुख विचारक हैं, न कि प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के।
प्रश्न 18: भारत में, ‘दर्शन’ (Darshan) से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह केवल धार्मिक कर्मकांडों का एक सेट है।
- यह जीवन जीने का एक नैतिक तरीका सिखाता है, जो सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखता है।
- यह ज्ञान प्राप्त करने के लिए विभिन्न दार्शनिक प्रणालियों और विधियों का अध्ययन है, जो अक्सर सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करता है।
- यह समाजशास्त्र का पर्याय है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय दर्शन (Darshan) ज्ञान प्राप्त करने के विभिन्न दृष्टिकोणों, तार्किक प्रणालियों और विश्व-दृष्टिकोणों का अध्ययन है। इसके विचार सामाजिक व्यवहार, मूल्यों और संरचनाओं को गहराई से प्रभावित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय दर्शन में छह प्रमुख आस्तिक दर्शन (न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदांत) और नास्तिक दर्शन (चार्वाक, बौद्ध, जैन) शामिल हैं। ये विभिन्न कर्म, धर्म, मोक्ष और संसार जैसी अवधारणाएं भारतीय समाज के ताने-बाने में बुनी हुई हैं।
- गलत विकल्प: यह केवल धार्मिक कर्मकांड (a) नहीं है। यह नैतिक तरीका सिखा सकता है (b), लेकिन इसका मुख्य जोर ज्ञान की प्रणाली है। यह समाजशास्त्र (d) का पर्याय नहीं है, हालांकि समाजशास्त्र इससे प्रभावित होता है।
प्रश्न 19: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने अपनी पुस्तक ‘द प्रेजेंटेशन ऑफ सेल्फ इन एवरीडे लाइफ’ (The Presentation of Self in Everyday Life) में समाज को किस रूपक (metaphor) के रूप में देखा?
- एक संघर्षरत समाज
- एक संस्थागत व्यवस्था
- एक रंगमंच (Theatre)
- एक जैविक जीव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक में समाज और मानवीय अंतःक्रिया को एक रंगमंच के रूप में प्रस्तुत किया, जहाँ व्यक्ति ‘अभिनय’ करते हैं, ‘मुखौटे’ पहनते हैं, और ‘दर्शकों’ को प्रभावित करने के लिए अपनी ‘छवि’ का प्रबंधन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) की अवधारणा का उपयोग किया, जहाँ सामाजिक जीवन को मंचित किया जाता है, जिसमें ‘सामने का मंच’ (Front Stage) और ‘पर्दे के पीछे’ (Back Stage) की भूमिकाएं होती हैं। यह दृष्टिकोण प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अंतर्गत आता है।
- गलत विकल्प: (a) मार्क्सवाद या डेरेंडोर्फ़ से जुड़ा है। (b) संरचनात्मक प्रकार्यवाद से जुड़ा है। (d) संरचनात्मक प्रकार्यवाद (जैसे स्पेंसर) से जुड़ा है।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) से जुड़ी है?
- अभिज्ञ (Verstehen)
- द्वंद्ववाद
- सामाजिक संस्थाओं के कार्य
- संस्कृति का प्रसार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संरचनात्मक प्रकार्यवाद मानता है कि समाज विभिन्न अंतर्संबंधित भागों (संस्थाओं) से बना है, और प्रत्येक भाग समाज के समग्र संतुलन और स्थिरता में एक विशिष्ट कार्य (function) करता है।
- संदर्भ और विस्तार: टालकोट पार्सन्स (Talcott Parsons) इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक हैं, जिन्होंने समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जिसमें विभिन्न संरचनाएं (जैसे परिवार, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) निश्चित कार्य करती हैं।
- गलत विकल्प: अभिज्ञ (a) वेबर से, द्वंद्ववाद (b) मार्क्स से, और संस्कृति का प्रसार (d) मानवशास्त्रीय अध्ययन से जुड़ा है।
प्रश्न 21: एम.एन. श्रीनिवास के अनुसार, भारतीय समाज में ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- केवल पश्चिमी देशों की जीवनशैली अपनाना।
- ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीयों द्वारा पश्चिमीकृत शिक्षा, संस्थाओं, प्रौद्योगिकी और मूल्यों को अपनाना।
- सभी संस्कृतियों का एक समान मिश्रण।
- ग्रामीण जीवन की ओर वापसी।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘पश्चिमीकरण’ को विशेष रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान भारतीय समाज पर पड़े प्रभाव के रूप में परिभाषित किया। इसमें पश्चिमी शिक्षा, कानून, प्रौद्योगिकी, कला, साहित्य और जीवनशैली को अपनाना शामिल था।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द उन्होंने अपनी पुस्तक ‘भारत में सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change in India) में प्रयोग किया। पश्चिमीकरण के प्रभाव से समाज के विभिन्न वर्गों पर अलग-अलग तरह से असर पड़ा।
- गलत विकल्प: यह केवल जीवनशैली (a) तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्थागत और तकनीकी परिवर्तन भी शामिल हैं। (c) सांस्कृतिक मिश्रण का सामान्य विचार है, जबकि पश्चिमीकरण विशिष्ट है। (d) इसका विपरीत है।
प्रश्न 22: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
- संख्यात्मक डेटा एकत्र करके सिद्धांतों को सिद्ध करना।
- सामाजिक घटनाओं के गहन, अर्थपूर्ण समझ प्राप्त करना, जिसमें संदर्भ और व्यक्तिपरक अनुभव शामिल हैं।
- बड़े पैमाने पर आबादी के व्यवहार को मापना।
- समाज की संरचनाओं को गणितीय मॉडल में व्यक्त करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य सामाजिक दुनिया की गहराई, जटिलता और बारीकियों को समझना है। इसमें साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी आदि विधियों का उपयोग करके लोगों के अनुभवों, भावनाओं, विश्वासों और सामाजिक संदर्भों को गहराई से खोजना शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: यह मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) से भिन्न है, जो संख्याओं और सांख्यिकी पर केंद्रित होता है। गुणात्मक अनुसंधान ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर देने में सहायक होता है।
- गलत विकल्प: (a), (c) और (d) सभी मात्रात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ हैं, न कि गुणात्मक अनुसंधान की।
प्रश्न 23: कौन सा समाजशास्त्री ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का उपयोग मुख्य रूप से पूंजीवादी उत्पादन संबंधों के संदर्भ में करता है, जहाँ श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, स्वयं और दूसरों से अलग महसूस करता है?
- Max Weber
- Émile Durkheim
- Karl Marx
- Auguste Comte
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को पूंजीवादी समाज में श्रमिक वर्ग की स्थिति का वर्णन करने के लिए केंद्रीय माना। उनका मानना था कि श्रमिक अपने उत्पादन के कार्य, उत्पाद, अपनी रचनात्मक क्षमता और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं क्योंकि वे उत्पादन के साधनों के मालिक नहीं होते।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘इकोनॉमिक एंड फिलोसोफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में अलगाव के विभिन्न रूपों का विस्तार से वर्णन किया है।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘अलगाव’ (Entfremdung) शब्द का उपयोग किया था, लेकिन यह मुख्य रूप से तर्कसंगतता (rationalization) और नौकरशाही से जुड़ा था। दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) का प्रयोग किया। कॉम्ते समाजशास्त्र के संस्थापक थे, लेकिन अलगाव उनकी मुख्य अवधारणा नहीं थी।
प्रश्न 24: समाजशास्त्र में ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
- यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है।
- यह हमें समाज के मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं को सीखने में मदद करती है।
- यह हमेशा एक सकारात्मक और अनुकूल प्रक्रिया होती है।
- यह परिवार, शिक्षा, सहकर्मी समूह और मीडिया जैसे विभिन्न अभिकर्ताओं (agents) द्वारा प्रभावित होती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिकरण एक जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है (a), जो हमें समाज के मानदंडों और मूल्यों को सिखाती है (b) और विभिन्न अभिकर्ताओं द्वारा प्रभावित होती है (d)। हालाँकि, यह हमेशा सकारात्मक या अनुकूल नहीं होती। कुछ सामाजिकरण की प्रक्रियाएं व्यक्ति को हानिकारक व्यवहार या रूढ़िवादिता सिखा सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिकरण का उद्देश्य व्यक्ति को समाज में कार्य करने के लिए तैयार करना है, लेकिन समाज में मौजूद नकारात्मक मूल्य या पूर्वाग्रह भी सामाजिकरण का हिस्सा बन सकते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) गलत है क्योंकि सामाजिकरण नकारात्मक परिणाम भी दे सकता है, जैसे कि अनैतिक व्यवहार सीखना या पूर्वाग्रहों को अपनाना।
प्रश्न 25: एस. एफ. नड्ल (S.F. Nadel) ने मानव समाज के अध्ययन में किस अवधारणा पर जोर दिया, जो विभिन्न सदस्यों की भूमिकाओं और सामाजिक संरचना के बीच संबंधों को समझने में महत्वपूर्ण है?
- सांस्कृतिक सापेक्षवाद
- कार्यात्मक विश्लेषण (Functional Analysis)
- सामाजिक संरचना और भूमिका विश्लेषण
- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एस. एफ. नड्ल ने विशेष रूप से सामाजिक संरचना और उसमें व्यक्तियों द्वारा निभाई जाने वाली भूमिकाओं (roles) के बीच के संबंध पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने तर्क दिया कि किसी समाज की संरचना को समझने के लिए, हमें यह देखना होगा कि विभिन्न पद (positions) और उनसे जुड़ी भूमिकाएँ कैसे व्यवस्थित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘द नेचुरल हिस्ट्री ऑफ द डेवलपमेंट ऑफ सोशल स्ट्रक्चर’ (The Natural History of the Development of Social Structure) में, उन्होंने भूमिकाओं की जटिल प्रणाली के माध्यम से सामाजिक संरचना के निर्माण का विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक सापेक्षवाद (a) यह विचार है कि सभी संस्कृतियों को उनके अपने संदर्भ में समझा जाना चाहिए। कार्यात्मक विश्लेषण (b) समाजशास्त्र में एक व्यापक दृष्टिकोण है, न कि नड्ल की विशिष्ट देन। द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (d) मार्क्सवादी सिद्धांत का हिस्सा है।