समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!
तैयारी के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर, अपनी समाजशास्त्रीय समझ को पैना करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है? आज के विशेष प्रश्नोत्तरी के साथ जुड़ें और जानें कि आपकी संकल्पनाएँ कितनी स्पष्ट हैं। यह सिर्फ़ एक अभ्यास नहीं, बल्कि आपके ज्ञान को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का एक अवसर है!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने समाज के व्यवहार के बाहरी और बाध्यकारी नियमों के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: इमाइल दुर्खीम ने ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) नामक अपनी कृति में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को पेश किया। उन्होंने इसे मानव व्यवहार के ऐसे पैटर्न के रूप में परिभाषित किया जो व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालते हैं और जिन पर व्यक्ति का नियंत्रण सीमित होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य ‘चीजों’ (things) की तरह माने जाने चाहिए, यानी उन्हें वस्तुनिष्ठ रूप से अध्ययन किया जाना चाहिए। इसके उदाहरणों में कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज, फैशन और सामाजिक कार्यप्रणाली शामिल हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और उत्पादन संबंधों पर ज़ोर दिया। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) यानी व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर बल दिया। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) में ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) जैसी अवधारणाएँ विकसित कीं।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?
- पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण
- किसी निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाकर सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाना
- तकनीकी उन्नति और शहरीकरण की प्रक्रिया
- राजनीतिक समाजीकरण का एक रूप
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में संस्कृतिकरण की अवधारणा को प्रस्तुत किया। यह वह प्रक्रिया है जिसमें निम्न सामाजिक-जाति समूह, उच्चतर द्विजाति (twice-born) की जीवन शैली, अनुष्ठानों और देव-देवियों की पूजा को अपनाते हैं ताकि वे अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार कर सकें।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह मुख्य रूप से एक सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) की प्रक्रिया है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता (structural mobility) की। यह प्रक्रिया भारतीय समाज में जाति व्यवस्था के भीतर सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण माध्यम रही है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव है। आधुनिकीकरण (Modernization) व्यापक तकनीकी और संस्थागत परिवर्तन को दर्शाता है। राजनीतिक समाजीकरण राजनीतिक संस्कृति को आत्मसात करने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी ग्रंथि ‘संसाधनों की कमी’ (Scarcity of Resources) को सामाजिक असमानता का मुख्य कारण मानती है?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- नारीवाद (Feminism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: संघर्ष सिद्धांत, विशेष रूप से कार्ल मार्क्स के विचारों से प्रभावित, मानता है कि समाज में शक्ति और संसाधनों (जैसे धन, भूमि, विशेषाधिकार) का असमान वितरण सामाजिक असमानता को जन्म देता है। संसाधन सीमित होते हैं, और विभिन्न समूह इन पर नियंत्रण के लिए संघर्ष करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह संघर्ष विशेष रूप से उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व को लेकर बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच होता है। यह सिद्धांत सत्ता, नियंत्रण और शोषण पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता को बनाए रखने वाले विभिन्न सामाजिक संस्थानों के कार्यों पर प्रकाश डालता है। नारीवाद लैंगिक असमानता और पितृसत्तात्मक संरचनाओं के विश्लेषण पर ज़ोर देता है।
प्रश्न 4: ‘विदेशीकरण’ (Alienation) की अवधारणा, विशेषकर औद्योगिक समाज में श्रमिकों के अलगाव के संदर्भ में, किस विचारक से प्रमुख रूप से जुड़ी है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था के तहत श्रमिकों के ‘विदेशीकरण’ या ‘अलगाव’ की महत्वपूर्ण अवधारणा दी। उनके अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद से, स्वयं अपनी श्रम प्रक्रिया से, अपने ‘मानवीय सार’ (species-being) से, और अंततः अन्य मनुष्यों से अलग-थलग हो जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में इस पर विस्तार से चर्चा की है। यह अलगाव उत्पाद पर श्रमिक के नियंत्रण की कमी और श्रम के एक यांत्रिक, दोहराव वाले कार्य में बदल जाने के कारण होता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (anomie) यानी निर्बाधता या मूल्य-शून्यता के अलगाव पर काम किया। वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता के कारण होने वाले अलगाव की बात की। कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद (positivism) की वकालत की।
प्रश्न 5: समाज को एक जीवित प्राणी की तरह देखने का, जहाँ प्रत्येक अंग (सामाजिक संस्था) एक विशिष्ट कार्य (function) करता है जो पूरे समाज के अस्तित्व और संतुलन के लिए आवश्यक है, यह दृष्टिकोण किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत का आधार है?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- प्रकार्यात्मक सिद्धांत (Functionalism)
- पंथनिरपेक्षतावाद (Secularism)
- संरचनावाद (Structuralism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: प्रकार्यात्मक सिद्धांत (Functionalism) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जिसके विभिन्न हिस्से (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं ताकि समाज स्थिर और एकीकृत बना रहे। यह दृष्टिकोण समाज को एक जैविक जीव से प्रेरित है, जहाँ प्रत्येक अंग का एक विशिष्ट कार्य होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस सिद्धांत के प्रमुख प्रतिपादकों में हर्बर्ट स्पेंसर, एमिल दुर्खीम, और टैल्कॉट पार्सन्स शामिल हैं। वे यह विश्लेषण करते हैं कि समाज के विभिन्न संरचनाएँ (institutions) क्या कार्य (functions) करती हैं, और क्या वे समाज के लिए प्रकार्यात्मक (functional) हैं या दुष्क्रियात्मक (dysfunctional)।
- गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। संरचनावाद सामाजिक संरचनाओं के अंतर्निहित पैटर्न का अध्ययन करता है। पंथनिरपेक्षता धर्म और राज्य के पृथक्करण से संबंधित है।
प्रश्न 6: ‘डबल कॉन्शसनेस’ (Double Consciousness) की अवधारणा, जो अफ्रीकी-अमेरिकियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले आत्म-बोध के दोहरेपन का वर्णन करती है, किस समाजशास्त्री/विचारक ने प्रस्तुत की?
- इरविन गॉफमैन
- डब्ल्यू. ई. बी. डु बोइस
- हावर्ड बेकर
- अल्बर्ट बंडुरा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: डब्ल्यू. ई. बी. डु बोइस ने अपनी उत्कृष्ट कृति ‘द सौल्स ऑफ ब्लैक फोक’ (The Souls of Black Folk) में ‘डबल कॉन्शसनेस’ की अवधारणा का वर्णन किया। यह वह भावना है जिसमें व्यक्ति को अपनी पहचान को दो विरोधी दृष्टिकोणों से देखना पड़ता है: एक स्वयं का और दूसरा समाज द्वारा उस पर थोपा गया दृष्टिकोण।
- संदर्भ एवं विस्तार: डु बोइस के लिए, यह अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों द्वारा अनुभव की जाने वाली एक गहरी मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या थी, जहाँ वे अपनी निग्रो पहचान और अमेरिकी पहचान के बीच फँसे हुए थे, और उन्हें लगातार समाज के पूर्वाग्रहों से जूझना पड़ता था।
- गलत विकल्प: इरविन गॉफमैन ने ‘स्टिग्मा’ (stigma) और ‘ड्रामाटर्जी’ (dramaturgy) जैसी अवधारणाएँ दीं। हावर्ड बेकर ने ‘लेबलिंग सिद्धांत’ (labeling theory) पर काम किया। अल्बर्ट बंडुरा एक मनोवैज्ञानिक हैं जो सामाजिक अधिगम सिद्धांत (social learning theory) के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के संदर्भ में, ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?
- किसी भी जाति के व्यक्ति आपस में विवाह कर सकते हैं।
- केवल एक ही गोत्र (Gotra) के भीतर विवाह की अनुमति है।
- अपने स्वयं के जाति समूह (sub-caste) के भीतर ही विवाह करना।
- विभिन्न जातियों के बीच विवाह की अनुमति है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता अंतर्विवाह है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपने ही जाति समूह (जटिल रूप से उप-जाति स्तर पर) के भीतर विवाह करना होता है। यह जाति की सदस्यता को बनाए रखने और रक्त-रेखा को शुद्ध रखने का एक तरीका है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह नियम जाति के भीतर सामाजिक अलगाव को बढ़ावा देता है और जाति की अखंडता को सुरक्षित रखता है। इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है अपने ही समूह से बाहर विवाह करना (जैसे, गोत्र बहिर्विवाह)।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (d) बहिर्विवाह या अंतर-जातीय विवाह का वर्णन करते हैं, जो जाति व्यवस्था में प्रतिबंधित हैं। विकल्प (b) गोत्र बहिर्विवाह का एक उदाहरण है, जो अक्सर अंतर्विवाह के साथ-साथ मौजूद होता है।
प्रश्न 8: ‘आधुनिक समाज’ (Modern Society) की एक प्रमुख विशेषता निम्नलिखित में से कौन सी नहीं है?
- बढ़ी हुई विशेषज्ञता और श्रम का विभाजन
- तर्कसंगतता (Rationality) और नौकरशाही का प्रसार
- सामूहिक जीवन (Gemeinschaft) पर आधारित घनिष्ठ सामाजिक संबंध
- व्यक्तिवाद (Individualism) का उदय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 9: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जिसका अर्थ है सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का क्षरण या अनुपस्थिति, किस समाजशास्त्री से सबसे प्रमुख रूप से जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: इमाइल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा को सामाजिक विघटन की स्थिति का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया, जहाँ व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और सामाजिक नियंत्रण के बीच कोई सामंजस्य नहीं होता। यह तब होता है जब सामाजिक नियम कमजोर पड़ जाते हैं या पूरी तरह से गायब हो जाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने इसे आत्महत्या (suicide) के कारणों में से एक के रूप में अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में समझाया। उन्होंने विशेष रूप से तब एनोमी की स्थिति देखी जब समाज में तीव्र आर्थिक परिवर्तन या राजनीतिक उथल-पुथल होती है।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने अलगाव (alienation) पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने तर्कसंगतता और ‘जादू-टोना’ (disenchantment) की बात की। सिमेल ने आधुनिक शहरी जीवन की जटिलताओं और मौद्रिक अर्थव्यवस्था के प्रभावों का विश्लेषण किया।
प्रश्न 10: ‘समाजशास्त्र’ (Sociology) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस विचारक ने किया?
- हरबर्ट स्पेंसर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: फ्रांसीसी दार्शनिक ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है। उन्होंने 1838 में अपनी पुस्तक ‘कोर्स इन पॉजिटिव फिलॉसफी’ (Course in Positive Philosophy) में ‘समाजशास्त्र’ (Sociologie) शब्द का प्रयोग किया, जो लैटिन ‘socius’ (साथी) और ग्रीक ‘logos’ (अध्ययन) से बना है।
- संदर्भ एवं विस्तार: कॉम्टे ने समाज का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) की वकालत की, जिसका उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था और प्रगति को समझना था।
- गलत विकल्प: हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास और ‘समाज के डार्विनवाद’ (Social Darwinism) पर काम किया। दुर्खीम और मार्क्स प्रमुख प्रारंभिक समाजशास्त्री थे जिन्होंने इस क्षेत्र को विकसित किया।
प्रश्न 11: ‘पंथनिरपेक्षता’ (Secularism) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, इसका अर्थ है:
- सभी लोग नास्तिक हो जाएँ।
- धर्म का प्रभाव सामाजिक, राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन से कम हो जाए।
- किसी भी धर्म का अस्तित्व न रहे।
- सभी धर्मों को समान दर्जा मिले, लेकिन केवल निजी जीवन में।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: समाजशास्त्रीय अर्थ में पंथनिरपेक्षता का तात्पर्य धर्म के प्रभाव का सार्वजनिक क्षेत्र से अलगाव या कमी है। इसका मतलब यह नहीं है कि लोग नास्तिक हो जाएं या धर्म का अस्तित्व समाप्त हो जाए, बल्कि यह कि राज्य और अन्य सार्वजनिक संस्थाएँ धार्मिक हस्तक्षेप से मुक्त रहें।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह धर्म की भूमिका में बदलाव को दर्शाता है, जहाँ वह मुख्य रूप से व्यक्तिगत विश्वास और निजी जीवन का विषय बन जाता है, न कि सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक जीवन का नियंत्रक।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) चरम स्थितियाँ हैं जो पंथनिरपेक्षता का सही अर्थ नहीं हैं। विकल्प (d) आंशिक रूप से सही है कि धर्म को निजी क्षेत्र में माना जाता है, लेकिन यह सार्वजनिक क्षेत्र से इसके अलगाव के मुख्य विचार को नहीं पकड़ता।
प्रश्न 12: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएँ और संस्थाएँ
- व्यक्तियों के बीच होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाएँ और प्रतीकों का निर्माण
- आर्थिक व्यवस्था और उत्पादन संबंध
- सामाजिक स्तरीकरण के संरचनात्मक कारण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविन गॉफमैन जैसे विचारकों से जुड़ा है। यह सिद्धांत मानता है कि समाज व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं की एक सतत प्रक्रिया के माध्यम से बनता है, जहाँ लोग प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) का उपयोग करके एक-दूसरे के व्यवहार को समझते हैं और प्रतिक्रिया देते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस दृष्टिकोण के अनुसार, हमारी पहचान, हमारे स्वयं के बारे में हमारी समझ, और हमारे सामाजिक व्यवहार सभी इन अंतःक्रियाओं और प्रतीकों की व्याख्या से उत्पन्न होते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) प्रकार्यात्मकता और मार्क्सवाद जैसे सिद्धांतों का फोकस है। विकल्प (c) मार्क्सवाद से संबंधित है। विकल्प (d) स्तरीकरण सिद्धांत (Stratification Theory) से संबंधित है।
प्रश्न 13: ‘कन्फ्रंटेशन’ (Confrontation) का संबंध किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत से है, जो सामाजिक परिवर्तन को विभिन्न समूहों के बीच शक्ति संघर्ष के परिणाम के रूप में देखता है?
- प्रकार्यात्मक सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संघर्ष सिद्धांत
- नारीवाद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) समाज को विभिन्न समूहों के बीच शक्ति, संसाधनों और स्थिति के लिए निरंतर संघर्ष के रूप में देखता है। जब ये समूह अपने हितों को प्राप्त करने के लिए सीधे टकराते हैं, तो इसे ‘कन्फ्रंटेशन’ या संघर्ष कहा जाता है, जो सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख चालक बन सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: कार्ल मार्क्स इस सिद्धांत के प्रमुख प्रतिपादक हैं, जो वर्ग संघर्ष पर ज़ोर देते हैं। अन्य विचारक जैसे रैल्फ डेरेनडॉर्फ़ ने भी संघर्ष को सामाजिक व्यवस्था का एक अंतर्निहित हिस्सा माना।
- गलत विकल्प: प्रकार्यात्मक सिद्धांत सामंजस्य और संतुलन पर ध्यान केंद्रित करता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। नारीवाद विशेष रूप से लिंग आधारित संघर्षों का विश्लेषण करता है।
प्रश्न 14: ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) के अध्ययन में, ‘समरक्तता’ (Consanguinity) से क्या तात्पर्य है?
- विवाह द्वारा स्थापित संबंध
- जन्म या रक्त संबंध द्वारा स्थापित संबंध
- कानूनी रूप से गोद लेने से स्थापित संबंध
- मित्रता या सहयोग द्वारा स्थापित संबंध
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: समरक्तता (Consanguinity) का अर्थ है रक्त संबंध, यानी एक ही पूर्वज से उत्पन्न होने के कारण आपस में जुड़े हुए व्यक्ति। परिवार के अध्ययन में, यह उन सदस्यों को दर्शाता है जो जन्म के आधार पर एक-दूसरे से संबंधित हैं, जैसे माता-पिता, बच्चे, भाई-बहन।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह ‘संबंधिता’ (Affinity) के विपरीत है, जो विवाह द्वारा स्थापित संबंधों को दर्शाता है, जैसे ससुर, साला, इत्यादि।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) संबंधिता (Affinity) या विवाह-संबंध को दर्शाता है। विकल्प (c) कानूनी संबंध को दर्शाता है। विकल्प (d) अनौपचारिक संबंधों को दर्शाता है।
प्रश्न 15: ‘नारीवाद’ (Feminism) के विभिन्न सिद्धांत समाज में असमानता के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हैं। ‘उदारवादी नारीवाद’ (Liberal Feminism) मुख्य रूप से किस पर केंद्रित होता है?
- राज्य को उखाड़ फेंकना और क्रांति लाना
- पितृसत्ता को चुनौती देना और महिलाओं के लिए समान अधिकारों और अवसरों की माँग करना
- पूंजीवाद को समाप्त करना और वर्गहीन समाज की स्थापना करना
- सांस्कृतिक प्रतीकों और भाषा में छिपे पितृसत्तात्मक विचारों को बदलना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: उदारवादी नारीवाद का मानना है कि समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव मुख्य रूप से पुरुषों के वर्चस्व और उन कानूनों और प्रथाओं के कारण होता है जो महिलाओं को समान अधिकार और अवसर नहीं देते। इसलिए, यह समानतावादी सुधारों, शिक्षा, रोजगार में समान अवसर और विधायी परिवर्तनों पर ज़ोर देता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह किसी क्रांति की वकालत नहीं करता, बल्कि मौजूदा व्यवस्था के भीतर रहकर सुधारों के माध्यम से लैंगिक समानता प्राप्त करने का प्रयास करता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) क्रांतिकारी नारीवाद का हिस्सा हो सकता है। विकल्प (c) समाजवाद-आधारित नारीवाद (Socialist Feminism) से संबंधित है। विकल्प (d) उत्तर-संरचनावादी या सांस्कृतिक नारीवाद (Post-structuralist or Cultural Feminism) का क्षेत्र हो सकता है।
प्रश्न 16: सामाजिक अनुसंधान में, ‘अध्ययन विषय के अर्थ को समझना’ (understanding the subjective meaning of the subject) किस दृष्टिकोण का मूलमंत्र है?
- प्रत्यक्षवाद (Positivism)
- व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- व्यवहारवाद (Behaviorism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: व्याख्यात्मक समाजशास्त्र, जिसे ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) के नाम से भी जाना जाता है, का मुख्य उद्देश्य सामाजिक क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों, इरादों और प्रेरणाओं को समझना है। मैक्स वेबर इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रस्तावक थे।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसका मानना है कि केवल बाहरी व्यवहार का अवलोकन पर्याप्त नहीं है; समाजशास्त्रियों को उन कारणों को समझने का प्रयास करना चाहिए जो लोगों को इस तरह से व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रत्यक्षवाद प्राकृतिक विज्ञानों की तरह वस्तुनिष्ठता और मापन पर जोर देता है। व्यवहारवाद, हालांकि समाजशास्त्र में कम प्रचलित है, व्यवहार के अवलोकन योग्य पहलुओं पर केंद्रित है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद सामाजिक संरचनाओं और कार्यों के एकीकरण पर ध्यान देता है।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?
- समाज में जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
- समाज के भीतर व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में ऊपर या नीचे की ओर होने वाला परिवर्तन।
- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संपत्ति का हस्तांतरण।
- सामाजिक वर्गों के बीच अनौपचारिक संबंध।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति, वर्ग, या पदानुक्रम में अपनी स्थिति बदलते हैं। यह ऊर्ध्वाधर (vertical) हो सकती है (ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (horizontal) (एक ही स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में)।
- संदर्भ एवं विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता को ‘सामाजिक उत्थान’ (upward mobility) या ‘सामाजिक पतन’ (downward mobility) कहा जाता है। यह पीढ़ीगत (generation) या अंतर-पीढ़ीगत (intragenerational) हो सकती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) प्रवासन (migration) से संबंधित है। विकल्प (c) संपत्ति हस्तांतरण से संबंधित है, जो गतिशीलता का एक कारण हो सकता है। विकल्प (d) अनौपचारिक संबंधों का वर्णन करता है।
प्रश्न 18: ‘प्रच्छन्न प्रकार्य’ (Latent Functions) की अवधारणा, जो किसी सामाजिक संरचना या संस्थान के अनपेक्षित या अनकहे परिणाम हैं, किस समाजशास्त्री की देन है?
- इमाइल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- रॉबर्ट के. मर्टन
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: रॉबर्ट के. मर्टन ने प्रकार्यात्मक सिद्धांत के भीतर ‘प्रच्छन्न प्रकार्य’ (Latent Functions) और ‘प्रकट प्रकार्य’ (Manifest Functions) के बीच अंतर किया। प्रकट प्रकार्य किसी संस्था के स्वीकृत या इच्छित परिणाम होते हैं, जबकि प्रच्छन्न प्रकार्य अनजाने या अनपेक्षित परिणाम होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन का मानना था कि समाजशास्त्रीय विश्लेषण में प्रच्छन्न प्रकार्यों की पहचान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट प्रकार्य शिक्षा प्रदान करना है, जबकि एक प्रच्छन्न प्रकार्य सामाजिक नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करना या राजनीतिक विचार-विमर्श का केंद्र बनना हो सकता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ और ‘सामाजिक तथ्य’ पर काम किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ज़ोर दिया। वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ और नौकरशाही का विश्लेषण किया।
प्रश्न 19: भारतीय संदर्भ में, ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया को अक्सर निम्नलिखित में से किसके साथ जोड़ा जाता है?
- केवल तकनीकी उन्नति
- सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में परिवर्तन
- पारंपरिक मूल्यों का पूर्ण त्याग
- ग्रामीण जीवन शैली को अपनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें केवल तकनीकी या आर्थिक विकास शामिल नहीं है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं में व्यापक परिवर्तन शामिल हैं, जैसे कि तर्कसंगतता का प्रसार, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का विस्तार, लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास और सांस्कृतिक मूल्यों का परिवर्तन।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अक्सर संस्कृतिकरण या पश्चिमीकरण से भिन्न होता है क्योंकि यह केवल सांस्कृतिक नकल नहीं है, बल्कि समाज की आंतरिक संरचनाओं में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है।
- गलत विकल्प: आधुनिकीकरण केवल तकनीकी उन्नति नहीं है (a)। यह पारंपरिक मूल्यों को पूरी तरह से नहीं त्यागता, बल्कि उन्हें रूपांतरित करता है (c)। यह शहरीकरण की ओर ले जाता है, न कि ग्रामीण जीवन शैली को अपनाने की ओर (d)।
प्रश्न 20: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अर्थ क्या है?
- समाज के सदस्यों को समान रूप से व्यवस्थित करना।
- समाज के सदस्यों को विभिन्न स्तरों या श्रेणियों में वर्गीकृत करना, जो शक्ति, विशेषाधिकार और प्रतिष्ठा में भिन्न होते हैं।
- समाज में प्रचलित विभिन्न संस्कृतियों का अध्ययन।
- सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए एक पद्धति।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें समाज के सदस्यों को उनकी स्थिति, संसाधनों तक पहुँच, शक्ति और सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर पदानुक्रमित स्तरों में व्यवस्थित किया जाता है। यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है, जो विभिन्न रूपों (जैसे जाति, वर्ग, लिंग) में मौजूद है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यवस्था पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है, यद्यपि इसमें सामाजिक गतिशीलता संभव है। इसका अध्ययन समाज की असमानताओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) समानता को दर्शाता है। विकल्प (c) सांस्कृतिक अध्ययन से संबंधित है। विकल्प (d) सामाजिक अनुसंधान पद्धति से संबंधित है।
प्रश्न 21: ‘मैक-ऑफ-माइंड’ (Meme-of-Mind) जैसी अवधारणाएँ, जो विचारों और सांस्कृतिक सूचनाओं के प्रसार को समझने का प्रयास करती हैं, किस सैद्धांतिक दृष्टिकोण से प्रेरित हैं?
- डार्विन का विकासवाद
- जीन-आधारित जीवविज्ञान
- आत्म-संगठन (Self-Organization)
- संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (Cognitive Psychology)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: ‘मीम’ (Meme) की अवधारणा, जिसे रिचर्ड डॉकिन्स ने ‘द सेल्फिश जीन’ (The Selfish Gene) में प्रस्तुत किया, चार्ल्स डार्विन के प्राकृतिक चयन (Natural Selection) के सिद्धांत से प्रेरित है। मीम सांस्कृतिक सूचना की एक इकाई है जो व्यक्तियों के बीच विचारों, व्यवहारों या शैलियों के रूप में फैलती है, ठीक उसी तरह जैसे जीन जैविक सूचना फैलाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: जिस तरह जीन की उत्तरजीविता (survival) और प्रजनन (reproduction) होता है, उसी तरह मीम भी ‘प्रसार’, ‘परिवर्तन’ और ‘चयन’ की प्रक्रियाओं से गुजरते हैं। यह सांस्कृतिक विकास को समझने का एक तरीका है।
- गलत विकल्प: जीवविज्ञान (b) जीन पर केंद्रित है, लेकिन मीम सांस्कृतिक इकाई है। आत्म-संगठन (c) जटिल प्रणालियों के उद्भव से संबंधित है। संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (d) व्यक्तिगत मानसिक प्रक्रियाओं पर केंद्रित है।
प्रश्न 22: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की आदर्श-प्रकार (Ideal-Type) की अवधारणा, जिसमें तर्कसंगत, पदानुक्रमित और नियम-आधारित संगठन का वर्णन किया गया है, किस समाजशास्त्री की प्रमुख देन है?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को आधुनिक औद्योगिक समाजों में संगठन का सबसे कुशल और तर्कसंगत रूप माना। उन्होंने इसके कई आदर्श-प्रकार के लक्षणों का वर्णन किया, जैसे स्पष्ट श्रम विभाजन, पदानुक्रम, लिखित नियम, अहस्तांतरणीय पद और योग्यता-आधारित चयन।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर के अनुसार, नौकरशाही तर्कसंगत-वैध अधिकार (rational-legal authority) का एक रूप है। यद्यपि यह दक्षता लाती है, यह ‘लोहे के पिंजरे’ (iron cage) को भी जन्म दे सकती है, जहाँ मानव स्वतंत्रता कम हो जाती है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता और एनोमी पर काम किया। मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष का विश्लेषण किया। रेडक्लिफ-ब्राउन एक संरचनात्मक प्रकार्यवादक थे जिन्होंने सामाजिक संरचनाओं और कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 23: भारतीय समाज में ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की व्यवस्था के संदर्भ में, ‘रक्त संबंध’ (consanguineal ties) और ‘विवाह संबंध’ (affinal ties) का क्या महत्व है?
- दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और परिवार के स्थायित्व में योगदान करते हैं।
- केवल विवाह संबंध ही परिवार को एकजुट रखते हैं।
- केवल रक्त संबंध ही प्राथमिक होते हैं, विवाह संबंध गौण हैं।
- दोनों का महत्व है, लेकिन रक्त संबंध आधारभूत माने जाते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: संयुक्त परिवार की व्यवस्था में, रक्त संबंध (जैसे माता-पिता, बच्चे, भाई-बहन) आधारभूत होते हैं, जो परिवार की निरंतरता और वंशावली का निर्माण करते हैं। विवाह संबंध (जैसे पति-पत्नी, देवर-भाभी) भी परिवार में शामिल होते हैं और नई पीढ़ियों को जन्म देने तथा संबंधों को विस्तारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, परिवार का मूल ढाँचा रक्त संबंध से ही बनता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दोनों प्रकार के संबंध परिवार के कामकाज, सामाजिक सुरक्षा और भावनात्मक समर्थन के लिए आवश्यक हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) दोनों को समान रूप से आधारभूत बताना अतिशयोक्ति हो सकती है, क्योंकि रक्त संबंध अधिक प्राथमिक माने जाते हैं। विकल्प (b) और (c) एकतरफा दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक संबंधों में निहित होती है, का समाजशास्त्रीय विश्लेषण किसने किया?
- पियरे बॉर्डियू
- एन्थनी गिडन्स
- इमाइल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा को विकसित किया, जिसे उन्होंने उन संसाधनों के रूप में परिभाषित किया जो व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक नेटवर्क से प्राप्त होते हैं। इसमें विश्वास, सहयोग और पारस्परिक दायित्वों की भावना शामिल है।
- संदर्भ एवं विस्तार: बॉर्डियू का मानना था कि सामाजिक पूंजी, आर्थिक पूंजी और सांस्कृतिक पूंजी के साथ मिलकर, सामाजिक असमानता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह उन लाभों का वर्णन करती है जो व्यक्ति अपने सामाजिक संबंधों से प्राप्त कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: गिडन्स ने ‘संरचना का सिद्धांत’ (Structuration Theory) विकसित किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकता और एनोमी पर काम किया। सिमेल ने आधुनिक शहरी जीवन और सामाजिक रूपों का विश्लेषण किया।
प्रश्न 25: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में, ‘भौतिक संस्कृति’ (Material Culture) का अर्थ क्या है?
- समाज के मूल्य, विश्वास और विचार।
- समाज के लोगों द्वारा निर्मित और उपयोग की जाने वाली मूर्त वस्तुएँ।
- सामाजिक संबंधों की अमूर्त संरचनाएँ।
- समाज के अलिखित नियम और मानदंड।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: भौतिक संस्कृति में वे सभी मूर्त वस्तुएँ शामिल होती हैं जिन्हें मानवों ने बनाया है और जो एक संस्कृति का हिस्सा हैं। इसमें इमारतें, उपकरण, वस्त्र, कलाकृतियाँ, प्रौद्योगिकी, वाहन आदि शामिल हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अभौतिक संस्कृति (non-material culture) के विपरीत है, जिसमें विचार, विश्वास, मूल्य, भाषा, मानदंड और परंपराएँ शामिल होती हैं। दोनों मिलकर एक संस्कृति का निर्माण करते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) अभौतिक संस्कृति को दर्शाता है। विकल्प (c) सामाजिक संरचनाओं को दर्शाता है। विकल्प (d) अनौपचारिक नियमों को दर्शाता है, जो अभौतिक संस्कृति का हिस्सा हैं।