समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें
तैयारी के मैदान में आपका स्वागत है, समाजशास्त्र के उत्साही साथियों! क्या आप अपनी समझ को गहरा करने और महत्वपूर्ण परीक्षा में सफल होने के लिए तैयार हैं? आज का दिन आपकी समाजशास्त्रीय अवधारणाओं, विचारकों और सिद्धांतों की पैनी पकड़ को परखने का है। आइए, इस दैनिक अभ्यास सत्र के साथ अपने ज्ञान की सीमा को और विस्तृत करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने समाज को परस्पर जुड़े हुए भागों के एक स्थिर, व्यवस्थित पैटर्न के रूप में वर्णित करने के लिए प्रमुखता से उपयोग किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- टैल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टैल्कॉट पार्सन्स को सामाजिक संरचना की अवधारणा के अपने व्यापक विकास के लिए जाना जाता है। उन्होंने सामाजिक संरचना को सामाजिक व्यवस्था के प्रमुख घटकों और उनके बीच के संबंधों के रूप में देखा, जो समाज में स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने अपने ‘स्ट्रक्चरल फंक्शनलिज्म’ (Structural Functionalism) सिद्धांत के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था, संस्थाओं और सामाजिक क्रियाओं का विश्लेषण किया। उनके लिए, सामाजिक संरचना समाज की वह व्यवस्थित प्रणाली है जिसमें व्यक्तियों की भूमिकाएं और अंतःक्रियाएं निश्चित पैटर्न में होती हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक संरचना को वर्ग संघर्ष के लेंस से देखा, मैक्स वेबर ने व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर जोर दिया, और एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) पर ध्यान केंद्रित किया, हालांकि उन्होंने भी सामाजिक संरचना के तत्वों पर चर्चा की, लेकिन पार्सन्स का कार्य इस अवधारणा के व्यवस्थित विश्लेषण में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा शब्द एमिल दुर्खीम द्वारा सामाजिक विघटन या सामान्यता की कमी की स्थिति का वर्णन करने के लिए गढ़ा गया था?
- अलगाव (Alienation)
- अराजकता (Anomie)
- सत्ता (Authority)
- भूमिका तनाव (Role Strain)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘अराजकता’ (Anomie) शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जब समाज में सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और नियंत्रण का अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध कृति “Suicide” में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है, यह बताते हुए कि कैसे सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या राजनीतिक उथल-पुथल अराजकता को बढ़ा सकती है।
- गलत विकल्प: ‘अलगाव’ कार्ल मार्क्स की एक प्रमुख अवधारणा है, ‘सत्ता’ मैक्स वेबर द्वारा विश्लेषित शक्ति का वैध रूप है, और ‘भूमिका तनाव’ सामाजिक भूमिकाओं से संबंधित है, लेकिन अराजकता का अर्थ दुर्खीम की परिभाषा से भिन्न है।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘रैशनल-लीगल अथॉरिटी’ (Rational-Legal Authority) किस पर आधारित होती है?
- व्यक्तिगत करिश्मा
- प्रथाएँ और परंपराएँ
- कानून और नियम
- पारिवारिक संबंध
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई और तर्कसंगत-कानूनी (Rational-Legal)। तर्कसंगत-कानूनी सत्ता नियमों, विनियमों और एक व्यवस्थित पदानुक्रमित संरचना पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, आधुनिक नौकरशाही (Bureaucracy) तर्कसंगत-कानूनी सत्ता का सबसे स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ अधिकार पद पर निहित होता है, न कि व्यक्ति पर।
- गलत विकल्प: ‘व्यक्तिगत करिश्मा’ करिश्माई सत्ता का आधार है, ‘प्रथाएँ और परंपराएँ’ पारंपरिक सत्ता का आधार हैं, और ‘पारिवारिक संबंध’ पारंपरिक सत्ता के साथ-साथ कुछ अन्य सामाजिक संरचनाओं से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन तर्कसंगत-कानूनी सत्ता का आधार कानून और नियम हैं।
प्रश्न 4: एल.टी. हूबहाउस (L.T. Hobhouse) ने सामाजिक विकास के किस सिद्धांत में ‘सामान्य प्रगति’ (General Progress) की बात की?
- विकासवादी सिद्धांत
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- कार्यात्मक सिद्धांत
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एल.टी. हूबहाउस, जिन्हें अक्सर समाजशास्त्रीय विकासवाद के अग्रदूतों में गिना जाता है, ने समाज के विकास को अधिक तर्कसंगत, नैतिक और सभ्य दिशा में एक क्रमिक प्रगति के रूप में देखा।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक “Social Evolution and Progress” में, उन्होंने तर्क दिया कि समाज ऐतिहासिक रूप से अधिक संगठित, अधिक एकीकृत और अधिक सहिष्णु होता जाता है, जिसे वे ‘सामान्य प्रगति’ कहते हैं।
- गलत विकल्प: यह विचार सीधे तौर पर विकासवादी (Evolutionary) सिद्धांत से जुड़ा है, जबकि संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory), प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) और कार्यात्मक सिद्धांत (Functionalism) समाज को देखने के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 5: आर.के. मर्टन (R.K. Merton) द्वारा प्रस्तुत ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Theories of the Middle Range) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- समग्र सामाजिक व्यवस्था के व्यापक सिद्धांत विकसित करना
- विशिष्ट सामाजिक घटनाओं और प्रक्रियाओं का विश्लेषण करना
- समाजशास्त्र को केवल ऐतिहासिक अध्ययन तक सीमित रखना
- सार्वभौमिक सामाजिक नियमों की खोज करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आर.के. मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ का प्रस्ताव रखा, जो न तो बहुत अमूर्त (जैसे सामाजिक व्यवस्था के व्यापक सिद्धांत) और न ही बहुत संकीर्ण (केवल एक विशिष्ट घटना) हों, बल्कि मध्यवर्ती स्तर पर हों जो अनुभवजन्य जांच योग्य हों।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन का मानना था कि इस स्तर के सिद्धांत विवाहित जोड़ों के बीच संबंध, सामाजिक गतिशीलता, या नौकरशाही के कामकाज जैसी विशिष्ट सामाजिक प्रक्रियाओं को समझने और उनका अनुभवजन्य परीक्षण करने में अधिक सहायक होते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) उनके सिद्धांत के ठीक विपरीत है, विकल्प (c) समाजशास्त्र को सीमित करता है, और विकल्प (d) अति-सामान्यीकरण का सुझाव देता है; मर्टन का लक्ष्य अनुभवजन्य साक्ष्य के आधार पर अधिक केंद्रित स्पष्टीकरण प्रदान करना था।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘सूतको’ (Sutak) का क्या अर्थ है?
- जन्म के समय शुद्धिकरण संस्कार
- मृत्यु के उपरांत किया जाने वाला सूतक/अशुद्धता काल
- अविवाहित लड़कियों के लिए विशेष नियम
- धार्मिक अनुष्ठानों में वर्जित वस्तुएँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘सूतक’ (या अशौच) का पारंपरिक रूप से संबंध किसी परिवार में मृत्यु होने के बाद के शुद्धि काल से है, जिसके दौरान परिवार के सदस्य कुछ सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों से दूर रहते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संस्कृति में मृत्यु और संबंधित शोक व शुद्धि की अवधारणाओं का एक अभिन्न अंग है, जो व्यक्ति और समुदाय को शोक से उबरने और शुद्धता पुनः प्राप्त करने के लिए एक संरचित अवधि प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: जन्म के उपरांत शुद्धिकरण को ‘नामकरण’ या अन्य संस्कारों से जोड़ा जा सकता है, लेकिन ‘सूतक’ मुख्य रूप से मृत्यु से जुड़ा है। अविवाहित लड़कियों या धार्मिक वर्जनाओं से इसका सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का एक रूप नहीं है?
- जाति (Caste)
- वर्ग (Class)
- नस्ल (Race)
- सहयोग (Cooperation)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सहयोग (Cooperation) समाज में व्यक्तियों और समूहों के बीच एक सकारात्मक अंतःक्रिया है, जबकि जाति, वर्ग और नस्ल सामाजिक स्तरीकरण के ऐसे प्रणालियाँ हैं जो समाज में व्यक्तियों को उनकी सामाजिक स्थिति, शक्ति और संसाधनों के आधार पर श्रेणीबद्ध करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज में असमानता की एक सार्वभौमिक विशेषता है, जिसमें विभिन्न आधारों पर समूह बनाए जाते हैं। सहयोग इस असमानता के विपरीत, समाज को एक साथ लाने वाली प्रक्रिया है।
- गलत विकल्प: जाति, वर्ग और नस्ल तीनों ही प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक स्तरीकरण की प्रणालियों के उदाहरण हैं।
प्रश्न 8: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- ई.बी. टाइलर
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- ए.एल. क्रोबर
- रॉबर्ट रेडफील्ड
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विलियम एफ. ओग्बर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी, जो यह बताती है कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे एक अंतराल या विलंब पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न ने अपनी पुस्तक “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में इस विचार को विस्तार से समझाया। उदाहरण के लिए, कार का आविष्कार (भौतिक संस्कृति) हुआ, लेकिन इसके उपयोग से संबंधित सामाजिक नियम और नैतिकता (अभौतिक संस्कृति) विकसित होने में अधिक समय लगा।
- गलत विकल्प: ई.बी. टाइलर ने ‘संस्कृति’ पर काम किया, ए.एल. क्रोबर ने भी संस्कृति और मानव विज्ञान में योगदान दिया, और रॉबर्ट रेडफील्ड ने लोक संस्कृति (Folk Culture) का अध्ययन किया, लेकिन सांस्कृतिक विलंब ओग्बर्न की अवधारणा है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता ‘आदिम समाज’ (Primitive Society) के संदर्भ में दुर्खीम द्वारा बताई गई ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) से मेल नहीं खाती?
- श्रम का कम विभाजन
- सामूहिक चेतना की प्रबलता
- व्यक्तिवाद की उच्च डिग्री
- समान अनुभव और विश्वास
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम के अनुसार, आदिम समाजों में ‘यांत्रिक एकजुटता’ पाई जाती है, जो श्रम के कम विभाजन, समान विश्वासों, मूल्यों और जीवन के अनुभवों से उत्पन्न होती है। यह ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की प्रबलता का परिणाम है, जहाँ व्यक्ति अपनी पहचान समाज से अभिन्न रूप से जोड़ते हैं। ‘व्यक्तिवाद की उच्च डिग्री’ आधुनिक, जटिल समाजों की विशेषता है, जहाँ ‘जैविक एकजुटता’ (Organic Solidarity) पाई जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” में इन दोनों प्रकार की एकजुटता का वर्णन किया है। यांत्रिक एकजुटता में, भिन्नता कम होती है और समानता अधिक, जो व्यक्तिगत भिन्नता के बजाय सामूहिक चेतना को बल देती है।
- गलत विकल्प: श्रम का कम विभाजन, सामूहिक चेतना की प्रबलता और समान अनुभव/विश्वास यांत्रिक एकजुटता की प्रमुख विशेषताएं हैं, जबकि उच्च व्यक्तिवाद जैविक एकजुटता की ओर संकेत करता है।
प्रश्न 10: ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) का प्रमुख प्रस्तावक कौन है, जो यह मानता है कि सामाजिक वास्तविकता व्यक्तियों के विचारों और विश्वासों से निर्मित होती है?
- पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन
- जुरगन हैबरमास
- सिगमंड फ्रायड
- मिशेल फुकॉल्ट
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन ने अपनी प्रभावशाली पुस्तक “The Social Construction of Reality” में ‘ज्ञान के समाजशास्त्र’ के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने तर्क दिया कि हमारी सामाजिक वास्तविकता हमारे सामूहिक विश्वासों और इंटरैक्शन से निर्मित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी थीसिस के अनुसार, समाज बाहरी दुनिया के रूप में प्रकट होता है, लेकिन यह मानव इंटरैक्शन का उत्पाद है, जो सामाजिक संस्थाओं और प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त होता है।
- गलत विकल्प: जुरगन हैबरमास का संबंध ‘संवाद’ और ‘सार्वजनिक क्षेत्र’ से है, सिगमंड फ्रायड मनोविश्लेषण के जनक हैं, और मिशेल फुकॉल्ट शक्ति, ज्ञान और प्रवचन (discourse) के विश्लेषण से जुड़े हैं।
प्रश्न 11: भारत में ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) के संदर्भ में, ‘tenant’ (किरायेदार) का क्या अर्थ है?
- भूमि का मालिक
- भूमि का प्रत्यक्ष कृषक (जो अपनी जमीन पर खेती करता है)
- वह व्यक्ति जो किसी और की भूमि पर खेती के लिए लगान देता है
- भूमिहीन कृषक श्रमिक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में भूमि सुधारों के संदर्भ में, ‘किरायेदार’ (Tenant) उस व्यक्ति को दर्शाता है जो किसी और की भूमि को किराए पर लेकर उस पर खेती करता है और इसके बदले में मालिक को निश्चित राशि या उपज के रूप में लगान (Rent) देता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में जमींदारी उन्मूलन और अन्य भूमि सुधारों का एक प्रमुख उद्देश्य किरायेदार किसानों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें जमीन का स्वामित्व प्रदान करना था ताकि वे शोषण से बच सकें।
- गलत विकल्प: भूमि का मालिक ‘भूमिपति’ (Landlord) कहलाता है। अपनी जमीन पर खेती करने वाले को ‘स्वयं कृषक’ (Owner Cultivator) कहते हैं। भूमिहीन श्रमिक को ‘भूमिहीन कृषक’ (Landless Labourer) कहा जाता है।
प्रश्न 12: सामाजिक परिवर्तन के ‘प्रक्रियात्मक सिद्धांत’ (Processual Theories of Social Change) के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन क्या है?
- यह हमेशा रेखीय और प्रगतिशील होता है
- यह चक्रों या दोहराए जाने वाले चरणों के माध्यम से होता है
- यह विभिन्न कारकों के बीच जटिल अंतःक्रिया का परिणाम है
- यह केवल बाहरी शक्तियों द्वारा संचालित होता है
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रक्रियात्मक सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन को एक रैखिक या चक्रीय घटना के बजाय विभिन्न आंतरिक और बाहरी कारकों (जैसे प्रौद्योगिकी, संस्कृति, राजनीतिक परिवर्तन, आदि) की जटिल अंतःक्रिया के परिणाम के रूप में देखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण मानता है कि परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है जो कई अलग-अलग शक्तियों से प्रभावित होती है और विभिन्न तरीकों से प्रकट हो सकती है।
- गलत विकल्प: यह हमेशा रेखीय नहीं होता (विकल्प a), यह केवल चक्रीय भी नहीं होता (विकल्प b), और यह केवल बाहरी शक्तियों द्वारा संचालित नहीं होता (विकल्प d); प्रक्रियात्मक सिद्धांत विभिन्न कारकों की भूमिका पर जोर देते हैं।
प्रश्न 13: किस समाजशास्त्री ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि व्यक्ति अपनी अंतःक्रियाओं के माध्यम से अर्थ (Meaning) का निर्माण करते हैं?
- इरावती कर्वे
- जी.एच. मीड
- एस. सी. दुबे
- इरावती कर्वे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (G.H. Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख संस्थापकों में से एक माना जाता है। उन्होंने सिखाया कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, इशारे) के माध्यम से संवाद करते हैं और स्वयं (Self) और समाज के बारे में अर्थ का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का कार्य, विशेष रूप से उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक “Mind, Self, and Society,” इस दृष्टिकोण की नींव रखता है। यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि कैसे व्यक्ति अपनी सामाजिक दुनिया की व्याख्या करने के लिए प्रतीकों का उपयोग करते हैं।
- गलत विकल्प: इरावती कर्वे और एस.सी. दुबे भारत के प्रमुख समाजशास्त्री रहे हैं जिन्होंने विभिन्न विषयों पर काम किया, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के विकास में जी.एच. मीड का योगदान प्राथमिक है। (नोट: इरावती कर्वे का नाम दो बार आ गया है, इसे एक ही माना जाएगा।)
प्रश्न 14: भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?
- अपनी जाति के भीतर विवाह करना
- अपनी गोत्र (Gotra) के बाहर विवाह करना
- अपनी जाति के बाहर विवाह करना
- अपनी उप-जाति (Sub-caste) के भीतर विवाह करना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था में, ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी जाति या उप-जाति के भीतर ही विवाह करना चाहिए। यह जाति व्यवस्था की कठोरता और अपनी पहचान बनाए रखने का एक प्रमुख नियम है।
- संदर्भ और विस्तार: परंपरागत रूप से, विवाह का सबसे कड़ा नियम उप-जाति स्तर पर लागू होता है, जो जातीय अलगाव और स्तरीकरण को मजबूत करता है।
- गलत विकल्प: ‘अपनी जाति के भीतर विवाह करना’ (a) सही है, लेकिन ‘उप-जाति’ (d) अधिक सटीक और सामान्य रूप से लागू होने वाला नियम है। ‘अपनी गोत्र के बाहर विवाह करना’ (b) भी कुछ जातीय समूहों में एक नियम हो सकता है, लेकिन यह अंतर्विवाह से भिन्न है। ‘अपनी जाति के बाहर विवाह करना’ (c) बहिर्विवाह (Exogamy) कहलाता है।
प्रश्न 15: पश्चिमी समाजशास्त्रियों में, जिन्होंने भारतीय समाज, विशेष रूप से परिवार, नातेदारी और जाति व्यवस्था का गहन अध्ययन किया, उनमें प्रमुख कौन हैं?
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- एम.एन. श्रीनिवास
- लुई ड्यूमोंट
उत्तर: (c) और (d) दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, लेकिन एम.एन. श्रीनिवास भारतीय समाजशास्त्री थे जिन्होंने पश्चिमी विद्वानों के समान गहन अध्ययन किया। यदि प्रश्न “पश्चिमी समाजशास्त्रियों” की बात करता है, तो (d) अधिक उपयुक्त है। यदि “समाजशास्त्रियों” की बात होती तो (c) भी प्रमुख होते। यहाँ हम (d) को मुख्य मानेंगे क्योंकि प्रश्न पश्चिमी विद्वानों पर केंद्रित है।
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लुई ड्यूमोंट एक फ्रांसीसी मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री थे जिन्होंने भारतीय जाति व्यवस्था, विशेष रूप से ‘पवित्रता’ (Purity) और ‘प्रदूषण’ (Pollution) की अवधारणाओं के आधार पर इसके पदानुक्रमित (hierarchical) अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। एम.एन. श्रीनिवास (जो भारतीय थे) ने ‘संसकृतिकरण’ (Sanskritization) जैसी अवधारणाएं दीं और पश्चिमी विद्वानों के समान ही गहन क्षेत्रीय कार्य किया। प्रश्न “पश्चिमी समाजशास्त्रियों” पर केंद्रित है, इसलिए लुई ड्यूमोंट अधिक प्रासंगिक उत्तर हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ड्यूमोंट की पुस्तक “Homo Hierarchicus” जाति व्यवस्था को समझने के लिए एक मौलिक कार्य है। एम.एन. श्रीनिवास ने भी भारतीय ग्रामीण समुदायों पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर और इमाइल दुर्खीम ने समाजशास्त्र के व्यापक सिद्धांत विकसित किए, लेकिन उन्होंने विशेष रूप से भारतीय समाज का प्रत्यक्ष, गहन क्षेत्रीय अध्ययन नहीं किया जैसा कि ड्यूमोंट या श्रीनिवास ने किया।
(नोट: इस प्रश्न के दो संभावित उत्तर थे। यदि प्रश्न भारतीय समाजशास्त्रियों पर होता तो एम.एन. श्रीनिवास सही होते। चूंकि प्रश्न पश्चिमी समाजशास्त्रियों पर है, लुई ड्यूमोंट को चुना गया है।)
प्रश्न 16: ‘पोट्लैच’ (Potlatch) की प्रथा, जो दान देने और लौटाने के अनुष्ठानों से संबंधित है, किस प्रकार की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था से जुड़ी है?
- सामंतवाद (Feudalism)
- औद्योगिक पूंजीवाद (Industrial Capitalism)
- सरल अर्थव्यवस्थाएँ (Sub-Arctic/Northwest Coast Indigenous Economies)
- आधुनिक सेवा अर्थव्यवस्था (Modern Service Economy)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘पोट्लैच’ उत्तरी पश्चिमी प्रशांत तट के मूल निवासी समुदायों (जैसे कोस्कुआ (Kwakiutl) और हैडा (Haida) जनजातियाँ) की एक प्रथा थी, जिसमें बड़े पैमाने पर दावतें आयोजित की जाती थीं, दान दिया जाता था, और धन या वस्तुओं को प्रतिस्पर्धी तरीके से नष्ट भी किया जाता था। इसका उद्देश्य सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा को बढ़ाना था।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रथा वस्तु विनिमय (barter) और उपहार अर्थव्यवस्था (gift economy) का एक रूप थी, जो आधुनिक पूंजीवादी विचारों से भिन्न है। यह दान और प्रत्युपकार (reciprocity) के जटिल नियमों पर आधारित थी।
- गलत विकल्प: सामंतवाद, औद्योगिक पूंजीवाद और आधुनिक सेवा अर्थव्यवस्था सभी अलग-अलग आर्थिक और सामाजिक संरचनाएं हैं जिनके अपने विशिष्ट नियम और प्रथाएं हैं, जो पोट्लैच से भिन्न हैं।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक समस्या प्रत्यक्ष रूप से ‘अल्पसंख्यकों के आत्मसात’ (Assimilation of Minorities) की प्रक्रिया से संबंधित है?
- शहरीकरण
- गरीबी
- भेदभाव
- प्रदूषण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘भेदभाव’ (Discrimination) अल्पसंख्यकों के आत्मसात की प्रक्रिया में एक बड़ी बाधा है। जब अल्पसंख्यक समूहों को बहुसंख्यक समाज द्वारा समान अवसर, अधिकार या सामाजिक स्वीकृति नहीं मिलती है, तो उनका आत्मसात मुश्किल हो जाता है, जिससे सामाजिक तनाव उत्पन्न होता है।
- संदर्भ और विस्तार: आत्मसात एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक समाज की संस्कृति, मूल्यों और व्यवहारों को अपनाते हैं। भेदभाव इस प्रक्रिया को रोकता है क्योंकि यह अल्पसंख्यक समूह को पूरी तरह से भाग लेने से रोकता है।
- गलत विकल्प: शहरीकरण (a) आत्मसात को बढ़ावा या बाधा दे सकता है। गरीबी (b) एक व्यापक सामाजिक समस्या है जो अल्पसंख्यक समूहों को प्रभावित करती है लेकिन सीधे तौर पर आत्मसात की प्रक्रिया से संबंधित नहीं है। प्रदूषण (d) एक पर्यावरणीय समस्या है।
प्रश्न 18: ‘सार्वभौमिकता’ (Universality) और ‘विशेषता’ (Particularism) की अवधारणाओं का उपयोग किस समाजशास्त्री ने सामाजिक क्रिया (Social Action) के प्रतिमानों (Patterns) को समझने के लिए किया?
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- रॉबर्ट पारक्स
- टैल्कॉट पार्सन्स
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक क्रिया के अपने ‘सिस्टम ऑफ एक्शन’ (System of Action) सिद्धांत में ‘सार्वभौमिकता’ और ‘विशेषता’ को भूमिका निर्वहन (Role Performance) के लिए दो प्रमुख अभिविन्यास (Orientations) के रूप में पहचाना। सार्वभौमिकता का अर्थ है कि भूमिका का निर्वहन सार्वभौमिक मानदंडों के अनुसार होता है, जबकि विशेषता का अर्थ है कि भूमिका का निर्वहन विशिष्ट संबंध (जैसे परिवार) के अनुसार होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये अवधारणाएं उनके ‘पैटर्न वेरिएबल’ (Pattern Variables) का हिस्सा हैं, जिनका उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि व्यक्ति अपनी भूमिकाओं का निर्वहन कैसे करते हैं और समाज की संरचना कैसे बनती है।
- गलत विकल्प: चार्ल्स हॉर्टन कूली ‘प्राइमरी ग्रुप्स’ (Primary Groups) और ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-glass Self) के लिए जाने जाते हैं। रॉबर्ट ई. पार्क और रॉबर्ट पारक्स (यदि यह वही व्यक्ति हैं) शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरी समाजशास्त्र पर काम किया।
प्रश्न 19: भारतीय समाज में, ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) के अध्ययन में ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?
- लघु परिवार इकाई
- पत्नी द्वारा पति के घर का त्याग
- एक ही छत के नीचे कई पीढ़ियों का निवास
- बच्चों का शीघ्र वयस्कता की ओर अग्रसर होना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संयुक्त परिवार की सबसे विशिष्ट विशेषता यह है कि इसमें एक ही छत के नीचे या निकटता में रहने वाले कई सदस्यों (जैसे माता-पिता, उनके विवाहित बच्चे, पोते-पोतियां) का समावेश होता है, जो आम तौर पर एक आम रसोई और संपत्ति साझा करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय समाजशास्त्र में, संयुक्त परिवार को पारंपरिक सामाजिक संस्था का आधार माना जाता रहा है, जो सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक विरासत के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: लघु परिवार इकाई (a) एकल परिवार (Nuclear Family) की विशेषता है। पत्नी द्वारा पति के घर का त्याग (b) आम तौर पर नहीं होता, बल्कि पुरुष अपने परिवार के साथ रहते हैं। शीघ्र वयस्कता (d) एक सामान्य सामाजिक घटना है, न कि संयुक्त परिवार की विशिष्ट विशेषता।
प्रश्न 20: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) को समझने के लिए, ‘अंतर्पीढ़ीगत गतिशीलता’ (Intergenerational Mobility) से क्या तात्पर्य है?
- एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में उसकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- माता-पिता और उनकी संतानों के बीच सामाजिक स्थिति में अंतर
- समाज में समूहों के बीच सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- एक व्यक्ति द्वारा विभिन्न सामाजिक भूमिकाओं में परिवर्तन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अंतर्पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility) का अर्थ है किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति की उसके माता-पिता की सामाजिक स्थिति से तुलना करना। यह बताता है कि क्या संतान अपने माता-पिता की तुलना में उच्च या निम्न सामाजिक स्तर पर पहुंची है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक स्तरीकरण और अवसरों की समानता का अध्ययन करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। उदाहरण के लिए, यदि एक मजदूर का बच्चा डॉक्टर बनता है, तो यह अंतर्पीढ़ीगत गतिशीलता का एक उदाहरण है।
- गलत विकल्प: एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में परिवर्तन ‘अंतःपीढ़ीगत गतिशीलता’ (Intragenerational Mobility) कहलाता है (a)। समूहों के बीच परिवर्तन (c) संरचनात्मक गतिशीलता (Structural Mobility) का हिस्सा हो सकता है, और भूमिका परिवर्तन (d) भूमिका संक्रमण (Role Transition) का उदाहरण है।
प्रश्न 21: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- संख्याओं और आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष निकालना
- सामाजिक घटनाओं के गहरे अर्थों, अनुभवों और संदर्भों को समझना
- परिकल्पनाओं का सांख्यिकीय परीक्षण करना
- बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य सामाजिक घटनाओं के पीछे छिपे अर्थों, अनुभवों, भावनाओं और सामाजिक संदर्भों को गहराई से समझना है। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर खोजने पर केंद्रित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें साक्षात्कार, फोकस समूह, नृवंशविज्ञान (ethnography) और केस स्टडी जैसी विधियाँ शामिल हैं, जिनका उद्देश्य अनुभव की समृद्धि को पकड़ना है।
- गलत विकल्प: संख्याओं और आंकड़ों पर आधारित निष्कर्ष (a) और परिकल्पनाओं का सांख्यिकीय परीक्षण (c) मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) की विशेषताएँ हैं। बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण (d) भी अक्सर मात्रात्मक अनुसंधान का हिस्सा होता है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) को ‘स्व’ (Self) और ‘समाज’ (Society) के संबंध पर अपने काम के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है, यह तर्क देते हुए कि ‘स्व’ सामाजिक बातचीत के माध्यम से विकसित होता है?
- इरविन गॉफमैन
- हरबर्ट ब्लूमर
- विलियम थॉमस
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चार्ल्स हॉर्टन कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-glass Self) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसके अनुसार व्यक्ति स्वयं को दूसरों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर निर्मित करता है। यह प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक प्रमुख सिद्धांत है जो बताता है कि ‘स्व’ सामाजिक संपर्क का उत्पाद है।
- संदर्भ और विस्तार: कूली के अनुसार, हम सोचते हैं कि दूसरे हमें कैसे देखते हैं, फिर हम अपने बारे में महसूस करते हैं, और फिर हम उस भावना के आधार पर अपना व्यवहार तय करते हैं।
- गलत विकल्प: इरविन गॉफमैन ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) के लिए जाने जाते हैं, हरबर्ट ब्लूमर ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द गढ़ा और इसे व्यवस्थित किया, और विलियम थॉमस ‘थॉमस प्रमेय’ (Thomas Theorem – “परिस्थितियों को परिभाषित किया जाता है, तो वे वास्तविक हो जाती हैं”) के लिए जाने जाते हैं, लेकिन ‘स्व’ के विकास पर कूली का योगदान सबसे प्रत्यक्ष है।
प्रश्न 23: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया से जुड़ी एक प्रमुख सामाजिक समस्या क्या है?
- जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
- पारंपरिक मूल्यों का क्षरण
- महिलाओं की स्थिति में गिरावट
- ग्रामीणों का पलायन न होना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आधुनिकीकरण, जो अक्सर पश्चिमीकरण, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण से जुड़ा होता है, के कारण पारंपरिक मूल्य, मान्यताएं और सामाजिक संस्थाएं कमजोर पड़ सकती हैं, जिससे ‘पारंपरिक मूल्यों का क्षरण’ (Erosion of Traditional Values) एक प्रमुख सामाजिक समस्या के रूप में उभर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिवर्तन की प्रक्रिया है जहाँ समाज अधिक औद्योगिक, तकनीकी और धर्मनिरपेक्ष बनता है, जिससे पुराने रीति-रिवाज और मान्यताएँ चुनौती का सामना करती हैं।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण (a) आधुनिकीकरण के साथ अक्सर कमजोर होती है, हालांकि इसके नए रूप भी उभर सकते हैं। महिलाओं की स्थिति (c) अक्सर आधुनिकीकरण के साथ बेहतर होती है, हालांकि इसमें नए प्रकार की चुनौतियाँ भी आ सकती हैं। ग्रामीणों का पलायन (d) आधुनिकीकरण का एक परिणाम है, समस्या नहीं।
प्रश्न 24: किस समाजशास्त्री ने ‘अधिकार’ (Power) को “किसी सामाजिक संबंध में, अपनी इच्छा के बावजूद, दूसरे के प्रतिरोध पर भी अपनी इच्छा को लागू करने की संभावना” के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- टैल्कॉट पार्सन्स
- मैक्स वेबर
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने अधिकार (Power) को इस रूप में परिभाषित किया, यह उनकी प्रभुत्व (Domination) और सत्ता (Authority) की अवधारणाओं का हिस्सा है। वेबर के लिए, अधिकार बलपूर्वक या सहमति से दूसरों को अपनी इच्छानुसार कार्य करवाने की क्षमता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा वेबर के समाजशास्त्र के केंद्रीय विषयों में से एक है, जो सामाजिक असमानता और व्यवस्था को समझने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने अधिकार को वर्ग संबंधों और उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण के माध्यम से समझाया। टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के बनाए रखने में अधिकार की भूमिका पर जोर दिया। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकासवाद पर काम किया, लेकिन यह विशिष्ट परिभाषा वेबर की है।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक न्याय’ (Social Justice) के समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण घटक है?
- सभी नागरिकों के लिए पूर्ण आर्थिक समानता
- संसाधनों, अवसरों और अधिकारों का निष्पक्ष वितरण
- सरकार द्वारा सभी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नियंत्रित करना
- केवल व्यक्तिगत प्रतिभा पर आधारित सामाजिक स्थिति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक न्याय का तात्पर्य समाज के सभी सदस्यों के लिए संसाधनों, अवसरों और अधिकारों का निष्पक्ष और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है, भले ही उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह असमानता को दूर करने, वंचितों को सशक्त बनाने और समाज में सभी के लिए गरिमा और समानता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: पूर्ण आर्थिक समानता (a) सामाजिक न्याय का एक आदर्श हो सकता है, लेकिन व्यवहार में हमेशा प्राप्त योग्य नहीं होता और यह अकेले न्याय नहीं है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नियंत्रित करना (c) न्याय के विपरीत है। केवल व्यक्तिगत प्रतिभा पर आधारित स्थिति (d) सामाजिक न्याय के बजाय योग्यतावाद (Meritocracy) की ओर अधिक झुकती है, और यह भी अक्सर सामाजिक बाधाओं से प्रभावित हो सकती है।